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पड़ोसन ने नखरे करके गांड मरवाई

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पोर्न आंटी की मोटी गांड का मजा मैंने लिया आंटी की चूत चुदाई करने के बाद! उसकी चूत चोद कर मेरा मन नहीं भरा। अब मेरी नजर आंटी की गांड पर थी!

दोस्तो, मैं रोहित आपको अपनी पड़ोसन आंटी की चुदाई की कहानी बता रहा था।

पहले भाग
पड़ोसन आंटी की नखरीली चूत
में मैंने बताया था कि कैसे मैंने आंटी को धीरे धीरे करके चुदाई के लिए पटाया। किसी तरह मैं आंटी की चूत चोदने में कामयाब हो गया और मैंने चोद चोदकर 2-3 बार उसकी चूत का पानी निकलवा दिया।

अब आगे पोर्न आंटी की मोटी गांड की कहानी:

आंटी की हालत खराब हो चुकी थी, वह कहने लगी कि कुछ देर उसको आराम करना है।
लेकिन मेरा लंड अभी शांत नहीं हुआ था।

मैं फिर से आंटी की चुदाई शुरू करने के लिए खुद को रोक नहीं पा रहा था।
इसलिए मैंने आंटी की टांगों को फिर से खोल लिया और उसके भोसड़े में लण्ड फिट कर दिया।

अब मैंने उसको मेरी बांहों में फंसा लिया और फिर मैं गांड उठा उठाकर उसको चोदने लगा।
वह फिर से सिसकारने लगी.
लेकिन अबकी बार दर्द भी इसमें शामिल था- आह्ह आह्ह … आह्ह इस्स्स … ऊंह्ह … ओह आह्ह।

मैं उसको कसकर बजा रहा था।
वह मुझे अपनी बांहों में फंसा चुकी थी।

हम दोनों ही फिर से चूत और लण्ड की प्यास में पसीना बहाने लगे थे।
मेरा लंड फुल स्पीड में आंटी की चूत ले रहा था।

वह चिल्लाते हुए बोली- आईई … इस्स्स … ओह आह्ह … … आईई … आईई … मुझे तेरे ऊपर शक हो रहा है रोहित!
मैं- कैसा शक?

आंटी- यही, कि ये तेरा ही लण्ड है या फिर किसी घोड़े का? ढीला ही नहीं पड़ रहा है।
मैं- तू जिसका समझे उसका ही ठीक है महिमा। मुझे तो बस्स … तुझे बजाना है।
मैं झमाझम आंटी को चोद रहा था।

तभी आंटी का फिर से पानी निकल गया।
वह फिर से पसीने में भीग चुकी थी।

अब मेरा लण्ड भी रुकने सा लगा था।
तभी दो चार झटकों के बाद मेरा लंड पिघलने लगा और मैंने उसके भोसड़े में लंड को निचोड़ दिया।

पसीने से लथपथ होते ही उसने मुझे संभाला और छाती से चिपका लिया।
बहुत देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे।

आंटी चुप थी।
पर यह फिर से आने वाले तूफान से पहले की शांति थी।
आंटी अच्छी तरह से जानती थी कि अभी उसको बचे हुए तूफान का सामना भी करना है।

फिर मैं संभला और उसके बोबों को चूसना चालू कर दिया।
आह्ह! उसके मस्त रसीले बोबे चूसने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा मिल रहा था।
आज पहली बार मुझे बोबों का टेस्ट मिल रहा था।

मैं आराम से उसके बोबों को चूस रहा था।
आंटी मेरे बालों में हाथ डालकर उन्हें संवार रही थी।

फिर धीरे धीरे मैं स्पीड बढ़ाने लगा और चोदते हुए मैं भूखे शेर की तरह उसके बोबों पर टूट पड़ा- आह्ह ओह … बहुत मज़ा आ रहा है आंटी। हाय! क्या बोबे हैं!
आंटी- चूस ले रोहित जितनी तेरी मर्ज़ी हो। आज मैं तुझे नहीं रोकूंगी, तूने तो आज मेरी कली-कली को खुश कर दिया।

आंटी चूत के बाद अब बोबों को भी मेरे लिए फ्री कर चुकी थी।
मैं भी उसके बोबों को चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था; बरसों की प्यास आज मैं बुझा लेना चाहता था।

तभी मैं बोबों को चूसते हुए काटने लगा।
आंटी- इस्स्स … आह्ह … रोहित ऐसा मत कर, दर्द होता है यार! चूसने की चीज़ है चूस ले लेकिन काट मत!
लेकिन मैं आज आंटी की कहां सुनने वाला था, मैं तो उसके बोबों को दांतों में फंसा रहा था।

आंटी दर्द के मारे उछल कर सिसकार जाती- ओह … आह्ह आह्ह … इस्स्स … आईएईई आईई … धीरे … धीरे। मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूं।
वह बार-बार कह रही थी लेकिन मैं रुकने का नाम नहीं ले रहा था।

अंकल की फोटो के सामने उसकी स्वीटहार्ट के बोबे चूसने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

कभी अंकल ने भी सोचा नहीं होगा कि उसकी स्वीटहार्ट के जिन बोबों को वो चूसते हैं उन बोबों को कभी मैं भी चूसूंगा।

खैर, मेरे ऊपर उसके चूचों की धुन सवार थी।
मैंने बहुत देर तक उसके बोबे चूसे। चूसने और काटने से आंटी के बोबे लाल पड़ चुके थे।

आंटी- बहुत कमीना निकला तू, बहुत काटा है तूने।
मैं- कोई बात नहीं महिमा … लेकिन चूसने और काटने में बहुत मज़ा आया।

अब मैं उसके मखमली से पेट पर किस करने लगा।
आंटी और ज्यादा चुदासी होकर इधर-उधर हाथ-पैर मारने लगी।

मुझे तो उसके पेट को किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
पास में ही उसके भोसड़े से शानदार महक आ रही थी।

थोड़ी ही देर में आंटी का पेट मेरे थूक से गीला हो चुका था।
अब मैंने आंटी की गांड ऊपर उठाई और उसकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया।

फिर मैं उसके भोसड़े पर टूट पड़ा।
उसके गीले-गच्छ भोसड़े से अभी भी पानी बह रहा था।

अब मैं उसके भोसड़े को चाटने लगा।
आह! आंटी का गाढ़ा सफ़ेद माल नमकीन सा लग रहा था।
उसके भोसड़े से पानी पीने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

मैं आंटी की टांगें फैलाकर पूरी मस्ती में उसके भोसड़े को चाट रहा था।
चूत चटवाते हुए आंटी धीरे-धीरे सिसकारियां भर रही थी- ओह! इस्स्स … ऊंह्ह … ओह आह्ह … इस्स्स … आराम से रोहित इस्स्स!

आंटी बुरी तरह से कसमसा रही थी; वह बेडशीट को बार बार मुट्ठियों में कस रही थी।

कभी वह मुझे उसके भोसड़े पर से हटाने की कोशिश करती तो कभी वो मेरे मुंह को ज़ोर से चूत पर दबा देती थी।
मैं अब भी मस्ती में डूबा उसके गरमागरम भोसड़े को चाट रहा था।

अब मेरी जीभ उसके भोसड़े के गुलाबी दाने पर पहुँच गई।
मैं उसके गुलाबी दाने को जीभ से सहलाने लगा।

इससे आंटी पागल सी होकर सिसकारने लगी- इस्स्स … ओह रोहित, उसमें कुछ मत कर … ऊंह्ह … ओह इस्स्स … ओह … मम्मी … ऊंह्ह … बस कर … आह!
सिसकारते हुए आंटी मेरे बालों को नोंचने लगी और मेरे सिर को दूर हटाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैं उसके भोसड़े पर जमा रहा।

इतने में ही उसके भोसड़े से गरमागरम माल बाहर आने लगा और उसने जोर से मेरे सिर को भोसड़े पर दबा दिया।
आंटी बुरी तरह से पानी-पानी हो चुकी थी।

इधर मैं उसके भोसड़े के ज्वालामुखी को साफ कर रहा था।
मैंने उसके पूरे भोसड़े को चाटकर अच्छी तरह से साफ कर दिया।

अब मेरा हथियार फिर से उसको बजाने के लिए तैयार था।
मैंने उसके घायल भोसड़े में लंड रखा और उसको फिर से बजाने लग गया।
आंटी चुदते हुए फिर से सिसकारने लगी- आह्ह आह्ह … इस्स्स … ओह ऊंह्ह … ओह आईई …ई आईई … आह्ह आह्ह।

उसकी मादक सिसकारियां फिर से मेरे लण्ड को उबाल रही थीं।
मैं उसके भोसड़े में ताबड़तोड़ लण्ड दाग रहा था।

चुदाई इतनी जोशीली थी कि मैं उसको पेल पेलकर बुरी तरह से घायल कर रहा था।
आंटी बस चुदती जा रही थी।

तभी फिर से उसके भोसड़े में भूचाल आ गया और आंटी का पानी निकल गया।
वह फिर से पस्त हो चुकी थी।

मैं- आंटी, अब आप आपका अनुभव दिखाओ। मैं भी आपके अनुभव को देखना चाहता हूं। अंकल को तो आपने खूब अनुभव दिखाया है।

आंटी- अरे यार, रहने दे … मैं तो तेरे अनुभव से ही घायल हो गई।
मैं- अरे आंटी, शेरनी तो शेरनी होती है। वो घायल होने के बाद भी उठ खड़ी होती है।

आंटी को मेरी बात जम गई और बोली- ठीक है तो फिर!
अब वो उठ गई और मुझे नीचे पटक दिया।

वह फटाफट से मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी।
पुच्च-पुच्च की आवाज़ों से बेडरूम फिर से गूँजने लगा था।

किस करती हुई वो मेरी छाती पर आ गई और अपने अनुभव को बिखेरती हुई मेरी छाती पर किस करने लगी।
मैं उसके बालों को सहला रहा था।

किस करने के साथ साथ मेरी चेस्ट को वो बीच बीच में काट भी रही थी।

धीरे धीरे वो मेरे लण्ड की ओर बढ़ रही थी।
फिर वो मेरे लण्ड पर पहुँच गई और झट से उसने मेरे लण्ड को होंठों में लेकर मसल डाला।

आंटी- बहुत ही मस्त हथियार है यार! पता नहीं तूने इसे इतना मस्त कैसे बना लिया?
मैं- सब आपकी मेहरबानी है आंटी!

आंटी मेरे लण्ड को बड़े ही मस्त तरीके से अपने होंठों के नीचे मसल रही थी।
उसकी आंखों में वासना तैर रही थी।
उसने मेरे लण्ड को रगड़कर लाल कर डाला।

अब उसने लण्ड को मुंह में भरा और चूसने पर टूट पड़ी।
मशीन की तरह वो मेरे लंड पर मुंह चला रही थी।
उसके काले बालों के नीचे मेरा लंड ढका हुआ था।
वह बार बार बालों को हटाते हुए लंड चूसने का नजारा मुझे दिखा रही थी।

मेरी सिसकारियां छुटवा दीं उसने- आह्ह … हाए … आह् आंटी … बड़ी खिलाड़ी हो आप तो … आह्ह … चुसवाने में इतना मजा मिलता है … मुझे तो पता ही नहीं था।
बिना कुछ जवाब दिए आंटी अपनी जीभ का कमाल मेरे लंड पर दिखा रही थी और मैं लंड के साथ-साथ मैं भी मस्त होता जा रहा था।

आंटी ने लंड चूस चूसकर मेरा हाल बेहाल कर दिया।

अब आंटी मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गई और झट से उसने भोसड़े में लण्ड सेट कर लिया।
वह गांड उछाल उछाल कर भोसड़े में लण्ड ठोकने लगी। वह सिसकारते हुए कह रही थी- आह्ह आह्ह … इस्स्स … आहा आह्ह आह्ह उँह … ओह रोहित … बहुत अच्छा लग रहा है।

आंटी सटासट भोसड़े में लण्ड ले रही थी।
उछलने के साथ ही उसके बोबे बहुत बुरी तरह से हिल रहे थे।

अब झटकों की बढ़ती हुई स्पीड के साथ ही आंटी पसीने में भीगने लगी थी।
आज आंटी अपने तरीके से जिस्म की भूख मिटा रही थी।

फिर कुछ देर में आंटी का पानी निकल गया और आंटी पानी पानी होकर मुझसे लिपट गई।

थोड़ी देर बाद मैंने उसको नीचे पटका और मैंने फिर उसकी टांगों को हवा में उठा दिया।
अब मैं आंटी की चूत में फिर से लण्ड ठोककर उसके भोसड़े में पेलमपेल करने लगा।

आंटी का तो पहले ही बहुत सारा पानी निकल चुका था लेकिन मैं फिर से आंटी का पानी निकालने में लगा हुआ था।

अब आंटी फिर से दर्द से करहाने लगी थी- आह्ह इस्स्स … आह्ह आह्ह … ओह ऊंह्ह … ओह इस्स्स … आह्ह आह्ह।
आंटी की शक्ल को देखकर लग रहा था कि अब लण्ड लेने की आंटी की बस की बात नहीं रह गई है।
फिर भी मैं उसको बजाये जा रहा था।

तभी आंटी का भोसड़ा फिर से गरमागर्म पानी से भर गया।
अब मैंने उसको उठाया और बेड से उठाकर नीचे ले आया।
मैंने उसको बेड के सहारे झुका दिया और उसकी चिकनी पीठ को किस करने लगा।

इधर नीचे मेरा लण्ड अब आंटी की गांड में घुसने की तैयारी कर रहा था।
मैं लण्ड को आंटी की गांड के द्वार पर घिसने लगा।

तभी आंटी मेरा इरादा भांप गई और वो उठने की कोशिश करने लगी।

वो बोली- यार रोहित, प्लीज गांड में मत डाल … पहले ही तूने मेरा इतना बुरा हाल कर दिया है। अब गांड मारेगा तो मैं तो मर ही जाऊंगी!
मैं- अरे आंटी, आप चिंता मत करो, मस्त रहो, कुछ नहीं होगा।

आंटी- मुझे सब पता है यार, बहुत दर्द होता है। ऊपर से तेरा इतना मोटा-बड़ा लण्ड मेरी तो गांड ही फाड़ देगा। नहीं यार, मैं नहीं झेल पाऊंगी।
मैं- यार आंटी, आपकी गांड मारने की बहुत इच्छा हो रही है। अब मैं भी क्या करूँ? लण्ड मान ही नहीं रहा है।

आंटी चुप हो गई।
वह समझ चुकी थी अब उसकी गांड मेरे लण्ड से नहीं बच सकती।

मैं फिर से आंटी की गांड के सुराख़ में लण्ड सेट करने लगा।
आंटी- अब यार ऐसे ही गांड मारेगा क्या? थोड़ा तेल तो लगा!

तब मैंने आंटी की ड्रेसिंग टेबल से तेल लिया और फिर बहुत सारा तेल आंटी की गांड पर लगा दिया।

मैंने मेरे लण्ड को भी तेल लगाकर तैयार कर लिया।
अब मैंने फटाफट से आंटी की गांड में लण्ड जमाया और फिर ज़ोर का शॉट मार दिया।

मेरा लण्ड एक ही शॉट में आंटी की गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।
तभी आंटी बुरी तरह से चीख पड़ी- आईई … ई मम्मी मर गई … ई … आईई … ई ओह रोहित बहुत दर्द हो रहा है। आईई … निकाल ले … प्लीज।

मेरा मोटा तगड़ा लण्ड आंटी की टाइट गांड में फंस चुका था।
तभी मैंने लण्ड बाहर खींचा और फिर से आंटी की गांड में लण्ड पेल दिया।

