युवा लड़की का पहला सेक्स दर्द भरा ही होता है. इस कहानी में पढ़ें कि जब मैंने 19 साल की एक लड़की की बुर फाड़ी तो उसका क्या हाल हुआ.
हैलो फ्रेंड्स, मैं राहुल एक बार फिर से आपकी सेवा में हाजिर हूँ.
मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
दूसरी कुंवारी चूत चोदने की तैयारी
में आपने अब तक पढ़ लिया था कि मैं मंजू को नंगी करके सिर्फ एक पैंटी में ला चुका था.
अब आगे लड़की का पहला सेक्स दर्द भरा:
तभी मैंने देखा कि मीना दरवाज़े की ओट से हम दोनों को देख रही है.
हम दोनों की नजर मिलीं तो वो मुस्करा दी और थम्स अप करके चली गई.
मैंने मंजू की एक चूची को चूसना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची की मसलने लगा.
मंजू- आह आंह ओ उफ्फ्फ्फ सीई धीरे धीरे … आंह मत चूसो … उह उह दर्द करता है धीरे करो!
मेरे द्वारा मंजू की चूची को चूसना निरंतर चालू था.
कभी मैं एक चूची को चूसता, तो कभी दूसरी चूची को.
गोरी गोरी चूचियों में मेरे लव बाईट बनने लगे थे और उन निशानों से चूचियां लाल हो चुकी थीं.
‘आंह धीरे धीरे आह आशु काटो मत उफ्फ दर्द करता है उफ्फ …’
मेरे हाथ उसकी चूत से जिस पर रेशम से बाल थे, उससे खेल रहे थे. चुत के दाने का सहलाना मसलना चालू था.
तभी मंजू का बदन अकड़ने लगा- आह उफ्फ्फ आशु … कुछ निकल रहा रहा है मैं कट सी रही हूँ.
वो झड़ने लगी थी और उसकी चूत के पानी ने पूरी चादर को गीला कर दिया था.
मेरी उंगली चूत के छेद को ढूंढने लगी थी.
चूत के चिकने रस में भीगी उंगली को देर नहीं लगी. उसने चूत का द्वार ढूंढ लिया.
अगले ही पल सट से मेरी उंगली चूत के अन्दर चली गई.
‘आई ई ई ई ई मारोगे क्या!’
मेरा वहशीपन चरम पर था.
उसकी चीख ने मेरा उन्माद और बढ़ा दिया. उन्माद और वहशीपन ये सब मर्द में स्वाभाविक रूप से होता है और सम्भोग के समय सामने आता है, इसके लिए कहीं से ज्ञान लेने की जरूरत नहीं पड़ती.
यहां मैं ये कहूंगा कि मर्द थोड़ा आक्रामक, डोमिनेटिंग सा हो जाता है.
वो अपनी पार्टनर को मसल देना चाहता है और स्त्री को भी उसके हाथों मसला जाना अच्छा लगता है.
सटासट सटासट मेरी उंगली चूत के अन्दर बाहर हो रही थी.
आह आह आह आह … की मादक आवाजें मुझे और भी खूंखार कर रही थीं.
फिर मैंने दूसरी उंगली भी चूत के अन्दर कर दी.
‘उई मम्मी रे मर गई ई ई … उई बचा लो मुझे … मीना दी मुझे बचा लो … मुझे नहीं करना कुछ …’
मंजू की मादक सिसकारियों का शोर तेज था, सो उसके ऊपर लेट कर मैं उसके होंठों को चूसने लगा.
मैं अपनी गांड उठा कर लंड को चूत पर रगड़ने लगा.
अब मंजू सिर्फ घुटी घुटी सी आवाज निकाल पा रही थी ‘गूँ गूँ उ ऊं …’
मीना भरे बदन की उम्र में भी मंजू से ज्यादा मस्त माल थी. मेरा लम्बा लंड लेने में उसकी भी चीख निकल गई थी तो मुझे पता था कि मंजू भी जरूर चीखेगी.
मैंने नारियल तेल अपने निरोध चढ़े लंड में लगाया, जिसको मीना वहीं रख कर गई थी.
चूत तो गीली थी, फिर भी मैंने तेल लगा दिया.
दूसरे हाथ को नीचे ले जाकर मैंने लंड पकड़ा और उसको चूत पर रगड़ने लगा.
चूत के द्वार पर लंड को टिकाया और चूतड़ों को पीछे किया.
मंजू के होंठों से अपने होंठ चिपकाए और एक तेज झटका दे मारा.
मेरा आधा लंड चूत के अन्दर समा गया.
मंजू की एक तेज चीख उसके मुँह के अन्दर ही घुट कर रह गई. मंजू दर्द से बिलबिला गई, उसकी आंखें सफ़ेद सी हो गईं.
मैं रुक गया और उसके बदन को सहलाता रहा, चूची चूसता रहा.
धीरे धीरे मंजू होश में आने लगी. किला फतह हो चुका था, पर मंजिल दूर थी.
मैंने उसके होंठों को आज़ाद कर दिया था.
मंजू लगातार रो रही थी, उसकी आंखों से पानी गिर रहा था.
19 साल का अधखिला यौवन और एक भरपूर लंड का आक्रमण … सेक्स में दर्द तो होना ही था.
मंजू सुबकते हुए बोली- आशु निकाल लो … बहुत दर्द कर रहा है.
पर मैं बिना कुछ बोले उसकी चूची को चूसता रहा.
कुछ मिनट के बाद मंजू का रोना और बोलना बंद हो गया, सेक्स का दर्द कम हो गया.
अब वो ‘उम्म्ह … अहह … हय … याह … ’ की मादक सिसकारियां भरने लगी. उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट लिया था.
मेरा लंड उसकी छोटी सी चूत के अन्दर फंसा हुआ था.
ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड शेर जबड़े में फंसा हुआ है. मैं अपने लंड पर चूत की पकड़ खुलती और बंद होती महसूस कर सकता था.
फिर मैंने आधे से ज्यादा लंड एक बार बाहर खींचा और एक झटके में पूरा अन्दर कर दिया.
‘अह्हह अह्ह उईईई मांआअ मर गई …’
मंजू फिर चीखी- न..ननहीं … आह्ह मर गई आहह … मम्मी बहुत दर्द हो रहा है … उफ्फ्फ मीना दी बचा लो मुझे. आंह आशु छोड़ो मुझे!
मैं लगा रहा और आवाजों में परिवर्तन होते देर न लगी.
‘आआह आह्ह ह्ह उफ्फ्फ हां हां हां उफ्फ्फ अच्छा लग रहा है आशु आशु आशु हां हां हां और करो.’
अब मैं फुल स्पीड में था.
कुछ देर बाद मंजू मुझे को पकड़ कर मस्ती में चिल्लाती हुई अकड़ने लगी.
‘आआह … आह … म्म्म्म और तेज से करो आशु हां हां … मेरे आशु … अअह … अअअर .. तेज तेज …’
शायद उसका रस निकल गया था मगर अब वो मेरे हमलों से चीख नहीं रही थी बल्कि निढाल सी हो गई थी.
दस बारह धक्कों के बाद मंजू फिर से गर्मा गई और मस्ती से चुदवाने लगी.
मुझे विश्वास नहीं हुआ कि जो मंजू अभी बेहोश होने वाली थी. वह मेरा इतना बड़ा और मोटा लंड तेजी से अपनी चूत में ले रही है.
तभी उसकी आवाज़ें निकलनी शुरू हो गईं- आ आ अहह आ आआ अहहः ऊऊहह!
कुछ ही देर में मंजू एक बार फिर से टपकने को हो गई ‘उह्ह्हह इईई … श्श्श्शश … ईईईई … मम्मीईईईई …’
मैंने धीरे धीरे लंड को चूत के अन्दर बाहर करना शुरू किया, तो मंजू की चूत ने ढेर सारा रस छोड़ दिया. मेरा लंड आसानी से चूत में फिसलने लगा था.
मंजू की चीखें अब सिसकारियों और मादक आवाजों में बदल गई थीं- आह आ…आशु अच्छछाआ लग रहा है … आह अन्दर गुदगुदी हो रही है!
मेरा लंड पिस्टन की भांति चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
‘हा हां अफ आ आह्ह्ह … ओह्ह्ह … उफ्फ उईई … मम्म्म …’
मेरा लंड अन्दर जाता तो मेरी जांघ उसके उठे हुए बदन से टकरा कर मस्त शोर करती.
‘पट पट पट पट …’
उसी के साथ मंजू की आवाजें संगीत को मदमस्त कर रही थीं.
‘आह्ह तेज करो आशु उफ्फ …’
मेरी गांड पीछे जाती और फिर आगे जाकर चूत में घुसने की कोशिश करती.
करीब दस मिनट तक मैं उसे धकापेल ही चोदता रहा.
फिर मैं अलग हुआ तो लंड से निरोध निकल गया.
मैंने चारपाई के किनारे खींच कर मंजू को खड़ा कर दिया. उसे पीछे घुमाया और उसका सर गद्दे पर दबा दिया.
उसकी गांड उभर कर बाहर आ गई थी.
जब तक मंजू कुछ समझती, तब तक मैंने एक दूसरा निरोध निकाल कर लंड पर चढ़ाया और चूत में लंड उतार दिया.
‘उई ईई ई मां मरर..र गई..ईई …’
मैंने एक हाथ से उसकी कमर और दूसरे हाथ से उसके बाल पकड़े और फिर दनादन उसकी चूत पर लंड का प्रहार करना शुरू कर दिया.
अब आप सोच रहे होंगे कि ये सब मैंने कैसे किया, तो मैं आपको बता दूँ कि मस्तराम की किताब में ही पढ़ कर किया था.
अभी मंजू के साथ धकापेल चुदाई चल रही थी और चुदाई इतनी तेज हो रही थी कि मीना की चारपाई भी हिलने लगी थी.
उसमें से चूं चूं की आवाज हमारी जांघों की पट पट चट चट की आवाज से मिल कर बड़ा ही मधुर संगीत पैदा कर रही थी. उन दोनों आवाजों में हम दोनों की ‘अह्ह्ह अह्ह आह आआह … ईईईई …’ की आवाजें मदमस्त वातावरण पैदा कर रही थीं.
मेरी झांटें चूत के लिसलिसे से रस में भीग कर सफ़ेद झाग सी बना चुकी थीं.
कुछ ऐसा ही हाल मंजू की चूत का था. गांड और चूत के आस-पास सब सफ़ेद सफ़ेद सा हो गया था और उसकी जांघों से होता हुआ नीचे गिर रहा था.
उसकी जांघें चौड़ाए हुए मैं दे दनादन धक्के लगाने में लगा था.
मंजू की मीठी आहें और कराहें मुझे शेर की तरह दहाड़ने पर मजबूर कर रही थीं.
मंजू- उई ईई ई मांआ मर गईई बचा लो मुझे … आंह मीना दी बचा लो मुझे.
अब मंजू में जरा सी भी ताकत बची नहीं थी. वो एकदम निढाल सी मेरे लंड के प्रहार झेल रही थी.
दूसरी ओर मेरे अन्दर उबाल सा आने लगा था. मैंने अपने शॉट और तेज कर दिए.
फिर कुछ दसेक धक्कों के बाद मैं तेज आवाज के साथ उस पर ढह गया.
हालत ये थी कि मंजू मेरे नीचे दबी हुई कराह रही थी और मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उसके ऊपर से उठ जाऊं.
तभी मुझे किसी ने हिला कर अलग करके चारपाई पर धकेल दिया और मंजू को पलटा कर मेरे बगल में लिटा दिया.
मेरी अधखुली आंखों ने देखा कि वो मीना थी. मैंने आंखें बंद कर लीं और नींद के आगोश में चला गया.
करीब दस मिनट के बाद मीना ने मेरे चेहरे पर पानी डाल कर मुझे जगाया.
इन दस मिनटों में क्या हुआ वो मुझे मालूम ही न था.
मीना मंजू को सहारा देकर बाथरूम ले गई.
वहां उसने मंजू को अच्छे से नहला कर उसकी चूत की सफाई की और सिकाई की; उसको कपड़े पहनने में मदद की.
फिर उसको दर्द की गोली दी और उसको ले जाकर स्टडी रूम में सुला दिया.
मैंने भी अपने को साफ किया, अपने कपड़े पहने और मीना को किस करके अपने घर आकर सो गया.
ये थी मेरी और मंजू की चुदाई, जिसमें मीना ने सहयोग किया था.
देर शाम को मैं उठा तो देखा अंजू मां के साथ बैठी थी.
उसके हाथ में किताब थी, तो मैं समझ गया कि ये मुझसे कुछ पूछने आई है.
मां खाना बनाने की तैयारी कर रही थीं.
पापा अभी आए नहीं थे.
मेरे दोनों भाई भी नहीं दिख रहे थे.
मैं अंजू को लेकर अन्दर अपने स्टडी रूम में चला गया.
अन्दर जाते ही अंजू मेरे से लिपट कर मेरे होंठ चूसने लगी और अपनी अधखिली चूचियां मेरी छाती से रगड़ने लगी.
उसका एक हाथ ने जैसे ही मेरे लंड को दबाया, तो मेरी ‘आह्ह्ह्ह …’ निकल गई
अंजू- क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं.
अंजू- बताओ न …
मैंने कुछ झल्ला कर बोला- कहा न कुछ नहीं हुआ.
अंजू- एक बात पूछू, ये मंजू को क्या हुआ है?
मैंने चौंककर पूछा- क्या हुआ?
अंजू- कुछ नहीं, वो मीना दी के घर से आकर सो गई. मैंने देखा उसकी गर्दन में लाल लाल निशान बने थे.
मैं- तो मेरे से क्यों पूछ रही हो, मीना दी से पूछो न.
अंजू- नहीं पूछ सकती न, तुम बता दो ना कि उसे क्या हुआ है?
मैं- मुझे नहीं पता.
पर मेरा दिमाग बहुत तेज चल रहा था. मैं सोच रहा था कि अगर अंजू को समझ में आ रहा है, तो इसकी मां को को भी समझ में आ जाएगा. ये विचार आते ही मेरे दिल में एक डर सा बैठ गया.
मुझे कुछ न बोलते देख कर अंजू गुस्से में वहां से चली गई.
डर के मारे मैंने दो दिन तक किसी बात नहीं की, ना ही मैं खेलने गया.
दो दिन बाद खुद मीना ने मुझे बुलाया.
मीना- क्या हुआ तुमको?
मैं- कुछ भी तो नहीं!
मीना- मतलब निकल गया तो मेरे से बात करना बंद कर दिया!
मैं- मतलब कैसा मतलब!
मीना- मंजू को मिलाने का.
मैं चुपचाप खड़ा रहा और फिर मैंने अंजू वाली बात मीना को बता दी.
मीना- मैंने तुमसे कहा था कि मंजू छोटी है, तुम्हारा सह नहीं पाएगी, पर तुम तो उसके साथ जानवर जैसे बन गए थे. कितनी बेहरहमी से तुमने उसके साथ किया, मैंने सब देखा था. उसके नीचे से कितना खून निकला … पता भी है तुमको!
मैं चुप खड़ा रहा.
मीना- चुप क्यों हो!
मैं- क्या बोलूं, मुझे पता नहीं क्या हुआ था … अब कैसी है मंजू?
मीना- अब वो ठीक है. अच्छा हुआ जो उसकी मां उस दिन घर पर नहीं थी वरना हम तीनों की खैर नहीं थी.
मेरे से मीना और मंजू दोनों ही चुद रही थी और किसी को कानोंकान इस बात की खबर नहीं थी.
मीना समझदार थी तो वो काफी सावधानी बरत लेती थी, पर मंजू में बचपना बहुत था.
सो वो कई बार जाने अनजाने में हरकत कर जाती थी और वो भी सबके सामने.
इसका समाधान भी मीना ने ही किया.
वो उसको समझाने लगी और धीरे धीरे मंजू में भी परिपक्वता आ गई.
मैं एक महीने में उन दोनों की तीन तीन बार तो चूत चोद ही लेता था और अंजू से भी ऊपर ऊपर का मज़ा ले लेता था.
होली में हम सबने काफी मस्ती की. मैंने तीनों की चूत चूची अच्छे से रगड़ीं और लाल रंग से रंग दीं.
तो दोस्तो, इस मस्त सेक्स कहानी को मैं यहीं विराम दे रहा हूँ. लिखने को आगे भी बहुत कुछ है, पर मुझे लगता है कि आगे का हाल कुछ विश्राम देकर लिखा जाए. क्योंकि इससे पाठकों भी अच्छा लगेगा. मीना और मंजू के साथ थ्रीसम सेक्स कहानी का मजा आपको बेहद मजा देगा.
मेरी यौन अनुभूतियां काफी ज्यादा हैं … बहुत कुछ है बताने को, जिससे नई जवान होती लड़कियों और लड़कों को अपने यौन सम्बन्धों, सेक्स की जानकारी में मदद मिलेगी.
मैं एक एक करके और भी चुदाई की काम कथाएं आपके सामने लाऊंगा. तब तक इंतज़ार कीजिए. सेक्स करते रहिए और अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ते रहिए.
आशा है आप सबको पढ़ कर काफी अच्छा लगा होगा. आपके अमूल्य विचारों का स्वागत है. आप कमेंट्स बॉक्स में, ईमेल पर … या फिर किसी भी सोशल प्लेटफार्म पर मुझे बता सकते हैं. यकीन मानिये आपके विचार हमको और बेहतर लिखने को प्रेरित करते हैं.
दर्द सेक्स कहानी के अंत में मेरा ईमेल एड्रेस लिखा है.
आप सबके प्यार के लिए अनेकों धन्यवाद.
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