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अनजान गांडू ने गांड मरवाकर मजा दिया

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ऐनल फक गे सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं रात को सुनसान सड़क पर बाईक पर था कि एक युवक ने मुझसे लिफ़्ट ली. उसने मेरा जाँघों पर हाथ रख कर मुझे गर्म कर दिया.

सोमवार को प्रोजेक्ट सबके सामने पेश होने वाला है, इसलिए आज कैसे भी कर के प्रोजेक्ट के सारे मसले हल करना थे.
मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि मुझे रविवार को भी काम करना पड़े.
इसलिए ऑफिस में देर तक रुक कर मैंने प्रोजेक्ट पूरा खत्म कर दिया.

वैसे भी बीवी बच्चे गांव गए थे, तो मैं घर पर अकेला ही था.
सोचा कि रुककर काम निपटा ही देता हूँ.

इसी चक्कर में मुझे बहुत देर हो गई थी.

ऑफिस से निकलते-निकलते रात के एक बज गया था.
सड़क सुनसान थी. कभी-कभी कोई एक-दो गाड़ियां निकलती हुई दिख जाती थीं, पर बाद में सड़क फिर सुनसान हो जाती और रात का सन्नाटा पसर जाता.

आपका शहर कितना भी सुरक्षित हो, पर रात में सुनसान रास्तों पर जब आप अकेले होते हो तो मन में संदेह के और डर के विचार तो आते ही हैं.

कुछ उन्हीं किस्म के ख्यालों में मैं खोया जा रहा था कि एक बंदा दिखा जो लिफ्ट लेने के लिए हाथ दिखा रहा था.

यहीं से मेरी ऐनल फक गे सेक्स कहानी शुरू हुई.

वो 28-30 साल का बंदा था. दिखने में ठीक-ठाक था, मज़बूत शरीर था.
उसने चुस्त सी टी-शर्ट पहनी हुई थी जिससे उसका मजबूत शरीर साफ झलक रहा था.
नीचे उसने एक लोअर पहना हुआ था.

मन में बुरे विचार आ रहे थे कि सुनसान सड़क है, कुछ भी हो सकता है.
पर यह भी विचार आया कि यदि सच में जरूरतमंद हुआ तो?
इतनी रात को कहां जाकर मदद लेगा.

मैंने उसके पास जाकर बाइक रोक दी.
वो पीछे बैठ गया और मैं फिर से ड्राइव करने लगा.

मेरी उससे कोई बात नहीं हुई.
न मैंने उससे पूछा कि कहां जाना है और न उसने बताया.
हम दोनों खामोश थे.
सुनसान सड़क और रात का सन्नाटा.
मैं बाइक चला रहा था और वो चुपचाप बैठा था.

थोड़ी आगे जाने पर आठ दस छोटे-छोटे एक साथ वाले स्पीड ब्रेकर आए जिस वजह से बाइक डग डग करके चलने लगी.
उसने सहारे के लिए, मुझे कमर के पास से पकड़ लिया.

मैंने कॉटन की पतले कपड़े की शर्ट पहनी हुई थी और अन्दर बनियान भी नहीं पहनी थी, जिस कारण मुझे उसके हाथों का गर्म स्पर्श एकदम से ऐसे अनुभव हुआ, जैसे उसने मेरे नंगे बदन को स्पर्श किया हो.
एकदम से किसी का स्पर्श अपने बदन पर महसूस किया, तो मुझे बहुत बेचैनी होने लगी. मेरे जिस्म में उत्तेजना होने लगी.

इस बात को कभी आप गौर करना, जब आप ड्राइव करते हुए बहुत उत्तेजित अवस्था में होते हो या गुस्सा होते हो, तो गाड़ी की स्पीड तेज करने लगते हो और आपको पता भी नहीं चलता.

उसने मेरी कमर पर जब हाथ रखा, तो मेरे अन्दर हलचल मच रही थी.
इसी बेचैनी में मुझे ध्यान नहीं रहा और एक बड़ा स्पीड ब्रेकर आगे आ गया.

मैंने एकदम से ब्रेक लगाया, पर फिर भी गाड़ी पर जोर से दचका लगा, जिसके कारण उसे आगे की तरफ धक्का लगा.

