माय देसी वाइफ X कहानी में पढ़ें कि मुझे अपनी बीवी को गैर मर्द से चुदती देखना अच्छा लगता है. ऐसे ही मैंने उसके लिए एक तगड़ा लंड ढूंढ लिया और उसे बुला लिया.
दोस्तो, मैं राकेश शर्मा मस्त … एक बार फिर से अपनी पत्नी आशा की गैर मर्द से चुदाई की कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
मेरी पिछली कहानी कहानी
मेरी पत्नी की गैर मर्द से चूत चुदाई
में आपने पढ़ा था कि मैं अपनी बीवी आशा को गैर मर्दों से चुदवा कर अपनी कामपिपासा को शांत करने लगा था.
मेरी बीवी भी सेक्स एन्जॉय करने लगी थी.
पिछली बार उसने एक गैर मर्द से चुदवा कर उसका वीर्य अपनी चूत में ही ले लिया था, जिससे मुझे लगा था कि वो आदमी इसका कोई पुराना यार था, जिससे वो सन्तान सुख लेना चाहती थी.
पर किसी वजह से मेरी पत्नी को गर्भ नहीं ठहर सका था.
अब आगे माय देसी वाइफ X कहानी:
जब पत्नी को गैर मर्द से चुदवाने में खुद से मजा आने लगा तो वो भी मुझसे बड़े लंड वाले मर्द की डिमांड करने लगी.
उसकी ख्वाहिश को देख कर मैंने फेसबुक पर एक फर्जी आईडी बना ली और अपनी पत्नी आशा के लिए कोई तगड़ा लंड ढूंढ रहा था.
कई लोग मेरी पत्नी को चोदने के लिए तैयार थे पर मुझे कोई उपयुक्त नहीं लग रहा था.
किसी का लंड छोटा था तो कोई देखने में अच्छा नहीं था, तो कोई ज्यादा ही बूढ़ा था.
बातों बातों में मुझे अपनी पत्नी की पसंद का पता चल गया था कि उसको जवान लड़के नहीं बल्कि 35 साल से ऊपर के मर्द पसंद आते हैं.
एक दिन मेरी खोज एक आदमी पर जा कर रुक गयी.
वह आदमी किसी मल्टी नेशनल कमपनी में जनरल मैनेजर था परन्तु वह दिल्ली में जॉब करता था जबकि हम दिल्ली से दो सौ किलोमीटर दूर रहते थे.
उस आदमी का लंड करीब 7 इंच लम्बा और काफी मोटा था.
उसके लंड को मैं वीडियो कॉल करके देख चुका था.
मुझे वो आदमी अपनी पत्नी आशा को चुदवाने के लिए बहुत पसंद आ गया था.
उस आदमी का रंग काफी काला था जबकि मेरी पत्नी आशा एकदम गोरी-चिट्टी है.
विशेषकर आशा की चूचियां और जांघें एकदम सफ़ेद दूधिया रंग की लगती थीं.
मैं उसके काले लंड के गोरी चूत में घुसने की कल्पना से सिहर गया.
मैं उस रात की कल्पना करने लग गया जब तेज ट्यूब लाइट में मेरी पत्नी के सफ़ेद गोरे शरीर को एक काला सांड रौंदेगा.
अब समस्या यह थी कि उस आदमी को पूरी रात रुकने के लिए घर कैसे बुलाऊं.
क्योंकि इस काम के लिए मेरी पत्नी खुद से कभी भी तैयार नहीं होती.
वैसे वो चुदने के लिए मना नहीं करती थी लेकिन उसका मूड भी देखना पड़ता था.
इतनी दूर से किसी आदमी को बुलाऊं और पत्नी चुदवाने से मना कर दे, तो मेरी बेइज्जती हो जाएगी.
मैंने एक चाल चली और उस आदमी को सब कुछ बता दिया कि बुला तो लूंगा, पर पक्का नहीं कि वो चुदे ही … क्योंकि अपने आप वो कभी राजी नहीं होगी.
वो आदमी भी समझदार था, वो बोला- हां, मैं इस बात को समझता हूँ. कोई भी औरत, दूसरे मर्द से चुदने के लिए इतनी आसानी से तैयार नहीं होती है. पर हम लोग आशा को चोदने का एक प्लान बनाते हैं.
उसने प्लान बताया- तुम दोनों पति पत्नी किसी रात रेस्टोरेंट में डिनर के लिए जाना और वहां अचानक से मैं मिल जाऊंगा. हम दोनों ऐसे मिलेंगे, जैसे पुराने दोस्त हों और अचानक कई साल बाद मिल गए हों. फिर साथ डिनर कर लेंगे. उधर ही मैं आशा के सामने ही बोलूंगा कि मैं ऑफिस के किसी काम से यहां आया था और आज रात को ही लुधियाना जाना है. पूरी रात सफर करना पड़ेगा, बहुत दिक्कत हैं भाई टूरिंग जॉब में! इस पर प्लान के अनुसार तुम बोलना कि अरे भाई ऐसी भी क्या जरूरी है, सुबह निकल जाना. आजकल तो रात में वैसे भी धुंध छा जाती है. आजकल रात का सफर बहुत खतरनाक है. फिर काफी जोर देने के बाद मैं तुम्हारे घर पर रुकने के लिए तैयार हो जाऊंगा और आशा मेरे सामने से एकदम से मना भी नहीं कर पाएगी.
योजना के अनुसार हमने ठीक ऐसी ही स्थिति बनाई.
तय दिन पर आशा के साथ मैं एक होटल में गया और उस काले आदमी से मुलाक़ात हुई.
उधर मैंने उससे बातें की और आखिर में वह आदमी झूठी आनाकानी के बाद हमारे घर रुकने को तैयार हो गया.
मैंने देखा कि आशा उसके रुकने की बात से बिल्कुल भी खुश नहीं दिखी.
खैर … डिनर आर्डर करना था, पर वेटर आस-पास नहीं दिख रहा था.
मैं बहाने से रेस्टोरेंट के काउंटर की तरफ चला गया, साथ ही उस आदमी को कुछ गुप्त इशारे से समझा भी गया.
मेरी पत्नी की पीठ काउंटर की तरफ थी, वो मुझे देख नहीं पा रही थी.
मैंने देखा कि वो आदमी आशा से कुछ बातें कर रहा है, शायद हाल-चाल पूछ रहा था.
अचानक उसने बोतल से गिलास में पानी निकाला और आशा की तरफ बढ़ाया.
पानी का गिलास पकड़ते समय उसने आशा की उंगलियों को छू लिया.
आशा ने इस बात को सामान्य लिया.
मैंने काउंटर से ही उस आदमी को इशारा किया कि कुछ अलग सा करो.
वह आदमी मेरी वाइफ से लगातार नजरें मिला रहा था.
मेरी पत्नी नजरें इधर उधर घुमाने की कोशिश कर रही थी पर नज़र मिल ही जाती थी.
अचानक उस आदमी ने आशा से नजरें मिलते ही आंख मार दी और फिर बिल्कुल सामान्य सा दिखने लगा, जैसे कुछ हुआ ही न हो.
अब मैं भी साथ आ चुका था.
मैंने देखा कि मेरी बीवी आशा के चेहरे पर थोड़ा गुस्सा सा झलक रहा था.
खाने का आर्डर हो चुका था और खाना आने में आधा घंटा लगने वाला था.
चूंकि इस रेस्टोरेंट में बार भी था, तो उस आदमी ने मेरे और खुद के लिए व्हिस्की आर्डर कर दी थी.
आशा से ड्रिंक के बारे में पूछने पर वह नानुकर करने लगी.
उस आदमी से मुझसे पूछा- वैसे भाभीजी लेती हैं कभी?
मैंने कहा- हां, बस खास मौकों पर … वैसे नहीं लेती.
वह आशा को देखते हुए हंस कर बोला- इससे ज्यादा खास मौका क्या हो सकता है भाभी जी?
फिर उसने बिना आशा की सहमति का इंतजार किए एक पैग और मंगा दिया.
साथ ही वेटर को इशारा कर दिया कि पैग रिपीट कर देना.
मेरी पत्नी आशा ड्रिंक न के बराबर ही करती थी. कभी कभी जोर देने पर आधा पैग ही ले पाती थी.
पर आज वेटर मेरे दोस्त के इशारे पर हार्ड ड्रिंक रिपीट कर गया.
आशा ने दो पैग पी लिए थे.
फिर हम लोगों ने खाना मंगाया और लेना शुरू किया.
नशा ज्यादा चढ़ने के कारण आशा से कुछ भी ढंग से खाया ही नहीं गया.
हमें भी खाने की इतनी चिंता नहीं थी.
मेरे दोस्त को मेरी पत्नी को चोदने की जल्दी थी इसलिए हम दोनों ने भी जल्दी जल्दी डिनर फिनिश कर दिया.
मैं बिल भुगतान करने में व्यस्त था तो मेरे दोस्त ने मेरी गाड़ी की चाभी मांगी और बोला- भाई साहब, भाभी को ज्यादा चढ़ गयी है, आप बिल चुका कर आ जाओ. मैं तब तक भाभी को गाड़ी में बैठाता हूँ.
वह मेरी बीवी को गाड़ी में बिठाने चल दिया.
इस बीच मैंने देखा कि मेरी बीवी ढंग से चल नहीं पा रही थी और बुरी तरह लड़खड़ाने लगी थी.
चूंकि मेरी बीवी साड़ी ब्लाउज में थी, तो इस लड़खड़ाहट में उसके कपड़े भी अस्त व्यस्त होने लगे थे.
मैं भी बिल चुका कर रेस्टोरेंट के गेट पर आ चुका था जहां से पार्क में खड़ी मेरी गाड़ी साफ़ दिख रही थी.
मैं जानबूझ कर कुछ देर के लिए गेट पर ही रुक गया.
वह आदमी मेरी बीवी को किसी तरह गाड़ी की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहा था.
उस आदमी का मेरी पत्नी को थामने का अंदाज भी अलग ही था. उसने मेरी बीवी के दोनों बांहों के नीचे से हाथ डालकर पकड़ रखा था, जिसके कारण उसके दोनों हाथ मेरी बीवी के बूब्स पर जम गए थे और वो सबके सामने ही मेरी बीवी के दूध मसलता हुआ उसे कार तक ले जाने की कोशिश कर रहा था.
होटल के गेट के आस-पास खड़े कुछ लोग भी इस दृश्य को देख रहे थे और एकाध तो पैंट के बाहर ही लंड भी खुजला रहे थे.
अचानक मेरे पास खड़ा एक 32-33 साल का आदमी अपना लंड खुजाते हुए मुझसे बोला- मस्त माल है सर, आज इस आदमी ने अपनी बीवी को दारू पिला कर टुन्न कर दिया है. पक्का आज रात इसकी गांड मारेगा.
वो मेरी पत्नी को उस आदमी की पत्नी समझ कर बोल रहा था.
मैं चुप ही रहा.
अत्यधिक नशे में मेरी बीवी उसके हाथों में लगभग झूल गयी थी.
खैर … किसी तरह उस आदमी ने मेरी गाड़ी का गेट खोला और मेरी बीवी को किसी तरह अन्दर सीट पर लगभग धकेल दिया.
फिर उसने खुद अन्दर घुसने की कोशिश की, पर नशे में चूर मेरी बीवी एक इंच भी खिसकने को तैयार नहीं दिखी.
आखिर वह आदमी दूसरी तरफ का गेट खोल कर अन्दर घुस गया.
इस बीच मैं भी चुपके से गाड़ी के पीछे डिक्की की तरफ आ चुका था.
गाड़ी की लाइट बंद थी, पर पार्किंग की लाइट से गाड़ी के अन्दर काफी कुछ दिख रहा था.
मेरी बीवी के कपड़े बहुत अस्त व्यस्त हो चुके थे और शायद वह आदमी भी यही चाहता था क्योंकि उसने मेरी बीवी के कपड़े जरा भी ठीक करने की चेष्टा नहीं की थी.
आशा जरा भी होश में नहीं थी जिसके कारण वह आदमी बेखौफ हो चुका था.
मैंने गाड़ी के अन्दर नजरें गड़ा दीं.
आशा का पल्लू पूरी तरह उसकी जांघों पर गिरा हुआ था.
आशा की 36 इंच की सफ़ेद दूधिया चूचियां कम लाइट में भी बल्ब की तरह चमक रही थीं.
इस बीच उस आदमी ने आशा की गर्दन अपनी तरफ मोड़ दी और सीधे उसके होंठों पर होंठ रख दिए.
शायद आशा को लगा कि कोई अपना खास हमदर्द उसको संभाल रहा है.
आशा ने अपनी गर्दन लम्बी कर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया.
उस हालत में भी वह आदमी अपनी गर्दन एडजस्ट करके आशा के होंठों को चूम रहा था; साथ ही आशा की मस्त चूचियों को दबाए भी जा रहा था.
आशा पूरी तरह नशे की हालत में थी. वह न तो किस का जबाव दे रही थी, न विरोध कर रही थी.
अचानक मैंने गाड़ी की खिड़की के पास आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जिससे वह आदमी आशा से इंच भर दूर हो गया.
उसने मुझे चाभी थमाते हुए कहा- लो भाईसाहब, आप गाड़ी सम्भालो. मैं तब तक भाभी जी को संभालता हूँ. आज इनको कुछ ज्यादा ही नशा हो गया है.
मैंने गाड़ी स्टार्ट की.
कुछ ही मिनट का रास्ता था मगर मैं उसमें ज्यादा समय में तय करना चाहता था ताकि अपनी बीवी से उस आदमी की छेड़छाड़ देख सकूं.
मैंने गाड़ी चलानी शुरू कर दी.
पार्किंग से बाहर निकलते ही कुछ ही मिनट में वह मेरी बीवी को बेतहाशा चूमने लगा. मुझे चुम्बनों की आवाज से और कभी कभी फ्रंट मिरर से पता चल रहा था.
नशे में होने के बाबजूद भी आशा की आहें और मादक सिसकारियां निकल रही थीं, शायद चूचिया दबाने से सिसकारी और मसलने से आह निकल रही थी.
इस बीच मैंने मिरर में देखा कि वह आदमी आशा के ब्लाउज के दो बटन खोल चुका था और एक चूची को ब्लाउज और ब्रा से बाहर निकाल चुका था.
उसने मेरी बीवी की चूची के निप्पल पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया.
मेरी बीवी की सिसकारियों से लग रहा था कि नशे के बाबजूद उसकी चूत में गर्मी पैदा होने लगी है.
उसी हालत में आशा उसके ऊपर ही लुढ़कने लगी.
उस आदमी ने धीरे से कहा- आशा, तुम्हें ज्यादा चढ़ गयी है. जब तक घर पहुंचो, तुम मेरी गोद में सर रख कर लेट जाओ.
आशा की समझ में कुछ नहीं आया, बस वह तो लुढ़की जा रही थी.
तभी वह आदमी थोड़ा दूर हटा और आशा के सर को पकड़ कर अपनी गोद में झुकाने लगा.
खुद लुढ़की जा रही आशा उसकी गोद में सर रख कर लेट गयी.
आशा के पैर सीट से नीचे लटक रहे थे पर सर और धड़ उस आदमी की जांघों में था.
मैं सब कुछ आगे शीशे में देख पा रहा था.
अचानक वह आदमी कुछ कसमसाया और कुछ एडस्ट करने लगा.
शायद उसने अपना लंड पैंट से बाहर निकाल लिया था.
लंड खड़ा होने के कारण उसको पैंट से बाहर निकालने में उस आदमी को थोड़ा समय लगा.
ठीक वहीं पर आशा सर टेक कर लेटी हुई थी.
अब मुझे खास कुछ दिखाई नहीं दे रहा था क्योंकि आशा लेटी हुई थी.
पर मैं देखना चाहता था.
मैं बहुत ही धीरे धीरे गाड़ी चला रहा था ताकि घर भी देर से पहुंचे और मुझे कुछ सीन दिखाई दे जाए.
अचानक से मैंने एक सुनसान सी जगह पर अचानक से गाड़ी को साइड में करके रोक दी और अन्दर की लाइट जला दी.
मैं जानबूझ कर पीछे मुड़ा और उस आदमी से पूछा- आशा को ज्यादा दिक्कत तो नहीं, अन्यथा निम्बू पानी की दुकान से निम्बू पानी ले लेते हैं ताकि थोड़ा नशा उतर जाए.
वह आदमी बोला- नहीं भाई, अब ये काफी ठीक है.
इस बीच मैंने देख लिया कि उस आदमी का सात इंच लम्बा, मोटा और काला लंड फनफनाया हुआ था और लंड माय देसी वाइफ के होंठों के बीच फंसा हुआ था.
वह आदमी बोला- अब ठीक है. आप कार चलाओ.
मैंने लाइट बंद कर पुनः गाड़ी स्टार्ट कर दी.
स्ट्रीट लाइट में भी मैं गाड़ी के अन्दर काफी कुछ देख पा रहा था.
अचानक उस आदमी के हाथ अधलेटी आशा के चूतड़ों की तरफ बढ़े और उसने आशा की साड़ी और पेटीकोट ऊपर खींच लिया.
वो उसके चूतड़ों को सहलाने लगा. क्योंकि आशा के चूतड़ सहालने के लिए वह चूतड़ों की तरफ ज्यादा ही झुक गया था तो इस प्रक्रिया में उसका लंड आशा के मुँह में पूरा घुस गया.
अचानक आशा के हलक में लंड घुसने से आशा ने उलटी करने की सी आवाज निकाली.
मैंने पूछा- क्या हुआ भाईसाब, क्या आशा को कुछ दिक्कत हो रही है?
उस आदमी को पता था कि दिक्कत कुछ नहीं है, केवल उसका लंड आशा के मुँह के अन्दर ज्यादा घुसने से ऐसा हुआ है.
वह बोला- नहीं, आशा ठीक है. ऐसी कोई बात नहीं है.
खैर … किसी तरह हम घर पहुंच गए.
मैं आशा को संभाल कर बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया.
उसकी साड़ी बहुत अस्त व्यस्त हो गयी थी तो मैंने किसी तरह साड़ी को उसके शरीर से अलग कर दिया.
अब आशा केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी और बेपरवाह होकर बिस्तर पर सो गयी.
वह आदमी आशा को चोदने के लिए कुछ ज्यादा ही उतावला हो रहा था.
मैंने इशारा किया कि धैर्य रखो. चिंता मत करो यार, पूरी रात पड़ी है. इसको पूरी रात चोदना.
इस हालत में वो आशा को चोदता, तो आशा को मजा नहीं आता.
हम दोनों भी उसी बेड पर बैठ कर बातें करने लगे.
इस बीच आशा थोड़ी हरकत में आयी, वह अर्धनिद्रा में ही अपने पेटीकोट से पूरे पैरों को ढकने की कोशिश कर रही थी जो कि घुटनों तक खिसका हुआ था.
वह आदमी लगातार अपने लंड को खुजला रहा था.
उसका लंड पहले से ही खड़ा था.
उसके उतावलेपन से ऐसा लग रहा था जैसे शेर के मुँह से किसी से उसका शिकार छीन लिया हो क्योंकि कुछ मिनट पहले तक गाड़ी में आशा नाम की यह बकरी उसके कब्जे में थी.
मैंने उसको समझाया कि थोड़ा सा सेंस में आ जाएगी, तब चोदना ठीक रहेगा.
दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको अपनी बीवी की चुदाई इस बड़े लंड वाले मर्द से कैसे हुई, वो लिखूंगा.
आपको मेरी माय देसी वाइफ X कहानी कैसी लग रही है, प्लीज़ मेल व कमेंट्स से जरूर बताएं.
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माय देसी वाइफ X कहानी का अगला भाग: