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चचेरी दीदी को खेत में चोदा- 2

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माय सिस्टर ऐस्स चुदाई कहानी में मैंने अपनी शादीशुदा चचेरी बहन को रात को खेतों में चोदा. वहां मैंने दीदी की गांड भी मारी. खुद पढ़ें और मजा लें.

कहानी के पहले भाग
दीदी की चूत मारने की तमन्ना
में अपने पढ़ा कि मैं अपनी चचेरी बहन को उनकी ससुराल में ही चोद चुका था.
काफी दिन बाद मैं दोबारा उनके घर गया तो दीदी सेक्स में कुछ रूचि नहीं दिखा रही थी. मैंने परेशान हो गया कि पता नहीं दीदी की चूत मिलेगी या नहीं.
फिर रात को हम दोनों खेतों में गए फसल को पानी लगाने.
वहां कुछ बात बनी.

नेहा दीदी हवस भरी नज़रों से देखते हुए बोलती- ठीक है! अब अपनी इस रण्डी बहन को अब मत तड़पाओ जान … अब जल्दी से चलो झोपड़ी में और मुझे अच्छे से चोदो!
मैंने बोला- चल साली रण्डी, आज तेरी चूत की गर्मी शांत करूं!

नेहा दीदी ने अपनी पैंटी ऊपर करते हुए अपनी शाल उठाई और साड़ी को वहीं छोड़ दिया।
फिर मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर झोपड़ी में लेकर चली गई।

अब आगे माय सिस्टर ऐस्स चुदाई कहानी:

जैसे ही दीदी शाल बिछाने लिए झुकी, उनका पेटीकोट उनकी गांड में घुस गया।
जिसे देख कर मुझसे रहा नहीं गया, मैंने पेटीकोट के ऊपर से ही उनके गांड की दरार के बीच में उंगली फंसाते हुए उनकी गांड के छेद में अपनी उंगली घुसा दी।

नेहा दीदी चिहुंकती हुई गुस्से में बोली- बहनचोद! मेरी चूत की गर्मी शांत करनी है, मेरी गांड की नहीं!
फिर वे जल्दी से नीचे सीधी हो कर लेट गई।

मैं अपने खड़े लंड को हाथ में लिए खड़ा था और उन्हें बड़े गौर से निहार रहा था।

मुझे खड़ा देख कर नेहा दीदी ने अपने पैर से मेरा लंड पकड़ कर नीचे बैठने का इशारा किया।

नीचे बैठते ही मैंने अपने हाथों से उनका पेटीकोट ऊपर कर दिया, फिर उनकी गांड दबाते हुए उनकी पैंटी को नीचे सरकाने लगा।
वे अपनी गांड ऊपर करके अपनी पैंटी निकलवाने में मेरी मदद करने लगी।

मैंने कुछ ही पल में उनकी पैंटी निकाल दी, उन्होंने अपनी पेंटी अपने हाथ में ले ली।
एक बार फिर मेरे सामने उनकी नंगी चूत थी।

उनकी चूत देख कर ऐसा लग रहा था जैसे छेने की मिठाई से रस निकल रहा हो।
मुझे रहा नहीं गया, मैं झुक कर उनकी चूत को फिर से चाटने लगा।

पहले तो वे अपनी गांड उठा कर चूत चटवाने का मजा लेने लगी, फिर कुछ ही पल में मुझे ऊपर खींचते हुए बोली- बाद में मेरी चूत को खा लेना, अभी इसमें अपना लंड डाल दो।

मैं अपने लोअर को नीचे करके अपने लंड को हाथ में लेकर उनकी चूत पर रगड़ते हुए छेद में घुसाने लगा।

मेरा लंड जैसे ही उनकी चूत में थोड़ा सा घुसा, वे दर्द से तिलमिलाने लगी और मेरा लंड अपने चूत से निकाल कर अपने हाथ में ले लिया।

फिर मेरे लंड के चमड़े को ऊपर करके गुलाबी टोपे को अपनी चूत की दरार में रगड़ती हुई बोली- यार भाई! तेरा लंड इतना बड़ा और मोटा हो गया है कि मेरी गांड फट रही है इसे अपनी चूत में लेने में!
मैं उन्हें किस करते हुए बोला- तो क्या नहीं चुदवाओगी?

मेरे लंड को अपने चूत के छेद पर रखते हुए बोली- इसके लिए तो इतने दिन से तड़प रही हूँ, आज मौका मिला है तो अच्छे से चुदवाऊंगी। चाहे मेरी गांड की क्यों न फट जाए।
फिर वे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत में घुसाते हुए बोली- धीरे धीरे डालो।

मैं धीरे धीरे उनको ऊपर से चोदने लगा।
मेरे लंड का सिर्फ टोपा अंदर जाते ही वे बाहर निकाल देती।
इससे मुझे बहुत गुस्सा आने लगा।

फिर मुझे एक आइडिया आया।
मैं उनकी चूत में अपने लंड का टोपा घुसाकर रुक गया और उन्हें किस करते हुए उनकी दोनों हाथों को ऊपर करके अच्छे से पकड़ लिया।

फिर धीरे धीरे उनकी चूत में सिर्फ टोपे को अंदर बाहर करने लगा।
जब उन्हें लगा कि मैं इससे अंदर नहीं डालूंगा तो वे मेरे होंठों को किस करती हुई अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगी।

मैं इसी मौके की तलाश में था, मैंने अपने लंड को थोड़ा ऊपर करके, अपनी पूरी ताकत के साथ एक झटका दिया।
मेरा लंड उनके चूत को चीरते हुए पूरा अंदर चला गया।

दीदी दर्द से तिलमिला उठी और मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
मैंने इस तरह उनको पकड़ा का था कि वे हिल भी नहीं पा रही थी।

मैं अपने होंठों से उनके होंठों को दाबे हुए था, वे दर्द से चिल्ला भी नहीं पा रही थी।
बस उनकी आँखों से आसूं गिर रहे थे।

मैं उनके दर्द का परवाह ना करते हुए अपने घुटनों को जमीन में दबा कर उनकी कमर को जमीन से चार इंच ऊपर उठा उठा के जमीन पर पटक कर बड़े बेरहमी से चोदने लगा।
वे मेरी कमर को अपने पैरों से जकड़ी हुई थी।
जमीन पर पटकने के वजह से उनकी गांड पर चोट भी लग रही थी।
दीदी ऊं… उम्म… ऊं… करके आवाजें निकाल रही थी।

कुछ समय ऐसे ही चोदने के बाद जब उनका थोड़ा दर्द कम हुआ और उन्हें लगा कि अब मैं नहीं छोड़ने वाला तो वे अपने पैरों से मुझे आजाद करते हुए अपने पैरों को फैला कर चुदाई का मजा लेने लगी।
मैंने भी उन्हें ढील देते हुए उनके होंठों को आजाद किया।

होंठ आजाद होते ही नेहा दीदी कराहते हुए मुझे गाली देने लगी- उईई … स … साले … बहन चोद … इतनी बेरहमी से मत चोद … कि मैं एक दो दिन चल ही न पाऊं. उफ्फ तेरा लंड … उई मां … ऐसा लग रहा मेरी चूत में एक साथ दो तीन लंड घुस गए है। आ … ह … आ … आ…ह … ईस … धीरे चोद!

मैं उनकी बातों को नजर अंदाज करते हुए घपाघप पेले जा रहा था।
वे अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी- और जोर जोर … अह आहा!

मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई तो उसने भी अपनी कराहें बढ़ा दीं- अहह … आहा … उई.. मां… मेरी चूत!
झोपड़ी में फच … पच… की आवाज़ होने लगी थी.

नेहा दीदी की आवाज़ें और तेज होने लगीं और वे जोर जोर से ‘आह … आह …’ करने लगी.
उनकी सांसें फूलने लगी थीं; उनका गोरा चेहरा लाल हो रहा था.

हम दोनों अपनी पूरी उत्तेजना में लगे हुए थे.
वे पहली बार मुझसे पहले झड़ गयी.
मगर मैं रुका नहीं, मैं जोर जोर से उसे पेले जा रहा था।

थोड़ी देर बाद वे मुझे रोक कर कराहती हुए बोली- अब तुम नीचे लेटो और मैं चढ़ती हूं।

मैंने उनकी बात मान कर अपने लौड़े को उनकी चूत से बाहर निकाल लिया.
तब जा कर उनकी जान में जान आई.

मैं नीचे लेट गया और वे अपनी पेटीकोट को ऊपर करते हुए मेरे लंड पर बैठने लगी.
मेरा लंड जैसे ही उनकी चूत में घुसा, वे ‘ऊईई ईई ईईई सीईई ईई’ करके चिल्ला उठी।

मैंने उनकी क़मर पकड़कर बिठा दिय और मेरा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया।

मैं नीचे से झटके लगाने लगा, उनकी चूचियां उनके हाथ में थी जिन्हें वे बेरहमी से दबा रही थी.
तभी दीदी ने अपना ब्लाउज खोल कर एक किनारे फेंक दिया और मेरा शर्ट भी निकाल दिया।

वे पेटीकोट और ब्रा में मेरे लंड के ऊपर बैठी थी और मेरा सिर्फ लोअर घुटने तक बचा था, बाकी सब निकल चुका था।

धीरे धीरे उन्हें मजा आने लगा और वे मेरे लंड पर उछल उछल कर गांड पटकने लगी.

अब दोनों तरफ से बराबर धक्के लगने शुरु हो गए और थप थप थप की आवाज झोपड़ी में भरने लगी।

नेहा दीदी शादीशुदा औरत थी, पहले भी खूब चुदवाती रही हैं लेकिन मेरे लंड ने उनकी हालत बिगाड़ दी।
अब हम दोनों एक-दूसरे को चोद रहे थे, कभी लंड तो कभी चूत!

एकदम से उन्होंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और मेरे ऊपर उछलने लगी जैसे फुटबॉल!

एक बार फिर उनकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया लेकिन मेरा लंड तो झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।

फिर वे निढाल होकर बोली- अब मेरी हिम्मत खत्म हो गई है। मेरी चूत में काफी जलन भी हो रही है, अब मैं तुम्हारा लंड एक पल भी नहीं ले पाऊंगी। मेरे पति तो बस मेरे ऊपर चढ़कर मुझे थोड़ी देर चोदते और थककर सो जाते थे लेकिन तुम्हारा फौलादी लंड ने आज मेरी चूत का भरता बना दिया।

इतना कह कर वे मेरे लंड पर से घुटने के बल उठ गई।

मैं भी घुटने के बल उठाते हुए, उनकी चूत के दरार की बीच अपने लौड़े को रगड़ते हुए बोला- लेकिन मेरे लंड का क्या?
फिर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा- ठीक है! मैं इसका कुछ करती हूं, पहले तुम खड़े हो जाओ।

अब मैंने अपना लोअर और अंडरवियर पूरा निकाल कर फेंक दिया और उनके सामने पूरा नंगा खड़ा हो गया।
मेरा लंड उनके चेहरे में लग रहा था।

उन्होंने अपनी ब्रा का हुक खोल कर अपने बड़े बड़े चूचों को आजाद कर दिया और मेरे लंड को अपने दोनों चूचों के बीच डालकर ऊपर नीचे करने लगी।
मुझे भी मजा आने लगा और मैं जोर जोर से उनकी चूचियों को पेले जा रहा था।
वे बीच बीच में मेरे लंड को अपने मुंह में लेती।

करीब पांच मिनट बाद उनके घुटनों में दर्द होने लगा।
वे मुझे नीचे लेटने का इशारा करने लगी।

