नेपाली सेक्स का मजा दिया मुझे मेरे पड़ोस में रहने वाली आंटी ने जो नेपालन थी. आंटी की चूत तो मैं पहले ही चोद चुका था. अब बारी थी उनकी गांड की!
दोस्तो, आपका मेरी सेक्स कहानी में स्वागत है.
मैं रवि अपनी पड़ोसन चंदा आंटी को चोदने लगा था और उनको गांड चुदाई के लिए राजी कर लिया था. उनकी गांड अभी कुंवारी थी और मैं उनकी कुंवारी गांड को चोदने का सुख लेना चाहता था.
ये सब आपने मेरी पहली सेक्स कहानी
पड़ोसन नेपालन आंटी की प्यासी चूत चुदाई
में पढ़ लिया था. उसकी लिंक दे रहा हूँ … प्लीज एक बार जरूर पढ़ें.
अब आगे नेपाली सेक्स का मजा:
कहानी में आगे बढ़ने से पहले, जो कोई मेरे बारे में नहीं जानता, उनके लिए मैं बताना चाहता हूँ कि मैं एक 31 वर्षीय युवक हूँ. मेरे लंड का साइज 6 इंच है जो किसी भी लड़की या औरत को पूरी तरह से खुश कर सकता है.
अपनी पड़ोसन चंदा आंटी को मैंने रात भर में चार बार चोदा और वैसे ही उनकी चूत में लंड डालकर सो गया था.
जब मैं जागा तो चंदा आंटी उठ कर जा चुकी थीं.
मैं उठा और फ्रेश होकर घूमने चला गया.
फिर अपने घर पर आकर आराम ही कर रहा था कि तभी चंदा आंटी का मैसेज आया ‘घर पर आ जाओ.’
मैं तैयार हुआ और उनके घर आ गया.
वो गाउन पहने बैठी थीं.
जैसे ही मैं अन्दर गया, उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी बांहों में लेकर किस करने लगीं.
मैंने भी उनका साथ दिया और हम दोनों एक दूसरे को गर्म करते रहे.
मैं आंटी को फिर से नंगी करने ही वाला था कि तभी फोन की घंटी बजी.
उनके पति का कॉल था.
आंटी के पति ने आंटी से कहा कि उनको घर आने में अभी टाइम लगेगा शायद ये हफ्ता भी निकल जाएगा.
चंदा आंटी मन ही मन खुश हो गईं और फोन काट कर मुझे अपनी बांहों में लेकर चूमने लगीं. वे मेरे लंड को कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगीं.
मैं गर्म हो गया और उन्हें वहीं लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया.
लेकिन उन्होंने मुझे हटाया और बोलीं- अभी ये सब नहीं, ये तो हम दोनों आज सारी रात करेंगे.
मैंने कहा- हां जान, रात में भी करेंगे और अभी भी करते हैं.
पर वे फिलहाल चुदाई के मूड में नहीं थी.
उन्होंने खुद उठते हुए मुझे भी हाथ पकड़ कर उठाया और बोलीं- चलो कहीं शॉपिंग करने चलते हैं.
फिर वे मुझे एक मॉल में ले गईं और मेरे लिए नए कपड़े लिए.
उन्होंने अपने लिए भी ड्रेस ले ली.
और उसके बाद एक दूसरी शॉप में घुस गईं. वो शॉप अंडरगारमेंट की थी.
उधर से उन्होंने कुछ नए टाइप के ब्रा पैंटी के सैट खरीद लिए.
वहां से हम दोनों एक होटल में गए, वहां खाना खाया.
उधर से घूमते रहे और कुछ कुछ खाते पीते रहे.
शाम को नौ बजे घर के लिए वापस चल दिए.
मैंने आंटी को उनके घर छोड़ा और मैं अपने घर आ गया.
करीब 12.30 बजे आंटी ने मुझे कॉल करके बुलाया.
मैं तुरंत उनके घर आ गया.
उनका दरवाजा अटका हुआ था, पर खुला था.
जैसे ही अन्दर गया, अन्दर का नजारा देख कर पागल हो गया.
वो एक फ्रॉक जैसे गाउन में थीं, जो उनके घुटनों से भी काफी ऊपर थी.
आप यूं समझ लीजिए कि उनकी जांघें भी आधी दिख रही थीं.
चूंकि ये गाउन एक पारदर्शी था, तो उसके अन्दर उन्होंने लाल रंग का ब्रा पैंटी का सैट पहना हुआ था, जो उसकी मदमस्त जिस्म पर बड़ा ही कामुक लग रहा था.
उनके रूप को देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था.
मैं उनके पास गया और उन्हें अपनी बांहों में लेकर किस करने लगा.
आंटी का हाथ भी मेरे लंड पर आ गया और पूरे लौड़े पर घूम रहा था.
