छोड़कर सामग्री पर जाएँ

चचेरी बुआ ने मेरा मन मोह लिया- 2

  • द्वारा


हॉट आंटी चुदाई का मौक़ा मुझे मिला जब मेरी सेटिंग पापा की चचेरी बहन से हो गयी. उन्होंने मुझे अपने घर आने का न्यौता दिया. मौक़ा मिलते ही मैं उनके घर गया.

फ्रेंड्स, मैं संजू पंडित एक बार फिर से आपको अपनी चचेरी बुआ की चुदाई के बारे में बता रहा हूँ.
कहानी के पहले भाग
चचेरी बुआ के साथ सेक्स की शुरुआत
में अब तक आपने पढ़ा था कि बुआ मेरे लिए खाना बना रही थी और मैं टीवी देख रहा था.

अब आगे हॉट आंटी चुदाई:

उसने कई सारे व्यंजन तैयार किए थे और खाना बन जाने के बाद मुझे भोजन के लिए बुलाया.
उसके घर में डाइनिंग टेबल नहीं थी इसलिए मैं फर्श पर बैठ गया.

उसने मुझे खाना परोसना शुरू कर दिया और जब भी वह परोसने के लिए झुकती, उसका पल्लू मुझे मौक़ा दे देता.

मुझे उसके क्लीवेज का पर्याप्त नजारा मिल जाता.
उसने सूती साड़ी और काले रंग का सूती ब्लाउज पहना हुआ था.

मैं उसके टू बाई टू के पारदर्शी ब्लाउज के माध्यम से उसकी सफेद ब्रा को स्पष्ट रूप से देख सकता था.
वह भी एक शरारती मुस्कान दे रही थी.

जब भी वह मुझे भोजन के साथ भोजन परोसने के लिए झुकती थी, वह मुझे अपने मदमस्त स्तनों का एक दृश्य भी परोस दे रही थी.

उसने जानबूझ कर अपना पल्लू कुछ ऐसा कर दिया था कि मुझे उसके दूध साफ़ दिखाई दे जाते थे.
दोपहर के भोजन के बाद, मैं फिर से टीवी देखने वाले कमरे में जाकर बैठ गया.

मेरे बाद उसने खाया और मेरे पास आकर बैठ गई.

उसने मुझसे पूछा- कुछ दिक्कत है क्या … तुम्हारे साथ क्या हो रहा है?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया लेकिन उसकी तरफ देखकर पूछा- मतलब?

उसने मेरी बांह पर चुटकी ली और कहा- उस दिन तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई थी? अगर तुम दूसरे दिन गांव में रहते तो तुम शायद मुझे नंगी ही कर देते.
मैंने अपना ध्यान टीवी पर वापस कर दिया और जवाब दिया- तुम्हें मजा आया था?

उसने हां में जवाब दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझसे पूछा कि क्या तुम्हें नींद आ रही है?
मैंने हां में जवाब दिया.

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे कमरे की ओर खींच कर ले जाने लगी.
उसका घर एक सिंगल बेडरूम वाला घर था.
हम दोनों कमरे में आ गए.

उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हें पहनने को धोती चाहिए?
मैंने हां कहा.

उसने मुझे धोती दे दी और मैंने उसे पहन लिया.

मैं बिस्तर पर बैठ गया और लेट गया.
वह भी मेरे बगल में लेट गई.

पंखे की आवाज को छोड़कर पूरे कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ था.
मैं उसकी और हुआ और अपनी उंगली को उसके माथे से उसके होंठों तक फेरने लगा.

फिर उसे अपने और करीब खींचकर उसकी छाती तक अपनी उंगली को नीचे ले जाता गया.

उसने मेरा हाथ थाम लिया और कहा- नहीं करो.
लेकिन मैं सुनने के मूड में नहीं था.

मैंने उसका हाथ हटा दिया और अपनी उंगली आगे नीचे ले जाता रहा.
अब मैं उसकी चूचियों की दरार को महसूस कर सकता था.

मैंने उसका एक दूध को पकड़ा और जोर से दबा दिया.
उसने बस एक हल्की सी आह छोड़ दी और कहा- मत करो, यह तृषा के स्कूल से आने का समय है. वो दो बजे आती है.

तृषा उसकी बेटी का नाम है.

मैंने घड़ी की ओर देखा और कहा- उसके वापस आने में अभी भी 2 घंटे का समय है.
वो कुछ नहीं बोली.

मैंने उसका काला ब्लाउज खोलना शुरू कर दिया.
दूसरा हुक थोड़ा मुश्किल से खुला था लेकिन एक बार उसे हटा देने के बाद बाकी को हटाना आसान था.

मैं अब उसकी सफेद ब्रा में छिपे उसके स्तन को ऊपर-नीचे होते हुए देख सकता था और उत्तेजना के कारण वह जोर-जोर से सांस ले रही थी.
मैंने अपना हाथ ब्रा के अन्दर डाला और उसके बूब्स को जोर-जोर से पंप करने लगा.

वो बहुत ही गर्म हो गई थी और वो मेरा हाथ पकड़ कर दबा रही थी.
मैंने ब्रा के कपों को नीचे से पकड़ कर ब्रा को उठा लिया.

उसके जिन सुंदर मम्मों की मैंने बहुत दिनों से कल्पना की थी, वे अब पूरी शान से मेरे सामने थे, निप्पल खड़े थे.
मैंने अपना मुँह दाहिने निप्पल पर रखा और चूसने लगा.

नम्रता आंटी ने मेरा सिर पकड़ कर अपने मम्मों की तरफ दबा दिया.
मैं उसे ‘आह आह … चूसो … आह …’ कहते हुए सुन रहा था.

वह धीमी आवाज में सीत्कार कर जैसे रही थी.
उसकी साड़ी अब पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुकी थी. साड़ी केवल उसके शरीर पर चिपकी हुई बस थी.

उसका काला पेटीकोट घुटने तक उठ गया था.

स्तन चूसते हुए मैंने अपना हाथ उसके घुटने पर रखा और अपना हाथ उसकी जांघों की तरफ ले जाने लगा.
उसकी जांघें कदली और मुलायम थीं.

मैंने उसकी जांघों को तब तक सहलाया, जब तक कि उसने अपनी दोनों टांगें पूरी तरह से खोल न दीं और मुझे उसकी सूती पैंटी के अन्दर उसकी चूत छिपी हुई महसूस नहीं हो गई.

मुझे उसकी पैंटी पर कुछ गीलापन महसूस हो रहा था.
मैंने अपना हाथ पैंटी के अन्दर डाला और उसकी चूत को महसूस किया.

चूत पर झांट के बालों की कुछ लटें थीं.

मैं अब पूरी तरह से उत्तेजित था.
मैंने उसके एक निप्पल को इतना जोर से काटा कि वह ‘आह मर गई काट कर खाएगा क्या.’ चिल्लाने लगी.

उसे मैंने चिल्लाने से मना किया और साथ ही उसकी चूत के अन्दर एक उंगली डाल दी.
मैंने उंगली को चूत में अन्दर बाहर करना शुरू किया.

वो अपने हाथ से मुँह को पकड़े हुए अपनी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही थी.
कुछ देर बाद मैं महसूस कर सकता था कि उसका बायां हाथ मेरे लंड की तरफ बढ़ रहा है.

चूंकि मैंने धोती पहनी हुई थी, तो उसके लिए कुछ आसान हो गया था.

उसने अपना हाथ मेरी जॉकी के अन्दर रखा और मेरे लंड को पकड़ लिया.
उसने मेरा लंड इतनी जोर से दबाया कि अब चिल्लाने की मेरी बारी थी.

वह हंसी और बोली- अब समझ गए कि दर्द कैसे होता है?
मैंने अपना चेहरा उसकी गर्दन के पास किया और एक बार उसे काटा.

उसने हंस कर कहा- अरे जालिम काट मत, तुम्हारे अंकल पूछेंगे तो क्या बताऊंगी.
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

अब मैं बिस्तर पर घुटनों के बल आ गया और अपना अंडरवियर उतार दिया.
मैंने अपनी धोती को फर्श पर फेंक दिया और एक हाथ में अपना लंड पकड़ कर एक बार हिला दिया.

उसने मेरे लंड को देखा और उसे पकड़ते हुए कहा- उई अम्मा रे … इतना बड़ा है तुम्हारा … और इसकी मोटाई भी बहुत ज्यादा है. मेरी फट जाएगी.
मैंने कहा- फटी हुई को क्या फटना!

वो हंस दी और बोली- तेरे अंकल ने मेरे ऊपर चढ़ना छोड़ दिया है.
मैंने उसका पेटीकोट कमर तक किया और उसकी हरी सूती पैंटी को नीचे खींच लिया.

आंटी की पैंटी को मैंने उसके टखनों तक कर दिया और उसने अपनी एक टांग की मदद से उसे पूरी तरह से हटाकर निकाल दिया.
मैंने अपना चेहरा उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत को चाटा.

मैं बुआ की चूत की तीखी गंध को सूंघ कर मदहोश होने लगा था.
मैंने आंटी को घुमाया और अब मुझे उसकी गांड का नज़ारा दिख रहा था.

मैंने उसके दोनों चूतड़ों को अपने हाथ से भर कर भंभोड़ दिया और एक पर जोर से चमाट मारी.
उसने कहा- आह साले मार मत, लगती है.

मैंने उसे पीठ के बल करने के लिए उसे फिर से घुमाया और लंड को अपने हाथ में पकड़कर उसकी चूत के पास ले गया, लेकिन डाला नहीं.
मैं आंटी की टपकती चूत की फांकों में लंड का सुपारा घिसने लगा.

लंड लीलने की जल्दी मची थी.
वह मुझसे लंड अन्दर पेलने की उम्मीद कर रही थी लेकिन जब मैंने नहीं किया तो उसने मेरी तरफ गुस्से से देखा.

उसने कहा- अब क्या किसी मुहूर्त का इन्तजार कर रहे ही … अन्दर पेलो न!
मगर मैं शांत था और लंड को सिर्फ चूत की चाशनी में तैर रहा था.

जब उसने मुझे पेलते हुए नहीं देखा तो उसने मेरे लंड को पकड़ लिया; लंड को अपनी चूत के छेद की ओर खींच कर अपनी गांड उठाने लगी.
उसी समय मैं भी झुक गया और अपने लंड को अन्दर धकेल दिया.

लंड अन्दर घुसता चला गया और उसकी तेज आवाज निकलने को हुई.
मगर उसने खुद ही अपने हाथ से अपने मुँह को दबा लिया.

फिर वो दबी और घुटी हुई आवाज में बोली- आह मर गई … काफी गर्म और कड़ा है.

मुझे खुद भी उसकी चूत खौलते हुए गर्म पानी की नदी सी लग रही थी.
मैंने अब पूरा लंड अन्दर पेल दिया था और आंटी को मिशनरी पोजीशन में चोदना शुरू कर दिया.

उसने मेरे धक्कों का जवाब देने के लिए अपनी गांड ऊपर उठानी शुरू कर दी.

मुझे समझ आ गया था कि वह काफी समय के बाद लंड ले रही है और उसे बहुत अच्छा लग रहा है.
कुछ ही देर में उसने ‘आह आह जोर जोर से पेलो.’ बोलना शुरू कर दिया.

उसकी आवाज सुनकर मैंने गति बढ़ाना शुरू कर दी और कुछ मिनट के बाद मेरे लंड में तनाव बढ़ने लगा.

मैंने उससे पूछा- क्या मैं अन्दर आ सकता हूं?
उसने कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि वह पूरी तरह से मदहोशी में थी, शायद झड़ चुकी थी.

मैंने उससे फिर से पूछा.
इस बार उसने कहा- जैसा तुम चाहो, मैं अन्दर नहीं लेना चाहती हूँ.
मैंने तुरंत लंड को बाहर निकाल दिया और पिचकारी मारने लगा.

कुछ वीर्य उसकी जांघों पर और कुछ बेडशीट पर बह गया.
मैं जोर-जोर से सांसें ले रहा था और उसके ऊपर ही लेट गया.

वह भी जोर-जोर से सांसें ले रही थी.
फिर मैं लुढ़क कर उसके बगल में सो गया.

हमने कुछ देर आराम किया.
वो उठ कर बाथरूम में जाने लगी.

मैंने उसे वापस खींच लिया.
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी और मेरे पहलू में लेट गई.

उसे मैंने चूमा तो बोली- सच में मेरा मन भी एक बार में नहीं भरा है.
मैंने उससे कहा- हां, मुझे भी दुबारा मजा लेना है.

वो मेरे साथ फिर से चूमाचाटी में लग गई.
इस बार मैंने उससे 69 करने को कहा.
वो झट से 69 में आ गई और मेरे लंड को मस्ती से चूसने लगी.

सच में आंटी बड़ा मस्त लंड चूस रही थी.
मैं भी उसकी झांटों से भरी चूत को चाट रहा था.

कुछ ही समय में हम दोनों एकदम तैयार थे.
मैंने उससे लंड पर बैठने के लिए कहा.
वो अपनी टांगें खोल कर मेरे लौड़े को चूत में फंसा कर बैठ गई.
उसकी हल्की सी आह निकली और उसने लंड को गड़प कर लिया था.

मैंने उसकी शंख जैसी चूचियों को पीने लगा था और वो अपनी गांड मेरे लंड पर घिसने लगी थी.
कुछ ही देर में वो थक गई थी और उसे नीचे आने का मन था.

मैंने उसे अपने नीचे लिया और करीब दस मिनट और चोदा.
उसके बाद हम दोनों अलग हो गए.

फिर वह उठी.
उसने मेरी तरफ देखा और कहा- हमने सही नहीं किया … प्लीज़ ये बात किसी को नहीं बताना!
मैंने बस सिर हिलाया और उठ गया.

उसने साड़ी को ठीक से बांध लिया, पैंटी पहनने की जहमत नहीं उठाई.
उसने अपना ब्लाउज उठाया और बाथरूम की ओर चल पड़ी.

यह पहली बार मैंने अपनी हॉट आंटी चुदाई की थी.
हमने एक बार फिर से एक अलग मौके पर सेक्स किया.

उसके बाद हमने नहीं करने का फैसला किया क्योंकि वह खुद को दोषी महसूस करने लगी थी.

हमारे बीच आज भी बहुत सौहार्दपूर्ण रिश्ता है.
उसकी बेटी तृषा अब शादीशुदा हो गई है और उसकी भी एक बेटी हो गई है.
नम्रता आंटी नानी बन गई है लेकिन आज भी उसका फिगर वैसा ही है.

प्लीज़ मुझे बताएं कि आपको मेरी ये सच्ची हॉट आंटी चुदाई कहानी कैसी लगी.
[email protected]

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *