सेक्सुअल लव Xxx कहानी में मैंने दूर के रिश्ते की आंटी को चोदा. मैं उनके घर कुछ दिन के लिए रुका था. आंटी ने मुझे अपने हुस्न के जादू से पटा लिया. मैं भी पटने को तैयार बैठा था.
यह उस वक्त की बात है, जब मैं कॉलेज में पढ़ाई करता था.
उस समय परीक्षा देने का सेन्टर मुझे मेरे शहर से बाहर मिला था.
मुझे सात पेपर देने थे लेकिन इस सात पेपर के लिए रोज अप-डाउन करना महंगा पड़ सकता था.
मैं सोचता था कि कैसे ये सारे पेपर दे पाऊंगा.
हमारे दूर के रिश्तेदार अंकल और आंटी उसी एक्ज़ाम सेन्टर वाले शहर में रहते थे.
तभी मम्मी ने पापा को उनकी याद दिलाते हुए बताया.
तो पापा ने कहा- हां ये अच्छा रहेगा. एक हफ्ते के लिए तू वहीं चला जा, पेपर खत्म होते ही वापस आ जाना.
पापा ने अंकल के साथ फ़ोन पर बात भी कर ली कि मैं आ रहा हूँ.
अंकल भला कैसे मना कर सकते थे. सात दिन की ही तो बात थी.
लेकिन इन सात दिनों में बहुत कुछ हो गया.
मुझे जन्नत मिल गई थी … आह … वो सब मैं आपको इस सेक्स कहानी में बता रहा हूँ.
दरअसल अंकल और आंटी अकेले रहते थे.
एक्जाम के तीन दिन पहले ही मैं वहां पहुंच गया था.
अंकल थोड़े बूढ़े थे लेकिन आंटी की तो क्या बात करूँ, वो तो अभी भी जवान लगती थीं.
यह सेक्सुअल लव Xxx कहानी इन्हीं आंटी की है.
आंटी का नाम शोभा था. उनके एकदम लम्बे बाल, सॉफ़्ट स्किन और टाइट देसी साड़ी पहन कर घर में ऐसे घूमा करती थीं, जैसे कोई अप्सरा जमीन पर उतर आई हो.
वे हाउस वाइफ थीं.
आंटी की गोलमटोल गांड साड़ी के ऊपर से साफ दिखती थी और उनके मम्मे भी किसी भी मर्द के कलेजे को हलक में ला देने के लिए काफी थे.
मुझे तो उनके घर रहकर सिर्फ पेपर देने से मतलब था, फिर ये सब कैसे हुआ?
हुआ यूं कि तीन पेपर देने के बाद एक दिन रात को मैं थोड़ा रिवीज़न करते हुए कमरे में बैठा था.
मेरा दिमाग घूम रहा था.
एक तरफ पेपर की टेंशन और दूसरी ओर बार बार आंटी का मादक हुस्न दिमाग में वासना को जगा रहा था.
तभी आंटी कमरे में आ गईं.
वे नाईटी पहने हुई थीं.
आंटी- अरे, अभी भी पढ़ रहे हो? सो जाओ, थक जाओगे.
मैंने ऊपर देखा, उनके बाल पूरे खुले थे और जांघें साफ दिख रही थीं.
मैंने वो सब नजरअंदाज किया.
मैंने कहा- ये बहुत मुश्किल वाला पेपर है. इतने पेपर और ऊपर से पूरे साल पागलों की तरह पढ़ना. सच में मैं पढ़ाई करते करते पागल ही हो जाऊंगा.
आंटी बोलीं- अरे ऐसा मत कहो. तुम पास हो जाओगे, रुको मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ.
“अरे नहीं, अब रात को क्यों चाय बनानी है … आप रहने दीजिए, खामखां आपको तकलीफ होगी.”
“इसमें तकलीफ कैसी … मैं अभी आई.”
यह कह कर आंटी चली गईं.
इस बार वो अपनी गांड मटकाती हुई ऐसे चलीं, मानो गांड देने का सिग्नल ही दे रही हों.
आंटी कुछ ही मिनट बाद चाय बनाकर लाईं और मैंने चाय पी ली.
