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जवान कमसिन पड़ोसन का यौवन- 1

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Xxx टीनएज गर्ल सेक्सी कहानी में पढ़ें कि मेरे किराए के घर की ऊपरी मंजिल पर एक परिवार रहता था जिसमें 20 साल की एक लड़की थी. वह लड़की मुझमें रूचि ले रही थी.

मेरा नाम सुमित शर्मा है, मेरी उम्र 30 साल है।
मैं भोपाल म. प्र. में जॉब करता हूँ।

आप लोगों ने मेरी पिछली कहानी
कुँवारी बुर की चुदाई पहली बार
को बहुत पसंद किया जिसके लिए मुझे बहुत सारे मेल प्राप्त हुए।
उनको पढ़कर लगा कि मुझे अपनी अगली कहानी लिखनी चाहिए।

यह Xxx टीनएज गर्ल सेक्सी कहानी आज से लगभग 2 साल पहले की है।

मेरा ट्रांसफर इंदौर से भोपाल हो गया था।
भोपाल आकर हमने एक मकान किराये पर लिया जहां मैं अपनी पत्नी नेहा के साथ आकर रहने लगा।

आसपास सभी लोग फैमिली वाले ही थे तो हमें रहने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।

जिस मकान में हम लोग रह रहे थे वह दो मंजिला मकान था।

नीचे वाले मंजिल पर मैं रहता था और ऊपर एक और परिवार रहता था।
उस परिवार में 3 लोग थे, पति 45 वर्ष, पत्नी 42 वर्ष और उनकी 20 वर्षीय बेटी कीर्ति।

उम्र में बड़े होने के कारण मैं उन लोगों को भाई साहब और भाभी जी कहता था और कीर्ति मुझे अंकल कहती थी।

भाई साहब का सेल्स का जॉब था इसलिए महीने में लगभग 15 दिन वे घर से बाहर ही रहते थे.
हम दोनों ही परिवारों का जीवन एक दूसरे के सहयोग से चल रहा था।

एक बार मेरे साले की तबियत अचानक खराब हो जाने के कारण मुझे मेरी पत्नी को लेकर मायके जाना पड़ा।

3-4 दिन बाद साले की तबियत में सुधार होने के कारण मैं वापस भोपाल आ गया लेकिन पत्नी को देखभाल के लिए कुछ दिन मायके में ही रुकना था।

अब मैं काम पर जाता और वापस आकर या तो खाना बनाता या कभी कभी खाना भाभी जी के यहां से आ जाता।
ज्यादातर उनकी बेटी कीर्ति ही खाना लेकर आती थी।

वह दरवाजा खटखटाती तो मैं दरवाजा खोलकर खाना ले लेता और धन्यवाद देता.
तो वह मुस्कुरा कर वापस चली जाती।

सब कुछ ऐसे ही चल रहा था।

एक दिन में शाम के समय मैं ड्यूटी से वापस आया।
अप्रैल का महीना था, हल्की गर्मी हो रही थी तो मैंने सोचा नहा लेता हूँ।

मेरी एक आदत है, कि जब मैं घर में अकेला होता हूँ तो बाथरूम का दरवाजा खोल के और पूरा नंगा होकर नहाता हूं।

उस दिन भी मैं पूरा नंगा होकर नहा रहा था और मैं घर का दरवाजा बंद करना ही भूल गया था।

तभी अचानक कीर्ति खाना देने आ गई।

मैं नहाने मैं मगन था और चेहरे पर साबुन के कारण कुछ देख नहीं पाया लेकिन कीर्ति ने मुझे पूरा नंगा देख लिया.
पर मेरे देखने से पहले ही वह वहां से निकल गई।

मैं नहाकर तौलिया बाँध बाहर आया और कपड़े पहनने लगा।

तब कीर्ति फिर खाना लेकर आयी।
कीर्ति मेरे तौलिये पर नजर गड़ाकर देख रही थी.
लेकिन मुझे कुछ पता ही नहीं था कि आज इसे हुआ क्या है।

वह तो दोबारा मेरे लंड के दर्शन करना चाह रही थी।

उस दिन से कीर्ति का मेरे लिए नजरिया बदल गया।
वह हर रोज ही मुझे किसी न किसी बहाने देखने की व छूने की कोशिश करने लगी।

अब मुझे भी समझ आने लगा था कि कीर्ति जवान हो गई है और उसका मचलता हुआ यौवन उसे लंड के लिए तरशा रहा है।

