क्रॉसड्रेसर ग्रुप सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं लड़की बन कर अपने छह चोदुओं से गांड मरवाती हूँ. मैं उनकी बीवी की तरह रहती हूँ.एक बार उनमें से चार ने मिल कर मेरे साथ सेक्स किया.
पाठको और पाठिकाओ, मैं संजय से बनी सजनी अपने छहों पतियों से अपनी गांड मरवाकर, उनका लंड चूस कर और उनका वीर्य पीकर अपनी इस नई जिन्दगी से बड़ी खुश थी.
मेरी पिछली कहानी
क्रॉसड्रेसर की जिन्दगी 6 लंड के साथ
में आपने पढ़ा था कि मेरे चार पति सुनील, विक्रम, अनिल, मोहन की मेरी सामूहिक चुदाई की इच्छा थी.
एक साल बाद चौधरी जी के परिवार में किसी की शादी थी.
चौधरी जी और मदन जी दस दिन के लिए गांव चले गए.
उनके जाने के दो दिन बाद ट्रकों की हड़ताल हो गयी, बाजार में सब्जी, फल आना बंद हो गया.
हम दुकान बंद करके घर पर बैठे थे.
अब आगे मेरी सामूहिक चुदाई कैसे हुई, ये जानते हैं.
सुनील ने मुझे अलग ले जाकर कहा- सजनी हम सब घर पर बैठे हैं, ट्रक की हड़ताल के कारण कोई काम-धाम नहीं बचा है. अभी हम चार लोग ही हैं. तुम राजी हो, तो हम सामूहिक चुदाई का मजा ले सकते हैं.
मेरी मन में भी इच्छा थी, चौधरी जी भी नहीं थे कि उनका विशाल लंड देखकर मेरे बाकी पतियों के मन में कमी या कुंठा होती.
मैं राजी हो गयी.
मैंने कहा- मदन जी और चौधरी जी के आने के बाद हम सामूहिक चुदाई नहीं करेंगे. उन दोनों को अच्छा नहीं लगेगा और अगर मेरी हालत ख़राब हुई, तो तुम लोग खाना बनाना.
सब राजी हो गए.
मैं- यदि मैं झेल नहीं पायी तो मैं कोड वाक्य ‘सोमवार …’ बोलूंगी, तब सब रुक जाना.
सुनील ने यह खबर विक्रम, अनिल, मोहन को सुनाई, सब खुश हो गए.
सुबह नाश्ते के बाद गे सामूहिक चुदाई का वीडियो चालू किया गया.
मैं अपने चारों पतियों के साथ मिनी स्कर्ट और बिना बांहों के टी-शर्ट में बैठी थी.
जब कोई सीन किसी को पसंद आ जाता, तो मेरे पति लोग कहते कि ये वाला करेंगे.
सुनील और अनिल मेरी दोनों तरफ बैठकर मेरी चिकनी जांघों पर हाथ फेरने लगे.
चार वीडियो देखने के बाद हम सबने तय कर लिया कि चुदाई में क्या क्या करना है और क्या क्या नहीं करना है.
हम सब बेडरूम में आ गए.
मैं एलोवेरा जैल निकालकर बोली- आज हम लोग लुब्रिकेशन के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे.
मैंने बाथरूम में जाकर अपनी गांड में पिचकारी से पानी भरा और निकाल दिया.
मेरी गांड का छेद साफ हो गया.
अब मैंने अपने छेद में एलोवेरा जैल लगा लिया.
मेरे बाथरूम से वापस आते ही चारों मुझे घेर कर खड़े हो गए.
दो पति मेरे स्तन दबाने लगे, एक मेरा होंठ चूस रहे थे, एक मेरी पीठ और चूतड़ चूम रहे थे.
हमारे कपड़े उतरने लगे, हम सब नंगे खड़े होकर चूमाचाटी करने लगे.
मैं तकिया रखकर घुटनों के बल बैठ गयी.
बारी बारी से चारों पतियों के लंड चूसने लगी.
सुनील ने मुझे पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया, मेरी कमर के नीचे तकिया लगा दिया.
मैंने अपने पैर छाती की तरफ कर लिए.
सुनील मेरी गांड मारने लगे.
अनिल और मोहन मेरे दोनों तरफ बैठकर मेरे स्तन दबाने लगे.
विक्रम ने मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया.
थोड़ी देर बाद सुनील गांड में से लंड निकाल कर हट गए.
विक्रम मेरी गांड मारने लगे.
मोहन ने मेरे मुँह में लंड डाल दिया.
ऐसे ही सबने बारी बारी मेरी गांड बजायी.
वो लोग झड़ने से पहले चुदाई रोक देते.
फिर मुझे घोड़ी की तरह खड़ा किया गया.
एक मेरी गांड मारने लगा, दूसरा अपना लंड चुसवाने लगा.
बाक़ी दोनों मेरे स्तन को दबा कर मजा लेने लगे.
वो दोनों मेरे दोनों निप्पलों को ऐसे खींच रहे थे, जैसे गाय का दूध निकाल रहे हों.
जो भी मेरी गांड चोदते चोदते झड़ने के करीब आता, मेरे मुँह में अपना लंड गले तक डाल देता, मैं उस पति के लंड का सारा वीर्य पी जाती.
इस तरह मेरी चुदाई दो घंटे चली.
सबने नहाकर खाना खाया और सो गए.
शाम को चाय पीते समय विक्रम ने कहा- कल भी दुकान बंद रहेगी, हमें रोज सुबह 5 बजे जाना पड़ता है. सुबह जल्दी उठने के कारण हम शराब पार्टी नहीं कर सकते. आज हम शराब की पार्टी करेंगे. कल देर तक सोएंगे.
सभी राजी हो गए.
विक्रम और मोहन व्हिस्की और खाना ले आये.
व्हिस्की पीते समय सुनील ने गुलाम वाला का वीडियो लगाया, उसमें गुलाम की नीलामी होती है. फिर उसको पीटा और चोदा जाता है.
सभी बोले- आज रात हम ऐसे ही करेंगे.
मैंने भी नशे में हां कह दिया.
विक्रम ने मुझे बेडरूम ले जाकर मेरे गले में बेल्ट पहना दिया. बेल्ट में रस्सी बंधी थी. बेल्ट का टुकड़ा लगी बेंत लेकर, विक्रम रस्सी से मुझे खींचते हुए सबके सामने ले आए.
मुझे छड़ी से मारकर बोले- गुलाम अपने कपड़े उतारो.
मैंने कपड़े उतार दिए. मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में खड़ी थी.
विक्रम- अब सब गुलाम की बोली लगाओ, जिसकी बोली सबसे ज्यादा होगी, वह गुलाम को पहले चोदेगा.
मेरी बोली लगने लगी.
एक हजार दो हजार, तीन हजार, चार हजार.
मोहन की बोली सबसे ज्यादा थी.
मोहन- आज रात भर के लिए तुम हम सबकी गुलाम रंडी हो, हमारी हर बात मानोगी.
मुझे इस गुलाम के खेल में मजा आने लगा, मैंने कल्पना कर ली थी कि मैं सचमुच रंडी हूँ.
मैंने कहा- जो हुक्म मेरे मालिक.
मेरे बेल्ट की रस्सी पकड़कर छड़ी लेकर मोहन मुझे बेडरूम में ले गए.
मुझे चार हजार रूपए दिए गए.
मोहन- रंडी जल्दी से अपने पूरे कपड़े उतार.
मैं तुरंत नंगी हो गयी.
विक्रम अपने कपड़े उतारकर पलंग पर पैर फैलाकर बैठ गए और मुझसे बोले- अब खड़ी होकर झुक जा और मेरा लंड चूस.
मैंने झुककर अपने हाथ पलंग पर रखे और मोहन का लंड चूसने लगी.
मोहन ने मेरे चूतड़ पर छड़ी मारकर कहा- और जोर से चूस रंडी.
मैं लंड गले तक लेकर चूसने लगी.
मोहन कभी कभी मेरा सिर पकड़कर दबा कर रखते.
लंड गले तक हो जाने से मेरी सांस रुक जाती.
मोहन जब मुझे छोड़ते, तब मैं लम्बी सांस ले पाती.
मोहन- अब पलंग पर पीठ के बल लेट जा, कमर के नीचे तकिया लगा ले, पैर छाती के पास लेकर बोल कि मालिक मेरी गांड का मजा लीजिए.
जैसा मोहन ने मुझे बताया, मैं वैसे ही लेट गई.
मोहन मेरे चूतड़ों पर छड़ी मारकर बोले- अब बोल.
मैं मुस्कराकर बोली- मालिक मेरी गांड का मजा लीजिए.
मोहन ने एलोवेरा जैल लंड पर लगाई और मेरी गांड की घमासान चुदाई करने लगे.
आज मोहन कुछ ज्यादा ही जोश में थे, मोहन बोले- मुँह खोल.
मेरे मुँह खोलते ही उन्होंने मेरे मुँह के अन्दर थूककर कहा- थूक पी जा.
मैं पी गयी.
फिर मोहन ने मुझे घोड़ी बनाकर पलंग के किनारे खड़ा किया, खुद जमीन पर खड़े होकर मेरी गांड का बैंड बजाने लगे.
मेरे एक चूतड़ पर थप्पड़ मारने लगे.
मोहन ने छड़ी और थप्पड़ बहुत जोर से नहीं मारा, शायद उन्हें डर था कि मुझसे सहन न हो और मैं सोमवार कह दूँ, जो खेल रोकने का संकेत था.
मुझे मार खाने में मजा आया था.
काफी देर गांड मारने के बाद मोहन ने मेरी गांड वीर्य से भर दी.
मैंने भी उनका लंड चाटकर साफ कर दिया.
मैं गांड धोकर वापस कमरे में आ गयी.
मुझे प्यास लगी थी, मैंने देखा पानी की बोतल खाली है.
मैं बोली- मालिक मैं पानी लेकर आती हूँ. मुझे प्यास लगी है.
मोहन- खाली गिलास लेकर कर मेरे पास आ जा.
मोहन ने गिलास अपने मूत्र से भर दिया और बोले- पी ले.
मैं मूत्र पी गई.
मोहन- अब मुँह धोकर मेकअप करो, ब्रा पैंटी पहनकर 15 मिनट आराम करो. उसके बाद तुम्हें मेरे 3 दोस्तों को खुश करना है.
मैंने हामी भर दी.
पन्द्रह मिनट बाद मोहन ने सुनील, अनिल, विक्रम को बेडरूम में बुलाकर कहा- अब ये रंडी तुम लोगों को खुश करेगी. सभी उसको एक एक हजार रूपए दो.
सभी ने मुझे रूपए दिए.
विक्रम कुर्सी पर बैठ गए.
तीनों मेरे ऊपर टूट पड़े. कोई मेरी चूची दबाता, कोई चूतड़.
जल्दी ही सब नंगे हो गए. मेरी ब्रा पैंटी भी उतार दी.
सुनील- रंडी अब सबका लंड चूस.
मैं घुटनों पर बैठकर सबका लंड बारी बारी चूसने लगी.
जब मैं एक का लंड चूस रही होती, दूसरा मेरे चूतड़ों और पीठ पर छड़ी मारकर बोलता कि अब मेरा लंड चूस.
छड़ी में लगी बेल्ट की मार से मेरा जोश और बढ़ जाता.
