देवर भाभी की चुदाई कहानी में मैंने अपनी फुफेरी भाभी को पटाकर कर चोदा. उनका हुस्न ऐसा था कि उनको देख कर कोई भी उनसे प्यार कर बैठे. वे बहुत बिंदास थी. उन्होंने मुझे बहुत मजा दिया.
नमस्कार दोस्तो, आज मैं आपके सामने अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं कि कैसे मैंने अपनी बुआ के लड़के की पत्नी को चोदा.
मेरा नाम अमित है, मैं हरियाणा से हूं. मेरी उम्र 21 साल है. मेरा लौड़ा 6.5 मोटा और 3 इंच लंबा है.
यह मेरी पहली देवर भाभी की चुदाई कहानी है.
बात तब की है जब मैंने 12 वीं कलास के पेपर दिए थे.
तब मेरे भाई की शादी हुई थी.
मेरी भाभी बहुत खूबसूरत और हॉट थीं. भाभी का रंग बहुत ही गोरा था.
उनका हुस्न ऐसा था कि उनको देख कर कोई भी उनसे प्यार कर बैठे. उनकी मुस्कुराहट बहुत ही प्यारी थी.
उनका फिगर भी बहुत ही सेक्सी था.
मेरा दिल उसी वक्त भाभी पर तभी आ गया था.
तब से मैं उन पर ट्राई मारने लगा था, पर वे मुझे छोटा समझ कर कुछ नहीं कहती थीं.
उनकी नजरअंदाज करने की बात को देख कर भी मैं अपनी कोशिश में लगा रहा.
फिर मैं जब 12वीं में था, तो मेरी हाइट काफी मस्त हो गई थी और भाभी भी मुझसे हंसी मजाक करने लगी थीं.
भाभी मेरे गांव से दूर शहर में रहती थीं पर भैया का मेरे घर आना जाना लगा रहता था … तो भाभी से हंसी मजाक हो जाता था.
मेरे जन्मदिन पर भाभी का फोन आया.
उन्होंने मुझे बर्थडे विश किया.
मैंने थैंक्स कह कर उनसे अपना गिफ्ट मांगा.
उन्होंने पूछा- बोलो, तुम्हें क्या गिफ्ट चाहिए?
मैंने हिम्मत करके भाभी से अपने प्यार का इजहार कर दिया.
वे भी बिंदास बोलीं- मतलब तुझे मेरे साथ सेक्स करना है!
मैंने शर्म के मारे ना कर दी.
मैं- नहीं भाभी, वो बात नहीं है.
भाभी- फिर क्या बात है मेरे लवली लवली देवर जी?
मैं- भाभी, आप तो मेरी टांग खींच रही हैं.
वे हंस कर बोलीं- तो तेरे पास ऐसी क्या चीज है, जिसे मैं खींच सकती हूँ.
मैं समझ गया कि भाभी पूरे मूड में हैं. इसलिए मैंने कहा- भाभी आप रहने दो, मुझे नहीं चाहिए अपना गिफ्ट.
वे बोलीं- तू बड़ा होकर भी अभी छोटा ही है. चल तुझे मैं गिफ्ट तो देकर रहूँगी, पर जब तू मेरे घर आएगा, तब दूँगी.
फिर हम दोनों की सामान्य बातें चलती रहीं.
बाद में उन्होंने मुझे फोन पर ही एक किस दिया और कहा- अभी फोन पर यही गिफ्ट ले लो. बाद में बड़ा वाला गिफ्ट दूँगी.
मैं उस दिन बेहद खुश था कि भाभी ने मेरे मन की बात को समझ लिया है.
कुछ दिन बाद मेरे पेपर हो गए थे तो मैं अपनी भाभी के पास छुट्टी मनाने चला गया.
भाई सुबह काम पर चले जाते थे.
उन दिनों मैं उन पर फिर से ट्राई मारने लगा, उनके साथ डबल मीनिंग बात करने लगा.
वे सब समझती थीं और मेरी बातें सुन कर हंस देती थीं.
मैंने भाभी से बात करना शुरू की- भाभी, लाओ अब तो दे दो!
वे बोलीं- हां हां, मैंने कब मना किया है, ले लो.
मैंने कहा- क्या यार भाभी, आप तो मेरी छील कर रख देती हैं.
भाभी- अच्छा तेरी छीलने लायक हो गई है?
मैंने भी झौंक में कह दिया- हां. कहो तो दिखा दूँ?
भाभी भी समझ गईं कि लौंडा तरक्की कर गया है.
फिर दूसरे दिन भाभी बोलीं- जो तू चाहता है ना … मुझे सब पता है. मैं तेरे भाई को बताऊंगी.
ये सुनकर मेरी गांड फट गई और मैं डर गया.
मैंने कहा- फिर आप भी तो मेरे साथ हंस कर बात करती हो. शुरूआत में ही मुझे ऐसी बातें नहीं करने देतीं, तो मुझे क्यों गलतफहमी होती.
इतना कह कर मैं मुँह बना कर बैठ गया.
भाभी मेरी शक्ल देख कर एकदम से हंसने लगीं.
मैं फिर भी चुपचाप बैठा रहा.
वे बोलीं- तेरा सेक्स करने का मन कर रहा है न मेरे साथ!
मैं कुछ नहीं बोला.
वे फिर से बोलीं- चल आ जा, करते हैं.
मैंने फिर भी कुछ नहीं कहा क्योंकि मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था. मैंने तो सोचा कि भाभी मजाक कर रही हैं.
उन्होंने दोबारा से कहा- जा गेट बंद कर आ … और खिड़कियों के पर्दा लगा दे.
मैंने कहा- खुद ही लगा दो.
वे खुद ही सब बंद करने और परदे लगाने चली गईं.
फिर आकर भाभी बेड पर लेट गईं और मेरे लंड को छेड़ने लगीं.
मैंने भी उनकी तरफ देखा तो वे मुस्कुरा दीं और मुझे करीब बुलाने लगीं.
मैं आगे बढ़ कर उनके होंठों को चूसने लगा और चूचियों को ऊपर से ही दबाने लगा.
फिर कुछ देर बाद मैं भाभी की चूत में उंगली करने लगा.
वे ‘आह उह आह इस्स …’ की मदभरी आवाजें निकालने लगीं.
कुछ देर बाद हम दोनों के कपड़े प्याज के छिलकों की तरह उतरते चले गए.
भाभी सिर्फ ब्रा पैंटी में थीं.
मैंने अपने सारे कपड़े हटा दिए थे.
मेरा लंड देख कर भाभी हैरान रह गईं.
अब वे मुझसे अपनी चूत चाटने की बात कहने लगीं.
मैंने उनकी पैंटी को निकाल दिया और उनकी चूत को देखने लगा.
भाभी की चूत गहरी सांवली सी शहतूत जैसे रंग की थी.
उनकी चूत पर बहुत सारा रस सा लगा था.
मैंने एक उंगली को चूत की फांकों के बीच फेरा तो भाभी की आह निकल गई और उन्होंने अपने निचले होंठ को दांतों से दबा लिया.
वे नशीले अंदाज में बोलीं- रस चखो.
मैंने उंगली को अपने मुँह में रख लिया.
खट्टा कसैला सा स्वाद मुँह में आया.
मैंने अब भाभी की चूत को सूंघा, तो कुछ अजीब सी महक आई.
फिर भाभी ने कहा- जीभ निकाल कर चूत पर फेरो.
मैंने अपनी जुबान भाभी की चूत पर फेर दी.
उनकी एक तेज कसमसाहट भरी झुरझुरी के साथ पूरा जिस्म हिल गया.
पहले तो मुझे चूत चाटने का काम गंदा लगा, मगर कुछ ही चुप्पे लगाने के बाद मैं मजे से उनकी चूत की फांकों को और दाने को चाटने लगा.
वह मेरे सिर को अपनी चूत में डालने लगीं और तेज तेज सिसकारियां लेने लगीं.
पूरे कमरे में उनकी आह आह आह ओह ओह ऊं शश … की आवाज आने लगी.
मैं भी अपनी जीभ को भाभी की चूत में डालने लगा और उनकी चूत का नमकीन स्वाद मेरे मुँह में आने लगा.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे उठाया और मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं.
भाभी मुझे चोदने के लिए बोलने लगीं.
यह मेरा पहला सेक्स अनुभव होने वाला था तो मुझे बहुत ज्यादा खुशी हो रही थी.
मैंने अपना 6.5 लंबा और 3 मोटा लौड़ा एकदम से उनकी चूत में डाल दिया.
उन्होंने आह की आवाज निकाली और रोने लगीं.
मैं घबरा गया कि क्या हुआ.
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ भाभी?
वे कहने लगीं- साले तेरा इतना बड़ा लंड है … आराम से डालना था कमीने. फ्री में चूत मिली तो क्या फाड़ देगा.
मुझे हंसी आ गई.
फिर मैंने उनकी दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसा और उनके दर्द को खत्म किया.
अब वे भी मस्ती से आवाजें निकालने लगीं थीं- आह चोदो मेरे देवर जी … आह फाड़ दो मेरी चूत!
मैं भाभी को तेज तेज चोदने लगा.
उनको और ज्यादा मजा आने लगा.
वे मादक सिसकारियां भरने लगीं- आह ओह गॉड और तेज … तेरे भाई का तो छोटा सा लंड है … वह ना अच्छे से चोद पाता है और न ही मेरी चूत को ठंडा कर पाता है. साला भड़वा जल्दी झड़ जाता है.
मैंने भाई के लिए कुछ नहीं कहा, बस भाभी को चोदता रहा.
करीब दस मिनट तक मैंने भाभी को चोदा.
यह मेरा पहला मौका था तो मैं जल्दी ही झड़ने को हो गया.
हालांकि भाभी एक बार झड़ चुकी थीं.
मैंने अपने लंड की मलाई उनकी चूत के अन्दर ही छोड़ दी.
फिर वे बाथरूम में साफ करने गईं.
मैं भी चला गया और उनकी चूचियों को मसलने लगा.
इतने में गेट पर कोई आ गया और हम दोनों अलग हो गए.
मैंने जल्दी से लोअर पहन और बाहर देखने गया.
कोई कोरियर वाला था.
उसके बाद भाई का फोन आया कि वे घर देरी से आएंगे … उन्हें कोई जरूरी काम आ गया था.
हम दोनों फिर से शुरू हो गए.
भाभी रसोई में काम कर रही थीं.
मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनकी चूचियों को मसलने लगा.
मैं अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ने लगा.
वे कामुक सिसकारियां लेने लगीं.
मैं उनकी गर्दन पर किस करने लगा और एक हाथ से उनकी चूत को मसलने लगा.
जब उनसे कंट्रोल नहीं हुआ तो वे मुझे बेड पर ले आईं.
मैंने उनके कपड़े उतार दिए और उनकी चूत को चूसने लगा. कभी चूत के दाने को चाटता, कभी चूत में अपनी जीभ डालने लगता.
वे तेज सिसकारियां भरने लगीं- आह ओह आह … ओह गॉड और तेज चाट.
मैं तेज तेज चाटने लगा.
वे मेरे मुँह में ही झड़ गईं.
फिर वे मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं और अपनी चूत में डालने के लिए बोलने लगीं.
मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया वह तेज तेज आवाजें निकालती हुई चोदने को कहने लगीं- आह और तेज तेज चोद दे भोसड़ी के!
कुछ देर बाद मैंने उनको घोड़ी बना दिया और पीछे से चोदने लगा.
वे लगातार आह ओह ओह आह शशश और तेज बोलने लगी थीं.
मैंने उनको लगातार काफी देर तक चोदा.
उनकी चूत में जलन होने लगी और वे मुझे लंड निकालने के लिए बोलने लगीं.
मगर मैं उनको चोदने में लगा रहा और 5 मिनट बाद उनकी चूत में ही झड़ गया.
अब भाई के आने का समय हो गया था.
हम दोनों ने अपने आपको साफ़ किया.
भाई के आने तक हम दोनों सामान्य बैठ गए.
अगले दिन भाई बहुत लेट ऑफिस गए.
मेरा समय कट ही नहीं रहा था.
भाई दिन के 11 बजे घर से निकले.
उनके घर से निकलते ही मैं भाभी पर टूट पड़ा.
भाभी हंसने लगीं- तू तो ताव में ही बैठा था.
मैंने किस करना और उनकी चूची दबाना शुरू कर दिया. धीरे धीरे सारे कपड़े निकाल दिए.
आज भाभी एकदम हूर की परी लग रही थीं. मैंने उनकी चूत चाटनी शुरू कर दी वह तो बिल्कुल पागल हो गईं.
मैंने खूब अच्छे से चूत चाटी.
वह तेज तेज आवाजें निकालने लगीं- आह … इस्स!
जब उनसे रुका नहीं गया, तब वे बोलीं- अब चोद दे मुझे!
मैंने अपना लंड एकदम से पूरा डाल दिया.
वे कराह उठीं.
फिर मैं आराम आराम से चोदने लगा.
मैंने उनको 15 मिनट तक चोदा.
उनका पानी तो 10 मिनट में ही निकल गया था.
इस देवर भाभी की चुदाई से वे एकदम संतुष्ट थीं.
हम दोनों चिपक कर लेटे रहे, किस करते रहे. एक दूसरे को चाटते रहे.
मैं उनकी चूचियां चूसता रहा.
कसम से जिंदगी में मैं इतना खुश कभी नहीं हुआ था.
मैंने उनको एक बार और चोदा.
भाभी तो मुझ पर फिदा हो गई थीं.
हमने बहुत मजे किए.
मैंने उनको एक महीने तक लगातार चोदा.
दोस्तो, यह मेरी सच्ची देवर भाभी की चुदाई कहानी है, आपको अच्छी लगी होगी.
मुझे मेल और कमेंट्स में अपनी राय जरूर बताएं.
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