बहन से शादी की कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी फुफेरी बहन को पसंद करता था. उसकी शादी भी हो गयी थी पर टूट गयी थी. तो कैसे मैंने अपनी उस बहन को मेरे साथ शादी के लिए मनाया और चोदा.
दोस्तो, मैं लकी आपको अपनी बहन मणि के साथ की सेक्स कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
फुफेरी बहन से वासना भरा प्यार
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी बुआ के मर जाने के बाद उनकी लड़की मणि को अमेरिका ले आया था. उसे इधर अपनी गर्ल फ्रेंड्स के सामने जलाने लगा था. जिससे परेशान होकर उसने एक दिन मेरे सामने अपना दुखड़ा रोया.
अब आगे बहन से शादी की कहानी:
मैंने मणि से माफी मांगी और मणि को सारी बात बताई कि कैसे मणि को जलन महसूस करने के लिए मैं उन लड़कियों से सेक्स करता था.
यह भी बताया कि मैं उसके बारे में क्या सोचता था कि उसके पति ने उसके शरीर को भोग लिया है. उसी वजह से मणि में अब कुंवारी लड़कियों जैसी बात नहीं रही. अब उसके शरीर में और किसी रंडी के शरीर में कोई फर्क नहीं रहा.
मैंने मणि को ये भी बताया कि में बचपन से ही उससे कितना प्यार करता था.
मणि मेरी बातें सुनकर और जोर से रोने लगी.
वह बोली- क्या तुम मेरे जिस्म से प्यार करते थे?
मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था.
मणि ने कहा- अब तुम में और मेरे पति में क्या फर्क रह गया?
मैंने मणि से कहा- तुम मुझे माफ़ कर दो. मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं. मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गई है.
मणि बोली- भाई तुम्हें एक शर्त पर माफ़ करूंगी, अगर तुम वायदा करो कि आज के बाद मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाओगे. न ही दूसरी लड़कियों से मिलोगे!
मैंने मणि से कहा- आज के बाद मैं तुम्हारा हूं. किसी दूसरी लड़की की तरफ देखूंगा भी नहीं. आज से तुम ही मेरा सब कुछ हो. आई लव यू मणि.
इतना कह कर मैंने मणि को जोर से गले से लगा लिया.
मणि भी एकदम शान्त हो गई.
फिर थोड़ी देर ऐसे ही गले मिले रहने के बाद जब मैं मणि से अलग हुआ तो वह बोली- मैं तुम्हें वह खुशी नहीं दे सकती. इसलिए तुम किसी अच्छी सी लड़की से शादी कर लो … और ना ही हमारा सेक्स करना जायज है. आखिर हम हैं तो भाई बहन ही!
मैंने मणि को समझाया- अगर मैं तुमसे शादी नहीं करूँगा तो तुमसे दूर हो जाऊंगा. अब मैं तुमसे दूर नहीं रह सकता. फिर तुम्हें भी तो किसी से शादी करनी ही पड़ेगी. अगर वह तुम्हारे पहले पति जैसा निकला तो! इसलिए आज से तुम मेरी हो, मैं तुमसे ही शादी करूंगा.
जब इतना समझने के बाद भी मणि नहीं मानी तो मैंने कहा- अगर तुम मेरी नहीं हुई, तो मैं जिंदा भी नहीं रहना चाहता हूँ.
मैं उठ कर जाने लगा तो मणि ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे होंठों पर किस कर लिया.
वह बोली- आज के बाद तुमने जान देने की बात की तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी. तुम्हारी जान पर अब मेरा हक है.
मणि के मुँह से ये बात सुनकर मेरी खुशी का तो मानो कोई ठिकाना ही नहीं रहा.
मैंने मणि को पकड़ा और उसके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए.
मणि भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
मैं मणि की जीभ को चूसने लगा और उसका सारा थूक चूस चूस कर पी गया.
फिर मणि ने मुझे अलग किया और बोली- मेरा गला सूख जाएगा … अब बस भी करो.
मैंने उसे पानी का गिलास दिया और वह पूरा गिलास एक ही झटके में पी गई.
मैंने मणि से कहा- मुझे भी प्यास लगी है.
मणि शर्माकर हंसी और बोली- तू अभी भी प्यासा है. मेरा तो सारा गला चूस लिया!
मैंने कहा- मुझे अब और प्यास लगी है.
मेरी नजरें उसकी चूचियों पर थीं.
ऐसा करते हुए मणि ने देख लिया और उसका चहरा शर्म से लाल हो गया.
वह बोली- ये सब मेरे ठीक हो जाने के बाद तुम्हारा ही है. अगर अब तुम मेरे करीब आए तो तुम भी बीमार हो जाओगे. ये सब शादी से पहले नहीं. अभी तो तुम मेरे भाई हो. शादी करके जब पति बनोगे, तो सब तुम्हारा ही होगा. बस कुछ दिन का इंतजार कर लो. मैं जल्दी से ठीक हो जाऊं, फिर तुम्हें कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.
कुछ दिन बाद मणि पूरी तरह से स्वस्थ हो गई.
इतने दिनों में मणि ने किस के अलावा मुझे और कुछ छूने नहीं दिया.
अब मेरी प्यास बढ़ चुकी थी.
मैंने जल्दी से शादी का सारा प्रोगाम सैट किया और मणि के साथ शादी कर ली.
शादी के लहंगे में मणि बहुत खूबसूरत लग रही थी. आज उसके चहरे पर मुस्कान अलग ही आनन्द दे रही थी.
बहन से शादी करके जब उसको लेकर मैं घर आया तो मणि अपनी मां को याद करके उदास हो गई.
पर मैं उसे अपनी गोद में उठा कर सुहागरात वाले कमरे में ले गया, उसे पलंग पर बिठा दिया.
मणि एकदम खामोश थी.
मैंने उसका घूँघट उठाया और उसने अपनी आंखें बन्द कर लीं.
तब मैंने उसके गहने निकाल दिए और उसके बाल खोल दिए.
मणि के बाल लंबे थे और उनमें से खुशबू आ रही थी.
अब मैं उसके होंठ चूसने लगा.
होंठ चूसते चूसते उसके सारे कपड़े निकाल दिए.
वह पूरी नंगी हो गई थी.
उसने अपनी आखें बंद कर ली थीं.
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए.
होंठ और जीभ को जी भरकर चूसने के बाद मैंने उसकी चूची पर मुँह रख दिया.
उसकी चूचियां दबा कर और चूस कर लाल कर दीं.
अब मैं और नीचे आया, उसकी नाभि पर आ गया.
उसकी नाभि में थूक डालकर पीने लगा.
उसके मुँह से आवाजें निकल रही थीं पर उसका शरीर कोई हरकत नहीं कर रहा था.
अब मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी.
उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी.
मैंने उसकी चूत चैक करने के लिए अपनी तीन उंगलियां डाल दीं.
मेरी तीनों उंगलियां आराम से अन्दर चली गईं.
अब मुझे अहसास हो गया कि मणि के पति ने इसकी चूत के अन्दर कुछ नहीं छोड़ा. इसकी चूत नहीं भोसड़ा है.
मैं रुक गया तो मणि ने आंखें खोलीं और बोली- क्या हुआ? अब तो मैं तुम्हारी ही हूं, जो करना है कर लो.
मैंने उसकी चूत में उंगलियां डालकर निकालीं तो वह समझ गई.
वह बोली- आज से मैं तुमसे प्यार करती हूँ. जो पहले हुआ, इसमें हम दोनों की कोई ग़लती नहीं है. मेरी सील के अलावा तुम जो कहोगे … मैं वह करूंगी. पर अब मैं इसे पहले जैसी नहीं कर सकती. मैं दूसरों की पत्नियों से ज्यादा प्यार करूंगी, चाहे मुझे अपनी जान ही क्यों ना देनी पड़े.
मणि इतना सब बोलते ही रोने लगी.
मैंने उसे चुप कराया और उसके होंठों को चूसने लगा.
इस पर मणि मेरा साथ पूरे जोश में दे रही थी.
मैंने उसे अपना लंड चूसने को कहा तो वह बिना कुछ बोले लंड चूसने लगी.
लंड को चुसवा चुसवा कर मैंने उसके मुँह में पानी निकाल दिया.
मणि मेरा वीर्य मुँह से थूकने लगी.
पर मैंने उसे पीने को कहा … तो बिना कोई सवाल किए वह सारा वीर्य पी गई.
मणि चुपचाप मेरी सारी बातें मान रही थी.
वह मेरी कितनी बातें मानती है, यह देखने के लिए मैंने उसको अपना पेशाब पीने को कहा.
तो वह अपना मुँह खोल कर बैठ गई पर मैंने उसके मुँह में नहीं मूता.
अब मेरे दिमाग में एक और आइडिया आया.
मैंने मणि को घोड़ी बनने को कहा.
वह घोड़ी बन गई.
मेरी नजर उसकी गांड के छेद पर थी.
शायद उसके पति ने उसकी गांड नहीं चोदी थी.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी.
दर्द होने के बावजूद भी उसके मुँह से आवाज नहीं निकली.
ये देख कर मुझे यकीन हो गया इसकी गांड नहीं चुदी.
अपनी उंगली डाल कर मैं अन्दर बाहर करने लगा.
उंगली निकाल कर जब मैंने उसकी गांड का छेद देखा, तो वह हल्का गुलाबी सा खुल गया था और खुल बंद हो रहा था.
उसकी गांड का छेद देख कर मेरा उसे चाटने का मन करने लगा.
जैसे ही मैंने उसकी गांड चाटने के लिए उसके चूतड़ों को पकड़ कर फैलाया, मणि तुरंत खड़ी हो गई.
मैंने कहा- मुझे तुम्हारी गांड चाटनी और चोदनी है. घोड़ी बन जाओ.
पर मणि खड़ी रही और आंखें बड़ी करके देखने लगी.
मैंने कहा- तुमने ही कहा था मेरी सारी बात मानोगी. अब क्या हुआ?
मणि चुपचाप बाथरूम में चली गई.
मैं बाहर ही उसका इंतजार करने लगा.
थोड़ी देर बाद मणि मेरी पास आई और घोड़ी बनकर बोली- अब जो करना है कर लो.
मैंने पूछा कि अन्दर क्या करने गई थी?
तो वह बोली- मैं अपने पीछे के हिस्से को अच्छे से साफ करके आई हूं. अब तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होगी.
मैंने उसकी गांड को सूंघा तो शायद वह डेटॉल से गांड का छेद साफ करके आई थी.
अब मैं उसकी गांड का छेद चाटने लगा.
क्या मस्त गांड थी.
मैंने उसकी गांड को चाट चाट कर पूरा निचोड़ दिया.
अब मैंने उसे सीधा कर दिया और उसकी चूत चाटने लगा.
उसकी चूत ढीली जरूर थी पर रसीली भी बहुत थी.
चूत चाटने की बाद मैंने उसे लंड चूसने का इशारा किया तो वह लंड चूसने लगी.
उसके बाद मैंने उसे फिर से घोड़ी बनाया और लंड को गांड के छेद पर रख कर पेलने लगा.
पहले तो लंड अन्दर नहीं घुसा था पर काफी मेहनत के बाद एकदम से पूरा लंड उसकी गांड में चला गया.
उसकी चीख निकल गई और वह रोने लगी.
पर उसने लंड बाहर निकालने के लिए नहीं कहा.
मैं जोर जोर से धक्के मार कर अन्दर बाहर करने लगा.
पूरे जोश से मैं उसकी गांड मारने लगा.
मणि की गांड फट गई थी.
इसमें से खून भी निकल आया था.
मैं उसकी गांड को इतनी तेजी से मार रहा था कि उसकी पाद निकलने लगी.
इससे मुझे उस पर दया आ गई और मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया.
उसकी चूत पहले से ही गीली और खुली हुई थी इसलिए उसे कोई दिक्कत नहीं हुई.
थोड़ी देर चूत चोदने के बाद मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया.
इस बीच उसकी चूत की बार पानी छोड़ चुकी थी.
चूत और मेरा पानी निकल कर उसकी जांघों से होकर पलंग पर गिर रहा था.
लंड निकालते ही मणि बेसुध होकर गिर गई.
मैं उसे अपनी बांहों में लेकर उसके होंठ चूसने लगा और हम ऐसे ही चिपक कर सो गए.
सुबह जब मेरी आंख खुली, तो मणि मेरे साथ नहीं थी.
पलंग की चादर पर उसकी गांड का खून लगा पड़ा था. कुछ वीर्य के दाग़ भी दिख रहे थे.
थोड़ी देर में मणि लंगड़ाती हुई मेरे लिए चाय लेकर आई और बोली- चाय पीकर नहा लो.
पर मैंने कहा- चाय से पहले मुझे तुम्हारी गांड चाटनी है!
तो मणि ने गुस्से से कहा- सुबह सुबह कोई ऐसा करता है? नहीं अभी नहीं. अभी मैंने पॉटी की है. मुझे इसे डेटॉल से साफ करना पड़ेगा. तुम बाद में कर लेना.
मैंने मणि से कहा तुमने वायदा किया था कि तुम मेरी सारी बात मानोगी.
मणि चुप हो गई. वह बोली- मैं अभी साफ करके आती हूं.
मैंने उससे कहा- नहीं मुझे ऐसे ही चाटनी है.
मणि ने कहा- नहीं, ऐसे नहीं. तुम बीमार हो जाओगे.
मैंने कहा- तो मैं किसी बाहर वाली की चाट लूँगा. जब मेरी बीबी ही मेरी बात नहीं मानेगी तो आदमी क्या करेगा?
मणि बोली- भूलो मत. बीबी से पहले मैं तुम्हारी दीदी हूँ और एक बहन अपने भाई का ध्यान रखती है.
“अगर तुम मेरी परवाह करती हो, तो मुझे गांड चाटने दो.”
मणि बोली- तुम बहुत जिद्दी हो. लो चाट लो. पता नहीं तुम्हें इस गंदी जगह मुँह मारकर क्या मजा आता है!
इतना बोलकर उसने अपनी सलवार और पैंटी नीचे कर दी और घोड़ी बन गई.
मैंने उसकी गांड को देखा तो वह रात की चुदाई के कारण सूजी हुई थी और उसमें काफी खून लगा हुआ था.
मैंने उसकी गांड को सहलाया और जीभ की नोक से चाटने लगा.
वह बोली- क्या हुआ अन्दर तक चाटो ना!
मैंने उससे सॉरी कहा और उसकी गांड में क्रीम लगा कर उसे कपड़े पहना दिए.
कुछ ही दिनों में उसकी गांड सही हो गई.
अब तो मैं रोज ही उसकी गांड चाटता हूँ. वह भी मेरी सारी बातें मान रही थी.
तो दोस्तो, ये थी मेरी बहन से शादी की कहानी.
आपको कैसी लगी, प्लीज बताएं.
[email protected]