साथियो, आपका मेरी इस ज्ञानवर्धक सेक्स कहानी में स्वागत है.
यह सेक्स कहानी एक अनुभव के आधार पर एकदम सच का बखान करते हुए लिखी गई है.
कोरोना महामारी के चलते सभी को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जीने के रंग-ढंग ही बदल गए.
ऑनलाइन क्रिया कलापों, वर्क फ्राम होम आदि का विकास हुआ.
इस काल ने लोगों को इम्यूनिटी बूस्टर, सोशल डिस्टेसिंग, रेमिडिसिवीर, वेंटीलेटर आदि से परिचित कराया और मास्क से मुँह को ढकना आदि भी सिखाया.
मुँह ढकते ही पहचान लिए जाने की एक बड़ी समस्या का अंत हो गया.
लोग आंखों से व्यक्ति को पहचानने की कोशिश करने लगे तथा खुलापन बढ़ गया.
खुलापन इसलिए बढ़ गया कि लड़के लड़कियां जो मुँह ढक कर बाइक पर निकलते हैं, उन्हें कोरोना से बचने के लिए मास्क मुफीद लगने लगा.
हालांकि यह बात सभी को मालूम है कि मास्क क्यों लगाया गया है.
तब भी उनकी सोच से क्या जूझना.
उन दिनों लोग घरों में क़ैद हो गए थे और लोगों ने कम संसाधनों में जीना भी सीख लिया था.
ऐसे में वासना शांत करने के लिए लोगों को मोबाइल और कम्प्यूटर का बड़ा सहारा मिला.
इन उपकरणों ने युवाओं को मेलजोल की चुल्ल को शांत करने में काफी बड़ा योगदान दिया.
युवाओं के अलावा अन्य लोगों को समाज का इज्जतदार हिस्सा बने रहने वाली छवि को बचाए रखने में वरदान से कम योगदान नहीं दिया.
इन सबमें सबसे ज्यादा जिस चीज ने लोगों को सुरक्षित सेक्स की सुविधा प्रदान की, वह है पॉर्न इंडस्ट्री.
क्योंकि जिनके पास सैटिंग नहीं होती है, वे चुदाई की कहानियां या वीडियो देख कर ही अपने अंगों की गर्मी को शांत कर पाने में सक्षम रहे.
भारत में पॉर्न इंडस्ट्री में भी विशेष कर अन्तर्वासना3 डॉट काम हिन्दी भाषियों के लिए वरदान साबित हुई.
इस सत्य को चाहे कोई माने या न माने.
इस काल से पहले लिखी कहानियों से मुझे कामेश नाम से जानने वाले पाठक काफी हो गए थे लेकिन वेबसाइट के पाठकों की संख्या कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है तो ईमेल कुछ ज्यादा ही आने लगी थीं और सभी को जबाव दे पाना असंभव सा हो गया था.
मैंने अपनी पहचान को कायम रखने के लिए कई गे डेटिंग साइट पर डॉक्टर कामेश नाम से ही प्रोफ़ाइल बनाई और अपनी हसीन गांड की फ़ोटो अपलोड की.
फिर क्या था, बहुत लोगों के लंड खड़े होने लगे और मुझे मिलने के लिए लोग लालायित होने लगे.
लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण कोरोना काल में सरकारी आदेशों का पालन करना जरूरी था, तो सभी से कोरोना के बाद मिलने की गुजारिश करके ऑनलाइन वार्ता करने लगा.
फिर लगा कि गूगल हैंगआउट, गूगल मीट और स्काइप पर ऑनलाइन देखने, दिखाने का काम भी हो सकता है.
उधर भी लोगों की वासना से दो चार हुआ और आमने सामने आकर गांड लंड आदि की कामेक्षाओं की पूर्ति की.
ऑफिस बंद चल रहे थे लेकिन हमारे जैसे सीनियर लोगों को आना पड़ रहा था.
जबकि जूनियर लोग वर्क फ्रॉम होम का आनन्द ले रहे थे.
इस तरह एकांत का भी संयोग प्राप्त हो रहा था.
एकांत कामाग्नि को भड़काने के लिए घी का काम करता है.
अतः जब भी मौका लगता, मैं अपने केबिन में पूरा नंगा हो जाता और इन साइट्स पर ऑनलाइन हो जाता या फिर अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ता.
मैंने नग्न होकर बहुत से लोगों से ऑनलाइन वार्तालाप किया.
एक एक कर कपड़े उतारने, कैमरे के सामने नितंब सहलाने से सामने वाले की आंखों से दिखती वासना को देख कर मुझे असीम आनन्द आता था.
लोग कोरोना को नजर अंदाज कर मेरी हसीन गांड चोदने की इच्छा रखते.
पर मैं आत्म निर्भर रहने में ही अच्छाई मानता था.
कुछ लोग नंगे होकर अपने लौड़े मेरी गांड चोदने वाले अंदाज में हिलाते, कुछ व्हाट्सअप नंबर मांगते, कुछ मिलने की बात करते.
मैंने काफी दिनों बाद दो तीन लोगों को अपना मोबाइल नंबर भी दिया लेकिन उनको ब्लॉक करना पड़ा क्योंकि वे पैसे मांगने लगते थे.
तभी मैंने पाया कि समलैंगिक साइट्स पर ज़्यादातर लोग बॉटम रोल वाले और 40 साल से ज्यादा उम्र के होते हैं.
नौजवान लौंडे ज़्यादातर टॉप होते हैं, जिनको गांड मारने से ज्यादा लौड़ा चुसवाने की तमन्ना रहती है.
लंड चुसवाने की कामना तो लगभग सभी उम्र के लोगों की ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि आज भी बंद कमरों में लड़कियां या औरतें लंड चूसने को पसंद नहीं करती हैं.
जबकि ज्यादातर ब्लू फिल्मों में लंड चुसाई एक आवश्यक अंग के रूप में देखने को मिलता है.
अंग्रेजी फिल्मों में तो पटकथा ही लंड चुसाई चुत चुसाई से शुरू होती दिखाई जाती है.
उनके लंड चुत एकदम गोरे और अच्छे दिखाई देते हैं.
जबकि भारत के लौड़े और चूतें एकदम काली कलूटी और गंदी दिखाई देती हैं.
इसी वजह से मर्दों में लंड चुसवाने की तमन्ना ज्यादा दिखाई देती है.
कुछ लोग मजबूरी बस पैसे के लिए इन साइट्स पर अपनी प्रोफ़ाइल बनाते हैं.
ऑनलाइन वार्तालाप से उत्पन्न वासना को दूर करने के लिए मैं एक मोटी टेस्टट्यूब का इस्तेमाल डिल्डो की तरह कर लेता था.
फिर उसके भी फ़ोटो अपलोड कर दिया करता था.
एक दिन की बात है.
मैंने सोचा कि आज गांड में मोटा डिल्डो लेते हुए एक मस्त फ़ोटो खींचता हूँ.
इस वासना के चलते मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया कि ट्यूब के बाहरी हिस्से में कैप लगी रहे, जिससे वह पूरी अन्दर न जाए.
मैंने बाथरूम में नहाते हुए बीयरब्रांड के शैम्पू की बोतल के आगे टेस्टट्यूब को फिट किया और अब अच्छा खासा लंबा नारंगी रंग वाला डिल्डो तैयार हो गया तो उसे वैसलीन लगाकर गांड के अन्दर डाल लिया.
चिकनाई लगी होने के कारण ट्यूब एक ही बार में अन्दर घुस गई लेकिन वासना के चलते और अन्दर लेने की इच्छा से थोड़ा और ज़ोर लगाया तथा एक हाथ से मोबाइल से फ़ोटो लेने लगा.
लेकिन यह मजा एकाएक दुर्घटना में तब्दील हो गया.
टेस्टट्यूब आगे से अलग होकर गांड के अन्दर घुस गई और शैंपू की बोतल जो और भी मोटी थी, वह हाथ में रह गई.
मैंने टेस्टट्यूब को निकालने का असफल प्रयास किया लेकिन गांड की बाहरी मांसपेशी ने इसे बाहर निकलने से रोक लिया.
ट्यूब का रिम कुछ इस तरह फंस गया था कि चिमटी आदि से पकड़ कर खींचने से भी बाहर नहीं आ रहा था.
मैंने सोचा कि जब प्रेशर पड़ेगा तो शायद निकल जाए, लेकिन इस ट्यूब ने निकास द्वार को पूरी तरह बंद सा कर दिया था.
अन्दर एक निगेटिव दबाव बनता जा रहा था, जो इसे ऊपर की ओर खींच रहा था.
अब मैं बहाना करके कई बार टॉयलेट जा रहा था कि पेट ख़राब हो गया है और हर बार इसे निकालने का प्रयास करता.
पर दुर्भाग्य से सब प्रयास असफल हो रहे थे.
बहुत सारी क्रीम लगा कर छेद को फैलाने का भी प्रयास किया.
भगवान से अपने बुरे कर्म को माफ कर इस शर्मनाक दशा से निजात दिलाने की भी बहुत प्रार्थना की लेकिन कुछ भी न हुआ.
भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि
‘अवश्यमेव भोक्तव्यम कृत कर्म शुभाशुभम.’
बेटा कर्म गति टारे नहीं टरे.
मेडिकल भाषा में ऐसी कंडीशन को ठीक करने को रेक्टल फॉरेन बॉडी रेमूवल का केस कहा जाता है.
इसकी बहुत सारी केस स्टडीज, जो इंटरनेट पर उपलब्ध थीं, उन्हें ध्यान से पढ़ीं.
फिर थक हार कर जान बचाने के लिए और शर्मोहया को छोड़ हॉस्पिटल की शरण लेने का निर्णय लिया.
पहले अकेले ही एक बड़े हॉस्पिटल के आपातकालीन वार्ड के रिसेप्शन पर गया और वहां के पुरुष कर्मी को बताया.
उसने अपने साथ बैठी महिला को बताया.
चूंकि मैं अपने आपसे चलकर गया था, तो उन लोगों ने जनरल ओ पी डी में जाने को कहा.
वहां के स्वागत पटल पर बैठे लोगों के लिए यह एक अजीब सी बात थी, तो मैंने खुद ही गैसट्रोइंटेरोलॉजी के लिए पर्ची बनवाई और किसी डॉक्टर से मिलने का विचार कर उस डिपार्टमेन्ट की नर्स को बताया.
वह एक भली महिला थी. उसने एक बड़े डॉक्टर साहब श्री उपाध्याय जी से मिलवाया.
डॉक्टर साहब ने अच्छे से बात की और ठीक करने का आश्वासन दिया.
पहले कोलनोस्कोपी करके ट्यूब की फंसे होने की स्थिति का जायजा लिया और उनको भी लगा कि वे आसानी से निकाल सकेंगे.
इसके लिए मुझे ऑपरेशन टेबल पर औंधा करके मतलब गांड छत की ओर करके लिटा दिया.
फिर सामने कम्प्यूटर स्क्रीन पर एंडोस्कोप कैमरे की मदद से काम शुरू किया.
मेरी गांड के अन्दर फंसी ट्यूब को पकड़ने में लगी चिमटी की फोटो साफ दिख रही थी, लेकिन पकड़ ठीक से नहीं बन रही थी.
अंततः उनकी टीम का प्रयास भी सफल नहीं हो सका.
फिर अगले दिन ऑपरेशन थियेटर में बेहोशी की दवा देकर निकालने की बात की और कहा गया कि तुम्हें किसी को साथ लाना होगा.
कई फार्म भरने आदि के लिए सहायक की जरूरत बताई गई.
मैंने भी ऑफिस से एक दिन की छुट्टी ली और एक भरोसेमंद लड़के को साथ लेकर अगली सुबह हॉस्पिटल पहुंचा.
मैंने उसको झूठ बताया कि अन्दर कोई गांठ सी हो गई है, जिसको निकाला जाना है.
उसने भी बहुत सेवा भाव से मदद की.
जिसके प्रतिफल में मैंने उसकी थीसिस पूरी कराने का वादा कर दिया और भविष्य में हर संभव मदद करके करता रहूँगा, यह भी कहा.
ऑपरेशन से पहले कोरोना और कई टेस्ट सुरक्षा या पैसा वसूलने के लिए किए गए और बेहोश करके डॉक्टरों ने इस ट्यूब को निकाला.
पूरे चार दिन बाद इस समस्या से निजात मिली थी.
गनीमत यह रही कि इस सबके बावजूद भी मेरी गांड फटी नहीं थी.
हॉस्पिटल में ज्यादातर स्टाफ महिलाएं होती हैं इसलिए यह पूरा कांड शर्मिंदगी भरा रहा.
पूरे दिन भर बाद शाम को हॉस्पिटल से लगभग 60 हजार रुपए की चपत लगवाकर और जान बची तो लाखों पाये की कहावत को चरितार्थ कर वापस आया.
फिर अगले दिन मंदिर गया और दान पेटी में कुछ दक्षिणा डाल कर कसम खाई कि गांड में कोई भी निर्जीव वस्तु मजे के लिए नहीं डालूँगा.
तब से इस पर अमल कर रहा हूँ.
एक दिन डॉक्टर ने फोन करके चेकअप के लिए अपने निजी क्लीनिक पर बुलाया और मेरी गांड में अपना लंड पूरा डाल कर अच्छे से धक्के लगा कर आधे घंटे तक पूरा चेकअप किया.
उसने मेरी गांड मारने का सुख लेने के बाद हंस कर कहा- अब तुम बिल्कुल फिट हो. आगे से पूरी सावधानी से मजे लेते रहो. किसी और को ऐसी जरूरत पड़े तो उसे मेरे निजी क्लीनिक में आने की सलाह देना, डिस्काउंट भी दूंगा.
तो दोस्तो, आपको भी कभी ऐसी समस्या से दो चार होना पड़े तो बताइएगा.
मेरी ऑनलाइन नग्नता अभी भी जारी है और किसी भी मित्र के लौड़े से कभी भी चुद सकता हूँ.
आप सब लोग भी मेरी इस सच्ची सेक्स कहानी से सीख लें, इसी लिए साझा कर रहा हूँ.
अगर आपके द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तु का आधार चौड़ा नहीं है, तो सावधान रहें. क्योंकि यह अन्दर जाकर फंस सकती है.
इसी लिए खरीदे गए डिल्डो में बेस चौड़ा होता है. जानकार बनें और सुरक्षित रहें.
सेक्स कहानी पर आपकी प्रतिक्रिया और विचारों का स्वागत है.