चालू लड़की की चूत चुदाई का मजा मुझे मिला जब हमारी कॉलोनी में एक नया परिवार आया. वे दो बहनें थी. छोटी वाली मेरे कॉलेज में थी. उससे बात हुई और …
मेरा नाम शुभम है. मैं रायपुर का रहने वाला हूँ.
दोस्तो, ये कोई फर्जी कहानी नहीं है … बल्कि मेरी खुद की सच्ची कहानी है.
यह चालू लड़की की चूत चुदाई आज से तीन साल पुरानी है, तब मैं 21 साल का था.
उस समय मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच हो गई थी.
मैं दिखने में भी काफी आकर्षक लगता हूँ.
हम एक कॉलोनी में रहते हैं, जहां पर पहले हर रविवार को आसपास के घर वाले मिल कर सोसाइटी के पार्क में एक छोटा सा मिलन समारोह करते थे.
सब लोग मिल कर कुछ कुछ बना कर खाया करते थे. साथ में हंसी मजाक भी करते थे.
उन्हीं दिनों मेरे पड़ोस में 3-4 घर छोड़ कर एक नई फैमिली रहने आई थी.
एक रविवार को हमने उस फैमिली को भी आने का बुलावा दिया.
उस परिवार में अंकल आंटी और उनकी दो बेटियां व एक छोटा बेटा था.
अंकल की दोनों ही बेटियां बेहद ही खूबसूरत थीं.
छोटी वाली का नाम शिवानी था और बड़ी वाली का नाम सृष्टि था.
शिवानी मेरी ही उम्र की थी और बड़ी वाली मुझसे 4 साल बड़ी थी.
अपनी उम्र के हिसाब से शिवानी का शरीर काफ़ी भरा भरा और गदराया हुआ था; मुझे ऐसा लगता था कि ये खेली खाई है. मकैन कोशिश करूं तो मुझे इस चालू लड़की की चूत चुदाई का मौक़ा मिल सकता है.
हमारी पहली मुलाकात उसी मिलन समारोह में हुई थी.
उससे बातचीत के बाद मुझे पता चला कि वो इस शहर में नए हैं.
शिवानी ने मेरे ही कॉलेज में दाखिला भी ले लिया है.
उसकी इस बात को जानकर मुझे काफी अच्छा लगा और ऐसा अलग कि इसके साथ दोस्ती करने का ये अच्छा मौका मिल गया है.
उस दिन हमने वेज पुलाव बनाया था.
खाना हो जाने के बाद सब बड़े लोग आपस में गपशप कर रहे थे.
मैं शिवानी के पास बैठ गया और उससे बात करना शुरू की.
हमारी बातों की शुरुआत में यही सब बातें थीं कि वो किस विषय से अपनी पढ़ाई कर रही है और आगे क्या करना चाहती है.
उससे यही सब बात हो ही रही थी कि उसी समय मेरा छोटा भाई आ गया.
वो बोला- दीदी से क्या बात कर रहे हो भैया? इनको सैट कर रहे हो क्या?
वो कुछ बेशर्मी से मुझे चिढ़ाते हुए बोला था तो ये हम दोनों के लिए काफी अटपटा सा लगने लगा था.
मैंने तुरंत बात को सम्भाला और चुटकुला सुना कर शिवानी को हंसा कर वापस सहज कर दिया.
शिवानी की आंखों में साफ़ दिख रहा था कि वो भी मुझे उतना ही पसंद करने लगी थी, जितना मैं!
हम थोड़ी देर और बात करते रहे.
फिर कुछ देर बाद सब अपने अपने घर जाने लगे थे.
उसकी दीदी ने उसे आवाज देकर बुलाया.
तो वो अपनी दीदी से बोली- दीदी आप जाओ, मैं बाद में घर आ जाऊंगी.
उसकी बात सुनकर उसकी दीदी हम दोनों के पास आ गई.
दीदी मेरी तरफ देख कर शिवानी से बोली- क्या तुम एक दूसरे को पहले से जानते हो?
मैं अभी कुछ कहता कि शिवानी बोल पड़ी- हां दीदी, ये शुभम है. मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता है. मुझे नहीं मालूम था कि ये भी इसी कॉलोनी में रहता है.
शिवानी की बात सुनकर मैंने भी हां में हां मिला दी और उसकी दीदी मुझसे बात करने लगी.
कुछ देर बात करने के बाद शिवानी ने अपनी दीदी से कहा- आप भी बैठो न दीदी.
मगर उसकी दीदी ने मेरी तरफ प्यार से देखते हुए कहा- नहीं, मैं जा रही हूँ शिवानी … तुम आ जाना.