पहली बार मैंने कीर्ति को एक मर्द की नजर से देखा।
वह देखने में काफी सुंदर थी. उसके 32″ के दूध और 34″ के कूल्हे किसी भी आदमी का खड़े खड़े पानी निकाल सकती थी।

उसको देखकर यही लगता था कि वो अब तक अक्षत यौवना ही है।
अब मैं भी कीर्ति के नग्न शरीर की कल्पना करके मुठ मारकर सोने लगा था।

एक दिन की बात है गर्मियों के दिन थे और मुझे रात 10 बजे के बाद नींद नहीं आ रही थी तो मैं छत पर घूमने के लिये चला गया।

आसपास स्ट्रीट लाइट होने के कारण छत पर रोशनी की कोई कमी नहीं थी।

वहां जाकर देखा तो कीर्ति भी वहीं घूम रही थी।

घर पर होने के कारण कीर्ति ने पिंक टीशर्ट और ब्लू स्कर्ट पहना हुआ था जिसमें वह बहुत सुंदर लग रही थी।
उसके टॉप में उसके बूब्स का साइज साफ समझ में आ रहा था।

टॉप में आगे बटन लगे हुए थे तथा नीचे के दो बटन के बीच की जगह में टॉप के हिलने से उसका चिकना पेट नजर आ रहा था।

मैं तो गर्मी से राहत पाने के लिये छत पर गया था लेकिन इतनी हॉट कीर्ति को देखकर मेरे अंदर गर्मी और बढ़ गयी।

उसने मुझे आया हुआ देखकर मुस्कराते हुये नमस्ते कहा.
मैंने भी उसका जवाब दिया।

फिर हम लोग सामान्य रूप से घूमने लगे।
लेकिन कुछ दिनों से हमारे दिलों में लगी आग आज रंग ला रही थी।
हम लोग सामान्य दिखने की कोशिश तो कर रहे थे लेकिन सामान्य नहीं थे।

मैंने उससे बात करने के लिए उसकी मम्मी के बारे में पूछा कि वे कहाँ हैं।

कीर्ति ने बताया कि वे घर के काम से फ्री होकर आराम कर रही हैं लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी तो छत पर घूमने के लिये आ गयी।

मुझे समझ आ गया कि यदि बात आगे बढ़ानी है तो आज अच्छा मौका है।

उस समय रात के 11 बज रहे थे।

हम लोगों को घूमते हुए भी काफी समय हो गया था लेकिन छत से नीचे जाने की इच्छा न मुझे हो रही थी और न ही कीर्ति को देखकर लग रहा था कि वह वहां से जाना चाहती है।

काफी देर घूमने के बाद मैं छत पर ही बनी सीमेंट की एक बेंच पर बैठ गया.
थोड़ी देर बाद कीर्ति भी उसी बेंच पर थोड़ी दूर आकर बैठ गई और पीठ को पीछे टिकाकर आराम करने लगी।

खुले आसमान के नीचे हम दो जवान जिस्म रात की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे।

फिर मैं कीर्ति से उसके कॉलेज के बारे में और उसके दोस्तों के बारे में बातचीत करने लगा।

उसने अपनी एक सहेली कविता के बारे में भी बताया और उसके बॉयफ्रेंड के बारे में भी बताया कि कैसे वे लोग एक दूसरे के साथ घूमते हैं और एन्जॉय करते हैं।

आज पहली बार कीर्ति ने मुझसे खुलकर इतनी बात की थी।

मैंने भी कीर्ति से पूछा- क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
उसने कहा- नहीं।

मैंने पूछा- क्यों? क्या तुम्हारा मन नहीं करता?
तो उसने बोला- मन की बात नहीं है लेकिन ऐसे ही किसी भी लड़के पर भरोसा कैसे कर लूं। इससे कहीं मेरी बदनामी हो गई तो मैं तो जीते जी मर जाऊंगी।
मैंने उसकी बात पर अपनी सहमति जताई।

फिर कीर्ति ने पूछा- आपकी कोई गर्लफ्रैंड थी शादी से पहले?
मैंने कहा- नहीं, मेरा भी पहला सेक्स नेहा (मेरी पत्नी) के साथ ही हुआ था।

बातों बातों में मैंने ‘सेक्स’ शब्द गलती से बोल दिया जिसे सुनकर कीर्ति थोड़ा शर्मा गई और कुछ देर को अपना चेहरा दूसरी तरफ करके मुस्कुराती रही।
मैं भी सिर नीचे करके मुस्कुराता रहा।

कुछ देर बाद नार्मल होने पर कीर्ति बोली- आपको अपनी पत्नी की याद नहीं आती?
मैंने कहा- आती तो है, इतनी रात गये आज तुम्हारे साथ यहां बैठकर बात क्यों कर रहा होता अगर याद न आती!
कीर्ति बोली- अच्छा! तो क्या आप मुझमें अपनी पत्नी को ढूंढ रहे हो?

उसकी बात सुनकर मैं एकदम से झेंप गया और घबराकर बोला- अरे नहीं … मेरा मतलब वो नहीं था। मैं तो बस ऐसे ही बोल रहा था।
कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा- हाँ हाँ, मुझे पता है। वैसे भी कहाँ मैं और कहाँ आपकी खूबसूरत पत्नी, मैं तो उनके आगे कुछ भी नहीं हूँ।

मैंने मन में सोचा कि क्या इस लड़की को सच में नहीं पता कि यह कितनी सुन्दर है. या मुझसे तारीफ के लिए ऐसा बोल रही है।

तब मैंने कीर्ति को बोला- किसने बोला कि तुम खूबसूरत नहीं हो! तुम किसी भी अप्सरा से कम नहीं लगती हो। तुम्हें देखकर तो कोई भी पागल हो जाये।
कीर्ति फिर बोली- आप तो नहीं हुये पागल! आपने तो आज तक मुझे ठीक से देखा तक नहीं!

यह कहते हुए उसने अपना सिर झुका लिया और थोड़ी उदास हो गई।

मैं उसकी बातों को सुनकर समझ चुका था कि आज यह पूरा मन बना चुकी है।
अब देर करना मैंने ठीक नहीं समझा।

मैं कीर्ति के पास पहुंचा और उसे पकड़कर उसके होठों पर अपने होठ रख दिये, और उसके गुलाबी होठों को पीने लगा।
कीर्ति एकदम से खड़ी होकर बोली- यह क्या कर रहे हो आप!

उसकी बात सुनकर मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी, मुझे लगा आज तो मैं गया।
अगर कहीं इसने ये सब कहीं अपनी मम्मी को बता दिया तो क्या होगा।

मैं कीर्ति को मनाने के उपाय सोचने लगा, मैंने सोच लिया आज चाहे इसके पैर ही क्यों न पड़ना पड़े लेकिन इसको मनाना ही पड़ेगा कि ये किसी से कुछ न कहे।

मैंने कुछ ही पलों में इतना सब सोच लिया था।

जबकि कीर्ति इसी बीच आसपास चारों तरफ यह देख रही थी कि हमें किसी ने देख न लिया हो।

जब कीर्ति को भरोसा हो गया कि आसपास की छतों पर कोई नहीं है तो वह बोली- यहाँ हमें कोई देख सकता है। आप अपने घर नीचे जाओ। मैं मम्मी को चेक करके आपके पास आती हूँ।

कीर्ति की इस बात से मेरी जान में जान आई।

रात के 12 बजने वाले थे।
मैं बिना देर किये अपने घर आ गया और कमरे की लाइट बन्द करके दरवाजा खुला छोड़ दिया।

मैंने पूरे रूम मैं गुलाब की खुशबू वाला रूम फ्रेशनर छिडक दिया ताकि रूम का माहौल और भी रोमांटिक हो जाये।

करीब 15 मिनट के इन्तेजार के बाद कीर्ति मेरे कमरे में आयी।
आते ही उसने दरवाजा बंद कर लिया और मैंने लाइट चालू कर दी।

मैंने कीर्ति को देखा तो देखता ही रह गया।
अभी कुछ देर पहले कीर्ति के चेहरे पर कुछ नहीं था लेकिन अब कीर्ति ने होठों पर लिपस्टिक और आंखों में आई लाइनर लगाया हुआ था।
बॉडी पर उसके लेडीज डियो की खुशबू आ रही थी।

कीर्ति को अंदर आया देखकर मैंने पूछा- तुम्हारी मम्मी सो गई है ना?
उसने कहा- हाँ, वे बहुत गहरी नींद में सो रही हैं।

अपने मन की एक और शंका को दूर करने के लिए मैंने पूछा- यदि कहीं तुम्हारी मम्मी की नींद खुल गई और वे तुम्हें ढूंढती हुई नीचे आ गई तो क्या करेंगे?

तब कीर्ति ने अपने हाथ में लिया हुआ मोबाइल और इयर प्लग मुझे दिखाते हुये कहा- मैंने अपने घर की कुंडी बाहर से लगा दी है। अगर मम्मी जाग भी गईं तो घर से बाहर नहीं निकल पायेंगी। मैं जब भी घर जाउंगी और मम्मी अगर जागी हुई मिली तो बोल दूंगी कि मुझे नींद नहीं आ रही थी तो छत पर घूमते हुये मोबाइल पर गाने सुन रही थी इसलिए उनकी बुलाने की आवाज भी नहीं सुन पाई।

कीर्ति की इतनी अच्छी योजना को सुनकर मुझे कीर्ति की बुद्धिमता पर आश्चर्य हुआ।
और ये भी पता चल गया कि यह लड़की मुझसे मिलने के लिए मुझसे ज्यादा बेकरार है।

मैंने तुरंत कीर्ति को अपनी बाहों में लेकर टाइट हग किया उसके गले और कानों के पास किस करने लगा।
वह भी सिसकारियाँ लेती हुई अपने कोरे जिस्म के साथ होने वाली छेड़छाड़ का आनंद लेने लगी।

कीर्ति द्वारा बनाई गई योजना के कारण हमें कुछ भी करने की जल्दी नहीं थी इसलिए मैं उसके शरीर का भोग पूरे इत्मिनान से करना चाह रहा था ताकि उसकी पहली चुदाई उसके लिए यादगार रहे।

वैसे भी सेक्स का असली मजा सब कुछ धीरे धीरे करने में ही आता है।

थोड़ी देर खड़े खड़े प्यार करने के बाद मैंने कीर्ति को अपनी बाहों में उठाकर बड़े प्यार से बेड पर बिठा दिया और ख़ुद उसके पैरों के पास बैठकर स्कर्ट के नीचे की उसकी नंगी चिकनी टांगों को पेर से लेकर घुटने तक सहलाने लगा।
ऐसा करते हुए मैं कीर्ति की आँखों में देख रहा था।
वह भी मेरी आँखों में देखते हुए मुस्करा रही थी।
उसके हाथ स्कर्ट को घुटनों पर दबाये हुए ताकि उसकी जानकारी के बिना कहीं में एकदम से उसकी चूत पर आक्रमण न कर दूं।

भले ही आज वो खुद अपना सब कुछ मुझे सौंपने के लिए मेरे घर आई थी लेकिन पहला सेक्स किसी भी लड़की के किये आसान नहीं होता।
पहले सेक्स के प्रति एक लड़की के अंदर सैकड़ों प्रकार के डर और हज़ारों प्रकार की भावात्मक अनुभूतियाँ होती हैं जिन्हें उसके अलावा न कोई समझ सकता है और न ही वह किसी को बता सकती है।

इन्हीं सब भावनाओं और भय के सागर में गोता लगाती एक कमसिन कली आज मेरे बिस्तर अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए बैठी थी।

कीर्ति के पैरों को सहलाने के कारण उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी जिस कारण कीर्ति ने अपने पैर ऊपर करके अपना सिर पैरों के बीच में दबा कर बैठ गई।

मैं खड़ा हुआ और बेड पर उसके बगल में आकर बैठ गया।

बड़े ही धीरे से उसके हाथों की गिरफ्त से पैरों को आजाद किया, उसके चेहरे को उठाकर उसके दोनों गालों को अपनी हथेलियों से बाल की तरह पकड़कर उसके होठों को अपने होठों से चूमने लगा।

Xxx टीनएज गर्ल कीर्ति के रसीले होंठों को पीते हुए अपने हाथों को उसके चेहरे से हटाकर मैं नीचे ले जाने लगा।
पहले उसके कंधों को अपने हाथों से दबाकर उस पर अपनी पकड़ को और मजबूत किया, फिर हाथों को और नीचे ले जाकर कीर्ति के अनछुये स्तनों को टॉप के ऊपर से ही सहलाने लगा।

पहली बार किसी के द्वारा उसके स्तन को छुए जाने से कीर्ति के हाथ खुद व खुद उसके सीने पर आ गए और चुम्बन को छोड़कर वो अपने कोमल स्तनों पर से मेरे हाथों को हटाने लगी।

मैंने उसे चिड़ाते हुए पूछा- क्यों? कुछ भी करने का मन नहीं है ना?

उसने चेहरे पर शरारती मुस्कान के साथ ना में सिर हिलाया।

अभी तक की Xxx टीनएज गर्ल सेक्सी कहानी आपको कैसी लगी?
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Xxx टीनएज गर्ल सेक्सी कहानी का अगला भाग: जवान कमसिन पड़ोसन का यौवन- 2

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