चूत वाली चुद गई अपने भाई के सामने नंगी होकर! मेरे लिए लंड का इंतजाम भी मेरे छोटे भाई ने ही किया था. उसे अपनी आपा की जरूरत का पता था कि बहना को लंड चाहिए.
यह कहानी सुनें.
मेरा नाम नाज़िया ख़ान है. मेरी उम्र 37 साल है.
मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, मेरे शौहर क़तर में जॉब करते हैं.
हम दोनों का एक बेटा है.
ससुराल वालों से मेरी बनती नहीं है और अपने मां बाप के घर में ही रहती हूँ.
मायके में अम्मी अब्बू, दो भाई और एक भाभी है जो बहुत अच्छे हैं, नहीं तो आजकल कहां मां-बाप शादीशुदा बेटियों को अपने यहां रखते हैं!
मेरे शौहर आखिरी बार भारत 3 साल पहले आए थे.
तब से अब तक मैं चूत वाली उनका इंतज़ार ही कर रही हूँ. मेरी चूत मेरे शौहर के लंड का इन्तजार कर रही है.
इसी बात पर अक्सर मुझमें और मेरे शौहर में फोन पर काफ़ी झगड़ा होता रहता है.
इस बार बात कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ गई.
और मेरे अब्बू ने मेरे शौहर नावेद से बोल दिया कि देखो नावेद या तो तुम हिन्दुस्थान आ जाओ या फिर नाज़िया और अपने बेटे को क़तर ले जाओ. दोनों में से एक काम करो, नहीं तो हमारी बेटी को तलाक़ दे दो.
अब्बू की इस बात पर नावेद भड़क गए और उन्हें ये कह कर फोन काट दिया- ठीक है … आप लोग यही चाह रहे हो तो मैं नाज़िया को तलाक़ दे दूंगा.
यह सुनकर मेरी आखों में आंसू आ गए और मैं अपने कमरे में आ गई.
थोड़ी देर बाद मेरा भाई आशु कमरे में आ गया.
उसका नाम आसिफ है, हम उसे आशु बुलाते हैं.
मुझे रोते हुए देख कर आशु बोला- आपा, आप क्यों रो रही हो? रोएगा तो वह … आपको एक से एक अच्छे लड़के मिल जाएंगे.
पता नहीं क्यों … उसकी ये बात सुनकर मुझे रोते में ही हंसी आ गई.
जब मैं हंसी तो आशु बोला- क्या हुआ आपा … क्यों हंस रही हो?
मैंने कहा- ऐसे ही … कुछ नहीं.
फिर उसे अम्मी ने आवाज़ लगा दी. उन्हें आशु से कुछ सामान मंगाना था.
आशु के जाने के बाद पता नहीं क्यों, मुझे ऐसा लगा कि कह तो ये सही रहा है. ये ही सोचते हुए मैं उठी और मैंने अपने चेहरे और भरे हुए बदन को शीशे में देखा.
पता नहीं मुझे खुद से ये लगा कि आशु सही बोल रहा था. मैं हूँ तो हॉट माल.
अब दोस्तो, इस कहानी को पढ़ कर आपको ये आपको तय करना है कि मैं हॉट हूँ या नहीं.
मेरी फिगर में मेरे बूब्स का साइज़ 36डी है और एकदम किसी सख्त आम के आकार के हैं.
मेरे दोनों मम्मों पर भूरे रंग के अंगूर जैसे निपल्स इनकी सुंदरता को चार चाँद लगा देते हैं.
मेरी कमर 32 इंच है और पिछाड़ी 40 की है.
मतलब मेरी फिगर 36डी-32-40 की है जो मुझे बेहद दिलकश बनाती है.
अब वाकिया कुछ यूं हुआ कि मेरे अब्बू की सारी फैमिली को खाला की बेटी की शादी में बिहार में सिवान जाना था.
मेरा जाने का जरा भी मन नहीं था.
पर सबने बोला कि यहां अकेली घर पर क्या करेगी. इसी वजह से मैं भी सबके साथ वहां पहुंच गई.
उधर शादी का माहौल था; सब किसी ना किसी काम में बिज़ी थे.
मैंने नोटिस किया कि वहां एक लड़का था, जो किसी ना किसी काम से बार बार घर में आ जा रहा था.
वह लड़का पतला दुबला 24 या 25 की उम्र का होगा. वह मुझे घूर घूर कर देख रहा था.
पहले तो मैंने सोचा शायद मुझे ही ऐसा लग रहा है. पर जब मैंने गौर किया तो वह मुझे ही देख रहा था.
