Xxx ब्रेकअप सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने अपनी सहेली के दोस्त को पटाकर उसके साथ सेक्स का ऊपरी मजा लेना शुरू कर दिया था. लेकिन मेरी चूत मेरे बेस्ट फ़्रेंड ने खोली.
यह कहानी सुनें.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम एकता है.
मैं 29 साल की जवान और बहुत ही गर्म माल हूँ.
आज तक मैंने बहुत से लंड चूसे हैं और बहुत से लंड ने मेरी चूत को सलाम किया है.
लेकिन आज जो सेक्स कहानी मैं आपको बताने जा रही हूँ, ये तब की है जब मैं आज की तरह चुदक्कड़ नहीं हुई थी.
इस Xxx ब्रेकअप सेक्स कहानी को पढ़ते हुए आपको पता चलेगा कि मैं कैसे एक सीधी साधी लड़की से आज एक रंडी की तरह चुदने वाली लड़की बनी हूँ.
यह कहानी आज से 8 साल पहले उस वक्त की है, जब मैं कॉलेज में थी.
उस समय पढ़ाई के लिए मैं अपने शहर से दूर जबलपुर में थी और एक हॉस्टल में रहती थी.
पहले साल में मेरी एक रूममेट थी, वह अक्सर अपने दोस्त प्रतीक से फ़ोन पर बातें करती थी.
हम सभी दोस्त उसको चिढ़ाते कि प्रतीक उसका ब्वॉयफ्रेंड है, पर वह हमेशा उसे दोस्त कहती.
प्रतीक उसके स्कूल का दोस्त था और दिल्ली में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था.
एक दिन मेरी रूम मेट ने कहा- प्रतीक मिलने जबलपुर आ रहा है. मैं उससे मिलने जा रही हूँ. तू भी साथ चल!
मैंने हामी भर दी.
हम लोग एक रेस्टोरेंट में मिले.
प्रतीक काफ़ी शर्मीला था, सांवला रंग, आंखों पर चश्मा और दुबला सा.
पर उसने काफ़ी अच्छे से बातें की.
अपने बारे में, मेडिकल की पढ़ाई के बारे में और मस्ती आदि के बारे में बताया.
फिर शाम की ट्रेन से वह वापस चला गया.
बाद में जब भी रूममेट को प्रतीक का फ़ोन आता, वह मुझसे भी बातें करता.
हम दोनों ने एक दूसरे को फोन नम्बर भी दे दिए थे और हम दोनों की रोज बातें होने लगीं.
धीरे धीरे समझ आया कि प्रतीक काफ़ी सुलझा हुआ लड़का है.
मुझे वह अच्छा लगने लगा था.
एक बार वह जबलपुर आया और मुझे अकेले ही मिलने बुलाया.
हम दोनों उसी रेस्टोरेंट में मिले और उसने मुझे प्रपोज़ कर दिया.
मैंने भी कुछ सोचा नहीं और हां कर दिया.
अगले दिन हम घूमने गए.
जबलपुर के पास एक सुंदर जलप्रपात है, वहां घूमते हुए हमने छुपकर किस किया.
फिर प्रतीक घर चला गया.
मैं बहुत खुश थी.
उन्हीं दिनों क्लास में मेरी बहुत लड़कों से अच्छी दोस्ती हुई.
मेरी क्लास में ही रोहित भी था.
वह 6 फ़ीट लंबा, तगड़ा और मिलनसार लड़का था.
एक साल बीतते बीतते हम दोनों बेस्ट फ्रेंड बन गए.
हम दोनों अपनी ज़िंदगी की बहुत सी बातें एक दूसरे को बताते थे.
मैंने उसे प्रतीक के बारे में बताया और उसने मुझे अनगिनत लड़कियों के बारे में बताया जिनके साथ वह सेक्स कर चुका था.
वैसे रोहित क्लास में सीधा ही था पर कॉलेज के बाहर उसके बहुत चक्कर थे.
उसने बताया कि कैसे स्कूल के समय से ही उसकी काफ़ी सारी गर्लफ्रेंड्ज़ रही हैं.
