रेल सेक्स कहानी में पढ़ें कि ट्रेन में मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई. बातों से पता चला कि वो शादीशुदा है. उसने अपनी चिकनी चूत में मेरे कुंवारे लंड को जगह कैसे दी.
नमस्कार दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि सभी मर्दों के लंड खड़े होंगे और लड़कियां, भाभियां और आंटियां अपनी गीली चूत में उंगली डालकर इस रेल सेक्स कहानी का मजा लेंगी.
मैं अन्तर्वासना पर पिछले 7 साल से कहानियां पढ़ता आ रहा हूँ. इसलिए मैंने सोचा कि मुझे भी अपने जीवन में घटित हसीन पलों को सेक्स कहानी का रूप दे कर आपका मनोरंजन करना चाहिए.
मेरी इस सेक्स कहानी में शत प्रतिशत सच्चाई है. यह मेरी पहली सेक्स कहानी है, अगर लिखने में कोई कमी लगे … तो अन्त में अपने विचार मुझसे जरूर साझा करें और बताएं कि आपको मेरी रेल सेक्स स्टोरी कैसी लगी.
मेरा नाम सैफ है. मेरी उम्र 24 साल, लम्बाई 168 सेमी, रंग गेहुंआ और फिट बॉडी है. इसके साथ ही ऊपर वाले ने एक 7 इंच लम्बे और 3.5 इंच मोटे लंड का मालिक भी बनाया है, जिसे मैंने सेक्स कहानी लिखने से पहले नटराज कम्पनी के स्केल से नापा है, ताकि लड़कियों को सही नाप की जानकारी दे सकूं.
मेरे इसी मोटे लंड ने शीना भाभी को मेरा दीवाना बना दिया था. यह बात उसने मुझे बाद में बताई और अपनी चिकनी चूत में मेरे कुंवारे लंड को जगह दी.
शीना भाभी एक 26 साल की हसीन लड़की है … वो एक शानदार 34-30-36 के फिगर के साथ गोरे मखमली बदन की मालकिन है. शीना भाभी की चूचियां ऐसी हैं कि वो किसी को भी मदमस्त कर दें.
उसकी नमकीन जवानी को देखते ही 60 साल के बूढ़ा भी उसे चोदने को आतुर हो जाए.
किसी भी जवान मर्द की नीयत तो उसकी चूत को रसगुल्ले की चाशनी समझ कर चाटने के लिए टपक पड़े.
शीना भाभी को भी मेरा उसकी चूत पर किस करना बहुत पसन्द है.
यह सेक्स कहानी आज से 3 साल पहले की एक सच्ची घटना पर आधारित है.
मैं ईद की छुट्टी पर ट्रेन से घर जा रहा था. ट्रेन में मेरा आरक्षण नहीं था और इस ट्रेन में एक ही डिब्बा रिजर्वेशन वाला था. ये रात की ट्रेन थी.
मैं ट्रेन के इस रिजर्वेशन वाले डिब्बे में चढ़ गया. यहां मुझे सीधे होने की जगह मिल गई. मैंने सोचा जब तक कोई और नहीं आता है, तब तक नींद ले लेना चाहिए.
दो तीन स्टेशन निकलने के बाद मेरे वाले डिब्बे में रिजर्वेशन वाले लोग आते चले गए.
फिर वो सज्जन भी आ गए जिनकी बर्थ पर मैंने टांगें पसारी हुई थीं.
मुझे बर्थ से उतरना पड़ा और नीचे खड़ा हो गया.
इस डिब्बे में भीड़ काफी बढ़ गई थी. मुझे लगने लगा था कि इस डिब्बे से निकल कर किसी दूसरे डिब्बे में चले जाना चाहिए.
फिर ट्रेन एक बड़े स्टेशन पर रुक गई, तो मैंने सोचा कि डिब्बा बदल लिया जाए … उधर सोने के लिए शायद एकान्त जगह मिल जाए.
मुझे क्या पता था कि किसी और डिब्बे में मेरे कुंवारे लंड का इंतजार एक हसीन मदमस्त चिकनी चूत कर रही है.
मैं स्टेशन पर उतरकर खिड़कियों से सोने के लिए खाली सीट ढूंढने लगा.
तभी मेरी नजर एक भाभी पर पड़ी, मैं उसे एकटक देखता रह गया.
गुलाबी सूट में उसका कमसिन, दूध सा गोरा बदन देखकर मेरा लंड सलामी देने लगा. मन करने लगा कि इस साली को यहीं पर पटक कर चोद दूं.
उसकी गोल मटोल सी चूचियां देखकर मेरा लंड बेकाबू हुए जा रहा था.
अब मुझे और मेरे लंड को उसकी जवानी और गोरे चिकने बदन का रसपान करने करना था.
मैंने उस भाभी से कहा- सामने वाली सीट खाली दिख रही है, क्या इस पर कोई बैठा है?
उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा- नहीं अभी तो कोई नहीं है. आप आ जाओ.
मैं तुरन्त उस डिब्बे में घुस गया और उसके सामने वाली सीट पर जाकर बैठ गया.
ट्रेन चल पड़ी.
मैंने पहले टॉयलेट में जाकर अपने लंड को मनाया कि कुछ देर रुक जा भोसड़ी के.
मगर साला माना ही नहीं और मैंने हाथ से लंड हिलाना शुरू कर दिया. ट्रेन की बढ़ती रफ्तार के साथ मेरे लंड ने उस भाभी के नाम की पिचकारी छोड़ दी.
मैं वापस अपनी सीट पर आकर बैठा तो देखा कि वो भाभी मेरे बराबर में बैठ गई थी.
यह देखकर तो मेरी खुशी का ठिकाना ही न रहा.
एक बार उससे मैंने पूछा- आप इधर ही बैठी थीं क्या?
वो बोली- हां.
मैंने उससे बात की और मुझे उसका नाम शीना मालूम चल गया.
अब मैं तिरछी नजरों से उसे देखने लगा. फिर मेरी आंख लग गई, क्योंकि मैं बहुत थका हुआ था.
सुबह 6 बजे करीब मेरी आंख खुली, तो मैंने देखा कि शीना भाभी ने अपनी चुन्नी को शॉल की तरह घुमाकर ओढ़ रखा था. उसे हल्की ठंड लग रही थी.
ट्रेन की लाइट में उसका दूध सा गोरा चिकना बदन उसे और भी सेक्सी बना रहा था.
सुबह होने के साथ साथ ट्रेन में भीड़ बढ़ती गई. धीरे धीरे वो बिल्कुल मुझसे चिपक कर बैठ गई. उसकी गर्म गर्म जांघों के स्पर्श से मेरा लंड भूखे शेर की तरह एकदम से 7 इंच का हो गया और चूत चूत की आहें भरने लगा.
हालांकि मैं थोड़ा शर्मीला हूँ तो सुबह से उसने ही बात करने की पहल की.
कुछ ही देर में हमारी बात शुरू हो गई.
उसने मुझे बताया कि वो पैरामेडिकल की स्टूडेन्ट है और उसके अब्बू सरकारी नौकरी करते हैं. ईद की छुट्टियों में वो अपने अब्बू अम्मी के पास जा रही थी.
उस दिन उसके साथ उसके ताऊ जी भी थे.
उसने मेरे बारे में पूछा तो मैंने उससे कहा कि मैं इंडिया के एक बहुत प्रतिष्ठित संस्थान से पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स कर रहा हूँ.
वो यह सुनकर बहुत खुश हुई और कहने लगी- मेरा भी बहुत मन था वहां पढ़ाई करने का … मगर कर न सकी.
फिर वो अचानक से उदास हो गई.
मैंने पूछा- क्या हुआ शीना?
वो अपनी किस्मत पर रोने लगी. उसने मुझे बताया कि उसकी शादी 18 साल की उम्र में ही हो चुकी थी. उसका पति बैंक में जॉब करता है.
मैं समझ चुका था कि ये लंड की भूखी है और इसे एक जवान मोटे लंड की तलाश है. इसकी चूत की प्यास मेरे 7 इंच लम्बे लंड से पक्का बुझ जाएगी.
अब वो एकदम से चुप हो गई थी.
एक लंबी खामोशी के बाद मैंने कहा- आपके तो मजे हैं. पति सरकरी नौकरी वाला है.
इस पर उसने हल्की सी स्माइल देकर हां में सर हिला दिया.
कुछ देर बातों का सिलसिला चला और अब हमारी ट्रेन मंजिल पर पहुंचने वाली थी.
हम दोनों ही एक ही जगह जा रहे थे.
मैं फेसबुक चलाने लगा. ये देखकर उसने मुझसे फेसबुक पर फ्रेंड बनने को कहा.
मैंने भी उसे अपने मोबाइल से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी.
फिर मौका देखकर चौका मार दिया और उससे वाट्सएप नम्बर मांगा.
उसने तुरन्त अपना नम्बर दे दिया.
हमने ईद के बाद साथ में वापस जाने का फैसला किया.
फिर ट्रेन रूकी तो हम दोनों नीचे उतर आए. वो अपने ताऊ जी के साथ अपनी गांड मटकाते हुए अपने घर चली गई.
मैं उसकी चूत चोदने के ख्वाब देखता हुआ अपनी मंजिल की तरफ बढ़ गया.
घर पहुंचकर मैंने खाना खाया और सो गया.
शाम को मेरी आंख खुली तो मैंने शीना को वाट्सएप किया.
उसने बताया कि वो मेरा ऑनलाइन आने का ही इंतजार कर रही थी.
मैंने कहा- इंतजार खत्म हुआ, अब बताओ.
उसने पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है?
मैंने ना में जवाब दिया.
वो कहने लगी- कोई अच्छी सी लड़की देखकर गर्ल फ्रेंड बना लो.
मैंने स्माइली भेज दी.
उसने मुझसे पूछा- तुम्हें कैसी लड़की पसन्द है?
मैंने तुरन्त रिप्लाई किया- बिल्कुल तुम्हारी जैसी होना चाहिए.
वो हंसने लगी.
तो मैंने पूछ लिया- शीना, क्या तुम मेरी गर्ल फ्रेंड बनोगी?
उसने झट से हां में रिप्लाई कर दिया.
मैं बहुत खुश हो गया था और मैंने उसी पल एक किस वाला इमोजी बनाकर भेज दिया.
उस रात हमने डेढ़ बजे तक चैट की और उससे एक किस लेने का वादा करके एक सप्ताह बाद साथ जाने का प्लान बना लिया.
इस एक हफ्ते में हम दोनों पूरी तरह से एक दूसरे से खुल चुके थे.
इस बीच शीना भाभी ने मुझे बताया कि चार महीने हो गए उसने सेक्स नहीं किया. उसका पति उससे उम्र में 20 साल बड़ा है और एक थका हुआ अधेड़ उम्र का आदमी है. उसके पति ने उसकी समुन्दर जैसी रसीली जवानी की एक बूंद मात्र ही पी है.
वह अपने पति को बिल्कुल पसन्द नहीं करती थी. इसलिए शीना भाभी अपने पति के साथ न रहकर अब्बू अम्मी के साथ रहती थी.
आखिर मेरी जिन्दगी में भी वह दिन आ गया, जिसके लिए मेरा 7 इंच का लंड रोज सपने में उसकी गीली चूत को देखकर चोदने की ख्वाहिश कर रहा था.
आज मेरे कुंवारे लंड को सच में चूत मिलने वाली थी.
मेरा लंड सुबह से ही शीना की चूत को चोदकर उसकी दोनों फांकों को अलग करने के लिए बेताब था.
हम दोनों तय समय पर बनारस जाने के लिए अपने अपने घर से निकले.
रेलवे स्टेशन पर शीना भाभी मेरा इंतजार कर रही थी.
आज जब मैंने शीना भाभी को देखा. उसने नीले रंग का टॉप और टाइट जींस पहन रखी थी. इस टॉप में उसके 34 साइज के बूब्स बाहर आने को बेकरार दिख रहे थे. मेरा मन कर रहा था कि इसके गोल मटोल गोरे गोरे मम्मों से सारा दूध निचोड़ कर पी जाऊं.
जब उसने मुझे देखा तो फटाक से मेरा हाथ पकड़ कर गले लग गई.
दोस्तो, पहली बार मैंने किसी लड़की को गले से लगाया था. मेरा लंड तो खुशी से फूलकर अपनी औकात में आ गया और उसकी चूत की गर्मी को महसूस करने लगा था.
शीना भाभी के बड़े बड़े स्तनों का मेरी छाती से स्पर्श मुझे पागल बना रहा था.
फिर हम दोनों ने खुद को सम्भाला और एक दूसरे से अलग हो गए. हमने ट्रेन की ऊपर वाली सीट पर चिपक कर बैठने का प्लान बनाया. इसके बाद चालू हुआ सेक्सी खेल, जिसके लिए हम दोनों भूखे थे.
मैंने तो स्कूल के दौरान में ही पोर्न फिल्म देखना चालू कर दिया था. इसलिए चुदाई का ज्ञान तो मुझे बहुत हो गया था. बस अब प्रैक्टिकल करना बाकी था.
जब ट्रेन मन्ज़िल की ओर चलना शुरू हुई तो मैंने भी शीना भाभी के दूध से सफेद मम्मों पर अपने हाथ रख दिए.
मेरे छूने मात्र से शीना सिहर उठी और उसने एक लंबी गहरी सांस ली. उसकी मक्खन जैसी मुलायम चूचियों को मैंने बहुत प्यार से दबाना शुरू किया.
आज शीना भाभी की आंखों में अजीब सा नशा था. उसने भी बिना देर किए, मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से ही पकड़ लिया वो मुझे एक प्यारी स्माइल देकर हवस भरी नजर से देखने लगी.
शीना ने मेरे कान में धीरे से कहा- मुझे आपका लंड देखना है … प्लीज़ इसे बाहर निकालो न!
जैसे ही मैंने लंड बाहर निकाला, शीना भाभी ने बिना देर किए मेरे लंड को अपने कोमल हाथों में कैद कर लिया और दबाकर कहा- बहुत बड़ा लंड है आपका, मेरे पति का तो गिल्ली है गिल्ली.
मुझे आज भी उसकी इस बात पर हंसी आ जाती है.
यह सारा नंगा खेल उसकी चुन्नी की आड़ में चल रहा था. ताकि हम पर कोई शक ना करे.
मुझे अच्छे से पता था कि क्या करना है. इसलिए मैंने उसके एक निप्पल को अपनी दो उंगलियों से दबा लिया और मींजने लगा.
अब शीना भाभी पूरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी. उसके निप्पल बिल्कुल सीधे कड़क हो गए थे.
वो एक अजीब अहसास था, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है.
निप्पलों को मसलने से वो एकदम गर्म हो गई.
मैंने भी शीना भाभी को जींस खोलने के लिए बोला. उसने अपनी जींस को थोड़ी ढीली कर दी. मैंने अपनी उंगली उसकी चूत की गहराई में उतार दी.
‘स्सस् आह्ह ओह्ह ..’ की आवाज आई और शीना ने एक गहरी सांस ले ली.
चुत में उंगली पाकर वो और ज्यादा गर्म हो गई. शीना भाभी की चूत एकदम गीली हो गई थी.
जब मैंने भाभी की चुत में तेज तेज उंगली करना शुरू की तो शीना भाभी आंख बंद करके मचलने लगी.
शीना भाभी की पैन्टी चूत के पानी से पूरी तरह भीग चुकी थी.
मैं शीना भाभी की गीली चूत में फुल स्पीड से उंगली करता रहा. शीना की चूत भट्टी की तरह गर्म हो चुकी थी और उसने अपने मुलायम हाथों से मेरे लम्बे लंड को मसलकर लोहे की रॉड बना दिया था.
अब मेरे लंड को शीना की चूत में प्रवेश करके उसकी चिकनी चूत को चोदकर भोसड़ा बनाना बाकी रह गया था.
मेरा लंड शीना भाभी की चूत की गहराई में उतरकर उसकी चूत को रगड़ रगड़ कर चोदना चाह रहा था. हम दोनों एक दूसरे में खो जाना चाहते थे.
चलती ट्रेन में चूत में उंगली करना और भी मजेदार हो गया था.
मैंने शीना से चुदाई के लिए कहा.
तब उसने कहा- इधर रेल सेक्स का पूरा मजा नहीं आएगा. हम बनारस पहुंचकर मेरे रूम पर चलेंगे. वहां मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत के रस में डालकर खूब चुदूंगी.
दोस्तो, यहां मैं एक बात बता दूं कि ट्रेन में हमने यह सेक्सी खेल बहुत सावधानी के साथ खेला था. जिससे किसी को भी हम दोनों पर शक नहीं हुआ.
सेक्स के खेल में सबसे ज्यादा जरूरी बात ये है कि आप जिसकी भी चूत चोदकर चबूतरा बनाना चाहते हैं, उस लड़की की मान मर्यादा और इज्जत का विशेष ख्याल रखें तथा प्राइवेसी बनाकर रखें.
हम दोनों की उत्तेजना चरम पर थी.
मुझे शीना भाभी की चूत का रसपान करना था. मेरा लंड पैन्ट से बाहर आने के लिए फनफना रहा था और शीना को मेरा लंड उसकी गीली चूत में लेने की चुदास सवार थी.
दो जवान बदन कब तक बर्दाश्त करते.
मेरे दुबारा कहने पर शीना भाभी ने कहा कि ओके आप ट्रेन के टॉयलेट में चलो, मैं पीछे से आती हूँ.
अब मैं उठकर टॉयलेट में चला गया. दो मिनट में शीना भी अन्दर आ गई.
मैंने झट से उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमना शुरू कर दिया.
शीना भाभी के शहद जैसे होंठों का रसपान करने में भारी आनन्द की प्राप्ति हो रही थी. मेरा मन कर रहा था कि इसकी चुत का सारा रस पी जाऊं.
मैंने एक हाथ शीना भाभी के टाप में अन्दर डालकर चूचियों को जोर जोर से दबाना शुरू किया. फिर सीधा शीना की दोनों चूचियों को बारी बारी से मुँह में भरकर उसके गुलाबी निप्पल चूसने लगा. दूसरे हाथ से उसकी चूत में उंगली करने लगा.
इधर शीना की मादक सिसकारियां ‘ओह्ह आह्ह म्हहा आहा ओह्हो ..’ माहौल को गर्म कर रही थीं.
फिर मैंने उसकी टाईट जींस को जल्दी से उतार दिया तो वो सिर्फ पैन्टी में रह गई थी. मैंने भाभी की पैन्टी को भी एक झटके में नीचे कर दी.
पैंटी हटते ही मुझे भाभी की गुलाबी चूत के दीदार हो गए.
आह क्या मस्त मादक रसभरी चूत थी … अम्मह आह्ह्हा हाय्य उम्मह … ऐसी मानो सर्दियों में हरी घास पर ओस की बूंदें चमक रही हों.
