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एक बंजारे लड़के ने मेरी मस्त चुदाई की

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यह हॉट सेक्सी गर्ल हिंदी कहानी मेरी है. बहुत चुदने से मेरी चूचियां ढीली पड़ गयी थी. एक दिन सड़क किनारे मजमा लगाकर दवाई बेचते एक लड़के को देखा.

यह कहानी सुनें.

नमस्कार दोस्तो, आज जो सेक्स कहानी मैं आप लोगों को बताने जा रही हूं, वो दो साल पहले की है और ये मेरी सच्ची सेक्स कहानी है.

मैं आशा करती हूं कि आप लोगो को मेरी ये सेक्स कहानी पसंद आएगी.

हॉट सेक्सी गर्ल हिंदी कहानी शुरू करने से पहले मैं आप लोगों को खुद के बारे कुछ बताना चाहती हूं.

मेरा नाम कोमल है, मैं राउरकेला, ओडिशा की रहने वाली हूं और मेरी उम्र 27 साल है.

मेरी हाईट 5 फुट 8 इंच की है और मेरी फिगर की साइज 36-32-38 की है.

मैं दिखने में एकदम गोरी नारी हूं.

यह बात उस समय की है जब मैं भुवनेश्वर से अपनी ग्रेजुएशन पूरी करके वापस राउरकेला आ गई थी.

उस समय मेरे घर पर सिर्फ़ हम तीन लोग थे. मेरी मां, पिता जी और मैं.

मेरे पिता की कपड़ों की दो दुकान हैं और मेरी मां एक हाउसवाइफ हैं.

एक दिन करीब 7-8 बजे के आस-पास मुझे एक आवाज़ सुनाई दी. आवाज़ काफ़ी ज़ोर से आ रही थी, तो मैंने अपने घर से बाहर निकल कर देखा.

वो आवाज़ एक झोपड़ीनुमा टेंट से आ रही थी, कोई जड़ी-बूटी वाला था.

शायद कोई बंजारा आया हुआ था जो प्रचार कर रहा था.

उस समय मैं नींद से उठी थी इसलिए मैंने उसके प्रचार पर ध्यान नहीं दिया.

मेरी आदत ये है कि खाली समय में मैं अक्सर अपनी कानों में इयरफ़ोन लगा कर फुल वॉल्यूम में गाने सुनती रहती हूं.

उस दिन भी मैंने उस आवाज़ की वज़ह से कान में इयरफ़ोन लगा लिए थे.

कुछ देर बाद मेरी मां ने मुझे सब्जी मंडी जाने के लिए कहा जो हमारे घर के पीछे लगती थी.

मैं इयरफ़ोन लगाए हुए ही अपने घर से निकल गई.

कुछ दूर जाने के बाद मैंने उसी टेंट के सामने काफ़ी लोगों को देखा. हालांकि मैंने तब भी उतना ध्यान नहीं दिया और अपनी ही धुन में आगे बढ़ गई.

जब मैं सब्जी खरीद कर लौट रही थी, तब मैं इयरफ़ोन कान से निकाल चुकी थी और तब मैंने उस प्रचार को सुना.

उस प्रचार की एक बात ने मेरा ध्यान खींचा.

वो यह बात थी कि सामान छोटा हो या बड़ा हो … सबका हल यहां मिलेगा.

कोई आदमी सड़क पर मजमा लगाकर दवाइयां बेच रहा था.

और शायद वो लंड के आकार या चूचियों के आकार की बात कर रहा था.

मैं उसी समय उस टेंट में चली जाती … लेकिन उस झोपड़ी के पास काफ़ी लड़के और मर्द थे, तो मैंने सोचा कि शाम को आऊंगी, जब कोई आस-पास नहीं होगा.

दरअसल मैं अपनी चूचियों से थोड़ी परेशान थी क्योंकि मेरी चूचियां पहले की तरह कसी हुई नहीं रह गई थीं.

मैं चाहती थी कि मेरी चूचियां पहले की तरह कसी हो जाएं.

पहले मेरी चूचियां इसलिए टाईट थीं क्योंकि उन दिनों मेरे अन्दर काफ़ी आग लगी रहती थी और मेरे कुछ आशिक़ थे जो मेरी चूचियों को खूब दबाकर चूसकर मुझे चोदते थे.

जिस वजह से मेरी चूचियां ढीली हो गई थीं.

मैं शाम को घर से निकली और उस झोपड़ी की तरफ़ बढ़ने लगी. मैं जब उस झोपड़ी के पस गई तो उस झोपड़ी में एक लड़का बैठा था, जो मुझसे उम्र में बड़ा लग रहा था.

वो मुझे देखते ही बोला- आइए मैडम, जो भी समस्या हो मुझे बताइए.

मैं थोड़ी शर्मा गई और थोड़ी आगे निकल गई.

फिर एक के बाद एक आदमी आ-जा रहे थे, तो मैं कुछ देर के लिए आगे के एक पार्क में जाकर बैठ गई और थोड़ी रात होने का इंतजार करने लगी.

मेरी नज़र उसी झोपड़ी पर ही टिकी हुई थी और आस पास के लोगों पर भी.

मैं इस फिराक में थी कि जैसे मुझे मौका मिले और मैं फौरन से जाकर उस बंजारा से अपनी बात कर लूं.

अभी मैं इंतजार कर ही रही थी कि तभी उस झोपड़ी से वो लड़का निकला और झोपड़ी के पीछे जाकर अपना पजामा नीचे करके पेशाब करने लगा.

मैं बस उसे देखती रह गई. उसका लंड साफ़ दिखाई दे रहा था जो काफी बड़ा और मोटा था.

मेरी नज़रें तो जैसे वहीं पर अटक गई थीं.

तभी उस लड़के ने अनजाने में मेरी ओर देखा.

मैं एकदम से सकपका गई और दूसरी तरफ मुँह करके बड़बड़ाने लगी कि मैं भी कितनी गधी हूं, उसने मुझे देख लिया है … अब मैं क्या करूं.

उसी समय मेरी मां मुझे कॉल करके घर आने के लिए बोलीं.

अब तो मुझे घर से बुलावा आ चुका था और मुझे जाना भी था, तो मैंने सोचा कि उस लड़के की तरफ़ नहीं देखूंगी.

मैं ऐसे ही पार्क से निकली और सीधे अपने घर के तरफ़ जाने लगी.

जैसे ही मैं उस झोपड़ी के पास से गुज़री तो उसे लड़के ने मुझे सीटी मारी, पर मैं रुकी नहीं … बस चलती ही रही.

लेकिन मुझे क्या पता था कि वो लड़का मेरे पीछे पीछे आ रहा था.

फिर जैसे ही उस लड़के ने मुझे आवाज़ दी, तो मेरी गांड फट गई.

मैं तब भी चलती जा रही थी और वो मेरे करीब आता जा रहा था.

अब वो मेरे एकदम करीब आ गया था, वो मुझसे कहने लगा- ए … अपना नाम तो बता, सुन न … क्या तेरा नंबर मिल सकता है?

मैं उससे बिना कुछ बोले अपने घर घुस गई और दरवाज़ा बंद कर दिया. मेरी मां ठीक सामने सोफे पर बैठी थीं.

वो मुझे देखती हुई बोलीं- कहां गई थी तुम?

मैं मां से बोली- मैं शाम की सैर करने गई थी.

मां ने कुछ नहीं कहा.

उसके बाद मैं अपने कमरे में गई और खिड़की खोल कर देखने लगी.

जैसे ही मेरी नजर सामने गई, वो लड़का मुझे देखने लगा. मैंने फौरन से खिड़की बंद कर दी.

अब मुझे बहुत बेचैनी सी महसूस हो रही थी और बहुत सारे गंदे ख्याल भी मन में आ रहे थे.

उस रात मैं रात का खाना खाने के बाद अपनी एक सहेली के साथ कॉल पर बात करते हुए छत पर गई थी.

मैंने अपनी सहेली से बात खत्म ही की थी कि दुबारा से मेरी नजर उसी लड़के की झोपड़ी की तरफ़ चली गई.

मैं सोचने लगी कि वो लड़का तो आज मेरे पीछे ही पड़ गया था. क्या पता कल अगर मैं उस लड़के के पास गई, तो वो मेरे साथ कुछ कर न दे.

लेकिन जो भी कहो, उस लड़के का लंड काफ़ी मस्त था.

इस तरह से मैं कमरे में आ गई और बिस्तर पर लेट कर उस लड़के और उसके मोटे लंड के बारे में सोचने लगी.

उसी रात उस लड़के के बारे मेरे मन में एक बहुत ही गंदा ख्वाब भी आया.

लेकिन जब मैं उस ख्वाब से बाहर आई तो सुबह के चार बज रहे थे और मेरी बायां हाथ मेरी पैंटी में था.

साथ ही मैं पसीने से लथपथ हो गई थी क्योंकि उस समय लाइट नहीं थी और मैंने इन्वर्टर भी ऑन नहीं किया था.

मैं उठी और इन्वर्टर ऑन करने के लिए गई.

वैसे मैं इतनी सुबह उठती नहीं थी लेकिन उस सपने ने मेरी चूत गीली कर दी थी.

इन्वर्टर ऑन करके मैं अपनी चूत धोने गई. चुत धोने गई तो मन में ख्याल आया कि क्यों न एक नज़र उस लड़के की झोपड़ी पर भी डाल आऊं.

मैं पजामा पहन कर अपने घर से बाहर निकल गई और जाने लगी.

पता नहीं मेरी किस्मत में उस दिन क्या था.

जाते टाइम उस लड़के की झोपड़ी बंद थी तो मैं आगे से पार्क के चक्कर लगा कर वापस आ ही रही थी कि वो लड़का मुझे फ़िर से दिखा और वो भी पेशाब करते हुए ही!

लेकिन मैं चुपचाप मुँह नीचे किए हुई आगे जाने लगी.

मुझे लगा कि उस लड़के ने मुझे नहीं देखा है.

पर मैं गलत थी. वो लड़का सीधे मेरे पास आ पहुंचा.

उस समय मार्ग पर कोई नहीं था और वो मुझसे मेरा नाम पूछने लगा.

मैंने अपना नाम उसे बता दिया और उसने मुझे अपना नाम चिराग बताया.

वो मुझसे बोला- तुम कल मेरे पास आई थीं, लेकिन बात क्या थी … बताई नहीं?

मैं उससे बोली- मैं पार्क जा रही थी … तुम्हारे पास नहीं.

वो मुझसे बोला- तुम्हें जो चाहिए, मैं दे दूंगा और वो काफ़ी असरदार भी है.

मैं उससे बोली- तुम किस बारे बात कर रहे हो … मैं तो तुम्हें जानती तक नहीं हूँ.

वो लड़का था बड़ा कमीना, मुझसे कहने लगा- कभी शाम को मेरी झोपड़ी में आओ … सब जान जाओगी.

यह कह कर उसने एकदम से मेरी गांड को मसला और दरार में उंगली करने लगा.

मैं फौरन वहां से भागी और भागते हुए ही मैंने मुड़ कर उसे देखा, तो वह अपने हाथ को सूंघ रहा था.

ये उसका वो वही हाथ था, जिससे उसने उंगली की थी.

मैं जैसे ही घर में घुसी तो मैंने सोचा कि साले को खुद पर कितना विश्वास है. मगर ये सही नहीं होगा कि मैं उससे मिलने जाऊं.

मैं उस दिन के बाद से दो दिन घर से निकली नहीं!

लेकिन तीसरे दिन शाम तक मैं खुद को रोक नहीं सकी और मैं घर से बाहर निकल गई.

मैं फिर से चिराग की झोपड़ी की तरफ जाने लगी.

उस समय मुझे आस पास कोई दिखा नहीं.

तो मैं जैसे ही चिराग की झोपड़ी के पास आई, मैं सीधा अन्दर घुस गई.

चिराग मुझे देख कर बोला- अरे तुम आई हो … आ जा!

उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर ले लिया.

मैं उसके खींचे जाने से एकदम से उसके ऊपर ढह गई और अकबका उठी. मैं उससे कहने लगी- रुको रुको अभी नहीं, मैं रात में आऊंगी.

चिराग उस समय मेरी गांड दबा रहा था. वो मुझसे बोला- तो अभी क्या करें?

मैं उससे बोली- मुझे मेरे बूब्स टाइट करने के लिए तेल चाहिए है.

चिराग मुझसे बोला- अभी तो सारी दवाई और तेल मेरे बक्से में बंद हैं, तुम रात में आओगी … तो मैं खोज कर रखूंगा.

मैं बोली- ठीक है, अभी मैं जाती हूं.

लेकिन इतनी आसानी से चिराग मुझे कहां जाने देने वाला था. वो मुझसे कहने लगा- अभी के लिए मुझे एक चुम्मी तो देती जाओ.

मैं बोली- अभी नहीं, बाद में!

लेकिन वो जिद पर अड़ा रहा और ठीक उसी समय मेरी मां मुझे कॉल करने लगीं तो मैं चिराग से बोली- अभी कोई शोर मत करना.

मैंने मां की कॉल उठाई तो वो मुझसे कुछ राशन का सामान लाने के लिए बोलीं.

उस समय मैं चिराग के ऊपर सवार थी और वो पीछे से मेरी पजामी को सरका कर मेरी गांड को सहला रहा था.

मेरा उसी समय मूड बन गया था लेकिन मैंने कैसे भी करके चिराग को रोक लिया और उससे बोली- अभी मैं जा रही हूं … रात में आऊंगी.

चिराग बोला- ठीक है … पर ये तो बताती जाओ कि रात में कितने बजे आओगी?

मैं बोली- 10 बजे के बाद और कंडोम लिए रहना, मैं बिना कंडोम के नहीं करूंगी.

चिराग बोला- कंडोम से मज़ा नहीं आता है.

इस पर मैंने उसे साफ़ बोल दिया- कंडोम नहीं, तो फ़िर तुम भूल जाओ.

वो बोला- ठीक है, मैं लिए रहूंगा.

फिर मैं उस झोपड़ी से पीछे के रास्ते से बाहर निकल गई और राशन की दुकान से सामान लेकर अपने घर आ गई.

दिन बीता तो मैं रात के खाने के लिए खाना बनाने लगी.

उस रात खाना खाने के बाद मैं चुपके से पीछे के दरवाज़े को खोलने गई ताकि मैं देर रात को पीछे के दरवाज़े से आ और जा सकूं.

फ़िर करीब 10:30 के आस-पास मैं अपने कमरे से बाहर निकली.

उस समय मेरे मां पापा दोनों खर्राटे ले रहे थे.

चुपके से मैं पीछे के दरवाज़े से बाहर निकल कर चिराग के झोपड़ी की तरफ़ बढ़ने लगी.

मैं चिराग की झोपड़ी के पास आई और उसकी झोपड़ी के पीछे से अन्दर घुसी.

चिराग मुझे देख कर बोला- ओह, तुम आ गईं.

उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मुझे चूमने में लग गया, मेरे मम्मों को दबाने लगा.

मुझे उस समय अपनी चूचियां दबवाने में मज़ा आ रहा था.

चिराग उस समय सिर्फ़ एक टॉवल में था और मैं उसके टॉवल को खोलने लगी थी.

जैसे ही मैंने चिराग का टॉवल खोला, तो मेरा हाथ चिराग के गर्म लंड पर जा पड़ा.

मैं उसके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.

चिराग मुझे लगातार चूमे जा रहा था.

उसके मुँह से पान की महक आ रही थी और मुझे वो महक बहुत पसंद थी.

फ़िर चिराग उठा और उसने मुझे लिटा दिया.

अगले ही उसने मेरे पजामा और पैंटी को उतार दिया.

मैं अभी कुछ समझ पाती कि उसने मेरी दोनों टांगों को फैला दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए बोला- मैं चाट लूं?

मैं उससे बोली- हां, बस थोड़े से बाल हैं.

चिराग चाटने के पोजिशन में आ गया और बोला- बाल तो सभी के होते हैं. उससे क्या फर्क पड़ता है.

ये कह कर चिराग ने अपना मुँह मेरी चूत में लगा दिया और चुत चूसने-चाटने लगा.

मैं उसके चुत चाटने से सिसक उठी- आईई … ईईस्स … आह आह!

चिराग ने मेरी चूत चाटते चाटते अपनी एक उंगली भी मेरी चूत में घुसा दी और अन्दर-बाहर करते हुए चाटने लगा.

मैंने मेरी दोनों चूचियों को दबोच रखा था और आवाजें निकाल रही थी- आह ईईइस्स … आह उह!

चिराग ने कुछ ही देर में मेरी चूत को एकदम गीली कर दिया था और मुझे मदहोश.

फ़िर चिराग अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत में रगड़ने लगा.

मैं लगातार ‘आह आह …’ करती रही.

फिर मैं मदहोशी में ही चिराग से बोली- पहले कंडोम तो लगा लो और जल्दी से पेल दो … अब और मत तड़पाओ मुझे.

चिराग बोला- मैं कंडोम नहीं लाया हूं, पर तुम चिंता मत करो, मैं बाहर ही माल झाडूंगा.

मैं पूरी तरह से गर्म थी, तो बोली- ठीक है ध्यान रखना.

चिराग मेरी चूत में लंड रगड़ते हुए सनसनी पैदा कर रहा था.

मैं अभी उसके लौड़े के गर्म सुपारे से उत्तेजित हो ही रही थी कि उसने मेरी चूत में अपना पूरा लंड घुसा दिया.

इससे पहले कि मेरी आवाज़ निकलती, उससे पहले ही चिराग ने मेरा मुँह दबाया और ज़ोरदार धक्के देने लगा.

मेरी तो उस समय जैसे आवाज़ ही चली गई थी.

चिराग मुझे ऐसे चोद रहा था, जैसे उसने पहले से भी इस तरह से चोदने की ट्रेनिंग ले रखी हो.

‘थप … थप … थप … थप’ उसके अंडकोष मेरी गांड से टकरा रहे थे.

उसका लम्बा और मोटा लंड मेरी चुत को फाड़े दे रहा था. मुझे मजा आने लगा था और मैं भी चुदाई का मजा लेने लगी थी.

कुछ मिनट बाद चिराग धीरे धीरे शांत हो गया और उसने मेरी चूत से अपना चिपचिपा लंड बाहर निकाल कर अपना गर्म पानी मेरी चूत के ऊपर झाड़ दिया.

हम दोनों मस्ती भरी निगाहों से एक दूसरे को देख रहे थे.

चिराग मुस्कुरा रहा था. उसने पूछा- मजा आया?

मैंने भी हंस कर कहा- हां, तुम्हारा बहुत बड़ा है … मेरी फाड़ कर रख दी है तुमने!

वो हंसने लगा और बोला- दूसरी बार में दर्द नहीं होगा.

बस हम दोनों फिर से चुदाई की तैयारी में लग गए.

उसके आगे क्या हुआ … वही हुआ जो पहले हुआ!

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