माँ बेटे की चुदाई हिंदी कहानी में पढ़ें कि एक कमरे के घर में मैं अपनी मम्मी और पापा की चुदाई रोज देखता था. एक रात मैं माँ के साथ सोया तो क्या हुआ?
मेरा नाम हनी राजपूत है. मेरी उम्र 26 साल है.
आज जिस सेक्स कहानी को मैं यहां लिखने आया हूँ, उसकी वजह से मुझे बहुत बुरा लग रहा है.
क्योंकि मेरे साथ जो भी हुआ, वो मैं जानबूझ कर भी नहीं सकता था.
जी हां, मैंने अपनी मां के साथ सेक्स (संभोग) किया था.
मैं पंजाब के रोपड़ जिला का निवासी हूँ.
मेरे घर पर हम चार लोग रहते हैं. मेरी मम्मी, पापा, दादी और मैं!
आज जो माँ बेटे की चुदाई हिंदी कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ, यह मेरे जवानी में कदम रखने के समय की बात है.
उस समय मेरी उम्र 19 साल ही थी.
हम बहुत गरीब थे, तो घर बहुत छोटा था. हमें एक साथ ही सोना पड़ता था.
मेरे पापा कमरे में एक आड़ बनाए हुए थे और वो आड़ के उस तरफ सोते थे. मैं दूसरी तरफ सो जाता था.
अपनी इस गरीबी पर लाज मुझे तब महसूस हुयी, जब मैं आधी रात को पेशाब करने उठा.
मैंने पापा की तरफ की बत्ती को जला देखा.
उस समय भी बहुत हो चुका था तो मैं भी अन्दर का सीन देख कर हैरान था और डर भी गया था कि पापा ने मुझे देख तो नहीं लिया.
मगर कुछ हुआ नहीं था. पापा मम्मी सेक्स कर रहे थे.
फिर मैं पेशाब करने चला गया.
हालांकि मेरे दिमाग में ये बात खटक रही थी. मैंने इग्नोर करना ही ठीक समझा.
पर जब मैं वापिस आया तो मेरी इच्छा हुयी कि मैं कमरे में फिर से देख लूं.
मैंने फिर से वही किया.
पर जैसे ही मैंने अन्दर देखा तो पापा मेरी मम्मी को हचक कर चोद रहे थे.
उन्होंने मुझे नहीं देखा, पर मुझसे आड़ में लगा पर्दा थोड़ा खुला छूट गया.
तभी मम्मी की चिल्लाने की आवाज़ आने लगी और मुझे सुनाई दे रही थी.
मुझे ये घटना हमेशा याद रहती है क्योंकि वो पहली बार था, जब मैंने अपने ही घर में ये देखा और सुना था.
उस समय वो गलत तो लगा था, पर अब समझ आया कि ये सब ज़िंदगी का एक हिस्सा है.
अब हर तीसरे चौथे दिन मुझे मम्मी की चुदाई की आवाजें सुनने को मिल जाता था.
इस वाकिये के बाद मैंने अपनी मम्मी की फ़िगर नोटिस करनी शुरू कर दी.
मेरी मां की उम्र वैसे तो 44 साल की हो गयी थी पर वो 33-34 जैसी ही दिखती थीं.
वो हमेशा टाइट ब्रा पहनती थीं ताकि उनके चुचे टाइट रहें.
उनकी लंबाई 5.3 फीट ही थी तो वो ज्यादा लंबी नहीं थीं.
पर उनका चलना इतना मस्त था कि गांड को तो बस देखते ही रहने का मन होता था.
फिर जब मेरी उम्र 22 साल हो गयी तो मैं एक दुकान में काम करने लगा था.
अक्सर ही मुझे वहां से रात को घर आने में देरी हो जाती थी.
गर्मियों का समय चल रहा था, तो मम्मी पापा जल्दी सो जाते थे, मैं आकर खुद ही खाना लेकर खा लेता था.
उस समय भी मुझे अपने मन में चार साल पहले हुई मम्मी की चुदाई की आवाज, उनके कराहने की आवाज़ आती थी.
वो आवाज अब तक मेरे कानों में गूँजती थी.
उस दिन भी मुझे आवाज आई- उह आह … उह आह … आराम से करो … फुद्दी में डाल लो यार ,,, गांड में दर्द होता है. मेरे मम्मे न पिया करो यार … पहले ही बहुत बड़े हो गए हैं.
मैं चुपचाप किचन में चला गया.
फिर जब मैंने खुद को हल्का रखने के लिए ब्लू फिल्म और अन्तर्वासना का सहारा लिया तो उधर पर भी मां बहन की चुदाई वाली वीडियो और कहानियां पढ़ कर मेरा मन विचलित सा हो रहा था.
पीछे से मुझे अपनी मां की चीखें सुनाई देने लगती थीं.
इसी तरह से मेरी रातें गुजरने लगी थीं.
फिर न चाहते हुए भी मेरा ध्यान गलत दिशा में जाने लगा था.
हर रोज पूरा दिन तो दुकान में अच्छे से निकल जाता पर रात को मम्मी की चुदाई की चीखें मुझे मुठ मारने को विवश कर देती थीं.
अब मैंने मम्मी पापा और अपने बीच में लगे परदे की जगह एक दरवाजा लगवा लिया था. इसे मम्मी पापा भी खुश हो गए थे.
एक दिन जैसे ही मैं दुकान से आया तो मम्मी पापा का सेक्स देख कर मेरा मन भी हो गया.
पर मुझे उस समय खाने की भूख भी थी तो मैं चुदाई देखना छोड़ कर रसोई में चला गया.
जब मैं खाना खा रहा था तो मैंने रसोई में ही एक ब्लू फिल्म लगा ली और मैं बिना इयरफोन ही उसे देख रहा था.
उस समय रसोई में कोई नहीं आता था पर उस दिन मम्मी आ गईं और मम्मी ने फोन से निकलती चुदाई की चीखें सुन लीं.
उन्होंने मुझे देखा और फिर फोन की तरफ देखा.
उनके इस इग्नोरेन्स को मैं समझ नहीं पाया.
उस समय कोई और होती तो मैं उसे हिंट समझ लेता और सेक्स करने की बात भी करता.
पर अपनी मम्मी की तरफ मेरा ऐसा ध्यान नहीं गया.
उल्टा मैं शर्म के मारे नजर चुराने लगा था.
जैसे ही मम्मी रोटी गर्म करने आईं, तो मैंने अपने लौड़े को अपने कच्छे में एडजस्ट किया.
फिर जैसे ही मम्मी पीछे मुड़ीं तो उनका कुर्ता चुचियों के पास गीला सा था, जिसका कारण मुझे पता था.
पर मैं कुछ बोल भी नहीं सकता था. मुझे पता नहीं था कि मम्मी पापा की चुदाई आधी ही हुयी थी.
थोड़ी देर में पापा भी रसोई में आ गए और मम्मी को बालों से पकड़ कमरे में खींच कर ले जा रहे थे.
मैंने टोका- क्या हुआ है पापा, ऐसे क्यों खींच रहे हो?
पापा बोले- तू चुप रह रंडी के बच्चे और सो जा.
मैं डर गया था क्योंकि मम्मी पापा की लड़ाई होती नहीं थी पर शायद मम्मी ने सेक्स पूरा नहीं किया और उसी वजह से पापा गुस्सा थे.
मैंने हिम्मत करके मम्मी को छुड़ा लिया.
मगर मुझे मम्मी भी सेक्स के लिए खुश लग रही थीं … तो वो पापा के साथ जाने को तैयार हो गईं और चली भी गईं.
फिर दस मिनट के बाद पापा ने मम्मी को बाहर भेज दिया और अन्दर से कुंडी लगा दी.
जब मम्मी दरवाजा खोल कर बाहर आईं तो वो मुँह साफ कर रही थीं और बाहर आते ही उन्होंने कुल्ला किया.
इससे ये बात तो स्पष्ट थी कि पापा ने मम्मी के मुँह में लंड डाला था, शायद माल (वीर्य) भी.
मम्मी थोड़ी मायूस थीं.
अब मम्मी मेरे कमरे की तरफ सोने आ गईं, तो मैं भी सोने चला गया.
मैंने सोते हुए मम्मी से पूछा- पापा को क्या हुआ था आज?
मम्मी ने कुछ नहीं कहा और अपनी पीठ मेरी तरफ घुमा कर सो गईं.
मुझे अजीब तो लगा था, पर मैंने ज्यादा पूछा नहीं और मैं भी सो गया.
आधी रात को मैंने महसूस किया कि मैं मम्मी के बहुत नजदीक सोया था और मेरा लौड़ा मम्मी के चूतड़ों से टच हो रहा था.
