दोस्त की बीवी की चूत गांड की चुदाई की मैंने। वो पहले भी मुझसे चुद चुकी थी. चूत की गर्मी से परेशान भाभी ने मुझे अपने घर खाने पर बुलाया। वहां क्या हुआ?
नमस्कार दोस्तो, मैं राज शर्मा हूं।
मैंने इससे पहले वाली अपनी सेक्स स्टोरी
दारू पार्टी में चुदाई पार्टी हो गयी
में आपको बताया था कि मैं गुड़गांव में अपने दोस्त पंकज के यहां एक दिन दारू पार्टी के लिए गया था।
वहां पर मैंने दोस्त के नशे की हालत का फायदा उठाकर रात भर उसकी बीवी की चुदाई की।
मेरे दोस्त की बीवी मेरे लंड की दीवानी हो गयी।
उस दिन के बाद से हम दोनों का चक्कर शुरू हो गया।
आज मैं उसी कहानी को आगे बढ़ा रहा हूं।
एक दिन पंकज ने शाम को फोन किया- राज भाई, तेरी भाभी ने मछली बनाई है और वो बुला रही है।
मैं तो मना कर ही नहीं सकता था। मैं जानता था कि मछली खिलाने के बहाने दोस्त की बीवी की चूत की मछली मेरा लंड मांग रही है।
इसलिए मैंने भी तुरंत हां कह दिया।
जाने से पहले मैंने एक बोतल अंग्रेजी दारू की ली और गुड़गांव के झाड़सा में पंकज के रूम पर पहुंच गया।
हम दोनों ने दो दो पैग लिए।
तभी पंकज को कंपनी से सुपरवाईज़र का फोन आ गया।
पंकज को कहा गया कि रात वाली शिफ्ट का ऑपरेटर नहीं आया है और उसकी जगह पंकज की शिफ्ट लगेगी क्योंकि सुबह अर्जेंट माल बाहर जाना है।
उसके सर उसे जल्दी आने के लिए कहने लगे।
सर को पंकज ने मना भी किया लेकिन वो नहीं माने।
तभी रूपा भाभी आ गई और बोलने लगी- अगर परेशानी है तो चले जाओ, मैं टिफिन में मछली रख दूंगी।
मैंने कहा- ठीक है पंकज, मैं भी तुझे ऑफिस छोड़कर रूम पर चला जाऊंगा।
तभी रूपा भाभी बोली- अरे नहीं, राज तुमने तो मछली खायी ही नहीं, मैंने तो तुम्हारे लिए ही बनाई है।
इधर पंकज ने कपड़े पहने और बोला- राज भाई, मैं तुम्हारी बाईक लेकर जा रहा हूं। तुम मछली खाकर यहीं सो जाना।
मैंने कहा- नहीं पंकज, तू बाईक ले जा। मैं ऑटो से निकल जाऊंगा।
तभी दोस्त की बीवी बोली- राज जी, जब आप रुक ही नहीं रहे और आपको मेरे हाथ की बनाई मछली खानी ही नहीं है तो मैं इसे कूड़ेदान में फेंक ही देती हूं।
मैंने पंकज की ओर देखा और बोला- यार … रात में तेरे घर मुझे तेरे बिना रुकना ठीक नहीं लग रहा, पता नहीं कोई क्या सोच लेगा।
पंकज बोला- कोई कुछ नहीं सोचेगा। रूपा तेरी भाभी है। लोगों के बारे में ज्यादा मत सोचो, उसने तेरे लिए इतने प्यार से मछली बनाई है, तो खा ले ना?
तभी रूपा भाभी बोली- मैं अंदर सो जाऊंगी. राज, तुम बाहर के कमरे में सो जाना।
मैंने भी थोड़ी नौटंकी करने के बाद हां कर दी।
फिर पंकज ने टिफिन और चाबी ली और बोला- टेंशन न ले, तू मछली खा और आराम कर यहीं पर!
वो यह बोलकर चला गया।
भाभी ने मुझे अपने हाथों से मछली परोसी और फिर मटकती हुई अंदर चली गई।
मैंने अपना खाना खत्म किया और फिर हाथ धोकर घर का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।
मैं बाहर वाले रूम में लेट गया। मैं जानता था कि अगर भाभी की चूत में खुजली है तो वो खुद ही मेरे लंड को लेने के लिए मुझे पकड़ कर ले जाएगी।
जब कुछ देर तक मैं अंदर नहीं गया तो भाभी बाहर आ गयी, वो बोली- राज, अंदर चलो।
मैंने कहा- मैं बाहर सोऊंगा और तुम अंदर सो जाओ।
तभी रूपा मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी।
मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।
रूपा बोली- आज की रात हमारी है और इसे गुस्से में खराब न करो। चलो अंदर और प्यार करो मुझे! इतने दिनों के बाद ये मौका मिला है।
लंड तो मेरा भी उसकी चूत मारने के लिए उछल कूद कर रहा था तो मैंने रूपा भाभी को गोद में उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया।
मैं उसके ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूमने लगा।
दोनों के ही जिस्मों में आग लगी हुई थी। हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने में खो गए।
मेरे लंड से पानी निकलना शुरू हो गया था। ये चुदाई की बेताबी की निशानी थी।
मैंने रूपा भाभी की मैक्सी उतार दी। उसकी बड़ी बड़ी चूचियां बिना ब्रा के मेरे हाथों में आ गयीं। मैंने भाभी की चूचियों को जोर जोर से भींचना शुरू कर दिया.
रूपा भाभी की सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … राज … आह्ह पी लो मेरे चूचे … इनका सारा दूध निचोड़ लो मेरे राजा … इनको काट लो आज जोर से … चूस चूसकर रस निकाल दो सारा।
दोस्त की बीवी के कामुक शब्द मेरी हवस को और ज्यादा बढ़ा रहे थे।
मैं भाभी की चूचियों के निप्पलों को जोर जोर से चूसने लगा। भाभी मेरे सिर को अपनी छाती पर दबाने लगीं।
अब मेरा हाथ नीचे भाभी की नंगी चूत पर जा पहुंचा। मैं उसकी चूत को हथेली से सहलाने लगी।
भाभी की चूत पहले से ही पनियाई हुई थी।
मैं भाभी की चूत में उंगली करने लगा।
हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को जमकर चूसने लगे।
रूपा ने मेरे लोवर के अंदर हाथ डालकर लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।
अब मैंने अपने कपड़े उतार दिए और दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।
मैंने भाभी की गीली चूत को चाटना शुरू कर दिया और भाभी मेरे लंड का प्रीकम अपने मुंह में खींचने लगी।
वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कई सालों के बाद उसको लंड चूसने को मिला हो।
उसकी चूत से निकल रहे मीठे नमकीन रस को मैं बूंद बूंद अपने मुंह में खींच रहा था।
दोनों एक दूसरे के लंड चूत को खाने पर तुले हुए थे।
चूसा चुसाई करते हुए पांच मिनट बीत गए और अब भाभी की चुदाई की बारी थी।
तो मैंने उसको नीचे लिटाया और उसकी टांगें फैलाकर अपना लंड उसकी चूत के छेद पर टिका दिया।
मैंने एक धक्का दिया और मेरा थूक से सना लंड भाभी की चिकनी हो चुकी चूत में सट से उतर गया।
तेजी से अपनी गांड हिलाते हुए मैं भाभी की चूत को चोदने लगा।
वो भी आह्ह … आह्ह … की आवाज करते हुए चुदने लगी।
फिर मैंने भाभी को उठाया और नीचे लेटकर उसे लंड पर बिठा दिया।
अब वो फिर से आह्ह … आह्ह … करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेने लगी।
रूपा गर्म हो चुकी थी और लंड को पूरा चूत की जड़ तक लेने की कोशिश कर रही थी।
मैं उसकी उछलती चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा और वो लन्ड पर ऐसे कूदने लगी जैसे वो लंड को चोद रही हो।
हम दोनों अपनी अपनी कमर तेजी से चलाने लगे और चुदाई का मज़ा लेने लगे।
अब मैंने रूपा को उठाकर घोड़ी बना दिया। फिर उसकी गान्ड में थूक लगाया और लन्ड घुसा दिया और तेज़ तेज़ झटके मारकर चोदने लगा।
वो आह … आह्ह … आह्ह्ह … करके तेजी से गांड आगे पीछे करने लगी।
अब गांड से थप-थप … थप-थप … थप-थप की आवाज़ आ रही थी। अब दोनों की ताबड़तोड़ चुदाई की आवाजें कमरे में तेज़ होने लगीं।
तभी मैंने भाभी की गांड में से लंड निकाल लिया और रूपा की चूत में घुसा दिया।
मैं उसकी कमर पकड़कर चोदने लगा। वो सिसकारियां भरने लगी और गांड आगे पीछे करके चुदाई का मज़ा ले रही थी।
मैंने अपने झटकों की रफ्तार फुल स्पीड में कर दी और तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगा।
अब उसकी चूत में लन्ड अन्दर तक जाने लगा और उसकी आहें और ज्यादा तेज हो गयीं जिनसे मेरा जोश और ज्यादा बढ़ने लगा।
मैं झटके पर झटके मारने लगा और उसकी चूचियों को मसलने लगा।
मेरे दोस्त की बीवी की चूचियां टाइट हो गई और चूत में कसाव बढ़ने लगा तो मैंने लंड को तेज़ तेज़ अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
हम दोनों के बदन पसीने से लथपथ हो चुके थे।
चुदाई ऐसे चल रही थी जैसे कोई तेज रफ्तार ट्रेन दौड़ रही हो।
भाभी अपनी चूत चुदवाते हुए जैसे बेहाल हो गयी थी और मेरे लंड का लावा भी छूटने वाला था।
अब मैंने अपनी पूरी ताकत अपने लंड के धक्कों में झोंक दी और भाभी जोर जोर से चीखने लगी।
फिर दो मिनट बाद दोनों ने एक साथ पानी छोड़ दिया।
अपना वीर्य भी मैंने अंदर ही छोड़ दिया और लंड डाले हुए भाभी के ऊपर ही लेट गया।
थोड़ी देर बाद दोनों उठे और नंगे ही नहाकर आये। नहाते हुए मैंने उसकी चूत को चूसा और उसने मेरे लंड को चूसा।
थोड़ी देर बाद बाहर आकर मैंने रूपा को उठाया और मेज पर लिटा दिया और उसकी चूत में लन्ड घुसा दिया और झटकों पर झटके लगाने लगा।
वो आह्ह … आह्ह करके मस्ती में चुदाई करवा रही थी।
मैंने उसे उठाकर गोद में लिया और गांड में लौड़ा घुसा दिया और चोदने लगा।
वो अपनी गांड को लंड पर दबा दबा कर लंड लेने लगी और उसकी चूचियों को मैं चूसने लगा।
अब दोनों थक गऐ थे और वापस बिस्तर में आ गए और मैं उसके ऊपर आ गया।
मैं फिर से उसे चोदने लगा।
उसकी चूत में लन्ड अब आसानी से अंदर बाहर हो रहा था और वो आह्ह … आह्ह … और तेज़ चोद राजा … और तेज़ तेज़ … आह्ह … जैसी कामुक आवाजें निकाल रही थी।
मैं भी जोश में आ गया और लन्ड की रफ्तार दोगुनी कर दी।
अब तो लंड सटासट अंदर बच्चेदानी तक जाने लगा और रूपा की चीखें तेज़ होने लगीं।
मेरा लौड़ा बेकाबू होकर अपने ही दोस्त की बीवी को चोदने लगा।
मैं बोला- रूपा, आज की मछली में मज़ा आ गया।
रूपा बोलने लगी- राज और चोदो … आह्ह आज अपने दोस्त की इस चुदक्कड़ बीवी को रंडी बनाकर चोदो। मेरी चूत की मछली को खा जा … और तेज़ तेज़ … चोदो … आह्ह … चोदो।
अब रूपा का मुंह खुल गया और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। गीला लंड फच्च फच्च करके अंदर बाहर होने लगा। अब तो लंड अपने आप ही अंदर बाहर हो रहा था।
मेरा लौड़ा अंदर बच्चेदानी में टक्कर मारने लगा और तेज़ पिचकारी मैंने बच्चेदानी में छोड़ दी।
रूपा ने अपनी बाहों में मुझे कसकर पकड़ लिया और मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
लंड का पानी दोस्त की बीवी की बच्चेदानी में भर गया और दोनों चिपक कर सो गए।
सुबह 4 बजे उठकर एक बार फिर दोनों ने जमकर चुदाई का खेल खेला और लेट गए।
थोड़ी देर बाद मैंने अंडरवियर बनियान पहनी और सो गया।
सुबह अचानक मेरी नींद खुली तो देखा कि पंकज रूपा को चोद रहा था और पूछ रहा था कि रात में कोई परेशानी तो नहीं हुई?
रूपा बोल रही थी- नहीं … राज खाना खाकर सो गया था।
अब पंकज ने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी और तेज़ी से अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा।
उन दोनों की लाइव चुदाई देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा।
चूंकि अभी 5 ही बजे थे तो बाहर रोशनी भी नहीं हुई थी। अंदर भी उन्होंने छोटा बल्ब जलाया हुआ था।
पंकज अपनी बीवी की चूत में लंड को पूरा अंदर डाल रहा था और पूरा बाहर निकाल रहा था।
रूपा भी टांगें फैलाए लंड को ऐसे ले रही थी जैसे कि बहुत बड़ी रंडी हो और उसको उस लंड से कुछ फर्क ही ना पड़ा रहा हो।
मुझे पंकज का लंड रूपा की चूत में जाता हुआ साफ साफ दिखाई दे रहा था। पंकज भी मजे से अपनी चुदक्कड़ बीवी की चूत को चोद रहा था।
अब पंकज की स्पीड और तेज हो गई। दोनों की आह्ह … की आवाज निकली और वो झड़कर अलग-अलग लेट गए।
झड़ने के बाद फिर दोनों ने चादर अपने ऊपर डाल ली। थोड़ी देर बाद मैं उठा तो दोनों चिपक कर सो रहे थे।
मैंने कपड़े पहने और उनको सोते हुए छोड़कर अपने रूम पर आ गया।
इस तरह से रूपा भाभी ने रात में अपनी चूत की मछली से मेरे लंड का पेट भरा।
भाभी की चूत मारकर मजा आ गया।
अभी भी उस पल को याद करता हूं लंड फुंफकारने लगता है।
दोस्तो, आपको मेरे दोस्त की बीवी की चुदाई की ये कहानी कैसी लगी मुझे आप जरूर बताना। मुझे आप लोगों के ईमेल और कमेंट्स का इंतजार रहेगा।
मेरा ईमेल आईडी है- [email protected]