Xxx कॉम हिंदी कहानी में पढ़ें कि एक बार रात को मैंने घर आया तो मैंने अपनी विधवा माँ को फूफा जी के साथ नंगी बिस्तर में सेक्स का मजा लेती देखा. तो मैंने क्या किया?
दोस्तो, यह सेक्स कहानी मेरी विधवा मां की चुदाई की सच्ची घटना पर आधारित है.
मेरी विधवा मां का नाम अर्चना है.
जब मां की उम्र 28 साल थी और मैं 2 वर्ष का था, तभी मेरे पापा की मृत्यु हो गयी थी.
मेरी मां ने दूसरी शादी नहीं की और पापा की जगह मां को नौकरी मिल गई.
उनकी नौकरी सरकारी दफ्तर में बाबू की लग गयी थी क्योंकि पापा सरकारी नौकरी में थे.
उसके बाद यह Xxx कॉम हिंदी कहानी मई, 2020 की है. उस समय मेरी उम्र 19 वर्ष और मां की उम्र 45 वर्ष हो गई थी.
उस दिन मैं सरकारी नौकरी का अपना पेपर देने मुरादाबाद गया हुआ था औऱ वापिस 12 बजे वाली गाड़ी से आ रहा था.
मेरी मां को ये मालूम था कि मैं कल आऊंगा जबकि मैं उसी रात 12 बजे स्टेशन पर उतरकर रिक्शा से घर पहुंच गया.
मेरे पास घर के गेट की एक चाबी रहती है इसलिए मैंने सोचा कि मां को क्या उठाऊं, खुद ही गेट खोल लेता हूं.
मैंने घर के दरवाजे पर पहुंचकर चाबी से गेट खोला और ये सोचकर धीरे से घर में दाखिल हुआ कि कहीं मां की नींद खराब न हो जाए.
जैसे ही मैं हाल में पहुंचा तो देखा कि मां के रूम की लाइट जल रही थी.
कमरे का दरवाजा खुला था औऱ कमरे से मां के कराहने औऱ उनकी सिसकारियों की दबी दबी आवाज़ आ रही थी.
मैं मां के रूम की ओऱ बढ़ा, तो नजारा देखकर मेरे होश उड़ गए.
मां बेड पर बिल्कुल नंगी पड़ी थीं और मेरे फूफा, जिनका नाम संजीव है, वो बेड के नीचे पंजों पर बैठकर मां की चूत चाट रहे थे.
साथ ही वो अपने एक हाथ से मां की एक चूची दबा रहे थे.
यह सीन देख कर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था.
मैं सनाका खा गया था और एकटक उन दोनों को देखे जा रहा था.
कुछ ही पल बाद मुझे मेरी मां एक मस्त माल दिखने लगी थीं.
मैंने आज तक अपनी मम्मी को नंगी नहीं देखा था और जब आज उन्हें यूं नंगी देखा, तो वो मुझे किसी मादक माल जैसी लगीं.
मैं गेट के किनारे चुपके से सब देख रहा था कि देखूं आगे क्या होगा.
साथ ही मैं सोचने लगा कि मेरी मां कितनी बड़ी रंडी हैं, जो अपने ननदोई से चुद रही हैं.
तभी फूफा खड़े हो गए औऱ उन्होंने मां को इशारा किया.
मां बेड से तुरंत खड़ी होकर फूफा के सामने घुटनों पर बैठ गईं.
फूफा मां की ओर घूमे, तो मुझे फूफा का लंड दिखा, जो तकरीबन 3.5 इंच का था.
मां ने उनका लंड पकड़ा औऱ चूसने लगीं.
कुछ मिनट लंड चुसाई के बाद फूफा का लंड 6 इंच का हो गया था.
मां बोलीं- संजीव, अब तुम जल्दी से मेरी चुदाई कर दो, यदि तुम मेरी जिंदगी में न आते तो न जाने मेरा क्या होता.
फूफा जी बोले- खड़ी हो जा मेरी जान, ये मेरा लंड तेरे लिए और तेरी ननद के लिए ही है.
तो मां बोली- हां संजीव, अब मेरी चूत पूरी गर्म हो गई है, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. आज तुम मेरी ताबड़तोड़ चुदाई कर दो.
मां उठकर बेड के किनारे टांगें मोड़कर लेट गईं औऱ अपनी गोरी व मोटी चूचियों को मसलने लगीं.
