सेक्सी सिस्टर पोर्न कहानी में पढ़ें कि मैं मामा के घर गया तो उनकी जवान बेटी को देखकर मेरा लंड गर्म हो गया. मेरी बहन भी मेरे वासना की नजर को पहचान कर मुस्कुरा रही थी.
मेरा नाम अंश है. यह बदला हुआ नाम है. मैं उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर से हूँ.
इस समय मैं आईटीआई (2nd ईयर) का स्टूडेंट हूं.
यह सेक्सी सिस्टर पोर्न कहानी मेरी और मेरे मामा जी की लड़की की है.
मेरे मामाजी कानपुर में रहते हैं, उनकी दो बेटियां हैं.
मैं अपने मामाजी के यहां चार साल पहले गया था, तब उनकी छोटी लड़की इतनी बड़ी और हॉट नहीं थी.
उनकी बड़ी बेटी का नाम दृष्टि और छोटी बेटी का नाम सृष्टि है.
मैं इस बार उनके यहां गया, तो उनकी छोटी बेटी सृष्टि काफी बड़ी हो गई थी.
जब मैं उनके यहां पहुंचा तो उसे देखता ही रह गया.
मैं उसकी चूचियों को देखते ही सन्न रह गया.
मुझे सिर्फ उसकी चूचियाँ इतनी अधिक जानलेवा लग रही थीं कि मैं सब कुछ भुला बैठा कि मैं कहां हूँ. मेरा लंड भी एकदम से कड़क होने लगा था.
सृष्टि का साइज 34-32-36 का हो गया था.
मेरा लंड मेरी पैंट में फूलने लगा और एकदम से उभर कर बाहर से दिखाई देने लगा था.
मेरा मन कर रहा था कि अभी इसे इसकी चूत में उतार दूँ.
फिर मैंने खुद पर कंट्रोल किया, उससे हैलो बोला और हल्की फुल्की बात की.
वो भी शायद मेरी पैंट में खड़े होते लंड की दशा समझ चुकी और उसकी आंखों में हल्की सी मुस्कान थी.
मामी ने मेरे लिए चाय बनाई और चाय लेकर उनकी लड़की सृष्टि ही आई.
उसने झुक कर चाय टेबल पर रखी तो मेरी मादरचोद निगाहें उसकी टी-शर्ट के गहरे गले से झाँकती उसकी चूचियों के क्लीवेज पर ही टिकी हुई थीं.
सच में वो एक माल थी, जो मुझे उकसा रही थी.
हमने शाम का खाना एक साथ किया, फिर हम बाहर टहलने के लिए निकल गए.
मैं आप सबको बता दूँ कि हम दोनों आपस में काफी खुले हुए हैं.
इससे पहले भी मेरी उससे फोन पर काफी बात होती रहती थी और हम दोनों व्हाट्सैप पर काफी बोल्ड चैट करते रहते थे.
मैंने उससे पूछा- और सुनाओ सृष्टि, तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड बना या नहीं?
उसने बताया- अभी तक तो कोई पसंद ही नहीं आया है, क्यों तुम्हें कोई परेशानी है?
मैंने उसके दूध देखते हुए कहा- परेशानी कुछ नहीं है, बस जानना था कि तुम्हारी खूबसूरती के पीछे किसका हाथ है?
वह अपनी खूबसूरती की बात सुनकर खुश हो गई.
उसे मेरी बात समझ में ही नहीं आई थी कि मैं उसके बड़े बड़े मम्मों को इतने बड़े कर देने में किसके हाथों का कमाल है, ये पूछ रहा हूँ.
खैर … इसी तरह की बातें चलती रहीं और बातों ही बातों में मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
वह मेरी तरफ प्यार भरी निगाहों से देखने लगी और उसने हल्की सी एक प्यार भरी स्माइल दे दी.
मैंने कहा- मतलब तुम खुद ही अपनी खूबसूरती के इस निखार के लिए मेहनत करती हो?
वो बोली- ये तो नेचुरल है यार!
मैंने कहा- क्या नेचुरल है?
वो बोली- मेरी खूबसूरती.
मैंने इस बार खुल कर कहा- और तुम्हारे ये माउन्टेन भी?
वो मेरी बात सुनकर एकदम से हड़बड़ा गई और बोली- क्या मतलब?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
वह मेरी पीठ पर धौल जमाती हुई बोली- तुम कहना क्या चाहते हो, साफ साफ बताओ!
मैंने हंस कर कहा- तेरे हाथों में बड़ी ताकत है. मुझे तेरी इस धौल से समझ आ गया कि तूने खुद ही अपने पहाड़ बड़े बड़े बनाए हैं.
अब वह सब समझ गई थी कि मेरा मतलब क्या है.
वह मुझे मारने दौड़ी तो मैं भी खुद को बचाता हुआ भागा और हंसने लगा.
कुछ देर तक इसी तरह की मस्ती करने के बाद हम दोनों घर आ गए.
