देसी भाभी Xxx हिंदी कहानी मेरे पड़ोस की भाभी की है जो पति से दूरी के कारण प्यासी रहती थी. एक रात मैं उनके साथ था तो हमारे बीच क्या क्या हुआ?
आज मन कर रहा था कि आज अपने दिल की बात आप सभी लोगों के सामने बताई जाए ताकि आप लोग भी मेरी इस सेक्स कहानी का आनन्द लेते हुए अपने लंड को हिलाएं और भाभी लोग अपनी चूत में उंगली घुसा कर मजा लेती रहें.
सबसे पहले देसी भाभी Xxx हिंदी कहानी में मैं आपको अपना परिचय देना चाहता हूं.
मेरा नाम दीपक है और मैं उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक छोटे से गांव में रहता हूं.
चूत का जुगाड़ न हो पाने के कारण पूरी रात लंड हिलाने में ही कट जाती है.
लंड हिलाते हिलाते वीर्य की धारा मेरे हाथ से नीचे को गिरती है, तब मन हल्का हो पाता है.
उस वक्त 6 इंच के मुझ लंडधारी को जो आनन्द की अनुभूति हो सकती है, वह बता नहीं सकता हूँ. आप खुद ही अपना लंड हिलाकर उसका अहसास कर सकते हैं.
मुझे शुरू से ही किसी भाभी की चूत चोदने का बड़ा मन था.
दिल करता था कि किसी भाभी की चूत चोदने को बस मिल ही जाए और मेरा मोटा लंड भाभी की चूत की गहराइयों में समा कर सुख पा जाए.
गांव में मैं बहुत ही नामचीन व्यक्तियों में से एक था क्योंकि मुझे हर प्रकार का काम आता था.
जिसका जो भी काम होता था, वह मुझे बस याद कर लेता था कि मेरा यह काम कर दो, मेरा वह काम कर दो … और मैं कर देता था.
इसी कारण से मैं सबका चहेता था और दिखने में भी मैं बहुत खूब सुंदर व आकर्षक था.
यह कहानी मेरी और प्रिया भाभी के बीच की है. प्रिया भाभी बहुत ही सुंदर और सुशील थीं.
उनकी सुंदरता मैं अपने शब्दों में बयान ही नहीं कर सकता. बस आप यूं समझ लीजिए कि वो अनिन्द्य सुन्दरी थीं.
भाभी की हाइट बहुत कम थी, पर सुंदर बहुत ही अधिक थी. हल्की सी मोटे शरीर की भाभी जी बड़ी हॉट माल दिखाई देती थीं.
उनकी चूचियां तो बहुत ही कमाल की थीं, एकदम आगे को निकली हुईं.
उन्हें देख कर मन करता था कि बस उनके मम्मों को नंगा करके चूसता रहूँ.
हालांकि इतनी सेक्सी भावना होने पर भी मैंने कभी उनके बारे में चुदाई जैसा कुछ नहीं सोचा था.
उनके पति और हमारे भैया प्रकाश आर्मी में थे और वह अपनी जॉब के चलते हमेशा घर से बाहर ही रहते थे.
जबकि भाभी गांव के घर में रह कर काम करती थीं.
भैया 6-8 महीने में कभी कभार ही घर आ पाते थे.
भाभी को देखकर लगता था कि वो अपने पति के लंड के लिए तरसती रहती थीं.
यह बात उस समय की है, जब भैया को घर से गए 4 महीने हो चुके थे.
भाभी और मेरे बीच में कोई भी गलत संबंध नहीं था और ना ही हम एक दूसरे के लिए कुछ ऐसा सोचते थे.
हम दोनों का रिश्ता एक नॉर्मल देवर और भाभी के बीच के रिश्ते के समान था.
घर में जो भी उनका काम होता, मैं कर देता था. वे भी मुझसे हमेशा खुश रहती थीं.
भाभी के घर में भाभी के अलावा उनकी सास रहती थीं, जो काफी अच्छी स्वाभाव की थीं और वो मुझे बहुत प्यार करती थीं.
वे मुझे समय-समय बुलाती रहती थीं.
ख़ास तौर पर जब भी उनके घर में कुछ विशेष बनता था तो जरूर बुला लिया करती थीं.
एक बार की बात है, भाभी की सास के दूर की रिश्तेदारी में किसी की मृत्यु हो गई थी तो उस वक्त भाभी की सास को अपनी बहू को छोड़कर उनके घर जाना पड़ा.
भाभी को छोटी छोटी चीजों से डर लगता था. उन्हें रात के अंधेरे से बहुत डर लगता था.
यह बात उनकी सासू मां बहुत अच्छे से जानती थीं.
उनकी सासू मां जाते-जाते मेरी मम्मी को बता गईं कि दीपक को प्रिया के साथ रुकने को भेज देना ताकि उसे कोई डर ना लगे.
मुझे इस वजह से रात को उनके घर सोने जाना पड़ा.
भाभी की सास के जाने के बाद प्रिया भाभी खुद शाम को मेरे घर आईं और उन्होंने मुझे साथ में चलने के लिए बोला.
मैंने कहा- हां भाभी, ठीक है, मैं रात का खाना खाकर आ जाऊंगा.
मम्मी ने यही कहा- प्रिया तुम चिंता मत करो. दीपक रात को आ जाएगा.
पर भाभी ने मेरी मां को बिल्कुल मना कर दिया- मैं ही खाना बनाऊंगी और दीपक मेरे साथ खाएगा.
मैं तो आपको बताना ही भूल गया कि भाभी का दो साल का एक लड़का भी था, जिसका नाम अनिल था.
शाम के समय मैंने अनिल के साथ बहुत देर तक खेल खेला और भाभी के साथ किचन में भी उनकी मदद की.
खाना खाने के बाद जब अनिल सो गया, तो भाभी ने उसे अपने कमरे में सुला दिया और मुझे बाहर वाले कमरे में सोने के लिए बोल दिया.
भाभी के घर में एलईडी टीवी थी, वो भाभी के कमरे में लगी हुई थी.
मुझे कुछ समय के लिए टीवी को देखना था.
भाभी ने कहा- अगर तुम टीवी देखना चाहते हो तो मेरे कमरे में आ जाओ.
अब मैं अन्दर वाले कमरे में ही भाभी के साथ टीवी देखने लगा.
हम तीनों भाभी के बिस्तर पर लेट कर टीवी देख रहे थे.
पहले भाभी का लड़का हमारे बीच में लेटा था मगर वो सो रहा था.
मुझे उसके साथ कुछ कुछ करने में मजा आता था तो मैं उसे सोते हुए में ही यहां वहां हिला देता था.
इससे वो जाग गया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी बाजू में आकर लेट गया.
भाभी ने भी उसे पुचकारते हुए कहा- अन्नी, अब सो जाओ बेटा.
वो मेरे साथ चिपक कर सो गया.
मगर उसने बचपना दिखाते हुए मुझे भाभी के पास को सरका दिया और अपनी दोनों टांगें फैला कर लेट गया.
मैं भी उसकी जिद को समझते हुए भाभी के करीब हो गया.
इस तरह से अब मैं और भाभी काफी करीब आ चुके थे, कहने का मतलब हम चिपक कर एक साथ बेड में आधे लेटे और आधे बैठे हुए थे.
मेरे हाथ की कोहनी भी भाभी के एक दूध को छू रही थी.
तभी अचानक से भाभी ने अपना दूध मेरी कोहनी पर ज्यादा दबा दिया.
उस पल मेरे अन्दर एक करंट सा जग गया. मुझे ऐसा लगा कि अचानक यह क्या हुआ.
एक पल के लिए मेरे अन्दर का शेर जागने लग गया.
फिर मैंने सोचा यह गलत है.
मैंने अपना ध्यान दूर कर लिया.
शायद मेरे हाथ का अहसास भाभी को भी हो रहा था और उन्हें काफी अच्छा भी लग रहा था.