इधर प्रतीक हर 2-3 महीने में मिलने आ जाता था.
किसी दोस्त से कार जुगाड़ करता और हम घूमते.
अब बात किस से बढ़कर बूब्स दबाने और चूसने, लंड चूसने तक आ चुकी थी.
जब भी हम मिलते गाड़ी किसी सुनसान सी जगह पर लगाकर बहुत मस्ती करते.
मैं उसका लंड किसी लॉलीपॉप की तरह चूसती और वह मेरे बूब्स चूसता, मेरी चूत चाटता.
एक दो बार उसने कहा कि वह अपना लंड मेरी चूत में डालना चाहता है, पर मैंने मना कर दिया.
मैंने कहा- अभी तो शुरूआत है.
अगले एक साल और हमारा रिश्ता ऐसे ही चलता रहा लेकिन प्रतीक अब कम ही आता था.
उसके ऊपर पढ़ाई का दवाब था.
फिर मैं छुट्टियों में घर आ गयी.
अब प्रतीक से बातें ना के बराबर हो गयीं.
जब हॉस्टल वापस आयी तो प्रतीक का मिज़ाज बदला हुआ था.
हमारे झगड़े आए दिन होने लगे थे.
एक बार वह जबलपुर आया और फिर गाड़ी में हम रोमांस करने लगे.
उसने मेरी पैंटी उतार दी थी और मैंने अपना स्कर्ट ऊपर कर लिया था.
मैं नीचे से पूरी नंगी थी और प्रतीक मेरी चूत का रस अपनी जीभ से चाट रहा था.
मैंने एक हाथ से प्रतीक का सर पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ में प्रतीक का लंड लेकर हिला रही थी.
जैसे ही मेरी चूत का पानी छूटा, मैं ज़ोर से चिल्लायी- आह आह … मज़ा आ गया आह रोहित!
मैंने उत्तेजना में प्रतीक की जगह रोहित बोल दिया.
अपनी गलती समझते ही मैं एकदम से चुप हो गयी.
प्रतीक भी अब मेरी तरफ़ देखने लगा.
मैंने कहा- धोखे से हो गया.
पर अब तक प्रतीक का चेहरा लाल हो गया था.
उसने अपना पैंट सही से पहना.
मैंने भी अपने कपड़े पहने और गाड़ी चल दी.
उसने कार मेरे हॉस्टल वाली गली में लाकर खड़ी की.
मैंने कुछ कहना चाहा, उससे पहले ही प्रतीक ने कहा- आज के बाद हम कभी नहीं मिलेंगे … गुडबाई.
मैं लगभग रोने लगी पर आंसुओं को सम्भाला और गाड़ी से बाहर निकलकर ‘गुडबाई प्रतीक …’ कहा और वापस हॉस्टल आ गयी.
अगले दिन मैं रूम पर ही सारा दिन सोई रही.
शाम को रोहित का कॉल आया.
मैंने नहीं उठाया.
फिर लगातार चार फोन आए.
फ़ाइनली मैंने उठाया तो रोहित ने पूछा कि कहां हो, कैसी हो?
मैंने कहा- रूम पर ही हूँ और सो रही हूँ.
उसने और कुछ कहना चाहा, पर मैंने उससे कहा- प्लीज़ सोने दे. बाद में बात करेंगे.
मैंने फ़ोन काट दिया.
रात को जब मैं उठी तो रोहित के लिए बुरा लगा, अपने लिए और प्रतीक के लिए भी.
प्रतीक को कॉल करना चाहा, पर नहीं किया.
अगले दिन कॉलेज में रोहित से नज़रें चुराती रही.
जब शाम को हॉस्टल पहुंची ही थी कि रोहित अपनी बाइक पर आया और कहने लगा- चल, पानी पूरी खाने चलते हैं.
मैंने मना किया, पर वह नहीं माना.
पानी पूरी खाकर हम एक बाजार में टहलने लगे.
फिर एक कोने में चाय पीते हुए उसे मैंने सब बता दिया.
