हॉट न्यूड गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी बहू कि बहन हमारे घर रह रही थी तो एक रात उसने अपने बॉयफ्रेंड को बुला लिया और बेडरूम में ले गयी.
नमस्कार दोस्तो, मैं सुरेंद्र सिंह कहानी का दूसरा भाग लेकर आप सभी के सामने पेश हूं.
उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों ने कहानी का पहला भाग
बेटे की साली पर दिल आ गया
पढ़ा होगा और आप लोगों को पसंद आया होगा.
मैंने अभी तक आप लोगो को प्रिया के बारे में बताया था कि कैसे वो मेरे घर पर कुछ दिनों के लिए रुकी.
अब आगे की हॉट न्यूड गर्ल सेक्स कहानी की तरफ़ चलते हैं.
कुछ ही दिन में मेरी बहू और उसकी बहन प्रिया घर पर मुझसे अच्छी तरह से घुल-मिल गई थीं.
मैं भी प्रिया को देखते हुए अपनी आंखें सेंकता रहता था.
रात में बहू बेटा तो अलग कमरे में सोते थे. मैं अपने कमरे में और प्रिया को हमने गेस्ट रूम में कमरा दिया हुआ था जो कि थोड़ा अलग बना हुआ है.
मगर मैं कई बार जाकर कमरे के बाहर से ही प्रिया का हालचाल पूछ लेता था.
इसी तरह से मैं एक दिन जब उसके कमरे के बाहर गया तो वो किसी से फोन पर बात कर रही थी.
मैंने सुनने की कोशिश की तो पता चला कि वो किसी लड़के से फोन पर बातें कर रही थी.
मैं समझ गया कि उसका कोई बॉयफ्रेंड होगा क्योंकि आजकल इस उम्र में ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है.
मेरे दिल में हल्की सी जलन भी हुई, पर मैं कर भी क्या सकता था.
फिर उस दिन से मैंने गौर किया कि वो दिन में भी फोन पर काफी समय तक अकेले में बातें करती थी.
इसी प्रकार लगभग बीस दिन गुजर गए और उसके बाद कोरोना महामारी की वजह से 24 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया.
तो कोई भी एक शहर से दूसरे शहर नहीं जा सकता था और मेरी बहू का मायका तो 300 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर था.
अब उन दोनों को यहां काफी दिन तक रुकना था.
वैसे प्रिया भी मुझसे काफी घुलमिल गई थी और मैं भी उसकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखता था.
मैं जानबूझकर उससे बात करता और वो भी बहुत खुलेमन से मुझसे बात करती.
ऐसे ही एक दिन मैंने सोचा कि मैं प्रिया को कभी चोद तो नहीं सकता मगर उसके हुस्न का दीदार तो कर सकता हूँ.
दोपहर में भी मेरी बहू और बेटा अपने कमरे में होते थे और प्रिया अपने कमरे में.
एक दिन मैं दोपहर को प्रिया के कमरे के बाहर गया, दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था.
मैंने अन्दर झांककर देखा तो प्रिया गहरी नींद में थी.
मैं बिना आवाज किए अन्दर चला गया.
मैंने देखा कि प्रिया अव्यवस्थित तरीके से सो रही थी और तकिए को अपनी जांघ में फंसा कर दीवार की तरफ पलट कर सो रही थी.
उसकी गांड मेरी तरफ़ थी.
उस वक्त उसने टी-शर्ट और एक ढीला सा हाफ लोवर पहना हुआ था, जो कि उसकी जांघ के काफी ऊपर तक चढ़ गया था, जिससे उसकी गांड का काफी हिस्सा खुला दिख रहा था.
गजब की गोरी गांड थी उसकी!
मैं थोड़ा सा झुका और उसके लोवर के बीच से देखने की कोशिश की तो अन्दर उसकी चड्डी तक दिख रही थी.
काफी देर तक मैंने उस नजारे का लुत्फ उठाया और फिर जैसे आया था, वैसे ही चला गया.
मैं उसी समय अपने कमरे में गया और कमरा बंद करके प्रिया को याद करते हुए मुट्ठ मारी क्योंकि उसकी जवानी के दीदार करने के बाद अपने आप को रोक पाना मुश्किल था.
उसी दिन शाम को प्रिया जब अपनी बहन के साथ खाना बनाने के व्यस्त थी, तब मैं टहलते हुए उसके कमरे में गया.
इधर उधर देखने के बाद मुझे उसकी चड्डी और ब्रा सूखती हुई दिखी.
मैंने ब्रा को अपने हाथ में लिया और देखने लगा.
34डी नम्बर की ब्रा को नाक के पास लाकर उसकी मनमोहक खुशबू ली और उसके बाद उसकी चड्डी को उठाया.
उसकी चड्डी 90 नम्बर की थी.
मैंने उसकी खुशबू भी ली.
तब मैंने देखा कि जहां पर उसकी चूत रहती है, वहां के हिस्से में सफेद दाग धब्बे बने हुए थे.
मैं समझ गया कि लड़की की चूत से पानी निकलता है क्योंकि हो सकता है कि वो अपने बॉयफ्रेंड से फोन पर गर्म बातें करती हो या फोन पर कुछ गंदी वीडियो देखती हो.
इसका मतलब शायद वो अपनी चूत में उंगली भी करती होगी.
फिर मैंने सब वैसे ही रख दिया और बाहर आ गया.
इसी तरह मैं रोज सुबह घर की छत पर और कभी उसके कमरे में जाकर उसके हुस्न का दीदार करता रहा.
इससे आगे मैं कर भी क्या सकता था.
सब ऐसा ही चल रहा था मगर उसके बाद एक ऐसी घटना हुई कि मुझे उम्मीद जाग गई कि मैं अपने सपने को पूरा कर सकता हूँ मतलब की प्रिया की चुदाई.
मगर मैं उसके साथ जोर जबरदस्ती कभी नहीं करता, जब वो तैयार होती … तब ही मैं ऐसा सब करता.
हुआ यूं कि 30 मार्च की रात जब घर के सभी लोग सो गए तो करीब एक बजे रात मुझे कुछ आहट सी महसूस हुई.
मैं अपनी बालकनी में गया जहां काफी अंधेरा था.
मैंने प्रिया के कमरे की तरफ देखा तो दरवाजा आधा खुला हुआ था और प्रिया का बिस्तर मुझे साफ साफ दिख रहा था मगर प्रिया वहां पर नहीं थी.
इधर उधर देखा तो पाया कि प्रिया बाहर के मेन गेट के पास खड़ी हुई किसी लड़के से बात कर रही थी.
लड़का गेट के बाहर था और प्रिया गेट के अन्दर!
मैं चुपचाप सब देखता रहा, वो लोग मुझे नहीं देख सकते थे क्योंकि मैं अंधेरे में था.
करीब एक घंटा तक दोनों ने वहीं खड़े होकर बात की, फिर वो लड़का चला गया.
प्रिया भी कमरे में गई और दरवाजा बंद करके सो गई.
आप लोग सोच रहे होंगे कि मैंने कुछ किया क्यों नहीं, तो आप लोगों को बता दूँ कि मेरे दिमाग में अलग ही खिचड़ी पक रही थी.
मुझे लगने लगा था कि हो सकता है कि मैं प्रिया को अपने नीचे लाने में कामयाब हो सकता हूँ.
मगर उसके लिए जो मैंने सोचा था वो पूरा होना चाहिए और मेरा तीर अपने निशाने पर लगना चाहिये था.
उस रात काफी देर तक मैंने इसके बारे में सोचा कि जो मैं सोच रहा हूँ अगर वैसा हुआ तो क्या करना चाहिए.
मैंने अपनी पूरी प्लानिंग तैयार कर ली थी, बस मुझे उस सही मौके की जरूरत थी.
दो दिन तो कुछ भी नहीं हुआ, बस जैसे रोज होता था वैसे ही हुआ. उससे अलावा कुछ भी नहीं.
फिर 3 अप्रैल की रात मुझे मेरा मौका मिल गया, जब मैं अपना हथौड़ा गर्म लोहे पर मार सकता था.
मगर फिर भी मेरे कामयाब होने की बहुत कम उम्मीद थी, फिर भी मैंने कोशिश की.
हुआ यूं कि रोज की तरह रात में सब अपने अपने कमरे में चले गए.
रात के एक बजे मुझे फिर से कुछ आहट सुनाई दी.
मैं फिर से अपनी बालकनी में गया और सीधा मेनगेट की तरफ़ देखा तो प्रिया और वही लड़का खड़े होकर बात कर रहे थे.
मैं भी बालकनी में खड़े होकर दोनों को देखता रहा.
शायद आज उन दोनों का अलग ही प्लान लग रहा था.
कुछ देर में वो लड़का दीवार कूद कर अन्दर आ गया और दोनों कमरे में चले गए और दरवाजा लॉक कर लिया.
बस इसी मौके की मुझे तलाश थी, शायद ऊपर वाले ने मेरी सुन ली थी.
मैं तुरंत ही अपने कमरे से आहिस्ता आहिस्ता निकला ताकि मेरे बेटे बहू को कोई भनक न लगे.
मेरे पास प्रिया के कमरे की एक और चाभी थी, जिससे कि मैं आसानी से लॉक खोल सकता था.
मैं बाहर निकला और बड़े आराम से प्रिया के कमरे तक पहुंच गया.
मैं काफी देर तक बाहर खड़े होकर अन्दर से आती हल्की हल्की आवाजों को सुनता रहा.
दोस्तो, सही मायने में बताऊं तो मैं चाहता था कि अगर दोनों सेक्स करने वाले हों, तो मैं ऐसे समय में अन्दर जाऊं कि दोनों मुझे बिना कपड़ों के मिलें.
करीब 15 मिनट बाद ही मुझे अन्दर से प्रिया की सिसकारियां सुनाई देने लगीं.
मैं समझ गया कि इनका प्रोग्राम शुरू हो गया है.
मैंने अब देर न करते हुए तुरंत ही चाभी लगाई और दरवाजा खोलकर अन्दर चला गया.
मैंने देखा कि वो लड़का बिस्तर पर प्रिया के ऊपर लेटा हुआ था और प्रिया केवल ब्रा और चड्डी में ही थी.
उस लड़के ने केवल पैंट पहनी हुई थी और वो दोनों एक दूसरे की चूमाचाटी कर रहे थे.
अचानक से मुझे अन्दर देखकर दोनों जल्दी से अलग हो गए और प्रिया ने अपने बदन पर चादर ढक ली.
उस लड़के ने मुझे देखा और खड़े होकर अपनी शर्ट उठाई और मुझे किनारे करते हुए बाहर भाग गया.
मैं चाहता तो बड़ी आसानी से उसे हॉट न्यूड गर्ल को दबोच सकता था मगर मैं ऐसा चाहता ही नहीं था क्योंकि मेरे अन्दर कुछ और ही चल रहा था.
अब कमरे में मैं और प्रिया ही थे.
प्रिया चादर ओढ़े बिस्तर पर बैठी हुई थी, उसके चेहरे पर काफी डर था और वो कांप रही थी.
अब मैंने उससे कहा- ये क्या हो रहा था यहां?
प्रिया बिल्कुल शांत रही.
मैं- मैं कुछ पूछ रहा हूँ तुमसे, ये सब क्या चल रहा था … कौन था वो लड़का … और यहां कैसे आ गया वो?
मेरे किसी भी सवाल का प्रिया कोई जवाब नहीं दे रही थी, बस डरी सहमी हाथों से चादर को जोर से पकड़े हुए नीचे की ओर देख रही थी.
मेरे बार बार पूछने के बाद भी प्रिया के मुँह से कोई शब्द नहीं निकल रहे थे.
वो बहुत ज्यादा डर गई थी और वो उठकर कहीं जा भी नहीं सकती थी क्योंकि वो उस वक्त ब्रा और चड्डी में चादर ओढ़े बैठी थी.
अब मैं अपना दबाव थोड़ा और बढ़ाने वाला था.
मैंने उससे कहा- चलो ठीक है तुम नहीं बता रही हो, तो मैं तुम्हारे पापा से ही पूछ लेता हूँ कि ये सब क्या हो रहा है.
मैं अपने जेब से मोबाइल निकाल कर नम्बर लगाने का नाटक करने लगा.
मुझे ऐसा करते देख प्रिया तुरंत ही बोली- नहीं … नहीं … ऐसा मत कीजिए प्लीज. पापा मेरी जान ले लेंगे प्लीज उनको कुछ मत बताइए. वो मेरा दोस्त है और मुझसे मिलने के लिए आया था.
मैं- अच्छा मिलने आया था … और ये सब क्या हो रहा था बिस्तर पर! मुझे ये सब बात तुम्हारे पापा को बतानी ही पड़ेगी.
प्रिया- नहीं प्लीज, फोन मत कीजिए, अब मैं ऐसी गलती नहीं करूंगी. मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई मेरी पढ़ाई बंद हो जाएगी, मैं कहीं की नहीं रहूंगी. प्लीज ऐसा मत कीजिए.
उसकी आवाज में एक अलग ही डर लग रहा था … शायद वो अपने पापा से काफी डरती थी.
मेरे दिमाग में एक और शैतानी ख्याल आया.
मैं चाहता था कि प्रिया किसी तरह से पलंग से उठकर खड़ी हो जाए ताकि मुझे उसके बदन के दीदार करने को मिल सके.
मैं दरवाजे की ओर जाने लगा और बोला- नहीं, मुझे उनसे बात करनी ही पड़ेगी.
प्रिया समझी कि मैं बाहर जा रहा हूँ, वो तुरंत उठी और उसने मेरा रास्ता रोक लिया.
वो दरवाजा बंद करके दरवाजे पर खड़ी हो गई.
उसने अभी भी चादर ओढ़ रखी थी और दोनों हाथों से जोर से पकड़ी हुई थी.
मैं- सामने से हटो, मुझे बात करने दो.
प्रिया- नहीं प्लीज ऐसा मत कीजिए, मैं बर्बाद हो जाऊंगी. आप ये बात किसी को मत बताइए. अब मैं उससे कभी नहीं मिलूंगी और जैसा आप बोलेंगे, मैं करूंगी.
मैं- मैं तुमसे कुछ क्यों बोलूं, जो बोलना होगा … तुम्हारे पापा ही बोलेंगे.
प्रिया- नहीं नहीं घर के किसी को भी आप मत बताइए. अब आप जैसा बोलेंगे, मैं वैसा करूंगी, उससे कभी नहीं मिलूंगी.
अब मैंने अपना दांव चलना ठीक समझा.
बस बात ये थी कि मेरा दांव सही बैठता या नहीं, ये मेरी किस्मत के ऊपर था.
अभी तक तो मेरा प्लान बिल्कुल सही जा रहा था.
मैंने उसके कंधों पर अपने दोनों हाथ रखे और उससे प्यार से बोला- अगर तुम चाहती हो कि मैं आज की बात किसी को न बताऊं, तो तुमको मेरी बस एक बात माननी पड़ेगी. उसके बाद ये बात केवल मेरे तक ही रहेगी, कभी किसी को पता नहीं चलेगी.
प्रिया- बोलिए क्या बात माननी होगी?
मैं- सोच लो शायद तुम मना कर दो!
प्रिया- नहीं, मैं मना नहीं करूंगी. आप बोलिए … मैं वैसा ही करूंगी.
मैं- तुमको बस इतना करना है कि एक रात मेरे साथ सोना पड़ेगा.
प्रिया ने चौंक कर मेरी तरफ़ देखा और बोली- ये आप क्या बोल रहे हैं, मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं?
मैं- क्यों नहीं कर सकती, तुम चाहो तो जरूर कर सकती हो. आखिर उस लड़के के साथ भी तो यही कर रही थी.
प्रिया- आप मेरे पापा से भी बड़े हैं. मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं. प्लीज मुझे ये करने के लिए मत बोलिए.
मैंने उसके दोनों हाथ पकड़े, जिससे वो चादर को कसकर पकड़ी थी, उसके हाथों से चादर अपने हाथ में ली और एक झटके में नीचे सरका दी.
अब वो आधी नंगी मेरे सामने थी.
वो अपने दोनों हाथों से अपने सीने को छुपाने की कोशिश करने लगी और अपने पैरों को सिकोड़ कर अपनी चड्डी छिपाने लगी.
उसका दूध जैसा मखमली बदन मेरे सामने था.
मेरा मन तो कर रहा था कि उसे अभी बिस्तर पर पटक दूँ, मगर मैं ऐसा नहीं करना चाहता था.
मैं जो भी करना चाहता था उसकी मर्जी से, अगर वो तैयार नहीं होती तो मैं उसे कुछ नहीं करता.
अंत में मैंने अपना आखिरी दांव चला और उससे बोला- तुम्हारे पास सुबह तक का समय है. अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारी बात मानूं, तो तुम्हें मेरी भी बात माननी पड़ेगी. नहीं तो मुझे मजबूरन ये बात तुम्हारे घर वालों को बतानी पड़ेगी. नहीं तो बाद में उनको पता चलेगा तो वो मुझे ही बोलेंगे कि आपने हमें बताया नहीं. आगे का फैसला तुम्हारा है, तुम क्या चाहती हो. मैं केवल एक बार के लिए ही बोल रहा हूँ. उसके बाद तुमको कुछ करने के लिए कभी नहीं कहूंगा. सुबह तक सोचकर मुझे बता देना.
इसके बाद मैं उसके कमरे से चला गया.
रात बिना नींद के ही कट गई थी ये सोचते हुए कि आगे क्या होगा.
क्या प्रिया तैयार होगी या फिर मेरे हाथ कुछ नहीं लगेगा.
खैर … उसका फैसला जो भी होता, मैं उसको और परेशान नहीं करने वाला था और ये सब बात किसी को नहीं बताने वाला था.
रोज की तरह सुबह 5 बजे मैं छत पर एक्सरसाइज करने के लिए गया मगर उस दिन प्रिया नहीं आई.
मैंने उसके कमरे की तरफ देखा तो दरवाजा खुला हुआ था और प्रिया अन्दर कमरे में ही थी.
मैं 7 बजे तक छत पर एक्सरसाइज करता रहा पर प्रिया नहीं आई.
जब मैं नीचे जाने लगा तो देखा कि प्रिया सीढ़ियां चढ़ कर ऊपर ही आ रही थी.
मैं ऊपर ही रुक गया.
प्रिया ऊपर आई और मेरे पास आने लगी.
उस दिन उसने एक्सरसाइज वाला ड्रेस नहीं बल्कि वो एक नार्मल सा सलवार सूट पहनी हुई थी.
वो मेरे पास आई और मुझसे बोली- मुझे आपकी बात मंजूर है मगर मेरी भी कुछ शर्त है.
मैं- क्या शर्त?
प्रिया- आप जो मेरे साथ करना चाहते हैं, मैं केवल एक बार ही करूंगी … उसके बाद नहीं.
मैं- मंजूर है.
प्रिया- ये बात हम दोनों के अलावा कभी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए … न आप किसी को बताएंगे और न ही मैं!
मैं- मुझे मंजूर है.
प्रिया- आपको जो भी करना होगा, आप कर सकते हैं मगर मैं आपको अपने होंठों पर कुछ नहीं करने दूंगी.
मैं- ठीक है जैसा तुम बोलोगी वैसा होगा. मगर हम ये सब घर पर नहीं करेंगे.
प्रिया चौंकती हुई बोली- तो कहां?
मैं- तुमको एक दिन के लिए हमारे फार्महाउस चलना पड़ेगा. जो कुछ होगा, वहीं होगा.
प्रिया- मंजूर है.
इसके बाद वो और मैं नीचे चले आए.
प्रिया मेरे लंड से चुदने के लिए तैयार हो गई थी मगर कुछ शर्तों के साथ. जैसे कि वो बस एक बार ही चुदेगी और अपने होंठों का किस नहीं देगी.
मगर मैंने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं. मैंने सब सोच लिया था कि मुझे क्या करना है.
प्रिया सब कुछ देगी वो भी अपनी मर्जी से वो भी ख़ुशी ख़ुशी.
दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में आप मेरी और प्रिया की चुदाई के बारे में पढ़ेंगे, जिसमें आपको पता चलेगा कि हमारे बीच क्या क्या हुआ.
तो मिलते हैं हॉट न्यूड गर्ल सेक्स कहानी के अगले भाग में. आप चाहें तो कोमल को मेल कर सकते हैं.
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हॉट न्यूड गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: उन्नीस की चूत छप्पन का लंड- 3