मोटी भाभी की टाइट चुत में लंड पेला मैंने! वो मेरे पड़ोस में रहती थी. मोटापे के कारण उसके पति उसे भाव नहीं देते थे. मैंने उसके गम को समझा और सहारा दिया.
नमस्कार दोस्तो, मैं विकी एक बार फिर से उत्तेजक कहानियों की इस वेब साइट पर आपका स्वागत करता हूं.
मेरी पिछली कहानी
दोस्त के घर में साली की चुदाई
आपने पढ़ी और पसंद की. धन्यवाद.
मैं आज फिर से एक सच्ची घटना के साथ हाजिर हूं. इसको मैं सेक्स कहानी के रूप में आपके सामने पेश कर रहा हूं.
यह मोटी भाभी की टाइट चुत चुदाई की घटना मेरे साथ घटी थी.
मैं जहां रहता था, मेरे रूम के बगल में ही एक भैया रहते थे.
उनका नाम विमल था.
विमल भैया से मेरी अच्छी पटती थी तो वह हर बात मुझसे शेयर करते थे और इसी सब वजह से हमारी अच्छी दोस्ती भी थी.
उस वक्त उनकी शादी नहीं हुई थी.
दो-तीन महीनों के बाद वह घर गए और उनकी शादी हो गई.
अब उनकी पत्नी भी उनके साथ आ गईं.
उनकी पत्नी देखने में ठीक-ठाक थीं मगर जरा मोटी थीं.
विमल भैया एक कम्पनी में मार्केटिंग में जॉब करते थे और वह उस कम्पनी के एरिया मैनेजर थे, उसी सिलसिले में उनको अक्सर बाहर रहना पड़ता था.
मुझ पर वह विश्वास भी करते थे इसलिए उन्हें भाभी को अकेला छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं थी.
लेकिन जब वह शादी करके आए, तो उनके चेहरे पर कुछ उदासी थी.
शादी से पहले वाली चमक नहीं थी.
जबकि शादी के बाद अक्सर लोगों के चेहरे खिल जाते हैं.
मुझे भी वक्त नहीं मिल पा रहा था कि मैं उनसे सारी बातें पूछ सकूं और भैया की मार्केटिंग का जॉब भी ऐसा था कि उन्हें भी बहुत कम समय मिलता था.
जब भैया अपनी पत्नी को लेकर आए तो उन्होंने मुझसे भाभी का परिचय करवाया.
भाभी का नाम रोशनी था.
जैसा मैंने बताया कि भाभी देखने में थोड़ी मोटी थीं. उनकी कमर 38 इंच की थी.
इससे अब आप समझ सकते हैं कि वह कितनी मोटी रही होंगी.
जब भी मुझे वक्त मिलता तो मैं कोशिश करने लगा कि विमल भैया से उनकी उदासी का कारण पूछ लूं.
लेकिन जब जब मैंने कोशिश की, उन्होंने हर बार बात को टालते हुए एक तरह से बताने से इंकार कर दिया था.
वक्त इसी तरह बीतता रहा.
मेरा भी उनके घर आना-जाना लगातार होता रहा.
अब मेरी भाभी से भी अच्छी बनने लगी थी.
धीरे-धीरे भाभी से मजाक भी होने लगा.
मैंने एक बात ये भी महसूस की कि भाभी भी कुछ उदास रहती थीं.
एक तो भैया मुश्किल से महीने में 10 से 12 दिन ही घर पर रह पाते थे तो उनके घर का जो भी काम होता था, वह मुझे ही करना पड़ता था.
उस काम के बदले में मुझे भाभी से थोड़ी हेल्प हो जाती थी, अब मुझे खाना नहीं बनाना पड़ता था.
चूंकि विमल भैया घर पर नहीं रहते थे तो अक्सर भाभी के साथ में ही बाजार जाया करता था.
वो मुझे अपना अच्छा दोस्त भी मानने लगी थीं और बहुत सारी बातें शेयर करने लगी थीं.
फिर धीरे-धीरे भाभी से मेरी नजदीकियां बढ़ने लगीं.
अब मुझे जब भी अपनी पढ़ाई से वक्त मिलता था तो मैं कहीं घूमने के लिए नहीं जाता, मैं अपना ज्यादा वक्त भाभी के साथ ही बिताता.
धीरे-धीरे भाभी को भी मेरा उनके साथ होना अच्छा लगने लगा.
वह भी अब धीरे-धीरे खुलकर बात करने लगीं लेकिन मेरे जाते ही वह फिर से उदास होने लगती थीं.
