गाँव की लड़की की चूत गांड मारी मैंने. वो खुद मेरे पास चुदाई करवाने आयी थी. एक बार सेक्स के बाद वो सुहागरात की तरह रोल प्ले करने को कहने लगी.
मेरा नाम राज शर्मा है और आपको मकानमालकिन की बड़ी बेटी सरोज की चुदाई की कहानी लिख कर सुना रहा था.
पहले भाग
हरियाणा की छोरी की रातभर चुदाई
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं सुमन की बड़ी बहन सरोज को मैं चोद रहा था और इस बार वो मुझसे नई दुल्हन बना कर चोदने को कहने लगी.
दुल्हन का सीन शुरू हुआ तो वो मुझे सिंदूर देते हुए मांग भरने के लिए बोली. इस पर मैं जरा ठिठक गया था.
अब आगे गाँव की लड़की की चूत गांड कहानी:
सरोज बोली- के सोच रया है … यो बात तो हम दोनों के बीच रहेगी … तू डर ना … मेरी शादी पहले हो ली.
मैंने सिंदूर उसकी मांग में भर दिया और उसको बिस्तर पर बैठा दिया.
अब मैंने कहा- चल चौधरण अपने कपड़े खोल दे और आ जा.
मैं बिस्तर पर लेट गया.
उसने अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई.
मैंने हरियाणवी में कहा- अब तू म्हारी लुगाई सै और तेरे शरीर में मारा हक है. अब तू लंड चूस.
वो दुल्हन के जैसे डरते डरते लंड को छूने लगी.
मैंने कहा- अब इसी थे तू लुगाई बनेगी … मुँह में डाल ले चौधरण.
उसने लंड मुँह में डाल लिया और धीरे धीरे लंड चूसने लगी. मैंने उसका सर लंड पर दबा दिया तो लंड गले तक चला गया.
वो छटपटाने लगी. मैंने झटके मारना शुरू कर दिए. वो लंड को तेज़ तेज़ चूसने लगी.
उसने लंड चूस कर गीला कर दिया और घोड़ी बन गई.
जाट पहली बार गांड चोदते हैं, तो मैंने भी उसकी गांड में लंड फेरना शुरू कर दिया.
उसने अपने थूक को लंड के सुपारे पर लगा दिया. मैंने गांड में जोर लगाया तो लंड सटृ से अन्दर चला गया.
‘ऊईई ईई ऊई ईईई ..’ करके वो तेजी से ऐसे चिल्लाने लगी, जैसे सच में पहली बार गांड में लंड ले रही हो.
मैंने तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया.
सरोज- श्श्श्श्श आह मर गई.
कुछ ही देर बाद सरोज तेज़ी से गांड आगे पीछे करने लगी और मैं भी लंड सटासट सटासट पेलने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने लंड गांड से निकाल लिया और उसकी चूत में घुसा कर चुत चोदने लगा.
वो गांड आगे पीछे करने लगी और लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर होने लगा.
मैं उसकी चूचियां दबाने लगा और ताबड़तोड़ चुत चोदने लगा.
फिर मैंने उसकी चोटी पकड़ ली और पीछे से ऐसे चोदने लगा, जैसे मैं कोई घोड़ी कि लगाम पकड़ कर उसकी सवारी कर रहा हूँ.
कुछ ही देर में सरोज थक चुकी थी, तो मैंने भी उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और ऊपर आकर चोदने लगा. हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और चूमने लगे.
उसने अपने पैर मेरी कमर पर लपेट लिए और चूत को कसने लगी. मैंने अपने झटकों की रफ्तार तेज कर दी और उसकी पकड़ को ढीला कर दिया.
वो अब काफी थक चुकी थी और उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया था.
मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा.
इस समय मेरा लौड़ा जैसे चाहे, वैसे चूत में दौड़ रहा था.
सरोज की चूत हार मान गई और उसने पानी छोड़ दिया. गीला लंड फच्च फच्च फच्च करके चुत में सरपट दौड़ने लगा.
पूरे कमरे में पच्च फच्च फच्च फच्च की आवाज तेज हो गई थी.
सरोज बोलने लगी- राज, जाटनी की चूत बिहारी लंड से हार गई.
आज मैं बहुत खुश था कि हरियाणा की जाटनी को उसके घर में मेरे बिहारी लंड ने हरा दिया.
मैं पूरे जोश में आकर चोदने में लग गया था.
कुछ देर बाद मेरा लौड़ा भी टाइट हो गया और उसने तेज़ पिचकारी छोड़ दी.
मेरा वीर्य अन्दर बच्चेदानी तक चला गया था.
लेकिन डरने वाली बात नहीं थी.
हम दोनों झड़ कर चिपक गए और ऐसे ही दस मिनट तक लेटे रहे.
मैंने लंड निकाल लिया और हम दोनों बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ करके फिर से बिस्तर पर आ गए.
सरोज ने मैक्सी पहन ली. घड़ी में 4 बज चुके थे.
मैंने कहा- सरोज अभी तो टाइम है … आओ बिस्तर पर लेट कर बातें करते हैं.
वो लेट गई.
मैंने उससे कहा- बड़ी दीदी को भी बुला लो, बहुत दिनों से नहीं आई है.
वो बोली- अच्छा उसको भी चोदने का मन बना रहे हो.
मैंने कहा- सबको बिहारी लंड का स्वाद मिलना चाहिए.
वो बोली- हां, भाई गया है उसी को लेने … कल आ जाएगी वा रांड भी.
मैं खुश हो गया और बोला कि तुम्हारा काम है कि वो मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले.
वो बोली- एक शर्त पर कि तुम यदि कल दिन में मुझे चोदोगे … तो बड़ी बहन रात में तुम्हारे रूम में होगी.
मैंने शर्त के लिए हां बोल दिया और सरोज को लंड पर झुका दिया.
वो गपागप गपागप चूसने लगी और लंड को अन्दर तक लेने लगी.
वो लंड को तेज़ तेज़ चूस रही थी और ‘मुँहहा उम्माहा ..’ की आवाज करके लंड को जमकर चूसने लगी थी.
मैंने उसे घुटनों पर बैठा दिया और खड़ा हो गया. मैं लंड के झटके मुँह के अन्दर तक मारने लगा और वो गपागप गपागप चूसने लगी.
मेरा लौड़ा अन्दर गले तक जाने लगा और उसकी आंखों में चमक आ गई थी. उसकी तेज़ तेज़ चुसाई से मेरे लौड़े ने वीर्य छोड़ दिया तो वो गटागट करके पी गई.
वो वीर्य चाटते हुए बोली- राज दोपहर में तैयार रहना.
मैंने ओके कहा.
वो दरवाजे के पास गई और उसने बाहर देखा. फिर चुपके से अपने घर चली गई.
मैंने दरवाजा बंद किया और सो गया … सुबह 11 बजे मेरी नींद खुली.
मेरे लौड़े में हल्का हल्का दर्द हो रहा था मैंने तेल से मालिश की और गोली खा ली.
मैंने नहाने के बाद ख़ाना बनाया और खाकर अपने बिस्तर पर आराम करने लगा.
रात भर की चुदाई से थका हुआ था तो जल्दी ही नींद आ गई.
करीब 3 बजे दरवाजा खटखटाने की आवाज आने लगी.
मैं नींद में ही उठकर दरवाजा खोलकर बिस्तर पर लेट गया.
सरोज ने अन्दर से दरवाजा बंद किया, उसने जल्दी से अपने कपड़े उतार कर फेंक दिए और बिस्तर पर आ गई.
मुझे नींद आ रही थी मैंने आंख बंद कर रखी थी.
तभी मुझे अहसास हुआ कि सरोज ने मेरी अंडरवियर उतार दी और वो मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी.
वो लॉलीपॉप समझकर लंड को चूस रही थी और मेरी गोटियों को सहला रही थी.
इससे मैं गर्म होने लगा और मेरी नींद जा चुकी थी. मैंने उसका सर पकड़कर अपने लौड़े पर दबाव बनाया और नीचे से तेज झटके मारने लगा.
वो गपागप गपागप लंड को अपने मस्ती भरे अंदाज में चूस रही थी.
मैंने अपनी बनियान उतार दी और लंड सरोज के मुँह से निकाल लिया.
नंगे होने के बाद मैंने सरोज को लिटा दिया और उसकी टांगों को चौड़ा कर दिया.
चुत लपलप कर रही थी तो मैंने लंड चुत में घुसा दिया और ऊपर चढ़कर उसे चोदने लगा.
‘आहह ओहहह आहहांहह ..’ करके वो लंड को अन्दर लेने लगी.
मैं उसकी दोनों भरी हुई चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा.
इससे वो मचलने लगी और मैंने झटकों की रफ्तार तेज कर दी.
मेरा लौड़ा अब चुत के अन्दर बच्चेदानी तक जाने लगा था और उसकी ‘आहहह आहहह ..’ की आवाज तेज होने लगी.
हम दोनों बेहद गर्म हो चुके थे और एक-दूसरे को चुदाई का मज़ा दे रहे थे.
कुछ देर बाद मैंने लंड निकाल लिया और सरोज को घोड़ी बना कर उसकी गांड में बिना थूक के झटके से लंड घुसा दिया.
लंड अन्दर गया तो मैं ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.
वो चिल्ला उठी- ऊईईईई अम्मा बचा लो … आह मर गई निकाल बिहारी मादरचोद लंड निकाल … साले बिना थूक की गांड मार रहा है … आह निकाल ले भैन के लौड़े … मुझे दर्द हो रहा है.
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और झटकों की रफ्तार और बढ़ा दी.
अब उसकी गांड में जैसे ही लंड पेलता, वो चिल्ला उठती कि बिहारी बाहर निकाल लंड गीला कर ले.
मैंने कहा कि मेरा लौड़ा अब नहीं निकलने वाला है … आज जाटनी की गांड में पानी निकाल कर ही रूकेगा.
उसने गांड को ढीला छोड़ दिया और झटकों को झेलने लगी. उसका दर्द कुछ कम हुआ तो वो गांड आगे पीछे करने लगी.
मैंने लंड निकाल लिया और गांड में थूक लगाकर फिर से घुसा दिया. इस बार लंड सटृ से चला गया और मैं ऊपर आकर उसकी गांड चोदने लगा.
वो भी गांड को आगे पीछे करने लगी और बोली- राज, मादरचोद अब चोद दम से साले … और तेज़ तेज़ झटके मार.
मैंने झटके मारते हुए पूछा- तेरी चुदक्कड़ बहन आ गई क्या!
उसने गांड पीछे करके लंड को दबा दिया और बोली कि अभी तू मुझे चोद … उस रांड की बात न कर!
मैंने तेज़ी से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.
इस के साथ ही उसकी गांड से ‘थप थप्पप थप थप्पप ..’ की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी थी.
उसकी चाल कुछ धीमी हो गई थी और मेरे लौड़े ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी थी. ये देख कर मैंने अपने लौड़े को निकाल लिया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और चूत में लंड घुसा दिया.
मैंने चुत में लंड के झटके मारना शुरू कर दिए और उसकी चूचियों को मसलने लगा. सरोज की चुदी चुदाई चूत में लंड आसानी से अन्दर बाहर जाने लगा और हम दोनों चिपक गए.
उसने मेरे कान में बोला- मालती को चोदना है क्या?
मैंने कहा- मालती कौन है!
वो बोली- मेरे चोदू राजा मालती, मेरी बड़ी बहन का नाम है … और मैंने उसे तेरे लौड़े का मज़ा बता दिया है.
मैंने ये सुना तो मैं जोश में आ गया और चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी.
जल्दी ही सरोज की चुत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने गीली चूत में लंड की रफ्तार और बढ़ा दी तो ‘फच्च फच्च की आवाज के साथ लंड चुत में अन्दर बाहर हो रहा था.
सरोज शांत होकर चुदाई करवा रही थी. कुछ देर बाद मेरे लंड ने वीर्य की धार छोड़ दी और मैं उसके ऊपर लेट गया.
उसने मुझसे कहा- राज, मालती को तुम कंडोम लगाकर चोदना और उसकी गांड को जमकर चोदना.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन वो कब आएगी?
सरोज बोली- रात को भाई और अम्मा के सोने के बाद मैं खुद मालती को रूम में छोड़ने आऊंगी.
ये सुनकर मैं खुश था कि मैं हरियाणा की तीन तीन जाटनी बहनों को चोदने वाला बन जाऊंगा. यही सब बातें होने लगीं, तो धीरे धीरे मेरे लौड़े में सख्ती आने लगी थी.
मैंने सरोज के दोनों थन पकड़ लिए और मसलने लगा.
वो सिसकारियां भरने लगी.
मैंने उसे बिस्तर पर चित लिटा दिया और उसके होंठों पर लंड फेरने लगा. उसने देर न करते हुए गप से लंड अन्दर लेकर चूसना शुरू कर दिया.
लंड को वो मस्त चूस रही थी, तो मैंने झटके मारना शुरू कर दिया और उसके मुँह को मालती की चुत समझ कर चोदने लगा.
वो लंड को गपागप करके मुँह को चुदवाने लगी.
अब लंड तैयार हो गया था. मैंने उससे उठकर लंड पर बैठने को इशारा किया. वो लंड पर चूत रखकर बैठ गई तो सटृ से लंड अन्दर चला गया. वो लंड पर उछल उछल कर चुदवाने लगी.
मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और झटके मारने लगा. वो अपनी चूत से लंड को चोद रही थी. हम दोनों के झटकों के शोर से कमरा गूंज उठा.
मैं उसकी चूचियों को चूसने लगा, तो वो लंड पर और तेज उछलने लगी.
थोड़ी देर बाद वो लंड से चुत निकाल कर उठ गई और लंड को पकड़ कर अपनी गांड में दबाने लगी.
मेरा गीला लौड़ा सटाक से गांड में घुस गया. वो मस्ती में लंड पर गांड पटकने लगी. लंड गपागप अन्दर बाहर होने लगा.
उसकी चूचियां टाइट हो गई थीं और मेरे लौड़े पर गांड ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी.
उसकी गांड मेरे लौड़े को चोदने में लगी थी और मैं ‘हह आहह आहहहां ..’ करके चुदाई का मज़ा लेने में लगा था.
उसका जोश बढ़ता जा रहा था और वो तेजी से गांड चलाने लगी थी. रात भर लंड लेने से उसकी गांड का छेद ढीला हो गया था और अब उसे ज्यादा मजा आने लगा था.
मैंने लंड डाले डाले उसके पैर पीछे करके उसे आगे झुका दिया और एक कुतिया की पोजीशन में लेकर चोदने लगा.
अब ऐसा लग रहा था, जैसे कोई कुत्ता लड़की चोद रहा था. पूरा पलंग ऐसे हिलने लगा था … जैसे कोई सुपरफास्ट ट्रेन अपनी रफ़्तार से चल रही हो.
मेरा लौड़ा टाइट हो गया और उसकी गांड में फंसने लगा था. उसने लंड पर गांड का दबाव बना दिया था. इसी वजह से लंड ने वीर्य छोड़ दिया और उसकी गांड भर दी.
मैंने लंड निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया और लेट गया. वो लंड को चूसने लगी. उसने लंड को चूस चूस साफ कर दिया.
हम दोनों नंगे चिपक कर लेट गए. हमारी सांसें धीरे धीरे अपनी सामान्य स्थिति में आ रही थीं.
मैंने सरोज से बोला कि अपना वादा याद है ना!
वो बोली- जाटनी की जुबाण है … आज की रात तू मेरी अम्मा की तीसरी बेटी को भी चोदेगा. तू पहला बिहारी होगा, जो अपनी मकान मालकिन की तीनों बेटियों को चोदेगा … वो भी जाटनी को.
मैंने कहा- मैं तो तेरी अम्मा को भी चोद सकता हूं … लेकिन उससे मेरी गांड फटती है.
सरोज हंसने लगी और बोली- अम्मा को चोदने की सोचेगा … तो जान से जाएगा.
मैंने कहा- ठीक है मुझे अभी नहीं मारना है.
वो बोली- राज मेरे भाई का रिश्ता रोहतक पक्का हो गया है.
मैंने कहा- अच्छा है.
सरोज हंसने लगी और बोली- अम्मा की बहू को भी चोदेगा क्या?
मैंने कहा कि अगर किस्मत में होगी … तो उसे भी पेल दूँगा.
सरोज बोली- सुमन को जिस पलंग में चोदा था, उसी पलंग में तुझसे मैं अपणी भाभी को भी चुदवाऊंगी … मेरा वादा है.
मैंने कहा- सोच लो, जो वादा किया, वो निभाना पड़ेगा.
वो बोली- जाटनी की जुबाण है.
कुछ देर बाद उसने अपने कपड़े पहने और तैयार होकर बोली- राज मैं जाऊं … अब रात की तैयारी भी करनी सै.
मैंने उसे जोर से किस किया और बोला- ठीक है जाओ.
सरोज को चोदने के बाद में भी रात के बारे में सोचने लगा और मेरी कब नींद लग गई, पता ही नहीं चला.
दोस्तो, मेरी गाँव की लड़की की चूत गांड कहानी पर अपने कमेंट जरूर करें. धन्यवाद.
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