फिर मुझे पलंग के किनारे घोड़ी बनकर खड़े होने का हुक्म मिला. मेरे घोड़ी बनते ही सभी बारी बारी से मेरी गांड मारने लगे.
अब विक्रम पलंग पर पीठ के बल लेट गए. उसके पांव ज़मीन पर थे.
विक्रम- रंडी, अब मेरी तरफ पीठ करके मेरे लंड पर बैठ, हम तुम्हारी गांड में दो लंड एक साथ डालेंगे.
मैंने कहा- उसमें दर्द होता है. उसके 500 रूपए मैं हर एक से लूँगी.
मैं पूरी रंडी के मूड में थी.
सभी ने रूपए दिए.
मुझे ज्यादा चिंता नहीं थी. दो लोगों का लंड एक साथ मिलाने के बाद, चौधरी जी के लंड की मोटाई से थोड़ा सा ही ज्यादा होता.
मैं विक्रम का लंड अपनी गांड में डाल कर बैठ गयी.
सुनील ने अपने लंड पर ढेर सारा एलोवेरा जैल लगा लिया.
मैं विक्रम का लंड गांड में लेकर पीछे झुक गयी.
सुनील ने मेरे पांव अपने कंधे पर रखे और मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया.
मैं चीखी- आह मर गयी.
सुनील थोड़ी देर चोदने के बाद हट गए. फिर सभी ने मेरी गांड में बारी बारी से लंड डाला.
फिर सुनील नीचे लेट गए, विक्रम ने अपना लंड डालकर मेरी चीख का मजा लिया.
दो लंड एक साथ गांड में लेने में मुझे अलग ही मजा आ रहा था.
विक्रम- अब पेट के बल पैर फैलाकर लेट जा.
मैं लेटी तो बाकी तीनों ने बारी बारी मेरे ऊपर लेटकर मेरी गांड मारी.
मोहन को यह देखकर जोश आ गया, वो बोले- मैं एक बार और तेरी गांड मारूंगा.
मैं थक गयी थी, फिर भी मैंने अपने चूतड़ हाथ से फैलाकर कहा- आइये मालिक.
मोहन ने बहुत देर तक मेरी गांड बजायी.
सुबह से अब तक मेरी गांड 9 बार मारे जाने से, गांड और शरीर दुःख रहा था.
कमरे में अब मोहन और मैं ही रह गए थे.
मैं बोली- अब रंडी का खेल खत्म करो, मैं थक गयी हूँ.
मोहन- मैं तुम्हारी मालिश कर देता हूँ.
मोहन ने तेल से मेरे बदन की अच्छी मालिश की, मुझे गर्म पानी से नहलाया.
मुझे राहत मिली.
फिर हम सबने एक एक पैग लिया और साथ में खाना खाया.
दारू पीकर हम सब सो गए.
अगले दिन मैं सुबह 10 बजे उठी.
मैंने चाय पी, नित्य-क्रिया से निपटकर नहायी.
मैंने अपने चारों पतियों को उठाकर चाय दी.
पति लोग चर्चा करने लगे- कल सुबह 5 बजे दुकान खोलनी है, ट्रक हड़ताल ख़त्म हो गयी है. सजनी तुम राजी हो तो आज दिन के समय एक बार और सामूहिक चुदाई का आनन्द ले लेते हैं. बाद में ऐसा मौका कब मिले, पता नहीं.
मैंने सोचकर कहा- ठीक है, पर दो लंड एक साथ नहीं डालना. मैं तुम लोगों को एक सरप्राइज दूंगी.
सभी राजी हो गए, वैसे भी दो लंड डालकर ठीक से चुदाई नहीं होती.
पति लोग नहाने चले गए.
मैंने जल्दी से नाश्ता बनाया और अपने बेडरूम में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया.
मैंने बाजू की सब्जी की दुकान में बैठने वाली संगीता का रूप धरा, जो मेरे पतियों को पसंद थी.