पर हम दोनों ने इस चीज को अनदेखा कर दिया और आगे टीवी में मूवी देखते रहे.
फिर जब मुझे नींद आने लगी तो मैं उठ कर बाहर सोने जाने लगा.
तब भाभी ने कहा- दीपक यहीं लेट जाओ, मैं भी अकेली नहीं रहूंगी. तुम्हारा साथ हो जाएगा.
उनके कहने का आशय ये था कि भाभी को जो अकेले रहने में डर लगता था, वो नहीं होगा.
फिर मैं वहीं पर लेट गया.
रात्रि के समय जब मैं गहरी नींद में था तो अंगड़ाई लेते वक्त मेरा हाथ अचानक से भाभी की तरफ को चला गया.
भाभी ने नाइट ड्रेस में टी-शर्ट और लोअर पहना हुआ था. उनके दूध उस टी-शर्ट में एकदम तने हुए थे.
अचानक से हाथ चले जाने से मुझे किसी कोमल चीज का अहसास हुआ और मैंने उस अहसास को और ज्यादा आत्मसात करने के लिए नींद में भाभी के दूध को दबाना शुरू कर दिया.
मुझे नहीं मालूम था पर शायद भाभी को भी यह अहसास हो रहा था कि वो भैया के साथ मजा ले रही हैं.
दूध के स्पर्श से न जाने कैसे नींद में ही अचानक से मेरे लंड में तनाव आने लगा और लंड ने अपना विशाल रूप धारण कर लिया.
उस समय मेरा मोटा लंड भाभी की गांड में लग गया था.
मेरी भाषा में न्यूजीलंड ने जैसे ही उनकी रावलपिंडी के अन्दर झटका लगाया तो अचानक से भाभी की आंखें खुल गईं और वह मुझे गांड में लंड देते हुए देख कर हड़हड़ा कर अलग हो गईं.
भाभी बोलीं- दीपक क्या कर रहे हो?
मैं नींद में मीठ सपने देख रहा था.
उनके इतना कहते ही अचानक से मैंने अपने होंठ आगे बढ़ाए और उनके होंठों को चूम लिया.
मेरे होंठों का स्पर्श पाकर भाभी जी कुछ पल के लिए तो कसमसाईं मगर फिर सब कुछ भूल गईं.
उसके बाद मैं बस उनको चूमता चला गया और भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.
आज ही शायद वो दिन आ गया था, जब मेरे लंड को भाभी की चूत की गहराई में जाना था.
भाभी भी इस बात को बहुत अच्छे से समझ चुकी थीं कि आज उनकी चूत के लिए उनके देवर का लंड फौलाद बन चुका है और जल्द जी चूत को फाड़कर उन्हें चुदाई का सुख दे देगा.
मैंने भाभी की टी-शर्ट को उतार दिया तथा भाभी के लोअर को अंडरवियर समेत अपने पैर से नीचे को सरका दिया.
मेरी भाभी अब नग्न अवस्था में थीं, उनकी दोनों चूचियां मेरे हाथों में थीं.
मैं भाभी को चूमता और चूसता रहा.
तभी भाभी ने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर देखा तो भाभी एकदम से सिहर गईं.
वे मुझे हटा कर उठ बैठीं और मेरे लंड को देखा तो वो देखती रह गईं.
मैंने कहा- क्या हुआ?
भाभी बोलीं- इतना मोटा!
मैंने कहा- हां भाभी आज ये आपको भरपूर सुख देगा.
इतना कहते ही मैंने अपने लंड को उनके हाथ में दे दिया.
भाभी मेरा लंड हिलाती जा रही थीं और लंड की तारीफ करती जा रही थीं- सच में यार, इतना बड़ा तो मैंने सिर्फ फिल्मों में देखा है. तुम्हारे भैया का इससे आधा ही होगा.
मैंने कहा- अरे क्या बात कर रही हो भाभी … इससे आधा? फिर तो आपकी चूत बड़ी प्यासी होगी?
भाभी- हां दीपक, वैसे भी तेरे भैया छह महीने में छह दिन के लिए आते हैं और उसमें भी दो या तीन दिन ही मुझे चोदते हैं. उनका लंड भी मुझे काफी छोटा सा लगता है. मगर अब तुम हो ना तो मेरी सारी प्यास बुझ जाया करेगी.
इसी तरह की बातों के साथ साथ मैं भाभी की चूचियों को चूसता जा रहा था और वो भी मुझे अपने हाथों से अपने दूध पकड़ कर पिला रही थीं.
मैं और भाभी हम दोनों ही सेक्स का आनन्द उठा रहे थे.
फिर मैंने भाभी के सिरहाने से तकिया लिया और उनकी गांड के नीचे लगा दिया.
भाभी की चूत बिस्तर से ऊपर आ गई.
इस तरह से उन्हें चोदने में मुझे और मजा आने वाला था.
सबसे पहले मेरा हाथ भाभी की चूत पर गया.
वहां बहुत सारे बाल थे.
झांट के बालों के पीछे छिपी उनकी गुलाबी रंग की चूत की गहराई में मैंने अपने हाथ की बीच वाली उंगली पर डाल दी.
भाभी एकदम से कराहने लगीं और बोलीं- आह … उंगली मत करो राजा … मुझे तुम्हारे लंड की जरूरत है. तुम्हारी उंगली की नहीं!
उनके इतना कहते ही मैंने अपना लंड भाभी की चूत में सैट किया और उन्हें सम्भलने का मौका दिए बिना लंड अन्दर घुसा दिया.
भाभी की चूत चिर गई और उनके मुँह से एक दर्द भरी चीख निकल गई.
वो चीखीं तो मैंने अपना मुँह भाभी के मुँह पर जमा दिया.
भाभी बस छटपटाती रहीं.
कुछ ही धक्कों में भाभी की चूत मेरे मूसल लंड से हार गई और उसने लंड की आवभगत करनी शुरू कर दी.
थोड़ी ही देर में भाभी प्यारी प्यारी सी आवाजें करती हुई और मुझ पर हावी होने लगीं और वो खुद से मेरे होंठों को और मेरी जीभ को चूसे जा रही थीं.
मैं भी उनको ताबड़तोड़ चोदता रहा.
चोदते चोदते हम दोनों पसीने से भीग चुके थे.
भाभी को बहुत ही आनन्द मिल रहा था.
लेकिन कुछ ही समय बाद भाभी एकदम से निढाल होने लगीं.
वे मुझे चोदने से रोकने लगी थीं.
मैं जैसे ही अपने लंड को भाभी की चूत के अन्दर बाहर करता, भाभी मुझे कसके पकड़ लेतीं.
कुछ देर की मशक्कत के बाद भाभी फिर से चार्ज हो गईं और मुझे चुदाई करने देने लगीं.
अब मैं बहुत जोर जोर से भाभी की चूत चोदे जा रहा था.
तभी मेरे लंड से वीर्य की धारा भाभी की चूत के अन्दर ही बहने लगी.
मैंने भाभी को एकदम कस कर पकड़ लिया और उनके ऊपर ही लेट गया.
कुछ समय तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे.
फिर भाभी मुझसे अलग होकर बोलीं- दीपक, हमारे बीच आज जो भी हुआ है, उसका पता किसी और को नहीं चलना चाहिए. तुम अपने दोस्तों को भी मत बताना.
मैंने कहा- भाभी मैं अपने इस रिश्ते को कभी बदनाम नहीं होने दूंगा.
उसके बाद हम दोनों लेट गए और उस रात मैंने भाभी के साथ तीन बार चुदाई का सुख लिया.
देसी भाभी की Xxx चुदाई के कुछ समय बाद तो मैं इस खेल में खिलाड़ी बन गया था.
मैंने अनगिनत चूत का भेदन किया.
इस देसी भाभी Xxx हिंदी कहानी पर आपकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद मैं अपनी आगे आने वाली सेक्स कहानियों में आपको लिखकर भेजूंगा.
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