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बहन की फटी चुत की चुदाई- 1

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अन्तर्वासना भाई बहन कहानी में पढ़ें कि हम भाई बहन पढ़ी के लिए शहर में कमरा लेकर रहते थे. बहन को नंगी नहाती देख मैं उसके साथ सेक्स की चाह रखने लगा.

दोस्तो, मेरा नाम अवी है और मैं बरेली यूपी का रहने वाला हूँ.

यह सेक्स कहानी मेरे और मेरी बहन के बारे में है और एकदम सच्ची अन्तर्वासना भाई बहन कहानी है.

बात उस समय की है, जब मैं 12 वीं में था और मेरी बड़ी बहन बीए में थी.

उस समय हम दोनों गांव से शहर में आकर पढ़ाई कर रहे थे. हमने एक रूम किराये पर ले लिया था.

उधर उस कमरे में हम दोनों भाई बहन ही रहते थे.

चूंकि बचपन से ही हम दोनों साथ में सोते आए थे तो वहां भी हम दोनों साथ में ही सोते थे.

इसका कारण एक ये भी था कि उस कमरे में ज्यादा जगह भी नहीं थी. रहने और खाना बनाने के ही किसी तरह जगह पूरी हो पाती थी.

इस तरह के कमरे के बारे में उन लोगों को अधिक पता होगा, जो किराए पर ऐसे किसी कमरे में रहे हैं.

आपको सही बात बताऊं तो शुरूआत में मुझे अपनी बहन के लिए ऐसे कोई विचार नहीं थे.

लेकिन जवानी चढ़ने लगी तो मन विचलित होने लगा.

मैं पोर्न देख कर खुद को ठंडा कर लिया करता था.

पर पहली बार जब अन्तर्वासना पर बहन भाई सेक्स कहानी पढ़ने को मिली और समाज में भाई बहन के बीच सेक्स रिश्ते जाने तो मेरा भी मूड बदल गया.

उसके बाद मैंने पहली बार अपनी बहन के भरे हुए जिस्म को सेक्स की निगाह से देखा.

मैंने जाना कि मेरी बहन भी अब पूरी तरह से चुदाई के तैयार हो चुकी है.

उसका मादक बदन मुझे एक चोदने लायक माल लगने लगा. अब मैं उसको कामुक नजरों से निहारने लगा था.

एक बार जब मैं सुबह टॉयलेट में बैठा था और मेरी बहन नहा रही थी.

तब मुझे लगा कि जो टॉयलेट और बाथरूम के बीच की दीवार है.

इसका थोड़ा फायदा उठाया जाना चाहिए.

मैंने सोचा कि कोशिश करके देखता हूँ शायद कोई देखने की जगह बन जाए.

हम जिस कमरे में रहते थे, उसमें प्लास्टर नहीं किया हुआ था.

इसलिए उसकी दीवार में छेद करना आसान था.

जब मैंने दीवार में छेद करने की सोची, तब देखा टॉयलेट और बाथरूम के बीच की दीवार की ब्रिक्स पहले की थोड़ी हिली हुई थीं.

शायद उसे बनाते टाइम नीचे मिट्टी बैठ गई होगी, जिससे उधर से दीवार थोड़ी चटकी थी.

मैंने अगले ही दिन नहाते समय हल्का सा सरिया डालकर दो गुम्मों के बीच में एक गैप बना दिया था.

अब बारी थी, किए हुए काम का रिज़ल्ट पाने की.

अगले दिन जैसे ही मेरी बहन नहाने के लिए बाथरूम में गई, तो में तुरंत टॉयलेट में घुस गया और उस बनाई गई दरार से बहन को देखने की कोशिश करने लगा.

जैसे ही मैंने दरार में से झांका, मेरे तो होश ही उड़ गए.

अपनी बहन की चूचियां देख कर मैं सन्न रह गया.

क्या गजब की चूचियां थीं, बिल्कुल टाइट और नुकीली चूचियां, एकदम कठोर पत्थर सी.

बहन के दूध देख कर मुझे ऐसा लगा कि अभी पकड़ लूं और मुँह में भर लूं.

उस दिन मैंने पहली बार अपनी बहन की नंगी चुचियां देखी थीं.

मैंने उस दिन बहुत कोशिश की कि उसकी चुत भी देखने को मिल जाए, लेकिन नहीं हो पाया.

उसके दोनों मदमस्त कर देने वाले चुचों के मैंने भरपूर दीदार किए और मुठ मार कर बाहर आ गया.

अब मेरा ये सिलसिला रोज का हो गया था.

मैं रोज सुबह सुबह उसकी चुचियां देखता था और मुठ मार लेता था.

इसके बाद तो कुछ ऐसा चस्का चढ़ा कि मैंने अपनी बहन की ही नहीं, अपने मकान मलिक की दो लड़कियों की भी चुचियां देखना शुरू कर दिया था और मुठ मारने लगा था.