उसने सहारे के लिए मेरी दोनों जांघों पर अपने दोनों हाथ रख दिए.
मैंने बाइक को थोड़ा स्लो किया और फिर पहले की तरह ही बाइक चलाने लगा.
अब भी हम दोनों शांत थे.

रात का सन्नाटा और भी ज्यादा महसूस होने लगा था.
सड़क तो सुनसान थी ही.

अब मेरे अन्दर बहुत हलचल मची हुई थी.
उसके दोनों हाथ मेरी दोनों जांघों पर थे.

छोटे-मोटे दचकों से उसके हाथ आगे-पीछे ऐसे होते, जैसे कोई मेरी जांघों को सहला रहा हो.
कभी-कभी मुझे ऐसा लगता कि बहुत मामूली से दचकों में भी उसके हाथ आगे-पीछे हो रहे थे.
मतलब कि जैसे जानबूझ कर वो मेरी जांघों को सहला रहा हो.

मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो चुका था.
थोड़ी देर बाद मुझे अहसास हुआ कि उसका हाथ मेरी जांघों के जोड़ की तरफ बढ़ रहा है.

मेरा लंड तो पहले ही फड़फड़ा रहा था; ऊपर से उसके हाथ मेरे लंड के काफी पास आ चुके थे.

हम दोनों एकदम चुपचाप और शांत थे. पर मेरे जिस्म में तो आग लगी थी.

मौन, स्वीकृति का ही दूसरा नाम है.
मैं मौन था, जिसे वो मेरी स्वीकृति मान रहा था और उसकी हरकतें बढ़ती जा रही थीं.

उसका हाथ मेरे लंड के काफी पास आ चुका था.
मेरे जिस्म में तूफान मचा था.

मेरी बेचैनी और मेरे अन्दर उठते तूफान और फड़फड़ाते लंड के कारण मेरे दिमाग में तरह-तरह के विचार चल रहे थे.

मैं अपने ही विचारों में खोया था कि तभी आगे एक गड्डा आ गया और मैंने गाड़ी को तुरंत ब्रेक लगा दिया.
गाड़ी पूरी रुक चुकी थी. एकदम ब्रेक लगने से वो आगे की तरफ झटके से आया. उसकी छाती मेरी पीठ से बिल्कुल चिपक चुकी थी.

उसने संभलने के लिए अपने सीधे हाथ से मेरे पेट के पास पकड़ लिया और उसका उल्टा हाथ अभी भी मेरी जांघों पर ही था.

जब बाइक को एकदम से रोका तो उसने सिर्फ इतना ही कहा- आराम से.

मैंने फिर से गाड़ी को गति से दी.
गड्डा आना, ब्रेक लगाना, तेजी से झटका लगाना आदि में मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि कब उसने मुझे अपने जिस्म से चिपका लिया था.

जब थोड़ा आगे गए और बाइक पर ठंडी हवा लगी और दिमाग शांत हुआ, तब ठंडी हवा में मेरी पीठ पर उसके जिस्म की गर्माहट महसूस हुई.
तब मुझे पता चला.

उसका उल्टा हाथ मेरी जांघ पर मेरे लंड के एकदम पास था, बल्कि उसका अंगूठा, थोड़ा बहुत मेरी गोटियों के उभारों को महसूस भी कर रहा था.

उसका सीधा हाथ मेरे पेट से धीरे-धीरे ऊपर मेरी छाती की तरफ सरक रहा था.

उसके हाथ से मुझे अपने सीने पर हल्का सा दबाव भी महसूस हो रहा था.
ऐसा लग रहा था जैसे उसने मुझे एक हाथ से अपनी बांहों में जकड़ रखा हो.

मेरे बदन में आग लग चुकी थी, मेरा जिस्म गर्मा गया था. रग-रग में हवस दौड़ रही थी, लंड फड़फड़ा रहा था.
तभी उसने कान में कहा- आगे से राइट में मोड़ लो, मैं अकेला रहता हूँ. आज आपको हर तरह से खुश कर दूंगा.

मैंने चुपचाप गाड़ी उसके कहे अनुसार ऐसे मोड़ ली, जैसे मैं उसके घर जाने को ही निकला था.
कोई गारंटी से नहीं कह सकता कि अगले पांच मिनट में क्या होगा?

मैं घर जाने को ऑफिस से चला था, पर अब कहीं और जा रहा था.
जिसे मैं 15 मिनट पहले जानता भी नहीं था, उसकी बात मानकर उसके घर जा रहा था.

उसे हरी झंडी मिल चुकी थी, अब कोई डर नहीं था.
उसने उसके उलटे हाथ को मेरे फड़फड़ाते लंड पर रख दिया और सीधे हाथ को मेरी छाती पर रख कर मेरे एक निप्पल को सहलाने लगा.

वो मुझे आगे का रास्ता बताता जा रहा था.
अगले कुछ मिनट में हम उसकी सोसायटी की पार्किंग में थे.

उसका फ्लैट चौथे माले पर था.
हम दोनों फ्लैट के अन्दर आ गए.

मैं हॉल में रखे सोफे पर धप्प से पसर गया और अपने बैग को सामने की टेबल पर रख दिया.
वो मुझसे चिपक कर एकदम बैठा और मुझे बांहों में कस कर, मेरे होंठों को चूमने लगा.

मैंने अपने होंठों को कस कर बंद किया और ‘उमम्म आह …’ करके उससे कुछ कहने लगा.

जब वो मेरे होंठों से अलग हुआ तो मैंने उसे कहा- मैं दिन भर से ऑफिस में था मुझे हाथ-मुँह धोने दो, तुमसे ज्यादा मैं तड़प रहा हूँ. मुझे ही पता है कि कितनी मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल कर रहा हूँ.

मैंने उससे एक टॉवल लिया और बाथरूम में गया और नहाया.
टूथपेस्ट अन्दर था, तो उंगली पर पेस्ट लेकर, उसी से मुँह साफ किया.

मैंने सिर्फ टॉवेल लपेटा हुआ था. मेरे सारे कपड़े बाहर टेबल पर रखे थे.
वो दूसरे रूम के बाथरूम से फ्रेश होकर पहले ही सोफे पर बैठकर मेरा इंतज़ार कर रहा था.

उसने सेंडो बनियान और छोटी कट वाली ब्लैक अंडरवियर पहनी थी.
उसे इस तरह देख कर मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था. उसका गठीला जिस्म मेरे नंगे बदन में आग लगा रहा था.

जब मैंने टॉवल लपेटा, तो मेरा लंड लटक रहा था. पर उसे देखने के बाद लंड फड़फड़ा उठा.
अब टॉवल में लंड सीधा खड़ा तो हो नहीं सकता, जब तक कि मैं न करूं.
मेरा लंड एकदम से आगे की तरफ आड़ा हो गया था, जिससे टॉवल आगे से 6 इंच उठ गया.

ऐसे ही मैं उसके सामने जाकर खड़ा हो गया. वो सोफे पर बैठा था.
मैं उसके सामने टॉवल में, अपने लंड के छह इंच के पहाड़ को लिए खड़ा था.

अब तो कोई रुकावट नहीं थी और न ही हम दोनों में रुकने की क्षमता बची थी.

उसने तुरंत अपनी सेंडो बनियान निकाली और मेरी टॉवल के अन्दर दोनों हाथ डाल कर मेरी दोनों जांघों को सहलाया.
अगले ही पल उसने मेरे लंड को पकड़ कर टॉवल ऊपर कर दिया और मेरे लंड को मुँह में ले लिया.

‘ओहह …’
लंड चुसाई का सुख ही कुछ और है.
अच्छे-अच्छे लोगों का ईमान डगमगा जाता है.

जो लोग अपने को स्ट्रेट बोलते हैं, एक बार किसी बॉटम से लंड चुसवा कर देखें, फिर कहें कि तुम्हारा स्ट्रेट होने का घमंड कैसे मिट्टी में मिल जाता है.
अच्छे अच्छे स्ट्रेट, बॉटम से लंड चुसवाने को मचल उठेंगे.

कब मेरा टॉवल नीचे गिरा, पता ही नहीं चला.
उसकी लार भरी, गीली लंड चुसाई ने मेरे नंगे बदन में आग लगा दी थी.

कभी वो मेरा लंड चूसता तो कभी मैं उसका सिर पकड़कर उसके मुँह को चोदने लगता.

कुछ 15-20 मिनट तक पूरी शिद्दत से मेरे लंड की चुसाई करने के बाद वो उठा और उसने अपनी चड्डी निकाल दी.
वो भी पूरा नंगा हो गया.

