जीजा और साली चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मुझे साली के एग्जाम के लिए उसके साथ बस में जाना था. सर्दी की रात में हम एक स्लीपर केबिन में थे.
मेरा नाम रवि है. मैं फ्री सेक्स कहानी का नियमित पाठक हूं और अन्तर्वासना की कहानियां भी पढ़ता हूं.
मुझे यहां पर ज्यादातर ऐसी सेक्स कहानियां पसंद आती हैं जो भाई बहन, कजिन भाई बहन या हमउम्र रिश्ते में सेक्स की हों.
जैसे बुआ भतीजा हो लेकिन उनकी उम्र लगभग एक जैसी हो तो पढ़ने में ज्यादा मजा आता है.
ऐसा सच में होता है कि कभी कभी ऐसे रिश्ते में चुदाई के खेल हो जाते हैं.
मेरे भी ऐसे रिश्ते हैं, इसलिए दावे के साथ कह सकता हूं कि ये सेक्स कहानियां सच्ची होती हैं.
इसके अलावा मुझे ऐसी सेक्स कहानियां भी पसंद हैं, जो अनजान लोगों के मिलने से चुदाई तक बात पहुंच जाती है.
साथ सफर के दौरान मिले और चुदाई हो गई.
ऐसी सेक्स कहानी पढ़ने में मुझे बहुत मज़ा आता है.
मैंने खुद भी इस तरह से चुदाई की है.
अभी तक मेरा, मेरी सगी बहन के साथ सेक्स नहीं हुआ है. वो मुझसे छोटी है.
ये जरूरी नहीं है कि मेरी बहन भी मेरी तरह सोचती हो. कोशिश भी करूं तो कैसे करूं.
मैं उसके स्वभाव को जानता हूं. उसे सेक्स में दिलचस्पी नहीं है. ये बात में जानता हूं.
कहीं रिश्ते में दरार ना आ जाए, इसलिए मैंने कोशिश भी नहीं की.
परिवार में सेक्स करने से एक ख़ास बात ये होती है कि बाहर होने वाली बदनामी और फ़ालतू के खर्च से बचा जा सकता है.
मेरी एक कहानी इस साईट पर पहले भी आ चुकी है
दोस्त की प्रेमिका मुझसे चुद गयी
आज मैं अपनी नयी सेक्स कहानी आपको बता रहा हूँ.
हुआ यूँ कि मेरी कजिन ने मुझे उकसाया और वो मेरी गर्लफ्रेंड बन कर मेरे लौड़े से चुद गई.
उसे चोदने के बाद मुझे पता चला कि उसका एक बॉय फ्रैंड भी है.
लेकिन उसका चुदाई का मन था तो उसने मेरे साथ भी सेक्स कर लिया.
ऐसा तब हुआ था, जब मैं चुदाई की दुनिया में नया नया था.
उसके बाद मैंने अपनी कजिन को जीभर के चोदा और अब भी चोदता हूँ.
कजिन बहन को चोदने के बाद भी मैंने कुछ रिश्तों में चुदाई की हैं.
इसके बाद मेरी साली मेरे लौड़े के नीचे आ गई.
वो सब कैसे हुआ, उस जीजा और साली चुदाई स्टोरी को लिख रहा हूँ.
आज मैं शादीशुदा व्यक्ति हूं और मेरी पत्नी बहुत ईगो वाली है.
जब पहली बार मैं उससे मिला था तो लगा था कि ये बहुत अच्छी लड़की है.
लेकिन कहते हैं ना कि हाथी के दांत दिखाने के कुछ और होते हैं … और खाने के और.
मेरी पत्नी मुझसे सीधे मुँह बात नहीं करती है.
उसे चोदने के लिए मेरा भी मन मचलता है.
वो मुझसे चुदाई तो करवाती है लेकिन उसके नखरे बहुत ज्यादा रहते हैं.
ऐसी ओरत को चोद कर मेरी प्यास नहीं बुझती थी. जो जब मर्जी हो तो बात करे … और काम हो जाए तो ढंग से जवाब भी ना दे.
मेरी बीवी की एक छोटी बहन है जो दिखने में तो साधारण सी है.
लेकिन मुझसे बहुत अच्छे से बात करती है. वो खुद से भी मुझसे बात करना पसंद काफी करती है.
हम दोनों फोन पर अक्सर बातें करते रहते हैं.
इससे मेरी पत्नी को भी ज्यादा परेशानी नहीं है.
मेरी साली का नाम दिव्या है.
दिव्या का रंग थोड़ा सांवला सा है लेकिन वो ऐसे सज धज कर रहती है, मानो खुद को स्वर्ग की अप्सरा मानती हो.
अभी तक मैंने साली के साथ ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे उसे कोई परेशानी हो … या किसी और को बुरा लगे.