बिना रूके मैंने उसकी चूत को अपनी उंगलियों से थूक लगाकर गीला किया. चुत के दाने को धीरे से रगड़ा और चूत की दोनों फांकों को अलग करके लंड घुसाने का रास्ता बनाया.
मैंने शीना भाभी की आंखों में देखा तो वो चूत की गहराई में मेरे लंड के आगमन का आमन्त्रण दे रही थी.
अगले ही पल मैंने उसको डॉगी स्टाइल में खड़ा किया और अपने लम्बे मोटे लंड को शीना भाभी की चूत पर रगड़ दिया.
उसकी गीली चिपचिपी चूत ने आसानी से लंड को रास्ता दे दिया.
अगले ही पल मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में घुस गया था.
पहली बार चूत का मजा क्या होता है, मुझे इसका अहसास हुआ.
लंड के चूत में जाते ही शीना ने ‘आह्हह ..’ की आवाज निकाली और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी उसकी चूचियों को कसकर पकड़ लिया और चूत चुदाई स्टार्ट कर दी. मैं लंड को चुत में अन्दर बाहर करने लगा.
शीना भाभी भी मदभरी सिसकारियां लेने लगी- आह्ह आह्ह … अम्महा!
इधर मेरे लंड ने चुदाई की रफ्तार पकड़ ली थी. जिससे शीना की गीली चूत ने फच्च फच्च फक्च फचाक की आवाज से चुदना चालू कर दिया था.
चुदाई की मादक आवाज मेरी उत्तेजना और चुदाई के मजे को बढ़ा रही थी.
ये आवाज धीरे धीरे ‘फट्ट फट फट ..’ की आवाज में तब्दील होती चली गई और चुदाई का मजा बढ़ता ही जा रहा था.
मेरा मन तो कर रहा था कि शीना भाभी के मुलायम चूतड़ों को पकड़ कर उसकी चुत में अपने लंड को यूं पेले पड़ा रहूँ.
मगर शीना भाभी पांच मिनट के बाद ही अकड़ने लगी और अपनी चूत से कसकर मेरे लंड को दबाने लगी.
अगले ही पल शीना की चूत ने पानी छोड़ दिया.
उत्तेजना के चरम उल्लास में शीना की योनि रस से डूबे, मेरे लंड ने स्पीड और बढ़ा दी.
फिर 10-12 झटकों के बाद मेरे लंड ने भी शीना की चूत में पानी टपका दिया.
मेरे लंड से निकले वीर्य ने शीना को चरमसुख की प्राप्ति दे दी थी. उसकी योनि को लिंग ने रगड़ कर तृप्त कर दिया था.
इसके साथ ही मुझे शीना ने कसकर पकड़ा और गले लगा लिया.
दोस्तो, दो मिनट तक शीना भाभी मेरे गले से लगी रहीं.
जब मैंने उसके माथे पर चुम्बन दिया तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू साफ नजर आ रहे थे.
वो मेरा शुक्रिया अदा कर रही थी कि उसकी योनि को चरम सुख मिल गया था.
यह अहसास वो भाभी या लड़की ही अच्छे से समझ सकती है, जिसे कई महीनों से लंड ना मिला हो.
मैंने शीना भाभी की चूत की आग को अपने लंड के रस से शान्त कर दिया था.
उसके बाद हम दोनों वापस अपनी सीट पर आकर बैठ गए.
स्टेशन पहुंचकर हमने जल्दी एक दूसरे से मिलने का वादा किया और अपने अपने स्थान को रवाना हो गए.
दोस्तो मेरी रेल सेक्स कहानी आपको कैसी लगी. सभी दोस्त भाभी और लड़कियां, आंटियां अपने विचार लिखकर मुझे जरूर मेल करें.
अगर आप लोगों के प्यार भरे कमेन्ट मिले, तो मैं आप लोगों को अपनी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा कि मैंने कैसे शीना भाभी की उसके घर पर चूत चुदाई की.
धन्यवाद.
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