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शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 2

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Xxx कक्कोल्ड सेक्स कहानी में मैंने अपनी प्यारी सी देसी बीवी को एक पराये मर्द से चुदाई का मजा लेती देखा. वो आदमी मेरी बीवी की चूत मार रहा था और मैं मुठ मार रहा था.

दोस्तो, मैं राकेश आपको अपनी बीवी की गैर मर्द से चुदाई की कहानी में पुन: स्वागत करता हूँ.
कहानी के पिछले भाग
शर्मीली पत्नी को गैर मर्द के हवाले किया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी बीवी आशा को चोदने के लिए एक बड़े लंड वाला मर्द उसके साथ कमरे में था.

अब आगे Xxx कक्कोल्ड सेक्स कहानी:

आशा भी अब बीच बीच में कुछ कुछ सेंस में आने की कोशिश करती दिख रही थी.
आधे घंटे बाद वह आदमी बोला- भाई, मुझे तो नींद आ रही है. आशा देगी तो ठीक, नहीं भी देगी तो कोई बात नहीं. पर मैं अब सोना चाहता हूँ.

मैंने भी सोचा आधा घंटा और हो गया अब तो आशा का कुछ नशा उतर ही चुका होगा.
तो मैंने कह दिया- ठीक है, फिर मैं भी यहीं लेट जाता हूँ.

वह बोला- भाई साहब आप दूसरे रूम में सो जाओ. मुझे दूसरे के सामने चुदाई में झिझक लगती है.
मुझे बुरा लगा क्योंकि मैं खुद देख कर मजे लेने के लिए ही तो ये सब कर रहा था, पर अब दूसरे रूम में जाना होगा.

मैंने कहा- ठीक है, मैं बगल वाले कमरे में सो जाता हूँ.
मैं जाने लगा तो वह आदमी फिर बोला- बीच का दरवाजा बंद कर देना.

मैंने ऐसा ही किया.
पर इसी आशंका के कारण मैंने अपने रूम से लाइव देखने का इंतजाम पहले से ही कर रखा था.

स्टेज सज चुका था, मेरी मन की मुराद पूरी होने वाली थी.

एक प्यारी सी हिरणी अर्धचेतन अवस्था में खूंखार शेर के कब्जे में थी और बस शेर का निवाला बनने ही वाली थी.

मैंने जल्दी से अपने कमरे की लाइट बंद की और दरवाजे पर पहले से बनाये गए एक बारीक सी सुराख़ पर अपनी आंख गड़ा दी.
दृश्य लगभग वही था जो मैं छोड़ कर आया था.

आशा वैसे ही लेटी हुई थी, हां पेटीकोट फिर से घुटनों तक ऊपर सरक गया था.

वह आदमी अपने कपड़े उतार रहा था, बीच बीच में वह आशा को भी खाने वाली नजरों से देख रहा था.

आखिर में उसने अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
उसका खड़ा काला मूसल जैसे लंड को देख कर आशा की तो गांड फट सकती थी, पर मुझे बहुत मजा आ रहा था.

चूंकि वह आदमी पढ़ा लिखा था और एक सभ्य आदमी था इसलिए शायद आशा को जोर से चोदना नहीं चाहता था. वह आदमी प्यार से और पटा कर चोदने में विश्वास रखता था ताकि भविष्य में भी औरत उस से चुदती रहे.

वह चुपचाप आशा के बगल में बिना उसको अहसास दिलाए लेट गया.
अब गोरी अर्धनग्न आशा और काला सा पूर्ण रूप से नग्न व्यक्ति अगल बगल लेटे थे.

दोनों के बीच कोई दूरी नहीं थी बल्कि आशा का शरीर और हाथ उस आदमी के शरीर को छू रहे थे.

आशा सीधी लेटी हुई थी, शायद अब नशे में कम और नींद में ज्यादा थी.

नींद में सांस लेते हुए ब्लाउज में कैद उसकी चूचियां उफान पर थीं, हर सांस के साथ ऊपर छत को छूने की कोशिश करती प्रतीत हो रही थीं.

उसके ब्लाउज के दो बटन अभी भी खुले ही हुए थे.

तभी उस आदमी ने आशा का पेटीकोट थोड़ा और ऊपर खिसका दिया जो अब घुटनों के बजाए जांघों तक खिसक चुका था.
अब आशा की गोरी जांघें दिखने लगी थीं.

आशा का जिस्म अब कुछ हरकतें करने लगा था मतलब अब नशा कम हो रहा था, पर अभी भी वह नींद में थी.