फूफा जी अपने लंड को हाथ से आगे पीछे करते हुए बिस्तर पर आ गए.
वो मां की टांगों के बीच आकर लंड मां की चूत पर रगड़ने लगे.
तभी मुझे न जाने क्या हुआ, मैं ग़ुस्से से चिल्ला कर फूफा की ओऱ बढ़ा- साले कुत्ते, तुझे शर्म नहीं आती मादरचोद!
मैंने आगे जाकर फूफा का गला पकड़ लिया.
अचानक मुझे देखकर दोनों घबरा गए; दोनों के चेहरे सफेद पड़ गए थे.
मां घबराकर बोलीं- मयंक बेटा, तू यहां कैसे?
वो बेडशीट से अपने नंगे बदन को ढककर मेरे आगे हाथ जोड़कर रोती हुई बोलीं- मयंक बेटा, मुझे माफ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, बेटा मुझे माफ कर दो.
मेरी मां ज़ोर ज़ोर से रोने लगीं.
उधर मेरा फूफा अपने कपड़े उठा कर भाग गया.
मुझे मां पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था.
मैं गुस्से में छत पर चला गया औऱ मां का नंगा बदन और चिकनी चूत मेरी नजरों में घूमने लगी.
मैंने एक सिगरेट जला ली और धुंआ उड़ाते हुए मां के बारे में सोचने लगा.
उनका नंगा बदन सोचकर मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैं सोचने लगा कि पापा की मृत्यु के बाद मां को लंड की चाहत ने ये करने पर मजबूर किया है, क्यों न मां की प्यास घर के अन्दर मैं ही बुझा दूँ, इससे मां को बाहर मुँह मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
कुछ देर तक मैं मां को चोदने की बात सोचता रहा. मुझे उनका मादक जिस्म बार बार कामुक कर रहा था.
मां की प्यास को लेकर मेरे मन में उन्हें चोदने का ख्याल पक्का हो गया था.
मैंने सोच लिया था कि भले ही मेरा उनका मां बेटे का रिश्ता है मगर लंड चुत में सिर्फ एक ही रिश्ता होता है और वो रिश्ता चुदाई का होता है.
मां को चोदने की ख्वाहिश लेकर मैं अपने कमरे में आ गया औऱ अल्मारी से शराब की बोतल निकालकर बैठ गया.
मैंने जल्दी जल्दी 4 पैग लगा लिए. इससे मुझे ख़ासा नशा हो गया औऱ मेरी आंखों में मां का नंगा बदन औऱ चिकनी चूत घूमने लगी.
अब मैं वासना से पागल हुआ जा रहा था.
उधर कमरे में अकेली मां थी.
तभी मेरे रूम में किसी के आने की आहट हुई, मैंने नजर उठाकर देखा तो सामने मां खड़ी थीं.
उन्हें देखकर मैंने मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया.
मां- मयंक बेटा, मुझसे बड़ी भूल हो गई है, मुझको माफ कर दे.
मैं कुछ नहीं बोला.
मां- तू कुछ तो बोल बेटा, मुझे जान से मार दे.
मैं पलटा औऱ बोला- मां, तुमने मुझे धोखा दिया है. न जाने फूफा से कब से चुद रही हो. तुम्हें उनसे चुदने में शर्म नहीं आई? मैं क्या मर गया था!
मेरी बात सुनकर मेरी मां ने मेरी तरफ देखा और सर झुका लिया.
एक पल रुक कर मैं फिर से बोला.
मैं- मैं बुआ औऱ दादी को तुम्हारी करतूत बताऊंगा.
मां दबी हुई आवाज में बोलीं- मयंक तुझे जो चाहिए, मैं दूंगी, लेकिन बेटा ये बात किसी को मत बताना. मैं बदनाम हो जाऊंगी. तुझे मेरी कसम है.
मेरी नजरों में वासना थी औऱ मैंने शराब भी पी रखी थी.
मां की इस बात को सुनकर मैं सोचने लगा कि मां के कहने का अर्थ क्या है कि क्या वो उनकी फूफा जी के साथ हो रही घटना को न बताने के लिए कह रही हैं … या मेरे साथ लेटने की बात को न बताने की बात कह रही हैं.
मैं कुछ सोच कर बोला- मां, तुझे इस गलती की कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी.
मां सोचती हुई बोलीं- क़ीमत … कैसी कीमत बेटा?
इस समय मां मेरे सामने मेरे पलंग पर बैठी थीं.
मैं बोला- मां, एक शर्त पर मैं तुम्हारी बात को अपने तक सीमित रख सकता हूं.
मां- कैसी शर्त बेटा?
मैंने तुरन्त अपना बरमुडा नीचे करके अपना मोटा लम्बा लंड मां की आंखों के सामने कर दिया.
मां मेरा लंड देखने लगीं.
हालांकि उस वक्त मेरा लंड पूरा टाईट नहीं था मगर तब भी वो वासना के कारण तना हुआ था.
मां- ये क्या बदतमीजी है मयंक, तुझे शर्म नहीं आती अपनी मां के सामने ऐसा करते हुए … छी:!
मैंने मां से कहा- अब तुम बड़ी सती सावित्री बन रही हो, फूफा का लंड बड़े मजे से चूस रही थी. अब जब घर में ही लंड सामने है, तो नखरे दिखा रही हो?
मां मेरे लंड को लगातार देखती हुई बोलीं- वो तेरे फूफा थे, लेकिन तू मेरा बेटा है. मां बेटे के बीच में ये सब नहीं हो सकता. तुझे पाप लगेगा.
मैं लंड हिलाते हुए बोला- मां, मैं जानता हूँ कि तुम भी प्यासी हो, आओ मेरा लंड चूसो.
मां ललचाई नजरों से मेरे मोटे लंड को देखती हुई बोलीं- नहीं मयंक, ये गलत है … मुझसे नहीं हो सकता है. तू मेरी बात मान जा बेटा.
मैं उनकी तरफ बढ़ा और लंड उनके मुँह के पास करते हुए बोला- मां, जब चूत भूखी हो, तब चूत को सिर्फ लंड की चाहत होती है. आपकी चुत को लंड चाहिए. मेरा लंड आपके सामने हाजिर है. ले लो इसे मुँह में … और अपनी प्यास बुझा लो.
मैंने मां को अपने नजदीक किया और अपने हाथों से उनका चेहरा पकड़ लिया.
मां कुछ नहीं बोलीं और मेरे हाथ के जरा से दबाव से मेरे करीब हो गईं.
मैं उनके होंठ चूसने लगा.
फिर अचानक मां मुझे पीछे ढकेलती हुई बोलीं- ना बेटा … मुझे दूर हो जा प्लीज़!
मैं उनके होंठ चूमने की कोशिश करता रहा.
वो कंपकंपाती हुई बोलीं- ये कभी नहीं हो सकता बेटा. मेरी प्यास को मैं तुझसे कैसे बुझवा सकती हूँ.
ये कहते हुए मां अपनी प्यासी आंखों से लंड देखने लगीं.
मैं अपने लंड को हिलाने लगा औऱ बोला- मम्मी, तुम अपना जीवन नष्ट कर लोगी और अपनी प्यास को किसी भी ऐरे-गैरे से बुझवा कर अपने लिए खतरा लेती रहोगी.
मां मेरे सीने से चिपक गईं और मुझे चूमती हुई बोलीं- ठीक है, जैसा तू चाहे. बस तू मुझे ठंडा कर दे.
मैं- हां कर दूंगा, चलो पहले मेरा लंड चूसो मेरी प्यारी मम्मी.
मां- हां मैं तेरे लंड की चुसाई भी करूंगी और तुम्हें अपनी जवानी से खुश भी कर दूंगी.
उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में लंड लेकर चूसने लगीं.
आह … मैं बता नहीं सकता कि मेरा लंड मम्मी के मुंह में जाने से मुझे कितना ज्यादा सुख मिल रहा था. मैं पागल हो गया औऱ मम्मी के बालों में हाथ घुमाने लगा.
लेकिन मम्मी मेरे मोटे लंड को सिर्फ़ तीन इंच तक ही चूस पा रही थीं.
मैं- मम्मी, पूरा लंड अन्दर तक लेकर चूसो न … आह बहुत मजा आ रहा है.
मां- मैंने अपनी लाइफ में इतना बड़ा लंड नहीं देखा है. मुझसे अब और अन्दर तक नहीं होगा.
ये कह कर वो उठ खड़ी हुईं.
मैंने मम्मी को कसके पकड़ा और उनके होंठ चूसने लगा.
मम्मी भी रिस्पांस दे रही थीं. उनके मुँह की गर्मी मेरे लंड की आग भड़का रही थी.
फिर मैंने मम्मी की टी-शर्ट फाड़ कर उतारनी चाही तो मम्मी मुझे रोकती हुई बोलीं- नहीं मयंक ऐसे मत कर, प्यार से उतार ले न!
मैं मम्मी के होंठ चूसता हुआ बोला- मम्मी मत रोको, आज मुझे अपने मन की कर लेने दो.
मैंने मम्मी की टी-शर्ट को फाड़ कर उतारा और उनको ऊपर से नंगी कर दिया.
मेरे सामने मम्मी एक काले रंग की कसी हुई ब्रा में थीं.
ओह माय गॉड, क्या बूब्स थे मम्मी के, बिल्कुल सफेद, गोरे और चिकने.
मैं पागल सा हो गया.
मैंने तुरंत मम्मी को अपनी बांहों में भरा और हाथ पीछे ले जाकर उनकी काले रंग की ब्रा के हुक खोल दिए.
मम्मी की चूचियां उछल कर बाहर आ गईं. मम्मी ने अपने हाथों से अपनी दोनों चूचियां ढक लीं और मेरी तरफ वासना से देखने लगीं.
मैं- क्या मम्मी इतनी खूबसूरत चूचियों को क्यों ढक रही हो.
मैंने मम्मी का हाथ हटाया और एक चूची का निप्पल मुँह में भर लिया.
मैं बड़ी दीवानगी से मुंह में दूध भरकर चूसने लगा.
मम्मी की चूचियां बिल्कुल कमसिन लड़की जैसी थीं.
वो भी मेरे सर पर हाथ फेर कर मुझे अपनी चूचियां पिला रही थीं.
मैं उनकी दोनों चूचियों को दस मिनट तक पागलों की तरह चूसता रहा औऱ मम्मी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई दूसरे हाथ से अपनी चूत को लोवर के ऊपर से मसलने लगी थीं.
वो कामुक सिसकारी भी भरने लगी थीं.
मम्मी- ओह … मयंक मैं मर जाऊंगी, क्या कर दिया तूने आह … आह.
मैंने मौके की नजाकत देखते हुए मम्मी के लोअर की इलास्टिक पकड़ कर नीचे खींच दिया.
मम्मी ने हल्का सा विरोध दिखाने के लिए लोअर को पकड़ने की नाकाम से कोशिश की, लेकिन मेरे इरादे के सामने वो फेल हो गईं.
कुछ ही सेकंड में लोअर मम्मी की टांगों से बाहर हो गया.
मम्मी की फूली हुई चूत लाल पैंटी में छिपी थी.
मैंने अपना मुँह पैंटी के ऊपर रखकर चूत को चाटने की शुरूआत कर दी.
मम्मी की चूत मखमली और गद्देदार थी. उनकी पैंटी से मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी.
मैंने अपनी उंगली पैंटी की इलास्टिक में फंसाकर पैंटी नीचे खींचना चाही लेकिन मम्मी मदहोशी में बोलीं- बेटा एक बार फिर से सोच ले कि तू अपनी मां की चुदाई करने जा रहा है. अभी भी समय है मान जा. बाद में मत पछताना कि तूने मेरे साथ ऐसा किया है.
मैंने कहा- अब हम दोनों इतने आगे आ गए हैं मां, अब तुम ऐसा क्यों कह रही हो?
मां ने कहा- क्योंकि तूने शराब पी हुई है.
मैंने कहा- शराब से ज्यादा नशा तो मुझे इन मदमस्त चूचियों का चढ़ गया है. तुमको भी नशा करना हो मां, तो मैं तुम्हें भी शराब पिला सकता हूँ.
मां ने मेरे लंड को हिलाते हुए कहा- मुझे अभी उसकी जरूरत नहीं है. अभी इसी को पीकर मुझे मजा आ रहा है.
दोस्तो, मैं अपनी मां की चुदाई की कहानी आपको अगले भाग में पूरी सुनाऊंगा.
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Xxx कॉम हिंदी कहानी का अगला भाग: मेरी विधवा मां की चूत चुदाई- 2