हाउस सर्वेंट सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक बार मैं भाई के घर गयी तो दरवाजा बंद था. अंदर नौकर और भाभी थे. मैं समझ गयी कि भाभी नौकर से चुदाई करवा रही थी. तो मैंने क्या किया?
दोस्तो, आप सभी को प्रणाम.
आप लोगों ने 2019 में मेरी प्रकाशित सेक्स कहानियों को पढ़ा था और आपके काफी संख्या में मेल व कमेंट्स के लिए धन्यवाद.
जिन्होंने मेरी उन सेक्स कहानियों को नहीं पढ़ा उनके लिए मैं लिंक दे रहा हूँ … आप आनन्द अवश्य लें.
मेरी अब तक की अंतिम कहानी थी
ट्रेन में चुदाई का यादगार सफर
अन्तर्वासना पर आप सभी के प्यार भरे मेल के लिए दिल से शुक्रिया.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हम दोनों सना साहिल एक कपल हैं.
हमारी उम्र क्रमश: 24 व 25 साल है और हम दोनों वाराणसी से हैं.
यह हाउस सर्वेंट सेक्स कहानी पूर्णतः कल्पनिक है. इससे पहले कि सभी कहानियां सच्ची थीं.
यह बात उन दिनों की है जब मैं सना, अपनी एक भाभी के यहां गई हुई थी.
उधर एक दिन मैं शॉपिंग करके वापस आई.
तब मैंने दरवाजा बंद देखा.
मैंने घण्टी बजाई तो बहुत देर बाद घर का नौकर अपनी लुंगी संभालता हुआ आया और दरवाजा खोलते ही सकपका गया.
इस नौकर की उम्र 19 साल थी और वह काफ़ी लम्बा चौड़ा था.
मैं उसे घूरती हुई घर के अन्दर आई तो देखा कि भाभी अपने कपड़े जल्दी जल्दी दुरुस्त कर रही थीं और मुझसे नज़रें चुरा रही थीं.
पर मैं तो खुद ही एक नम्बर की चुदक्कड़ हूं, तुरंत ही सारा मामला समझ गई.
मैं भाभी को घूरती हुई बोली- ये सब क्या हो रहा था?
तब भाभी ने कहा- अरे जो तू समझ रही है, वैसा कुछ नहीं है.
मैंने हंसते हुए कहा- अच्छा, मेरी सीधी सादी सी बन्नो … पहले अपनी कच्छी तो बिस्तर के नीचे से उठा ले. मैंने कब कहा कि आप नजीम से चुदा रही थीं.
मेरी बात सुन कर भाभी ने अपने आपको देखा तो एकदम से शर्मा गईं.
क्योंकि वे हड़बड़ाहट में पैंटी पहनना भूल गई थीं.
उन्होंने झट से कच्छी उठा कर पहन ली और सलवार भी पहन ली.
अब काफ़ी हद तक उनकी सांस कंट्रोल में हो गई थी.
मैंने कहा- हां तो मेरी प्यारी भाभी, अब बताइए क्या माज़रा है?
भाभी ने कहा- वो कुछ नहीं … जरा मैं उससे तेल लगवा रही थी.
मैंने कहा- अच्छा कपड़े उतार कर तेल लगवाना तो सुना था, पर चड्डी उतार कर किधर तेल लगवाया जा रहा था भाभी जान?
अब भाभी सकपका गईं और इधर उधर देखने लगीं.
फिर मैंने ही उनके मुँह में जुबान देने की सोची.
वे शायद चुदाई की बात खुल कर नहीं कर पा रही थीं.
तो मैंने कहा- चूत चुदवा रही थीं या तेल लगवा कर गांड मरवा रही थीं?
यह सुनकर भाभी घबरा गईं मगर जब उन्होंने मेरे चेहरे पर मुस्कान देखी तो वे तनिक सहज हुईं और हंसने लगीं.
मैंने कहा- हंसिए नहीं भाभी जान, ये बताइए कि माजरा क्या चल रहा था? क्या भाईजान से खुश नहीं हो आप?
तब भाभी ने कहा- सना, ऐसी बात नहीं है. तुझे तो पता है कि तेरे भाईजान 10-12 दिन बाहर रहते हैं और घर आने के 4 दिन बाद फ़िर चले जाते हैं. अब तू ही बता मैं अपनी जवानी को कैसे कंट्रोल करूं, जबकि मैं तो तेरी तरह कॉलेज में भी नहीं पढ़ती.
यह सब सुनकर मैंने खुल कर कहा- अरे भाभी, आपने तो घर में ही सांड जैसा मर्द पाल रखा है … और आपने मुझे अब तक बताया भी नहीं? अकेले अकेले ही मजा लेती रहीं. आखिर मैं तीन दिन से आई हुई हूं और आपकी प्यारी ननद हूं, आपको मेरा ख्याल भी तो रखना चाहिये था ना!
यह सुनकर भाभी ने हंसते हुए कहा- तो अभी कौन सा वह सांड मर गया. आज रात को सांड का लेने को तैयार रहना.
मैंने कहा- हां भाभी, सच में नीचे बड़ी सुरसुरी हो रही है. आज रात को मेरी आग बुझवा ही दो.
वे कहने लगीं- तुम एक हफ्ते में 14 बार लंड लेती हो क्या?
मैंने कहा- अरे मेरी प्यारी भाभी जान, मैं तो आपके ननदोई से दिन में तीन चार बार ढोलक बजवा लेती हूँ. उन्हें भी जैसे ही मौका मिलता है, वे मेरी सवारी गांठने लगते हैं.
भाभी बोलीं- वाह, तेरा सांड तो बड़ा ही मस्त है.
मैंने कहा- हां आप कहें तो मैं अपने सांड से आपकी भी बजवा दूँ?
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- ननदोई को अपने ऊपर चढ़वा लूँगी तो तुझको बुरा नहीं लगेगा?
मैंने कहा- अरे भाभी, हम दोनों सेक्स में बड़े बिंदास हैं. कभी अपनी पसंद की चीज को छोड़ते नहीं हैं. बल्कि एक दूसरे के सामने ही गाना बजाना कर लेते हैं.
भाभी ने मुँह पर हाथ रखते हुए कहा- क्या सच कह रही हो आप? तो जरा ये भी बता दो कि तुम अब तक कितने लंड ले चुकी हो अपनी चूत में?
मैंने कहा- अरे, उसकी भी कोई गिनती रखता है. एक दो हों तो याद भी रख लो. इधर तो मौज मस्ती की … और आगे बढ़ लिए … ऐसा खेल चलता रहता है.
इसी तरह से हम दोनों की सेक्स भरी बातें होती रहीं.
फिर रात को उन्होंने अपने कमरे में नजीम को बुलवा लिया और उन्होंने खुद ही अपने हाथ से मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगी कर दिया.
भाभी नजीम से बोलीं- राजा, आज तुझे मेरी ननद की चूत की प्यास भी बुझानी है. चल जल्दी से मैदान में आ जा और अपना लंड ठोक दे इसकी चूत में!
यह सुनकर नजीम ने अपनी लुंगी उतार दी.
मैंने भाभी से कहा- आप अपने कपड़े भी तो खोलिए!
भाभी बोलीं- अरे मेरी बन्नो, तेरे सामने मुझे नंगी होने में शर्म आ रही है.
मैंने कहा- वाह री रंडी भाभी … मुझे तो अपने ठोकू से चुदवा रही हो और खुद शर्मा रही हो. चलो उतारो अपने कपड़े और सामने आ जाओ.
फिर भाभी भी पूरी नंगी हो गईं और मेरे चूचों को अपने हाथ से रगड़ने लगीं.
मैंने भी उनकी चूचियां अपने हाथों में ले लीं और मसलने लगी.
नजीम बीच में बैठा हम दोनों की बुर में अपनी उंगली चला रहा था और हम लोग उसका लंड सहला रहे थे.
जब उसका लंड पूरी तरह औकात में आ गया तब भाभी बोलीं- पहले तू ही चुदा ले. मैं बाद में चुदवाऊंगी.
नजीम ने मुझे चित लेटा कर मेरी टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपने मूसल जैसे लंड को एक ही धक्के में बुर की गहराई तक पेल दिया.
मेरी चीख निकल पड़ी- ऊऊऊ … ऊफ़्फ़ … आआ ईईइ … भोसड़ी के … मुफ़्त की चूत मिली तो साला भिखारी की तरह टूट पड़ा आअह्ह हआ आह्हह मादरचोद … भड़वे साले हरामी, ज़रा धीरे धीरे कर भैन के लंड … आज ही चूत को फ़ाड़ डालेगा क्याआ!
उसका लंड ज्यादा लम्बा तो नहीं था पर मोटा बहुत था. मेरी बुर चिरी सी जा रही थी और मेरे आंसू निकल रहे थे.
मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
मैंने भाभी से कहा- आआह्ह भाभी, निकलवा लीजिये … इसका लंड बहुत मोटा है आहह ऊफ़फ अम्मी मर गईईई.
तब भाभी ने कहा- अभी और मजा आएगा मेरी जान.
वे उठ कर मेरे मुँह पर अपनी भोसड़ी जैसी फ़टी हुई चूत फ़ैला कर बैठ गईं और मुझे अपनी चूत का रस पिलाने लगीं.
कुछ देर बाद मुझे राहत मिलने लगी थी.
नजीम मुझे जोर जोर से धक्के मार रहा था और सामने भाभी की लटक रही चूचियों को मसल कर दबा रहा था.
भाभी भी ‘आहह्ह आअह्ह ऊऊह्ह.’ करती हुई मेरे मुँह में ही झड़ गईं.
उसी वक्त अचानक ही नजीम के धक्कों की रफ़्तार में तेजी आ गई और मैं भी धपाधप धक्के लगवा रही थी.
अब तो मुझे भी बहुत मजा आने लगा था.
मैं सिसकारियां लेती हुई चुद रही थी- अह्हह राजा … और जोर से आह … फ़ाड़ डालो आज साली मेरी चूत को … फ़ाड़ कर भाभी की तरह भोसड़ी बना दो राजा … तुम्हारा अहसान नहीं भूलूंगी … आआह्ह.
तभी मैं झड़ गयी मगर नजीम का लंड तब भी नहीं झड़ा. फ़िर करीब मैं 2 बार और झड़ी, तब कहीं जाकर नजीम झड़ा.
उसके बाद हम लोग नंगे अराम करने लगे और भाभी नजीम का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
कुछ मिनट की चुसाई के बाद नजीम का लंड खड़ा होकर सलामी देने लगा.
नजीम ने भाभी को घोड़ी बनने को कहा और भाभी घोड़ी बन गईं.
वे अपनी गांड को ऊपर की तरफ से उठाकर घोड़ी बनी थीं.
साथ ही भाभी ने अपने पैरों को फैला दिए थे.
इस वजह से उनकी गांड का छेद सामने से दिखाई देने लगा.
नजीम ने गांड के छेद में अपनी जीभ अन्दर डाल दी और चाटने लगा.
वह भाभी की गांड के छेद को गीला करने लगा.
उसके बाद अपने लंड को छेद पर रगड़ने लगा.
सर्वेंट सेक्स में मजा आने से भाभी के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
नजीम अपने लंड का दबाव भाभी की गांड के छेद पर देने लगा लेकिन गांड का छेद इतना टाइट था कि भाभी के गांड में नहीं जा रहा था.
तभी नजीम ने मुझसे कहा- किचन से तेल का डिब्बा लेकर आओ ताकि मैं अपने लंड पर लाकर भाभी की गांड में डालूं … तो आराम से चला जाएगा. तेरी भाभी की गांड एकदम टाइट है.
मैं किचन में गई और तेल का डिब्बा लेकर आई.
नजीम ने उस तेल को अच्छे से अपने मूसल पर लगाया और भाभी की गांड पर अपने लंड को लगा दिया.
फिर उसने जोर से धक्का मारा. उसका पूरा लंड भाभी की गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
भाभी के मुँह से इतनी जोर से चीख निकली कि शायद बाहर तक सुनाई दिया होगा.
उनकी आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी.
ये देख कर नजीम ने अपने धक्कों की रफ़्तार को रोक दिया ताकि भाभी को थोड़ा आराम मिले.
वह एक मिनट तक शांत रहा, उसके बाद अपने लंड को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगा.
जैसे जैसे वह लंड को आगे पीछे करता, भाभी के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियां निकलने लगतीं और उनकी गांड उस मूसल लंड को लेने के लिए जगह बनाने लगी.
जब लौड़े के लिए गांड में जगह बन गई, तब नजीम की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ने लगी.
वह मस्ती से भाभी की गांड की चुदाई करने लगा.
अब भाभी को भी मजा आने लगा और वे भी अपने गांड को उठा उठा कर नजीम का लंड अपनी गांड में अन्दर तक लेने लगीं.
भाभी बोलने लगीं- आह मेरे राजा, बहुत मजा आ रहा है … इसी तरह जोर-जोर से मेरी गांड को चोदो … अपना मूसल मेरी गांड के अन्दर तक डालो और इतना चोदो कि मेरी गांड का छेद एकदम फैल जाए.
दस मिनट तक इसी तरह भाभी की घमासान गांड की चुदाई के बाद नजीम के लंड ने पानी छोड़ दिया और लंड का पूरा पानी भाभी की गांड में चला गया.
ऐसी चुदाई देख कर मेरी गांड में भी खुजली होने लगी.
मैं अपनी गांड के उद्घाटन की कहानी फिर कभी सुनाऊंगी.
आपको हमारी हाउस सर्वेंट सेक्स कहानी पसन्द आई होगी.
प्लीज मेल जरूर करें.
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