अचानक नींद में ही आशा ने करवट बदली.
अब उसके चूतड़ उस आदमी की तरफ थे.

अभी तक वह आदमी सीधा लेटे लेटे अपने लंड को सहला रहा था.
फिर वह भी करवट बदल कर लेट गया.

अब उसका लंड आशा के चूतड़ों से टकरा रहा था. खड़े लंड के कारण आशा और उसके मुख्य शरीर के बीच अभी भी लगभग कुछ इंच की दूरी बनी हुई थी.

अचानक उसने अपने लौड़े को मोड़कर आशा के चूतड़ों की दरार के बीच सैट कर दिया और पूरी तरह से आशा से सट गया.

कोई हरकत न होते देख थोड़ी देर में उस आदमी ने अपना हाथ आशा की कमर पर लपेट दिया और धीरे धीरे ऊपर बढ़ता हुआ आशा की चूचियों तक पहुंचा दिया.

आशा थोड़ी कसमसाई.
उसने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा एडजस्ट किया.
शायद उसे खड़े लंड की चुभन महसूस हुई हो.

इस बीच उस आदमी ने बहुत ही सावधानी से आशा के ब्लाउज के बाकी बटन भी खोल दिए और बहुत धीरे से आशा की ब्रा को ऊपर खिसका दिया.

ऐसा लगा आशा को कुछ पता नहीं चला.

करवट में होने के कारण अब आशा की चूचियां एक दूसरे का सहारा लिए ढलकी पड़ी हुई थीं.

कुछ मिनट वह आशा की चूचियों को दबाता और मसलता रहा.

आशा कभी कभी कसमसा रही थी … कभी उसके मुँह से स्सस की आवाज भी निकल जाती थी, पर ज्यादा रिस्पांस नहीं मिल रहा था.

अब उस आदमी ने आशा का कन्धा पकड़ कर उसको फिर से सीधा लिटा दिया.
आशा किसी गुड़िया की तरह सीधी लेट गयी.
वो न विरोध कर रही था और न सहयोग कर रही थी.

शायद इसी को उस आदमी ने आशा की मूक सहमति समझ लिया.

उसने आशा के पेटीकोट जांघों से सरका कर कमर तक पलट दिया.
अब आशा लगभग नंगी हो चुकी थी क्योंकि अब चूत और चूचियां दोनों ही झलकने लगी थीं.

उस आदमी ने आशा की लाल रंग की ब्रा को पूरी तरह उतार कर चूचियों को ब्रा की कैद से आजाद करा दिया और चूचियों का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया.

वह आशा की बड़ी बड़ी गोरी गोरी चूचियों को होंठों से चूसने लगा.
एक चूची को मुँह में लेता तो दूसरी को हाथ से मसलता रहता.

आशा की सांस तेज चलने लगी.
मुझे लगा कि अब वह पूरी तरह जगी हुई है, पर वह कुछ नहीं रही थी.

मैं सोच रहा था कि शायद किस्मत को कोस रही हो कि आज फिर से गैर मर्द से चुदने जा रही है.
पर हक़ीक़त में शायद उसकी चूत भी पूरी गीली हो चुकी थी.

अचानक उस आदमी ने चूची दबाना छोड़ कर अपना हाथ आशा की चूत पर सटा दिया.
वह चूत को सहलाने लगा और साथ साथ आशा के होंठों को किस भी करते जा रहा था.

मुझे लगा कि हमेशा की तरह आशा इस आदमी को भी निपटा कर जल्दी से मेरे पास आ जाएगी.
वह नींद या नशे का नाटक करती रही.

उस आदमी ने आशा की चूत में उंगली पेलना शुरू कर दिया.
तो आशा ने नींद में ही अपनी जांघें थोड़ी सी फैला दीं.

अभी तक आशा की नजर लंड पर नहीं पड़ी थी.
अचानक वह आदमी आशा के ऊपर आ गया और उसकी छातियों को दबाते हुए आशा के होंठों को चूमने लगा.

आशा अब बीच बीच में आंखें खोल कर उस आदमी चेहरा देख भी रही थी.

अचानक उस आदमी ने फिर से आंख मार दी और मुस्करा दिया.
प्रत्युत्तर में आशा ने अपने होंठों को हल्का सा खोल कर मूक जबाव दिया.

आशा जानती थी कि मेरा शौक उसको चुदते हुए देखने का है.
उसको ये भी पता था कि जरूर मैं चोरी से उसकी चुदाई देख रहा हूँ.
इसलिए यदि मजा आ भी रहा होगा तो भी वह ज्यादा साथ नहीं दे सकती थी कि कहीं मैं बुरा न मान जाऊं.

मैंने गौर किया कि यह आदमी आशा को बहुत प्यार से और गर्म करके चोदना चाह रहा है.
आशा हमेशा प्यार ही चाहती है.

अभी तक जिन्होंने भी आशा को चोदा था, वो केवल आशा की चूत में अपना लंड पेल कर पानी निकालने तक सीमित थे.
आशा के प्रति उस आदमी का ये व्यवहार मुझे थोड़ा चिंता में भी डाल रहा था कि कहीं भविष्य में आशा उसको ज्यादा पसंद न करने लगे.

अब उसके और आशा के चेहरे की दूरी सिर्फ कुछ इंच की थी.
उस आदमी ने बहुत नजदीक से नजरें मिलाते अपनी भौंओं को मटका कर इशारा किया.

शायद वो आशा को आंखों से इशारा कर रहा था कि क्या प्लान है?
आशा ने नजरें झुका कर आंखें मूँद कर शायद मौन सहमति दे दी कि मेरा क्या प्लान … अब मेरा कण्ट्रोल आपके हाथ में है.

गोल चूतड़ों की स्वामिनी लेटी हुई आशा उस वक़्त वाद्य यंत्र वीणा की तरह लग रही थी.
वह आदमी वीणा के एक एक तार को छेड़ कर वीणा को बजाने जा रहा था.

अचानक उस आदमी ने चूचियों से अपना एक हाथ हटा दिया और ऊपर लेटे लेटे अपने लौड़े तक ले गया.
चूंकि आशा की चूत की लोकेशन भी लौड़े के पास ही थी तो लगे हाथ आशा की चूत की स्थिति का भी जायजा ले लिया.

मेरी पत्नी की चूत इतनी गीली थी मानो सिंचित भूमि लग रही थी जिसमें हल चलने भर की जरूरत थी.
चूत चुदने के लिए बिल्कुल तैयार थी और लंड तो पहले से ही तैयार था.

उस आदमी ने आशा की जांघों पर लेटे लंड को पुनः अपने हाथ में लिया और लेटे हुए लंड का दंश झेल रही आशा की चूत के मुहाने पर लगा दिया.
फिर उसने थोड़ा सा कसमसाकर अपने पैरों से आशा की जांघों को और फैलाया और अपना लंड सीधे आशा की गीली चूत में झोंक दिया.

आशा ‘ऊई माँ …’ कहती हुई चिहुंक पड़ी.
उसने इतने बड़े लौड़े की कल्पना नहीं की थी.

उस आदमी ने लगातार दस बारह जोरदार धक्के मार कर आशा की चूत में अपने लंड के लिए उचित जगह बना ली.

अब धक्के मारना छोड़ कर वह आशा के होंठों को चूमते हुए उससे बातें करने लगा.
आशा ‘हां हूँ …’ में उत्तर दे रही थी.
साथ ही अपने चूतड़ों को हल्के से दाएं बांये ऊपर नीचे हिला कर धक्के मारने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी.

उसने पूछा- आशा, क्या मैं तुमको अच्छा लगा?
आशा ने जबाव तो नहीं दिया पर अपने होंठ हल्के से खोल कर उसको चूमने का आमंत्रण दे डाला.

इतना देखते ही वह आदमी बोला- आई लव यू आशा!
ये कह कर उसने अपनी जीभ आशा के अधखुले मुँह में घुसेड़ दी.
साथ ही आशा की चूत पर कस कर आठ दस धक्के और मार डाले.

अपनी सहमति के प्रत्युत्तर में सात इंच लम्बे लंड के कठोर प्रहार झेल कर आशा सातवें आसमान पर पहुंच गयी थी.
साथ ही पहली बार आशा की चूत से फच्च फच्च की आवाज प्रस्फुटित हुईं.

काले लंड को गोरी चूत में प्रवेश होते तो मैं नहीं देख पा रहा था परन्तु आशा के गोरे जिस्म को रौंदता हुआ, उसकी चूचियों का मर्दन करता काला सांड स्पष्ट दिख रहा था.

अब वह आदमी धीरे धीरे आशा की चूत पेलने लगा, बहुत आराम से वह आशा की मुलायम रेशमी चूत में अपने कठोर लंड को अन्दर बाहर कर रहा था.

आशा की चूत से निकलता पानी उस आदमी को अब तेजी पकड़ने के लिए उत्साहित कर रहा था.
अचानक उस आदमी ने गति पकड़ ली.

वह आशा को बुरी तरह से चोदने लगा, फच फच की आवाज से कमरा गूंजने लगा.

अपने लंड को चूत के मुँह तक बाहर खींच कर वह पुनः बच्चेदानी के मुँह तक घुसा रहा था.
बच्चेदानी से लंड का सुपारा टकराने से आशा बार बार बिलबिला जाती थी.

पहली बार आशा ने उस आदमी की कमर अपने हाथों से कस ली.
अब आशा बार पर बार झेल रही थी.

पांच मिनट तक धक्के खाने के बाद आशा की चूत से निकने वाली फच फच की आवाज बंद हो गयी.

शायद आशा झड़ चुकी थी और चूत अब थोड़ा शुष्क हो गयी थी.
पर वह आदमी अब भी धक्के मार रहा था.

कुछ देर बाद आशा की चूत फिर से वही आवाज निकालने लगी.
अब उस आदमी ने आशा की चूत मारने की स्पीड बढ़ा दी.

धक्कों की गति के साथ ही उसने भी आशा को अपनी बांहों में दबोच लिया और चूत में कुछ धक्के और मार कर आशा के ऊपर ही लुढ़क गया.
दोनों ने एक दूसरे को कस कर जकड़ रखा था.
निश्चित रूप से उसने आशा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया था क्योंकि उसने कंडोम नहीं चढ़ाया था.

सीधी सादी और गैर मर्द से चुदने के लिए सहमत होने वाली अपनी पत्नी का यह रूप देख कर मुझे आश्चर्य भी हो रहा था और ख़ुशी भी मिल रही थी.
मेरी पत्नी उस आदमी को पसंद कर रही थी जबकि फ़िलहाल वह मेरी पत्नी के लिए अनजान ही था.

मुझे खुद भी अहसास हो रहा था कि मेरी पत्नी भी बहुत मज़े ले रही थी.
एक बार चुदाई की गर्मी और दारू का नशा उतरने के बाद उनकी गर्मी निकल चुकी थी.

हल्की सर्दी होने के कारण उन्होंने कम्बल औढ़ लिया.
पर कम्बल के अन्दर की गतिविधियों का साफ पता चल रहा था क्योंकि कमर से ऊपर कम्बल नहीं था.

वो साइड लेकर लेटे थे, दोनों के चेहरे आपस में मिल रहे थे, एक दूसरे के चुम्बनों की आवाजें गूंज रही थीं. सांसें तेज चलने की आवाज आ रही थी.
साथ ही मेरी पत्नी की सिसकारियां गूंज रही थीं.

अचानक उस मर्द ने सांड की तरह आवाज/हुंकार निकाली, ठीक वैसे ही जैसे सांड गाय पर चढ़ते समय निकलता है.

मुझे अहसास हुआ कि पत्नी समझ गयी कि वह आदमी सांड बन कर चोदना चाहता है.
इसीलिए पत्नी भी पतली सी आवाज में उँह उँह उँह करके किसी मादा पशु की सी आवाज निकाल कर उस मर्द से जोर से चिपक गयी.

दोनों के मुँह एक दूसरे में घुसे जा रहे थे.
मेरी पत्नी की सुरीली सिसकारियां मदमस्त करने लगीं.

सिसकारियां क साथ साथ दर्द भरी आहें और उई माँ अहसास दिला रही थीं कि मेरी पत्नी की चूचियों को वो मर्द कम्बल के अन्दर ही जोर जोर से मसल रहा है.
मुझे बहुत अच्छा लगा, पर ये ख़ुशी ज्यादा देर नहीं रही.

उन्होंने लाइट बंद कर दी.
मैंने भी छेद पर आंख के बजाए कान सटा दिया.

उसके बाद मुझे कुछ नहीं दिखा, पर जो सुनाई दिया … उससे लगा कि जो भी हो रहा है, Xxx कक्कोल्ड सेक्स हो रहा है.

दोस्तो, मैं कमरे में चुदाई की आवाजें सुनकर बस अपना लंड सहला रहा था.
मेरी ख्वाहिश थी कि मैं अपनी बीवी को बड़े लंड वाले मर्द से खुल कर चुदवाते हुए देखूँ मगर लाईट बंद कर देने से मेरी ख्वाहिश की मां चुद रही थी.

कहानी के अगले भाग में आपको आगे बताऊंगा कि उन दोनों में क्या हुआ और उस मर्द ने मेरी बीवी को गांड मरवाने के लिए कैसे सैट कर लिया.

आपको Xxx कक्कोल्ड सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा, आपके मेल और कमेंट्स का इन्तजार रहेगा.
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Xxx कक्कोल्ड सेक्स कहानी का अगला भाग: शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 3

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