वह हंसने लगा ज़ोर ज़ोर से, कूद कूद कर!
जैसे वह हंस रहा था, उससे मुझे भी थोड़ी हंसी आ गयी.
उसने कहा- तू पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दे और इन चक्करों से दूर रह.
रोहित ने मुझे फिर हॉस्टल छोड़ा और घर चला गया.
मुझे समझ आया कि रोहित को प्यार मोहब्बत से कुछ मतलब नहीं है. वो तो सेक्स भी उनके साथ करता है, जिन्हें बस मज़े लेने होते हैं.
ऐसे ही कुछ दिन निकल गए.
मैं रोहित से रोज़ मिलती, हम बातें करते और वह मेरी खिंचाई करता.
वह कहता कि मैंने उसके साथ मज़े भी नहीं लिए और फिर भी ब्रेकअप हो गया.
धीरे धीरे मैं और रोहित सेक्स की कुछ बातें करने लगे.
एक दिन मैंने उससे कहा- मुझे अच्छा वाला पोर्न देखना है.
उसने मुझे पेन ड्राइव दे दी.
मैंने उसमें फ़ीड सारे वीडियोज एक ही रात में देख डाले और 3 बार अपनी उंगली से चूत रगड़ रगड़ कर पानी निकाला.
ऐसा करते हुए मैं बस रोहित को याद कर रही थी.
मैं Xxx ब्रेकअप सेक्स का सोचने लगी कि रोहित के साथ चुदना कैसा रहेगा.
और उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसने में कैसा मजा आयेगा?
कुछ दिनों तक रोज़ रात को मैं पोर्न देखती हुई अपनी चूत रगड़ती और रोहित से चुदने के बारे में सोचती.
पर फिर सुबह सब ग़ायब हो जाता.
एक बार रोहित के साथ मैं मेला गयी और हम दोनों झूले में बैठे थे.
झूला छोटा था तो हम काफ़ी क़रीब थे.
मुझे लगा यही समय है रोहित के लंड को जगाने का.
जब झूला धीमा ही था मैंने रोहित की जांघ पर अपनी चुनरी रखी और धीरे से अपना हाथ रोहित के लंड पर रख दिया.
रोहित मेरी तरफ़ देखने लगा, मैं भी शरारत भरी नज़रों से उसे देखने लगी.
फिर उसके कान में कहा- ये लंड मेरी चूत में डाल दे ठाकुर!
रोहित मेरी तरफ़ देखकर हंसने लगा.
फिर झूला तेज़ी से चलने लगा और रोहित ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया.
मुझे सच में बहुत मजा आया.
रात को खाने के बाद उसने मुझे हॉस्टल छोड़ा और प्लान बना कि कल क्लास बंक करके मैं रोहित के रूम जाऊंगी, जहां वह मेरी पहली चुदाई करेगा.
अगले दिन वह मुझे सुबह लेने आया और हम दोनों रूम में पहुंच गए.
मैं कांप रही थी.
रूम के अन्दर जाते ही हम दोनों कंट्रोल ना कर पाए और रोहित ने मुझे सीने से लगा लिया.
मेरे बड़े लेकिन कोमल दूध उसकी चट्टान जैसी छाती से चिपक गए.
रोहित ने मेरा चेहरा उठाया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर किस करने लगा.
हमारी जीभ टकराने लगीं.
रोहित मेरे होंठ बर्फ़ के गोले की तरह चूसने लगा.
फिर रोहित ने मुझे दीवार से टिका दिया और एक हाथ मेरी टी-शर्ट के अन्दर डालकर मेरे ब्रा का हुक खोल दिया.
फिर मेरे बड़े बड़े दूध अपने दोनों हाथों से मसलने लगा.
रोहित मेरे साथ ये सब कर रहा है, सोचकर मेरी उत्तेजना दोगुनी हो गयी थी.
इस मौक़े का बहुत दिनों से इंतजार था.
मैंने रोहित से कहा- रोहित, आज तुम मुझे अपनी पूरी ताकत से चोदना. आज मत छोड़ना मुझे!