उसने अपने गठीले बदन की बांहों में मेरे नंगे बदन को जकड़ लिया.

हम लोग एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे के नंगे जिस्म से खेल रहे थे.
हमारे नंगे जिस्म होंठ से लेकर पैर तक चिपके थे, हमारे होंठ एक दूसरे को चूम रहे थे.

हमारी छाती और पेट, बांहों में जकड़े होने के कारण एकदम चिपके हुए थे.
हम दोनों हमारे फड़फड़ाते लंड से एक-दूसरे के लंड को रगड़ रहे थे.

एक पैर पर खड़े होकर, दूसरे की जांघों और पैरों को सहला कर मजा ले रहे थे.
दो जिस्म एक हो चुके थे.

कुछ देर बाद उसने मुझे सोफे पर लेटा दिया और मेरे लंड को बेताबी से चूसने लगा.
वो अपने कठोर हाथों से मेरी जांघों और मेरे नंगे जिस्म को सहलाने लगा.

मैं सोफे पर सीधा लेटा था.
सोफे का जो बैक था, जिससे हम टेक कर बैठते है, उस तरफ का पैर मैंने सीधा लेटा कर रखा था … और दूसरे पेर को घुटने के पास से मोड़ कर सोफे के नीचे लटका दिया था.

मेरा लंड, चुसाई से पथरीला हो चुका था.
उसने कंडोम लिया, मेरे लंड पर चढ़ाया और जिस तरह सोफे पर टेक कर बैठते हैं, वैसे वो मेरे लंड पर बैठा और सोफे को टेक कर बैठ गया.

उसका पूरा वजन मेरे लंड पर था, जिससे मेरा पूरा 6 इंच का लंड उसकी गांड में सीधा घुस गया.

फिर वो उसके पैर पर वजन देकर उसकी गांड ऊपर नीचे करके चुदवाने लगा.
थोड़ी देर ऐसे चोदने के बाद मैंने उसे सोफे पर सीधे बैठाया और थोड़ा उसे आगे करके उसके दोनों पैर पकड़ कर ऊपर उठा दिए.

फिर सामने खड़े होकर उसकी गांड में मेरे लंड को घुसेड़ दिया और चोदने लगा.

करीब 10-15 मिनट तक चुदने के बाद उसने कहा- पोजीशन बदल कर करें. और तुम्हें कोई और पोजीशन पता हो तो हम ट्राई करें?
‘ओके मैं बताता हूँ, वैसे करो.’

हम सोफे पर बैठते समय जहां हम हमारे पैर रखते हैं, वहां उसका सिर रख कर, उसे कारपेट पर सीधा लेटाया और उसके पैर को उठाते हुए सीधे उसके मुँह के ऊपर से, उसके सिर के पीछे कारपेट से टच करा दिए.
ये पोजीशन हलासन की होती है.

इससे उसकी गांड का छेद एकदम ऊपर था.
अब मैंने अपने पैर सोफे पर फैला कर रखे और मेरे हाथ सोफे के सामने रखी टेबल पर और मेरी पोजीशन डिप्स मारने जैसी थी.

मुझे टेबल कोहनी पर चुभे न, इसलिए सोफे के कुशन मैंने कोहनी के नीचे रख लिए थे.
वो नीचे हलासन में था और मैं ऊपर दंड पेलने की पोजीशन में था.

मेरे पैर सोफे पर, हाथ टेबल पर और बाकी जिस्म हवा में था.
मैंने अपने लंड को उसकी गांड में डाल दिया और अपनी कमर को ऊपर नीचे करके उसे चोदने लगा.

इस तरह की पोजीशन में आपको ताकत की बहुत जरूरत पड़ती है.
मुझसे दंड पेलने में कभी भी 50-60 सेकण्ड्स से ज्यादा नहीं लगे. पर हवस की मदहोशी सब कुछ करा लेती है.

उसे मैंने इस पोजीशन में डेढ़ मिनट तक चोदा.
जब मैं थक जाता तो अपने जिस्म का वजन उसकी गांड पर डाल कर रुक जाता जिससे मेरा लंड पूरी तरह से उसकी गांड में सीधा घुस जाता.

कुछ सेकण्ड्स का आराम करके मैं फिर से उसे अगले 30-35 सेकण्ड्स के लिए चोदने लगता, फिर 10-15 सेकण्ड्स का रेस्ट ले लेता.

इस तरह से मैं उसे चोदता गया.
कुछ पांच मिनट में ही हम लोग थक गए थे क्योंकि हलासन में पीठ पर पूरा खिंचाव होता है और पेट पूरा दबा हुआ होता है.
और दंड पेलने में तो जान निकल जाती है.

हम दोनों उठ गए.
वो सोफे पर उल्टा लेट गया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया.

मैंने लंड उसकी गांड में डाल दिया.

पिछली पोजीशन से हम दोनों बहुत थक गए थे तो दोनों को आराम वाला पोज चाहिए था.
हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे.

एक मिनट बाद मैंने अपनी गांड ऊपर-नीचे करना शुरू की और उसे चोदने लगा.
उसे भी जब अच्छा लगने लगा तो उसने भी उसकी गांड को थोड़ा ऊपर उठा दिया जिससे मेरा पूरा लंड अन्दर जा सके.

थोड़ी देर बाद उसे वैसे ही उल्टा उठा कर कुतिया बना दिया, अपने एक पैर को सोफे पर और दूसरे पैर को नीचे रख कर खड़ा होकर उसे चोदने लगा.

अलग अलग आसनों में चोदते हुए हम दोनों को करीब एक घंटा हो चुका था और अधिकतर पोजीशन में मैं ही मेहनत कर रहा था.
मतलब मेरे शरीर की ही कसरत ही रही थी.

अब मुझे थोड़ा आराम चाहिए था तो हम दोनों बेड रूम में आ गए और मैं बेड पर सीधा लेट गया.
वो मेरे लंड पर बैठ कर चुदवाने लगा.

उसका पूरा वजन मेरे लंड पर था जिससे मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुसा हुआ था और इसी मस्ती में वो जोर जोर से उचक उचक कर चुदवा रहा था.

मेरे लंड पर भी खिंचाव पड़ रहा था और मेरा लंड भी पूरी मस्ती में आ चुका था.

मेरा लंड और कड़क … और ज्यादा फूल चुका था.
ये कड़कपन उसे और मुझे दोनों को पागल कर रहा था.

मेरा जिस्म अकड़ रहा था और मेरी आह निकल रही थी.

उसकी स्पीड बढ़ती जा रही थी और पूरी मस्ती में गांड को उचका उचका कर वो चुद रहा था.

गे फक का मजा लेते लेते मेरा टाइम आ गया था, मैं उसके नंगे जिस्म को सहलाने लगा, उसकी जांघों को सहलाता.
उसके मुँह में मैंने अपने दो उंगली डाल दी थीं, जिन्हें वो चूस रहा था.

वो लंड पर बैठकर तेजी से उचकने लगा. वो उसके लंड को पकड़ कर हिलाने ही वाला था कि तभी मेरा लंड फट पड़ा.
उसी समय उसने अपने लंड को दोनों हाथों से मुट्ठी में जकड़ा और उसका लंड भी फट पड़ा.

उसने बेड के पास से टॉवल लिया और अपने लंड और हाथ को पौंछ लिया व वैसे ही मेरे नंगे जिस्म पर लेट गया.

दोनों के जिस्म ठंडे पड़ चुके थे. वो, इसी तरह मेरे नंगे बदन पर पड़ा रहा.

कुछ मिनट बाद उसके नंगे बदन के स्पर्श से मेरा खड़ा होने लगा. पर अभी वो वैसा ही मेरे जिस्म पर था.
बाद में जब वो रिलेक्स हो गया तो उसने बेड पर एक मुलायम प्लास्टिक की चादर बिछाई और मुझे मसाज देनी शुरू कर दी.

फिर वैसे ही तेल लगे बदन में हमारा गे फक का दूसरा राउंड शुरू हुआ.
जब दोनों दुबारा ठंडे हुए, तब तक दोनों के नंगे जिस्म, तेल से लथपथ थे.

पर हम दोनों इतने ज्यादा थक गए थे कि एक दूसरे के नंगे जिस्मों से चिपके हुए ही बेड पर पड़े रहे.
कब नींद के आगोश में चले गए, पता ही नहीं चला.

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