देसी चाची Xxx कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली जवान भाभी की है. पर मैं उनके पति को चाचा कहता था तो उन्हें चाची कहने लगा. उन चाची ने मुझे कैसे पटाया?
दोस्तो, मेरा नाम टोनी (बदला हुआ) है और मेरी उम्र 22 साल है और मैं फिलहाल एमबीए का विद्यार्थी हूं.
मैं राजस्थान के एक गांव का रहने वाला हूं.
मैं अन्तर्वासना का पिछले 4 साल से नियमित पाठक हूं.
ये देसी चाची Xxx कहानी मेरी और मेरी चाची की है जिनका नाम अनीता (बदला हुआ) है.
उनकी उम्र लगभग 26 साल है और उनको एक दो साल का बच्चा भी है.
उनके पति सरकारी अफसर हैं और उनकी ड्यूटी घर से दूर एक बड़े शहर में है, तो वो महीने में एक या दो बार ही घर आ पाते हैं.
मेरी चाची के फिगर के बारे में आपको बताऊं, तो उनका शरीर थोड़ा मोटा है. उनके बूब्स और गांड भी बहुत ही मोटे हैं, जिनको देख कर किसी का भी लौड़ा खड़ा हो जा सकता है.
उनका फिगर साइज 36-34-38 का है और वो बिल्कुल गोरी हैं. ऊपर से चाची भरपूर मेकअप भी करके रहती हैं, जिससे मेरा मन और भी ज्यादा उनकी और आकर्षित होता है.
यह सेक्स कहानी आज से लगभग 18 महीने पहले शुरू हुई थी, तब उनके पति की नौकरी लगे 6 महीने हो चुके थे.
वो वहां अच्छे से रहने लग गए थे. चाची घर पर अकेली ही रहने लगी थीं.
एक दिन में अपने घर पर बैठा हुआ मोबाइल में गेम्स खेल रहा था तो मेरे पास अनजान नंबर से कॉल आया.
मैंने जब कॉल उठाया तो सामने से अनीता चाची की आवाज आई.
वो बोलीं- मेरे बच्चे को जुकाम है, तो अगर तुम फ्री हो तो हम दोनों चल कर उसे डॉक्टर से दवाई दिलवा लाते हैं.
मैंने चाची से 10 मिनट रुकने के लिए बोला और मैं तैयार होकर उनके घर आ गया.
चाची भी तैयार हो रही थीं.
मैं उनको लेकर निकल गया.
रास्ते में साइड वाले मिरर से मैं उनकी कमर देख रहा था और उनके बूब्स भी कभी कभी मुझे पीछे से टच हो रहे थे.
इस सबसे में बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रहा था, लेकिन उस समय में कुछ भी नहीं कर सकता था.
मैंने उनके बेबी को दवाई दिलवाई और चाची को वापस घर पर छोड़ दिया.
मैं अपने घर आ गया.
रात में मैंने उनकी व्हाट्सएप की प्रोफाइल पिक देख कर ही मुट्ठी मारी.
थोड़े दिन ऐसे ही चलता रहा.
अब मैं उन्हें हर सप्ताह में लगभग दो या तीन बार मार्केट ले जाने लगा था और उनसे अच्छे से घुलने मिलने लगा था.
धीरे धीरे चाची भी मुझे डबल मीनिंग बातें करने लगीं और अच्छे से खुलकर बोलने लगी थीं.
ऐसे करते करते लगभग 6 महीने बीत गए.
एक दिन उन्होंने मुझे कॉल किया और कहा- तुम अभी मेडिकल स्टोर पर जाओगे क्या … मुझे कुछ मंगवाना है?
मैं आपको बता दूं कि नजदीक का मेडिकल स्टोर वाला मेरा अच्छा दोस्त है, तो मैं उसके पास जाता रहता हूँ.
मैंने चाची से पूछा- आपको क्या मंगवाना है?
तो वो बोलीं- मैं तुमको मैसेज कर रही हूं, देख लेना और ले आना.
थोड़ी देर में उनका मैसेज आया, जिसमें prega news लिखा था. ये प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए होता है.
पहले तो मुझे समझ नहीं आया कि ये क्यों लेना है.
फिर मैंने सोचा कि पता नहीं ऐसा क्या हुआ है, जो चाची को प्रेगनेंसी टेस्ट करना है.
खैर … मैंने उनको वो लाकर दे दिया और देते समय मैंने उनको धीरे से ये भी बोल दिया कि थोड़ा सा अपने ऊपर कंट्रोल रख लिया करो जो इसकी जरूरत ही न पड़े.
चाची भी झट से बोल पड़ीं- अरे टोनी बाबू, कंट्रोल ही तो नहीं होता.
ये कह कर चाची हंसने लगीं.
मैं भी अपने घर आ गया लेकिन मुझसे वो बात भूली नहीं जा रही थी.
मैंने रात में उनकी पिक देख कर फिर से मुट्ठी मारी.
उसके अगले दिन मैंने चाची से पूछा- क्या हुआ टेस्ट का?
वो बोलीं- अभी तो कुछ भी नहीं है, बच गई.
ये लिख कर वो हंसने लगीं.
मैंने भी थोड़ा कोशिश करते हुए कहा- मतलब अभी आप और भी मजे कर सकती हो?
तो वो बोलीं- तुम्हारे चाचा तो अगले महीने आएंगे, तो अभी मजे कहां से लूंगी?
मैं चुप रह गया.
फिर थोड़े दिन बाद ऐसे ही हमारी खुली खुली बातें होने लगीं.
मैं भी उनके व्हाट्सएप स्टेटस वाली पिक पर नॉटी कॉमेंट्स करने लगा और उनका भी जवाब मुझे अपनी तरफ आकर्षित करने वाला ही लगा.
फिर एक दिन चाचा का कॉल आया- तू मेरे रूम में जा और वहां कुछ बुक्स रखी हैं, वो ले आ. तेरे पास एक लड़का आएगा, उसे तू वो दे देना.
मैंने हामी भर दी.
मैं वो बुक्स लेने उनके घर गया.
तब लगभग दोपहर के 2 बजे थे और अनीता चाची सिलाई कर रही थीं.
मैं जैसे ही अन्दर गया तो मैंने देखा कि चाची खड़ी हुई थी. उन्होंने अपने एक हाथ की बाजू में अपने ब्लाउज को डाला हुआ था और दूसरे में डाल रही थीं.
मेरी किस्मत अच्छी थी कि उन्होंने उस दिन ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी तो मैंने उनके बूब्स को बाहर निकला हुआ देख लिया.
कसम से चाची को एक बच्चा होने के बाद भी उनके बूब्स बिल्कुल भी लटके हुए नहीं थे.
लेकिन जैसे ही मैं गया, तो उनको पता चल गया और वो घूम गईं.
उन्होंने ब्लाउज को पहना और उसके बटन बंद किए, अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और पलट कर मेरी तरफ देखने लगीं.
तब तक मैंने उनसे चाचा की बात बता दी थी.
चाची ने मुझे किताब दी और मैं वापस अपने घर आ गया.
सच बताऊं दोस्तो, मुझे उस रात नींद नहीं आई. मेरी आंखों में सिर्फ चाची के बूब्स ही आ रहे थे.
मैंने उस रात 2 बार चाची के बारे में सोचते सोचते मुट्ठी मारी.
अगले दिन चाची मिलीं तो बोलीं- कल क्या देखा था?
मेरे भी मुँह से निकल गया- आपने देखने ही कहां दिया था?
ऐसा सुनते ही चाची बोलीं- अच्छा इतनी तड़प मची हुई है क्या?
मैंने कुछ भी नहीं बोला, बस मुस्कुरा कर आ गया.
उसी रात को मैं खाना खाकर अपने कमरे में आया और मैंने अपने मोबाइल में नोटिफिकेशन देखा तो टेलीग्राम पर अनीता चाची के नंबर से 2 फोटो आई हुई थीं.
मैंने जैसे ही उनको ओपन किया तो मेरे होश उड़ गए.
पहली फ़ोटो में चाची अपने बेड पर लेटी हुई थीं और उनका पल्लू उनके सर पर ही था.
दूसरी फोटो में चाची ने पल्लू हटाया हुआ था और सिर्फ ब्लाउज को दिखाया हुआ था.
मैंने उनको देखकर कोई जवाब नहीं दिया.
तभी एक मिनट बाद उनका मैसेज आया- क्या हुआ?
मैंने बोला- कुछ भी नहीं.
उसके एक मिनट बाद एक और फोटो आई, जिसमें चाची ने ब्लाउज के बटन खोल दिए थे और उनके बूब्स मेरे सामने थे.
मैं अपने आप पर विश्वास नहीं कर पा रहा था कि ये सच में हो रहा है.
फिर मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए लिखा कि फोटो में तो किसी के भी देख ले, उसमें क्या बड़ी बात है. जब हकीकत में देखने का मौका था, तब तो आपने देखने नहीं दिया.
वो बोलीं- कोई बात नहीं, अभी क्या हो गया … अब भी बूब्स तो वैसे ही हैं. कभी भी देख लेना.
मैंने कहा- मुझे तो अभी देखने का मन कर रहा है.
वो बोलीं- अभी तो सभी घरवाले जागे हुए हैं. रात में एक बजे पीछे की साइड से आ जाना, मैं तुझे रूम में घुसा लूंगी.
ऐसा सुनकर मुझे अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था.
फिर हम दोनों बातें करने लगे.
मुझे तो तब उनसे बातें करने के बाद पता चला कि वो भी मुझे पहले दिन से ही समझ रही थीं और तभी मेरे अलावा किसी और को मार्केट नहीं ले जा रही थीं.
हम दोनों एक बजे तक बात करते रहे.
उस दौरान चाची ने अपनी बहुत सारी सेक्सी फोटो भी भेजीं.
वो पूरी नंगी फोटो भी भेजने को राजी थीं लेकिन मैंने ही उन्हें नीचे की फोटो भेजने के लिए मना किया क्योंकि मैं उनकी चुत को सबसे पहले सामने से ही देखना चाहता था.
एक बजते ही चाची ने बोला- अब तू आ जा. मैं पीछे वाले गेट पर आ रही हूँ.
मैं भी हिम्मत करके चला गया और उधर जाकर देखा तो चाची सिर्फ ब्लाउज और नीचे घाघरा पहनी हुई थीं.
मेरे जाते ही चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और रूम में ले गईं.
उन्होंने रूम को अन्दर से बंद कर दिया.
कमरे में हल्की लाइट जलाई हुई थी.
वो मुझे देख कर हंसने लगीं.
मुझे घबराहट हो रही थी कि मैं मैसेज पर तो न जाने क्या क्या बोल रहा था और अब सामने से फटी पड़ी है समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं.
चाची ने अपने बच्चे को बेड से उठाकर पालने में सुलाया और मुझे बेड पर बैठने को बोला.
मैं बैठा तो वो खुद भी पास में आकर बैठ गईं और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगीं.
मैंने पहली बार उनका फेस इतना पास से देखा और उनके होंठ भी. मैंने झट से उनके मुँह को पकड़ा और किस करने लगा, वो भी साथ देने लगीं.
आपको बता दूं कि उससे पहले मैंने सिर्फ एक ही बार अपनी प्रेमिका को किस किया था.
चाची का किस करने का तरीका बिल्कुल अलग था.
ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने चुम्मी करने की अलग से ट्रेनिंग ली हो.
किस करते करते उनका एक हाथ मेरे लंड पर आ गया जो कि पूरी तरह से खड़ा हो चुका था.
फिर चाची खड़ी हुईं और धीरे से बोलीं- बूब्स फोटो से मिला लेना कि वो ही हैं या नहीं.
ये कह कर चाची ने अपना ब्लाउज उतार दिया.
मैं चाची को इतना मॉडर्न नहीं समझता था, जितनी वो उस समय दिख रही थीं.
उन्होंने ब्लाउज को साइड में रखा और मेरे मुँह को अपने बूब्स के बीच में लगा दिया.
मैं भी बारी बारी से उनकी दोनों चूचियों को चूसने लगा.
सच बताऊं तो मेरे मुँह में एक बार तो दूध भी आ गया था.
उनकी चूचियों से अब भी दूध आता था.
लगभग 5 मिनट ऐसा करने के बाद चाची अपने घुटनों पर बैठ गईं और मुझे नजदीक खींच कर मेरा पजामा खोल दिया.
चाची ने मेरे लंड को मेरी चड्डी से बाहर निकाला और मेरे लंड को अपने हाथ से हिलाने लगीं.
लंड हिलाते हिलाते उन्होंने उसे मुँह में ले लिया.
वो ऐसा अहसास था, जैसे मैं जन्नत में आ गया हूँ.
मैं आपको बता दूं कि मुझे लड़की को अपना लौड़ा मुँह से चुसवाना बहुत ही अच्छा लगता है.
मुझे क्या शायद सभी मर्दों को लंड चुसवाना अच्छा लगता है.
वो मर्द खुशनसीब होते हैं, जिनके लंड को लड़की के मुँह में जाने का मौक़ा मिलता है.
लगभग 5 मिनट के बाद मैंने चाची को खड़ा किया और उन्हें किस करने लगा.
मैंने उनके घाघरा का नाड़ा खोल दिया और उनको बेड पर लेटा दिया.
मेरे सामने मेरी अनीता चाची सिर्फ पैंटी में लेटी हुई थीं और मुस्कुरा रही थीं.
उन्होंने मुझे अपनी ओर आने का इशारा किया.
मैंने झट से अपनी टी-शर्ट उतारी और चाची की जांघों को चूमते हुए उनकी पैंटी भी निकाल दी.
उसके बाद मुझे जन्नत के जो दीदार हुए.
आह … मैं आपको क्या बताऊं दोस्तो, मेरी जवानी का अभी तक का सबसे हसीन नजारा था वो!
अनीता चाची की चूत बिल्कुल गुलाबी थी और ऐसी लग रही थी, जैसे उन्होंने एक बार भी चुदाई नहीं की हो.
मैंने बिना किसी देरी के उनकी गुलाबी चूत को चूसना शुरू कर दिया.
चाची भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
दस मिनट की चुसाई के बाद चाची फिर से मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होंने मेरे लौड़े पर सरसों का तेल लगाया और बोलीं- ये लगाने से तेरा जल्दी से पानी नहीं निकलेगा.
दोस्तो, ये भी एक नई बात अनीता ने मुझे सिखाई थी.
उसके बाद वो बोलीं- सामने से करेगा या पीछे से?
मैं कुछ भी नहीं बोला, तो वो हंस पड़ीं और बोलीं- तू तो एकदम पागल है, जो अकेले रूम में भी शर्मा रहा है.
उन्होंने बेड पर लेट कर टांगों को ऊपर किया और बोलीं- आ जा, तुझे चोदना सिखाती हूं.
ये कह कर देसी चाची हंसने लगीं.
मैंने उनसे कहा- बिना कंडोम के … आप प्रेगनेंट हो गईं तो?
वो बोलीं- मैंने अभी तेरे चाचा को नहीं बताया है कि रिपोर्ट नेगेटिव है. तू उसकी टेंशन मत ले, वो टैबलेट लाकर दे देंगे.
ऐसा सुनते ही मैं कहां रुकने वाला था.
मैंने अपना लौड़ा धीरे धीरे चूत में पूरा डाल दिया.
अभी चाची को चुदाई किए हुए 8 दिन ही हुए थे लेकिन उनकी चूत ऐसी लग रही थी जैसे इन्होंने बहुत टाइम से चुदाई ना की हो.
मैं उस समय जन्नत में था और पूरे मजे ले रहा था.
थोड़ी देर बाद Xxx चाची ने मुझे बेड पर लेटाया और खुद मेरे लौड़े पर आकर बैठ गईं; वो खुद से ऊपर नीचे होने लगीं.
ऐसे ही करते करते हमने एक दो तरीके से और चुदाई की.
लगभग 15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी चाची की चूत में ही डाल दिया.
स्खलन के समय मुझे ऐसे लगा कि जैसे मैंने सौ दो सौ ग्राम पानी निकाला हो.
मेरा पहली बार इतना पानी निकला था.
उसके बाद मैं चाची के ऊपर ही लेट गया. चाची मेरे बालों में धीरे धीरे हाथ फेर रही थीं.
मैं उनके मुलायम बदन पर लेटे हुए जन्नत की सैर कर रहा था.
फिर मैं थोड़ी देर बाद उठा तो 3 बज चुके थे.
मैंने कपड़े पहने और चाची को किस किया. फिर मैं अपने घर आ गया.
दोस्तो, ये थी मेरी देसी चाची Xxx कहानी. आपको कैसे लगी?
यदि आप इसके आगे के बारे में और भी जानना चाहते हैं तो नीचे कमेंट जरूर करें.
धन्यवाद.
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