रोहित ने कहा- तू तो मेरी बेस्ट फ्रेंड है … तुझे रोहित का बेस्ट ही मिलेगा. आज तू ऐसे चुदेगी कि ज़िंदगी भर के लिए रोहित की रंडी बन जाएगी.
उसके मुँह से रंडी सुनकर मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी.
रोहित मुझे उठाकर बेडरूम में ले गया और मुझे बिस्तर पर फेंक कर मेरे ऊपर चढ़ बैठा.
उसने मेरी टी-शर्ट उतारी और ब्रा भी निकाल दी.
मेरे बड़े बड़े दूध अब रोहित की आंखों के सामने थे.
मैं उसके बिस्तर पर आधी नंगी पड़ी थी.
रोहित ने शेर की तरह झपट्टा मारा और मेरे दूध अपने दोनों हाथों से मसलने लगा, मेरे कान, होंठ, गले और कंधे में किस करने लगा.
फिर वह मेरे चूचुकों को बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
वह धीरे से अपने दांत से काटता, तो मेरे मुँह से ‘आह.’ निकल जाती.
उसने भी अपनी टी-शर्ट उतार दी और अपनी पैंट उतार कर पूरा नंगा होकर मेरे ऊपर आ गया.
मैंने कहा- मुझे भी नंगी कर दो और चोदो.
उसने मेरी जींस का बटन खोला और मेरी जींस और पैंटी उतार दी.
अब मैं नंगी उसके बिस्तर पर लेटी थी.
रोहित का लंड आधा सख़्त हो गया था और काफ़ी लम्बा और मोटा था.
मुझे लगा कि इसका प्रतीक के लंड से काफ़ी बड़ा है, जब पूरा सख़्त होगा तो मुँह में लेने का मज़ा बढ़ जाएगा.
रोहित फिर से मेरे ऊपर आया और उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.
उसका लंड मेरे मुँह की चुदाई कर रहा था और मुँह के अन्दर ही लंड और बड़ा हो रहा था.
उसने कहा- अब 69 करते हैं.
इस तरह से वह मेरी चूत चाटेगा और मैं उसका लंड चूसूँगी.
वह लेट गया और मैं उसके ऊपर आ गयी. हम दोनों अब 69 पज़िशन में मजा ले रहे थे.
वह एक बार मेरी चूत चाटता और अपनी उंगली रगड़ने लगता.
इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और हालत ख़राब हो रही थी.
फिर भी मैं मज़े से उसका लंड चूस रही थी.
थोड़ी देर बाद उसने अपनी जीभ और उंगली की स्पीड बढ़ा दी.
उसका लंड छोड़कर मैं चिल्लाने लगी- हां रोहित, ज़ोर से और जल्दी फ़ास्ट फ़ास्ट … करो!
रोहित और जल्दी करने लगा.
मैं और तेज चिल्लाने लगी- हां रोहित ज़ोर से फ़ास्ट फ़ास्टर फ़ास्टर.
आख़िर में मेरी चूत का पानी निकला और मैं ख़ुशी से सिहर उठी.
मैं बिस्तर पर लेट गयी.
रोहित भी मुझे बांहों में भरकर लेट गया और धीरे धीरे मेरे चूचुकों को सहलाने लगा.
धीरे से वह मेरे दूध मसलने लगा और मैं फिर से गर्म होने लगी.
उसने इस बार पीछे से ही मेरी गांड पर हाथ फेरना शुरू किया और उसे मसलने लगा.
मेरी गांड भी मेरी चूचियों की तरह बड़ी और मुलायम थी.
रोहित के ऐसा छूते ही मैं तड़पने लगी.
फिर रोहित बिस्तर से उतर कर अपना लंड हाथ में लेकर खड़ा हुआ और बोला- एकता चूस इसे … आज से तू मेरी रांड है … चूस मेरा लंड जैसे लॉलीपॉप चूसी जाती है वैसे चूस साली … तेरे प्रतीक के लंड से भी बड़ा और मोटा लंड है ये … अच्छे से चूस. फिर मैं आज इसी लंड से तेरी चूत फाड़ूँगा.