मैं अपने इन चारों पतियों के सामने बंद कमरे में अलग अलग रात संगीता बनकर आ चुकी थी.
आज चारों के सामने संगीता बनकर जाने वाली थी.
मैंने संगीता के समान खुले गले का ब्लाउज पहना, नौवारी साड़ी धोती के समान पहनी. जूड़े वाला विग पहना.
अब मैं इठलाती हुई बाहर निकली. मेरे चारों पति मुझे देख कर चौंक गए.
वो कहने लगे- तुम्हारा सरप्राइज बहुत अच्छा है.
मैं जब झुककर नाश्ते की प्लेट किसी पति को देती, तो ब्लाउज से मेरा आधे स्तन दिखने लगते.
वो पति मेरे चूचे दबा देते और मेरे होंठ चूम लेते.
नाश्ते के बाद पतियों ने फरमाइश की संगीता को तरह चलो.
मैं संगीता के समान गांड मटकाकर चल रही थी.
मेरे पति लोग कह रहे थे कि तुम संगीता से ज्यादा सेक्सी और सुंदर लग रही हो.
चारों पति मुझे बेडरूम में ले गए, मेरे चूचे दबाने लगे, चूमने लगे.
मेरी साड़ी, ब्लाउज, साया उतार दिया. मैं ब्रा पैंटी में खड़ी थी.
पति नंगे हो गए, वो लोग मेरा पूरा बदन चूमने और चाटने लगे थे.
उसके बाद मेरे सब कपड़े उतार दिए गए और मुझे नंगी कर दिया गया.
फिर बारी बारी से चारों पतियों ने मेरी गांड मारी.
झड़ने के समय वो लोग लंड मेरी गांड से निकालकर मेरे मुँह में दे देते और मुँह चोदने के बाद मुझे वीर्य पिला देते.
इस सबमें दोपहर के दो बज गए थे.
हम सबने खाना खाया, मैं आराम करने चली गयी.
रात को मैंने स्वादिष्ट खाना बनाया, सब जल्दी सो गए.
दूसरे दिन सुबह 5 बजे सब पति लोग दुकान चले गए.
चौधरी जी और मदन जी मामा भांजे हैं, जब उनमें से किसी परिवार में उत्सव होता, तब दोनों साथ गांव जाते.
उनके जाने के बाद हमारी सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम होने लगता था.
हमारा फल और सब्जी का व्यवसाय अच्छा चल रहा है. फल सब्जी की दुकान से जो मुनाफा होता है, वह हम सातों में बराबर बंटता है.
हम सबके बैंक में काफी पैसा जुड़ गए हैं.
चौधरी जी ने मुझसे शादी करने के बाद अपने गांव में रहने वाले परिवार को बता दिया था कि उन्होंने पुणे में सजनी नाम की लड़की से शादी कर ली है.
वे मुझे तीन चार बार अपने गांव ले गए परन्तु हम होटल में ठहरे.
गांव के घर में औरतों के बीच ज्यादा देर रुकने पर मैं लड़का हूँ, यह मालूम होने का खतरा था.
हम लोग जिस 3 बेडरूम फ्लैट में रहते हैं, वह खरीद लिया है. उसी बिल्डिंग में एक बेडरूम का फ्लैट भाड़े पर ले लिया है.
जब किसी की बीवी पुणे आती है, तब वह रात को अपने पति के साथ उसी फ्लैट में सोती है.
दिन में वह मेरे साथ रहती है.
इससे हम लोगों का रात का कार्यक्रम में कोई अड़चन नहीं होती.
ऐसे ही पन्द्रह साल बीत गए, मेरा बदन भर गया है.
छहों पतियों के दबाने और चूसने से मेरे स्तन और बड़े हो गए हैं.
हम एक सुखी परिवार की तरह रह रहे है. मैं बारी बारी रात को अपने 6 पतियों के साथ सोती हूँ.
