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दोस्त की बहन की सीलपैक चूत खोली

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फ्रेंड सिस्टर वर्जिन चुदाई का मजा मुझे दिया मेरे दोस्त की छोटी बहन ने! एक दिन मकैन उसके घर गया तो वह अकेली थी, ब्लू फिल्म देख कर अपनी चूत सहला रही थी.

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम. मैं प्रिंस राज आपके सामने फिर एक बार अपनी एक बहुत ही दिलचस्प सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ.

यह घटना 5 महीने पहले ही मेरे साथ घटित हुई.

यह फ्रेंड सिस्टर वर्जिन चुदाई का मजा मेरे दोस्त की एक बहन से जुड़ी हुई है. उसके साथ ये सब भी हो सकता था, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी.

आगे बढ़ने से पहले मैं अपने दोस्त की बहन का परिचय दे देता हूँ.
उसका नाम आयुषी है और उम्र 19 साल की है. वह मुझे 3 साल छोटी है.

आयुषी दिखने में एकदम दूध सी गोरी है और पतली भी है. उसका फिगर 30-26-32 का होगा और वह काफी सुंदर है.

एक दिन मैं अपने घर पर ही बैठा था कि तभी मेरे दोस्त का फोन आया.
मैंने फोन उठाया और उससे बात हुई.

उसने कहा कि आज उसके घर पर कोई नहीं है, आयुषी घर में अकेली है. तू उधर जाकर एक बार उसे देख ले कि उसे कोई समस्या तो नहीं है!
मैंने उसे हां बोल दिया और फोन रख दिया.

उसका घर मेरे घर से बस एक किलोमीटर की ही दूरी पर ही है तो मैंने सोचा कि क्यों पहले वहां होकर आ जाऊं फिर बाकी का काम करता हूँ.
उस समय दिन के लगभग 2 बजे थे.

मैं निकल कर उसके घर पहुंच गया.
मैंने आयुषी को बुलाने के लिए गेट पर दस्तक भी दी और काफी बार आवाज भी लगाई पर आयुषी का कोई जवाब नहीं आया.

तो मैंने उसके घर के गेट को धक्का दिया तो वह खुल गया.
मैं दरवाजा खोल कर अन्दर चला गया.

पूरे घर में अंधेरा था, बस नीचे वाले कमरे में हल्का सा उजाला दिख रहा था.
मैं सीधा वहीं चला गया. जैसे ही मैं अन्दर गया. मैंने जो देखा, उसे देख कर मेरे रोंगटे और लौड़ा दोनों ही खड़े हो गए.

जो आयुषी बहुत शर्मीली और सिंपल थी वह कान में हेडफोन लगा कर अश्लील वीडियो देख रही थी.
उसका एक स्तन टी-शर्ट से बाहर निकला हुआ था; वह अपने एक हाथ से उसे दबा रही थी.

उसने नीचे कैप्री डाली हुई थी जो घुटने तक खुली थी और दूसरा हाथ उसकी चूत पर था.

कमरे में केवल लैपटॉप की लाइट की ही रोशनी थी जो उसके सामने था.
उससे आयुषी का पूरा जिस्म मैं साफ तो नहीं देख पाया, पर समझ में सब आ रहा था.

फिर जैसे ही उसका ध्यान मुझ पर गया, वह बहुत डर गई.

तभी मैंने उससे कहा- ठीक होकर एक बार हॉल में आओ, मैं वहीं बैठा हूँ.
यह बोल कर मैं हॉल में जाकर बैठ गया.

मेरे दिमाग में आयुषी को चोदने के ख्याल आने लगे थे क्योंकि बहुत दिन से मैंने किसी की सील नहीं खोली थी.
मैं बस अभी यही सोच रहा था कि आयुषी नजर नीची करती हुई हॉल में आ गई.

वह काफी लाल हो गई थी क्योंकि वह शर्मीली थी पर हवस के कारण वह ये करने पर मजबूर हो गई थी.
खैर … जो भी रहा हो, वह शर्म के मारे उस समय कुछ बोल नहीं पा रही थी.

मैंने उससे कहा- तुम्हारे भाई का फोन आया था कि तुम घर में अकेली हो, तो तुमसे पूछ लूं कि तुम्हें कुछ समस्या तो नहीं है!
वह सिर झुकाए खड़ी थी.

कुछ देर बाद बोली- नहीं नहीं … मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
उसको देख कर साफ पता लग रहा था कि उसने ब्रा भी नहीं पहनी है. उसकी कड़क चूचियों के तने हुए निप्पल साफ दिख रहे थे.

फिर अचानक से वह रोने लगी और बोली- प्लीज, इस सबके बारे में भैया को मत बताना या किसी और को भी नहीं बताना … मैं बदनाम हो जाऊंगी!

मैं उसके पास गया और बोला कि ये सब सामान्य है आयुषी … इस उम्र में सभी करते हैं.
वह कुछ नहीं बोली.

मैंने अब उससे यह भी पूछ लिया- तुमने कभी सेक्स किया है?
उसने झुकी नजरों में मना किया.

मेरा लौड़ा सलामी देने लगा.
मैं उसके करीब जाकर खड़ा हुआ और उससे बोला- यार, रोने से क्या होगा.

मैंने उसको गले लगा लिया और उसने मेरे सीने में सिर छुपा लिया.
फिर मैंने उसके कान में बोला- तुम्हारा मन करता है सेक्स का?
उसने मुझे और कसके गले से लगा लिया.

मेरा लौड़ा काफी सख्त हो चुका था.
मैंने उसकी उभरी हुई चूची के निप्पल को उंगली और अंगूठे से चिमटी भरके दबा दिया.
उसके मुँह से सीत्कार निकल गई, पर वह कुछ नहीं बोली.

इस पर मैंने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया.
वह थोड़ी सहम गई.

मैंने उसके कान में कहा- आयुषी, इसे कभी हाथ में लेकर देखा है?
उसने न में सिर हिला दिया.

मैंने कहा- मेरा देखना है क्या?
वह कुछ नहीं बोली तो मैंने अपना जिप खोल दिया.

अंडरवियर का मुँह खोलते ही मेरा सुपारा बाहर आ गया.
सुपारा फूल कर लाल हो चुका था और काफी मोटा लग रहा था.

मैंने उसका हाथ मेरे लौड़े पर रखा और उसकी कैप्री के ऊपर से उसकी चूत की फांक को उंगली से रगड़ने लगा.
तभी वह एकदम से चिहुंक उठी और काफी तेज स्वर में मादक आवाजें निकालने लगी.

उसकी कैप्री चूत के पास से काफी गीली हो गई थी क्योंकि वह पहले से गर्म थी.
फिर मैंने अपनी पूरी पैंट नीचे की और पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर उसके हाथ में रख दिया.

वह चौंक गई और उसके पंखुड़ी जैसे लबों पर मैंने अपने होंठ रख कर उनका रसपान करने लगा, साथ ही साथ चूत को भी मसलने लगा.

तभी वह अकड़ गई.
उसने मेरे होंठ पर काट लिया और अचानक से उसकी चूत से खूब गर्म पानी निकलता हुआ महसूस हुआ.

मैंने तुरंत उसके लबों को छोड़ कर कैप्री उतार दी और उसकी बालों वाली गोरी चूत पर मुँह रख कर काफी तेजी से चूसने लगा.
उसके लिए ये पहली बार था.

उसका सारा पानी निकल गया और शरीर निढाल सा हो गया था.
लेकिन मैं चूत को चूसता रहा.

उससे रुका न गया तो वह अपनी पेशाब छोड़ बैठी.
उसने अपने मूत की एक गर्म धार मेरे मुँह पर छोड़ दी.
हालांकि वह खुद से काफी लज्जित महसूस कर रही थी.

वह उठी और वाशरूम की तरफ भाग गई और मैं हवस में वहीं बैठा रहा.

इस सबके बाद मुझे काफी हवस चढ़ चुकी थी.
आज आयुषी की जवानी अपने नाम करने का मौका भी था.

मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया.
जल्दी में उसने वाशरूम का दरवाजा नहीं लगाया था.