रोहित के ऐसा कहने से मेरी उत्तेजना और भी बढ़ने लगी और मैं रोहित के सामने घुटने के बल बैठकर उसका लंड अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी और धीरे धीरे लंड को मुँह में डाल कर चूसने लगी.
उसने मेरे बाल मुट्ठी में पकड़े और मेरे सर को आगे पीछे करते हुए वह मुझसे लंड चुसवाने लगा.
धीरे धीरे उसने स्पीड बढ़ाई और मेरा मुख चोदन शुरू हो गया.
मैं चोक हो रही थी, पर रोहित मेरा मुँह चोदता रहा.
अचानक से उसने कहा- आह, निकलने वाला है.
लंड मुँह से निकालते ही उसका सारा माल मेरे चेहरे, गले और बूब्स पर बरस गया.
उसका लंड से बहुत ज़्यादा रस निकला था और वह रस काफी गर्म भी था.
उसने कहा- चलो अब नहाते हैं.
बाथरूम में आकर उसने शॉवर चालू किया और मुझे भी बुला लिया.
पहले खुद को साबुन लगाया और फिर मेरी बॉडी पर साबुन लगा.
थोड़ी देर तक हम दोनों शॉवर में ही नहाते रहे.
फिर बाहर आकर तौलिया से एक दूसरे को पौंछा.
अब रोहित निम्बू का शर्बत लाया और हम दोनों ने पिया.
फिर हम दोनों नंगे ही लेट गए.
मैंने उसके लंड को धीरे धीरे सहलाना चालू कर दिया.
देखते ही देखते उसका लंड बड़ा हो गया.
मैं खुश होने लगी कि अब मेरी चूत को ये लंड मिलेगा.
रोहित ने बेड के नीचे से कंडोम निकाल कर लौड़े पर लगा लिया.
मेरा दिल ज़ोरों से धक धक कर रहा था.
फिर रोहित ने एक लोशन निकला और मेरी चूत में हल्का सा लगा दिया.
अब वह मेरे ऊपर चढ़ गया; अपना लंड मेरी चूत के सामने रखकर धीरे धीरे अन्दर करने लगा और मुझे किस करने लगा.
मेरी चूत बहुत टाइट थी और मेरा दर्द बढ़ने लगा.
रोहित थोड़ा सा धक्का देता और लंड मानो मेरे पेट के अन्दर आ जाएगा, ऐसा दर्द होता.
मैं दर्द से कराहने लगी.
रोहित लंड पीछे ले जाता और धीरे से धक्का मारता.
मैं दर्द से चिल्लाती और आंसू निकलने लगते.
ऐसे में ही अचानक से भयंकर दर्द हुआ और लगा जैसे मोटा लम्बा सरिया मेरी चूत में घुस गया हो.
मैं चिल्लाने और रोने लगी और रोहित हल्का हल्का मुझे किस करता रहा.
रोहित अपना लंड पीछे ले गया और उसने फिर से धक्का मार दिया.
मैंने उंगली चूत की तरफ़ बढ़ाई तो उंगली पर लाल लाल खून सा कुछ था.
मेरी चूत फट चुकी थी.
रोहित एक के बाद एक धक्के मारकर मेरी चूत के गड्डे को बड़ा कर रहा था और मैं एक चुदक्कड़ कुतिया बन चुकी थी.
उस दिन रोहित ने मुझे चार बार पेला और बाद में वह मुझे हॉस्टल छोड़ आया.
इतनी लम्बी Xxx ब्रेकअप सेक्स कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.
आगे जाकर रोहित ने मुझे सेक्स के बहुत मज़े दिए जिनके बारे मैं अपनी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगी.
मैं यह भी बताऊंगी कि कैसे कॉलेज के टीचर को मैंने अपनी चूत का पानी पिलाया.
यह Xxx ब्रेकअप सेक्स कहानी पढ़कर आपने मुठ मारी या चूत का पानी निकाला हो, तो ईमेल करें.
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