उनका वीर्य अपने चेहरे पर फेशियल के समान लगा कर कुछ देर रखती हूँ, फिर धो लेती हूँ.
कभी कभी पूरे बदन पर भी वीर्य लगा लेती हूँ.
इससे मेरी त्वचा और सुन्दर हो गयी है.
चौधरी जी मेरा ज्यादा ही ख्याल रखते हैं, मैं उनकी एकमात्र कानूनी बीवी हूँ, बाक़ी लोगों की असली बीवी उनके गांव में रहती है.
मेरा लंड उपयोग में न आने के कारण सिकुड़कर छोटा हो गया है, खड़ा ही नहीं होता है.
जब अच्छी चुदाई होती है, बिना लंड खड़ा होकर झड़ जाती हूँ. मैं भूल चुकी हूँ कि मैं लड़का हूँ. मैं मन ही मन खुद को स्त्री मानती हूँ.
हम लोगों का रोल प्ले का खेल चालू है. मैं हर प्रान्त की महिला का भेष धरती हूँ, उसके जैसी ड्रेस पहनती हूँ, उनके समान आभूषण और मेकअप करती हूँ.
सभी पति दुकान से वापस आकर मुझे नए रूप में देखकर खुश हो जाते हैं.
उस रात खाना भी उसी प्रान्त के समान बनाती हूँ.
जिस पति को मेरा यह नया रूप पसंद आता है, वह फरमाइश करता है कि जब उसकी बारी हो, मैं इस रूप में उसके साथ रात बिताऊं.
हम लोग सातों का जन्मदिन और शादी का दिन मनाते हैं.
शादी का दिन साल में तीन बार होता है.
एक जब मेरी मदन जी के साथ शादी हुई, एक बार जब मेरी विक्रम, सुनील, अनिल, मोहन के साथ शादी वाला दिन और जब मेरी चौधरी जी के साथ शादी हुई.
हम सब मिलकर कुछ गरीब पढ़ाई में अच्छे लड़के लड़कियों का कॉलेज में पढ़ने का खर्चा देते हैं.
हर महीने उनको घर पर खाने पर बुलाते हैं.
कुछ बच्चे अच्छी नौकरी कर रहे हैं, वो हमसे मिलने आते हैं.
ये बच्चे हम लोगों का, विशेषकर मेरे और चौधरी जी के बुढ़ापे का सहारा बनाने वाले हैं.
बाक़ी पतियों के अपने बच्चे हैं.
हम लोग जिस डॉक्टर से बीमारी के समय इलाज कराते हैं, उसका खुद का हस्पताल है. डॉक्टर हमारे भरोसे का है. उसे पता है कि मैं लड़का हूँ.
बीच बीच में एक बात की चर्चा होती है कि यदि किसी बड़ी बीमारी के कारण से मुझे हस्पताल में भर्ती होना पड़ा, वहां मैं लड़का हूँ, यह मालूम होने का खतरा है. अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ है, पर आगे भी ऐसा न हो, इसके लिए मैं दुआ करती हूँ.
मेरा सपना है कि मैं किसी स्त्री के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा लूं.
उसके लिए मेरे शरीर पर चूत होना जरूरी है.
जब मेरे किसी पति की असली बीवी गांव से पुणे आती है, वह मुझे औरत ही समझती है.
दिन के समय वह मेरे साथ रहती है. उसके साथ सेक्स की चर्चा होती है.
मैं अपने पतियों से इस बात कई बार चर्चा कर चुकी हूँ कि मुझे ऑपरेशन करके लिंग परिवर्तन करके लड़की बन जाना चाहिए पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.
पाठक, पाठिकाएं अपनी राय बताएं.
मैं अपने जीवन से सुखी और संतुष्ट हूँ. आपको मेरी ये गे सेक्स कहानी कैसी लगी, मेल पर जरूर बताएं.
[email protected]