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चुत चुदाई के अनजाने खेल का पूरा मज़ा

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देहाती सेक्स की कहानी गाँव की एक आम लड़की कुंवारी लड़की की है जिसे सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं पता था. एक लड़के ने उससे दोस्ती करके उसकी पहली चुदाई कैसे की?

यह कहानी सुनें.

हाय दोस्तो, कैसे हो आप सब! उम्मीद है बिंदास मजा ले रहे होंगे.

मैं दिव्या बिहार के एक छोटे से कस्बे की रहने वाली हूँ.

मैं 5 फुट 3 इंच की गठीले शरीर की मालकिन हूँ.

जब ये घटना हुई, तब मेरा फिगर क्या था … मुझे पता नहीं है. मैं तब ब्रा तो पहनती नहीं थी, लेकिन आज मेरा फिगर 30-28-34 का होगा.

मैं इस साइट की नियमित पाठिका हूँ बहुत सारी सेक्स कहानी पढ़कर मेरा मन भी हुआ कि मैं अपनी सील टूटने की कहानी आपको बताकर सबको उत्तेजित करूं.

आज मैं आपके सामने अपनी पहली चुदाई की जबरदस्त गर्म कहानी लाई हूं, जिसे पढ़कर लड़के मुट्ठी मारने के लिए और लड़कियां चूत में उंगली डालने के लिए मजबूर हो जाएंगी.

अपना हर एक अनुभव आपसे साझा कर पाऊं, मैं इतनी योग्य तो नहीं हूँ. पर फिर भी मैं लिखने की कोशिश कर थी हूँ.

आप बस मेरी पहली चुदाई की कहानी का जी भरके लुत्फ़ उठाओ. फिर जाकर अपने अपने हाथ से काम चलाओ, पार्टनर हो तो उसकी रात हराम करो.

मेरी देहाती सेक्स की कहानी में कोई गलती निकले तो मैं पहले ही दिल से क्षमाप्रार्थी हूँ.

आप गांव की जिंदगी के बारे में जानते ही होंगे कि मध्यम वर्ग के परिवार में प्रेम प्रसंग शुरू होने में कितनी दिक्कतें आती हैं.

अगर आप मध्यम वर्गीय परिवार से नहीं हों, तो मैं आपको बताती हूँ.

पहले तो किसी लड़की को घर से इतनी छूट नहीं होती है कि वो किसी लड़के से बात कर सके.
किसी भी तरह बात होने भी लग जाए, तो उसे अपनी चाहत सामने वाले को बताना बड़ा कठिन होता है.
ये मुझे शब्दों में बताना नहीं आता, बस आप अंदाज लगा सकते हैं.

मेरा चक्कर उस समय से चलना शुरू हो गया था. जब मेरी 12 वीं की पढ़ाई पूरी हुई थी, तब तक मैं इस पूरे खेल से बिल्कुल अंजान थी.

फिर 12वीं पास करने के एक साल बाद मुझे एक लड़के से प्रेम प्रस्ताव मिला.
मगर मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उस प्रस्ताव को स्वीकार कर सकूँ.

जैसे ही मुझे प्रस्ताव मिला, मैं शर्म की वजह से मानो पिघल सी रही थी.
उस वक्त मेरे दिमाग में बस एक ही बात आयी कि उसके सामने से भाग जाऊं.

मैं भाग कर अपने घर में जाकर छिप भी गयी. उस समय मेरी हृदय गति इतनी तेज थी, मानो दिल फट ही जाएगा.
मुझे पूरी रात नींद नहीं आयी.
फिर मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उसका सामना कर पाऊं.

मैं 3 दिन तक अपने घर से बाहर नहीं निकली लेकिन उसके बाद जब उससे मिली, तब मैं अपनी नजरें चुरा कर उसे देख रही थी.

मैंने उससे कभी प्यार या दोस्ती के लिए हां नहीं की थी लेकिन वो मेरा प्यार मानो एक जादूगर था.
मेरे कुछ कहने से पहले ही समझ जाता था.
शायद उसने तब भी मेरे मन की बात जान ली थी.

उसने उस दिन मुझसे बस इतना कहा- दिब्बू, तुम्हारे मन में ये डर है कि बाहर किसी को ये बात पता ना चले, तो परेशान न हो. मुझ पर भरोसा करो.
मैं सुन कर एकदम से चौंक गयी.

जिस बन्दे को लेकर मैं प्यार में थी उसका नाम लव था.

उसने मुझसे ये बात अब कही थी मगर मैं भी लव से काफी पहले से प्यार करती थी.
उसका प्यार मुझे मिलेगा, ये नहीं पता था, बस करती थी.

आपको सुनकर हंसी आएगी कि मैं इतना भी नहीं जानती थी कि प्यार में क्या क्या होता है.

लव मेरे लिए एक ऐसा नाम था, जिसे याद मात्र करने से पूरे शरीर में बिजली दौड़ जाती थी.

लव के बारे में मैं आपको कुछ बता देती हूँ.
वो दिखने में स्मार्ट बन्दा था. उसकी लंबाई 5 फुट 6 इंच थी.

उसके लौड़े का नाप बताकर मैं अपनी बहनों की चूत की हालत और ज्यादा खराब करना नहीं चाहती लेकिन मैं इतना जानती हूँ कि एक बार उसका लंड कोई देख ले, तो वो हर हाल में उसका लंड लेने के लिए पागल हो जाएगी.

मेरे घर में छोटे छोटे भतीजे हैं. मैं उनकी नुन्नू देखती थी तो लगता था कि ये बस सूसू करने के लिए होती है.

बाद में पता चला कि इसका काम कितना महान होता है.

मध्यम वर्गीय परिवारों में लड़कियों के लिए अलग फोन तभी मिलता है, जब उनका बाहर आना जाना होने लग जाए, ताकि वो अपने घर के सम्पर्क में बनी रहें.

मेरी चुदाई में सहायता करने वाला फोन मेरी मम्मी का था.

मम्मी के फोन से लव से मेरी धीरे धीरे बात होने लगी.
आपको मैंने बताया कि मेरा लव एक जादूगर था. उसे ये बात बहुत अच्छे से पता थी कि क्या बात कब और कैसे शुरू करनी है.

ऐसे ही सामान्य बातें कब रोमांटिक होने लग गईं, कब फोन सेक्स होने लगा, पता ही नहीं चला.

मेरे मन में अपने लव से मिलने की बात तो आती थी, पर मैं उससे कह नहीं पाती थी.
जब वो मिलने की कहता तो मैं टालमटोल कर देती थी.

लेकिन कब तक करती.
फिर एक दिन आया, जब हम लोगों का मिलने का प्लान बना.

छोटे कस्बों में मिलने के लिए होटल तो होते नहीं हैं, शहर पास में था भी, तो भी हम लोग कभी हिम्मत नहीं जुटा पाए.

उसका घर कभी खाली नहीं रहता था.
इधर मेरे घर में भी मुझसे दो साल छोटी बहन और मेरी मम्मी हमेशा घर में रहती थीं तो वहां भी इंतजाम होना मुमकिन नहीं था.

अंततः मिलने को जो जगह मिली, वो था एक खेत.

चूंकि अब तक मैं लंड को चुच्चू समझने वाली थी और लंड का काम मूतना भर होता है, ये समझने वाली लड़की थी. लंड चुत में कैसे घुसेगा और चुदाई की बात तो क्या ही जानती होऊंगी.

मगर वाह री प्रकृति … क्या बात बनाई है कि कुछ भी न जानते हुए भी एक लड़की को लड़के में क्या पसंद आ जाता है, ये मुझे समझ ही नहीं थी.

मैं अपने लव से मिलने तो जा रही थी और मन में क्या था, कुछ नहीं मालूम था.
आज मैं पहली बार उसे इतने पास से देखूंगी, उसका हाथ पकड़कर बातें करूंगी.
मुझे क्या पता था कि उधर से आऊंगी तो अनुभव ही अलग सा होगा.

मैं घर से कुछ बहाना बनाकर निश्चित स्थान पर पहुंच गयी.
वहां जाकर देखा वो पहले से वहीं था.

उसने मुझे पकड़कर अपने सीने से लगा लिया.
मैं तो मानो उसमें ही समा गयी थी.
मेरी धड़कनें इतनी तेज हो गयी थीं मानो दिल छाती फाड़कर बाहर आने वाला हो गया था.

धीरे से उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर लाकर रख दिया.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.

मैं बिल्कुल निढाल हो चुकी थी.
उसका दायां हाथ मेरे एक दूध पर था और बायां हाथ मेरी गांड पर था.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.

जैसे ही उसके ठंडे होंठों ने मेरे गर्म होंठों को चूमा, मेरी आंखें बंद हो चुकी थीं और मेरा शरीर ढीला हो चुका था. मेरा पूरा वजन उसके ही ऊपर हो गया था.

ऐसे ही लगभग आधा घंटे चिपके रहने के बाद वो मुझसे अलग हुआ.

उसने पूछा- कैसा लगा?
मैं क्या जवाब देती, जब कुछ पता ही नहीं कि हुआ क्या है तो क्या जवाब देती.

मैं चुप रही लेकिन वो मेरी हालत समझ रहा था.
ऐसे ही बात करते करते अचानक से लव बोला- सेक्स करोगी?

मैंने पूछा- ये क्या होता है?
वो बोला- ये जो भी होता है, बहुत मजेदार होता है … तुम्हें मजा आ जाएगा.

उसके मुँह से मजे की बात सुनकर मैंने हां बोल दिया.

उसने मुझसे मेरे कपड़े निकालने को कहा, पर मैं डर गई.

मैंने कहा- यहां?
वो बोला कि यहां मेरे अलावा कोई नहीं है. क्या तुम मेरे सामने अपने कपड़े नहीं निकाल सकती!

मैंने अपनी जींस पैंट को निकालते हुए पैंटी भी निकाल दी.
मेरी रोंएदार चूत जिसको मैंने आज तक क्लीनशेव नहीं किया था, पूरी तरह गीली थी. मैंने शर्म से अपने दोनों हाथों से अपनी चुत ढक ली.

इस पर उसने अपना पैंट खोलकर अपना लंड निकाल कर मेरे सामने ला दिया और बोला- क्या तुम बालों की वजह से शर्मा रही हो … तो देखो मैंने भी बाल साफ नहीं किए हैं.

मैं उसका लंड देखकर इतना ज्यादा आश्चर्य में थी कि अचानक से बोल पड़ी- ये क्या है?

मैं मन ही मन सोच रही थी कि बच्चों का छोटा सा होता है. इसका इतना बड़ा कैसे है!

उसने जवाब दिया- लंड, लंड कहते हैं इसे … अभी देखकर घबरा रही हो, जब ये तुम्हारी चूत के अन्दर जाएगा, तो बहुत मजा देगा. अभी जितना घबरा रही हो न … बाद में उतना ही मजा आने वाला है, दीवानी हो जाओगी इसकी.

जब उसने कहा कि चुत के अन्दर जाकर मजा देगा, तो मेरे दिमाग में आया कि ये इतना बड़ा मोटा अन्दर कैसे जाएगा, पर मुझे उस पर भरोसा था.

उसने मुझे अपने लंड को हाथ में लेने को कहा.
मैंने मना कर दिया.
मना करती भी क्यों ना … मुझे उससे डर सा लग रहा था.

फिर वो अपनी उंगलियों से मेरी बुर के दाने को छूने लगा.
मुझे नशा सा होने लगा था.

उसने देखते ही देखते मेरी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी.
मेरे मुँह से ‘आह्ह्ह …’ निकल गई.
उस नशे में मैं जमीन पर पड़ी तड़प सी रही थी.

लव अपनी उंगली को जितना आगे पीछे करता, मुझे उतना ही ज्यादा मजा आता.

ये खेल करीब 15 मिनट तक चला और उतनी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था.
जब उसने देखा मैं खूब गर्म हो चुकी हूँ, तब उसने कंडोम लगाकर अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया.

जैसे ही वो लंड डालने की कोशिश करता, उसका लंड इधर उधर फिसल जाता.

मुझे थोड़ा बहुत वो अन्दर जाते महसूस होता भी, तो दर्द इतना होता कि मुझे लगता मर ही जाऊंगी.
मैं उछल जाती और उसका लंड अन्दर नहीं जा पाता.

वो शायद ये सोचकर मुझे छोड़ देता कि मुझे दर्द ना हो.

वो पहला दिन था, जब मैं चुदते चुदते बच गयी.

इसी तरह मैं बार बार उसके पास जाती थी पर बिना चुदे वापस आ जाती थी.

मेरा तो पहली बार था ही, उसका भी पहली बार ही था और जगह भी सही नहीं मिल रही थी.
इस वजह से कंडोम लगाकर या तेल लगाकर भी हम लोग किसी तरह से सफल ना हो पाए.

अंततः वो दिन आ ही गया, जब मेरा चुत का भेदन हो गया.

उसने मुझे मिलने को बुलाया. इस बार मैं भी घर से ये सोचकर निकली थी कि कितना भी दर्द हो, पर मैं उसका पूरा साथ दूंगी.
कुछ ही मिनटों में मैं उसके आगोश में थी.
उसकी गोद में बैठकर कुछ देर इधर उधर की बातें करते करते कब हम लोग नंगे हो गए, पता ही ना चला.

इस बार मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ा भी और मुँह में भी लिया.
कुछ मिनट तक लॉलीपॉप के जैसे लंड चूसने के बाद मेरा मुँह वीर्य से भर चुका था.
पर मैंने उसे पिया नहीं, बाहर ही थूक दिया.

अब वो धीरे धीरे मेरी चूत में अपनी उंगलियां घुसाने लगा था.
मुझे दर्द सा महसूस होता तो मैं आह्ह ह्ह करके रह जाती, पर मुझे भी चुदाई का मजा लेने की बहुत जल्दी थी.

मैं लव से कह रही थी- जानू, अब और मत तड़पाओ, डाल दो अपना बड़ा और सख्त लंड मेरी चूत में.
उससे भी रहा नहीं जा रहा था. वो भी मुझे चोदने का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

अब उसने अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया और एक जोरदार धक्का लगाते हुए मेरी चूत में अपना लंड घुसाना चाहा.
पर उसका लंड फिसल कर बाहर आ गया.

मुझे बहुत दर्द होने लगा था.
फिर उसने मुझे खड़ा किया और मेरा एक पैर अपने कंधे पर रखते हुए अपने लंड को मेरी चूत पर सैट किया. फिर एक ही धक्के में उसने टोपा मेरी चूत में घुसा दिया.

मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
मैं दर्द से छटपटा रही थी. दर्द की वजह से मैं खड़ी नहीं रह पाई तो लव ने मेरी चूत से लंड निकाले बिना ही मुझे जमीन पर लिटा लिया.

मैंने उसे अपने ऊपर से हटाना चाहा, पर मैं उसे हटा नहीं पायी.

मेरी चीख निकलने से पहले उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया था.

अब मेरे आंसू लगातार निकल रहे थे. मैं छूटने के लिए छटपटा रही थी, पर लव मुझे ऐसे ही कहां छोड़ने वाला था.
उसने एक झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत चीरते हुए अन्दर उतार दिया.

उसका लंड खून से लथपथ ही गया था, जिसे देखकर मैं डर गयी.

उसने मुझे समझाया कि पहली बार में ऐसा होता है.

अपने रूमाल से उसने लंड साफ किया.
फिर 5 मिनट तक चुम्मा चाटी करने के बाद उसने धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
अब मुझे दर्द कम हो रहा था. कुछ धक्के लगते ही मानो जैसे मेरा दर्द गायब सा हो गया था.
मुझे चुत चुदाई में मजा आने लगा था.

मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्हह उम्म्म आह्ह आह्ह हाए आह्हह.

इन्हीं आवाजों के साथ मैं चुदाई के नशे में खो गई.
लव मुझसे हमेशा ही कहता था- मजा आएगा, मजा आएगा.
आज मैं चुदाई के मज़े का आनन्द उठा रही थी और अपनी कमर उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी.

साथ ही मैं चिल्ला रही थी- आह मुझे जोर से चोदो … हां हां हां ऐसे ही चोदो … ऊह आह ओह … ओह … आऊ!
लव- ले ले और ले … और अन्दर तक ले … तेरी चूत प्यासी है … प्यास बुझा अपनी चूत की … तेरी चूत का भोसड़ा!

मैं- चोदो … मुझे चोदो … जोर से चोदो … और जोर से चोदो … हां ऐसे ही मेरी चूत को फाड़ डालो … जोर जोर से झटका दो … घुसा दो अन्दर तक … पेलो पेलो और तेज पेलो मुझे … और जोर से अन्दर करो … ओह्ह आऊ … ओईई आऊओ … मुझे जोर से चोदो.
कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा. अब शायद मैं झड़ चुकी थी.

कुछ ही देर में लव का बदन भी कुछ इस तरह से अकड़ने लगा और उसने अपना सारा माल मेरी चूत में ही निकाल दिया.

मेरी चूत उसके गरम वीर्य का अनुभव कर रही थी और उसका माल मेरी चूत से बाहर आने लगा.

वहीं लव निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गया.

कुछ मिनट लेटने के बाद उसका लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और हमने फिर से चुदाई के मज़े लिए.

अब मुझ पर पूरी तरह से उसकी मोहर लग चुकी थी. अगले दिन मुझे चलने में बहुत दिक्कत हो रही थी. मेरी चूत ब्रेड की तरह फूल चुकी थी.

मैं लड़की से औरत बन चुकी थी.

एक बार की चुदाई के बाद चुत ने लंड लंड करना शुरू कर दिया था. अब हम लोग लगभग हर महीने 3 से 4 बार मिलते, जमकर खूब चुदाई करते.

अब तो मानो मुझे उसके लंड की आदत हो चुकी थी.

फिर मैंने कब कब कैसे कैसे चुदाई की, ये मैं आपको अपनी अगली Xxx कहानी में बताऊंगी.

दोस्तो, मुट्ठी मारने से पहले इस देहाती सेक्स की कहानी की प्रतिक्रिया मेल पर जरूर देना. धन्यवाद.
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