छोड़कर सामग्री पर जाएँ

मूसल लंड से गांड मरवाने का नशा

  • द्वारा


मैन टू मैन सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपने दोस्त से गांड मरवा रहा था तो एक अंकल को पता लगा गया. उन अंकल ने मेरी गांड कैसे फाड़ी?

दोस्तो, मेरी पिछली समलैंगिक सेक्स कहानी

गांड मरवाने का नशा- 3

में आपने पढ़ा था कि मैं राजेश से मिलने गया था.

वहां शराब पीने के बाद राजेश तबियत से मेरी गांड बजा रहा था लेकिन चचा ने ये सब देख लिया और मुझे गांड मराने के लिए तैयार कर लिया.

अब आगे पढ़ें मैन टू मैन सेक्स कहानी:

मजबूरी में न चाहते हुए भी मुझे चचा की बात मानना पड़ी.

चचा का लंड लुंगी में सलामी मार रहा था. चचा ने एक झटके में अपनी लुंगी निकाल कर फेंक दी.

उनका भीमकाय लंड देख कर मेरा और राजेश का मुँह खुला रह गया.

मेरी गांड तो बिना लंड लिए ही फट गई.

घनी काली झांटों के बीच कम से कम 8 इंच का खीरे सा मोटा लंड काले नाग की तरह फन उठाए हुए था.

लंड का सुपारा एकदम लाल और बड़े मशरूम की तरह था.

इतना बड़ा और मोटा लंड देख कर मेरी घिग्गी बंध गई.

चचा का सुपारा लंड से भी मोटा था.

उनका लंड थोड़ा टेढ़ा और ऊपर की ओर उठा हुआ था, जिसके कारण वो और भी विकराल लग रहा था. चचा के लंड से निकल रहे प्रीकम की बूंदें बल्ब की रोशनी में चांदी सी चमक रही थीं.

चचा लंड हिलाते हुए बोले- कैसा लगा?

मैं बोला- चचा इससे तो मेरी गांड फट जाएगी, इतना मोटा मैं बर्दाश्त ही नहीं कर पाऊंगा.

चचा खीज कर बोला- मादरचोद गांडू, ज्यादा नखरे मत दिखा. चुपचाप मज़ा ले … और लेने दे. साले एक बार गांड में लेगा, तो आज के बाद मुझे कभी नहीं भूलेगा, तुझे इतना मज़ा आएगा.

वे मेरे नज़दीक आ गए और अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया.

मैंने उनका लंड पकड़ा.

इतना मोटा लंड था कि मेरी मुट्ठी में ही नहीं आ रहा था. उनका लंड बहुत गर्म भी था.

मैं झुका और चचा का लंड मुँह में लेने की कोशिश करने लगा लेकिन मुश्किल से लंड का सुपारा ही अन्दर घुस रहा था.

चचा मेरा सर पकड़ कर मुँह चोदने लगे. लेकिन केवल सुपारा तक ही घुस पा रहा था.

कुछ देर बाद मैंने लंड बाहर निकाला और जीभ से उनका लंड चाटने लगा.

चचा राजेश से बोले- लगता है इसको मेरा लंड देख कर नशा उतर गया है. जरा रूम में अन्दर जाकर अपने दोस्त के लिए एक पटियाला पैग बना लाओ. पहले इसे मस्त करना पड़ेगा.

मुझे खुद भी एक तगड़े पैग की जरूरत महसूस हो रही थी.

राजेश चुपचाप उठा और एक बड़ा पैग नीट ही बना लाया.

मैंने एक ही सांस में पूरा ग्लास खाली कर दिया.

मुँह में कड़वाहट हुई, तो मैंने चचा का लंड चूस कर स्वाद ठीक कर लिया.

कुछ देर में मैं पूरे नशे में टुन्न हो गया था और मेरा सारा डर खत्म हो गया.

अब चचा ने मुझे पलटा दिया और मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए मेरी गांड को बड़े गौर से अपनी पारखी निगाहों से देखने लगे.

अभी अभी राजेश ने मेरी गांड को तबियत से बजाया था तो गांड का छेदा लाल हो गया था.

मेरी गोरी चिकनी और साफ़ सुथरी गांड देख कर चचा का लंड भी पागल होने लगा था. उनके लंड के झटकों से ये साफ़ पता चल रहा था.

चचा मेरे एक चूतड़ पर हाथ फेरते हुए बोले- आज मेरा लंड भी तर जाएगा … इतनी गोरी और कमसिन गांड मार कर मेरे लंड की भी तबियत खुश हो जाएगी.

मैंने खुश होते हुए बोला- चचा, आपने सही फरमाया है, मेरी गांड बहुत कमसिन है. बस थोड़ा प्यार से डालिएगा.

चचा मेरी गांड के छेद को अपने खुरदरे अंगूठे से सहलाते हुए बोले- अरे बेटा चिंता मत करो, तुझे बहुत मज़ा आने वाला. तेरी चाची तो मेरे लंड की दीवानी है. आज से तेरी गांड भी इसकी लवर हो जाएगी.

फिर चचा ने नारियल तेल का डब्बा लिया और ढेर सारा तेल मेरे चूतड़ों के बीच में डाला.

कुछ तेल अपनी मोटी उंगलियों में भी लगाया और पहले एक उंगली मेरी गांड में डाल कर खुले हुए छेद मसाज करने लगे.

जब मेरी गांड अच्छी तरह से नारियल तेल सराबोर हो गई, तो चचा ने अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड में पेल दिया.

एकदम से दो उंगली पेलने से मैं चिंहुक गया और हल्का सा दर्द भी हुआ. मेरे मुँह से कामुक अंदाज़ में ‘आन्ह आन्ह …’ की मादक निकलने लगी.

फिर चचा ने ढेर सारा नारियल तेल मेरी गांड में डाला और दोनों उंगलियों से मेरी गांड पेलने लगे.

उनकी दो उंगलियां भी राजेश के लंड से भी मोटी थीं.

कुछ ही देर में चचा की दोनों मोटी उंगलियां आसानी से सटासट मेरी गांड में जाने लगीं.

मैंने भी अपनी कमर उठा कर गांड को ढीला छोड़ दिया था.

कुछ देर में मेरी गांड का छेद ढीला हो गया.

चचा ने फिर से नारियल तेल लिया और अपने लंड पर उसे अच्छी तरह से लगा लिया.

अब उन्होंने मुझे पलटाया और मेरे आंड सहलाते हुए मेरे पेट औऱ छाती को सहलाने लगे.

मैं कामुकता से आंख बंद करके मज़ा लेने लगा.

मेरे पूरे शरीर में अजीब सी सिरहन हो रही थी.

फिर उन्होंने मेरी दोनों चुचियों को उंगलियों से मींजना शुरू कर दिया.

कुछ देर में मेरे दोनों निप्पल सख्त और बड़े हो गए.

वो मेरे बगल में लेट गए और मेरे निप्पल को जीभ से चाटने लगे.

बीच बीच में अपने होंठों से मेरी चुचियों को जोर जोर से खींच देते.

चचा के गांड मारने के इस निराले अंदाज से मैं पूरी तरह मदहोश हो गया.

मेरे मुँह से कामुकता भरी ‘उन्ह आह …’ की आवाज़ निकल रही थी.

इसी बीच उन्होंने अपनी दोनों उंगली मेरी गांड में डालीं और गोल गोल घुमाने लगे. मैं कमर उचका कर उनकी उंगली लेने लगा.

कुछ देर में चचा उठे और उन्होंने मेरी कमर के नीचे तकिया रख दिया, वे अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर रगड़ने लगे.

मुझे दारू के नशे में लंड का सुपारा बड़ा मस्त लग रहा था.

मैं भूल चुका था कि लंड कितना बड़ा और मोटा है.

फिर चचा ने थोड़ा सा थूक अपने सुपारे पर लगाया और उसे गांड के छेद पर सैट कर दिया. मैंने भी सुपारे की गर्मी का मजा लेते हुए अपनी गांड ढीली छोड़ दी.