मैंने मुस्कान बिखेर दी तो शिवानी की दीदी ने मुझसे कहा- शुभम घर आना. मैं तुमसे उधर ही बैठ कर बात करूंगी.
उससे मैंने ओके कह दिया.
मुझे शिवानी की दीदी की आंखों में अजीब सी कशिश सी दिखी.
फिर वो चली गई.
अब तक पार्क से सब लोग चले गए थे. हम दोनों पार्क में अकेले बैठ कर बात करते रहे.
काफी देर तक बात करते करते अचानक से उसने मुझे मेरे गाल पर किस कर दिया.
वो मेरे कान के पास आकर धीरे से बोली- यू आर रियली टू क्यूट.
इस बात से मेरा दिल एकदम ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.
मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था.
अब मैंने उसकी तरफ देखा, उसकी आंखों में आंखें डालकर मूक बातें की तो वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
उसकी आंखों से साफ़ समझ आ रहा था कि मैं अब उसे उसके होंठों पर किस करूंगा.
वो शायद चुम्बन के लिए रेडी हो गई थी … उसने आंखें बंद कर लीं.
मैंने भी कुछ सोचा और हिम्मत करके उसके होंठों के एकदम पास अपने होंठ ले आया, पर मैंने उसे किस नहीं की.
जबकि उस समय हमारे होंठ इतने पास थे कि वो मेरी गर्म सांसों को महसूस जरूर ही कर रही होगी.
मैंने उसके होंठों को टच नहीं किया था. ये मैं जानबूझ कर उसको गर्म करने के लिए कर रहा था.
मेरी सांसें उसे सुनाई दे रही थीं.
वो तड़प रही थी कि वो मुझे अपने होंठों पर महसूस क्यों नहीं कर पा रही है.
फिर वो आगे की तरफ झुकी तो मैं थोड़ा सा पीछे हो गया.
उसके होंठों पर हल्की सी स्माइल भी थी.
फिर मुझसे न रहा गया और मैंने अपने होंठों से उसके ऊपर के होंठ को अपने होंठों से पकड़ लिया और चूस लिया.
उसको एक झुरझरी सी हुई और वो मेरे होंठों से अपने होंठों को चुसवाने लगी.
ये एक शुरुआती किस थी.
फिर तो वो मानो पागल हो गई.
अब मैंने उसके नीचे के होंठों को अपने दोनों होंठों से पकड़ा और दांतों से उसके होंठों को थोड़ा सा काटते हुए खींचा.
वो आह आह करने लगी.
हम दोनों ही अपने पहले किस से पागल हुए जा रहे थे.
अब मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और ज़ोर से उसे अपने करीब खींच लिया.
पहले तो वो थोड़ी सी डरी पर उसको भी मजा आ रहा था इसलिए उसने मना नहीं किया.
वो बस उसे फील कर रही थी, जो भी हो रहा था.
अब उसके पैर मेरे मेरे पैरों के ऊपर आ गए थे.
मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था और दूसरे हाथ से मैं उसकी गर्दन को पकड़े हुए था.
हम दोनों बेताबी से किस कर रहे थे. वो हल्के स्वर में सिसकार भी रही थी.
अब मुझसे जरा भी संयम नहीं हो रहा था. मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल दिया, तो वो अचानक से पता नहीं कैसे होश में आ गई.
वो बोली- यहां नहीं, कहीं और चलो.
पहले तो मैं नहीं माना.
फिर मैंने भी सोचा कि हम अभी पार्क में हैं और इधर इससे ज्यादा कुछ भी ठीक नहीं होगा, तो मैं मान गया.
फिर हम दोनों उधर से निकल आए.
मुझे मालूम था कि पार्क से जरा सी दूरी पर एक अपार्टमेन्ट बन रहा था.
उसमें एक फ्लैट बन चुका था जो कि अभी खाली था और वो मेरे मामा का था. उसकी चाभी हमेशा मेरे पास रहती थी.
मैंने उससे कहा- आओ इधर चलते हैं.
मैं उसे अपने मामा जी के खाली फ्लैट में ले गया.
अन्दर आते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया.
वहां बेडरूम में आकर हम दोनों बेड पर आ गए.
हम दोनों ही अब जंगली हो चुके थे. हमें रोक पाना खुद के लिए भी संभव नहीं था.
बेड पर जाते ही मैंने सबसे पहले उसका टॉप और लोअर उतार दिया.
उसने अन्दर एक पिंक कलर की जालीदार ब्रा पहनी थी.
उसके गोरे गोरे 32 साइज़ के बूबस और पिंक निपल्स साफ़ नज़र आ रहे थे. उसके मम्मों को देख कर मैं पागल हो गया था.
उसने भी मेरी टी-शर्ट उतार दी और पैंट उतारने को बोली.
मुझे इतनी ज्यादा उत्तेजना हो गई थी कि सुसु आने लगी थी.
मैं जल्दी से वॉशरूम में गया और वॉशरूम से बिना कपड़ों के बाहर आया.
मैंने देखा कि वो पूरी नंगी हो चुकी थी. अब तो मेरा लंड भी पूरा खड़ा हो गया था.
मैं बेड पर आ गया और उसको पकड़ कर किस करने लगा. पहले होंठों को चूमा, फिर चेहरे पर, पूरी बॉडी पर धीरे धीरे उसे चूम कर गर्माने लगा.
इसके बाद मैंने उसके एक दूध पर हमला किया, उसके एक निप्पल के पास अपने नथुने लाया और निप्पल पर गर्म हवा फैंकी.
फिर होंठों से भी हाआ करके गर्म हवा मारी.
वो तो इतने से जैसे पागल सी हो गई. उसने अपनी टांगें खोल दीं और उसी वक़्त मैंने अपनी एक उंगली उसकी चुत में डाल दी.
उसकी चुत में उंगली डालते ही वो जोर से अकड़ गई और उसकी चुत से पानी छूट गया.
वो कते हुए तने की तरह आह आह करती हुई बिस्तर पर आ गिरी.
उसे देख कर मुझे ऐसा लगा कि जैसे उसके शरीर से उसकी आत्मा निकल गई हो.
फिर एक मिनट बाद वो बोली- तुम एकदम पागल हो.
मैंने हंस कर पूछा- क्या हुआ?
वो भी मुस्कुरा कर बोली- मेरा काम तो उंगली से ही हो गया था. अब आ जाओ … इस बार रुकना मत प्लीज़.
अब मैंने पोजीशन बनाई और अपने दोनों पैरों से उसके दोनों पैरों को जकड़ लिया.
मैंने उसके दोनों पैर फैला दिए. उसके हाथों को भी पकड़ लिया और उसकी चुत के पास मुँह ले जाकर मैंने उसकी चूत पर क़िस्सी कर दी. फिर ज़ोर से ओर अपनी जीभ को उसकी चुत पर फेर दिया.
वो आह आह करने लगी मगर मैंने उसके हाथ पकड़े रखे और जीभ को उसकी चुत पर फेरते हुए ऊपर नीचे करने लगा.
वो छटपटा उठी, अपनी टांगें ऊपर को उठाने लगी. पर मैंने उसको हटने नहीं दिया.
कुछ ही पलों में वो फिर से झड़ गई.
अब वो बोली- अब चाट चाट कर ही काम करना है या आगे भी कुछ करना है.
मैं समझ गया और मैंने अपना लंड उसकी चुत पर रगड़ा. वो फिर से गांड उठाने लगी.
मैंने 3-4 बार लंड रगड़ा और वो हर बार गांड उठा कर लंड चुत में लेने की कोशिश करती रही.
वो पागल होती जा रही थी.
मुझसे भीख सी मांग रही थी कि लंड अन्दर डालो.
फिर मैंने उस पर रहम खाया और एक ही बार में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
वो तड़प गई, उसकी आंख से आंसू आ गए, पर मैं नहीं रुका. मैं लंड डालता निकालता रहा.
कुछ ही पलों में उसे भी मजा आने लगा और वो भी मादक आवाजें निकालती हुई चुदने लगी.
करीब दस मिनट में मैं अपने चरम पर आ गया और उस चालू लड़की की चूत चुदाई करके अन्दर ही झड़ गया.
वो भी झड़ गई थी.
हम दोनों की सासें धौंकनी की तरह चल रही थीं.
उसके बाद से हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और घर आ गए.
अब जब भी हमें मौका मिलता है, हम दोनों सेक्स कर लेते हैं.
वो मुझसे बेहद प्यार करती है. पर आप तो जानते ही हैं कि लड़कों को एक चुत से मन नहीं भरता है इसलिए मैं सभी लड़कियों के साथ सैटिंग करने में लगा रहता हूँ.
शिवानी के बाद मैंने उसकी बड़ी बहन की चूत को भी नहीं छोड़ा था, वो कैसे हुआ, अगली बार की कहानी में आपको लिखूंगा. आप मुझे मेल करें कि आपको यह चालू लड़की की चूत चुदाई कैसी लगी?.
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