मेरा लौड़ा आधा खड़ा हो चुका था.
मैंने इसे गलत समझते हुए इग्नोर कर दिया और मैं दूसरी तरफ मुड़ कर सो गया.
अबकी बार आधी रात में जब मेरे ऊपर से चादर हट गयी थी तो मम्मी उसे देने लगीं.
जब वो चादर दे रही थीं, तो वो मेरे काफी नजदीक आ गई थीं.
कुछ समय बाद अचानक से मैं पलटा तो मेरा हाथ मम्मी के चुचों पर जा पड़ा और मुझे अलग ही महसूस होने लगा.
बंद आंखों से मेरे दिमाग में एक सपना चल पड़ा, जिसमें मेरे साथ रंडी सोयी थी.
मैंने नींद में उस रंडी को चोदने के लिए जैसे ही उसके चुचों को मसला तो मेरी मम्मी सिसकियां भरने लगीं.
अब यहां जो मैं सपने में कर रहा था, वो मैं मम्मी के साथ असल में कर रहा था.
फिर जैसे ही मैंने मम्मी की चुचियां दबाईं और ब्रा का हुक खोला, वैसे ही मेरी नींद खुल गयी.
पर मुझे न जाने क्यों अच्छा लग रहा था तो मैं सोने का बहाना करने लगा था क्योंकि अब मैं उन्हें मम्मी नहीं, एक रंडी मान रहा था.
कमाल की बात ये थी कि मम्मी भी मेरा साथ दे रही थीं.
मैं आंखें बंद करके जो उनसे बोलता गया, वो करती गईं.
वो मेरी ओर मुड़ गईं और मेरे हाथ को अपनी गांड पर फेरने लगीं.
अब मैं हैरान था कि उन्होंने अपना पजामा कब खोल दिया.
मैं समझ गया कि वो भी सेक्स करना चाहती हैं.
फिर जब वो मेरी उंगली को अपनी चूत में डाल चुकी थीं तो मैंने आंखें खोल कर उनसे पूछा- आप ये क्या कर रही हो?
उस समय वो थोड़ा सहम गईं.
पर मैंने तभी उनके होंठों को चूम लिया और वो भी पूरी तरह मेरा साथ देने लगीं.
आज बहुत सालों बाद मैं अपनी मां के चुचे चूसने वाला था, पर जैसे ही मैं चुचों की तरफ बढ़ा, वो मेरे लंड की तरफ चली गईं.
मम्मी मेरा निक्कर नीचे करके मेरे टट्टे चूसने लगीं.
जैसे ही मम्मी ने मेरा लौड़ा अपने मुँह में लिया, मेरे तो जैसे प्राण निकल गए.
इतना मस्त अहसास और ऊपर से वो मेरे लौड़े के साथ जीभ से खेल रही थीं.
मैं आंख बंद करके इस सुख को लेने लगा.
कुछ देर बाद जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लौड़ा मम्मी के मुँह से बाहर निकाल लिया.
अब उन्होंने मेरी कमर से खींच कर मेरे लौड़े को लपका और फिर से अपने गले तक ले लिया.
मैं खुद को रोक न सका और उनके मुँह में ही झड़ गया.
उनका पूरा मुँह मेरे माल से भर गया और कुछ मेरे बिस्तर पर भी गिर गया.
पर वो अभी भी कहां मान रही थीं, लगातार मेरा लौड़ा चूसे जा रही थीं.
दस मिनट तक लंड चूसने के बाद वो साइड में हो गईं.
मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था.
मैंने पूछा- बस हो गया क्या?
वो बोली- नहीं.
अब वो मेरा निक्कर उतार कर मेरा लौड़ा सहला रही थीं और मैं उनकी चूत में उंगली कर रहा था.
मैंने ध्यान दिया कि मम्मी की चुत में मेरी दो उंगलियां बड़े आराम से जा रही थीं.
फिर वो अचानक से उठीं और तकिये पर बैठ गईं.
उन्होंने मेरे मुँह को सीधे अपनी चूत में दबा दिया. मेरी नाक चूत की फांकों में फंस गई थी.
पर मैंने झटका देकर अपनी नाक बाहर निकाली और मैं मम्मी की चूत चाटने लगा.
वो मदहोश होकर कराह रही थीं और मैं मजे ले लेकर सिसकारियां भर रहा था.
अब बारी चुदाई की थी तो वो मेरी तरफ मुड़ीं और बोलीं- फुद्दी तो तेरे बाप ने मार ली … तू मेरी गांड मार ले!
मैंने आज से पहले सेक्स नहीं किया था. मैंने हामी भर दी.
पर इतने में वो बोलीं- जा पहले रसोई से सरसों के तेल की बोतल ले आ.
मैं बोतल लेकर आया तो वो घोड़ी बन कर चुदने को तैयार थीं.
मैंने भी अपने लौड़े पर तेल की मालिश की और चूतड़ों पर लौड़ा दे मारा.
लंड का अहसास लेकर मम्मी सिसकते हुए बोलीं कि अब पेल भी दे उसको.
मैंने मम्मी की गांड में आराम आराम से लौड़ा डालना शुरू कर दिया और जैसे ही आधा लंड उनकी गांड में चला गया, तो वो मस्ती से चिल्लाने लगीं.
मैंने लौड़ा बाहर निकाल दिया और एकदम से लंड को फुद्दी में घुसा दिया.
कुछ धक्कों के बाद मम्मी को चैन आ गया और वो मेरी तरफ घूम कर चूमने लगीं.
फिर मुझे अपनी तरफ खींचा, इतने में मैंने झटके मारने शुरू कर दिए.
वो ‘उह आह आह आह …’ कर रही थीं और मैं पूरा लंड अन्दर बाहर कर रहा था.
वो कामुक सिसकारियां भर भर कर बोल रही थीं कि आंह और तेज़ और तेज़.
मैं भी पूरा मजा ले रहा था. चोदते चोदते मैं उनके चुचों को भी खींच देता था, जिससे वो और मजा ले रही थीं.
मैंने लंड बाहर निकाल लिया.
मम्मी ने मुझे एक बार फिर से लौड़ा गांड में डालने को बोला.
इस बार मैंने ज्यादा तेल लगाया और मम्मी का मुँह तकिए के नीचे दबा दिया ताकि वो ज्यादा न चिल्ला सकें.
इस बार फिर से वही हुआ.
शायद पापा कभी गांड नहीं मारते होंगे.
मैं धीरे धीरे डालने की कोशिश करता रहा पर वो बहुत ज़ोर से कराह रही थीं.
मैंने अपने लंड को गांड से निकाल कर चूत में पेल दिया.
मैं उसके कान के पास गया और कान काटने लगा.
इससे मम्मी की सांसें और तेज़ हो गईं.
मैंने पूछा- पापा तुम्हें गाली देकर क्यों खींच रहे थे?
मम्मी ने सेक्स की उत्तेजना में सच बोल दिया- तेरे पापा ने मुझे तेरे दोस्त विशाल के साथ सेक्स करते हुए देख लिया था.
ये सुन कर मुझे गुस्सा भी आया पर अपनी मम्मी के साथ सेक्स करते हुए मुझे ये बात इतनी बुरी भी नहीं लगी.
वो और ज़ोर ज़ोर से आवाज ले रही थीं, कभी कभी गलती से बीच में वो विशाल का नाम लेकर भी मुझे तेज़ चोदने को बोल रही थीं.
फिर मैंने पूछा- तुम्हारी चूत इतनी चौड़ी किसने की? पापा ने या विशाल ने?
इस बार भी मम्मी ने विशाल की ही तारीफ की.
अब मैं उन्हें और तेज़ चोद रहा था और कुछ देर बाद मम्मी ने पोजीशन बदलने को कहा.
अब वो मेरे लंड के ऊपर आ गईं.
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था और उनकी चूत की गहराई में जा रहा था.
वो उछल उछल कर मेरा साथ दे रही थीं.
लगातार 20 मिनट सेक्स करने के बाद वो झड़ गईं.
फिर वो जैसे ही साइड में हटने लगीं, मैंने उनको बालों से पकड़ कर अपने लंड की तरफ ले लिया और उनके मुँह में अपना पूरा लंड घुसा दिया.
मैं उन्हें रंडी कह कह कर लंड चुसवा रहा था और वो पूरा लंड मुँह में लेकर बाहर निकाल रही थीं.
बार बार मुँह में ले लेकर मम्मी ने मुझे अपने मुँह में ही झाड़ लिया और पूरा माल पी गईं.
उसके बाद मैंने और मेरी मां ने काफी बार सेक्स किया.
आपको मेरी माँ बेटे की चुदाई हिंदी कहानी पढ़कर कैसा लगा. प्लीज़ मुझे मेल करें.
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