सुपारे की नोक ने गांड के फूल को रगड़ा और उसे प्यार किया. तभी चचा ने हल्का सा धक्का दे मारा.

इस धक्के से लंड का आधा सुपारा गांड के अन्दर घुस गया था.

मुझे दर्द हुआ और मैंने गांड को सिकोड़ लिया.

उन्होंने चूतड़ सहलाते हुए कहा- बेटा थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो, आसानी से घुस जाएगा और अपनी गांड ढीली किए रहो.

ये कह कर चचा ने थोड़ा सा नारियल तेल मेरी गांड और अपने लंड में लगा लिया.

उन्होंने फिर से लौड़ा गांड के छेद पर रखा और इस बार थोड़ा जोर का धक्का मारा.

उनका पूरा सुपारा में गांड में घुस गया.

मैं दर्द से बिलबिला गया और अपनी चीख को बहुत मुश्किल से रोक सका.

चचा थोड़ी देर रुक गए और मेरे आंड को सहलाने लगे.

थोड़ी देर में मेरा दर्द कम हुआ तो वे धीरे धीरे कमर हिला कर मुझे पेलने लगे.

लंड अन्दर घुस गया था तो मुझे अब मजा आने लगा था.

इसी बीच उन्होंने एक तेज़ धक्का मारा, उनका आधे से ज्यादा लंड गांड में अन्दर धंस चुका था. इस बार मुझे दर्द कम हुआ.

धीरे धीरे चचा स्पीड बढ़ाते गए. बीच बीच में वो लंड बाहर निकालते और मेरी गांड में ढेर सारा थूक डाल देते.

जिससे उनका लंड आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था.

मैंने अपने दोनों पैरों से उनकी कमर को जकड़ लिया और अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगा.

इसी बीच फिर से एक तेज़ झटका लगा और इस बार उनका पूरा लंड मेरे अन्दर घुस गया था.

उनका लंड मुझे अपनी नाभि तक महसूस हो रहा था.

मुझे लगा किसी ने गांड में गर्म सरिया पेल दिया हो.

मेरी गांड पूरी तरह फट चुकी थी. इतना मोटा लंड लेने के बाद किसकी गांड साबुत बची रहेगी.

चचा ने मेरे दोनों पैरों को पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया और अपनी स्पीड बढ़ाने लगे.

मुझे अब पूरा मज़ा आने लगा और मैं पूरा साथ देने लगा.

वे पूरा लंड निकालते और एक बार में ही अपना 8 इंच का लंड मेरी गांड में पेल देते.

अब आसानी से उनका लंड अन्दर बाहर हो रहा था.

दस मिनट तक गांड मारने के बाद उन्होंने अपना लंड निकाला और मुझे पलटा दिया. मेरे पेट के नीचे तकिया रखा, जिससे मेरी गांड ऊपर की ओर हो गई.

वे मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी गांड में लंड डालकर मेरे ऊपर लेट गए.

उनका पूरा वजन मेरे शरीर पर था.

चचा ने मेरी दोनों टांगों को अपनी टांगों से लपेट लिया और हाथों से कंधे को पकड़ कर अपने शरीर को आगे पीछे करने लगे.

उनका लंड मेरी गांड के दीवारों को बुरी तरह रगड़ने लगा. लेकिन दर्द की जगह मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

नारियल तेल की चिकनाई की वजह से उनका लंड आसानी से पच पच की आवाज़ करता हुए गांड में अन्दर बाहर घुस रहा था.

उनका लंड मेरी गांड में जड़ तक जा रहा था.

नशे के कारण से मैं उनका पूरा वज़न आसानी से सहन कर रहा था.

बीच बीच वे जोर जोर से कमर मार देते.

इससे पूरा कमर फ़ट फ़ट की आवाज़ से गूंज रहा था.

इन मस्त आवाजों से हम दोनों का जोश बढ़ जाता और चचा अपनी स्पीड बढ़ा देते.

वो मेरे कान को जीभ से चाट रहे थे जिससे मेरी वासना और बढ़ रही थी.

चचा पूरे एक्सपर्ट खिलाड़ी थे.

पन्द्रह मिनट की जबरदस्त रगड़ाई के बाद चचा थक गए और मेरे बगल में लेट गए.

मैंने उनके आंडों को सहलाया और उनके लंड को मुठियाने लगा.

उनका लंड एकदम कड़क हो गया.

मैं उनके ऊपर लेट गया और उनका लंड पकड़ कर अपनी गांड में डाल दिया.

अब मैं काउब्वॉय स्टाइल में उनसे चुदने लगा.

उन्होंने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे होंठों को चूसने लगे.

मैं भी उनका पूरा साथ देने लगा और अपनी लार उन्हें पिलाने लगा.

इधर मैं अपनी कमर हिला कर पूरा लंड अपनी गांड में ले रहा था.

बस ऐसा लग रहा था कि इस चुदाई का अंत ही नहीं हो.

हम दोनों में से कोई भी हटने को तैयार नहीं था.

नशा और वासना आज एक हो गए थे.

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे रुकने का इशारा किया.

उन्होंने राजेश से पानी मांगा और एक ही सांस में पानी पी गए.

फिर वो चौकी (खटिया) पर पैर लटकाकर बैठ गए और अपनी गोदी में बैठने का मुझे इशारा किया.

मैं उनके सीने से सीना लगाकर उनकी गोद में बैठ गया और उनको अपनी बांहों में भर लिया.

उन्होंने एक हाथ से मेरे चूतड़ पकड़ कर मुझे उठाया और अपने लंड को मेरी गांड की छेद पर सैट कर दिया.

फिर हल्का सा धक्का मिलते ही उनका पूरा लंड मेरे गांड में गायब हो गया.

चचा मोटे तगड़े इंसान थे और मैं पतला दुबला … मैं उनसे चिपक गया.

उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगे.

वो मेरे होंठों और गर्दन को चूमने चाटने लगे, जिससे मैं पूरा जोश में आ गया.

मैंने भी अपनी दोनों टांगों से उनकी कमर को जकड़ लिया था और जोर जोर से कमर हिलाने लगा था.

हम दो जिस्म और एक जान हो गए थे.

दोनों की शरीर की गर्मी एक दूसरे को अलग नहीं होने दे रही थी.

उनका मोटा लंड मुझे बहुत मज़ा दे रहा था और मेरी कड़क चुदाई चल रही थी.

फिर वो मुझे गोद में लिए हुए ही खड़े हो गए और जोर जोर से चोदने लगे. पूरा रूम फट फट की आवाज़ से गूँजने लगा.

जितनी तेज आवाज़ आती, चचा की स्पीड और तेज़ होती जाती.

साथ में मैं भी कमर उचका उचका कर उनका साथ दे रहा था.

चचा जब थक गए तो उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया और मिशनरी स्टाइल में मुझे चोदने लगे.

अब उनकी आंखें अब बन्द होने लगी थीं, मैं समझ गया कि वो झड़ने वाले हैं.

मैं झट से बोला- चचा अन्दर नहीं, बाहर गिराइएगा.

वो और स्पीड से चोदने लगे और अचानक अपना लंड निकाल कर हिलाने लगे.

उनके लंड से तेज़ी से वीर्य निकला.

उनका माल इतना प्रेशर से निकला था कि जाकर दीवार से चिपक गया.

फिर उन्होंने अपना लंड पकड़ कर नीचे किया. एकदम गाढ़ा माल मेरे छाती और पेट पर निकलता गया.

इतना वीर्य निकलते मैंने पहली बार देखा. मेरा पूरा शरीर उनके वीर्य से नहा गया और पूरा कमरा उनके वीर्य की महक से गमक उठा था.

मस्ती में उनकी आंखें बंद थीं.

चचा ने हांफते हुए मुझे अपनी बांहों में भर लिया और बेड पर लेट गए.

कुछ देर में मैं उठा और अपने शरीर को साफ किया.

मेरी गांड में हल्का हल्का दर्द हो रहा था.

मैं उठा और बाथरूम जाकर फ्रेश हुआ.

जब वापस आया तो बेड पर कोई नहीं था. नशा और लम्बी चुदाई से मैं थक गया था तो नंगा ही बेड पर लेट गया.

कुछ देर बाद चचा भी आ गए और मेरे बगल में लेट गए.

उनका लंड अब छोटा हो गया था लेकिन मेरा लंड जितना खड़ा में लम्बा होता, उनका लंड अभी उतना बड़ा था.

राजेश बगल के कमरे में था तो चचा ने उसे भी बुला लिया और साथ में ही सोने को बोले.

हम सब नंगे ही सोए हुए थे. एक तरफ राजेश था, बीच में मैं और दूसरे किनारे चचा.

मुझे तुरन्त नींद आ गई लेकिन अभी 10 मिनट ही हुए होंगे कि मेरी नींद टूट गई.

अबकी बार मेरी गांड में राजेश का लंड था और वो मेरा कमर पकड़ कर सटासट पेले जा रहा था.

पहले उसका माल गिरा नहीं था, चचा जो बीच में आ गए थे.

मैं कुछ नहीं बोला.

पांच मिनट बाद उसने माल फेंक दिया और वो सो गया.

मुझे भी नींद आ रही थी.

मैं पलट गया और उसको पकड़ कर सो गया.

लेक़िन मेरी किस्मत में उस रात सोना ही नहीं लिखा था.

अभी घंटा भर भी नहीं हुआ होगा कि दोबारा नींद टूट गई.

इस बार चचा का लंड मेरी गांड में लग गया था.

मैं बोला- चचा आपका लंड बहुत बदमाश है … आज सोने को मिलेगा या रात भर मेरी गांड का भुर्ता ही बनेगा!

चचा मेरी चूची दबाते हुए बोले- पहली बार ऐसा गोरा-चिट्टा माल मिला है. आज तो तुम्हें जी भरके भोगूँगा. सो तो तुम कल भी लोगे. ऐसा खिंची हुई गांड मुझे न जाने फिर कब मारने मिलेगी.

ये बोल कर चचा ने पूरा औजार मेरी गांड में ठूंस दिया और अपनी स्पीड बढ़ा दी.

मैंने भी गांड मरवाते हुए कहा- आंह चोद लीजिये चचा, मुझे भी अपनी गांड के लिए आपके जैसा ही लंड चाहिए था. बस ये आपकी बड़ी बड़ी झांटें मुझे परेशान कर रही हैं.

चचा जोश में आकर और जोर से पेलने लगे. कुछ देर बाद वो उठे और मेरी दोनों टांगों को फैला कर अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया और मेरे ऊपर लेट गए.

चचा मेरी गर्दन को चूमने चाटने लगे. मैंने भी जोर से उन्हें पकड़ लिया. बीच बीच में मेरी गर्दन को चचा अपने दांतों से हल्का सा काट लेते तो मेरे पूरे शरीर में सिरहन सी पैदा हो जाती. मैं उनसे और जोर से चिपक जाता.

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे पलटा और कमर पकड़ कर उठा लिया. डॉगी पोजीशन में बैठा दिया.

इससे मेरी गांड खुल गई.

चचा ने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को फैलाया तो मेरी गांड का छेदा जो कि लाल दरवाजा बन गया था, पूरी तरह खुल गया.

अब मेरी गांड, गांड नहीं गुफा बन गई थी.

चचा ने ढेर सारा थूक मेरी गांड में डाला, जो सीधे मेरी खुली गांड में अन्दर तक चला गया.

उसी समय चचा ने अपना पूरा लंड गांड में डाला और हचक कर गांड मारने लगे.

चचा मेरी कमर को पकड़ कर जितनी जोर से कमर चला सकते थे, चला रहे थे.

पूरा कमर ‘थप थप …’ की आवाजों से गूंज गया था.

