फ्रेंड हस्बैंड सेक्स कहानी में मेरी दोस्त लड़की ने अपनी सहेली के पति से चुदाई की कहानी सुनाई. वह अपनी सहेली के जन्मदिन की पार्टी में गई थी. उसकी सेक्सी ड्रेस के कारण सब उसे घूर रहे थे.
दोस्तो, मैं नील आज आपको जो सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ, वो मैं सालों से सोचता आ रहा हूँ … पर संकोच के चलते नहीं भेज सका.
यह फ्रेंड हस्बैंड सेक्स कहानी मेरी फ्रेंड स्मृति की है.
स्मृति तलाकशुदा महिला है.
हमारी दोस्ती दस साल पुरानी है.
अब मेरी उम्र है 29 और स्मृति की 31 साल की है.
यह कहानी तब की है, जब मेरी उम्र 19 साल की थी और स्मृति की 21 साल की थी.
हमारी पहचान कॉलेज में हुई थी.
हम दोनों ही मस्तमौला और कमीने किस्म के हैं.
शारीरिक सुख के लिए हम दोनों हमेशा ही तैयार रहते हैं.
स्मृति सांवली जरूर है मगर उसका शरीर इतना मादक है कि किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर दे.
उसके 34 इंच के उभरे हुए स्तन, कमर तीस इंच की और गांड छत्तीस इंच की है.
मैं नील, एकदम दूध सा गोरा, पतला हूँ. जब भी अपना मुँह खोलता हूँ … तो बस शहद टपकता है.
हमारी दोस्ती कॉलेज के बाहर स्मोकिंग करते हुए हुई थी.
एक दिन मैंने देखा स्मृति कोई गोली ले रही थी.
मैंने पूछ लिया- बीमार हो क्या?
स्मृति हंसी और उसने मुझे गोली का पैकेट दिखाया.
ये बच्चा ना पैदा होने वाली कोई गोली थी.
मैं- बॉयफ्रेंड?
स्मृति फिर से हंसने लगी.
इस बार मैंने थोड़ी जिद की तो उसने बिना हिचकिचाए अपनी कहानी बताना शुरू की.
मैं स्मृति, कल अपनी सहेली के पति का जन्मदिवस मनाने गई थी. मैंने काफी छोटी ड्रेस पहनी थी, जो घुटनों के ऊपर तक ही थी और मेरे आधे स्तन दिख रहे थे.
जब मैं वहां पहुंची, तब वहां नेहा (मेरी सहेली), अनिल (नेहा का पति) और उनके कुछ दोस्त थे.
अनिल और मैं एक दूसरे को पहले से जानते थे.
फिर नेहा ने मेरी पहचान सबसे करवाई.
केक काटा गया, सबने अनिल को केक खिलाया.
जब मैंने अनिल को केक खिलाया, तब अनिल ने मेरी एक उंगली चूस ली.
मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, पर मजा भी आया.
मैंने जानबूझ कर फिर से अनिल को केक खिलाया.
अनिल ने फिर से मेरी उंगली चूस ली.
अब अनिल ने मुझे केक खिलाया और मैंने उसकी उंगली चाट ली और मादक भाव से मुस्कुराती हुई उसी के बाजू में जा बैठी.
म्यूजिक चालू हुआ.
अनिल और नेहा ने शराब की बोतलों की क्रेट बाहर निकाली.
हम सब शराब पीने लगे.
कुछ पैग अन्दर जाते ही मैं भी मस्त होने लगी.
अनिल थोड़ी थोड़ी देर बाद मुझे ऊपर से नीचे घूर रहा था.
मुझे धीरे धीरे नशा चढ़ रहा था.
अनिल जब मुझे घूर रहा था तब मुझे शरारत करने का मन हुआ.
मैं झुक गई और ऐसे ही कुछ उठाने का नाटक करने लगी.
अपने झूलते हुए स्तन मैं अनिल को दिखाने लगी. अनिल की आंखें मेरे स्तनों की घाटी में अटक गई.
मैं सीधी उठ कर बैठ गई और हम अब एक दूसरे को स्माइल देते हुए देखने लगे.
नेहा ने म्यूजिक की आवाज बढ़ा दी.
अब नेहा और अनिल नाच रहे थे.
उन्होंने सब को नाचने पर मजबूर किया और अब सब साथ में नाचने लगे थे.
मैं नशे में चूर अपनी गांड हिलाती हुई नाच रही थी.
कुछ लड़के अब मेरे पास आकर नाच रहे थे, किसी ने हल्के हाथ से मेरी कमर मसल दी.
मुझे इस बात से मजा आने लगा.
मैं लड़कों के साथ बड़ी बेशर्म होकर नाच रही थी.
फिर किसी ने मेरी गांड पर हाथ मारा.
नशे में चूर मैंने भी उसके पीछे हाथ मार दिया.
नाचते हुए मैं अनिल को और अनिल मुझे देखे जा रहा था.
उसी समय नेहा को किसी का फोन आया तो वह चली गई.
मौके का फायदा उठाते हुए अनिल मेरे पास आ गया और मुझसे चिपक कर नाचने लगा.
अनिल- स्मृति, बर्थडे तो मेरा है, पर सभी लोग तुझे घेरे हुए हैं.
मैं- अब मैं क्या करूँ, जहां जाती हूँ दीवाने बना लेती हूं.
अनिल- बात तो तुमने सच कही.
अनिल ने मेरी कमर को दोनों हाथों से कस के पकड़ा- मैं भी तेरा दीवाना हो गया हूं. तुझे देख कर मेरी नीयत बिगड़ गई है. चाहो तो आज …
तभी नेहा वहां आ गई और हमारे साथ नाचने लगी.
हमारी बात आधी रह गई.
रात के 10 बजे थे, अब सब लोग धीरे धीरे जाने लगे.
अब घर पर मैं, नेहा और अनिल थे. हम सोफा पर बैठ कर शराब पी रहे थे.
मैं टांगें थोड़ी फैला कर बैठी थी, मेरी दोनों जांघों तक ड्रेस ऊपर उठ चुकी थी.
अनिल हवस की नज़र से उनको देख रहा था.
नेहा इतनी पी चुकी थी कि उससे चला भी नहीं जा रहा था.
मैं- चलो फ्रेंड्स, मैं अब घर निकलती हूँ.
ऐसा बोल कर मैं लड़खड़ाती हुई अनिल को बर्थडे विश करने गई.
मैंने अनिल को हग किया.
अनिल ने मुझे जोर से अपनी बांहों में लिया और कान में कहने लगा- मत जाओ, आज यहीं रुक जाओ.
मैं अनिल की बांहों से निकलने की नाकाम कोशिश करने लगी.
मेरे बूब्स अनिल की छाती पर दबे थे और अनिल और जोर से मुझे दबोच रहा था.
अनिल- नेहा इसे बताओ ना, क्यों जा रही है ये घर … रात भी काफी हो गई है! कल सुबह चली जाना.
नेहा- हां, स्मृति रुक जाओ. हमारी पार्टी पसंद नहीं आयी क्या?
मैं- ऐसी बात नहीं है. बहुत मजा आया. पर रात में कैसे रुकूं … मेरे पास कोई एक्स्ट्रा कपड़े भी नहीं हैं.
नेहा- अरे मेरे कपड़े पहन लेना, कोई दिक्कत की बात नहीं.
मैं थोड़ा सोचने लगी, फिर रुकने के लिए तैयार हो गई.
अनिल के चेहरे पर अब हवस साफ दिखाई देने लगी.
थोड़ी देर हम सोफे पर बैठे रहे.
अनिल और मैं एक दूसरे को बस ऊपर से नीचे घूर रहे थे.
जब मैंने देखा कि नेहा सोफे पर ही सो गई है.
तो हम दोनों ने नेहा को उठा कर बेडरूम में लिटा दिया.
मैं बेड के कोने पर ही बैठ गई.
अब मैं और अनिल अब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे.
अनिल ने मेरे सामने ही अपनी शर्ट उतार दी और पैंट की ज़िप खोलते हुए अलमारी के पीछे चला गया और एक शॉर्ट्स पहनकर सामने आया.
उसने अलमारी से एक नाईटी निकाल कर मुझे पकड़ा दी.
फिर अनिल रूम के बाहर चला गया.
मैंने अपने कपड़े उतारे और नाईटी पहन ली.
नाईटी काफी छोटी और पतली थी; सामने से ओपन थी, मेरे आधे बूब्स दिख रहे थे और निप्पल भी दिख रहे थे.
मैं हॉल में आयी.
अनिल मुझे देख कर मेरे पास आ गया- तुम इसमें नेहा से भी ज्यादा खूबसूरत दिख रही हो.
मैं- थैंक्स.
अनिल ने मुझे एक और पैग ऑफर किया.
मैंने गिलास ले लिया- आज तो तुम मुझे नशे में चूर करके छोड़ोगे, ऐसा लग रहा है.
अनिल- आज तो प्लान कुछ और भी था, पर नेहा पीकर सो गई. अब वो प्लान तो गया.
मैं- अच्छा! ऐसा क्या प्लान था?
यही सब बोलते हुए हम सोफे पर बैठ गए.
अनिल- नशे में हम आज जोरदार सेक्स करने वाले थे, बिना कंडोम के … जाने दो अब बोल कर क्या फायदा. जो चीज़ हो ही नहीं सकती. वैसे मेरा गिफ्ट कहां है?
मैं- अरे वो अचानक प्लान बना, तो गिफ्ट ला नहीं पाई. बोलो क्या चाहिए?
अनिल ने एक और पैग भरा और मुझे दिया.
अनिल- जो प्लान रह गया है. वो पूरा कर दो … हाहाहा!
वह मेरी कमर को मसलने लगा.
मैं- तुम शादीशुदा हो. अपनी बीवी के साथ प्लान बनाया और पूरा मेरे साथ करोगे?
अनिल का चेहरा गिर गया.
अनिल- हां, हूं मैं शादीशुदा, पर बर्थडे के दिन भी मेरी विश पूरी नहीं हो रही. क्या फायदा ऐसे बर्थडे का!
नशे से मेरी भी नियत बिगड़ चुकी थी.
मैं- नेहा को पता चला तो?
अनिल- कौन बताएगा नेहा को? यहां तो हम दोनों ही तो हैं.
मैंने अपना पैग खत्म किया, अनिल का गिलास हाथ में लिया और अपने हाथों से उसे शराब पिलाने लगी.
फिर ग्लास बाजू में रखा.
मैंने धीरे से नाईटी की गांठ खोली.
मैं- ये लो तुम्हारे बर्थडे का गिफ्ट.
अनिल के चेहरे पर हंसी आ गई.
उसने दोनों हाथों से नाईटी खोली.
मैंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी; मेरे बूब्स और पैंटी अनिल के सामने थे.
अनिल जोर जोर से मेरे बूब्स दोनों हाथों से मसलने लगा.
मैं- आहह अनिल उम्म.
अनिल- इतने बड़े बूब्स तो मैं दिन रात चूस सकता हूं.
वह मेरे ऊपर आ गया.
हम सोफे पर गिर गए.
अनिल एक हाथ से मेरा एक दूध दबा रहा था और दूसरा दूध चूस रहा था.
मैं- सश्स … मस्त हो तुम!
अनिल ने मेरी नाईटी उतार कर फेंकी.
हम एक दूसरे को किस करने लगे.
मैं अनिल का सर सहलाने लगी- अम्म्म सस्श!
अनिल ने मेरे लिप्स को काट लिया.
मैं- आउच … तुम तो बड़े नॉटी हो.
मैं अनिल की पीठ को सहलाने लगी.
अनिल मेरे बूब्स से पेट तक हाथ सहलाने लगा.
उसके सहलाने से मैं मस्त होने लगी.
अनिल ने धीरे से मेरी पैंटी में हाथ डाल दिया.
वह मेरी चूत को सहलाने लगा.
मैं- आहहह उम्म.
अनिल ने चूमना चालू किया, मेरे गाल चूमने लगा. फिर धीरे मेरी गर्दन पर आया और चूसने लगा, काटने लगा.
मैं मस्त होकर सेक्सी आवाजें निकालने लगी.
अनिल- सस् मम्मम!
मैं- आ उम्म उफ्फ.
अब मेरे बूब्स के बीच में अनिल चाट रहा था.
अनिल- अम्म्म आह … तुम तो रसमलाई हो स्मृति!
अनिल चाटते हुए मेरे पेट पर आया और मेरे पेट को हाथ से मसलने लगा.
पेट मसलते हुए उसका एक हाथ मेरी चूत को सहला रहा था.
अनिल और नीचे गया; उसने मेरी पैंटी के ऊपर किस किया- उम्महा!
उसने मेरी अब पैंटी उतार दी.
मैं उसके सामने पूरी नंगी थी.
अनिल ने दो उंगलियां मेरी चूत में घुसा दीं.
मेरे मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- आहहह.
अनिल- तुम तो गीली हो गई हो!
वह अब उंगलियां मेरे अन्दर बाहर करने लगा.
बिना रुके दो मिनट तक उसकी उंगलियां मेरी चुत में अन्दर बाहर होती रही थीं.
मैं कामुक सिसकारियां भर रही थी- आह आह आआह!
अनिल ने मेरी चुत से उंगलियां निकालीं और जोर से चुत पर किस किया- उम्म मम्महा.
मेरे अन्दर भी अब आग लग चुकी थी और वो चुदाई से ही शांत होने वाली थी.
अनिल मेरे ऊपर फिर से आया और ऊपर आते ही वो मेरे मुँह के पास आ गया.
उसका खड़ा हुआ लंड उसकी शॉर्ट से साफ दिख रहा था.
मैं उसका लंड शॉर्ट के ऊपर से हिलाने लगी.
अनिल- आहह … ऊपर से ही करोगी क्या?
मैं उसका लंड जोर से दबाने लगी.
अचानक उसने शॉर्ट निकाल दी, उसका मोटा लंड मेरे मुँह पर लगा.
हम दोनों हंसने लगे.
मैं उसके लंड को पास से देखने लगी.
तब मैं सोफे पर लेटी हुई थी, वह मेरे मुँह के पास बैठा हुआ था.
उसका लंड मेरे मुँह को टच हो रहा था और मैं उसका लंड दोनों हाथ हिलाने में लगी थी.
अनिल- म्मम … आहह … मुलायम हाथ हैं तेरे!
उसने लंड मेरे लिप्स पर रखा. मैं उसके लंड को चूमने लगी.
मैं- उम्मह उम्माह.
तब मैं अनिल का लंड मुँह में लेने लगी. मैंने उसका लंड चूस चूस कर गीला कर दिया.
मैं- अहह … क्या मस्त लंड है तेरा!
अनिल- तो पूरा लो ना ठीक से.
ऐसा बोल कर अनिल ने मेरे दोनों हाथ अलग अलग पकड़े और दूर किए.
अनिल मेरे ऊपर मेरे मुँह के पास आया और लंड मुँह में घुसा दिया और मुँह को चोदने लगा.
लंड मेरे गले तक लगने लगा.
अनिल- आह यस.
मैं- मम्मम मम्म!
कुछ 15-16 धक्के मुँह में लगा कर उसने पूरा गीला लंड मुँह से निकला.
मैं- आह … तुमने तो मेरी जान ही ले ली.
अनिल- इतनी जल्दी नहीं डार्लिंग.
अनिल मेरे बूब्स दबाते हुए मेरी टांगों के बीच आया और उसने दोनों हाथों से मेरी टांगे फैला दीं.
वह मेरी जांघों को सहलाने लगा और उसी बीच अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर जोर से धक्का दे दिया.
इस झटके से उसका आधा लंड मेरी चुत में घुस गया.
मैं- आह … अम्म्म!
अनिल ने तभी दूसरा झटका दे दिया और अपना पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
मैं संभल ही नहीं पाई थी कि उसने पूरी ताकत से धक्के देने शुरू कर दिए- आह … अम्म्म … आह यस … आह!
मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं.
नेहा अन्दर सो रही थी और हम बाहर चुदाई कर रहे थे.
यदि पकड़े जाते तो कांड हो जाता.
पर इसी बात को सोच कर मजा भी आ रहा था.
अनिल मेरे बूब्स को दबाते हुए मेरी चूत मार रहा था.
कुछ देर पेलने के बाद अनिल मुझ पर लेट गया और अब वो अपनी कमर हिलाते हुए मुझे रगड़ता हुआ चोद रहा था.
मैंने अनिल को बांहों में ले लिया था और उसकी पीठ को नोच रही थी.
फच फच फच ठुकाई की आवाज … और हम दोनों की आह … अम्म्म … आह यस … आह … की आवाज हॉल में गूंज रही थी.
हम एक दूसरे को बस चूमते जा रहे थे.
थोड़ी देर बाद अनिल ने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.
अनिल थोड़ा पीछे हो रहा था.
मैंने अनिल को जोर से पास में खींचा और कहा- अब पूरा अन्दर गया है, तो बाहर कुछ नहीं आना चाहिए.
यह सुन कर अनिल को और जोश आया उसने 10-12 जोरदार झटके मारे.
मैं- आह ममह … आह यस … यस और जोर से!
अनिल और जोर लगा कर धक्के मारने लगा था.
फिर अनिल मेरे अन्दर ही झड़ गया.
उसके लंड का गर्म माल मेरी चूत में फैल गया.
कुछ मिनट तक हम दोनों यूं ही नंगे ही पड़े रहे.
फिर अनिल उठा और मुझे चूम कर कहने लगा- काश, तुम रोज मेरे साथ सोती.
मैं- हा हा हा … मजा तो आता पर अब तो ये नहीं सकता!
अनिल- कोई बात नहीं, जब मौका मिले तब हम फिर से सेक्स करेंगे.
मैं- हां जरूर.
हमने फिर से किस किया.
थोड़ी देर बाद फिर से फ्रेंड हस्बैंड सेक्स का एक राउंड हुआ.
फिर वह बेडरूम में जाकर सो गया और मैं सुबह सुबह जल्दी वहां से निकल गई.
स्मृति की कहानी सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैं बोला- मजे हैं यार तेरे!
स्मृति- हां वो तो है.
मैं- ऐसा लगता है तुझे पटाना पड़ेगा.
स्मृति- चल हट!
मैं- मजाक नहीं कर रहा यार … इतनी हॉट गर्लफ्रेंड किसे नहीं चाहिए … हा हा हा … तेरी इस बात को सुन कर मेरा तो खड़ा हो गया.
मैंने नीचे देखा.
स्मृति मेरे खड़े लंड को देखने लगी.
स्मृति- बड़े कमीने हो. अपने दोस्त से मजे ले रहे हो.
मैंने स्मृति का हाथ सहलाते हुए कहा.
मैं- मैं तो मजे के लिए हमेशा तैयार हूं.
हम दोनों एक दूसरे को नॉटी स्माइल देने लगे.
स्मृति- आज नहीं, फिर कभी किसी और दिन सोचेंगे … अब घर भी जाना है.
मैं स्मृति को बाय बोलने के लिए गले मिला और जोर से उसको बांहों में लिया.
उसके नर्म बूब्स मेरे सीने पर दब रहे थे.
मेरा खड़ा हुआ लंड उसके नीचे चुभ रहा था.
स्मृति- अरे अरे कुछ तो टाइट हो गया है नीचे!
मैं- इतनी हॉट गर्ल बांहों में हो और उसकी चुदाई की कहानी उसी के मुँह से सुनी जाए … तो खड़ा तो होगा ही. तुझे अच्छा नहीं लग रहा क्या?
स्मृति ने बस मुझे देखा और स्माइल देकर फिर से मेरी बांहों में हग करती हुई खड़ी रही.
मैं उसकी पीठ सहलाता रहा, उसके बूब्स को महसूस करता रहा और अपने लंड को उसके नीचे चुभोता रहा.
यह मेरी और मेरी फ्रेंड स्मृति की सेक्स कहानी थी.
ऐसे कई किस्से और कहानी आपके लिए आगे भी आते रहेंगे.
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