इंडियन आंटी सेक्सी कहानी मेरी पड़ोसन की चुदाई की है. मैं उनसे दोस्ती करके उनके घर जाने लगा. उनको पता था कि मेरी नजर उनके सेक्सी जिस्म पर है.
हैलो, अन्तर्वासना पढ़ने वाली जितनी भी चुत वाली पाठिकाएं हैं, वो सब अपनी अपनी चुत में उंगली डाल लें और जितने भी लंड वाले हैं, वे अपना हाथ लंड पर रख लें. मेरी इंडियन आंटी सेक्सी कहानी पढ़ कर ही आपका पानी निकल जाएगा.
मैं तेजस … बिहार का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी 29 साल है, पर ये सेक्स कहानी 4 साल पहले की है.
उस वक्त मेरे पड़ोस में एक फैमिली रहने आई थी. जिसमें अंकल की उम्र 50 साल थी और आंटी की उम्र 45 साल थी. उनके 2 लड़के थे, एक 24 साल का और एक 21 का.
आंटी का नाम रूपाली था, वो इस उम्र में भी 36-37 से ज्यादा की नहीं लगती थीं. आंटी का फिगर कुछ इस तरह से था. उनकी 36 इंच की उठी हुई पहाड़ जैसी चुचियां थीं, कमर 34 इंच की और गांड का इलाका 38 इंच का था.
जो मर्द एक बार रूपाली आंटी को देख ले, तो मेरा दावा है कि बिना लंड से पानी निकाले उससे रहा ही न जाएगा.
मैंने आंटी की मदमस्त जवानी को पाने का मन बना लिया था. इसी योजना के तहत मैंने आंटी के बड़े बेटे से दोस्ती कर और उनके घर आने जाने लगा.
मैं जब भी उनके घर जाता तो मैं आंटी को ही चोदने की नजर देखता था.
आंटी को देख कर मेरे लंड में तूफान आ जाता था, मेरा मन करता था कि अभी सभी के सामने आंटी को पटक कर चोद दूँ.
मैं जब आंटी के घर से वापस अपने घर आता, तो रूपाली आंटी को याद करके मुठ मारनी पड़ती थी.
आंटी जब भी मुझसे कोई काम करने को कहतीं, मैं तुरंत कर देता था.
इस सब कारण से आंटी मुझे पसंद करने लगीं और मुझे आंटी के नजदीक रहने का मौका मिलने लगा.
हालांकि आंटी मेरी नजर समझने लगी थीं, पर वो कुछ कहती नहीं थीं.
इससे मेरा हिम्मत बढ़ने लगी और मैं आंटी कभी-कभी छू लेता, तो आंटी कुछ नहीं बोलती थीं.
अब मुझे लगने लगा था कि आंटी भी राजी हैं. मगर कभी कोई बात ऐसी नहीं हुई, जिससे मैं उनसे खुल कर चुदाई की बात कर सकूँ.
ऐसे ही चार महीने निकल गए.
मेरी हालत और खराब होने लगी.
फिर वो पल आ ही गया जब मेरे लंड के नसीब में आंटी की चुत मिलने वाली थी.
हुआ यूं कि एक दिन मेरे दोस्त ने बोला कि मैं अपने भाई और पापा के साथ कुछ जरूरी काम से गांव जा रहा हूँ, तो तुम मेरी माँ का ख्याल रखना.
मैं बहुत खुश था कि अब शायद मुझे आंटी को चोदने का मौका मिल गया है.
अगले दिन सब चले गए, बस आंटी रह गईं.
उस दिन आंटी ने मुझे घर पर बुलाया.
तो मैं आंटी के घर आ गया.
आज आंटी पूरा चमक रही थीं. उनकी जवानी हिलोरें मार रही थी.
आंटी को देख कर मेरी तो हालत खराब होने लगी, किसी तरह मैं अपने आप को रोक पाया.
वे मेरे करीब आकर बैठ गईं और बातें करने लगीं.
फिर अचानक आंटी ने अपना पल्लू नीचे गिरा दिया, जिससे मैं आंटी के बड़े बड़े चुचों को देखने लगा.
आंटी ने इठला कर पूछा- क्या देख रहे हो?
मैंने कुछ नहीं कहा और उनके मम्मों की गोलाई को ही देखता रहा.
अचानक से आंटी ने मेरे एक हाथ को पकड़ा और अपनी चुची पर रख दिया.