मुझे पता नहीं क्यों … उसकी इस बात पर गुस्सा आ गया और मैं हॉल से उठ कर कमरे में आ गयी.
अगले दिन वही लड़का मेरे भाई आशु के साथ खड़ा था और कुछ बात कर रहा था.
जब उसने मुझे देखा तो उसने आशु से कुछ बोला.
आशु ने मेरी तरफ देखा.
फिर वह दोनों बाहर चले गए.
जब आशु लौट कर आया तो मैंने उससे पूछा- तू जिस लड़के से बात कर रहा था, वह कौन है?
तो आशु बोला- वह टेंट और खाने आदि का सारा काम देख रहा है … और अंकित नाम है उसका! क्यों आपा आपको बात करनी है उससे?
यह सुनते ही मैंने आशु से कहा- पागल है … तू कुछ भी बोल देता है. मुझे उससे क्यों बात करनी होगी?
उसने पूछा- फिर क्यों पूछ रही हो आप?
मैंने उससे कहा- वह अंकित तुमसे मेरे बारे में कुछ पूछ रहा था क्या?
आशु बोला- नहीं तो, क्यों?
मैं चुप हो गई.
वह बाहर चला गया.
मैं अपने शौहर को लेकर वैसे ही परेशान थी.
अब ये सोच कर टेंशन होने लगी कि पता नहीं, ये अंकित क्या पूछ रहा था.
फिर मैंने सोचा कि भाड़ में जाए.
मैं भी शादी में बिज़ी हो गई.
शादी के अगले दिन अंकित आशु के साथ खड़ा था और उससे कुछ बात कर रहा था.
मैं छत पर खड़ी थी.
वह बार बार मेरी तरफ को देख कर आशु से बात कर रहा था.
आशु भी मुझे देख रहा था.
मैंने सोच लिया कि बस इस बार आशु अन्दर आ जाए, फिर पूछती हूँ इससे कि आख़िर बात क्या है?
कुछ देर बाद जब आशु अन्दर आया तो मैंने उससे कहा- देख गुस्सा मत दिलाना. बस तू ये बता दे कि वह मेरे बारे में तुझसे क्या पूछ रहा था?
इस पर आशु बोला- बताने का कोई फायदा नहीं है आपको!
मैंने पूछा- क्यों?
आशु बोला- आपको कौन सी उससे कुछ बात करनी है?
इस पर मैंने उससे पूछा- अच्छा तू बता तो सही, क्या पूछ रहा था?
आशु बोला- वो आपके बारे में पूछ रहा था कि नाम क्या है, कहां से आई है?
मैंने कहा- और तूने सब बता दिया?
आशु बोला- हां.
फिर मैंने आशु से कहा- तुझे शर्म नहीं आई अपनी बहन के बारे में किसी को बताते हुए?
इस पर आशु बोला- आपा, वह कुछ गंदा थोड़ी पूछ रहा था. फिर मैंने उसे ये थोड़ी बताया है कि आप मेरी बहन हो?
उसकी इस बात पर मैं चुप हो गई.
तभी खालू आ गए और उन्होंने बताया कि हम लोगों की परसों की वापिसी की टिकट हो गई हैं.
आशु टिकट देख रहा था.
मैंने उससे टिकट देखने को मांगे.
तो वह टिकट देते हुए मुझसे हल्के से बोला- आपा परसों तो चले ही जाएंगे. अगर उससे मिलकर बात करना चाहो, तो कर लो!
ये सुन कर दिल तो आया कि दो थप्पड़ धर दूँ आशु के गाल पर … पर सब वहीं थे, इसलिए मैं कुछ नहीं बोली.
उसी शाम को सब बातें कर रहे थे, मैं बोर हो रही थी. मैंने सोचा छत पर टहल लेती हूँ.
मैं टहल रही थी तभी मैंने नीचे झांका तो वह लड़का अंकित वहां नीचे खड़ा था.
मैं झट से पीछे को हो गयी.
कुछ देर बाद फिर झांका तो वह वहीं खड़ा था.
मेरा दिमाग़ खराब हो गया.
अब मैंने उसके बारे में सोचना शुरू किया.
पतला सा एकदम सांवला सा था. उसने लोवर और टी-शर्ट पहन रखी थी.
पता नहीं मेरे दिमाग़ में क्या आया, मैंने उसे आवाज दे दी- ओ भाई, तुझे कोई परेशानी है क्या … बोल?
वह चुप रहा पर वहां से हटा नहीं.
मैंने कुछ देर बाद फिर उससे यही पूछा.
