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भतीजी के घर में घमासान- 2

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बुआ के साथ बैड सेक्स रिलेशन बनाये भतीजी के पति ने … और इसमें मदद की खुद भतीजी ने … उसने अपनी बुआ को नंगी करके अपने पति के सामने परोस दिया.

दोस्तो, मैं शालिनी, आपको अपनी भतीजी के पति रोहित से चुदाई की कहानी में पुन: स्वागत करती हूँ.
कहानी के पहले भाग
बुआ भतीजी की वासना
में अब तक आपने पढ़ा था कि हम तीनों सेक्स का मजा लेने लगे थे. मेरी भतीजी मंजू ने अपने पति रोहित के लंड पर कंडोम चढ़ा कर मेरे मुँह में दे दिया था.

अब आगे बैड सेक्स रिलेशन:

मुझे स्ट्राबेरी का टेस्ट मिलने लगा. मैं आराम से उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

थोड़ी देर बाद कंडोम का टेस्ट आना समाप्त हो गया तो मुझे मजा आना खत्म हो गया.
फिर मैंने लंड को अपने मुँह से निकाल दिया और कंडोम भी निकाल दिया.

उसके लंड के सुपारे से प्रीकम निकल रहा था.
मैंने लंड को पकड़ा और उसे अपनी चूचियों पर चढ़ी ब्रा से रगड़ कर पौंछ लिया.
फिर अगले ही पल अपनी ब्रा के बीच में लंड ले लिया.

तभी मंजू ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया.
मैंने रोहित के लंड को दोनों चूचियों के बीच में डालकर दबाया और चूचियों को चुदवाने लगी.

अब मुझे भी मजा आ रहा था.
एक तो उसका कड़क लंड और मेरी मुलायम चूचियों के बीच घर्षण हो रहा था, ऊपर से मुझे नए लंड से चुदने की चुदास मजा दे रही थी.
रोहित ने भी मेरी एक चूची को मसल कर मुझे मजा देना शुरू कर दिया था.

थोड़ी देर बाद मैं उसके लंड को फिर से मुँह में डाल कर चूसने लगी.
इस बार लंड का स्वाद आने लगा था.

उसका लंड काफी बड़ा था, मेरे मुँह में आधा ही जा रहा था लेकिन मुझे मजा भी बहुत आ रहा था.
उसके मूसल लंड से जो प्रीकम निकल रहा था, उसका स्वाद थोड़ा नमकीन था.

रोहित मेरे मुँह को चोदे जा रहा था.
मेरा थूक और लंड का प्रीकम मुँह से निकलकर मेरी चूचियों पर गिर रहा था.
मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी.

इधर मंजू ने मेरी पैंटी उतार दी और मेरी चूत चाटने लगी.

मेरे पूरे शरीर में आग लग गई थी. लग रहा था कि रोहित मुझे जल्द से जल्द चोद दे.
मैं ज्यादा सब्र नहीं कर पाई और रोहित से बोली कि अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.

लेकिन वह पक्का खिलाड़ी था, मेरे मुँह को चोदे जा रहा था.

काफी देर हो गयी, उसके लंड का पानी निकल ही नहीं रहा था.
इतने में उसने मुझे गोद में उठा लिया और दूसरे रूम में ले जाकर बेड पर लिटा दिया.
मंजू भी साथ आ गई.

रोहित मेरी एक चूची को चूसने लगा.
मैंने भी अब शर्म छोड़ दी और उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर घिसने लगी.

रोहित मेरी चूची छोड़ कर अपना लंड मेरी चूत पर सैट करके घुसाने लगा.
वह बार बार अपना लंड का सुपारा घुसाता और निकाल लेता.
मैं परेशान हो गई कि वह अपना पूरा लंड कब घुसाएगा.

इतने में मंजू रोहित की पीठ की तरफ गई और उसने रोहित को धक्का दे दिया जिससे उसका लंड मेरी चूत में घुस गया.
मैं इस हमले के लिए तैयार नहीं थी.
मेरे मुँह से चीख निकल पड़ी और चीख पड़ी- ओ माई … मार दिया.

मेरी भतीजी बोली- क्या हुआ बुआ?
मैं बोली- अरे बड़ा दर्द हो रहा है.

मंजू बोली- बुआ अभी तो आधा लौड़ा ही अन्दर गया है. क्या फूफा जी का लंड नहीं लेती हो?
मैं बोली- वो बात नहीं है … एक तो उनसे रोज होता नहीं है और उस पर उनका इतना मोटा भी नहीं है.
मंजू हंस कर बोली- कोई बात नहीं है … बस अब थोड़ा ही बाकी है.

इतने में रोहित मेरी चूत तेजी से चोदने लगा.
मैं उसके हर धक्के के साथ ही ओह आह करने लगी.

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं रोहित को क्या बोलूं … न लंड निकालने के लिए बोल सकती थी और न तो अन्दर डालने के लिए.

रोहित पूरी मस्ती में धक्के पर धक्का दिए जा रहा था.
मैं बस ‘आह आह ओह ओह …’ कर रही थी.
मुझे इस बैड सेक्स रिलेशन का बिल्कुल भी अफ़सोस नहीं था उस पल!

एकाएक मंजू ने फिर से रोहित को धक्का दे दिया और उसका पूरा लंड मेरी चूत में चला गया.
मैं पुन: दर्द से कराह उठी और मुँह से निकल गया- उई मम्मी रे मर गई … आह आह ओह!

मैं सीत्कार करने लगी.
उसका रोहित पर कुछ असर नहीं पड़ा और वो धक्के पर धक्का देता जा रहा था.

मंजू आगे आ गई और मेरी चूची को दबाने लगी.

थोड़ी देर बाद मुझे चुदाई में मज़ा आने लगा और मैं चूतड़ उछालने लगी.
दस मिनट की धकापेल चुदाई में ही मेरी हालत पस्त हो गई थी.

तभी मैं झड़ गई और रोहित को कसके पकड़ लिया. मैं उसे रोकना चाह रही थी, लेकिन रोहित कहां मानने वाला था.
वो तो मदांध हो गया था और धक्का लगाए जा रहा था.

मैं बोली कि आंह रोहित जरा रुक जाओ.
वह बोला- भाभी अभी तो शुरूआत हुई है. देखती जाओ, मैं तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूंगा. भैया को भूल जाओगी. मैं तो कब से इस दिन का इंतजार कर रहा था.

मंजू बोली कि बुआ आज तुम्हारी सलामती नहीं है. रोहित तुमको मस्त और पस्त दोनों कर देगा.
रोहित बोला कि भाभी आप डॉगी स्टाइल में आ जाइए … और मजा आएगा.

मैं एक दो बार अपने हसबैंड के साथ डॉगी पोजिशन में चुदवा चुकी हूं लेकिन वह जल्दी ही झड़ जाते हैं.
मैंने सोची कि रोहित भी शायद जल्दी झड़ जाएगा.

मैं उसकी बात मानकर डॉगी पोजिशन में आ गई. रोहित ने पीछे से अपना लंड मेरी चूत में सैट किया और घचाक से लंड घुसेड़ दिया.

मेरे मुँह से आह आह ओह निकलने लगी. उसका लंड मुझे ऐसा लग रहा था मानो वो मेरी अंतड़ियों को चोद रहा हो.

मैं अपने आपको आगे करके उसका लंड बाहर निकालना चाह रही थी, लेकिन मंजू मुझे आगे नहीं होने दे रही थी. वह मेरी चूचियों को मसले और चूसे जा रही थी.

पीछे से रोहित भी मेरी कमर पकड़ कर मुझे पीछे को खींच लेता था.
हर बार मैं आगे होने का कोशिश करती और वह हर बार कमर पकड़ कर चोदता जा रहा था.

मैं बस ‘आह आह ओह ओह …’ कर रही थी.
थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने लगा और मैं भी हर धक्के के साथ अब अपनी गांड पीछे करने लगी.

मंजू मेरी एक चूची को चूस रही थी और मैं उसकी चूची से हाथ से मसलने लगी.
वह भी आह ओह आह करने लगी.

कुछ ही देर में मैं फिर से झड़ गई और नीचे गिर पड़ी.
रोहित मुझे फिर से चित्त करके चोदने लगा.

थोड़ी ही देर में उसका लंड एकदम से लोहे जैसा सख्त हो गया और वो मदांध हाथी सा चिंघाड़ता हुआ मेरी चूत में झड़ने लगा. उसका वीर्य मेरी चूत में टपकने लगा. मुझे अपनी चूत में गर्म लावा सा गिरता महसूस होने लगा. वो भी लंड को झटके देते हुए चूत में झड़ने लगा.
मैं हटने को हो रही थी लेकिन उसने मुझे कसकर दबोच लिया था.

दो मिनट बाद वह मेरे ऊपर से उठा. मैं सीधे बाथरूम भागी और वीर्य को साफ करने लगी.
उसी समय मेरा ध्यान अपने मम्मों पर गया, तो देखा कि वो दोनों एकदम लाल हो गए थे तथा जगह जगह दांत के काटे जाने के भी निशान बन गए थे.

मैं मंद मंद मुस्कुराने लगी थी. टॉवेल से खुद को पौंछ कर बाहर आई तो देखा कि मंजू रोहित का लंड फिर से चूस रही है.
मैं भी साथ में आ गई और उसका साथ देने लगी.

थोड़ी ही देर में रोहित का लंड फिर से खड़ा हो गया है.
उसने मंजू को डॉगी पोजिशन में किया और उसको चोदना शुरू कर दिया.

मैं मंजू की चूची पकड़ कर दबाने लगी.
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मुझे भी मन होने लगा कि मैं भी फिर से चुदाई करा लूं. मैं बेशर्म होकर मंजू से बोली कि तुम हटो, मुझे एक बार और चुदाई करवाना है.

मंजू रोहित के नीचे से हट गई. मैं रोहित के ऊपर चढ़ गई और उसका लंड पकड़कर अपनी चूत में सैट करके बैठने लगी.
उसका लंड धीरे धीरे मेरी चूत के अन्दर सरकने लगा. उसका लंड अच्छा खासा मोटा था, जिसके कारण चूत में रगड़कर जा रहा था.

इसी बीच रोहित ने नीचे से धक्का दे दिया. उसका लंड घचाक से आधे से अधिक अन्दर चला गया.
मैं आह आह आह करने लगी.

मंजू बोली कि बुआ लंड बर्दाश्त करो … मजा आएगा.
मैं उठ कर लंड को निकालना चाह रही थी कि तभी ऊपर से मंजू ने मेरा कंधा पकड़कर दबा दिया.

रोहित का पूरा लंड अन्दर घुस गया था. मुझे बहुत दर्द हो रहा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई सब्बल घुसेड़ दिया हो.

फिर थोड़ी देर में दर्द कम हुआ और मैं ऊपर नीचे होने लगी. मुझे भी मजा मिलने लगा.

करीब पन्द्रह मिनट की चुदाई में मैं झड़ गई लेकिन रोहित का लंड उसी तरह कड़क था.

अब उसने मुझे अपने नीचे लेकर चोदना शुरू कर दिया. इस बार उसने बहुत तेजी के साथ चोदना शुरू कर दिया था.
अब मैं पस्त हो चुकी थी.

करीब आधा घंटा बाद उसका लंड झटके देकर झड़ना शुरू हुआ और मैं उससे चिपट गई.
पांच मिनट बाद वह मेरे ऊपर से हट गया. हम तीनों सुस्ताने लगे.

रात के करीब बारह बज रहे थे. मंजू सबके लिए खाना ले आई. हम लोग खाना खाने की तैयारी करने लगे.
खाना से पहले रोहित अल्मारी से कोई टैबलेट ले आया और उसने एक टैबलेट खा ली.

मैंने मंजू से पूछा कि रोहित ने कौन सी गोली खाई?
वह बोली कि उसने वियाग्रा की टैबलेट खा ली है, अब वह रात भर चुदाई करेगा.

मैं घबरा कर बोली कि न बाबा … अब मुझसे नहीं होगा.
मंजू बोली कि तुम नहीं लोगी बुआ, तो वो मुझे थोड़े ही छोड़ेगा.

रोहित हम दोनों के बीच बैठ गया. उसका लंड मुरझाने के बाद भी काफी बड़ा दिख रहा था. मेरे पति के पूरा लंड खड़ा होने के बाद भी उसका लंड ज्यादा बड़ा था.
मंजू बोली कि बुआ क्या देख रही हो?
मैं बोली कि कुछ भी नहीं.

मैंने नजर फेर ली.
रोहित बोला कि मंजू घर में पिछली वाली बोतल में थोड़ी व्हिस्की बची थी, वह है या नहीं?
मंजू बोली कि हां थोड़ी है.
वह बोला कि ले आओ.

मंजू टीचर ब्रांड की व्हिस्की की बॉटल उठा लाई, उसमें करीब आधी बॉटल शराब बाकी थी.
मंजू साथ में तीन ग्लास और कुछ नमकीन मिक्सचर भी ले आई.

उसने तीनों गिलासों में बराबर बराबर भर कर पैग बना दिए.
मैंने पीने में थोड़ी नानुकुर की, फिर हम लोग पीने लगे. इसी बीच हंसी मजाक भी चल रहा था. मैं पहले भी अपने पति के साथ व्हिस्की पीती रही हूँ तो कोई दिक्कत नहीं थी.

खाने से पहले हम तीनों ने दो दो पैग खींच लिए थे. आखिरी में एक लार्ज पैग बचा था, जो रोहित ने पी लिया. इसके बाद खाना हुआ और हम तीनों सेक्स को लेकर बातें करने लगे.
मंजू बोली कि बुआ क्या बताऊं, यह तो जब भी मुझे चोदते हैं, तो तुमको याद करते हैं और कहते हैं कि तुम्हारी बुआ तो मस्त माल है.अगर एक बार चोदने मिल जाए तो मैं उसकी चूत का भोसड़ा बना दूंगा. ऐसा चोदूंगा कि सारी जिंदगी याद रखेगी.

मैं बोली कि हां सही कहा था रोहित ने … उसने दो बार में ही मेरी हालत पस्त कर दी है. मैंने तो ऐसी चुदाई आजतक कभी करवायी ही नहीं थी.

यह सब बात हो ही रही थी कि रोहित का लंड फिर से खड़ा होने लगा था. उस पर दवा और दारू का मिलाजुला असर होने लगा था.
मुझे भी दो पैग की मस्ती चढ़ने लगी थी.

मंजू मस्ती से बोली कि देखो बुआ तुमको देख कर लंड महाराज भी सर उठा रहे हैं. यह तुम्हारे बिल में जाने को छटपटा रहा है.
मैं लंड देखती हुई बोली कि नहीं बाबा, इसको देखकर मुझे डर लगता है.

मंजू बोली कि लेकिन वह मज़ा भी देता है.
मैं बोली कि हां मजा तो आता है लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही है कि फिर से चुदवा लूं.

मंजू रोहित का लंड हाथ में लेकर आग्गे पीछे करने लगी और देखते ही देखते उसने लंड मुँह में ले लिया.
रोहित का लंड कड़क होकर मंजू के मुँह में आने जाने लगा था. मैं यह देख कर गर्म हो गई और मेरी चूत में खलबली मचना शुरू हो गई.

मैं भी मंजू के साथ मिल गई और रोहित का लंड पकड़ने लगी.
मंजू समझ गई कि बुआ को चुदाई चाहिए.

वह लंड को पकड़ कर मेरे मुँह के पास ले आई. मैं भी इसी पल का इंतजार कर रही थी.
मैं रोहित का लंड लेकर चूसने लगी. इस बार उसका लंड बहुत ही कड़क था, जैसे कि वो शीशम की लकड़ी का बना हो, जरा भी दब नहीं रहा था.

रोहित भी इस बार पूरे मूड में था. वो जरा सा भी रहम नहीं कर रहा था.
उसने मेरे मुँह में लंड पेला और कस कस कर चोदने लगा था.

करीब दस मिनट हो गया था लेकिन लंड हिलने का नाम नहीं ले रहा था.
मेरी लार उसके लंड से चूने लगी थी.

मैं लंड निकाल कर बोली कि रोहित अब मुझसे नहीं होगा.
वो बोला कि भाभी आप डॉगी पोजिशन में आ जाइए.

मैं तो एक बार डॉगी पोजिशन में चुदवा चुकी थी और मजा भी आया था.
मैं तुरंत डॉगी पोजिशन में आ गई.

उसने लंड को मेरी चूत में सैट किया और कसके एक धक्का लगा दिया.
मैं जोर से चिल्ला पड़ी और बोल उठी- उई मम्मी मर गई.

मैं कराहती हुई बोली कि रोहित अपना लंड निकाल लो, मैं मर जाउंगी.

मैं आह आह ओह ओह करने लगी.

मंजू मेरी चूची पकड़कर चूसने लगी और बोली कि बुआ इतना जोर से मत चिल्लाओ, कहीं फूफा जी उठ गए तो सब मजा खत्म हो जाएगा.
मैं अब धीमे स्वर में आह ओह ओह करने लगी थी और रोहित धक्के पर धक्का लगाए जा रहा था.

वह कुछ सुन ही नहीं रहा था. उसका लंड मुझे अन्दर जाते हुए एकदम भाला जैसा लग रहा था.
वह मेरी चूत को दे दनादन चोदे जा रहा था. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं. लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे मजा आने लगा और मैं हर धक्के के साथ अपनी गांड पीछे करने लगी.

करीब दस मिनट में मेरी चूत से पानी निकलने लगा लेकिन उसका लंड उसी तरह से कड़क था.
मैं अब ज्यादा देर तक साथ नहीं दे सकती थी.

मैं रोहित से बोली कि मुझे छोड़ दो.
मंजू बोली कि अभी कहां बुआ … अभी तो पूरी रात पड़ी है. यह तो आज तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना कर छोड़ेगा.

मैं रुआंसी हो गई.
मंजू बोली कि रोहित अभी बुआ को छोड़ दो.
वह बोला- ठीक है.

उसने मेरी चूत से लंड निकाल लिया. मैंने देखा कि उसका लंड उसी तरह से कड़क था.
मैं हैरान थी कि कोई मर्द इतना मजबूत कैसे हो सकता है.

दोस्तो मैं आपको चुदाई की कहानी के अगले भाग में बताऊंगी कि मेरे देवर ने मेरी गांड कैसे मारी और क्या क्या हुआ.
आप मेरे साथ बने रहें.

मेरी इस बैड सेक्स रिलेशन स्टोरी में आपको मजा मिल रहा है? मुझे मेल जरूर करें.
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बैड सेक्स रिलेशन कहानी का अगला भाग: भतीजी के घर में घमासान- 3

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