मैं नीचे लेट गया।
मेरा लंड अभी भी खड़ा था।

वे खड़ी होती हुई अपना पेटीकोट निकाल कर पूरी नंगी हो गई।
हम दोनों 69 ने पोजीशन में एक दूसरे का चाटने लगे।

वे बहुत तेजी से मेरे लंड को चूसे जा रही थी, मैं भी उनकी चूत को मजे के साथ चाट रहा था।
चारों तरफ पुच … पुच … सरप … सरप की आवाजें आ रही थी।

10 मिनट में उनका शरीर ऐंठने लगा और उनकी चूत से पानी निकल गया।
मैं उनका नमकीन पानी पूरा पी गया।

वे मेरे शरीर से उतर कर घुटने के बल भी बैठी हुई बोली- साले, यह तेरा लंड है या लोहे का रॉड जो थक ही नहीं रहा। अब मुझसे कुछ नहीं होगा, प्लीज अब रहने दो।

मैं भी घुटने के बल बैठ के उनके बालों को पकड़ते हुए बोला- साली! छीनाल इतनी ही तेरी चूत में चुदास थी, सारी गर्मी निकल गई?

वे मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर अपनी चूत की दरार में रगड़ती हुई बोली- अब तुम ही बताओ, इसे शांत करने के लिए मैं क्या करूं? तुम जो बोलोगे, मैं वही करूंगी।

मैं उनकी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला- अपनी गांड दे दो, यही सुबह से मुझे पागल किए जा रही है. जब तक मैं तुम्हारी गांड नहीं मारूंगा, तब तक मेरा लंड शांत नहीं होगा।

मेरी बात सुन कर पहले तो नेहा दीदी थोड़ी चुप हो गई।
फिर कुछ सोचती हुई बोली- ठीक है! आज से पहले मैंने कभी अपनी गांड नहीं मरवाई है। लेकिन तुमने आज मुझे चोद कर खुश कर दिया है, इसीलिए आज तुम मेरी गांड भी मांर लो। लेकिन प्लीज धीरे धीरे चोदना, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है।

इतना कहकर नेहा दीदी झुक कर मेरा लंड अपने मुंह में लेकर अच्छे से गीला करने लगी।

मैंने अपना गीला लंड उनके मुंह से निकाल लिया और उन्हें घोड़ी बनाकर खुद पीछे आकर कमर पकड़कर उनकी गांड के छेद में अपना लंड सेट करते हुए एक जोरदार झटके के साथ आधा लंड उनके गांड में डाल दिया।

मेरा लंड उनकी गांड को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा।
और वे ‘ऊई ईईई ऊईई ई आहह हह’ करके चिल्लाने लगी।

तभी मैंने जोर से धक्का लगाया और पूरा लंड अंदर चला गया.
नेहा दीदी की चीख निकली- ऊईई ईईई ईईईई ऊईई ईईई ईईई … मर गई … बचाओ बचाओ!
वे दर्द से छटपटाती हुई मेरे ऊपर ही बैठ गई।

इस तरह उनके बैठने से मेरा बचा हुआ लंड भी उनकी गांड में घुस गया।
वे उछल के मेरे लंड से उतरना चाहती थी लेकिन मैंने उनकी कमर पकड़ कर ऐसे ही बैठाए रखा।

मैं सिस्टर ऐस्स चुदाई का मजा लेने लगा.

वे बहुत जोर से दर्द की वजह से चिल्ला रही थी लेकिन मैं उनकी टाइट चूचियों को कस के बड़े बेरहमी के साथ दबाए जा रहा था।

कुछ समय बाद वे थोड़ी शांत होते हुए बोली- बेहनचोद! पहले अपने लंड से मेरी चूत को फाड़ दिया, और अब गांड को। आज मुझे चोद चोद के मारने का इरादा है क्या?

मैंने उनके चूचों का दबाते हुए, पीछे से किस करते करते उन्हें फिर घोड़ी बना दिया।

दीदी की गांड से खून निकल रहा था, मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया और चुपचाप उनकी पैंटी से उनकी गांड साफ की.