मैंने कहा- आंटी, आप बहुत ही अच्छा खाना बनाती हैं और चाय भी … शुक्रिया!
आंटी आह भर के बोल उठीं- अरे बेटा, पता नहीं कितने सालों से मैं ये सब करती आ रही हूँ, अब तो जैसे आदत पड़ गई है. मशीन की तरह रोज जाग कर एक ही काम, झाड़ू पौंछा, कपड़े धोना, बर्तन, इतना हुआ नहीं कि फिर से सफाई. अब तो होता ही नहीं ये सब. मुझे तुम्हारे मुँह से तारीफ सुन कर अच्छा लगा.
आंटी ये सब बोलती हुई भावुक हो गई थीं और हल्का सा रोने भी लगी थीं.
मैंने उनके कंधों पर हाथ रखकर कहा- सबके घर में शायद ऐसा ही होता होगा. घर के काम की इज्जत बहुत कम होती है. लेकिन आप बहुत प्यारी हो.
आंटी मुझे देखती ही रह गईं.
फिर अचानक से उन्होंने मुझे अपनी गोद में ले लिया.
“हम दोनों एकदूसरे को राहत दे सकते हैं.”
ऐसा कह कर मेरे बालों में अपनी उंगलिया फेरने लगीं.
एक तो आंटी ने अन्दर कुछ पहना नहीं था, ऊपर से मेरा माथा वो अपनी गोद में लेकर अपनी जांघों से रगड़ रही थीं.
मेरे लौड़े में आग लगाने के लिए इतना ही काफी था. मेरी सांसें भारी हो गईं.
उन्होंने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों में ले लिया और मुझे अपनी बांहों में ले लिया.
मैंने साइंस में पढ़ा है और मुझे मालूम भी है कि जब स्त्री पुरुष आलिंगन करते हैं, तो होर्मोंस का स्राव फैलता है. जो गुडफील करवाता है.
सही मौका देख कर मैंने आंटी को कमर से पकड़ा और उन्हें कसके अपनी बांहों में ले लिया.
मैं अपने हाथ आंटी की बगल में और पीठ पर फेर रहा था.
फिर मैंने अपने दोनों हाथ आंटी की मुलायम गांड पर रख कर उनके चूतड़ जोर से दबा दिए.
आंटी आहह कर उठीं.
उनकी सांसें तेज हो गईं.
कई मिनटों तक हम दोनों एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही समाए रहे.
काफी देर बाद आंटी मेरी बांहों से दूर हुईं और कातिल स्माइल देकर कहने लगीं- हाय, इतने सालों से तेरे अंकल ने कभी हग नहीं किया था. आज बहुत अच्छा लग रहा है … तेरी बांहों में मैं तो एकदम हल्की हो गई.
मैं उन्हें वासना से देखने लगा था.
फिर वे बोलीं- अरे, तुम्हारे माथे की लकीरें तन कर बाहर को क्यों दिख रही हैं?
‘हां वो … वो मैं खूब पढ़ाई करता हूँ ना … तो स्ट्रेस हो जाता है.’
आंटी ने कहा- मेरा प्यारा, क्यों इतना पढ़ा करते हो. गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बना लेते कोई … मन हल्का हो जाएगा.
“अरे आंटी … मैं कहां ये सब करूँ? लड़कियां पटाना मेरे बस की बात कहां?’ अपने को तो अपनी तन्हाई ही ठीक है.”
“ऐसा मत बोलो, तुम चाहो तो मेरे साथ वो सब कर सकते हो.” ये कहते हुए आंटी जरा शर्मा गईं.
“आर यू सीरियस? लेकिन आंटी ये गलत है. हमारा रिश्ता ये इजाजत नहीं देता है.”
“क्या फर्क पड़ता है? एक औरत को जब प्यार ही नहीं मिलता, तो फिर क्या फायदा उसकी जवानी का? बेटे, मैं कहती हूँ ना … आ जा मेरी बांहों में और ले ले मजे … कुछ देर को भूल जा पेपर्स.”
“आंटी कहीं आपके चक्कर में मैं फ़ेल हो गया तो?”
इस बात पर वो जोर से हंसने लगीं- अरे पागल … टेंशन नहीं लेने का!
