यह भाई बहन की चुदाई हिंदी में है. बहन अपने चचेरे भाई के प्यार में डूब रही थी और उसकी सहेली की चूत भी मचल रही थी। ये सब कैसे हुआ, स्टोरी में पढ़ें।
यह कहानी सुनकर आनन्द लें.
दोस्तो, मैं मोना हूं।
भाई बहन की चुदाई हिंदी में कहानी का अगला भाग शुरू करने से पहले बता दूं कि आपने पिछले भाग
बहन की सहेली को चोदने की ललक
में देखा कि मेरा कज़िन अनिल मेरी चूत और गांड चोद चुका था।
फिर मेरी सहेली रिया मेरे घर आ गयी।
वो भी अनिल से चुदना चाहती थी लेकिन मैं ये बर्दाश्त नहीं कर सकती थी क्योंकि मैं अनिल से प्यार करने लगी थी।
इसलिए मैंने रिया को मना कर दिया।
उसके बाद की भाई बहन की चुदाई हिंदी में:
दोस्तो, मैं अनिल और मैंने आपको पिछले भाग में बताया कि मैं रिया को छोड़ने उसके घर गया।
वहां पर मैंने रिया की पैंटी को सूंघकर मुठ मारी और वीर्य उसकी पैंटी में ही छोड़ दिया।
फिर मैं वहां से आ गया।
अब उसके आगे की कहानी मैं बता रही हूं मोना:
अनिल के घर आने तक रात हो चुकी थी। खाना भी तैयार था। पूरे परिवार ने रात का खाना खाया और हॉल में बैठकर बातें करने लगे।
मेरे पापा ने बताया कि अनिल और उनकी फैमिली कल भी रुकेंगे क्योंकि अनिल के पापा को यहाँ कोई ज़मीन देखनी थी और अगले दिन संडे भी था।
सब बहुत थके हुए थे। कुछ देर बातें करके सब सोने चले गए।
अनिल ये बोल कर कि उसको नींद नही आ रही, उसे मूवी देखनी है, वो मेरे कमरे में आ गया।
मैं कपड़े बदलने के लिए बाथरूम जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और बोला- जान कपड़े बदलने के लिए बाथरूम जाने की क्या जरूरत है, यहीं बदल लो ना … और वैसे बदलने ही क्यूं हैं जब पूरी रात नंगी ही रहना है?
ये बोलकर वो मेरे कान को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा और अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को सहला रहा था।
फिर वो मेरी गर्दन और होंठों पर अपनी जीभ चलाने लगा।
मैं गर्म हो गयी।
मैंने कहा- अनिल थोड़ा सब्र करो, वो लोग सो जाएं … फिर कुछ भी कर लेना।
मगर वो माना नहीं तो मैंने कहा- कम से कम मूवी तो चला लो? अगर बाहर कोई उठे तो शक ना हो।
तो उसने ऐसे ही कोई फ़िल्म चला दी और मुझे चूमते हुए मुझे नंगी करने लगा।
मुझे पूरी नंगी करके वो मुझे बड़े आईने के सामने बाथरूम में ले गया और खुद भी नंगा होकर बोला- आईने में देखो … मैं तुम्हें कैसे प्यार करता हूं।
अनिल मेरे हाथ ऊपर करके मेरी बगलों पर जीभ से चाटने लगा।
फिर एक झटके से उसने मेरे बूब्स अपनी हथेलियों में खींचकर, जैसे गाय का दूध निकालते हैं, पकड़ लिए और दोनों को बारी बारी काटने और चूसने लगा।
मेरे बूब्स चूसते हुए वो बोला- देख कुतिया आईने में अपने आपको … मैं तेरे साथ क्या कर रहा हूं।
मैं सिसकार रही थी- उफ्फ … उम्म … आह्ह … अनिल!
मेरी चूत बहने लगी थी।
उसका पूरा खड़ा लण्ड मेरी चूत के पास था।
मैंने उसको पकड़ना चाहा तो उसने मेरी एक चूची पर चांटा मारा और बोला- बहुत जल्दी है लण्ड लेने की तुझे? ये इतनी जल्दी नहीं मिलेगा क्योंकि शाम से ये तेरी चूत के लिए तड़प रहा है और तू उस रिया रण्डी को बुलाकर बैठ गयी।
मुझे उसके चांटे से दर्द तो बहुत हुआ मगर वो जहां चांटा लगा था वहां चाटने लगा।
फिर धीरे धीरे वो मेरी कमर और पेट पर चूमने लगा; चूमते चूमते उसने अपनी जीभ मेरी नाभि में घुसा दी।
मेरी चूत से पानी निकल कर टांगों से होता हुआ मेरे पैर तक आ गया था।
फिर मेरी चूत को एक हाथ से छूकर बोला- देख … ये तो रो रही है लण्ड के लिये।
मैंने कहा- हां भइया … डाल दो ना … क्यों तड़पा रहे हो!
उसने कसकर मेरे बाल पकड़ कर कहा- नहीं … तड़पने दे साली को!
तभी उसने मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल दी।
मैंने उसकी जीभ को चूसा।
वो अचानक मेरे पैरों में बैठ गया और मेरी टांगों से मेरी चूत का रस नीचे से ऊपर तक चाटने लगा।
मैं ये सब आईने में देख रही थी।
उसको मेरे नंगे बदन से खेलते हुए देखना मुझे बहुत कामुक लग रहा था।
मैं अपनी पाठिकाओं से अनुरोध करूँगी कि एक बार बड़े आइने के सामने जरूर चुदवा कर देखना।
जब लण्ड हमारी चूत के अंदर बाहर होता है और हम उसको देख रहे होते हैं तो चुदवाने का मज़ा दोगुना हो जाता है।
फिर अनिल ने कमरे से बेबी ऑयल लाकर अपनी बीच वाली उंगली उसमें डालकर मुझे बोला- कुतिया … गांड फैलाकर थोड़ी झुक जा!
मैं आईने के सामने टेढ़ी खड़ी थी और उसका चेहरा आईने के सामने और लण्ड मेरी कमर के पास था।
मेरे आगे झुकते ही उसने पूरी उंगली मेरी गांड में घुसा दी।
इससे मैं चिहुंक उठी और इतने में उसने मेरे पीछे आकर दूसरे हाथ की दो उंगलियां मेरी चूत में एक झटके से डाल कर बहुत तेज़ी से आगे पीछे करने लगा।
साथ में कभी कभी वो मेरी चूत के दाने को अंगूठे से रगड़ रहा था।
मेरे से ज्यादा देर ऐसे खड़ा नहीं रहा गया तो मैंने उससे कहा- मैं खड़ी नहीं हो पा रही हूं।
फिर उसने मुझे नीचे बिठा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।
मैं उसकी बॉल्स पकड़कर लण्ड चूसने लगी।
साथ में मैं अपनी दोनों चूचियों को मसल रही थी।
मेरी चूत की हालत खराब थी।
कुछ देर मेरे से लण्ड चुसवाकर मुझे वहीं बाथरूम में घोड़ी बनाकर बोला- अपनी गांड अच्छे से खोल!
मैंने कमर को पूरा झुकाकर गांड ऊपर उठा दी जिससे मेरे दोनों चूतड़ पूरे खुल गए।
उसने मेरी चूत के बहते पानी से अपने लण्ड को गीला किया और मेरी गांड के छेद पर उसका टोपा रखकर धीरे धीरे सारा अंदर डाल दिया, फिर कस कर मेरी गांड की कुटाई करने लगा।
आईने के सामने अपनी गुलाबी गांड में उसका काला लण्ड देखने का मजा ही अलग था।
थोड़ी देर चोदने के बाद उसने एक झटके से लण्ड बाहर निकाला और मुझे बोला- देख तेरी गांड कितनी खुल गयी।
मैंने आईने में देखा, ओह भगवान … मेरी गांड का भुर्ता बना हुआ था। बेचारी पूरी खुलकर अंदर से लाल हुई पड़ी थी।
उसने मेरी गांड में बहुत सारा थूक डाला और पूरा का पूरा लंड अंदर डाल कर पूरा मेरे ऊपर चढ़ गया, जैसे कुत्ता किसी कुतिया पर चढ़ कर चोदता है।
वो मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर कस कसकर मेरी गांड मारने लगा।
जब उसकी बॉल्स मेरी चूत से टकरातीं तो मुझे गुदगुदी होती।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
जब उसका पानी निकलने वाला था तो वो रुक गया।
उसने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे उठा लिया और टॉयलेट के कमोड पर अपनी टांगें खोलकर बैठ गया।
अभी भी उसका लण्ड मेरी गांड में था और मेरी टांगें उसकी टांगों पर!
फिर उसने अपनी टांगें पूरी तरह खोल लीं जिससे मेरी टांगें और चूत भी पूरी खुल गयी।
उसने दो उंगलियां मेरी गीली चूत में डाल दीं और बहुत जोर से अंदर बाहर करने लगा।
वो साथ में चूत का दाना और मेरा पेशाब वाला छेद भी अंगूठे से रगड़ रहा था।
अचानक से मेरा बदन अकड़ गया और मेरी चूत से पेशाब की धार निकल गयी और मेरी चूत ने भी साथ में ही अपना रस छोड़ दिया।
तभी मेरी गांड में उसका लण्ड फूलने लगा और गर्म गर्म पानी की धार से उसने मेरी गांड भर दी।
मेरी सांसें फूल चुकी थीं। इतना मजा मुझे कभी नहीं आया।
ये मेरे लिए नया मज़ा था।
इस तरह से भाई ने बहन की गांड मारी.
कुछ देर हम ऐसे ही बैठे रहे।
धीरे धीरे लण्ड सिकुड़ कर पचक की आवाज़ से बाहर आ गया।
मुझे हंसी आ गयी।
मैंने अनिल की तरफ देखकर कहा- लो हो गया शेर तो ढेर!
अनिल मुझे चूमकर बोला- जान … ये शेर ढेर होने वाला नहीं, इसको थोड़े प्यार की जरूरत है। ये फिर खड़ा हो जायेगा। अगर मन है तो देख लो।
मैंने कहा- ना बाबा ना … अब नहीं।
फिर हमने खुद को साफ़ किया और नंगे आकर एक दूसरे की बांहों में लिपट कर लेट गये और बातें करते रहे।
मैंने अनिल को कहा- तुम कल शाम को चले जाओगे … फिर क्या होगा?
हमने प्लान किया कि हम मिलते रहेंगे किसी ना किसी बहाने से।
फिर हम कपड़े पहन कर अलग अलग कंबल लेकर सो गए क्योंकि सुबह कोई भी आ सकता था।
सुबह 9 बजे मैं उठी।
अनिल अभी भी सो रहा था।
मैंने अनिल को माथे पर चूमा और बाहर आ गयी।
बाहर आते ही अनिल की मम्मी बोली- क्या करते रहे तुम लोग जो इतनी लेट उठे हो?
मैंने कह दिया- ताई जी हम फ़िल्म देख रहे थे। मुझे तो 11 बजे नींद आ गयी थी मगर भइया का पता नहीं वो कितने बजे सोये। अब भी सो रहे हैं।
ताई ने मुझे डांट लगाई- ना तुम लोग टाइम से सोते हो … ना उठते हो और ना टाइम पर खाना पीना!
तभी पापा बोले- भाभी आप बच्चों की फिक्र ना किया करो इतनी। इन्होंने अपनी ही मर्जी करनी होती है। हम भी जब बच्चे थे तो ऐसे ही करते थे। फिर इन पर आजकल की पढ़ाई का इतना बोझ भी रहता है।
मैंने पापा के गले में बांहें डालकर कहा- ताई जी समझीं आप पापा की बात?
ताईजी बोलने लगी- तुम बाप ही बच्चों को बिगाड़ते हो।
फिर वो बोलीं- जाओ मोना, उस शहजादे को उठाकर लाओ, नहीं तो वो सारा दिन सोता रहेगा।
मैं अनिल को उठाने गयी तो उसने नींद में ही मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरे होंठ चूसने लगा।
कमरे का दरवाजा खुला था। मैंने बड़ी मुश्किल से उससे खुद को अलग किया और उसको जगाया।
घर में 12 बजे तक यूं ही चलता रहा।
तब तक पापा और ताऊजी बाहर चले गए।
मम्मी और ताईजी अपने में ही बिजी थे।
मैं और अनिल नहा-धोकर तैयार होकर अपने कमरे में आ गये। मेरा मन उदास था क्योंकि अनिल आज शाम को जाने वाला था।
मैंने अनिल को ये बात बताई तो वो बोला- जान उदास मत हो … तुम सर्दी की छुट्टियों में मेरे घर आ जाना। हम दोंनो कहीं घूमने चलेंगे और खूब चुदाई करेंगे।
उसकी प्लानिंग सुनकर मेरा मन खुश हो गया।
वो बोला- अब आज का सोचो … आज एक बार और चुदाई करने का मन है।
मैंने कहा- भइया … दिन में घर पर तो हो नहीं सकता।
फिर कुछ सोचकर मैंने अनिल को कहा- आप बैठो, मैं अपनी किसी सहेली से बात करके कुछ करती हूं।
फिर मैंने घर के ऊपर वाले कमरे में जाकर रिया को फोन किया तो उसने कहा- मेरे घर आ जाओ। आज मेरे मम्मी पापा की हॉस्पिटल में मीटिंग है, वो शाम तक ही आयेंगे। मगर मेरी एक शर्त है।
मैंने पूछा- क्या शर्त है?
