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चढ़ती जवानी में मामा के साथ गे मस्ती

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गे मस्त गांड कहानी में पढ़ें कि मैंने अपने मामा को मुठ मारते देखा. उनका लंड देख कर मुझे उसे छूने की इच्छा हुई. जब मैंने मामा के लंड को सोते हुए छुआ तो क्या हुआ?

दोस्तो, मैं आपको अपने मर्द मामा के साथ हुई एक गे सेक्स कहानी सुना रहा था.

पिछली कहानी
मामा जी का बड़ा लंड देखा
में अब तक आपने पढ़ा था कि किस तरह से समीर ने यानि मैंने अपने मामा को वह सब कुछ करते देखा था, जो आज तक ना ही कभी उसने किया था और ना उसके बारे में कभी सोचा था.

अब आगे गे मस्त गांड कहानी:

मामा अब बाहर आ गए थे.
मैं सोने का नाटक कर रहा था.

वे बेड पर आकर लेट गए और कुछ देर में उनकी भी आंख लग गई.

मामा तो मेरी नींद उड़ाकर मस्त सो रहे थे मगर इधर उनका लंड और उसकी मलाई ही मुझे पागल कर रही थी.

मेरे दिमाग में वही बाथरूम वाला सीन लगातार चल रहा था.
फिर मुझसे रहा नहीं गया तो मैं धीरे धीरे उनकी रजाई में हाथ ले गया और उनके लंड को धीरे से सहलाने लगा.

मुझे मजा आ रहा था.
पर मुझे पता नहीं था कि मेरी ये गलती मुझे महंगी पड़ने वाली है.
क्योंकि मामा सोने की एक्टिंग कर रहे थे और तिरछी नजरों से मुझे देख भी रहे थे.

मैं बस उनके हथियार को रगड़ने में लगा था.
उनका लंड भी फूलकर टाईट हो गया था.

मेरा मन उनके अंडरवियर को फाड़कर उनके लौड़े को बाहर निकालने को कर रहा था.
पर मैं इस बात से अनजान था कि मामा जाग रहे हैं.

मैं उनका लंड सहला रहा था और मेरी नज़रें नीचे की तरफ थीं.
उतने में मेरे कान में एक आवाज आई ‘बाहर निकाल कर हिलाओ ना!’

मेरे हाथ अचानक से रुक गए और मैंने फटाक से पलटी मार ली.
मेरी धड़कनें अब तेज होने लगी थीं.
मैं पकड़ा गया था.

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा!
मामा ने किसी को बता दिया तो क्या होगा.
मुझे बहुत मार पड़ेगी.

डर के मारे मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे, पर इतने में मुझे मेरे एक कंधे पर मामा का हाथ महसूस हुआ.

उनका हाथ मुझे सहला रहा था और उनकी मीठी आवाज मेरे कानों में गूंज रही थी ‘डरो मत, मैं कुछ नहीं कहूंगा. मेरी तरफ देखो.’

मैंने धीरे से करवट बदली तो देखा कि वह उठकर बैठे हुए थे.

कमरे की धीमी रोशनी में भी साफ़ साफ़ नजर आ रहा था कि उन्होंने अंडरवियर निकाल दिया है और नंगे ही बैठे हैं.

तभी मामा ने लाइट जला दी.
मैं तो देखता ही रह गया कि जिस लंड को में छुप छुप कर देख रहा था, वह मेरी आंखों के सामने था … बिल्कुल मेरे मुँह के पास.

मैं वैसे ही लेटे लेटे बस उसको निहार रहा था. मामा भी मुझे देख रहे थे कि किस तरह मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थीं.

फिर उन्होंने मुझसे पूछा- कैसा लगा मेरा लंड?
मैं होश में आ गया और फटाक से उठकर बैठ गया.

‘ये कितना बड़ा है!’
‘क्यों बड़े लंड अच्छे नहीं लगते?’

मामा ने पूछा, तो मैंने कहा- नहीं मामा, ऐसी कोई बात नहीं … पर आपका सच में बहुत बड़ा है.
‘तुम्हें पसंद है क्या?’ मामा ने पूछा.

मैंने कुछ जवाब नहीं दिया.
मामा- तुम इसे हिला रहे थे. इसे अच्छे से मसल रहे थे. इसका मतलब ये तुम्हें पसंद आया है. तो फिर शर्मा क्यों रहे हो! वैसे बहुत अच्छे से सहला रहे थे … कहां से सीखा तुमने?

मैं अभी भी शांत ही रहा.
उन्होंने कहा- क्या हुआ, तुम कुछ बोलते क्यों नहीं? कुछ हुआ है क्या?

फिर मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर वे कहने लगे- देखो, हम अभी दोस्त बन गए हैं. आज हमने ढेर सारी बातें की मस्ती की. हम दोनों एक दूसरे से बहुत खुल भी चुके हैं और तुम भी अब बड़े हो चुके हो. इस उम्र में बहुत सारी बातें होती हैं, जिन्हें हम किसी से कह नहीं सकते हैं. पर तुम मुझसे कह सकते हो, जो भी पूछना ही पूछ सकते हो!

मामा की ये बात सुनकर मेरी भी हिम्मत बढ़ी.
मैं भी उनसे अब खुलकर बात करने लगा था.

मैंने उनके लंड की तरफ देखते हुए पूछा- आपका इतना बड़ा कैसे है? मेरा तो इसका आधा भी नहीं है.

मामा- इसके कई सारे कारण हैं, जो तुम्हारी समझ के बाहर हैं. इसके लिए एक खास वर्कआउट किया जाता है, जिससे इसमें जान आती है.
मैं- एक बात बोलूं आपसे, अगर आपको बुरा ना लगे तो!
मामा- हां बोलो ना!

मैं- मैंने थोड़ी देर पहले आपको इसे हिलाते हुए देखा था.
मामा- ओ तेरी … पर कैसे, मैंने तो दरवाजा बंद किया था!
मैं- उधर बने एक होल से!

मामा- कोई बात नहीं, तो उसमें क्या हुआ? तू भी तो हिलाता ही होगा ना!
मैंने ना में सर हिलाया.

मामा- कोई बात नहीं. मैं सिखा दूंगा, चिंता मत करो.
मैं- और वह उसमें से सफेद सफेद पेशाब क्यों हुई थी?

मामा- उसे पेशाब नहीं कहते, वह तो आदमी का बीज होता है. जिससे बच्चे पैदा होते हैं. रुको तुम्हें ऐसे कुछ समझ नहीं आएगा. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें सब कुछ ठीक से समझा सकता हूं.

मैं- ठीक है मामा, समझाइए.
मामा- ऐसे नहीं. एक शर्त पर समझाऊंगा!

मैं- कैसी शर्त?
मामा- अगर तुम ये बात किसी को भी नहीं बताओगे कि मैंने तुम्हें ये सब सिखाया है, तभी मैं तुम्हें बताऊंगा.

मैं- नहीं, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा. ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच में ही रहेगी.
मामा- तो ठीक है, थ्योरी तो मैं तुम्हें बता चुका, अब प्रैक्टिकल के जरिए सिखाता हूं. ताकि तुम्हें आगे भी कभी कोई दिक्कत ना हो.
मैं- ठीक है मामा.

मैं बहुत खुश था और सब कुछ जानने का जुनून भी था, इसलिए मैं तैयार तो हो गया.
पर मुझे पता नहीं था कि मेरी वर्जिनिटी आज टूटने वाली थी.
जैसे कि मेरी सुहागरात थी और मेरा कुंवारापन आज टूट कर चूर चूर होने वाला था.

आज एक भांजा अपने मामा से सेक्स का ज्ञान लेने वाला था.
वह भी खुशी खुशी.
क्योंकि दर्द का अहसास क्या होता है, ये आज उसे पता चलने वाला था.
दर्द होते हुए भी उससे मिलने वाले मजे के लिए यही भांजा तड़पने वाला था.

मामा- आज मैं तुम्हें जो भी बात सिखाऊं … उसे ठीक तरह से समझ लेना … और इस बात क ध्यान रखना कि इसका किसी को पता ना चले.
मैं- जी.

मामा- तो ठीक है, इसे गौर से देखो.
मैंने उनके लंड पर नजरें गड़ा दीं.

उन्होंने अपने लंड को हाथ में पकड़ते हुए कहा- ये सिर्फ पेशाब करने के नहीं बल्कि सेक्स के लिए भी यूज होता है. इससे जो सफेद सफेद निकलता है, उसे वीर्य कहते हैं. जब वह औरत की चूत में जाता है, तब बच्चा पैदा होता है. यह एक ऐसा खेल है, जिसे पूर्ण वयस्क लोग मजे से खेलते हैं. एक खास बात यह कि लंड से सिर्फ लड़कियां ही नहीं, लड़के भी खेलते हैं. तुम भी इसके साथ खेल सकते हो. बस ये तुम पर निर्भर करता है कि तुम इसके साथ खेलना चाहते हो या नहीं?

मैं- मैं भी खेलना चाहता हूं और अच्छे से सेक्स के बारे में जानना चाहता हूं.
मामा- ठीक है, तो जैसा मैं कहता हूं … तुम करते जाना.

मैं- जी.
मामा- पहले अपनी अंडरवियर निकालो. मैं देखना चाहता हूं कि तुम इसके लिए सही में तैयार हो कि नहीं.

लंड और चूत की बातें सुनकर पहले ही मेरी हालत खराब हो चुकी थी.
मेरा लंड पूरा तन चुका था और मामा के सामने नंगे होने में अब मुझे शर्म आ रही थी.

उनका लंड आधा ही खड़ा था, फिर भी मेरी नजर उस पर ही टिकी हुई थी.
अब उन्होंने मुझे नंगा होने को कहा था. इसलिए शर्म के मारे मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे.

मामा- शर्माओ मत, मैं भी तो नंगा ही बैठा हूं.

फिर मैं पलंग से नीचे उतर गया और उनकी तरफ पीठ करके खड़ा रहा.
मैं धीरे धीरे अपनी अंडरवियर नीचे कर रहा था.

जैसे ही मैं झुका, मेरी गोलमटोल गांड उनके सामने आ गई.
झुकने की वजह से मेरा होल उन्हें साफ़ साफ देख रहा था.

उनके मुँह से ‘वाव.’ निकला, जो मुझे अच्छे से सुनाई दिया.

मैंने देखा तो वह अपने लंड को मसल रहे थे.
मैं फिर से सीधा खड़ा हो गया और उनकी तरफ आकर बैठ गया.

मेरा लंड पूरा तन चुका था और छह इंच का बन चुका था.
उन्होंने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और कहा.

मामा- तुम्हारा लंड भी मस्त है. अगर इसका ख्याल अच्छे से रखोगे तो ये भी मेरे जितना ही तगड़ा बनेगा. तगड़ा और अच्छा लंड औरत को बहुत मजा देता है और जब औरत खुश होती है, तो हमें भी बहुत मजा आता है.

मैं शर्मा गया और पलट कर अपने पैरों को मोड़कर एक बाजू हो गया.
इससे मेरी चिकनी गदराई हुई गोल गांड उनके सामने थी.

मैंने तकिए में अपना मुँह रखा था और उनकी तरफ देखने की मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी.

फिर उन्होंने मेरी मुश्किल आसान करते हुए मुझे उठाना चाहा.
मगर मैं नहीं उठा.

तो फिर वे भी लेट गए और मेरे पीछे आकर मुझसे लिपटकर लेट गए.

इस कारण से उनका लंड मेरी गांड की दरार में फिट हो गया.
वे मेरे गालों पर किस कर रहे थे और मेरी गांड की दरार में उनका लंड धक्के लगा रहा था.

हर धक्के पर मामा मुझसे प्यार से कह रहे थे ‘तुम कितना शर्माते हो, अब उठ भी जाओ.’
यह कह कर वे फिर से धक्का दे देते और कहते- शर्माओ नहीं उठ जाओ. हमें बहुत कुछ सीखना है.

उनके धक्के मुझे अब अच्छे लगने लगे थे.
मेरे छेद पर हो रही उनके लंड की रगड़ मेरे अन्दर कुछ अजीब ही आग लगा रही थी.

उनके मुँह से निकले हुए प्यार भरे लफ्ज़ इस आग में घी का काम कर रहे थे.

मुझसे अब रहा नहीं गया.
मैंने झट से करवट बदली और अपने आपको उनसे कसके जकड़ लिया.

उनकी बांहों में मैंने सर छिपा कर रखा था; उनके बदन की भीनी भीनी खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी.

उनके निप्पल का बड़ा सा दाना मेरे मुँह के पास था.
मेरे होंठ उसे चूसने के लिए बेकरार हो रहे थे.
मैंने अपनी जुबान बाहर निकाली और उसके साथ खेलने लगा.

उतने में मामा ने मुझे अपने से दूर कर दिया, मेरे माथे को चूमा और कहने लगे- समीर मेरी जान, ऐसे नहीं करते, रुको मैं ही बताता हूं.

ऐसा कहकर उन्होंने मुझे पीठ के बल लिटाया और मुझ पर आ गए.
उन्होंने मेरी तरफ गौर से देखा और कहने लगे- मैं जो भी करूंगा, उसमें तुम मेरा साथ देना. इससे क्या होगा कि मेरे साथ साथ तुम्हें भी मजा आएगा.
मैंने हां में सर हिलाया.

फिर उन्होंने मेरे माथे को चूमा,मेरी दोनों आंखों पर किस किया, उसके बाद मेरे कान की लौ को अपने होंठों से चूमा.
वे मेरे गले को चूमते चूमते मेरे सीने पर चूमने लगे थे.

मेरे मुँह से बस कामुक सिसकारियां ही निकल रही थीं.
ऐसा सुंदर अनुभव जीवन में मैंने पहले कभी नहीं किया था.

उनके होंठ जब मेरे बदन को चूमते तो मानो शरीर में कोई करंट ही दौड़ जाता.
मैं मदमस्त होकर मजे ले रहा था.

पर अचानक उनका चुम्बन होना बंद हो गया.
मेरी भी बंद आंखें अब खुल चुकी थीं.

मैंने उनकी तरफ देखा तो उन्होंने मुझसे कहा- समीर, तुम बहुत सुंदर हो. एक भी बाल नहीं है तुम्हारे बदन पर. मैंने किसी लड़की का भी ऐसा बदन आज तक नहीं देखा. क्या तुम्हें मैं पसंद हूँ?

मेरा चेहरा शर्म के मारे फिर लाल हो गया.

मैंने उनकी आंखों में झांकते हुए कहा- जी मामा, मुझे आप बहुत पसंद हो.

उनके चेहरे पर आई हुई खुशी बता रही थी कि उन्हें मेरा जवाब कितना भा गया है.

उनका लंड मुझे पूरा तना हुआ था और मुझे नीचे चुभ रहा था.

मैंने उनसे कहा- मुझे आपका लंड चुभ रहा है.

उन्होंने मुझे अपने पैर जरा से मोड़ने को कहा.
मैंने अपने पैरों को फैलाकर मोड़ दिया.

फिर उन्होंने मेरी गांड से लंड को सटाकर मुझ पर फिर से लेट गए और मुझसे पूछा- अब तो नहीं चुभ रहा ना?
मैंने ना में सर हिलाया.

फिर उन्होंने मुझे गौर से देखा.
हमारी नज़रें एक दूसरे से टकरा रही थीं.

मेरी गांड उनके लंड को चूम रही थी.

उतने में उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
मेरी आंखें अपने आप बंद हो गईं.

उनकी जुबान मेरी जुबान को अन्दर से चूसने लगी.
वे अपनी कमर नीचे से हिला रहे थे और मुझे किस कर रहे थे.

उनके मुँह का मीठा रस मैं खुशी खुशी पी रहा था.
हम दोनों एक दूसरे में खो गए थे.

तकरीबन दस मिनट तक हमने किस किया.
एक दूसरे के मुँह में मुँह डालकर हम अच्छे से किस कर रहे थे और उनके लंड के पड़ते धक्के मेरी गांड को अच्छे लग रहे थे इसलिए वह भी नीचे से उछल रही थी.

उनके लंड का बड़ा सा टोपा मेरे छेद को चूम रहा था.
इस वजह से मुझे अब कुछ चिकनाहट अपने छेद पर महसूस होने लगी थी.

मुझे समझ नहीं आ रहा था पर मजा आ रहा था इसलिए जो हो रहा था मैं भी उसे एन्जॉय कर रहा था.

उनका टोपा मुझे अब साफ़ साफ मेरे छेद पर महसूस हो रहा था.

मामा मुझे किस करते हुए थोड़ा सा ऊपर नीचे हो रहे थे जिस वजह से टोपा भी छेद पर धक्के लगा रहा था.
पड़ने वाले धक्कों से मेरा छेद कुछ खुलता हुआ नजर आ रहा था.

इतना मजा पूरी जिंदगी में मुझे अब तक नहीं मिला था जितना अब मिल रहा था.
मैं अपनी सुध-बुध खोकर बस उनका साथ दे रहा था.

मामा अब मुझ पर से उठ गए.
मेरे होंठ अभी गीले ही थे.

फिर उन्होंने मुझसे पूछा.
मामा- कैसा लगा … मजा आया क्या?
मैं- हम्म … बहुत मजा आया.

मेरी नजर उनके लंड पर पड़ी.
लंड पूरा टाईट था और उस पर कुछ लगा हुआ था जिससे वह चिकना लग रहा था.
लंड के छेद पर एक बूंद जमा हुई थी.

मैंने मामा से पूछा- ये क्या है?
तो उन्होंने बताया कि ये प्री-कम है. इसका उपयोग योनि को चिकना करने करने के लिए होता है.

फिर मैंने कहा- अब तो ये वेस्ट हो जाएगा. क्योंकि यहां तो योनि नहीं है.
उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं. अगर तुम चाहो तो इसे वेस्ट होने से बचा सकते हो.
मैं- वो कैसे?

फिर मामा मुझे मस्त गे का खेल समझाने लगे.
मामा- देखो ये असली मर्द की निशानी है, इसमें बहुत ताकत होती है. अगर कोई इसे पी ले, तो उसे ताकत मिलती है तुम ट्राय कर सकते हो.

मैं- पर मामा ये तो गंदा होगा ना!
मामा- रुको एक काम करते हैं. हम दोनों इसे मिलकर पीते हैं. तुम एक काम करो … इसे अपने मुँह में लो. फिर हम किस करेंगे और एक दूसरे को इसे शेयर करेंगे.

मैंने भी ऐसा ही करने की सोची.
पर मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था.

मामा तकिए से सट कर बैठ गए.

फिर मैंने उनका तगड़ा हथौड़े जैसा लंड हाथ में लिया.
हाथ में लेते ही वह फनफनाने लगा और उसमें से और प्री-कम निकल कर लंड से बहने लगा.

अब मैं थोड़ा सा झुका और उसे मुँह में लेने लगा.
इतने में मामा ने मुझे रोक लिया और कहने लगे.

मामा- अरे समीर ये तो तुम्हारी गांड पर भी लगा होगा, रुको … मैं उसे भी साफ़ कर देता हूं. तुम एक काम करो, मेरी तरफ गांड करके बैठ जाओ और फिर झुक जाना, ताकि मैं तुम्हारा छेद पीछे से साफ कर दूँ और तुम मेरा भी ठीक से कर पाओगे.
मैंने भी हामी भरी और मैं 69 की पोजीशन में आ गया.

मेरी गांड मामा के सामने थी और उनका लंड मेरे मुँह के सामने था.

मैंने उनके लंड को हाथ में पकड़ा और अपना मुँह आगे बढ़ा दिया.

उतने में मुझे अपनी गांड के छेद पर कुछ गर्म गर्म सा महसूस हुआ.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो मामा मेरी गांड के छेद को अपनी जुबान से चूस रहे थे.

पहले तो मुझे अजीब सा लगा, पर बाद में मुझे बहुत मजा आने लगा.
मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं ‘आह … ओह … यस … मजा आ रहा है मामा … बहुत अच्छा लग रहा है और करो ना!’

फिर वह मेरे छेद को चूसने लगे.
मैंने भी उनकी लंड जोर से दबाया और उनकी लंड का बड़ा सा टोपा अपने मुँह में भर कर उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा.

मैं अपनी जुबान लंड पर घुमा रहा था.
उनके लंड को चाट चाट कर साफ़ कर रहा था और वह मेरी मस्त गांड के छेद को साफ़ कर रहे थे.

लंड के प्री-कम का वह खट्टा खट्टा सा स्वाद मुझे अब अच्छा लग रहा था.
मैंने उनका पूरा लंड साफ़ कर दिया.

फिर वे बोले- अब पलटकर आ जाओ.

मैं वैसे ही पलट गया और उनके मुँह की तरफ आकर उन्हें किस करने लगा.
हम दोनों ने बहुत देर तक किस किया और एक दूसरे का खूब सारा रस पी गए.

मैं- मामा, आपका प्री-कम बहुत मस्त था … आपका सीना भी कितना चौड़ा और कड़क है. निप्पल भी कितने मस्त हैं, मेरे ऐसे क्यों नहीं हैं?
मामा- कौन कहता है ऐसा कि तेरा सीना अच्छा नहीं है. जरा खुद को देखो, कितने हैंडसम हो तुम … कितना मुलायम बदन है तुम्हारा. तुम्हारे निप्पल कितने सॉफ्ट हैं और बड़े आकार के हैं. ऐसा लगता है कि इसमें बहुत दूध भरा है. तुम अपने मामा को एक मौका नहीं दोगे इन्हें चूसने का?
मैं- हां जी मामा जी … क्यों नहीं.

मेरे ऐसा कहते ही मामा मुझ पर टूट पड़े मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से जोर जोर से चूसने लगे.

मेरे अन्दर मानो कोई करंट लग गया था और मुँह से ‘आह … आ … आ … आह …’ की सिसकारियां निकल रही थीं.
मैं सातवें आसमान पर जा पहुंचा था.

मामा बहुत देर तक मेरे निप्पल चूसते रहे थे.

फिर उन्होंने मुझे उठाया और बेड पर बैठने को कहा.
मैं बैठ गया.

अब उन्होंने मुझसे कहा कि आज तक तुमने अपना पानी नहीं निकाला ना! अब मैं निकालूंगा और तुम्हें भी दिखाऊंगा कि पानी कैसे निकालते हैं.
मैंने ‘हां.’ कहा.

मामा मेरे सामने खड़े हो गए.
उनका बड़ा सा लंड मेरे सामने लटक रहा था.

उन्होंने कहा- अब तुम मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसो.
मैंने वैसा ही किया.

उनका बड़ा सा लंड मेरे मुँह में पूरा तो नहीं जा रहा था पर जितना जा रहा था … उतना मैं मजे से चूस रहा था.

उनके मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं ‘आह … समीर … ओह … यस चूसो और चूसो … इसे खा जाओ पूरा … ये तुम्हारा ही है … आह ले लो इसे … आह.’
ऐसा कहते हुए वह मेरे मुँह को अब चोदने लगे थे.

कुछ दस मिनट के बाद उन्होंने अपनी जगह बदली और नीचे पलंग पर लेट गए.
उन्होंने मुझसे फिर से लंड चूसने को कहा और साथ में ये भी कहा कि इसमें से निकलने वाला पानी पी लेना.
मैंने भी वैसे ही करना शुरू किया.

अब वे और जोर जोर से मेरे मुँह को चोद रहे थे.
मुझे साँस लेने में भी दिक्कत हो रही थी.

उन्होंने मेरा मुँह पकड़कर रखा था और नीचे से उछल उछल कर मेरे मुँह में लंड दे रहे थे.

फिर अचानक ही मेरे मुँह में मुझे कुछ गर्म गर्म महसूस हुआ.
मेरा मुँह उनके वीर्य से भर चुका था.

लंड के धक्कों से मुँह इतना खुल चुका था कि वीर्य की पिचकारी गले में उतर गई.

उसका टेस्ट इतना बढ़िया था कि मैं उसे पूरा पी गया और लंड को चाट कर साफ़ कर दिया.
मामा- कैसा लगा मेरा पानी? मजा आया ना?
मैं- बहुत मजेदार था मामा …. बहुत मजा आया.

मामा- चलो, अब तुम्हारी बारी. मैं अब तुम्हारा पानी निकालता हूं. चलो बैठ जाओ, मैं भी उसे मुँह में लेना चाहता हूं.

फिर उन्होंने मुझे बिठाया और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगे.
उनके मुँह का गर्म स्पर्श मुझे महसूस हो रहा था, लंड टनटना रहा था, सारे बदन में अंगारे दौड़ रहे थे.

मेरे मुँह से धीमी धीमी सिसकारियां निकल रही थीं.
मैं मदहोश हो रहा था- आह मामा … प्लीज़ … चूसो … मजा आ रहा है … आह और चूसो.

जिंदगी मैं पहली बार में पानी निकालने वाला था और वह भी लंड मुँह में देकर मेरे तो होश उड़ गए थे.

सातवें आसमान पर पहुंचकर स्वर्ग की अनुभूति हो रही थी.

मैंने उनके सर को जोर से पकड़ा और मैंने जोर से चीख मारी.

उसी पल मेरे लंड से ढेर सारा पानी उनके मुँह में ही गिर गया.
वे सारा पानी पी गए.

मैं संतुष्ट होकर बेड पर गिर गया था.
मामा भी मेरे बगल में आकर लेट गए थे.

मामा ने मेरी तरफ देखा और पूछा- क्या तुम्हें अच्छा लगा … मजा आया?
मैं- हां मामा, बहुत मजा आया. सच में आज आपने मुझे बहुत मजा दिया. बस सेक्स में इतना ही होता है क्या?

मामा- नहीं समीर … ये तो सेक्स की शुरुआत है. असली सेक्स में तो इससे भी और ज्यादा मजा आता है. जब लंड चूत या गांड में जाता है ना … तो इससे भी और ज्यादा मजा आता है.
मैं- क्या सच में आपका लंड गांड में चला जाता होगा, ये कितना बड़ा है! ये कैसे जाएगा?

मामा- नहीं समीर, शुरुआत में दर्द होता है. पर बाद में बहुत मजा आता है.
मैं- मामा, मैं भी ये मजा लेना चाहता हूं. क्या आप मेरी गांड में अपना ये लंड डालेंगे प्लीज़!

मामा- नहीं, इससे आगे तुम झेल नहीं पाओगे. मेरा बहुत बड़ा है और तुम्हारी गांड कुंवारी है.
मैं- मामा प्लीज़, मुझे सेक्स का पूरा मजा लेना है.

मामा- नहीं, अभी नहीं. हम इतना ही करेंगे. मैं तुम्हें दर्द नहीं देना चाहता और तुम भी जिद मत करो. अब सो जाओ … और हां हमारी बात किसी को मत बताना.
मैं- ठीक है, पर मेरी कुछ शर्त है तभी मैं आपकी बात मानूँगा!

मामा- कैसी शर्त?
मैं- आपका लंड बहुत अच्छा है मुझे बहुत पसंद आया. मेरी ये शर्त है कि आप ऐसे ही रोज मुझे अपना लंड चुसाओगे और पानी पिलाओगे!

मामा- जरूर मेरी रानी.
मैं- रानी? क्या मैं लड़की हूं?

मामा- तुम रानी नहीं, राजकुमारी हो, जिसने मुझे दीवाना कर दिया है. तुम किसी लड़की से कम थोड़े ना हो!

फिर मैं उनसे कसकर लिपट गया.
उनका लंड मेरे लंड से चिपक गया.

उन्होंने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया.
उनके मर्दाना जिस्म की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी.

हमने फिर एक दूसरे को किस किया और हम दोनों एक दूसरे को आई लव यू कहकर सो गए.

अगली बार मैं आपको अपनी गांड फाड़ने वाली चुदाई की कहानी सुनाऊंगा.

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