कुछ देर रुक कर वह बोला- आपसे बात करनी है.
उसके बोलने के तरीके से वह एकदम जाहिल लग रहा था.
मैंने पूछा- हां बोलो, क्या बात करनी है?
उसने मुझसे कहा- दो मिनट के लिए पीछे वाली गली में आ जाओ.
उसकी ये बात सुनकर दिल तो हुआ कि ऊपर से ही कुछ फेंक कर उसे मार दूँ.
मैंने उससे कहा- रुक, आती हूँ 5 मिनट में.
वह तो एकदम खुश हो गया.
मैं जल्दी से नीचे आई.
मैंने आशु को बुलाया और उससे कहा- तू ज़रा मेरे साथ आ.
आशु मेरा चेहरा देख कर समझ गया.
मैंने गुस्से में सोच लिया था कि जाते ही कूट कर रख दूँगी.
जब हम दोनों वहां पहुंचे तो वह खड़ा था.
मैंने जाते ही उससे घुड़की देने के अंदाज में पूछा- हां अब बोल, क्या बोलना है तुझे?
अभी मैंने उससे इतना ही कहा था कि वह बोला- आपके फायदे की ही बात!
मैंने पूछा- अच्छा … जरा बताना तो मेरे फायदे की बात?
उसके बाद जैसे ही उसने कहा कि ‘आपको खुश कर दूंगा मैडम!’ मेरा दिमाग़ खराब हो गया.
मैंने जैसे ही मारने को अपना हाथ उठाया, वह पीछे को हट गया.
उसने पीछे हट कर जो हरकत की, मैं सन्न रह गई.
आशु भी वहीं था पर वह भी चुपचाप खड़ा था.
वह लड़का पीछे को हटा और उसने अपना लोवर नीचे करके अपना एकदम काला और लंबा लंड निकाल कर दिखा दिया.
वो अपना हथियार हिलाते हुए बोला- मेरी जान, अभी तो ये सो रहा है … खड़ा होकर 8.5 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा हो जाता है. अगर ले लोगी तो मज़ा आ जाएगा. अगर लेना हो तो मेरे दोस्त आशु को बता देना.
बस वह ये बोल कर भाग गया.
मुझे काटो तो खून नहीं … मैं सन्न रह गई. मेरी चूत में सनसनाहट सी उत्पन्न हो गयी उसका लंड देख के!
फिर आशु मुझसे बोला- अब चलो आपा, आप पहले बोल देतीं कि इससे मिलने लेकर साथ लाई हो मुझे … तो मैं आपको पहले ही मना कर देता.
मैं बिना कोई जवाब दिए वहां से आशु के साथ वापस आ गई.
वहां से आने के बाद बार बार मुझे वही सीन याद आ रहा था. मैं चूत वाली लंड के लिए मचलने लगी.
रात हो गई, सब सोने की तैयारी कर रहे थे.
मैंने आशु को बुलाया और उससे पूछा- ये लड़का कुछ उल्टा सीधा भी पूछता था मेरे बारे में?
इस पर आशु मुझसे बोला- आपा, क्यों फालतू की बातें पूछ रही हो आप? आपको अगर उससे मिलकर बात करनी है, तो कर लो. पास में ही उसके टेंट हाउस का गोदाम है. अगर मिलना हो तो बता देना, मैं छोड़ आऊंगा.
इतना कह कर वह सोने चला गया.
उसके जाने के बाद मैंने महसूस किया मेरे बूब्स एकदम टाइट हो गए थे और चूत से हल्का हल्का सा रस निकल रहा था.
सारी रात मैं यही सोचती रही कि ये करना ठीक होगा या ग़लत.
दिल और जिस्म कह रहा था ‘चुदवा ले चूत वाली!’
3 साल से भी ज्यादा हो गए थे चुदवाए हुए.
यही सोचते सोचते मैं सो गई.
सुबह उठकर कपड़े चेंज किए, नाश्ता किया.
अगले दिन शाम 5 बजे की ट्रेन थी.
मैंने हिम्मत करके आशु को बुलाया और उससे पूछा- ये लड़का ठीक तो …
मैंने बस इतना ही बोला था कि आशु बोला- आपा आप टेंशन ना लो, वह जाहिल टाइप का है, पर अच्छा लड़का है. उसका गोदाम भी सेफ है. लड़का पतला दुबला ज़रूर है, पर मजबूत है.
आशु की ये बातें सुनकर मुझे शर्म आ गयी.
मैंने आशु से कहा- मुझे क्या उसकी मजबूती का अचार डालना है. बातें ही करनी हैं बस. तू उससे बात कर ले.