देखते ही देखते उन्होंने मेरी पैंट और शर्ट को निकाल दिया और वो मुझसे अपने कपड़े निकालने को बोलीं.
मैंने भी झट से उनके फ्रॉक जैसे गाउन को निकाल फेंका.
जब मैंने उनका नया वाला ब्रा पैंटी का सैट देखा, तो उनको अपने से अलग करके देखने लगा.
इस नए ब्रा पैंटी के सैट में आंटी कयामत लग रही थीं.
मैंने झट से ब्रा को उतार कर आंटी के बड़े बड़े बूब्स को हाथ में पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा, उनके दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगा.
आंटी भी अपने हाथ से अपने दूध पकड़ कर पिलाने लगीं और आह आह करने लगीं.
मैंने उनके एक दूध को चूसते और दूसरे को मसलते हुए उनसे पूछा- जानेमन, इनमें दूध कब आएगा?
आंटी हंस दीं और बोलीं- अब तेरे लंड का ही सहारा है, जब वो अपना बीज मेरे खेत में बो देगा तो नौ महीने बाद फसल आ जाएगी. बस इनमें दूध आ जाएगा.
मैंने समझ लिया कि आंटी का मन मेरे लंड से बच्चा लेने का हो गया है.
मैं उन्हें गर्म करने लगा और चंदा आंटी भी जल्द ही गर्म हो गयी थीं.
वे बोल रही थीं- अब मत तरसाओ … जल्दी से अपने लौड़े को मेरी चूत में डाल कर पहले इसे शांत करो. बाद में जो करना हो, कर लेना!
मैंने झट से उनको लिटाया और उनकी सफाचट चूत चाटने लगा.
वे और गर्म हुईं, फिर उन्होंने मुझे 69 अवस्था में आने को बोला.
मैं फट से आ गया.
अब वे मेरा लंड चूस रही थीं और मैं उनकी बिना बालों वाली रेशमी चूत चाट रहा था.
आंटी की टांगें पूरी खुली हुई थीं और वो अपने हाथ से मेरा सर अपनी चूत पर दबाती हुई मुझे ही अपनी चूत में घुसेड़ लेने की कोशिश कर रही थीं.
ऐसे ही दस मिनट तक हम दोनों एक दूसरे का सामान चाटते रहे.
उस दौरान वो एक बार झड़ भी गईं.
मैं उनकी चूत से निकला सारा पानी चाट भी गया लेकिन मैं खुद झड़ा नहीं था तो उनकी चूत को लगातार चाटता रहा.
आंटी ने भी मेरे लौड़े को चूस चूस कर लोहे जैसा कर दिया था.
मैंने उनके मुँह से लंड निकाला और चूत के मुँह पर टिका कर एक जोरदार धक्का दे दिया.
इस बार मेरा लंड दो ही धक्कों में पूरा जड़ तक उतर गया.
वे जोर से चिल्लाने लगीं, उनकी आंखों से आंसू आने लगे. लेकिन उन्होंने मुझे रोका नहीं.
मैं भी मदहोशी के आलम में था और जोर जोर से धक्के दे रहा था.
कुछ ही देर में उन्हें मजा आने लगा और वे मुझे साथ देने लगी थीं.
हम दोनों ही एक दूसरे को मानो इस चुदाई की कुश्ती में हरा देने की होड़ में लगे हुए थे.
हालांकि वे दस ही मिनट में झड़ गईं और मेरे लौड़े के नीचे दबी, कुचली जाती रहीं.
कुछ दो तीन मिनट बाद वो कुदरती तरीके से पुन: चेतन हो गई और मेरे लौड़े से लड़ने लगीं.
इस तरह से वो दो बार झड़ीं और बार बार चुदाई को तैयार होती गईं.
करीब बहुत देर तक लगातार मैं उन्हें चोदता रहा.
अब मैं भी बस झड़ने वाला था तो मैंने उनकी आंखों में आंखें डालकर उनसे इशारे से पूछा- कहां निकालूँ?
वे बोलीं- अन्दर ही निकाल दो.
मैंने अपने झटकों की रफ्तार को बढ़ा दिया और उनकी चूत में ही झड़ गया.
झड़ने के बाद मैं एकदम निचुड़ सा गया था तो वैसे ही उनके ऊपर पड़ा रहा.
वे भी झड़ गई थीं और मेरे नीचे दबी पड़ी थीं.
थोड़ी ही देर में वो नीचे से गांड उठा कर धक्का देने लगीं तो मैंने चूत से लंड निकाला और उनके मुँह में लंड दे दिया.
वे लंड को चाटने और चूसने लगीं.
मैं लंड साफ करवा कर उनसे अलग हो गया.
कुछ पल बाद वो मुझसे लिपट गईं तो मैं उन्हें चूमने लगा.
वे मेरे प्यार में पागल हुई जा रही थीं.
मैंने चंदा से पूछा- चंदा, तुमने कभी गांड मरवाई है?