एक बार फिर अपना लंड उनकी गांड पर सेट करते हुए धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा।
इस बार उनका दर्द कम हुआ इसलिए वे घोड़ी बनी रही।

मैंने उन्हें ऐसे चोद रहा था जैसे कोई कुत्ता कुतिया चोद रहा हो।

मैं उनकी दोनों चूचियों को मसलने लगा और थप थप थप करके अपनी पूरी रफ्तार से चोदने लगा।

अब वे भी जोश में आकर अपनी गांड चलाने लगी और आगे पीछे करने लगी।

मैं यह देखकर जोश में आ गया और मैंने और तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया।

पूरी झोपड़ी दोनों की सिसकारियों से गूंज उठी लेकिन हमें किसी का डर नहीं था।
मैं उन्हें एक बाजारू औरत की तरह चोद रहा था, मुझे उनकी चीख और दर्द की बिल्कुल परवाह नहीं थी।

दीदी मुझसे कुतिया बनकर चुदवा रही थी।
अब उनकी सिसकारियां भी कम हो गई थी और वे बस जैसे तैसे खुद को रोककर मेरे लंड का सामना कर रही थी।

जी भर के उनका गांड मारने के बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया और उन्हें लिटा दिया.

मैं अब उनके ऊपर आ गया और चूत में लंड घुसा कर गपागप गपागप तेज़ी से चोदने लगा।
मेरा लंड अब राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार से मेरी चूत में दौड़ रहा था।

वे चिल्लाती रही लेकिन मेरे कानों पर उनकी आवाज़ नहीं आ रही थी.
ऐसा लग रहा था जैसे मैं आज उनकी चूत फाड़कर ही दम लूंगा।

मैंने उनकी चूचियां को तेज़ तेज़ दबाना शुरू कर दिया.

मेरे हर झटके से उनकी जान निकल रही थी।
वे ‘ऊई ऊइई ऊईई ईई आहह हहह आह हहह … छोड़ो मुझे छोड़ो …’ चिल्लाती रही लेकिन मैं उन्हें पागलों की तरह चोदता रहा।

कुछ ही समय में मुझे लगा अब मैं झड़ने वाला हूं।
मैं और तेजी से उन्हें चोदते हुए बोला- मेरा मॉल निकलने वाला है, इसे कहां निकालूं?

नेहा दीदी अपना गांड उठाते हुए बोली- जहां मन करे वहाँ जल्दी से निकाल ले बहन चोद, नहीं तो मेरी जान निकल जायेगी।

जोरदार झटकों के साथ मैंने एक पिचकारी उनकी चूत में छोड़ दी।
मेरा गर्म लावा उनकी चूत में जाते ही वे आह … करके सिहर उठी।

फिर मैंने अपना लंड निकाल कर दूसरी पिचकारी उनकी चूत के पास से उनके मुंह पर मारी।
जिससे मेरा माल उनकी नाभि और चूचियों से होकर उनके मुंह के ऊपर गिरा।

मैंने जल्दी से अपना लंड उनके मुंह में डाल कर पूरा माल वहीं निकल दिया।
मेरे माल से उनका पूरा मुंह भर गया और बाहर गिरने लगा।
लेकिन वे जल्दी जल्दी मेरे लंड की पकड़ कर पूरा रस घट घट कर के पी गई और मेरे लंड को अच्छे से चाट कर साफ किया।

मेरा लंड साफ होने के बाद मैंने उन्हें करवट लेटा कर उनके गांड की दरार में अपना लंड सटाते हुए पूछा- कैसी रही चूदाई?
वे अपने पेट पर लगे वीर्य को उंगली से चाटते हुए बोली- यह मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन चुदाई थी।

मैं उनकी कमर को कस के पकड़ कर मुस्कुराने लगा.

तो दोस्तो, मुझे पूरी आशा है कि आपने माय सिस्टर ऐस्स चुदाई कहानी का मजा लिया होगा.
अपने विचार मेल में और कमेंट्स में मुझ तक पहुंचाएं.
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