ऐसा कह कर वो अपनी गोल गांड उठा कर मेरी गोद में बैठ गईं और उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों से कसके चिपका दिए.
आह … अंगारे सुलग उठे थे मेरे लौड़े के … पहली बार किसी औरत ने किस की थी … और वो भी इतनी जंगली औरत, जो भूखी शेरनी की तरह किस किए जा रही थी.
मेरा लंड कपड़े फाड़ कर बाहर आने को हो गया था. धमनियों में गजब का खून दौड़ने लगा था. लंड खड़ा हो गया था.
लंड खड़े होने की वजह से आंटी की गांड से जा टकराया था.
आंटी मेरी गोद में जो बैठी थीं.
“हाय रे … ये क्या है … तेरा केला है या खंबा है?” आंटी हंस रही थीं.
कसम से मेरी गोद में बैठी आंटी की खिलखिलाहट बहुत प्यारी लग रही थी.
मैं उन्हें देखता ही रहा.
फिर आंटी उठीं और नीचे आ गईं.
आंटी ने मेरे पैंट को हौले से खोला. पैंट के खुलते ही खड़ा लंड बन्दूक की गोली की तरह सटाक से बाहर आ गया और आंटी के गाल पर टकरा गया.
हर लंड अलग अलग आकार के होते हैं, कुछ सीधे होते हैं, कुछ केले की तरह नीचे से मुड़े हुए या ऊपर की तरफ होते हैं.
मेरा लंड केले की तरह ही है.
आंटी देख कर जरा डर सी गईं- बाप रे … तेरा तो बिल्कुल मोटे केले जैसा है. हाय कितना कड़क है!
यह कह कर उन्होंने मेरे लौड़े को हौले से हाथ में पकड़ लिया.
“ऊई मां … ये तो गुलाबी लंड है … आह काट कर खा जाऊंगी इसे तो!”
सच में मेरा लंड एकदम गुलाबी रंग का है. लंड का सुपारा बहुत ही सुन्दर लगता है.”
आंटी बोलीं- मैं इसे मुँह में ले लूँ?
“हां, आंटी ले लो. इसमें पूछना क्या … ये आपका ही है.”
आंटी ने अपना मुँह फैलाया और पूरे लंड को निगल गईं.
ऊपर नीचे मुँह करके वो लॉलीपॉप की तरह लंड चूसने लगीं.
उनके होंठ काफी मोटे थे और मुँह ज्यादा खुलता था.
आंटी के रसीले होंठों के बीच मेरा लंड बड़ा ही कातिल लग रहा था. आंटी के गर्म मुँह में लंड मजे ले रहा था.
लंड के सुपारे पर आंटी अपनी जीभ जोर जोर से फेर रही थीं.
आह क्या नाजुक अहसास था वो … ऐसा लग रहा था मानो अभी पानी निकल जाएगा.
“आंटी थोड़ा धीरे से. मैंने पहले कभी ये सब नहीं किया है … जल्दी वीर्य छूट गया तो मजा बिगड़ जाएगा.”
आंटी ये सब जानती थीं- बात तो सही है तेरी. चल तू मेरे ऊपर आ जा!
इतना कह कर फक्क की आवाज कर साथ लंड मुँह से बाहर निकाला और पलंग पर पैर फैलाकर चित हो गईं.
आंटी का बदन एकदम गदराया था चर्बीदार.
उनके गोरे पैर बहुत खूबसूरत लगते थे.
अच्छा हुआ आंटी ने लंड मुँह से निकाल लिया.
वर्ना पानी मुँह में ही निकल जाता.
“ले मेरी चूत चाट, इसका पानी कितनी भी बार निकले, तेरा मजा नहीं बिगड़ेगा … चाट ले बेटा …”
ये कहती हुई आंटी सिसकने लगीं.
मैं 69 में उल्टा लेट गया, आंटी के पैर अपने हाथ में ले लिए और उनकी सेक्सी चूत को चाटने लगा.
‘आह ऊह्ह्ह्ह … ऐसे ही.’
आंटी ने अपने दोनों पैरो से मुझे बांध लिया, मेरा चेहरा उनकी चूत में जा घुसा.
आह क्या मस्त खुशबू थी उनकी चूत की.
मैंने आंटी की चूत बहुत देर तक चाटी.
आंटी का पानी दो बार छूट भी गया; चादर भीग गई.
चूत एकदम क्रीम जैसे पानी से भर गई थी.
ऐसी पानीदार चूत में लंड पेलने का मजा ही कुछ और होता है.
सूखी चूत में ऐसा मजा कहां!
अब आंटी ने कहा- अब बस भी कर … जल्दी से अपना केला इसमें डाल दे और आगे पीछे धक्के मार … घबरा मत … जी भर के चोद ले मुझे!
आंटी बड़ी पहुंची हुई बला थीं. वे जानती थीं कि ये मेरा पहला अनुभव है इसलिए वो मेरे लंड पर बार बार हाथ नहीं फेर रही थीं कि कहीं वीर्य छूट ना जाए.
मैंने हौले से अपना लंड चूत में डाला.
आह … क्या रसीली चूत थी … लंड सरकता हुआ चला गया.
आंटी आह भरती हुई बोलीं- आह अब सुनो … जल्दी मत करना … धीरे धीरे अन्दर बाहर करो. कुछ देर तक ऐसे ही करो!
मैं हौले हौले से आंटी को चोद रहा था. करीब बीस मिनट तक ऐसे ही सेक्स का मजा चलता रहा.
आंटी आंखें मूँद कर अपने स्तनों को मसलती हुई मजे ले रही थीं- बेटा अब थोड़ी स्पीड बढ़ाओ … और जोर से करो … मैं तड़प रही हूँ … आह फ़क मी फास्ट बेबी.
मैंने लंड की स्पीड बढ़ाना शुरू कर दिया.
“यस बेबी फक मी लाइक दिस … फक मी हार्ड … यस फ़क फ़क …” आहें भरती हुई आंटी बोले जा रही थीं.
आंटी ने मेरी गांड अपने हाथों में ले ली और मिशनरी पोजीशन में अपने दोनों पैरों से मुझे जकड़ कर सिसकारियां लेने लगीं- चोद बेटा … जोर से चोदना शुरू कर दे … फुल स्पीड से गाड़ी चला न बेटे … चूत फाड़ दे मेरी … आह निकाल दे अपना रस इसके अन्दर ही.
ये कहती हुई आंटी शायद झड़ गई थीं.
अब मैं आत्मविश्वास से भर गया था; किसी पोर्नस्टार की तरह आंटी की चूत में धक्के लगाने लगा था.
आंटी की गीली चूत के अन्दर लंड रगड़ता हुआ फिसल रहा था.
कुछ बीस धक्के में ही सर्र करता हुआ मेरा गर्म वीर्य आंटी की चूत में चला गया.
मैं पागल हो गया.
पूरा लंड झटके से अन्दर ही रख कर मैं आंटी से चिपक गया.
आंटी ने मुझे तब तक कसके पकड़े रखा … जब तक लंड चूत में ही ढीला नहीं हो गया.
सच में सेक्स का मजा आ गया था.
हम दोनों पूरे थक गए थे और सो गए.
इस तरह बाकी चारों रातों में, आंटी कमरे में बूढ़े अंकल को नींद की गोलियां खिला कर आ जाया करती थीं और हम दोनों अलग अलग पोजीशन में हुस्न के मजे लेते.
डॉगी स्टाइल में तो आंटी की गांड ऐसी खुलती कि बस पकड़ कर ढोल ही बजाने लग जाओ.
इस तरह सात दिन पूरे हुए और मेरे जाने का वक्त आ गया.
दोपहर को मैं अपना सामान पैक कर रहा था.
आंटी दरवाजे पर खड़ी रो रही थीं और मुझे देख रही थीं.
मैंने उन्हें देखा, तो वो दौड़कर मेरी बांहों में आ गिरीं.
“जानू, इन चार रातों में तेरी बांहों में सांसें ली हैं, मानो फेरे ही ले लिए हों. अब तुम ही मेरे पति हो, तुम मुझे छोड़कर यूं नहीं जा सकते.”
सच में आंटी ने मुझे अपने शौहर की तरह ही रखा था. वे बहुत ख्याल रखती थीं.