वे बोली- नहीं, लेकिन आज तू चाहे तो कुछ भी कर सकता है.
मैंने कहा- तो देर किस बात की है, आ जाओ आज तुम्हारी गांड का उद्घाटन भी कर देते हैं.
मैंने उन्हें औंधा किया और उनकी गांड को देखा.
एकदम मखमली गांड थी साली की … उनका लुप लुप करता हुआ छेद देख कर जी किया कि उसी में खो जाऊँ.
मैंने उसकी गांड में थोड़ा सा थूक लगाया और गांड में उंगली करने लगा.
वो दर्द के मारे सिहरने लगी.
मैंने आंटी से कहा- दर्द के बाद सुख ही सुख है मेरी जान. जैसे पहली बार चूत में दर्द होता है और बाद में बार बार लंड लेने का जी करता है, ऐसे ही गांड में भी लेने का जी करेगा. अब जाओ और तेल ले आओ.
वे मान गईं और ड्रावर से तेल की शीशी लाकर मुझे दे दी.
मैंने थोड़ा लंड पर और थोड़ा उनकी गांड में तेल लगा लिया.
फिर लंड को उनकी गांड के ऊपर लगा दिया.
वे अब मेरे लंड से डर नहीं रही थीं और उसी के चलते उन्होंने अपनी गांड के छेद को ढीला छोड़ दिया था.
मैंने एक जोरदार धक्का मारा तो सिर्फ लंड का टोपा ही अन्दर जा पाया.
मगर आंटी की गांड फट गई और वे जोर जोर से चिल्लाने लगी थीं.
मैंने अपनी पकड़ अच्छी तरह से बनाई हुई तो वे मुझसे छूट ही न सकीं.
एक दो पल बाद मैंने पूरी ताकत से दूसरा झटका दे मारा और अपना आधा लंड अन्दर पेल दिया.
आंटी किसी जिबह होते बकरे की तरह मिमिया रही थीं मानो उसकी गर्दन का टी जा रही हो.
मुझे मालूम था कि ये दर्द तो होगा ही. इसलिए मैंने उसकी परवाह किए बिना अगला धक्का दे दिया और अब इस आखरी धक्के में मेरा पूरा लंड चंदा की गांड में उतर गया था.
मैं आंटी को चूमने और सहलाने लगा. वे दर्द से निजात पाने लगीं और मुझे चूमने लगीं.
थोड़ी ही देर में चंदा आंटी को भी मजा आने लगा. अब वे अपनी गांड उठा उठा कर साथ दे रही थीं.
करीब 25 मिनट तक मैं उनकी गांड को चोदता रहा था. अब मैं झड़ने वाला था.
मेरी हालत देख कर चंदा आंटी को समझ आ गया था कि मैं झड़ने वाला हूँ.
वे बोलीं- मेरी चूत में झड़ना.
मैंने गांड से लंड निकाला और पहले उन्होंने उसे मुँह में लेकर साफ किया, फिर चूत के मुँह पर रखकर मेरे ऊपर चढ़ गईं.
वे मेरे लौड़े पर कूदने लगीं और कुछ मिनट की चुदाई के बाद उनकी चूत में मेरे लंड का पानी झड़ गया.
साथ ही वे भी झड़ गई थीं और मेरे ऊपर ही पड़ी रहीं.
फिर बाथरूम में भी मैंने उन्हें एक बार और चोदा और बाहर आकर हम दोनों सो गए.
उस रात मैं आंटी के ऊपर 5 बार चढ़कर नेपाली सेक्स का मजा लिया और आखिर में लंड चूत में ही डालकर सो गया.
उन्होंने सुबह मुझे उठाया और एक बार फिर से चुदाई शुरू हो गई.
उन्हें एक बार चोद कर मैं अपने घर आ गया और सो गया.
फिर चंदा आंटी का पति जब तक वापस नहीं आया, तब तक मैं उन्हें रोजाना चोदता रहा.
उन 20 दिनों तक मैं उन्हें रात रात भर चोदता रहा.
उनके पति के आने के बाद भी मौका मिलते ही मैं चंदा आंटी को चोद देता था.
अब चंदा आंटी मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है, तो अब हम कभी कभार ओरल सेक्स कर लेते हैं.
मेरी चांद को मेरा बहुत ख्याल है, इसलिए उसने मेरी सैटिंग अपनी एक सहेली से करवा दी है.
उनका नाम शोभा है. वो चांद से पाँच साल बड़ी है.
मैंने उसे कैसे अपने लौड़े के नीचे लाने को राजी किया और उसके साथ सेक्स का मजा लिया, ये सब आपको आगे लिखूँगा.
अब तो मैं शोभा को चंदा आंटी के सामने उनके ही घर में चोद देता हूँ.
आप सभी आंटी और भाभी को मेरी ये सच्ची नेपाली सेक्स की कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे मेल करके बताना.
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