मैं जैसे ही अन्दर गया, वह जमीन पर बैठी थी और उसकी चूत से पेशाब की धार निकल रही थी.

उसने शर्म से अपना मुँह छिपा लिया, लेकिन कुछ बोल नहीं पाई.
इतने में मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और वह जैसे ही खड़ी हुई. मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल फेंकी.

उसके छोटे छोटे उरोज तने हुए थे. वह काफी थकी हुई लग रही थी.
मैंने उसको गर्म करना बेहतर समझा.

मैंने उसे उठाया तो वह किसी फूल की तरह हल्की थी.
उसे मैंने बिस्तर में ले जाकर लेटा दिया और खुद भी उसके पास लेट गया.

हम दोनों ही बिना कपड़ों के थे.
उसकी आंखें बन्द थीं.

मैं उसकी आंखों को चूमने लगा और चूमते हुए उसके ऊपर आ गया.
मैंने उसके लबों को चूमना शुरू किया और चूमते हुए उसके कान की लौ को हल्के से काटने लगा.

वह फिर से उत्तेजित होने लगी.
मैंने उसके दोनों हाथों को ऊपर करके उसकी बगलों को सूंघा और जीभ से चाटने लगा.
वह कामुक सिसकारियां निकालने लगी.

मैं उसके एक दूध पर आ गया और पूरा दूध मुँह में भर कर चूसने लगा.
वह आह आह कर रही थी.

उसी समय नीचे से मेरा लौड़ा उसकी टांगों के बीच चूत से सट कर रगड़ मार रहा था.
उसने अपनी दोनों टांगें टाइट कर रखी थीं.
मैं टांगों में लंड रगड़ने लगा.

किसी भी तरह से मैं अपने लंड को उसकी चूत पर टच करने की कोशिश कर रहा था.
वह लंड को जगह नहीं दे रही थी.

मैं ऐसे ही रगड़ते हुए उसके एक दूध को खींचते हुए पी रहा था; फिर बारी बारी से दोनों मम्मों को पीने लगा.
तभी अचानक से मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.

मैंने आयुषी से कहा कि मेरा निकलने वाला है, क्या करूँ?
जो लड़की इतनी देर से कुछ बोल ही नहीं रही थी, वह अचानक से बोली- मुझे देखना है कि कैसे निकलता है?
मैंने झट से उसके ऊपर से उठ कर अपना लौड़ा उसके छोटे छोटे हाथों में दे दिया.

वह लौड़े को हिलाने लगी लेकिन जैसे ही मेरा रस निकलने को हुआ, मैंने उससे पहले ही आयुषी के मुँह में लौड़ा डाल दिया.

उसे कुछ समझ में आता, इससे पहले मेरी पिचकारी उसके मुँह में ही छूट गई.
ढेर सारी मलाई उसके मुँह में उतरती चली गई.

वह एकदम से शॉक्ड थी.
जैसे ही मैंने लौड़ा उसके मुँह से बाहर निकाला, वह उठ कर भागी और बाथरूम में चली.

उसने सारी मलाई थूक दी और आकर मुझे सॉरी बोलती हुए बोली- मेरा सब पहली बार है!

मैंने उसे कुछ नहीं कहा और उसे गले से लगा लिया.
मेरा हथियार अब सोया हुआ था.

मैंने उससे कहा कि इसको मुँह में लो ना!
उसने बिना किसी ऐतराज के आगे पीछे करते हुए लौड़े को मुँह ले लिया और चूसने लगी.

कुछ ही समय में लौड़ा फिर से खड़ा हो गया.
मैंने उसकी चूत को सहलाया.

मुझे लगा कि ये ही सही मौका है, मुझे सील खोल देना चाहिए.
मैंने उसे लेटने को बोला.
वह समझ चुकी थी कि उसका काम उठने वाला है.

मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया रखा और चूत में उंगली करके देखी तो वह पहले से ही चिकनी थी.

तब मैंने लौड़े को निशाने पर लगाया और जैसे ही चूत में ठोकर मारी तो मेरा हथियार फिसलने लगा.

मैं जैसे ही फिर से उसकी चूत में लंड डालने लगा तो आयुषी ने कहा- भैया को और किसी को मत बताना … वर्ना मैं बदनाम हो जाऊंगी.
मैंने उसको यकीन दिलाया.

अब वह लौड़ा लेने के लिए मन से तैयार थी.
मैंने फिर से चूत पर सुपारा रखा और धक्का लगा दिया.
मेरा फूला हुआ सुपारा उसकी चूत की फांकों को फैलाता हुआ अन्दर उतर गया.

उसकी तभी चीख निकल गई.
मैं वहीं रुक गया और उसे चूमने लगा.

एक मिनट बाद मैंने फिर से धक्का मारा.
इस बार लौड़ा अन्दर फंसा हुआ था और दबाव भी जोर का लगा था तो मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.

वह चीखी और उसके आंसू निकल पड़े.
उसे चक्कर से आने लगे, वह वैसे ही काफी मरियल सी थी.

मैं उसे देख कर रुक गया. कुछ पल बाद धीरे धीरे अपने आधे लौड़े को आगे पीछे करने लगा.

आयुषी की चूत काफी गर्म और टाइट चूत थी.
धीरे धीरे धक्के देने के बाद आयुषी को भी मजा आने लगा.

ये देख कर मैंने जोश में जोर से शॉट दे मारा और इस बार मेरा लौड़ा जड़ तक अन्दर चला गया.

आयुषी जोर से चीखी, पर ये आखिरी बार था तो मैं कुछ समय के लिए रुक गया.

अब मैं फिर से धीरे धीरे फ्रेंड सिस्टर वर्जिन चुदाई का मजा लेने लगा.
आयुषी भी साथ देने लगी थी.

उस समय मुझे विचार आने लगा कि ये तो कभी पता ही नहीं था कि ये कोमल सी लड़की बड़ी होकर कभी मेरे नीचे भी आएगी.

मैंने आयुषी से कहा- तुम इतनी शर्मीली और पढ़ाकू हो … मुझे अहसास ही नहीं था कि आज मैं तुम्हारे साथ संभोग करूंगा. सच में यार यकीन नहीं हो रहा.
उसने हंस कर कहा- आज से मैं आपकी ही हूँ … बस किसी को पता नहीं चले. जब भी आपका मन हुआ करे, आप आ जाना. मैं आपके लिए तैयार रहूँगी.

ये सब सुनकर मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ने लगी.
आयुषी ने मुझे कसके पकड़ा और वह झड़ गई.

पर मैं अभी काफी दूर था.

उधर उसके अन्दर अब इतनी ताकत नहीं बची थी कि वह मेरे धक्के सहन कर पाए.
उसने कहा- अगर आप नहीं रुके, तो मैं कहीं बेहोश न हो जाऊं.

मैंने उसकी चूत से लौड़ा निकाल दिया और साफ करके कहा- मेरा नहीं निकला, क्या करूँ?
आयुषी ने कहा- मुँह में डाल कर धक्के मार लो, पर नीचे नहीं.

मैंने उसको लेटा दिया और मुँह में लंड सैट करके धक्के मारने लगा.
मुझे आयुषी के मुँह में भी पेल कर काफी मजा आ रहा था.

कुछ मिनट बाद मेरी चरम सीमा आ गई.
मैंने पूछा- कहां डालूँ?

उसने इशारे से बताया कि अन्दर ही आ जाओ.
मेरे आखिरी धक्कों में आयुषी ने मेरे लौड़े को टॉफी की तरह चूसा, जिससे मेरा खूब सारा वीर्य निकला.

उसने भी काफी अच्छी तरह से लंड चूसा और माल खा गई.
मैं झड़ कर वहीं निढाल होकर लेट गया.

उसके बाद मैं उस रात को वहीं रुका और पूरी रात मुझे आयुषी ने अपने जिस्म को भोगने मजा दिया.

तो यह थी मेरी ओर मेरे दोस्त की बहन की चुदाई की कहानी.

आशा करता हूँ कि आपको यह फ्रेंड सिस्टर वर्जिन चुदाई काफी पसंद आई होगी.
कृपया मेल से बताएं. कमेंट करके भी जरूर बताएं.
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