मेरे मामाजी नाइट ड्यूटी करते हैं. इसलिए घर में हम तीन लोग ही रह गए थे.
मामाजी की बड़ी बेटी एक हॉस्पिटल में नर्स है इसलिए वो अधिकतर घर से बाहर से ही रहती है.
अब हम तीन लोग ही थे.
मामी किचन में बर्तन साफ कर रही थीं और हम दोनों टीवी देख रहे थे.
अपना काम समाप्त करके मामी अपने रूम में चली गई थीं.
बाहर हम दोनों ही बचे थे.
उसी समय टीवी में एक सेक्सी सीन आ गया.
हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कराने लगे.
फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा.
वह मेरा जरा भी विरोध नहीं कर रही थी.
उसका शरीर अकड़ने लगा था; शायद वो गर्म होने लगी थी.
तभी अचानक मामी जी के आने की आहट मिली तो वह मुझसे अलग हो गई.
मामी जी ने टीवी बंद करने को बोला और बोलीं- बहुत रात हो गई है, अब सो जाओ.
सच में रात काफी हो गई थी. उस वक्त लगभग साढ़े बारह बजे का समय हुआ था.
अब हम दोनों अपने अपने रूम में चले गए.
मुझे बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी.
मैं बाहर बने कॉमन बाथरूम में गया और उसके नाम की मुट्ठी मार कर अपने रूम में आकर सो गया.
सुबह जब मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम की तरफ गया तो मैंने देखा कि दरवाजा हल्का सा खुला हुआ है और दृष्टि बाथरूम में नहा रही है.
उसके नहाने से पानी गिरने की आवाज आ रही थी, इससे समझ आ रहा था कि वो नहा ही रही है और शायद भूलवश उसे मेरे घर में होने की याद नहीं रही थी.
मैं भी अनजान बन कर बाथरूम के अन्दर चला गया.
वह मुझे अन्दर आया देखकर एकदम से घबरा गई और बोली- तुम यहां कैसे?
मैं उसके जिस्म को देखते खो गया.
वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. उसके ब्रा सिर्फ मम्मों पर अटकी हुई थी, उसका हुक नहीं लगा हुआ था.
उसने सहज भाव से मुझसे दोबारा पूछा- तुम अन्दर कैसे आए?
मैंने भी उसकी जवानी को निहारते हुए उसे तुरंत उत्तर दिया- तुम्हें दरवाजा अन्दर से बंद कर लेना था. मैंने सोचा कि अन्दर कोई नहीं होगा इसलिए मैं अन्दर आ गया.
वह पलट गई और जल्दी जल्दी अपनी ब्रा का हुक लगाने की कोशिश कर रही थी.
लेकिन उसकी ब्रा इतनी टाइट थी कि उससे हुक लग नहीं रहा था.
मैंने अपने हाथों से उसकी ब्रा का हुक लगा दिया और उसके दोनों मम्मों के निप्पलों को जोर से दबा दिया.
वह चिहुंक उठी और मुझसे बोली- तुम बाहर जाओ वरना कोई हमें देख लेगा!
मैं तुरंत बाहर आ गया.
अब मेरा मन उसे चोदने को कर रहा था.
मुझे रात होने का इंतजार था.
मैंने किसी भी तरह पूरा दिन काटा.
शाम को खाना खाने के बाद फिर हम दोनों टहलने के लिए बाहर निकल पड़े.
मैंने उससे पूछा- क्या वास्तव में तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है?
उसने ना में जवाब दिया तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर उससे कहा- क्या मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड बन सकता हूं?
उसने हल्की सी स्माइल दे दी.
मैंने तुरंत उसे अपनी बांहों में कस लिया और उसे एक किस किया.
वह मचलने लगी और मेरे साथ हल्का सा सहयोग भी करने लगी.
शायद खुले में वो इस तरह से प्रेमालाप नहीं कर सकती थी.
मैंने उससे कहा- चलो कहीं बैठ कर बात करते हैं.
वह हां में सर हिलाती हुई सड़क से नीचे उतर कर एक खाली और सुनसान सी जगह पर बनी एक पट्टी पर बैठ गई.
मैं भी उसके बाजू में बैठ गया.
उसने मुझसे कहा- क्या तुम सच में ये नहीं जानते थे कि बाथरूम में कोई है?
मैंने कहा- वो मैं बाद में बताऊंगा, पहले तुम ये बताओ कि क्या तुमने जानबूझ कर दरवाजा खुला छोड़ा था?
वो हंसने लगी और मैं भी हंस दिया.
मैंने उसे चूमा तो वो बोली- चलो घर चलते हैं. वहीं ये सब करेंगे.
हम दोनों घर आ गए.
आज मामी जी के सर में दर्द था इसलिए वे अपने रूम में जाकर सो गई थीं और सृष्टि किचन में जाकर बर्तन साफ करने लगी थी.