मैंने उनकी चूची को हल्के से सहलाया तो आंटी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और कसके हाथ से दूध दवबाने लगीं.
अगले ही पल मैंने आंटी को अपनी बांहों में भर लिया और उनके होंठों को जोर जोर चूमने चूसने लगा.
मैं कभी होंठों पर होंठ रगड़ता, तो कभी गाल पर, तो कभी कान को, तो कभी गर्दन को चूमने लगता.
यूं ही आंटी के सेक्सी बदन को चूमते हुए और चुचियों को मसलते हुए मुझे दस मिनट से ज्यादा हो गया.
फिर हम दोनों थोड़ा अलग हुए.
आंटी बोलीं- तुम कितने दिनों से मुझे लाईन मार रहे हो, पर आगे नहीं बढ़ रहे थे. तब मुझे ही ये सब प्लान करना पड़ा.
मैं बोला- मुझे डर लगता था आंटी.
आंटी हंस दीं और मैं फिर से आंटी को पकड़ कर चूमाचाटी करने लगा.
फिर मैं उनसे अलग हुआ और बोला- मैंने आज तक किसी को चोदा नहीं है.
ये बात सुन कर आंटी बहुत खुश हो गईं और उन्होंने मुझे जोर से किस किया.
आंटी बोलीं- चल मेरे कुंवारे लौड़े … आज तुमको सब सिखा देती हूँ कि चुत कैसे चोदते हैं.
वे मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरूम में ले गईं. हम दोनों बेड पर बैठ गए और आंटी मुझे किस करने लगीं.
मैं भी उनका साथ देने लगा और चुची को भी दबा कर मजा लेने लगा.
आंटी ने अपने सारे कपड़े खोल दिए और बेड पर चित लेट गईं. आंटी पूरी नंगी थीं.
अगर उस समय कोई मुझसे पूछता कि जन्नत कहां है, तो मैं बोल देता कि आंटी के साथ ये पल मेरे लिए जन्नत से कम नहीं हैं.
फिर आंटी ने अपने पैर फैला दिए और रंडी कि तरह चुत खोलती हुई बोलीं- आजा मेरे राजा, आज तुमको चोदना सिखा देती हूँ.
मैं आंटी के करीब आ गया.
आंटी- चलो, पहले मेरी चुत चाटो.
मैंने आंटी की पकौड़ी सी फूली हुई चिकनी चुत को किस किया और जीभ से चाटने लगा.
आंटी चुत एकदम रसमलाई सी थी. मैं अपनी पूरी जीभ से चुत को नीचे से ऊपर तक चाटने लगा था.
मुझे आंटी की चुत से रिसने वाले पानी के स्वाद से बेहद मजा आ रहा था.
मैंने जीभ से ही चुत के होंठों को अलग किया और छेद में जीभ से उनको कुरेदने लगा.
इससे आंटी मस्त भरी आहें भरने लगीं- आआह … आआ … उफ्फ … इस्स … चाट ले मादरचोद … मेरी चुत चाट ले.
आंटी पूरी तरह से तड़फने लगी थीं.
इसी बीच मैं आंटी के दोनों चुचों को हाथ से मसल रहा था.
इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया था, जितना मजा मुझे आंटी की चुत और चुची को मसलने में आ रहा था.
ये वही जान सकता है, जिसने किसी ऐसी मस्त चुत को चोदा हो.
आंटी ने कुछ देर बाद मेरे मुँह को चुत में कसके दबा दिया और उनकी चुत से बहुत सारी मलाई बाहर आने लगी.
मैंने सारा रस चाट कर चुत को साफ कर दिया.
ये आनन्द भी वो ही जान सकता है, जिसने चुत का रस पिया हो. मुझे तो बहुत मजा आया.
फिर आंटी उठ कर बैठ गईं और बोलीं- तुम तो खिलाड़ी निकले.
मैं बोला- नहीं आंटी …
आंटी मुझे बीच में रोक कर बोलीं- आज से मैं तेरी आंटी नहीं, तुम्हारी रूपाली हूँ. तुम मुझे अकेले में रूपाली ही बोलना.
मैं बोला- ठीक है रूपाली मेरी जान.
हमारे बीच फिर से चूमाचाटी शुरू हो गई.
फिर आंटी ने मुझे नंगा कर दिया. जब उन्होंने मेरे लंड को देखा तो उनकी आंखें बड़ी हो गयीं.
आंटी बोलीं- इतना बड़ा लौड़ा … मैंने तो पहली बार देखा है!
मैं बोला- मेरी जान सवा सात इंच का है मगर आज तुम्हें देख कर आठ इंच का हो गया है.
आंटी बोलीं- मेरे पति का तो इससे आधा ही है.
उन्होंने होंठों को दांत से चबाया और मेरे लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगीं.
अब तक मुठ तो मैं मारता था लेकिन आज जो मजा मुझे आंटी के हाथ से आ रहा था, वो मुझे आज तक नहीं आया था.
जैसे जैसे आंटी लंड पर अपना हाथ चला रही थीं, मुझे उतना और ज्यादा मजा आ रहा था.
मैंने कहा- लंड चूस लो ना मेरी जान.
पर आंटी ने लंड चूसने से मना कर दिया.
मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया.
मेरा भी कुछ देर बाद रस निकल गया और आंटी के चेहरे व चुचों पर सारा माल निकल गया.
आंटी ने कपड़े से अपने को और लंड को साफ किया.
फिर आंटी बोलीं- अब तुम मुझे चोद चोद कर अपनी रखैल बना लो. मैं 3 साल से नहीं चुदी हूँ.
मैं बोला- मैंने अभी तक किसी को चोदा नहीं हूँ. तुम पहली हो, जिसकी चुत में मेरा लंड जाएगा. मैंने चुदाई को अब तक सिर्फ गंदी फिल्मों में ही देखा है कि कैसे चोदते हैं.
आंटी बोलीं- जैसा उन ब्लू फिल्मों में चुदाई को देखते हो, वैसा ही तो करना है. अगर कोई दिक्कत हुई, तो मैं हूँ ना बताने के लिए.
आंटी बेड पर चित लेट गईं. मैं उनके करीब गया और निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मुझे आंटी के निप्पल चूसने में बेहद मजा आ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा, जैसे मैं रबड़ी खा रहा हूँ.
मैंने आंटी को बहुत प्यार किया, आंटी के पूरे जिस्म को चूमा चूसा.
इससे आंटी भी बहुत तेज आवाज निकालने लगीं- आह आह … उई … आह आज खा जा मेरे चुचियों को … आह उई माँ … मर गयी!
कुछ देर बाद रूपाली आंटी बोलीं- कितना तड़पाओगे, अब तो अपना लंड चुत में डाल कर मुझे अपना रखैल बना लो.
मैं बोला- ठीक है रूपाली जान.
मैंने लंड को चुत के छेद पर रखा और जोर से धक्का दे दिया.
पर लंड चुत में नहीं गया और बाहर फिसल गया.
मैंने फिर से कोशिश की और धक्का दिया, मगर लंड चुत में नहीं गया.
अब आंटी ने लंड को पकड़ा और चुत के छेद पर लगाकर बोलीं- अब धक्का दे.
मैंने पूरा जोर लगा कर धक्का दे दिया, जिससे आधा लंड आंटी के चुत में चला गया.
आंटी एकदम से चीख पड़ीं- उउउईई माँआ … मर गयी, जरा रुक जा … आह बहुत बड़ा है तेरा!
मुझे आंटी ने कुछ देर रुकने को कहा, तो मैं आधा लंड चुत में घुसेड़े हुए आंटी को चूमने लगा.
कुछ देर बाद आंटी को राहत मिल गई तो वो बोलीं- हां, अब धक्का लगाओ.
मैंने तुरंत धक्का दे दिया और अपना पूरा लंड आंटी की चुत में पिरो दिया.
आंटी कसमसा गयीं, मगर इस बार उन्होंने कुछ नहीं कहा.
अब मैंने धक्का देना शुरू कर दिया. दस मिनट तक लगातार मैं आंटी को चोदता रहा. तभी आंटी की चुत ने अपना कामरस छोड़ दिया.
मैं धक्का लगातार लगाता रहा, जिससे फच फच फच की आवाजें आने लगीं.
मुझे आंटी को चोदने में बहुत मजा आ रहा था.
कुछ देर बाद मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और उनसे घोड़ी बनने को बोला.
आंटी तुरंत घोड़ी बन गईं.
मैं पीछे से आंटी की चुत में लंड डाल कर उन्हें चोदने लगा.
आंटी के चूतड़ों को पकड़ कर धक्का लगाने लगा.
मुझे इस तरह से आंटी को चोदने में बहुत मजा आ रहा था.
आंटी भी पूरा साथ दे रही थीं.
मेरे हर झटके में आंटी भी अपनी गांड पीछे करके साथ देतीं, जिससे मजा कई गुना बढ़ रहा था.
फिर मैंने आंटी को बेड पर लेटा दिया और आंटी के ऊपर चढ़ गया.
उनकी चुत में लंड घपाक से पेल दिया और धक्का मारने लगा.
दस मिनट और चोदने के बाद मैं बोला- मेरी जान मेरा आने वाला है, कहां निकालूं?
आंटी बोलीं- अन्दर ही निकाल दो.
मैंने फुल स्पीड से 5 मिनट तक आंटी की चुत चोदने के बाद अपने लंड का पूरा माल आंटी की चुत में भर दिया.
झड़ने के बाद मैं आंटी के ऊपर ही लेटा रहा.
फिर मैं नीचे आकर उनके बाजू में लेट गया.
मैंने आंटी से पूछा- कैसा लगा मेरी जान?
आंटी ने मुझे किस किया और बोलीं- आज से मैं तुम्हारी बीवी बन गई हूँ.
मैं बहुत खुश हुआ और अपनी बीवी को जोरदार किस करके उनकी चूची चूसने लगा.
कुछ देर बाद आंटी बाथरूम में चली गईं और चुत साफ़ करके बाहर आ गयीं.
मैंने समय देखा तो ढाई घंटा बीत गया था. मैं अपने घर जाने लगा, पर मेरी बीवी मेरे पास आई और 5 मिनट तक चूमाचाटी की.
फिर मैं घर चला गया.
मैंने 3 दिन तक रूपाली आंटी को बहुत चोदा; इतना चोदा कि वो मेरी लंड की दीवानी हो गई थीं.
अब जब भी मौका मिलता तो हम दोनों में चुदाई का युद्ध शुरू हो जाता.
पर रूपाली आंटी ने मुझे गांड मारने नहीं दे रही थीं और ना ही वो मेरा लंड चूसती थीं.
मैंने काफी कोशिशों के बाद आंटी की गांड मार ली और उनसे अपना लंड भी चुसवाया.
ये सब ऐसे हुआ कि वो पति की लम्बी उम्र वाला करवा चौथ का व्रत रखने वाली थीं.
मैंने उनसे बोला- इस बार मेरे लिए व्रत रखना और मैं ही तुम्हें पानी पिला कर तुम्हारा व्रत तोड़ूगा.
वो मना करने लगीं- नहीं, मैं ये नहीं कर सकती और तुम ये कर ही नहीं पाओगे.
मैंने कहा- कर तो मैं दूंगा मेरी जान मगर तुमको मेरा साथ देना होगा.
वो बोलीं- क्या साथ देना होगा?
मैंने उन्हें प्लान बताया.
वो हंस दीं और बोलीं- चलो ठीक है.
मैंने भी कहा- जब मैं तुम्हारा पति बन जाऊंगा … तो मुझे कुछ तोहफा मिलना चाहिए.
आंटी बोलीं- ओके … तुम करके दिखाओ मैं तुम्हें वो दूंगी, जो तुमने सोचा ही नहीं होगा.
उस वक्त मैंने हां बोल दिया मगर मेरी समझ में नहीं आया कि आंटी क्या तोहफा देंगी.
फिर करवा चौथ के व्रत का दिन भी आ गया.
उस रात मैं भी उनके घर में था. जब वो सज-धज कर आईं, तो मैं आंटी को देखता ही रह गया.
लाल रंग की साड़ी में आंटी बहुत सुन्दर लग रही थीं. मेरा तो मन कर रहा था कि उनको अलग ले जाकर अभी पटक कर चोद दूँ. पर मैंने अपने आप पर काबू किया.
आंटी मेरे पास आकर बोलीं- पानी अपने पास रखना.
मैंने हां बोल दिया.
जब चांद निकला तो उन्होंने अपने बेटे को कुछ काम के लिए छत से नीचे भेज दिया और पति की आरती करने लगीं.
आरती के बाद आंटी ने चक्कर आने का नाटक किया और गिर गईं, जिससे उनके थाल में रखा पानी भी गिर गया.
मैं पास में ही था, तो मैं दौड़ कर गया और थोड़ा सा बचा पानी उनके चेहरे पर छिटक कर उन्हें होश में ले आया. इसी बहाने से मैंने ही उनको पानी पिला दिया.
इस तरह से से रूपाली आंटी ने मुझसे ही पानी पिया.
जब वो गिरी थीं तो थोड़ा हल्ला हुआ.
वो सब सुनकर उसका बेटा भी ऊपर आ गया.
उसने मुझसे पूछा- मम्मी को क्या हुआ?
मैं बोला- कुछ नहीं बस थक गई होंगी … तो आंटी को थोड़ा चक्कर आ गया था.
मेरे बाद अंकल ने आंटी को पानी पिलाया और मिठाई खिलाई.
फिर सभी लोग नीचे आ गए.
कुछ देर बाद आंटी खाना लगाने लगीं.
अंकल और बेटा सब बिजी थे.
मैं मौका पाकर किचन में चला गया और जाते ही रूपाली आंटी को कसके पीछे से पकड़ लिया.
मैंने आंटी को किस किया और बोला- तुम आज मेरी पक्की बीवी बन गई हो … आई लव यू रूपा.
ये कह कर मैंने आंटी की गर्दन पर किस किया और बोला- अब बताओ मेरा तोहफा क्या है?
आंटी बोलीं- हां मुझे याद है. सब मिलेगा, बस अब तुम सबके सामने मेरी हां में हां मिलाते जाना.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर मैं बाहर आ गया.
सबको खाने के लिए आंटी बोलीं.
सब खाने लगे.
खाना खाने के बाद कुछ देर मैं वहां रुका.
फिर मैं बोला- अब मैं घर चलता हूँ.
इस पर आंटी ने बोला कि इतनी रात हो गई है, यहीं सो जाओ.
मैंने मना किया- घर पर मम्मी इन्तजार कर रही होंगी.
आंटी ने मेरे घर पर फोन कर दिया और बोल दिया कि मैं आज यहीं पर सो जाऊंगा.
मेरे घर से भी मम्मी ने हां बोल दी कि कोई दिक्कत नहीं है.
मैं रात को अपने घर नहीं गया.
कुछ देर बाद आंटी सबके लिए दूध का गिलास लाईं और सबको दूध पीने के लिए दे दिया.
उसके बाद अंकल और उनके बेटे को नींद आने लगी. सबने बोला कि वो सोने जा रहे हैं.
मैंने रूपाली आंटी से पूछा- ये सब इतनी जल्दी कैसे हुआ … सब सोने जा रहे हैं?
आंटी बोलीं कि दूध में नींद की गोली मिला दी थी.
कुछ देर बाद ऐसा लगा कि सब गहरी नींद में सो गए हैं. तब मैंने बोला- अब क्या करना है रूपा रानी?
आंटी मुस्कुरा कर बोलीं- आज तुमको मैं तुम्हारी पसंद का तोहफा दूंगी.
मैंने कुछ न समझते हुए उनका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.
आंटी ने लंड को कसके दबा दिया. फिर मैंने सारे कपड़े खोल दिए और लंड को उनके हाथ में दे दिया.
आंटी मेरे लंड के सामने घुटने के बल बैठ गईं और लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
अब मुझे समझ आ गया कि लंड चूसना ही मेरा तोहफा था.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
पांच मिनट लंड चूसने के बाद मैंने सारा माल आंटी के मुँह में गिरा दिया. वो भाग कर बाथरूम में गईं और मुँह को साफ करके आईं.
फिर आंटी अपने चूतड़ों पर हाथ फेरती हुई बोलीं- आज दूसरा तोहफा भी रेडी है.
मुझे समझते देर न लगी कि आज आंटी की गांड मारने का मौक़ा भी सामने है.
अब मैंने रूपाली आंटी को गर्म किया और घोड़ी बना कर लंड पर तेल लगा लिया.
मैंने धीरे धीरे करके अपना लंड आंटी की गांड में पेल दिया.
आंटी ने बहुत दर्द सहन किया लेकिन गांड में लंड ले ही लिया.
उस दिन मैंने इंडियन सेक्सी आंटी की मखमली गांड को बहुत देर तक चोदा.
आंटी को भी गांड मराने में बहुत मजा आया.
ये मेरी रूपाली आंटी की चुदाई की कहानी थी जो मैंने आप सभी को सुनाई.
तो दोस्तो, मैं आशा करता हूँ कि जितने भी चुत और लंड वालों ने सेक्स कहानी पढ़ी होगी, सबका पानी निकल गया होगा.
मुझे मेरी इंडियन आंटी सेक्सी कहानी पर आपके विचारों का इंतजार रहेगा.
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