तो उसने कहा कि वो हमारी चुदाई देखना चाहती है और चुदाई के बाद वो मेरे से लेस्बियन वाला प्यार करेगी क्योंकि उसको भी चुदाई करवाये बहुत दिन हो गये थे।
फिर मैंने उसको कहा- ये कैसे हो सकता है?
तो उसने मुझे सारा प्लान बताया।
मैं पहले तो मानी नहीं … मुझे डर था कि अनिल को ये सब पता ना चल जाये। मैं अनिल को खोने से डर रही थी।
मगर मैं अनिल के साथ हर पल भी बिताना चाहती थी इसीलिए मैंने उसको हां बोल दिया।
रिया से मैंने पूछा- ये सब होगा कैसे?
तो उसने कहा कि डरने की कोई बात नहीं, वो सब कर लेगी।
फिर मैं रिया से बात करके मम्मी और ताईजी के पास आकर बैठ गयी।
तभी रिया का फोन आया।
वो बोली- मोना, मेरे घर आ जाओ, कहीं घूमने चलते हैं।
मैंने भी मम्मी के सामने ही कहा- हां रिया, अनिल भी कह रहा था कि बोरिंग लग रहा है, चलो अच्छा है … हम घूमने चलें तो!
फिर मैंने मम्मी से कहा- हम घूमने जा रहे हैं रिया के साथ!
मम्मी बोली- दोपहर का खाना?
मैंने बोल दिया- हम बाहर खा लेंगे।
मैंने अनिल को जाकर कहा- चलो घूमने चलते हैं, तैयार हो जाओ।
उसके बाद मैं खुद भी जाकर तैयार होने लगी।
हम दोनों तैयार होकर रिया के घर चल दिये।
अनिल को मैंने अभी तक कुछ नहीं बताया था।
रिया के घर जाकर हम घूमने का प्लान करने लगे।
तभी रिया के फ़ोन पर किसी का कॉल आया।
रिया ने बात करके मुझे बताया कि उसकी मम्मी कोई फ़ाइल घर भूल गयी है, उसे वो देने जाना होगा और उसको एक घंटा लगेगा वापस आने में।
इसके बाद उसने मुझे इशारे से अपने कमरे में बुलाया और बोली- ये झूठा कॉल था।
वो बोली कि वो एक बार बाहर जाएगी, फिर थोड़ी देर बाद वापस लौट आएगी।
उसने एक कैमरा दिखाया जो दूसरे कमरे में लगी बड़ी टेलीविजन स्क्रीन से कनेक्ट था जिस पर वो मेरा और अनिल का प्यार और चुदाई लाइव देख सकती है।
फिर उसने कहा कि जब हम लोगों की चुदाई ख़त्म हो जाएगी तो वो मुझे कॉल करके बोल देगी कि वो अब आने वाली है। तब अनिल को बहाने से कहीं भेज देना!
मैंने उससे कहा- अपने मतलब के लिए रिया तुमने क्या प्लानिंग बनाई है यार … तू बहुत चालू है।
मुझे ये सब कहीं ना कहीं गलत लग रहा था मगर मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी।
फिर वो कुछ देर में चली गयी।
उसके जाते ही अनिल ने मुझे पकड़कर अपनी गोद में बिठा लिया और बोला- अच्छा है ये शाम तक ना आये।
दोस्तो, कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। आपको ये भाई बहन की चुदाई हिंदी में स्टोरी कैसी लगी? इसके बारे में अपने कमेंट्स और ईमेल में हमें बताते रहें।
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भाई बहन की चुदाई हिंदी में स्टोरी का अगला भाग: चचेरे भाई का लंड देखकर चुद गयी- 5