अब मैं आंटी की कमर पकड़ कर गांड मारने लगा।
आंटी दर्द से बहुत बुरी तरह से झल्ला रही थी।

मैं ताबड़तोड़ पोर्न आंटी की मोटी गांड में धक्कमपेल कर रहा था।
आंटी मेरे लण्ड के तूफान को ज्यादा देर नहीं झेल पाई और आंटी का पानी निकल गया।

मैं चोदते हुए- ओह महिमा … आह्ह … गांड फाड़ दूंगा आज तो तेरी!
आंटी भी चुदते हुए- आईई … आईई … इस्स्स … आह्ह आह … आह्ह … मार ले जितनी मारनी हो उतनी … अब तो मेरी गांड फट ही चुकी है।

मैं ज़ोर ज़ोर से आंटी की गांड में लण्ड पेल रहा था।
आंटी की मस्त गांड मारने में मेरे लण्ड को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
वह मस्त होकर गांड मरवा रही थी।

अब आंटी गांड मरवाकर बहुत ज्यादा थक चुकी थी, वह बोली- बस्स … रोहित बस रहने दे। अब मेरे बस की बात नहीं है।
मैं- बस थोड़ी देर और आंटी।
फिर मैंने थोड़ी देर और आंटी की गांड ठुकाई की और फिर उसको वापस बेड पर ले आया।

ताबड़तोड़ ठुकाई से उसके जिस्म का पुर्ज़ा पुर्ज़ा हिल चुका था। वह बहुत थकी हुई सी नज़र आ रही थी लेकिन मेरे लण्ड में अभी भी आग बाकी थी।
अब मैंने फिर से आंटी की टांगों को खोला और फिर फट से उसके भोसड़े में लण्ड दाग दिया।

मैं चोदने लगा- इस्स्स … आह्ह आह्ह … इस्स्स … ऊंह्ह … ओह आह्ह ओह ऊंह्ह … ओह सिसस्स।
वो भी अब धीरे धीरे सिसकारियां भर रही थी।
मेरा लण्ड अभी भी उसके भोसड़े में खलबली मचा रहा था।

उसने कभी नहीं सोचा होगा कि मैं उसको इतनी बुरी तरह से बजा दूंगा। मैं मस्त होकर उसको बजाये जा रहा था।
आंटी- आह्ह आह्ह … इस्स्स … आह्ह रोहित, जल्दी ख़त्म कर बच्चे आने वाले हैं।
मैं- हां आंटी बस्स … आह्ह … आह्हा।

मैंने उसको ताबड़तोड़ बाजना शुरू कर दिया।
मेरे लण्ड के ज़ोरदार झटकों से उसके बोबे उछलने लगे।

तभी कुछ देर की ताबड़तोड़ ठुकाई के बाद मैंने लण्ड को उसके भोसड़े में रोक दिया और फिर उसके भोसड़े को मेरे लण्ड के पानी से भर दिया।

खतरनाक तूफान अब शांत हो चुका था।
आंटी मुझे उसकी बांहों में भर चुकी थी।

फिर कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए।
बेडरूम में देखा तो चारों तरफ हमारे कपड़े बिखरे पड़े थे।

सने उसकी चड्डी उठाकर भोसड़े को साफ किया जिसमें से अभी भी रस टपक रहा था।
फिर आंटी कपड़े पहनकर बाथरूम में जाने लगी।

आंटी- तू भी कपड़े पहन ले अब।
मैं- हां आंटी।

मैंने भी कपड़े पहन लिये।

आंटी- जान ही निकाल दी होती तूने तो!
मैं- हां यार आंटी, कुछ ज्यादा जोश चढ़ा हुआ था मुझे!
वो बोली- चल कोई बात नहीं … लेकिन जो मैंने तुमसे कहा था उसका पूरा ध्यान रखना।
मैं- जी आंटी।

फिर मैं उसको चोद कर मेरे घर आ गया।

तो दोस्तो, आपको यह पोर्न आंटी की मोटी गांड कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके ज़रूर बतायें।
मेरा ईमेल आईडी है– [email protected]

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