वे बहुत इमोशनल हो गई थीं. मैं भी आंटी के प्यार में पड़ गया था.
“समझने की कोशिश करो, हम एक दूसरे के नहीं हो सकते. मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने मुझे जो सुख दिया है, वो बेमिसाल है, पर मुझे जाना ही होगा.”
फिर आखिरी बार हमने आलिंगन किया, किस किया और मैं बाहर चल दिया.
मैं भी रो रहा था … लेकिन क्या किया जाता.
प्यार का अंजाम ऐसा ही होता है.
इस रातों का असर भी हुआ, मेरा स्ट्रेस गायब हो गया था और रिजल्ट बहुत अच्छा आया.
शायद आज से पहले मेरा ऐसा रिजल्ट नहीं आया था.
ये आंटी के प्यार का ही कमाल था. इसलिए तो कहता हूँ कि लड़कों लड़कियों को मजे ले लेने चाहिए.
आंटी कभी अंकल से प्यार नहीं कर पाई थीं.
आज भी आंटी की गर्म सांसों की और आहों की याद आती है तो पानी छूट जाता है.
घर वाले चाहते थे कि मैं अरेन्ज मैरिज कर लूँ. लेकिन आंटी का गदराया बदन याद आते ही सब कुछ बदल जाता था.
अब क्या करूँ, जिस औरत को मैं चाहने लगा था, वो मेरी महबूबा नहीं बन सकती थी.
आनेवाली बीवी को मैं चाह भी पाऊंगा या नहीं … किसे पता?
लेकिन अचानक एक दिन कुछ यूं हुआ कि कमाल ही हो गया.
आंटी की एक बेटी थी जो बाहर पढ़ रही थी. यह उनकी सौतेली बेटी थी.
आंटी ने पापा को फ़ोन करके उससे मेरी शादी की बात की तो घर वाले मान गए.
मैं सोच रहा था कि अपनी बेटी को मुझसे ब्याह कराने का आंटी का इरादा क्या हो सकता है? क्या वो मेरे करीब भी रह सकें और सास भी बनी रहें?
आंटी दबाव दे रही थीं कि हां कर दो लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा था.
आखिर मैंने हां कर दी और मेरी शादी हो गई.
जब भी मैं अपनी ससुराल जाता हूँ तो आंटी मुझे छू लेती हैं, अकेले में प्यार कर लेती हैं.
मेरी बीवी भी बहुत अच्छी और सेक्सी है. एकदम अपनी मां की तरह गदराई गांड वाली है.
शोभा आंटी मेरी नजर में चरित्रहीन नहीं हैं. वो तो बस प्यार की भूखी थीं. चरित्रहीन तो ये समझ है, जिसने ये गुलामी जैसा सिस्टम बनाया है. जिसमें ना आज़ादी है … ना प्यार और ना ही मस्ती.
अब बस मुझे डर ये है कि मेरी बीवी को मालूम हो गया, तो उस पर क्या बीतेगी?
क्योंकि आंटी ने मुझे एक्सपिरियन्स देकर रोमांस का मास्टर बना दिया था.
इसी की वजह से मैं सुहागरात को जबरदस्त परफॉर्म कर पाया था.
मेरी बीवी आज भी ताने मारती है- हाय रे आप तो कामदेव ही हो, कहां से सीखा था?
आज सात साल हो गए इस बात को … आज भी उसे पता नहीं चला कि मेरी सास मेरी रति बनकर हजारों बार मुझसे चुद चुकी है.
फिलहाल अब वे थोड़ी बूढ़ी होने लगी हैं. उनका मेनोपॉज़ आ गया है, जिसकी वजह से वो कभी कभी थोड़ी चिड़चिड़ा जाती हैं.
अंकल मर गए हैं और अब वो विधवा हो गई हैं.
अब वे सेक्स के लिए नहीं बुलातीं … लेकिन कभी फ़ोन किया करती हैं तो कहती हैं कि मेरी बेटी को रोज रात प्यार करना, औरत बिना प्यार के जी नहीं सकती.
बस, तो ये थी शोभा आंटी की चुदाई की सेक्सुअल लव Xxx कहानी!
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