मैं भी उसको साथ देने के बहाने से वहां पहुंच गया और उसे पीछे से पकड़ कर उसकी चूचियों को दबाने लगा.
उसकी गर्दन पर किस करने लगा.
वह भी गर्म होने लगी.
मैंने उसे अपने रूम में चलने को कहा.
उसने कहा- तुम चलो, मैं अभी आती हूं.
कुछ देर बाद वह मेरे रूम में आ गई.
मैंने दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया और अपनी सेक्सी सिस्टर बेड पर गिरा कर किस करने लगा.
एक हाथ से उसकी चूचियों को दबाने लगा.
वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
उससे मैंने मामी के बारे में पूछा तो वह बोली- मम्मी दवा कर गहरी नींद में सो गई हैं और अब वे सुबह ही उठेंगी.
मैंने उसकी आंखों में देखा तो वो शरारत से मुस्कुरा रही थी.
मैं समझ गया कि इसने मामी को नींद की दवा दे दी है.
फिर मैंने उसके कपड़े निकाल दिए और खुद भी अपने कपड़े निकाल दिए.
वह मेरे लंड को देखकर डर गई और बोली- इतना बड़ा! मैंने कभी नहीं देखा.
मैं पाठिकाओं को बता दूँ कि मेरे लंड का साइज 6.8 का इंच है और काफी मोटा है.
जब उसने ये कहा कि इतना बड़ा वो अपने अन्दर नहीं ले सकती है.
तो मैंने कहा- फिर ऑप्शन क्या है? क्या काट कर छोटा कर दूँ!
वो हंस दी.
फिर मेरे समझाने पर वो मान गई.
अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.
मैंने उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में उसकी जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था.
उसके दूध वाकयी में बहुत मस्त और रसीले थे.
मैंने उसे चित लिटाया और उसकी चिकनी चूत में मुँह लगा दिया.
कुछ ही देर में वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी थी और अकड़ने लगी थी.
पाँच मिनट बाद वो झड़ चुकी थी और मैं उसकी चूत से निकला सारा पानी पी चुका था.
अब मैंने उससे अपना लंड मुँह में लेने को कहा तो उसने मुझे मना कर दिया.
मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया.
फिर मैंने उसकी चूत पर वैसलीन लगाकर अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक झटका दे मारा.
मेरा लंड फिसल गया.
मैंने फिर से अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर सैट किया और एक जोरदार झटका मारा.
मेरा आधा लंड उसकी चूत के अन्दर समा गया.
वह बहुत तेजी से चीखने को हुई.
मैंने तुरंत ही अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख कर दूसरे हाथ से उसकी चूचियों को दबाने लगा.
कुछ समय बाद जब उसका दर्द कम हो गया.
तब मैंने फिर से लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया.
कुछ पल बाद फिर से एक जोरदार झटका मारा.
इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और उसकी चूत से खून निकलना शुरू हो गया क्योंकि उसकी सील टूट चुकी थी.
वह मुझसे लंड निकालने को कह रही थी लेकिन मैंने उसकी बात को अनसुना किया और अपना काम लगातार करता रहा.
कुछ ही समय बाद उसे भी मजा आने लगा और वह अपनी गांड उठाकर चूत चुदाने का आनन्द लेने लगी.
मैं उसे 15 मिनट तक लगातार चोदता रहा.
तब तक वह दो बार झड़ चुकी थी.
अब मैं भी झड़ने वाला था.
मैंने उससे पूछा- रस कहां निकाल दूँ?
उसने अन्दर ही निकालने को बोला.
मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया.
मैंने सुबह के 3:00 बजे तक उसे दो बार और चोदा, फिर वह अपने कमरे में चली गई.
जब मैं सुबह उठा, तो मुझे पता चला कि उसकी तबियत खराब है.
मुझे तुरंत समझ में आ गया कि उसकी तबीयत रात की घमासान चुदाई के कारण खराब है. उससे चला भी नहीं जा रहा था.
मामी जी ने मुझसे कहा- डॉक्टर को घर पर बुला लो.
लेकिन मुझे पता था कि सृष्टि की तबियत किस कारण से खराब है.
मैंने मामी जी से कहा- मैंने डॉक्टर से बात कर ली है, मैं दवा लेने जा रहा हूं.
मैं एक मेडिकल पर गया और वहां से पेनकिलर और गर्भनिरोधक गोली लाकर सृष्टि को चुपचाप दे दी.
फिर मैंने दोपहर में उससे पूछा- कैसी तबीयत है तुम्हारी?
उसने एक प्यारी सी स्माइल दी.
शाम तक वो सही हो गई और उस रात फिर से मेरे लंड के नीचे आ गई.
उसके बाद तो वो मेरे लंड से प्यार कर बैठी.
और जब तक मैं वहां रहा, वो रोजाना मेरे लौड़े की सेवा में रही.
दोस्तो, आपको मेरी यह सेक्सी सिस्टर पोर्न कहानी कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताएं.