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मन्त्री जी के फार्म हाउस में मेरी बीवी- 2

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फ्री वाइफ सेक्स कहानी मेरी कमसिन जवान बीवी की कामवासना की है. वो हर किसी से चुद जाती है. एक दिन वो फार्महाउस में दसियों लंड से चूत गांड में चुदती रही.

साथियो, मैं स्वप्निल झा आपको अपनी चुदक्कड़ बन चुकी बीवी की कड़ी कहानी सुना रहा था.
कहानी के पिछले भाग
मन्त्री जी के ड्राईवर ने मेरी बीवी को चोदा
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी निम्फो बीवी नेता जी के फ़ार्म पर अपनी गांड मरवा थी और मैं उसे चुदते हुए देख रहा था.

अब आगे फ्री वाइफ सेक्स कहानी:

वो आदमी पूरी ताकत से अरुणिमा के मम्मों को भी मसल दे रहा था.
ना वो बीच में रुका, ना सांस ली. बस लगातार अरुणिमा को चोदता रहा.

अरुणिमा गांड चोदते हुए उसे बीस मिनट हो गए थे. उसके बाद वो उसकी गांड में झड़ गया.
अरुणिमा ने फिर से अपने आपको साफ़ किया.

मुझे उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था मगर अरुणिमा को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा था.
उसने फिर अपने बाल और चेहरा ठीक किए और मेरे करीब आई.

मेरी नंगी बीवी ने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ा और खींचते हुए एक कुर्सी तक ले गई.

हालांकि मेरा लंड खड़ा नहीं था अब तक क्योंकि मुझे उसको चुदते हुए देख कर मजा नहीं आ रहा था बल्कि बुरा लग रहा था.
लेकिन अरुणिमा के मेरे लंड को पकड़ते ही लंड एकदम से तनतना गया.

मुझे कुर्सी पर बैठा कर उसने पैंट की जिप खोल कर मेरा लंड बाहर निकाला और मेरी गोद में चढ़ गई.

प्यार से मुझे चूमा और बोली- बाकी के लिए रंडी या वेश्या हूँ, तुम्हारी तो बीवी हूँ, तुम तो पहले मेरा चूत ही चोदोगे ना?
ये बोलते हुए उसने अपनी चूत में मेरा लंड ले लिया. फिर वो मेरे लंड पर ऊपर नीचे कूदने लगी.

मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया ताकि लंड फिसल कर बाहर ना आ जाए.
अभी चुदाई चल ही रही थी कि एक नौकर आया और अरुणिमा से बोला- मैडम, आपको बाहर बुला रहे हैं.

अरुणिमा अपनी सांस संभालती हुई बोली- बोल दो, दस मिनट में आ रही हूँ.
ये बोल कर वो जोर जोर से मेरे लंड पर कूदने लगी ताकि मैं जल्दी झड़ जाऊं.

उसने अपनी चूत को सिकोड़ भी लिया ताकि थोड़ा घर्षण बढ़ जाए.
अभी पांच मिनट ही हुए थे कि विश्वेश्वर जी खुद कमरे में आ गए और साथ में गुरबचन जी भी थे.

उन्होंने अरुणिमा को बगल से पकड़ा और उठा कर मेरी गोद से नीचे उतार दिया.

मेरा लंड बाहर निकल गया और अरुणिमा सकपकाई हुई पास खड़ी हो गई थी.

विश्वेश्वर जी बोले- भड़वे तुझे चोदना है … तो घर में चोद लेना, हमारे लंड को क्यों इंतज़ार करवा रहा.
गुरबचन जी बोले- हम तेरी अरुणिमा की चूत की आग तो अभी बुझा ही देंगे. तू एक काम कर … मुठ मार कर आ जा.

इतना कह कर उन्होंने अरुणिमा को गोद में उठाया और सामने वाले कमरे की तरफ चल दिए.

उनके इस रवैये से मेरा लंड तुरंत मुरझा गया.
मैंने लंड अन्दर घुसाया और पैंट की ज़िप बंद करके सामने के कमरे में आ गया.

जब तक मैं वहां पहुंचा गुरबचन जी एक बेड पर लेट गए थे और अरुणिमा उनके लंड पर बैठ कर उसे अपनी चूत में ले चुकी थी.
विश्वेश्वर जी अपने लंड पर तेल लगा कर उसकी गांड में लंड घुसा चुके थे और राजशेखर जी अरुणिमा के बगल में खड़े होकर उसके मुँह में अपना लंड पेल चुके थे.

मेरे पहुंचते साथ ही उन सबने एक साथ अरुणिमा के तीनों छेदों को चोदना चालू कर दिया था.
बाकी तीन लोग पास आकर उनको देखने लगे और बोलने लगे कि लगा नहीं था कि ये कॉलेज की छोरी सी दिखने वाली लड़की, इस हद तक लंड ले सकती है, विश्वास नहीं होता.

उनमें से एक बोला कि आपके खत्म करने के बाद हम तीनों भी ये पोज़ एक बार आजमाएंगे.
वो तीनों अरुणिमा को चोदते रहे और अरुणिमा चुदाई का मजा लेती रही.

लगभग बीस मिनट के बाद एक साथ झड़ गए.
तीनों अभी अपना लंड निकाल कर अलग ही हुए थे कि बाकी के तीनों ने अरुणिमा को फिर से उसी पोज़ में जकड़ लिया.

एक ने चूत में, एक ने गांड में … और एक ने मुँह में लंड डाल दिया और दोबारा उसकी चुदाई चालू हो गई.

थका देने वाली लम्बी चुदाई के बाद तीनों लगभग एक साथ झड़ गए.

चुदन के बाद अरुणिमा उठी और थोड़ा लड़खड़ाई, मैंने आगे बढ़ कर उसको सहारा दिया और किचन तक ले गया.

पीछे पीछे विश्वेश्वर जी आए और अरुणिमा को देख कर बोले- हम सब निकल रहे हैं. हमको छोड़ने ड्राइवर जा रहा. डेढ़ दो घंटे में आ जाएगा, फिर अरुणिमा को घर छोड़ देगा.
मैंने सर हिला दिया और अरुणिमा को एक कमरे में एक बिस्तर पर लिटा दिया.
वो सो गई और मैं भी सोफे पर जाकर लेट गया.

लगभग दो घंटे बाद मेरी भी नींद खुली तो देखा कि अरुणिमा किचन की तरफ जा रही थी.

वो बिना खुद को साफ़ किए सो गई थी इसलिए मैंने सोचा कि खुद को साफ़ करके आ जाएगी.
मैं वहीं पड़ा रहा और उस तरफ नहीं गया.

दस मिनट से ज्यादा हो गया लेकिन वो वापस नहीं आई तो मैं भी किचन की तरफ गया.

किचन पहुंच कर देखा कि अरुणिमा किचन के बीच में खड़ी है और फार्महाउस के दो नौकर उसको आगे और पीछे से चोद रहे हैं.

मैंने थोड़ा गरज कर कहा- ये क्या हो रहा है?
तो एक नौकर बोला- विश्वेश्वर जी की जितनी भी रंडियां हैं, उनके जाने के बाद हम एक दो बार उन रंडियों को ज़रूर चोदते हैं. अब मैडम कुछ ज्यादा ही चुद गई हैं, तो एक बार चोद के जाने देंगे.

अरुणिमा ने हाथ से इशारा करके मुझे शांत रहने को बोला.
तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

ये दोनों बहुत तेजी से उसको चोदते रहे और बीस मिनट में उसकी चूत और गांड में झड़ गए.
उसके बाद वो दोनों अपने कपड़े पहन कर चले गए.

अरुणिमा बाथरूम गई और अच्छे से अपनी चूत और गांड को धोने लगी.
फिर अपने आपको ठीक करके बाहर वाले कमरे में आकर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद ड्राइवर आ गया और उसने अरुणिमा को चलने को बोला.
अरुणिमा उठी और स्कार्पियो में जाकर बैठ गई.

उसके बाद स्कार्पियो निकली और मैं भी अपनी बाइक से उसके पीछे पीछे चल दिया.

थोड़ी दूर जाने के बाद स्कार्पियो फिर से सड़क छोड़ कर मैदान में उतरी और एक सुनसान पेड़ के नीचे खड़ी हो गई.
मैंने बाइक तेज़ की और स्कार्पियो तक पहुंचा.

अब तक ड्राइवर नीचे उतर कर अरुणिमा को नीचे उतरने को बोल रहा था.

मैंने ड्राइवर से कहा- तुझे चोदना ही था तो वहीं चोद लेता. यहां क्यों रोका?
ड्राइवर ढिटाई बोला- मुझे ऐसी ही जगह पर मज़ा आता है.

अरुणिमा नीचे उतरी और वो उसको गोद में बैठा कर पैसेंजर सीट पर बैठ गया.

मैंने उसे फिर से टोका- भाई! बहुत ज्यादा चुद गई है आज. प्लीज घर छोड़ दे.

ड्राइवर ने अरुणिमा को कमर से पकड़ा और सबसे पहले उसके होंठों को अच्छे से चूमा, फिर मुझसे बोला- देख भाई! तुझे इसको नंगी बाइक के पीछे बैठा कर ले जाना है, तो ले जा. मैं बिना इसको चोदे यहां से नहीं जाने वाला. अब मचमच मत कर और मुझे अच्छे से चोदने दे.

मुझे उसकी बात समझ आ गई थी.
अरुणिमा को नंगी बाइक पर बैठा कर ले जा सकता नहीं था. उसे सिर्फ स्कार्पियो से ही घर पहुंचाया जा सकता था और ये बात ड्राइवर बहुत अच्छे से जानता था.

अपनी बात बोलने के बाद उसने फिर से अरुणिमा के होंठों को चूमना चालू कर दिया. फिर उसके निप्पल्स को चूसना चालू किया.
निप्पल्स चूसते टाइम वह उसके मम्मों को मसल भी रहा था.

जब वो चूमाचाटी से संतुष्ट हो गया, तो उसने अरुणिमा को अपने पैरों के पास बैठने को बोला.

फिर अपनी पैंट उतार कर उसे लंड चूसने को बोला. अरुणिमा बिना बहस किए उसका लंड चूसने लगी और वो आंख बंद करके मज़ा लेता रहा.
थोड़ी देर बाद वो अरुणिमा को बाहर निकल कर बीच वाली सीट पर लेटने को बोला.

अरुणिमा कमर तक सीट पर लेट गई और उसने अरुणिमा की जांघों को पकड़ कर फैलाया और उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया.
उसके बाद वह कभी उसके निप्पल्स को चूसता तो कभी उसके गले को चूमता. साथ में अपने लंड से उसकी चूत चोदता जा रहा था.

जब वो थक जाता तो फिर से अरुणिमा के मम्मों से खेलने लगता और थोड़ी देर बाद फिर चुदाई चालू कर देता.
उस चोदते चोदते बीस मिनट हो गए थे, उसके बाद वह अरुणिमा की चूत में ही झड़ गया और थोड़ी देर उसके ऊपर पड़ा रहा.

फिर उसने अरुणिमा को अपनी गोद में उठाया और वापस अपनी सीट पर आ कर बैठ गया.
अरुणिमा को अपनी गोद में बिठा कर उसन मम्मों और निप्पल्स से खेलना दोबारा चालू कर दिया.

मैं थोड़ा उतावला होकर बोला- भाई … एक बार चोद लिया ना, अब तो चल!
उसने निप्पल्स छोड़ कर कहा- एक बार इसकी गांड भी मारूंगा, फिर चलते हैं. तू बोल रांड … गांड में लेना है न!
अरुणिमा ने हंस कर उसे हां कर दी.

मुझे उसकी बात पर गुस्सा आ रहा था पर स्कार्पियो की आवश्यकता के कारण मैं उससे ज्यादा बोल नहीं पा रहा था.

कुछ मिनट उसके बदन से खेलने के बाद अरुणिमा ने उसका लंड चूस कर फिर से खड़ा कर दिया.

उसने अरुणिमा को फिर से गाड़ी से बाहर निकाला और सीट पर कोहनी रख कर झुक कर खड़े होने को बोला.

डैशबोर्ड से उसने नारियल का तेल निकाला और अपने लंड पर लगाया. उसके बाद उसने अरुणिमा के चूतड़ों को अलग किया और उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया.
अरुणिमा ने एक मीठी सी आह भरके उसका लंड अपनी गांड में ले लिया और मेरी फ्री वाइफ सेक्स का मजा लेने लगी.

वो अरुणिमा की कमर पकड़ कर उसको चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद रुका और मुझसे बोला- अबे भड़वे … तू क्या देख रहा है भोसड़ी के … बाइक से निकल जा, मुझे झड़ने में ज्यादा से ज्यादा दस मिनट लगेंगे. उसके बाद स्कार्पियो तेज चला कर मैं पहुंच जाऊंगा. उतनी तेज तेरी बाइक नहीं चलेगी. घर जा और मेन गेट खोल कर रखना, नहीं तो बाहर गाड़ी रोकना पड़ेगा और किसी आते जाते वाले ने देख लिया तो तेरे लिए ही मुसीबत हो जाएगी.

मुझे भी उसकी बात सही लगी और तभी अरुणिमा ने भी मुझे अपना सर हिला कर जाने का इशारा दे दिया.
मैंने भी बहस नहीं की और बाइक चालू करने लगा.

जैसे ही बाइक चालू हुई, ड्राइवर ने दोबारा कमर पकड़ कर उसकी गांड मारना चालू कर दिया.

मैं घर पहुंच गया और सारे गेट खोल कर उन दोनों के आने आ इंतजार करने लगा.
मुझे लगा कि दस मिनट बाद वो लोग आ जाएंगे, पर इंतजार करते करते लगभग एक घंटा हो गया, लेकिन वो नहीं आए.

मैंने अधीर होकर विश्वेश्वर जी को कॉल किया. दो तीन बार फोन नहीं उठा, फिर कॉल उठा.
मैंने जो हुआ उन्हें बताया और स्थिति से अवगत कराया.

वो थोड़ा सोच कर बोले कि ड्राइवर के घर का एड्रेस दे रहा हूँ और मोबाइल नंबर भी, जाकर देख ले.
फ़ोन रखने के तुरंत बाद उनका मैसेज आया और मैंने एड्रेस देखा, उस पते का थोड़ा बहुत आईडिया मुझे था. ये एड्रेस एक झुग्गी बस्ती का था. मैं उस एड्रेस पर एक बार जा चुका था.

सबसे पहले मैंने उसको कॉल किया, लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ था.
मैंने तुरन्त गेट लॉक किया और बाइक से उस एड्रेस की तरफ चल दिया.

लगभग दस मिनट में मैं उस एड्रेस पर पहुंचा और बाइक खड़ा करके उस ड्राइवर का घर ढूंढने लगा.
पूछताछ के बाद मुझे उसका घर मिल ही गया. स्कार्पियो घर के सामने ही खड़ी थी लेकिन दोनों स्कार्पियो में नहीं थे.

मैंने पास से गुजरते आदमी से पूछा तो उसने उस ड्राइवर के मकान की तरफ इशारा कर दिया.
मैं मकान के गेट पर पहुंचा और गेट की स्थिति से पता लग रहा था कि गेट अन्दर से लॉक नहीं था.

मैंने गेट को धकेला और अन्दर चला गया. सामने के कमरे में कोई नहीं था, सो मैं दबे कदमों से पीछे के कमरे की तरफ गया.

जब कमरे के नजदीक पहुंचा तो मुझे अरुणिमा की मादक सिसकारियां सुनाई दीं.
मैंने एक झटके से कमरे में घुसने की जगह छुप कर कमरे में झांका.

कमरे में एक डबल बेड पड़ा था, जिस पर वो ड्राइवर टिक कर बैठा था. उसके ठीक सामने अरुणिमा खड़ी थी. वो बिस्तर पर झुकी हुई थी और उसने अपनी हथेलियां बिस्तर पर रखी हुई थीं.
उस ड्राइवर के बगल में एक दूसरा आदमी बैठा था और अरुणिमा की गांड की तरफ एक और आदमी था, जो उसकी गांड मार रहा था.

शायद उसका लंड काफी मोटा रहा होगा इसलिए अरुणिमा कुछ छटपटा रही थी. ड्राइवर अरुणिमा के ठीक सामने बैठ कर अपने मोबाइल पर उसका वीडियो बना रहा था.

वीडियो बनाते बनाते उसने दूसरे आदमी से कहा- एक हजार रुपए वसूल हुए या नहीं? चोदने में मज़ा आया ना!
वो कुछ नहीं बोला, बस हंस दिया.

ड्राइवर फिर से बोला- जब मैंने पहले बोला था, तो साले एक हजार में भी तुम दोनों को महंगी लग रही थी, अब उतने में भी सस्ती लग रही है.
दूसरा आदमी बोला- ये अपनी मर्जी से आई है या तू लेकर आया है?
ड्राइवर बोला- साले जबरन लेकर आया होता तो अभी तेरे लंड को लेती ही नहीं.

थोड़ी देर रुक कर उसने फिर से कहा- अब वीडियो बना लिया है, तो इसके पति की मां की चुत. ये तो चुदने के लिए हमेशा राजी रहती है. मैं इसको लेकर आता रहूँगा. तुम लोग कस्टमर दिलवाओ और बाद में तुम इसको फ्री में चोद लेना. अब इसकी भड़वागिरी हम लोग करेंगे, इसके पति की मां का भोसड़ा.

इस पर मेरी बीवी हंस दी.
उसके चेहरे से लग ही नहीं रहा था कि वो कैसे लंड लेने की शौकीन हो गई है.

ये सब देख सुनकर मैं चुपचाप बाहर गया और विश्वेश्वर जी को कॉल करके सारी बात से अवगत कराया.

ड्राइवर की इस हरकत पर वो बहुत गुस्सा हुए और मुझे दस मिनट रुकने को बोले.

दस मिनट बाद 6 आदमी बाइक पर आए और मुझसे मिले.

मैंने उनको घर दिखाया और वो मेरे साथ अन्दर घुसे.
अन्दर कमरे में घुसते ही ड्राइवर की गांड फट गई, उस सबको देख कर वो थरथर कांपने लगा.

बाकी लोगो की भी गांड फट गई थी और जो आदमी अरुणिमा की गांड मार रहा था उसने तुरंत अरुणिमा को छोड़ दिया.

मेरे साथ आए आदमी ने एक टी-शर्ट और एक जीन्स मुझे दी और कहा कि अरुणिमा को पहना कर घर ले जाओ.

मैंने अरुणिमा को दिया तो अरुणिमा सामने के कमरे में फटाफट कपड़े पहनने लगी.

इतने देर में अन्दर उन तीनों के मोबाइल छीन कर रख लिए थे और उसमें बने गई वीडियो को डिलीट कर दिया गया था.

ये देख कर मुझे राहत मिली.

फिर अरुणिमा के तैयार होते ही मैं उसको लेकर बाहर आ गया और हम दोनों घर के लिए निकल आए.
घर पहुंच कर अरुणिमा पहले नहाने घुस गई, फिर थोड़ा खा पीकर सो गई.

मैंने उसे परेशान नहीं किया और सुबह तक सोने दिया.

मेरी फ्री वाइफ सेक्स कहानी पर आप किसी भी प्रकार की राय देने के लिए स्वतंत्र हैं और मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.
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