मेरे मुँह से केवल ‘आह ऊह आ … धीरे चचा फट गई आह गांड फट गई चचा …’ की मादक आवाज़ निकल रही थी.

लेकिन चचा कहां रुकने वाले, वे बेदर्दी कसाई की तरह मुझे पेलते रहे.

मेरी कमर में उनके धक्कों से दर्द होने लगा था लेकिन वो कसाई की तरह धक्के मारते रहे.

मैंने राजेश की ओर देखा, तो वो आंख बंद कर सोने का नाटक कर रहा था लेकिन उसका लंड पूरी तरह से जागा हुआ था और उससे लार टपक रही थी.

मुझे और चुदवाने का हिम्मत नहीं थी तो मैंने उसका लंड पकड़ लिया और मुठियाने लगा.

उसने अपनी आंखें खोल दीं.

मैंने उसका लंड पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचा और लंड मुँह में लेकर चूसने लगा.

राजेश का लंड चूसने में मेरी गांड ऊपर की ओर उठ गई. चचा का लंड निकल गया.

चचा हल्के खड़े से हो गए और उन्होंने अपना लंड पकड़ कर नीचे करके फिर से मेरी गांड में डाल दिया.

उनका लंड पूरा टाइट होकर मेरी गांड में जा रहा था.

इधर राजेश मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगा.

दस मिनट बाद राजेश मेरे मुँह में ही झड़ गया. मैं चुपचाप उसका पूरा माल गटक गया. उधर चचा अपनी फुल स्पीड में लगे थे.

कुछ देर में उन्होंने मेरी कमर जोर से पकड़ ली और अपने चूतड़ों को गोल गोल घुमाने लगे.

अचानक ‘उन्ह उन्ह आह मेरी रानी …’ बोलते हुए अपना गर्म गर्म लावा मेरी गांड में ही गिरा दिया.

उनका गर्म लावा मेरी गांड को बड़ा सुकून दे रहा था.

लंड बाहर निकल गया और चचा का रस बिस्तर पर टपकने लगा.

कुछ देर में मेरा दर्द कम हो गया. मैं उसी स्थिति में सो गया.

अब मुझमें हिलने की भी हिम्मत नहीं थी.

चचा और राजेश भी सो गए.

सुबह के 5 बजे तक मेरी ठुकाई चली थी.

सुबह 11 बजे नींद टूटी, तो मेरा पूरा शरीर दर्द कर रहा था. दारू का नशा उतर चुका था. गांड में टीस सी उठ रही थी.

मैं मुश्किल से उठा और बाथरूम गया.

जैसे ही कमोड पर बैठा, ढेर सारा वीर्य गांड से निकल गया. गांड का छेदा फैला हुआ था और लहरा रहा था. पानी से धोने पर थोड़ा आराम मिला.

राजेश और चचा पहले उठ गए थे और चचा कहीं बाहर गए थे.

काफी देर हो गई थी, तो मैंने कपड़े पहने और बाहर निकल आया.

राजेश ने मुझे देखा और वो मेरे पास आकर बोला- ठीक हो न!

मैं बोला- गदहे का लंड लेने के बाद कौन ठीक रहेगा. दारू नहीं होती, तो बर्दाश्त नहीं कर पाता. खैर … अब जाने दो. नहीं तो चचा का लंड पगला गया तो मेरी खैर नहीं.

फिर राजेश से विदा ली और फटी गांड लेकर अपने रूम पर आ पहुंचा. गांड के छेद पर गुलाब जल लगाने पर लहर तो ठीक हो गई. लेकिन 4-5 दिन गांड में दर्द बना रहा.

फिर दस दिन बाद राजेश मुझसे मिलने आया. वो थोड़ा परेशान दिख रहा था. उसने जो बोला, उसके बाद मुझे न चाहते हुए भी फिर से चचा के पास जाना पड़ा.

मैंने राजेश को परेशानी से कैसे निकाला, ये मैं अगली गे सेक्स कहानी में लिखूँगा. जरूर पढ़ें.

ये मैन टू मैन सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताइएगा.

आपका प्रेम शर्मा

[email protected]

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *