देसी लेडी सेक्स स्टोरी उत्तराखंड के पहाड़ी गाँव की है. तब मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा पता नहीं था पर मैंने पापा को मम्मी के ऊपर चढ़े हुए देखा था.
दोस्तो, मैं उत्तराखंड के एक गांव से हूँ और आज आप सभी को एक अपनी देसी लेडी सेक्स स्टोरी सुना रहा हूं. यह एक सत्यकथा है.
मेरे घर में हम चार लोग हैं. पापा मम्मी और हम दो भाई.
मेरा भाई छोटा है.
हालांकि हमारा घर सयुंक्त है मगर चाचा, दादी दादा आदि अलग अलग हिस्सों में रहते हैं.
ये बात तब की है, जब मुझे सेक्स के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था.
हमारे गांव में उस समय लाइट नहीं थी. तब सभी के घर में लालटेन या ढिबरी आदि ही हुआ करती थी.
हमारे घर में भी लालटेन थी. पापा उसी की रोशनी में हम दोनों भाइयों को पढ़ाते थे.
मेरे पापा मजदूरी करते थे. मम्मी भी खेतों में काम करती थीं.
एक बार मेरी तबियत खराब थी तो मैं स्कूल नहीं गया था.
मैं घर पर ही अपनी चारपाई पर लेटा था.
तभी मुझे कुछ खुसुर फुसुर की आवाज आई. मुझे लगा कि चूहा होगा.
मैंने उठ कर देखा तो पापा मम्मी के ऊपर चढ़े हुए थे.
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या हो रहा है … मैं बस उन दोनों को देखता रहा.
पापा मम्मी के ऊपर जोर जोर से हिल रहे थे और मम्मी की मद्धिम स्वर में आवाजें निकल रही थीं.
कुछ देर बाद पापा मम्मी के ऊपर से उठ कर अलग हुए और बाहर चले गए.
मेरी मम्मी ने अपनी साड़ी नीचे की और वो भी उठ कर बाहर चली गईं.
मैं सो गया.
एक दो दिन में मेरी तबियत ठीक हो गयी और मैं फिर से स्कूल जाने लगा.
पर बार बार मुझे वो पापा मम्मी वाली बात याद आ रही थी जो वो दोनों कर रहे थे.
मैंने अपने स्कूल के एक बड़े लड़के से पूछा कि जब एक आदमी किसी औरत के ऊपर चढ़ा होता है, तो वो क्या करते हैं.
उसने हंस कर कहा- वो दोनों बच्चा पैदा करने के लिए ऐसा करते हैं.
मैं- अच्छा.
वो बोला- तूने किसे देखा?
मैं कुछ नहीं बोला.
फिर वो बोला- चल आज तुझे कुछ दिखाता हूँ.
मैं- क्या?
उसने मुझे अपना लंड दिखाया और बोला- ये है लंड और औरत की होती है चुत, तूने देखी है?
मैंने मना कर दिया.
उसने कहा- मैं तुझे सब बताऊंगा … पर तू किसी को नहीं बोलेगा तो नहीं?
मैंने ‘नहीं …’ बोला.
वो बोला- ठीक है, कल से जब भी हम गाय को चराने लेकर जाएंगे, तब यही बात करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर अगले दिन से वो मुझे हर चीज बताने लगा.
मैं भी रूचि लेने लगा.
एक दिन उसने कहा- तू मेरा लंड हिला.
मैं- नहीं, मैं नहीं हिलाऊंगा.
उसने कहा- मैं तुझे एक किताब दिखाऊंगा. उसे देख कर तुझे मजा आ जाएगा.
मैं- पहले दिखा.
वो बोला- ठीक है, कल लेकर आऊंगा.
मैं- ठीक है. फिर मैं भी कल ही हिला दूंगा.
वो कुछ नहीं बोला.
अगले दिन उसने मुझे किताब दिखाई, जिसमें सब अंग्रेज थे.
बहुत सारे लंड चुत मम्मों की चुदाई करते हुए सीन थे.
उस दिन मैंने उसका लंड हिलाया.
फिर मैंने उससे कहा- ये किताब मुझे दे दो.
उसने मना कर दिया.
मैंने कहा- मैं रोज तुम्हारा लंड हिलाऊंगा.
वो बोला- नहीं, एक काम कर!
मैं बोला- क्या?
वो- तू मुझे ये बताएगा कि तेरी मम्मी क्या क्या करती हैं.
मैं मान गया तो उसने मुझे किताब दे दी.
वो मुझसे मेरी मम्मी के बारे में पूछने लगा.
मैं भी उसे बताने लगा.
फिर वो चुदाई वाली बात पूछने लगा.
मैंने कहा- मैंने वो सब नहीं देखा है.
वो बोला- आज से देखेगा.
मैं- कैसे?
वो बोला- जब मम्मी पापा सोते हैं, तो तू क्या करता है?
मैं- मैं भी सो जाता हूँ.
वो बोला- आज से जब मम्मी पापा सोएं, तो उन्हें देखना.
मैं- ठीक है … आज देखूंगा.
मैं वो किताब लेकर घर चला आया और मैंने वो किताब घर में छुपा दी.
उस रात को हम सबने खाना खाया और लेट गए.
मैं आज जागा हुआ था.
मम्मी पापा बात कर रहे थे.
कुछ देर बाद मम्मी ने छोटे भाई को बिस्तर पर सुला दिया.
मैं चुपके से देख रहा था.
फिर मम्मी मेरी तरफ आईं तो मैंने आंखें बंद कर लीं.
मम्मी ने मेरी रजाई ठीक की और अपने बिस्तर पर जाने लगीं.
जैसे ही मम्मी पीछे घूमी, मैंने आंख खोल दी और उन्हें देखने लगा.
पापा बिस्तर के अन्दर चले गए थे.
मम्मी पापा के बिस्तर पर बैठ गईं और उनसे बात करने लगीं.
पापा का एक हाथ मम्मी के दूध पर था मम्मी धीरे से बोलीं- दूध में दर्द हो रहा है.
पापा बोले- आज नहीं दोगी क्या?
मम्मी कुछ नहीं बोलीं.
पापा बोले- लालटेन बंद कर दूँ क्या?
मम्मी बोलीं- नहीं रहने दो … कौन देख रहा है. अभी तो मुझे टॉयलेट भी जाना है.
ये कह कर मम्मी पापा के पास लेट गईं. पापा ने अपने कच्छा का नाड़ा खोला और मम्मी के ऊपर चढ़ गए.
पापा ने मम्मी की साड़ी ऊपर की और अपना लंड मम्मी की चुत के अन्दर डाल दिया.
मेरी मम्मी आह आह करने लगीं.
कुछ देर बाद फच फच की आवाज आने लगी.
फिर पापा मम्मी के ऊपर लेट गए और कुछ पल बाद वो नीचे उतर गए.
मम्मी कुछ देर लेटी रहीं.
फिर मम्मी उठीं और बाहर चली गईं.
वो कुछ देर बाद निपट के वापस आईं और अपने बिस्तर पर लेट गईं.
मैं अलग खाट पर सोता था बाकी सब अलग बिस्तर लगा कर सोते थे.
अगले दिन मैंने अपने उस दोस्त को सारी बात बताई.
उस दिन उसने अपना लंड अपने हाथ से ही हिलाया.
उसने लंड हिलाना शुरू किया तो मुझे लगा कि ये अब किताब मांगेगा.
उसी किताब की फोटो देख कर लंड हिलाना चाह रहा होगा.
मैंने उसके लंड को देखते हुए कहा- किताब तो में लाया ही नहीं.
वो हंस कर बोला- वो किताब अब तू ही रख ले.
मैं खुश हो गया.
अगले दिन से मैं फिर से स्कूल जाने लगा.
एक दिन मैं इन्टरवल में घर आ गया.
मैंने सोचा था कि अभी घर पर कोई नहीं होगा, तो मैं किताब देख लेता हूँ.
मैंने अपनी छुपाई हुई जगह पर किताब को उठाने के लिए हाथ डाला तो देखा कि किताब उधर है ही नहीं.
मैं डर गया कि कहीं मम्मी या पापा ने किताब न देख ली हो. मैं डर के मारे बेहाल हो गया.
तभी मम्मी आ गईं.
मम्मी कुछ नहीं बोलीं तो मैं भी चुप बैठा रहा.
रात को मुझे लगा कि आज पक्का पिटूंगा. पर पापा घर आए तो वो भी कुछ नहीं बोले.
मुझे डर लग रहा था.
पापा ने खाना खाया तो मैंने भी खा लिया.
अब मैं खाट पर लेट गया.
उस रात को पापा मम्मी से कुछ बोल रहे थे.
मैं सुन नहीं पाया.
अगले दिन पापा दिल्ली के लिए चल दिए.
उनके जाने के बाद मैंने मम्मी से पूछा- पापा कहां गए?
मम्मी ने कहा कि पापा की बुआ का पोता छत से गिर गया है. उसके साथ अस्पताल में कोई नहीं है, तो तेरी दादी ने उन्हें भेज दिया है.
मैं- पापा कब आएंगे?
मम्मी- पता नहीं.
मैं चुप हो गया.
एक दो दिन बाद में रात को देखा कि मम्मी कोई किताब देख रही हैं. मैं चुपचाप उन्हें देखता रहा.
कुछ देर बाद मम्मी ने किताब इतनी ऊपर रख दी, जहां मैं पहुंच नहीं सकता था.
अगले दिन मैंने किताब निकालने की बहुत कोशिश की पर नहीं निकाल पाया.
दो दिन बाद हमें मामा के घर जाना था. उधर शादी थी तो मम्मी सामान पैक कर रही थीं.
इतने में वो किताब नीचे मेरे और मम्मी के बीच में गिर गयी.
मैंने किताब उठाई, तो मम्मी ने किताब छीन ली.
मैं रोने लगा और बोला- मुझे देखनी है.
मम्मी बोलीं- चल चुप हो जा, यहीं पर देख ले … बाहर मत ले जाना.
मैं- ठीक है.
और मैं सेक्स किताब देखने लगा.
ये वही किताब थी, जो मैंने छुपाई थी.
किताब में नंगी तस्वीरें देख कर मैं मम्मी से पूछा- ये क्या है मम्मी?
मम्मी बोलीं- तूने देख ली न … ला दे अब.
मैंने किताब मम्मी को दे दी.
फिर मम्मी ने कहा- एक बैग तू उठा ले … एक मैं उठा लेती हूँ और तेरे भाई को भी ले लूंगी.
हम सब मामा के घर चल दिए.
पापा को गए एक महीना हो गया था, तो घर के कोई नहीं था.
घर के दूसरे हिस्से में सिर्फ दादी रह गई थीं. ये मेरे दादा की दूसरी पत्नी थीं. दादी मेरी मम्मी की उम्र जितनी ही लगती थीं.
दादा दादी से शादी करने के एक साल बाद ही मर गए थे.
मेरी मम्मी ने दादी से घर का ख्याल रखने की कही और उन्होंने हां कर दी.
अब हम सब निकल पड़े और सड़क पर आकर बस का इन्तजार करने लगे.
कुछ देर बाद बस आई तो उसमें बैठ गए. बस में हम एक तीन वाली सीट पर बैठे थे.
मामा के गांव से पहले एक आदमी हमारे साथ बैठ गया.
जब हम उतरे, तो वो भी उतर गया.
मम्मी ने उससे पूछा- आप कहां जा रहे हो?
उसने कहा- मैं शादी में जा रहा हूँ.
उससे बातचीत हुई तो वो मामा के घर ही जा रहा था.
अब उसने हमारा एक बैग उठा लिया था.
हम सब घर पहुंच गए.
मामा हम सभी को आया देख कर बहुत खुश थे.
वो आदमी भी मामा से मिल कर बातें करने लगा.
