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पायल की अतृप्त प्यास- 1

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हॉट इंडियन वाइफ सेक्स कहानी में पढ़ें कि कॉलेज गर्ल को चोद के आने के बाद घर में बीवी की चूत कैसे चोदी दगाबाज पति ने! बीवी को शक ना … इसलिए!

प्रिय पाठको,
मेरी पिछली कहानी
कच्छी फाड़ चुदाई
में आपने पढ़ा कि कैसे एक नवयुवती पायल ने अपने कॉलेज के लाइब्रेरियन की अन्तर्वासना जगा कर उसके साथ अपने प्रथम सहवास का मजा लिया था.

पायल अब धीरे धीरे हल्के कदमों से चल रही थी, उसकी चाल की उछाल ख़त्म हो गयी थी. उसकी चाल देख कोई भी जान सकता था कि उसकी दमदार चुदाई हुई है।

बाहर जाकर उसे बस में जाने जैसी हालत नहीं लग रही थी.
तो उसने ऑटो पकड़ा और घर को चली गई।

कुछ देर बाद प्रकाश भी बाहर आए।
प्रकाश के कंधों में एक अलग से दृढ़ता थी आज … सीना दोगुना हुआ चला जा रहा था जैसे कोई किला फतह कर लिया हो।
मन में रोज पायल की जवानी को रगड़ने के लड्डू फूट रहे थे।

अब आगे हॉट इंडियन वाइफ सेक्स कहानी:

इसी सोच में प्रकाश रास्ते भर पायल की ठुकाई के ख्यालों में बाइक चला रहा था।

पर बीवी को पता नहीं लगे… ऐसी योजना का विचार करना बेहद जरूरी हो गया था।
जल्दी ही खुशी से खिला चेहरा, चिंता में तब्दील हो गया।

उसी चिंता में प्रकाश घर पहुंचा.

प्रकाश की पत्नी, पल्लवी एक बेहद खूबसूरत और भरे हुए शरीर की महिला है और इस घटनाक्रम के वक्त उनकी शादी को तकरीबन 10 साल बीत चुके थे.
पल्लवी के शादी से पहले बॉयफ्रेंड भी रह चुके थे और शारीरिक संबंध भी।

प्रकाश और पल्लवी की पहली मुलाकात तब हुई जब दिल्ली में लगे पुस्तक मेले में पल्लवी अपनी लिखी किताब को लोगों में बांट रहीं थी।

दोनों की पहली मुलाकात शादी तक कैसे पहुंची, वो दास्तान फिर कभी!

शादी के 5 साल बाद दोनों को पता चला कि पल्लवी गर्भ धारण करने में असमर्थ है.
ऐसे में प्रकाश ने कभी पल्लवी की इस कमी को उसके खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया।

इस बात से साफ था कि प्रकाश बेहद सुलझे हुए और सज्जन पुरुष हैं, कोई भी स्त्री उन्हें पाकर अपने आपको धन्य ही मानेगी।

पति पत्नी से बच्चा ना होने के ख्याल को शायद दिल और दिमाग के आंतरिक कोनों में दबा दिया है और उस पर सेक्स की पूर्ण स्वतंत्रता का एक बगीचा बना दिया है।

दोस्तो, प्रकाश की चोदने की क्षमता को तो आप अब तक समझ ही गए होंगे.
दिन में दो दो बार मुठ मारने के बाद भी रात में वापिस जाकर बीवी की दम भर चुदाई करना, कोई आसान बात नहीं हैं।

प्रकाश की उम्र के कई मर्द केवल 1 या 2 बार ही झड़ पाते हैं एक दिन में।

पल्लवी, बेहद खूबसूरत और खुले विचारों वाली महिला है।
प्रकाश के सुखी दांपत्य का सारा श्रेय पल्लवी को जाता है क्योंकि वो आम पत्नियों की तरह सवाल जवाब नहीं करती।

उनके रिश्ते की नींव विश्वास और दोनों ओर से एक दूसरे के लिए परस्पर आदर, प्रेम और त्याग से बनी है।
पल्लवी को प्रकाश और अपने प्रेम पर ईश्वर जैसा भरोसा है।

ऐसे में जब प्रकाश पायल पर अपना लंड हारकर घर लौटे तो उसके मन में ग्लानि घर कर गई।
वो पल्लवी को धोखा नहीं देना चाहता था पर अपनी वासना के आगे हारकर, किस मुंह से पल्लवी को कहता।

यह बात ऐसी थी जो उनके सुखी दांपत्य को तार तार करने के लिए काफी थी, ऐसे में हर कदम फूंक फूंक कर रखना बेहद जरूरी था।

बताऊं या नहीं … इसी ख्याल से परेशान प्रकाश ने बैग एक किनारे जमीन पर रख दिया और डाइनिंग टेबल पर बैठ गए।

कुछ ही देर में पल्लवी दो चाय की प्याली ले आई, शाम के समय साथ में चाय पीना, दोनों की सुखी दांपत्य की नीव के एक पत्थर के समान था।

इसी तरह उनके सुखी जीवन की नीव में ऐसे कई पत्थर थे जो उनकी शादी शुदा जिंदगी को बाकी लोगों से अलग करते थे।

मेज़ पर चाय की प्याली रख, पल्लवी साथ वाली कुर्सी पर बैठ गई।

इतने सालों में पल्लवी प्रकाश को समझने लगी थी, ऐसे में प्रकाश का चेहरा पढ़ लेना एक आम बात थी.
आज पति के चेहरे पर पड़ी परेशानी की रेखाएं देख, पल्लवी ने चिंतित स्वभाव से पूछा- क्या हुआ? कुछ परेशान लग रहे हो? सब ठीक तो है? आज इतनी देर कहां लगा दी?

किंतु, जब मन में चोर हो तो सवाल कटाक्ष से चुभते हैं और चिंता से भरी आंखों में भी शक दिखाई देता है।

“बताऊंगा बाद में, तुम्हारी हाथ की चाय बेहद लाजवाब होती है, बाहर की चाय पीने का मन ही नहीं करता!”
ऐसा लगा जैसे चाय की तारीफ के पीछे सिर्फ आज की अपनी करनी छिपाने की कोशिश कर रहा था प्रकाश!

“तुम बताओ, कैसा रहा तुम्हारा दिन, क्या किया?” प्रकाश ने पल्लवी से पूछा।

“बस यूं ही, अगली कहानी की भूमिका में… ”

पल्लवी पेशे से एक लेखिका हैं, उसके मां बाप बेहद उच्च परिवार से हैं, पल्लवी उनकी तीसरी और आखिरी संतान है। पल्लवी से पहले, उसके दो बड़े भाई भी हैं, जिनमें से एक अमेरिका में अपनी पत्नी और परिवार के साथ रहता है।

दूसरा भाई कैनेडा में है और फिलहाल अविवाहित है, उसे अपनी आज़ादी बहुत प्रिय है।
ऐसे में अधेड़ उमर में माता पिता की सेवा करने के लिए कोई अपना घर में उपस्थित नहीं है।

आखिर नौकर और सेवादार के सहारे किस तरह एक अच्छा जीवन जिया जा सकता है, सुख दुख तो अपने खून से ही बांटा जाता है।

पल्लवी भी 3 से 4 माह के बीच 2 हफ्ते के लिए जाकर मायके रह आती थी।
प्रकाश को शुरू शुरू में पल्लवी से 2 हफ्ते के लिए दूर रहना बिल्कुल गवारा नहीं था; पर अब परिस्थितियां बदल चुकी है।

अब प्रकाश के जीवन में यौन सुख के अभिलाषी पायल है, जिससे वो अपनी यौन इच्छाओं की तृप्ति, पल्लवी की गैर हाज़री में खुल के कर सकता है।

पल्लवी ने प्रकाश के हाथ पर हाथ रख एक बार फिर कोशिश की- आप जानते हैं ना, कि आप मुझसे सब कुछ बांट सकते हैं। और पत्नी होने के नाते ये मेरा हक भी है कि मैं आपके हर सुख और दुख को साझा करूं!

पल्लवी प्रकाश से 3 साल बड़ी और बेहद समझदार है, वो आदर से प्रकाश को अब भी ‘आप’ कह कर संबोधित करती है।

“वो एच ओ डी ने लाइब्रेरी का समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक कर दिया है, मुझे ये ठीक नहीं लग रहा, 13 घंटे और तनख्वाह में कोई वृद्धि नहीं! और फिर घर पर तुम्हारे हाथ की चाय का सुख कैसे ले पाऊंगा, हर शाम … और सुबह कभी कभी जो प्यार करने का मूड बन जाता है, वो कैसे करेंगे, मेरे वक्त पर तुम्हारा मुझसे से ज्यादा अधिकार है। ये अधिकार ‘काम’ को किस तरह दे दूं?”

पल्लवी नहीं जानती थी कि प्रकाश कार्य वाले काम की नहीं, वासना वाले काम की बात कर रहा है।
वह मुस्कुरा कर बोली- बस इतनी सी बात … सुबह थोड़ा जल्दी उठ जायेंगे, और रात थोड़ा जल्दी सो जायेंगे. और क्या! रही चाय की बात … तो 5 की बजाए 7 बजे पी लेंगे जब तक कि आप बेड टी भी रोज मेरे साथ ही लें, सब ठीक ही होगा।
पल्लवी ने सुझाते हुए कहा.

“बेड टी, मतलब?” प्रकाश ने कन्फ्यूज होते हुए पूछा.
पल्लवी- अरे सुबह सुबह का प्यार, बुद्धू।

पल्लवी रोज अपने पति का खड़ा लंड सुबह शांत करती है, कभी मुँह से कभी चूत से, कभी गांड से, कभी चूचों से … उसे कभी प्यासा नहीं छोड़ती! पल्लवी प्रकाश को निराश नहीं करती थी.
प्रकाश- अच्छा, मैं बुद्धू …
कहते हुए उसने पल्लवी को अपनी ओर खींचा, और उसकी मोटी मोटी चूचियां भींच दी।

प्रकाश होंठों पर चुम्बन की बरसात करते हुए बोले- कितनी बार कहा है, ये ब्लाउज मुझे अच्छे नहीं लगते, मत पहना करो!
पल्लवी- फिर आपके अलावा जाने कितने लोग नज़ारे ले जायेंगे आपकी पत्नी के … उसका क्या?

प्रकाश- हां तो जलने दो जमाने को मेरी किस्मत पर! तुम्हारी खूबसूरती की तो हर तरफ चर्चा होनी चाहिए!
कहते हुए प्रकाश ने पल्लवी के बाल खोल दिए।

पल्लवी भी साड़ी उठा कर प्रकाश की गोद में टांगें अगल बगल कर के बैठ गई।

“देखो, यूं मेरे पति की गैर हाजिरी में मत आया करो, उन्हें ये सब पसंद नहीं!” अपनी कहानी के किरदार की कुछ पंक्तियां पल्लवी ने कही।

“तुम हो ही इतनी शानदार … कि रहा नहीं जाता! अगर तुम्हें बाहों में भर कर जी भर प्यार ना किया जाए तो मुझे दोष लगेगा तुम्हारी इस खूबसूरत काया को परस्पर प्रेम ना दे पाने का!” प्रकाश ने साथ देते हुए कामुक लहजे में कहा।

पल्लवी ठहाके से हंस कर बोली- अब शांत लग रहे हैं मेरे पति!

प्रकाश पल्लवी को ज़ोर से बांहों में जकड़कर पल्लवी की चूचियां अपने सीने से दबाकर और अपने हाथ पल्लवी की गांड पर सरकाते हुए बोला- शांत कहां हूं? अभी तो उफान पर हूं!
इतने कहकर पतलून की जिप से अपना लंड बाहर निकाल लिया.

पल्लवी ने भी देरी ना करते हुए प्रकाश का लौड़ा अपनी खुली चूत के मुहाने पर लगा दिया और उस पर बैठ गई।

यूं तो प्रकाश पल्लवी की मोटी गांड शादी के पहले महीने ही फाड़ चुका था।
पर यूं अचानक बातों बातों के बीच चुदाई हो जाना ये उसे बेहद पसंद था।
वो घर के हर कोने में पल्लवी को चोद चुका था।

दोनों ही कामोतेजना से भरे एक लय में काम सुख की प्राप्ति करने लगे।
पल्लवी अपनी गर्दन को प्रकाश के कंधे पर रख उसके कान चूसने लगी.

‘उम्म आह आआ आह्ह्ह ओह!’ पल्लवी की कामुक आहें प्रकाश को और गर्म किए दे रही थी।

प्रकाश ने पल्लवी के ब्लाउज के आगे से दो हुक तोड़ दिए.

उसका हाथ पकड़ पल्लवी ने रोका और अपने ब्लाउज को प्रकाश के ज़ुल्म से बचाते हुए अपने ब्लाउज के हुक खोल कर कमर के ऊपर से नंगी हो गई।
पल्लवी अपने पति की कच्छी फाड़ने की कला से वाकिफ थी इसीलिए उसने शादी के 2 माह बाद से ही, कच्छी पहनना छोड़ दिया था।

प्रकाश का मन कभी भी चोदने को हो आता था तो पल्लवी साड़ी उठा कर उसके लंड का स्वागत करती थी।

पर अब प्रकाश का ‘ब्लाउज फाड़ प्रेम’ देखकर पल्लवी को कुछ नया रास्ता ढूंढना होगा।

पल्लवी ऊपर से धकेलती हुए और प्रकाश नीचे से धकेलते हुए, मानो दोनों ही एक दूसरे को चोद रहे हो।
दोनों ही- आह्ह आआ आह्ह्ह!

“पल्लवी सच कहूं … पूरा दिन बस इसी इंतजार में गुजरता है कि कब लौटूं और तुम्हें घर आकर चोदूँ!” प्रकाश ने अपनी अन्तर्वासना जाहिर करते हुए कहा।
और पल्लवी को अपनी खूबसूरती और गदराई जवानी पर गर्व हुआ कि उसका पति शादी के 10 साल बाद भी उसे चोदने को तड़पता है।

दोनों की तेज़ सांसें एक दूसरे में घुल रही थी।

पल्लवी की गुलाबी साड़ी धीरे धीरे खुल रही थी।
दोनों एक दूसरे में खोए अपने दांपत्य सुख को भोग रहे थे।

“आआह्ह … पति देव, आराम से! मैं कहीं भागी नहीं जा रही!”
“रात को नहीं करोगे क्या? आह्ह्ह आ … आह आह आ आह!”

प्रकाश ने बातों को दरकिनार कर पल्लवी की जोरदार चुदाई जारी रखी।
उसने पल्लवी की साड़ी अलग कर दी और पेटीकोट का नाड़ा खोल के उसे पल्लवी के गले से बाहर कर दिया.

प्रकाश अपने दफ्तर के कपड़ो में ही, अपनी हॉट इंडियन वाइफ को नंगी कर चोद रहा था.
दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि कोई उन्हें देखे या नहीं!
खिड़कियां खुली थी और पल्लवी प्रकाश की कामुक आहें उनके हिलते बदन सी तेज हो रही थी।

“आह्ह्ह मेरी जान … अह्ह्ह आआआ आआह्ह ह्ह”

पल्लवी के गले का मंगलसूत्र उसकी चूचियों की खाई में अटका था, उसके माथे की बिंदिया और मांग का सिंदूर बिखर चुके थे.

प्रकाश पल्लवी को उसकी गांड पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से अपने लंड पर आगे पीछे करने लगा। पल्लवी के मोटे मोटे कूल्हों पर जांघों की ‘थप थप’ की आवाज़ गवाह थी उनकी जबरदस्त चुदाई की।

पल्लवी के चूड़ियों भरे हाथ प्रकाश के गठीले बदन को जकड़े थे, पल्लवी प्रकाश की पीठ पर अपने नाखूनों के निशान छोड़ रही थी।

शादी के इतने साल बाद भी दोनों दो नए प्रेमियों की तरह संभोग में लिप्त थे।
दोनों चरम पर थे और तेज़ी से एक दूसरे को झाड़ने को उतारू, दोनों लंबी उखड़ी सांसें भरते हुए एक साथ झड़ने लगे।

“अह्ह आह आआ आह्ह्ह प्रकाश, आई लव यू!”
“आआह्ह हआ ह्ह्ह!” प्रकाश ने पल्लवी के होंठ मुंह में दबा लिए और एक लंबे चुम्बन के साथ दोनों अपनी तेज़ी को धीरे धीरे कम करने लगे.

पल्लवी की जांघें कांप रही थी।
प्रकाश जानता था कि पल्लवी का जिस्म झड़ने पर कैसा महसूस होता है।

दस साल पुरानी बात याद करते हुए प्रकाश सोचने लगा कि कैसे सुहागरात को प्रकाश की पूरी पीठ पल्लवी ने अपने नाखूनों से छल्ली कर दी थी।

पसीने से तर प्रकाश की नीली कमीज पर दोनों के पसीने भी एक हो गए।

कुछ क्षण के लिए, प्रकाश ने पल्लवी को बांहों में भर लिया, जैसे उसे कहीं जाने ना देना चाहता हो।

पल्लवी- जाने दो ना, मुझे खाना भी बनाना है, आज भूख हड़ताल तो नहीं?
प्रकाश- मेरा तुमसे अभी मन भरा नहीं है, दोबारा करें?

पल्लवी प्रकाश के लंड को हाथ में लिए बोली- इतनी जल्दी तैयार हो जायेंगे आप, जितना मैं ‘इसको’ जानती हूं, इसे कम से कम एक घंटा और लगेगा, फिर से तैयार होने में!
प्रकाश- चूसोगी तो हो जायेगा जल्दी खड़ा!

पल्लवी- और खाने का क्या?
प्रकाश- मैं भी बदलता हूं कपड़े, जल्दी से साथ मिलकर बनाते हैं कुछ, और फिर इसको खड़ा करेंगे मिल के!

पल्लवी- आप और किचन में? काम करने से ज्यादा काम बढ़ा दोगे मेरा!
प्रकाश- अच्छा तो मैं सब्जी काट देता हूं, तुम कढ़ाई में डाल देना, मैं कड़छी चला दूंगा, तुम परोस देना!

प्रकाश की यही अदा पल्लवी को बहुत भाती थी, आम मर्दों को तरह वो हुक्म बजाने में नहीं साथ निभाने में विश्वास रखता था।

मुस्कुरा कर पल्लवी बोली- आप फ्रेश हो जाओ, मैं भी दाल चढ़ा कर नहाने आ रही हूं।
प्रकाश- मज़ा तो तब आए जब तुम ये सब काम इसी अवस्था में करो, बिना कुछ पहने!
उसने शरारत भरी बात कही और बेडरूम के शावर की तरफ बढ़ गया।

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