एक दिन मैंने सोचा कि आज भाभी से पूछ ही लिया जाए कि भाभी आपकी उदासी का कारण क्या है.
मैंने हिम्मत करके उनसे पूछा- भाभी आप उदास क्यों रहती हो?
भाभी ने भी भैया के जैसे मेरी बात को टाल दिया, शायद बताना नहीं चाहती थी.
फिर कुछ दिन ऐसे ही बीतते गए.
हम और पास होते गए.
भाभी भी हमेशा सज-धज कर रहतीं, जब भी मैं जाता, तो मुझे वो आकर्षक लगने लगी थीं.
अब उनके हाव-भाव मेरे प्रति बदलने लगे थे.
एक दिन ऐसे ही मजाक मजाक में कहा- लगता है तुम ही मेरे पति हो! जितना समय विमल के साथ में नहीं बिताती, उससे ज्यादा तो मैं तुम्हारे साथ बिताती हूं.
मैं थोड़ा झेम्प गया और आंखें नीचे करके बोला- भाभी आप भी ना … मैं तो बस आपका मुँह लगा देवर हूँ.
इसके बाद अब मैं धीरे-धीरे भाभी को टच करने लगा.
मैं बातों बातों में अब उन्हें कुछ ज्यादा टच करने लगा था और भाभी भी इसका बुरा नहीं मानती थीं.
अब मेरे मन में भी भाभी के प्रति विचार बदलने लगे थे.
शायद पर्दे के पीछे उन्होंने ही पहल करनी शुरू कर दी थी.
फिर एक दिन भाभी उदास बैठी हुई थीं.
मैं उनके पास गया.
मेरे जाने का अहसास भी उन्हें जरा सा भी नहीं हुआ.
जब मैं उनके बिल्कुल पास बैठ गया तो मैंने कहा- भाभी, कहां खोई हुई हो?
भाभी ने एक बनावटी मुस्कान के साथ मुझे कहा- अरे विकी तुम कब आए. मैं कहीं नहीं, अपनी बताओ … कैसे हो?
मैंने कहा- आज आपकी कोई चालाकी नहीं चलेगी. पहले यह बताओ कि आप उदास क्यों रहती हो?
उन्होंने फिर टालना चाहा, लेकिन मैं इस बार जिद पर अड़ा रहा.
मैंने एक कदम आगे बढ़ते हुए उनका हाथ अपने हाथों में पकड़ लिया और उनके आंखों में देख कर कहने लगा.
मैं- अगर आप मुझे अपना अच्छा दोस्त मानती हो, तो मुझे बताओ कि आप उदास क्यों रहती हो?
इस बात पर उन्होंने भी शब्दों का बाण चलाते हुए कहा- मैं तो तुम्हें बहुत कुछ मानती हूं. जब से मैं यहां आई हूं, मेरी खुश रहने का कारण सिर्फ तुम ही हो.
ये कह कर भाभी मेरी आंखों में देखने लगीं और मेरे करीब आने लगीं.
फिर मैंने उनकी इस नजर मिलाने वाली मुद्रा को तोड़ते हुए कहा- पहले आप यह बताओ कि उदास क्यों रहती हो आप?
उन्होंने कहा- सच में तुम जानना चाहते हो?
मैंने भी कहा- हां रोशनी भाभी, अगर आप मुझे कुछ मानती हो तो मैं सब जानना चाहता हूं.
इस बार उन्होंने कहा- ओके सुनो, पहले तो तुम मुझे यह बताओ कि मैं तुम्हें कैसी लगती हूं?
मैंने कहा- आप तो मुझे बहुत अच्छी लगती हो.
उन्होंने कहा- मैं मोटी हूं फिर भी?
उसके जवाब में मैंने उनसे कहा- उससे क्या फर्क पड़ता है भाभी. मुझे आप अच्छी लगती हो बस.
वो मुस्कुराने लगीं.
फिर मैंने उनसे पूछा- कहीं आपके उदास होने का कारण यही तो नहीं?
उन्होंने बताया- तुम्हारे विमल भैया से मेरी शादी कैसे हुई जानते हो?
मैंने कहा- नहीं.
उन्होंने बताया कि उनके पापा ने पैसों के लोभ में मुझसे इनकी शादी करवाई. ये मुझे बिल्कुल पसंद नहीं करते इसीलिए शादी के इतने दिनों बाद भी यह मुझे अच्छे से टाइम नहीं देते हैं और शारीरिक सुख की तो बात ही मत पूछो.
मैंने एक और कदम आगे बढ़ते हुए कहा- ये बात मुझे नहीं मालूम थी भाभी.
भाभी- शादी को चार-पांच महीने हो गए हैं और मुश्किल से हमने सिर्फ 6-7 बार ही सेक्स किया है. वह भी मेरे बहुत दबाव देने पर … अब बताओ सबकी नई शादी होती है, तो वह पूरा इंजॉय करते हैं कि नहीं. लेकिन तुम्हारे भैया मुझ पर ज़रा सा भी ध्यान नहीं देते हैं. मैं बस तड़पती रहती हूं.
इतना कहते-कहते भाभी मेरे से और चिपक गईं; उन्होंने मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया.
फिर अनायास ही भाभी का दूसरा हाथ मेरी जांघों के बीच में आ गया और वो उधर सहलाने लगीं.
उनका हाथ मेरे लंड पर आया तो मुझे उनकी उत्तेजना महसूस होने लगी.
मैंने कुछ नहीं कहा.
इसके बाद वह एक कदम और आगे बढ़ती हुई बोलने लगीं- कभी-कभी मन करता है कि बाहर के किसी लड़के को पटा लूं, लेकिन फिर डर जाती हूं कि कहीं कोई इसका फायदा उठाकर मुझे बदनाम ना कर दे.
रोशनी भाभी के मेरी जांघ पर हाथ रखने से मेरे अन्दर भी आप वासना उफान मारने लगी थी.
मैंने भी बहुत दिनों से चुदाई नहीं की थी और मुझे लगने लगा था कि रोशनी भाभी की चूत मुझे पक्के में मिल जाएगी.
फिर भाभी अपने सर को उठा कर मेरी आंखों में देखने लगीं और मेरी आंखों में झांकती हुई बोलीं- क्या तुम मेरी मदद करोगे?
मैंने हकलाते हुए कहा- क..क..कैसी मदद भाभी?
इस पर वह खुला निमंत्रण देते हुए बोलीं- मैं तुम पर बहुत विश्वास करती हूं और मेरा तुम्हारे साथ संबंध बनाना सुरक्षित भी रहेगा. तो क्या तुम मुझे शारीरिक खुशी दोगे? बदले में मैं तब तक तुम्हारी ही रहूंगी, जब तक तुम यहां पर हो.
मैं भी अब उनकी आंखों में खोने लगा था.
धीरे-धीरे उन्होंने अपना हाथ दबाते हुए मेरे लंड को मसलना शुरू कर दिया था.
मुझे भी उत्तेजना महसूस हो रही थी और मेरा लंड भी पूरा टाइट हो चुका था.
मैं तो जैसे उनकी आंखों में देखते हुए खो चुका था.
मेरा दिमाग भी कहने लगा कि क्या सोच रहा है विक्की … माल खुद चुदने को मचल रहा है. तुझे भी बहुत दिन हो गए, कोई नई चूत नहीं मिली है. चोद ले इसे … और मजा ले इसकी चूत ला … एक नई चूत चुदाई का अनुभव भी मिल जाएगा. भाभी भी खुश रहेगी और तुझे भी इसका मजा मिलता रहेगा.
अभी मैं ये सब सोच ही रहा था कि इसी बीच उन्होंने बोला- लगता है तुम्हारा जवाब तुम्हारे पैंट के ऊपर से मुझे मिल गया है.
बस उन्होंने आगे बढ़ते हुए मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगीं.
मैं भी अब कहां रुकने वाला था … मैं भी उन्हें जोर जोर से किस करने लगा, उनके होंठों का रस पीने लगा.
धीरे-धीरे हम दोनों और पास आ गए.
इसी बीच उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक चूचे पर रख दिया और बोलीं- आज से ये मोटी अब तुम्हारी है. मजा ले लो इसका विकी.
मैं भाभी के होंठों को चूसने लगा और उनके चूचों को दबाने लगा.
उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं और उनकी चूची मेरे हाथ से दबी जा रही थी.
एक हाथ से में उनकी चूचियां दबा रहा था और दूसरा हाथ ले जाकर उनके साड़ी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनकी चूत को मसलने लगा.
कुछ ही देर में हम दोनों की उत्तेजना चरम पर पहुंचने लगी थी.
मैं उनको सोफे पर लिटा कर ही उनके गर्दन पर किस करने लगा.
कभी मैं लव बाइट भी कर लेता था.
जल्दी ही भाभी मदहोश हो गईं और बोलने लगीं- जान, मुझे अच्छे से प्यार करो. खूब प्यार करो मुझे. अब समझो मैं तुम्हारी बीवी हूं.
धीरे-धीरे मैं उनके कपड़े निकालने लगा और वे मेरे!
कुछ ही पलों में हम दोनों आदमजात नंगे हो गए.
मैं उनके गदराए हुए मोटे बदन को पूरी तरह से भोग लेना चाह रहा था.
भाभी को नंगी करके मैं उनके चूचों पर टूट पड़ा और उनकी चूत को सहलाने लगा.
उनका हाथ अब मेरे माथे पर आ गया और वो मेरे माथे को सहलाने लगीं.
भाभी बोलने लगीं- आंह खूब चाटो इसे … बहुत अच्छा लग रहा है. पहली बार मेरे बदन को कोई इस तरह से चूम रहा है मेरे राजा … आंह खूब चाटो!
इसी तरह मैं धीरे धीरे नीचे आने लगा.
उनकी कामुक सिसकारियां तेज हो गई थीं.
मैंने नीचे आकर उनकी चूत पर जैसे ही अपनी जीभ को रखा, उन्होंने जोर की सिसकारी ली- आह मर गई राजा … ये सब बाद में भी कर लेना … अभी मेरी प्यास बुझा दो, पहले मुझे चोद दो. मेरी बुर को शांत कर दो … उसके बाद चाट लेना. अब मैं तुम्हारी ही हूं … लेकिन अभी मैं बहुत प्यासी हूं. पहले मेरी चूत की चुदाई करो.
मैंने भी उनकी बात को मानते हुए उनकी भावनाओं को समझा और खड़ा हो गया.
मैंने कहा- पहले लंड महाराज को गीला कर दो.
रोशनी भाभी ने तुरंत उठकर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.
अब मेरी सिसकारियां निकलने लगीं.
कुछ देर लंड चूसने के बाद भाभी कहने लगीं- अब तो खड़ा हो गया और मन भर गया … अब पेलो.
मैं अभी और मजा लेना चाह रहा था.
भाभी मुझसे बार बार विनती करते हुए रोने लगीं- अब चोद दो … मैं तुमसे भीख मांग रही हूं. मैं बहुत तड़प रही हूं, मुझे चुदाई का सुख दे दो. मैं मोटी हूं तो क्या हुआ … मुझे भी चुदने का हक है.
मैंने उन्हें किस करते हुए चुप कराया और बोला- आप चिंता मत करो … आप मुझे बहुत पसंद हो. आपकी चूत को मैं शांत कर दिया करूंगा. अब चुदाई के लिए आपको तड़पना नहीं पड़ेगा.
उन्होंने मुझे किस करते हुए कहा- हां मेरे राजा … अब तुम बातों में वक्त को जाया मत करो और मुझे आप आप कह कर मत बुलाओ. मैं तुम्हारी बीवी हूँ.
मैंने उनकी एक चूची को फिर से रगड़ने लगा था और अपने लंड को हिलाते हुए उनकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा.
उन्होंने फिर से एक लंबी सिसकारी भरी और बोलीं- अब पेलो यार … और मत तड़पाओ. जल्दी से चोद दो ना.
मैंने भी उस मोटी गदराई हुई भाभी की जवानी को भोगने का मन पक्का कर लिया और उनकी बुर में लंड घुसाने लगा.
भाभी की बुर बिल्कुल टाइट थी.
मैंने उनसे कहा- तुम्हारी बुर तो बिल्कुल टाइट है.
वो बोलीं- मेरी अभी सही से चुदाई ही कहां हुई है, जो ये ढीली हो जाती. अब ये तुम्हारी जिम्मेदारी है … तुम इस मोटी भाभी की टाइट चुत की चुदाई करके इसका भोसड़ा बना दो.
मैंने भी जवाब देते हुए कहा- हां मेरी जान.
मैंने भाभी की बुर की फांकों के बीच में अपना लंड फंसाया और उनकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार का धक्का लगा दिया.
वह जोर से चिल्लाईं.
मैंने फट से भाभी के होंठों पर किस करना शुरू किया और उनकी एक चूची को दबाने लगा.
कुछ देर उसी पोजीशन में रहने के बाद मैं धीरे धीरे धक्का देने लगा और मैंने उनकी चूची को मसलना चालू रखा.
थोड़ी देर बाद वो भी गर्म सिसकारियां लेने लगीं.
मैंने पूछा- क्या दर्द हो रहा है?
उन्होंने उत्तेजना के आवेश में आकर कहा- अगर दर्द की परवाह करूंगी, तो चुदाई का मजा नहीं ले पाऊंगी. मेरे दर्द की चिंता मत करो, तुम मेरी चुदाई करके मुझे मजा दो बस.
मैं भाभी की चूत में धक्के लगाने लगा.
उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं- आंह चोदो मेरे राजा और जोर से चोदो मुझे … मजा दे दो … आंह मजा दे दो … ऐसे ही पेलो. मेरी चुदाई करते रहो मुझे छोड़ना मत.
मैं भी भूखे शेर की तरह उनकी बुर का भोसड़ा बनाने की नीयत से धक्का मारने लगा.
भाभी की चूचियों को मसलते हुए उनकी गर्दन पर किस करने लगा.
वो भी चुदाई का आनन्द लेने लगीं और बोलने लगीं- सच में बहुत मजा आ रहा है. काश तुम पहले मुझे चोद देते तो मैं थोड़ा कम तड़पती.
मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा.
इसी बीच वो जोर से सिसकारियां लेती हुई अपने चरम पर आने लगीं- आआह आआहह … मैं गई आह … ओओह!
अगले ही पल भाभी की बुर का पानी निकल गया लेकिन मैंने उनको चोदना चालू रखा.
वह निढाल हो गई थीं लेकिन मैं नहीं रुका.
थोड़ी देर और धक्का मारे तो भाभी फिर से मेरा साथ देने लगीं.
मैं उनकी चुदाई करने में लगा रहा और जोर-जोर से उनकी चूत चुदाई करता रहा.
उनके ग़दराए हुए बदन से थप थप की आवाज आ रही थी.
जैसे जैसे मैं धक्का दे रहा था, उनकी मादक आवाज मुझे और जोश दिला रही थी.
मुझे एक मोटी माल को चोदने में बहुत मजा आ रहा था.
मेरे लिए भी किसी मोटी माल को चोदने का ये पहला शानदार अनुभव था, तो मैं भी इसका पूरा आनन्द लेकर चुदाई कर रहा था.
और मैं करूं भी क्यों ना … जब माल खुद मुझे रोज चुदाई के लिए मिलने की बात कह रही थी.
भाभी भी बोल रही थीं- आंह चोदो … अपनी इस मोटी माल को आआह ओहह!
कुछ देर तक धक्का लगाने के बाद मेरा भी रस निकलने को हुआ.
मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा- आहह … भाभी मैं आ रहा हूँ.
वो अब और ज्यादा मजा लेने लगी थीं.
उनकी आवाज निकलने लगी- करते रहो मेरे राजा करते रहो … मेरे राजा. बहुत मजा आ रहा है.
अब मैं बिंदास हो गया था और मैंने आखिरी धक्के देने शुरू कर दिए.
कोई 10-15 धक्कों के बाद मेरा भी पानी उनकी चूत में निकलने लगा.
मेरे लंड की जोर की पिचकारियां उनकी बुर को तर करने लगीं.
भाभी ने भी इस पल का आनन्द लेते हुए मुझे दबोच लिया.
मैं पिचकारी छोड़ते हुए उनके ऊपर लेट गया.
भाभी भी मेरे साथ दोबारा से झड़ गई थीं और सोफे पर निढाल हो गईं.
थोड़ी देर बाद मेरे माथे पर भाभी अपना हाथ फेरने लगीं.
मैंने भी सर उठा कर उनकी आंखों में देखा और उनके होंठों पर किस करते हुए पूछा- कैसा लगा?
भाभी ने वो कहा, जिसकी मैं उम्मीद कर रहा था.
भाभी ने कहा- आज से मेरी तुम्हारी शुरुआत हो चुकी है. अब ये रुकना नहीं चाहिए.
यह बोलकर उन्होंने एक प्यारी सी मुस्कान बिखेर दी.
मैं फिर से भाभी को किस करने लगा.
धीरे धीरे मेरे अन्दर फिर से उत्तेजना आने लगी.
भाभी भी दुबारा से उत्तेजित होने लगीं.
कुछ देर बाद वह कहने लगीं- अब मुझे बेडरूम में ले जाकर चोदो.
मैं उन्हें अपनी बांहों में उठा कर बेडरूम में ले गया.
वो दिखने में मोटी थीं लेकिन उनका वजन सामान्य से थोड़ा सा ही ज्यादा था.
उस दिन और रात में मैंने उनकी 5 बार चुदाई की.
मैं भी उनकी चुदाई करके पूरा थक गया था और हम दोनों साथ में सो गए.
इस प्रकार हमारी चुदाई की शुरुआत हो गई.
धीरे-धीरे उनके चेहरे पर भी मुस्कान और संतुष्टि का भाव लौटने लगे.
दोस्तो, बताएं कि आपको मेरी और रोशनी भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी. अपना सुझाव जरूर दीजिएगा.
मोटी भाभी की टाइट चुत की कहानी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.
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