मेरे ससुराल वालों को भी मुझ पर भरोसा हो गया कि उनका दामाद एक सही इंसान है.
एक बार हुआ ऐसा कि मेरी साली का कोई एग्जाम था.
उस वक्त उसके घर पर कोई फ्री नहीं था.
साली ने मुझसे पूछा- जीजू, क्या आप मेरे साथ चल सकते हैं!
मैंने भी हां कर दी.
हमें जयपुर से जोधपुर जाना था और ये प्रोग्राम अचानक से बना था तो ट्रेन में बर्थ नहीं मिली.
बस फिर क्या था. मैंने बस की टिकट करवा ली.
रात को 10 बजे की बस थी, तो हम दोनों जयपुर से बस में बैठे.
हमने केबिन वाली स्लीपर बुक करवाई थी. अपने केबिन में में जाने के बाद हमने अन्दर से गेट बंद कर लिया.
हम दोनों इधर उधर की बातें करने लगे.
वो ठंड के दिन थे और उस दिन कुछ ज्यादा ही ठंडी थी.
बस रवाना हुई और थोड़ी देर में ठंडी हवा लगने लगी.
मुझे पता था कि बस में ठंड लगेगी … इसलिए मैं साथ में कम्बल लेकर आया था.
मगर साली नहीं लाई थी इसलिए हमारे पास एक ही कम्बल था.
साली बोली- मैं आपके पास आ जाती हूं. हम दोनों एक ही कम्बल को ओढ़ लेते हैं.
इतनी देर से मेरी साली और में आमने सामने बैठे थे और बातें कर रहे थे.
अब ठंड लगी तो वो मेरे पास आ गई.
हम दोनों ने कम्बल ओढ़ कर बातें करना जारी रखा.
लगभग 11 बजे हमने सोचा कि अब सो जाना चाहिए इसलिए हम दोनों एक ही कम्बल में लेट गए.
कुछ देर में आंख लग गई लेकिन ठंड कुछ ज्यादा लग रही थी.
मेरी साली भी मुझसे चिपक कर सोने को लगी थी.
मुझे भी ठंड लग रही थी तो मैं भी उससे चिपक कर सोने लगा.
आप सोचो कि इस तरह ठंड में कोई लड़की मर्द से चिपक कर सोएगी तो मर्द के अरमानों पर कैसे काबू हो सकेगा.
मेरे दिल में हलचल होने लगी; उधर लंड में भी हलचल होने लगी; दिमाग में भी कुछ सेक्सी विचार आने लगे.
इन सबके असर के चलते मेरे हाथ साली की कमर की तरफ बढ़े और मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचने लगा. वो भी खिसक कर मेरे और करीब आ गई.
शायद दिव्या को ज्यादा ठंड लग रही थी. उसने भी मेरी कमर पर हाथ डाल लिया.
हम दोनों की इतनी गहरी दोस्ती थी कि हम दोनों हर तरह की बातें कर लेते थे और बहुत कुछ शेयर भी कर लेते थे.
शायद इसी वजह से उसे ज्यादा परेशानी नहीं हुई.
अब हालात कुछ ऐसे थे कि हमारे केबिन का तापमान अब बढ़ने लगा था और हमारे शरीर गर्म होने लगे थे.
हम दोनों इतने करीब थे कि बस हमारे होंठों एक दूसरे से दूर थे. बाकी ऊपर से नीचे तक चिपके हुए थे.
मेरी सांसें बढ़ गई थीं और दिव्या की गर्म सांसों को मैं महसूस कर पा रहा था. मेरा मन था कि अब तो बस इसे चूम ही लूं.
लेकिन डर लग रहा था.
मेरी साली की आंखें बंद थीं, लेकिन मुझे इतना समझ आ गया था कि वो सोई नहीं है.
हम दोनों इतने नजदीक थे, फिर भी मैं दिव्या को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रहा था.
अब दिव्या ने भी अपने हाथों से मुझे अपनी तरफ खींचने के लिए हल्का जोर लगाया और अपने चेहरे को मेरी तरफ बढ़ा दिया.
उसकी ये हरकत मानो कह रही थी कि अब तो चूम लो मेरे इन रसीले होंठों को.
मैं उसके और करीब हो गया और उसके होंठों को हल्का सा छू लिया.
इससे हम दोनों को एक दूसरे सांसें और गर्म महसूस होने लगी थीं.
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपने सीने से चिपकाया और उसके होंठों को किस कर लिया.
मजे की बात ये कि वो भी एकदम से मेरा साथ देने लगी.
अब तो सारे अरमान जाग गए थे.
वो भी चाहती थी कि मैं आगे बढूं.
मैंने अगले ही पल उसे अपने ऊपर ले लिया और अपनी बांहों में जकड़ कर उसे किस करने लगा.
वो भी मुझे होंठों पर, गाल पर और गले पर किस करने लगी.
उसके चुम्बनों से मुझे ऐसा लगा, जैसे वो मुझसे ज्यादा तरस रही थी; बस पहल करने का इंतजार कर रही थी.
बहुत देर तक किस करने के बाद अब मेरी बारी थी.
मैंने उसके बदन को चूमना चालू कर दिया.
उसने ढीली सी टी-शर्ट पहनी थी और नीचे लैगी पहनी थी.
इससे मेरे काम आसान हो गया.
मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाया और उसके दोनों दूध आजाद कर दिए.
अपने मुँह से एक दूध को चूमने लगा और साथ में उसके पूरे बदन को सहलाता रहा.
मैंने टी-शर्ट और लोअर पहना था.
मेरी साली ने मेरे टी-शर्ट को निकाल दिया.
अब हम दोनों अधनंगे हो गए थे.
कपड़े उतारने के चक्कर में हमारा कम्बल अलग सा हो गया था. हमने कम्बल को ओढ़ लिया.
अब चुदाई की बारी थी.
मैंने उसकी लैगी को पैंटी सहित नीचे किया और एक पैर से बाहर निकाल दी.
ये देख कर दिव्या ने भी मेरे लोअर को नीचे कर दिया. मैंने अन्दर कच्छा नहीं पहना था.
मैं दिव्या के ऊपर चढ़ गया. उसके दोनों पैरों को थोड़ा फैलाया और उसकी चूत पर अपना लंड टिका दिया.
उसके ऊपर लेट कर मैंने उसे कसके अपनी बांहों में जकड़ा और धीरे धीरे लंड को चूत में सरकाने लगा.
जैसे जैसे मेरा लंड दिव्या की चूत में जा रहा था, दिव्या लंबी सांस ले रही थी.
मानो उसे भरोसा ना हो रहा हो कि अब उसकी चूत में लंड है या फिर उसकी चूत में उसके जीजू का लंड है.
पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और उसने मुझे कसके पकड़ा हुआ था.
हम दोनों में धीरे धीरे चुदाई शुरू हुई.
कोई दो मिनट बाद वो एकदम से जंगली हो गई और हमारी चुदाई ताबड़तोड़ होने लगी.
मैंने बीस मिनट तक अपनी साली को चोदा और उसकी चुत में ही झड़ गया.
इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी.
चुदाई के बाद जब हमें ठंड सी लगी, तब अहसास हुआ कि चुदाई के दौरान कम्बल अलग हो गया था, जिसका हम दोनों को ही होश नहीं था.
हम दोनों ने उस रात को बस में चुदाई का मज़ा दो बार लिया और एक दूसरे को चरम सुख दिया.
शादी के बाद पत्नी के अलावा दूसरी लड़की से मेरी पहली चुदाई थी, जिसमें मुझे बहुत मज़ा आया.
अगली सुबह दिव्या थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन उसके चेहरे पर चुदाई का निखार साफ नजर आ रहा था.
मैं भी अपनी साली को चोदकर खुश था.
अगले दिन मैंने दिव्या को एग्जाम सेंटर पर छोड़ा और शाम को दुबारा बस से ही वापस आए.
उस दौरान एक बार फिर हमने एक दूसरे को चुदाई वाला ढेर सारा प्यार दिया.
सुबह हम दोनों वापस घर आ गए.
अपनी साली को चोद कर मैं बहुत खुश था.
जो मज़ा मेरी पत्नी के साथ नहीं आया, वो मुझे मेरी साली ने दिया.
अब मेरा एक बेबी होने वाला है, जिसकी देखभाल करने के लिए मेरी साली मेरे घर रहने आने वाली है.
शायद ज़िन्दगी के कुछ दिन तक उसके साथ का मजा मिलेगा.
फिर कब उसकी शादी हो जाएगी और उसके बाद वो मुझसे मिलना चाहेगी भी या नहीं … ये मैं नहीं जानता.
मैं अभी भी अपनी पत्नी से प्यार बहुत करता हूं. लेकिन वो मुझे समझती नहीं है, बस मुझे इसी बात का दुख है.
वैसे मेरी साली और मैं दोनों अब भी वैसे ही नॉर्मल रहते है और बातें करते हैं जैसे पहले रहा करते थे.
बस अब फर्क इतना सा है कि अब हमारे पास बातें करने के लिए कुछ ऐसे पल होते हैं.
जो सिर्फ हम दोनों जानते हैं.
ऐसे पल समय समय पर आते रहते हैं. इसको हम प्यार तो नहीं कह सकते हैं, लेकिन हां लगाव है … दिल से भी और तन से भी.
बाकी आप बताइएगा कि मेरी जीजा और साली चुदाई स्टोरी आपको कैसी लगी.
धन्यवाद.
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