उसके बाद आशु चला गया और आधे घंटे बाद आकर बोला- उसने 11 बजे बुलाया है.
मैं तो तैयार थी.
ठीक 11 बजते ही मैंने बुर्का हिजाब पहना और अम्मी से कहा- मैं मामी से मिलकर आती हूँ. आशु के साथ जा रही हूँ.
जब हम दोनों उसके गोदाम पर पहुंचे तो वहां काफ़ी लोग बैठे थे.
आशु ने उसे फोन लगाया और बात की.
उसके बाद आशु बोला- उसके पापा आ गए हैं. थोड़ी दूर उसका घर है. वहां छत पर मिलना है तो आ जाओ. वह ऐसा बोल रहा है.
इस पर मैं बोली- रहने दे, गाड़ी वापिस ले ले.
पर आशु बोला- एक बार चल कर देख लो, ठीक लगेगा तो बातें कर लेना. नहीं तो वापस आ जाएंगे.
मैंने कुछ नहीं कहा.
आशु ने गाड़ी आगे बढ़ा दी.
जब उसके घर पहुंचे, तो मैंने देखा कि गेट में ताला लगा था.
पर वह वहां ही खड़ा था.
हमें देख कर अंकित पास आया.
उसने आशु से बोला- पतली वाली गली में आ जा!
जब हम वहां पहुंचे तब उसने बताया कि टाइम ही साला खराब है. गोदाम में पापा हैं. मम्मी नानी के यहां गई हैं, चाबी पापा के पास रख गई हैं.
इस पर आशु ने कहा- फिर यार अंकित, तू बात कहां करेगा इनसे?
इस पर वह बोला- तू टेंशन ना ले, इस जीने की चाबी है मेरे पास. उधर पर दोनों भाई छत पर चोदेंगे इसे!
इस बात पर मुझे इतनी शर्म आई कि मैंने नजरें झुका लीं.
फिर उसने लॉक खोला.
हम तीनों छत पर आ गए.
छत पर आते ही उसने मुझे बांहों में भर लिया.
ये देखते ही आशु बोला- चल ठीक है, मैं बाहर हूँ ओके … मुझे बुला लेना.
अंकित ने कहा- हां ठीक है. देख कर उतरना.
आशु गया तो उसने मेरा नकाब हटाया और मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए था.
पतला दुबला जरूर था पर उसकी पकड़ बहुत टाइट थी.
अभी हम एक दूसरे को स्मूच ही कर रहे थे कि आशु फिर से आ गया.
मैं आशु को देखते ही उससे अलग हो गई
आशु उसे जीने की ओर बुला कर कुछ दिखाने लगा.
फिर वे दोनों वहीं आ गए.
अंकित आशु से बोला- यार, ये सब नशेड़ी हैं. इनमें से एक मेरे चाचा का लड़का है. तू नीचे जाएगा तो हंगामा हो जाएगा. इसलिए तू यहीं रुक जा.
वह ये कह कर फिर से मुझसे चिपक गया और स्मूच करने लगा.
मुझे शर्म आ रही थी.
आशु थोड़ी दूर जाकर खड़ा हो गया.
उसके स्मूच करने से मैं भी गर्म हो गई थी.
मैंने सोचा कि आशु खुद मुझे यहां लाया है. क्या उसे पता नहीं होगा कि ये चोदेगा?
मुझे यही सोच कर शर्म आ गयी.
बाद में मैंने अपनी जिस्म की आग पर ध्यान लगाया और सोचा शर्म जाए भाड़ में.
बस मैंने अंकित के लोवर में हाथ डाल कर उसका लंड पकड़ लिया.
उफ़ … सारे बदन में करेंट दौड़ गया.
जैसे ही मैंने उसका लंड पकड़ा, वह बोला- साली रंडी धीरे धीरे खुल रही है.
उसकी इस बात पर मैंने कहा- धीमे बोलो साले … कोई सुन लेगा!
इस पर अंकित बोला- मेरी जान 4 मंज़िल की छत पर हैं अपुन दोनों … कोई नहीं सुनेगा. खुल कर बोल और मज़े दे मेरी रंडी.
अब मैं क्या बोलती उससे कि मैं आशु की वजह से बोल रही थी कि ‘धीमे बोल’ और ये मरदूद आशु को मेरा भाई समझ ही नहीं रहा था.
उसने पहले मेरा बुर्का उतारा, फिर मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे पूरी नंगी कर दिया.
फिर वह मेरे एक दूध को चूस रहा था और दूसरे को अपने हाथ से मसल रहा था.
वह मेरे मम्मों को इतनी ज़ोर से चूस और दबा रहा था कि मेरी आह निकली जा रही थी ‘उफ़फ्फ़ हाय अम्मी मर गयी प्लीज़ अंकित आराम से … उफ्फ़ आआहह मेरे बूब्स … उहह.’
मैंने आशु की तरफ देखा तो वह हमें ही तिरछी नज़र से देख रहा था.
ये देख कर मेरी शर्म बिल्कुल ख़त्म हो गई.
अब तो बस मैंने अंकित से खुल कर मजा लेना शुरू कर दिया ‘चूस ना हरामी ज़ोर ज़ोर से … आह कितना मजा आ रहा है!’
इस पर अंकित और ज़ोर से बोला- हां भैनचोद मेरी रंडी … ले कुतिया चूत वाली!
‘उफ्फ़ अहह अंकित … उहह मर गई मैं बहनचोद साले हट … मुझे लंड चूसने दे भोसड़ी के.’
मैं नंगी ही घुटने के बल बैठी और उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.
‘उहह अहह आईईई …’
कोई 5 मिनट तक उसका लंड चूसा तो वह ऐसा हो गया, जैसे घोड़े का लंड होता है.
उसके बाद उसने मुझे पलंग पर लिटा दिया और मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी.
‘उफ्फ़ अहह अंकित भोसड़ी के … अब लंड पेल दे मेरी चूत में … आह मर गई मां … तेरा लंड कितना सेक्सी है!’
अंकित ने अपने लौड़े का टोपा मेरी चूत की फाँकों पर रख कर धक्का दे मारा.
मेरी चीख निकल गई- हाय मर गई!
अंकित बोला- क्या हुआ जान?
मैंने बोला- आह भोसड़ी के अब डाल ना पूरा … फाड़ मेरी चूत को मादरचोद.
उसने फिर से झटका मारा.
मेरी तो जान ही निकल गई.
पूरी छत पर मेरी सिसकारियों की आवाज फैल रही थी.
‘उहह उऊं मैं मर गई.’
उसके बाद तीसरे धक्के में मेरी चूत उसका पूरा लंड खा गई.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं पहली बार चुद रही हूँ.
फॅट फॅट की आवाज करते हुए लगते उसके धक्के और कंठ से निकलती गालियां ‘उफ्फ़ चोद मादरचोद फाड़ मेरी चूत को … उफ्फ़ आअहह उफ्फ़ आआहह …’
चुदाई चलती रही और कुछ ही देर में मैं झड़ गयी थी.
मेरे 5 मिनट बाद वह भी मेरी चूत में ही झड़ गया.
इसी तरह उसने मुझ एक बार और चोदा.
जब वह मुझे दूसरी बार चोद रहा था, वह छत पर लेटा था और मैं उसके लंड पर बैठ कर ज़ोर जोर से झटके लगा रही थी.
उसी समय आशु के फोन पर अम्मी का फोन आ गया.
आशु ने फोन मुझे पकड़ा दिया.
मैंने अम्मी से कहा- हां अम्मी, 20 मिनट में आती हूँ.
जब मैं अम्मी से बात कर रही थी, तब भी मैं अंकित के लंड पर ही बैठी हुई थी. आशु भी पास में खड़ा होकर मेरे नंगे बदन और मेरे झूलते हुए बूब्स को घूर रहा था.
अम्मी का फोन काट कर मैंने मोबाइल आशु को दे दिया और फिर से झटके मारने शुरू कर दिए.
मेरी कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- उहह आह उह!
उसके बाद हम दोनों ही झड़ गए.
मैंने उठकर कपड़े पहने, बुर्का, हिजाब सेट किया और आशु के साथ नीचे उतर आई.
हम दोनों घर वापस आ गए.
उसके बाद अगले दिन ट्रेन से हम अपने घर आ गए.
यारो, यह सेक्स कहानी सन 2017 की है. थोड़ी लंबी हो गई है, पर एक एक बात सच लिखी गई है.
अगर आपको अच्छी लगी हो, तो प्लीज़ मुझे मेल से और कमेंट से ज़रूर बताएं कि आपका क्या विचार है.
मुझे आपका प्रोत्साहन मिला, तो आपकी नाज़िया आपके साथ अपनी आगे की चुदाई का सफ़र साझा करेगी.
सभी मोटे ओर काले लंबे लौड़ों को बाइ बाइ … फिर मिलूँगी.
आपकी अपनी चूत वाली
नाज़िया ख़ान
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