रात को सबने खाना खाया.
उस समय शादी में लाइट के लिए जनरेटर चलते थे इसलिए मुझे रोशनी देख कर बहुत अच्छा लग रहा था.
फिर मेहंदी लगाई जाने लगी तो मम्मी ने किसी से कहा- मेरे हाथ में भी लगा दो.
वो आदमी, जो हमारे साथ में आया था, वो मम्मी से बोला- लाओ अपना हाथ इधर करो … मैं लगा देता हूं.
वो मेरे पापा की उम्र का था.
मम्मी ने मुस्कुरा कर उसे हां कर दी.
मम्मी ने एक कम्बल ओढ़ रखा था, आधा कम्बल मेरे ऊपर डाला हुआ था.
वो आदमी भी कम्बल में आकर मम्मी के बाजू में बैठ गया और मेहंदी लगाने लगा.
कुछ देर बाद उसका पैर मम्मी के पैर से टच होने लगा था.
मम्मी कुछ नहीं बोल रही थीं.
जब उसने मम्मी के एक हाथ पर मेहंदी लगा दी, तो वो दूसरे हाथ को पकड़ने लगा.
मम्मी बोलीं- बस एक ही हाथ पर रहने दो.
वो उठने लगा तो मम्मी धीमे से बोलीं- अभी बैठ जाओ न, जब सब मेहंदी लगा लें, तब चले जाना.
वो मम्मी का इशारा समझ गया और फिर से बैठ कर उनका हाथ पकड़ कर मेहंदी लगाने की एक्टिंग करने लगा.
इस बार वो जरा खुल कर बैठ गया था. उसने कम्बल के अन्दर धीरे धीरे अपना हाथ मम्मी की साड़ी की अन्दर डाल दिया.
मम्मी ने आंखें बंद कर दीं.
कुछ देर बाद तभी मामा जी आए और बोले- चलो जल्दी से सब फोटो खिंचवा लो … बाद में जनरेटर बंद हो जाएगा.
सब उठ कर चले गए. मम्मी और मैं भी चले गए.
जब हमारा नंबर आया तो वो अकंल भी मम्मी के पीछे खड़े हो गए.
फोटो निकलवा कर हम अन्दर आ गए और सो गए.
अगले दिन वो आदमी मुझे शादी में नहीं दिखा.
मैं खुश हो गया.
शादी के बाद हम घर आ गए.
मैं फिर से स्कूल जाने लगा.
पापा अभी भी नहीं आए थे तो मम्मी परेशान हो गई थीं कि खेतों पर हल कौन चलाएगा.
एक दिन शाम को जिस दोस्त ने मुझे किताब दी थी, वो हमारे घर पर आया.
मुझे लगा कि वो किताब के लिए आया है.
मगर मैंने देखा कि वो मेरी मम्मी से कुछ बात कर रहा था.
मैं छिप कर उसकी बातों को सुनने लगा था.
तभी पता चला कि वो ही पापा की जगह खेत में हल चलाएगा.
मैं भी खुश था, वो मेरी मम्मी से काफी छोटा था.
अगले दिन से वो हमारा हल चलाने लगा.
उसी शाम को वो हमारे घर आया. मम्मी ने उसे खाना खिलाया.
खाना खाकर वो चला गया.
वो अब मुझसे बात नहीं करता था.
अगले दिन संडे था तो मम्मी ने चाय लेकर मुझे खेत में भेज दिया. मैं गया तो उसने चाय पी.
मैं बैठा था … तभी साण्ड का लंड बाहर आ गया.
यह देख मैं हंस पड़ा तो वो बोला- क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं.
वो बोला- साण्ड का देख कर मज़ा आ रहा है क्या?
मैं- हां.
इतने में मम्मी आ गईं.
मम्मी ने भी साण्ड का लंड देख लिया था पर वो कुछ नहीं बोलीं.
तब उस लड़के ने उठकर बैल खोल दिए और मुझसे बोला- चल, इन्हें लेकर आगे चल.
मैं उठा और बैल के पीछे चल दिया. उन्हें लेकर मैं घर की तरफ चल दिया था.
कुछ देर बाद मुझे ध्यान आया कि मैं खेतों में चाय के कप तो छोड़ ही आया हूँ.
मैं वापस खेतों की तरफ दौड़ा और उधर पहुंचा तो देखा मम्मी भी नहीं थीं.
वो लड़का भी नहीं था.
मुझे कुछ शक हुआ तो मैं पत्थर की तरफ छिपकर देखने गया.
उधर वो दोनों थे और दोनों बात कर रहे थे.
वो बोल रहा था- मेरा बहुत मन करता है, तुम तो खेत जुताई के पैसे नहीं दोगी, तो यही दे दो ना!
मम्मी कुछ नहीं बोल रही थीं.
तभी उसने मेरी मम्मी के चूचे दबा दिए.
मम्मी अब भी उससे कुछ नहीं बोलीं.
फिर उसने अपना लंड निकाला और मम्मी को लंड दिखाते हुए बोला- चलो हल्का सा झुक जाओ.
मेरी मम्मी झुक गईं.
उसने लंड चुत में सैट किया और अन्दर डालने वाला ही था कि किसी ने नीचे से आवाज लगा दी.
मम्मी बिना लंड लिए उठ कर चली गईं.
मैं भी चुपचाप वहां से घर आ गया.
उसी शाम को बारिश हुई तो मम्मी भीग कर घर आई थीं.
उस समय हमारे यहां पर कोई नहीं था. मम्मी ने अपने कपड़े खोल दिए और नंगी हो गईं.
वो मुझसे बोलीं- छोटू, मेरे कपड़े निकाल दे.
मैंने मम्मी का सूट और सलवार निकाल दिया.
मम्मी ने कपड़े पहने और आग के बगल में बैठ गईं.
वो चाय बनाने लगीं. मैं भी बैठ गया.
मैं मम्मी के सामने बैठा था.
तभी मेरी नजर मम्मी की सलवार पर गयी, वो नीचे से फटी थी और उनकी चुत दिख रही थी. मम्मी की चुत बैठने की वजह से खुली हुई थी और अन्दर से लाल लाल सी दिख रही थी.
मेरा शरीर अकड़ सा गया.
मम्मी ने मुझे चाय दे दी.
तभी वो लड़का अन्दर आ गया.
उसे भी ठंड लग रही थी.
वो भी मम्मी के बगल में बैठ गया.
मम्मी ने उसे भी चाय दी.
उसने चाय पी, पर मेरा ध्यान मम्मी की चुत पर था. वो दोनों बात कर रहे थे.
तभी मैंने देखा मम्मी की चुत पर किसी की उंगली थी. मुझे लगा मम्मी का हाथ होगा, पर मम्मी अपने दोनों हाथ से आग सेंक रही थीं.
तभी उस लड़के ने मेरी मम्मी के कान में कुछ कहा.
तो मम्मी ने मुझसे कहा- बाहर देख, कौन है?
बाहर गया मैं … तो देखा बारिश बहुत तेज शुरू हो गयी थी.
मैं अन्दर आया और मम्मी से कहा कि कोई नहीं है, तेज बारिश की आवाज आ रही है.
वो लड़का बोला- लगता है कल बर्फ गिर सकती है.
मैंने देखा कि उसका हाथ अभी भी मम्मी की चुत पर ही था.
मम्मी बिस्तर पर बैठ गईं, वो भी उठा और बाहर निकल कर फिर से अन्दर आ गया.
अब हल्का अंधेरा हो गया था.
आज रात को वो शायद मेरे घर में ही रुकने वाला था.
रात को वो मेरी मम्मी की चुत चुदाई करेगा.
देसी लेडी सेक्स स्टोरी के अगले भाग में उस विवरण को लिखूंगा.
आप मुझे मेल कर सकते हैं.
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देसी लेडी सेक्स स्टोरी का अगला भाग: पहाड़ी गांव में देसी चूत चुदाई के किस्से- 2