मेरी बहन की चुचियां मुझे ज्यादा अच्छी लगती थीं लेकिन बहन की चुत के दीदार सिर्फ दो बार ही हुए थे.

वो भी जब, जब वो कपड़े बदली करती थी.

फिर मैं सोचने लगा कि बहुत मुठ मार ली. अब ऐसा क्या किया जाए कि मैं अपनी बहन को चोद लूं.

ये सोचने के बाद मेरे मन में उसको चोदने का प्लान शुरू हो गया.

एक दिन की बात है, मैं क्रिकेट खेल रहा था, तो बॉल मेरे अंडकोष में लग गई. जिसकी वजह से गोटियों में हल्का दर्द हो रहा था.

मैं रात को चुपचाप लेटा था, तभी मेरी बहन ने मुझसे पूछा- क्या बात है, तू इतना उदास और चुप क्यों है?

मैंने उसे कुछ नहीं बताया और अपना पोता पकड़े हुए लेटा रहा.

काफ़ी देर के बाद मैं सो गया.

मेरा दर्द खत्म ही नहीं हो रहा था, मुझे बड़ी दिक्कत होने लगी थी.

फिर एक दो दिन बाद जब नहीं रहा गया, तो मैंने अपनी बहन को बताया कि क्रिकेट खेलते समय मेरे नीचे बॉल लग गई है.

उसने मुझसे पूछा कि यदि ज्यादा प्रॉब्लम है, तो दवा ले आओ.

मैं चला गया लेकिन मैं कोई दवा नहीं लाया और मैंने वापस आकर उनको बताया कि एक बंदे ने देसी नुस्खा बताया है. उसने कहा है कि एलोपैथिक मेडिसिन ज्यादा सही नहीं होती है. इसलिए बाम का प्रयोग करो.

मेरी बहन मेरी तरफ देखने लगी कि बाम से क्या होगा.

फिर मैंने उस बंदे के दवारा बताई झंडू बाम का इस्तेमाल करने के बारे में बहन को बताया.

वो बोली- ठीक है … जैसा सही लगे, कर लो.

फिर मैंने जब पहली बार झंडू बाम लंड के नीचे लगाई तो उसकी ठंडक भरी जलन से मेरी तो समझो गांड फट गई.

मुझे लगा कि जैसे आज मेरे टट्टे टपक ही जाएंगे.

पहले तो मैं हाथ से लंड और गोटे दबाए पड़ा रहा.

लेकिन बाम से इतनी अधिक जलन हुई कि मैंने बहन को बता दिया कि यार इसे लगाने से तो बहुत जलन हो रही है.

उसने बोला- थोड़ा सहन करते रहो, अगर फायदा हो रहा है तो अच्छी बात है.

इससे पहले मैं लोवर पहन कर सोता था, लेकिन जब झंडू बाम ने इतनी अधिक जलन दी, तो मैंने लोअर की जगह हाफ निक्कर पहन लिया और सोने लगा.

ये निक्कर काफी ढीला ढाला था और थोड़ा ज्यादा खुला हुआ था. इसमें नीचे से थोड़ी हवा अन्दर जाती थी, तो मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था.

फिर 5-6 दिन में सब दर्द ठीक हो गया और मैं बिल्कुल ठीक हो गया.

लेकिन अब मेरे अन्दर इस मौके का फायदा उठाने का मन करने लगा था.

मैं झंडू बाम ना लगा कर ऐसे ही लेट जाता था.

इसी बीच एक दिन मैं जल्दी सो गया और सोने से पहले ही मैंने निक्कर को हल्का सा फाड़ दिया ताकि मेरा लौड़ा निक्कर से आसानी से बाहर आ सके.

मैंने अपना लंड उस फटी हुई निक्कर में से बाहर निकाल लिया.

अब मैं सोने का नाटक करने लगा.

जब मेरी बहन आई और सोने लगी, तो उसने देखा कि मेरा मोटा औजार तो बाहर निकला पड़ा है.

पहले तो उसने काफ़ी देर मेरे फूले हुए लंड को देखा.

मेरा लौड़ा खड़ा था इसलिए काफ़ी बड़ा दिख रहा था.

काफ़ी देर तक लंड देखने के बाद उसने मुझे जगाने के लिए आवाज़ दी लेकिन मैं टस से मस भी नहीं हुआ.

फिर उसने मेरा लौड़ा अपने हाथों से हल्के से पकड़ा और उसको निक्कर के अन्दर करने की कोशिश की.

लेकिन लौड़ा इतना मोटा और लंबा था कि वो अन्दर ही नहीं गया.

दो तीन बार कोशिश करने के बाद उसने उसको उधर ही छोड़ दिया और वो मुझसे थोड़ा दूरी बना कर लेट गई. फिर मुझे भी पता नहीं चला कि मैं कब सो गया.

जब मैं सुबह उठा तो मैंने ऐसे रिएक्ट किया, जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं था.

लेकिन उस दिन मेरी बहन ने मुझको बोला- तुम लोवर पहन कर सोया करो.

मैंने उससे कहा- हां, मैं तो वैसे ही लोअर पहन कर सोता हूँ. मगर आजकल अभी झंडू बाम लगाने की वजह से निक्कर पहनता हूँ. जब ठीक हो जाएगा, तब लोअर पहनने लगूंगा.

इस पर मेरी बहन कुछ नहीं बोल पाई.

मैं अब रोज रात को बहन के आने से पहले लेट जाता और रोज उनको अपने लंड के दीदार करवा देता.

वो भी शुरूआत में थोड़ा असहज थी, बाद में नॉर्मल हो गई.

अब वो रोज मेरे साथ पहले जैसे सामान्य लेटने लगी. वो अब लेटने के बहाने सोते सोते मेरे लंड को टच भी करने लगी थी.

यह मेरे लिए एक शुभ संकेत था.

अगले दिन जब मैं पढ़ रहा था तो वो पहले ही लेट गई.

उसके बाद में मैं लेटा.

लेटते ही मैंने निक्कर के नीचे फटे हुए हिस्से से अपना लौड़ा बाहर निकाल दिया और सोने लगा.

थोड़ी देर बाद बहन ने मेरी तरफ़ करवट ले ली, जिससे मेरी नींद भाग गई और मैं सोया नहीं.

थोड़ी देर बाद उसने अपने शरीर में खुजली करने के बाद अचानक से अपना हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया और शांत होकर लेट गई.

उसने ऐसा कोई रिएक्श्न नहीं किया जिससे लगे कि उसने जानबूझ कर लंड टच किया हो.

वो मेरे लौड़े पर हाथ रख कर ऐसे लेटी थी … जैसे अंजाने में सोते हुए हाथ रख दिया हो.

मैं भी चुपचाप लेटा रहा.

थोड़ी ही देर में उसने मेरे लंड को हल्के हल्के से मसलना शुरू कर दिया.

वो बहुत हल्के हल्के से मेरे लंड को मसल रही थी लेकिन अब मैं उत्तेजित हो चुका था.

मैंने भी अपना एक हाथ उसके हाथ पर रख दिया और उसका हाथ पकड़ कर तेज़ी से लौड़ा हिलवाने लगा.

थोड़ी देर तक लंड हिलवाने के बाद मैं रुक गया और मैंने अपना हाथ हटा लिया.

इसके थोड़ी देर बाद बहन ने भी अपना हाथ हटा लिया और हम दोनों सो गए.

सुबह हम दोनों ने ही ऐसे रिएक्ट किया जैसे रात में कुछ हुआ ही ना था.

ये लंड सहलवाने का काम हम दोनों के बीच चुदाई के सबंध बनने की शुरुआत थी.

इसके बाद अगली रात भी वो पहले लेट गई.

उसके बाद मैं लेटा और थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया और वो उसको सहलाने लगी.

मैं भी उसका साथ देने लगा.

ये क्रिया सात दिन चली.

इस बीच मैंने एक चीज़ का अनुभव और किया कि जो पहले मेरी बहन पैंटी पहनकर नहाती थी, अब वो पैंटी निकाल कर नहाने लगी और मुझे उसकी चुत के रोज दीदार होने लगे.

बहन की चुत भी एकदम फूली सी थी और उस पर हल्के भूरे रंग के बाल थे.

उसकी चुत को देख कर मैं रोज मुठ मारने लगा था.

सात दिन तक रोज रात को लंड के मसलने के प्रोग्राम के बाद एक दिन मैंने लंड को सहलवाते हुए अपने हाथों से उसकी चुचियां भी धीरे से मसल दीं.

जब उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने जोर से खूब मसलीं.

उस दिन उसकी सांसें भी तेज हो गई थीं.

मैंने जैसे ही अपना हाथ नीचे उसकी चुत की तरफ बढ़ाया और उसके पेट पर फेरते हुए नीचे ले जाने लगा, तो देखा कि उसने सिर्फ सलवार पहनी हुई थी. वो भी बहुत टाइट, जिससे मेरा हाथ अन्दर नहीं गया.

लेकिन उस रात मैंने उसकी दोनों चुचियों को खूब मसला और सो गया.

दोस्तो मैंने अपनी बहन की चुत किस तरह से चोदी और मेरी बहन ने भी किस तरह से अपनी चुत की सील टूटने की बात बताई, ये सब आपको मेरी अन्तर्वासना भाई बहन कहानी के अगले भाग में पढ़ने को मिलेगा.

आप मुझे मेल जरूर करें.

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अन्तर्वासना भाई बहन कहानी का अगला भाग: बहन की फटी चुत की चुदाई- 2

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