Xx भाभी की हॉट कहानी में पढ़ें कि बुटीक वाली भाभी से दोस्ती के बाद मेरे मुंह से सेक्स की बात निकल गयी तो वो नाराज हो गयी थी. एक दिन उसने खुद मुझे बुलाया तो …
दोस्तो, मैं आपको अपने ऑफिस के नीचे एक दुकान वाली छमिया सी दिखनी वाली माधुरी भाभी की सेक्स कहानी सुना रहा था.
Xx भाभी की हॉट कहानी के दूसरे भाग
बुटीक वाली भाभी की चूत की आस टूट गयी
में अब तक अपने पढ़ा था कि मैं माधुरी को काफी पसंद करने लगा था और उसे चोदना चाहता था.
उससे सैटिंग भी होना शुरू हो गई थी फोन नम्बर भी ले दे लिए थे.
बस चूक इतनी सी हो गई कि एक दिन मैंने उससे एकदम से खुल कर कह दिया कि तुम इतनी हॉट माल लगती हो कि मन करता है कि तुम्हें पटक कर चोद दूँ.
मेरे मुँह से ये बात सुनकर माधुरी भड़क गई और मेरी उसे चोद पाने की उम्मीद टूट गई.
फिर अचानक से एक दिन उसका फोन खुद से आया और वो मुझसे लहराती हुई पूछने लगी कि मैं कैसी लगती हूँ. उसके मुँह से ये सुनकर मेरी बांछें खिल गईं और मरी हुई उम्मीद ज़िंदा होने लगी. मैं उससे बात करने लगा.
अब आगे Xx भाभी की हॉट कहानी:
मैंने कहा- तुम तो बहुत ही खूबसूत हो.
माधुरी ने कहा- ऐसे नहीं, खुल कर बोलो.
मैंने कहा- बहुत ज्यादा कमाल की लगती हो.
माधुरी ने कहा कि ऊंहूँ … ऐसे नहीं, उस दिन जैसे बोल रहे थे, ठीक वैसे बोलो.
मैंने उससे कहा- अरे मैंने कहा था न कि उस दिन मैं गलती से बोल गया था. आज फिर से वही गलती दोबारा कैसे कर सकता हूँ.
अब माधुरी थोड़ा सा चिल्ला कर बोली- बोलते हो या मैं फ़ोन रख दूँ?
मैंने कहा- ठीक है ठीक है, मैं बताता हूँ.
फिर मैंने उससे कहा- माधुरी, सच तो ये है कि मुझे तुम्हारी चूचियां बहुत अच्छी लगती हैं. एक दिन जब तुम बाइक पर बारिश में भीगती हुई अपनी शॉप पर आयी थीं, तो मैं अपने ऑफिस की खिड़की से तुम्हें ही देख रहा था. तब तुम्हारे टॉप से तुम्हारी भीगी हुई ब्रा साफ साफ दिख रही थी. उस वक़्त तुम्हारी चूचियों के निप्पल उभर कर दिख रहे थे. उस वक़्त ऐसा लगा कि दौड़ कर तुम्हारे पास चला जाऊं और उनके चूस लूं. उनका सारा दूध पी जाऊं.
ये कह कर मैं एक पल के लिए रुका और इस आशंका से माधुरी की आवाज सुनने की प्रतीक्षा करने लगा कि वो अब चिल्लाई तब चिल्लाई.
मगर मुझे उसकी गहरी होती सांसों की आवाज ही सुनाई देती रही.
मैंने आगे बोलना शुरू किया- फिर जब तुम अपने बाल सुखाने के लिए झुकीं, तो तुम्हारे टॉप के गहरे गले से मुझे अन्दर का नजारा देखने को मिला. उफ्फ … अन्दर तुम्हारी भरी हुई चूचियां क़यामत बरपा रही थीं माधुरी. मैंने तुम्हारी चूचियां कई बार देखी हैं. बारिश में तुम्हारी सफ़ेद लेगिंग्स जब पूरी गीली थी, तब तुम्हारी नीले कलर की पैंटी देख कर तो मैंने उस दिन ऑफिस के बाथरूम में दो बार अपने लंड को हिलाकर शांत किया था.
मैंने ये कह कर एक बार फिर से रुक कर माधुरी की सांसों का अहसास किया.
वो मेरी बातों से गर्म हो रही थी.
मैंने उससे लंड हिलाने की बात कही थी तब शायद उसे अन्दर तक चुनचुनी हो गई थी.
अब मैंने बिंदास आगे बोलते रहने का तय कर लिया- माधुरी, तुम्हारी बड़ी गोलमटोल गांड और तुम्हारी कमर की बाजू से दिखती तुहारी पैंटी देख कर ऐसा लगता था कि अन्दर से कितनी खूबसूरत दिखती होगी. सच में तुम्हारी चूत को देखने की मेरी बहुत इच्छा है, बस जब जब तुम्हें बारिश मैं भीगी देखता हूँ, ऐसा लगता है कि तुम सचमुच की कामदेवी हो, बिल्कुल तुम किसी पोर्न ऐक्ट्रेस की तरह लगती हो … मुझे तुम्हारा दूध पीना है माधुरी, तुम्हारी चूचियों को पूरा खाली करना है, तुम्हारी गांड को चूसना है, तुम्हारी बगल को चाटना है … और बस सीधे सीधे कहूँ, तो मैं तुम्हें जोर जोर से चोदना चाहता हूँ. तुम्हारे तीनों छेदों में मैं अपने मूसल जैसे काले लंड को पेल कर खूब जोरदार चुदाई करना चाहता हूँ. तुम्हारी चूत का रसपान करना चाहता हूँ.
मैंने एक ही सांस में सब कुछ बोल डाला.
माधुरी बस मेरी बात सुन रही थी.
जब मेरी बात खत्म हुई, तो मैंने उससे कहा- ये मेरी दिली ख्वाईश है माधुरी, जो मैंने तुमसे साफ़ साफ़ कह दी है.
माधुरी ने मुझसे कहा- मुझे तुम क्या ऐसा देखते हो … मैं तो तुम्हें बहुत अच्छा समझती थी, लेकिन तुमने तो सारी हदें पार क़र दीं.
मैंने उससे कहा कि मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि मैं तुम्हें हर रोज देखता हूँ और तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो, लेकिन तुम ही मुझे बार बार मजबूर क़र रही थीं, तो मैंने बस बोल दिया.
माधुरी एक बार फिर से मुझ पर बहुत ज्यादा नाराज हो गयी.
मैं उसे मनाने की कोशिश करने लगा.
मैंने उससे कहा कि मुझसे गलती हो गयी है, मैं दुबारा अपनी दोस्ती के बारे में ऐसा नहीं सोचूंगा. लेकिन तुम नाराज मत होना.
वो मेरी बात सुनाने को तैयार ही नहीं थी.
मुझे लगा कि अब इस बार मैं उसे पक्का खो दूंगा.
मैंने उससे कहा- सच में तुम इतनी कमाल की खूबसूरत दिखती हो कि मैं अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं क़र पाया. दरअसल कसूर मेरा नहीं है, तुम लगती ही इतनी कातिल हो कि कोई भी तुम्हें देख क़र खुद पर काबू नहीं क़र सकता.
माधुरी बस मेरी बात सुन रही थी लेकिन वो शायद अब भी मुझसे नाराज थी.
मैंने उससे कहा- प्लीज तुम जो बोलोगी, मैं वो करूंगा … बस तुम नाराज मत होना और हमारी दोस्ती मत तोड़ देना.
माधुरी ने कहा- नहीं, ऐसे दोस्त नहीं चाहिए मुझे … जो मेरे बारे में ऐसा सोचते हों. मैंने तुम्हें बहुत अच्छा समझती थी, मुझे लगा था कि तुम मेरी मदद करोगे लेकिन तुम भी सबके जैसे ही निकले.
मैंने उससे कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है, तुम बोलो तो सही, तुम्हें क्या मदद चाहिए. मैं जरूर करूँगा.
माधुरी ने कहा- नहीं मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए. बस अब मैं तुम्हें कभी कॉल नहीं करूंगी … और न ही तुम करना, वरना तुम्हारे ऑफिस मैं आक़र शिकायत क़र दूंगी.
उसकी इस बात से मैं और भी डर गया.
मैंने उससे कहा- नहीं ऐसा मत करो, तुम जो भी बोलोगी मैं करूंगा, पर ऐसा मत करो.
माधुरी ने कहा- ओके मेरा एक काम करोगे?
मैंने बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया- हां हां … क्यों नहीं, तुम जो भी बोलोगी, मैं वो करूंगा.
माधुरी ने कहा- देखो फिर ऐसा मत बोलना कि ये बहुत मुश्किल है, मुझसे नहीं होगा.
मैंने उससे कहा कि मैं वादा करता हूँ तुम जो भी बोलोगी, मैं वो करूँगा.
उसने कहा कि ओके तुम कल दोपहर को मेरी शॉप पर आ जाना, वहीं पर तुम्हें बताऊंगी.
मैंने कहा कि ठीक है, लेकिन कितने बजे आना है … और तुम्हारी नयी शॉप मुझे नहीं पता है.
माधुरी ने मुझे अपनी बदली हुई शॉप का पता बताया और कहा- कल दो बजे शॉप पर आ जाना, देर मत करना वर्ना तुम्हारी शिकायत क़र दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, मैं कल दो बजे तुम्हारी शॉप पर आ जाता हूँ.
फिर उसने कॉल काट दी.
मैं थोड़ा डर भी गया कि कल माधुरी का क्या काम होगा और अगर मैं नहीं क़र पाया तो क्या सच मैं वो मेरे ऑफिस में शिकायत करके मुझे काम से निकलवा देगी.
मैं बहुत डरा हुआ था लेकिन मेरे पास और कुछ चारा भी नहीं था.
मैं मन ही मन सोचने लगा कि साला ये चूत चक्कर है ही बहुत खतरनाक. खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा बारह आना.
ऐसे ही मैं सो गया और दूसरे दिन जब ऑफिस पहुंचा तो मैं डरा हुआ था. पता नहीं माधुरी क्या करवाने को बोल रही थी.
ऐसे ही कब दो बज गए, मैं समझ ही नहीं पाया.
फिर मैं जल्दी माधुरी के दिए गए पते पर पहुंचा.
मैंने देखा तो वहां कोने में पहली मंजिल पर माधुरी की शॉप का बोर्ड दिख गया.
मैं सीढ़ियों से ऊपर गया और दुकान के बाहर पहुंचा तो देखा कि अन्दर माधुरी कुर्सी पर बैठी मोबाइल में कुछ देख रही थी.
उसने आज नीले रंग का कुर्ता पहना था और सफ़ेद रंग की टाइट लेगिंग्स थी.
बाहर कांच से वो कुर्सी पर बैठी दिख रही थी, जिसमें उसकी भरी हुई गांड एकदम फूले हुए गुब्बारे की तरह कुर्सी पर चिपकी थी.
वो कमाल की लग रही थी.
मैंने बाहर से कांच पर ठकठक की आवाज की.
माधुरी ने मुझे देखा और अन्दर आने को इशारा किया.
मैं डरते डरते अन्दर गया.
माधुरी कुर्सी से उठ कर काउंटर पर आक़र खड़ी हो गयी और थोड़ा आगे की तरफ झुक कर खड़ी होक़र मेरी तरफ देखने लगी.
वो जैसे ही काउंटर पर अपनी हाथ की कोहनियां रख कर झुकी, उसके टॉप से गले के अन्दर की ब्रा और उस ब्रा से उसकी आधी चूचियां दिखने लगीं.
मैंने फ़ौरन वहां से अपनी नज़रें हटाईं और नीचे देखने लगा.
नीचे कांच के काउंटर पर मुझे माधुरी की कातिल नज़रें मुझ पर पड़ती हुई दिख रही थीं.
उसने मुझे देख कर कहा- क्यों कैसे लगी मेरी नयी दुकान … अभी सैट की है पूरी शॉप को.
मैंने नीचे ही झुके हुए ही कहा- बहुत अच्छी सजाई है.
माधुरी अब थोड़ा और मेरी तरफ झुक कर कहने लगी- अब नीचे क्यों देख रहे हो, मेरी तरफ देखो.
मैंने उसकी तरफ देखने के लिए जैसे ही अपने सर को ऊपर उठाया, मुझे उसके गले से उसकी ब्रा के अन्दर का नजारा दिखने लगा.
मैंने जल्दी से वहां से नजर हटाई और शॉप में इधर उधर देखने लगा था.
फिर हम बातें करने लगे लेकिन बीच बीच में मेरी नजरें बार बार माधुरी के गले के अन्दर उसकी ब्रा में कैद चूचियों पर आकर रुक रही थीं.
माधुरी ने भी ये बात नोटिस की कि मेरी आंखें उसकी चूचियां देख रही हैं.
उसने कहा- तुमने बताया नहीं, आज मैं कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- तुम तो हमेशा से सुन्दर लगती हो.
इस पर माधुरी अब और भी ज्यादा झुक कर और कांच पर अपनी चूचियां दबा कर मेरे से बात करने लगी थी जिससे मेरा ध्यान बार बार उसकी चूचियों पर जाकर अटक जाता.
माधुरी मेरी तरफ देख कर मुझसे बोली- नहीं उस दिन तो तुम कह रहे थे न कि मुझे तुम्हारा दूध पीना है, तुम्हारी चूचियों को पूरा खाली करना है.
वो आगे कुछ बोलती, उससे पहले मैंने उससे कहा- वो तो मैंने गलती से बोल दिया था और उसके लिए तुमसे माफ़ी भी मांगी थी.
मैंने अपनी मुंडी नीचे झुकाकर फिर से सॉरी बोला. लेकिन माधुरी तो मुझे देख कर हंस रही थी.
उसने कहा- तो ऊपर देखो न … यहां अभी दुकान में कोई नहीं है, तो क्या तुम्हें मेरा दूध अभी पीना है? मेरी चूचियों को पूरा खाली करना है? ऊपर देखो और बोलो न!
वो अब कुछ तेज स्वर में बोल रही थी.
मैंने कहा- नहीं सॉरी, उस दिन मेरे मुँह से गलती से निकल गया.
माधुरी ने झूठमूठ का गुस्सा होकर कहा- इसका मतलब ये कि तुम अब जब मैं अकेली हूँ, तो क्या मेरी बगल को चाटोगे? मुझे जोर से चोदोगे? मेरे तीनों छेदो में अपने मूसल जैसे काले लंड को डाल कर मेरी खूब जोरदार चुदाई करोगे? मेरी चूत का रसपान करोगे?
मैं सर नीचे झुकाये बोला- नहीं, नहीं वो तो उस दिन ऐसे ही गलती से निकल गया था.
उस वक्त मेरी बहुत फट गयी थी क्योंकि अब मैं अकेला ही उसकी लेडीज आइटम वाली शॉप पर था, तो कहीं वो अपने पति को न बुला ले.
लेकिन मैंने नीचे देखा कि माधुरी मेरी तरफ देख कर हंसती हुई बोली- मुझे लगा कि तुम सच में मेरा दूध पियोगे, मेरी चूत चाटोगे, मुझे सच्ची में जोर से चोदोगे?
ये सुनते ही मेरे होश उड़ गए.
मैंने ऊपर सर उठाया तो माधुरी ने मेरे गाल को खींच कर कहा- मैंने तुम्हें इसलिए तो बुलाया है बुद्धू.
अब वो हंसने लगी.
मैंने उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखा तो माधुरी अपनी कातिल नजरों से अपने होंठ अपने दातों तले दबाए हुए थी और मुझे आंख मारती हुई इशारे करने लगी थी.
मैं समझ गया और बहुत खुश हुआ कि चलो अब तो ये आज नहीं तो कल जरूर देगी.
फिर माधुरी ने कहा- और बोलो … खाना खाया कि नहीं?
मैंने कहा- नहीं, अभी तक तो नहीं खाया.
माधुरी बोली- तो चलो अभी खाते हैं.
मैंने कहा- कहां … यहां?
उसने कहा- हां यहीं, क्यों तुम्हें कोई ऐतराज है?
मैंने कहा कि नहीं, कोई देख लेगा तो?
माधुरी ने कहा कि अभी इस वक़्त दोपहर को दुकान में कोई नहीं आता और मेरे पति दुकान का माल लेने मुंबई गए हैं तो वो नहीं आ सकते.
मैं दुकान में देखने लगा कि किस किस प्रकार की है.
माधुरी की शॉप में औरतों की बहुत सारी अलग अलग तरह की मॉर्डन ड्रेसेज थीं.
माधुरी भी मुझे देख रही थी और बीच बीच में मुझसे बात कर रही थी.
फिर माधुरी काउंटर से बाहर निकली और मुझसे बोली- तुम अन्दर ही रुको, मैं यहां नीचे बैठने की व्यवस्था करती हूँ.
उसने शायद खुद के लिए या उसकी बच्ची के लिए बैठने के लिए और दोपहर को आराम करने के लिए एक सोफे वाली कुर्सी और नीचे जमीन पर गद्दा बिछाया हुआ था.
माधुरी ने कहा- तुम बैठो, मैं आती हूँ.
मैं बस दुकान में इधर उधर देखे जा रहा था. माधुरी बाहर गयी और अन्दर आते ही उसने दुकान शटर अन्दर से बंद कर दिया.
मैं ये देख कर एकदम से डर गया और मैंने माधुरी से पूछा- क्या हुआ, क्या कोई आ गया?
माधुरी ने मुस्कुराकर कहा- नहीं, तुम्हें भूख लगी है न … तो अभी बाहर कहां जा सकते हैं. उतना वक़्त भी नहीं है, यहीं खा लो. कोई आ न जाए इसलिए थोड़ी देर के लिए शॉप बंद की है.
मैंने कहा- ओह … अच्छा तो मेरे लिए तुम अपने कस्टमर को छोड़ दोगी क्या?
तो माधुरी बोली- अरे तुम तो मेरे सब से अच्छे दोस्त हो, तो दोस्ती यारी मैं ये दुकान क्या चीज़ है, मैं तो तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.
ये सुन कर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.
मैंने मन में सोचा कि आज नहीं तो कल मैं इसे चुदाई के लिए पटा ही लूंगा.
मैं हंसने लगा.
माधुरी मेरे पास आकर बैठ गयी.
मैंने अपने बैग से अपना टिफ़िन निकाला और सामने रख दिया.
माधुरी ने देखा और कहा- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा कि खाना खाने के लिए अपना डिब्बा निकाला है.
माधुरी ने मेरा वो हाथ थामा, जिस हाथ मैं मेरा डिब्बा था.
वो मेरी तरफ देख कर बोली क्या तुम्हें सिर्फ इस खाने की भूख है? मैंने तो तुम्हारे लिए दूध रखा था.
ये कह कर माधुरी ने अपने दांतों तले फिर से अपने होंठ चबाए और मुझे अपने होंठों से सीधा अपनी चूचियों पर इशारा दे दिया.
एक मिनट के लिए मैं समझ ही नहीं पाया कि ये क्या हुआ.
माधुरी ने कहा- आज इस दूध को पीकर अपनी भूख मिटा लो.
मैं हैरान था कि क्या सच में आज माधुरी मुझे अपने मस्त और रसभरे दूध पिलाना चाहती है. क्या दुकान के अन्दर ही वो मुझे अपनी चुत भी चोदने देगी.
आगे क्या होने वाला था, ये सब भविष्य के आकाश में था.
आपको Xx भाभी की हॉट कहानी के अगले भाग में लिखूंगा कि आगे क्या क्या हुआ.
मुझे मेल लिखें.
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Xx भाभी की हॉट कहानी का अगला भाग: बुटीक वाली सेक्सी भाभी के जिस्म का मजा- 4