गांड फाड़ सेक्स कहानी मेरी गांडू बनने की कहानी है. पहली बार मेरी अनछुई गांड में कैसे लंड घुसा और मेरी गांड फटी. पढ़ कर मजा लें.
मैं आफताब आपको अपनी गांड फाड़ सेक्स कहानी के पहले भाग
पड़ोसी की कामुक निगाह मेरी कमसिन गांड पर
में सुना रहा था कि पड़ोसी जुनैद भाई ने मेरी गांड को किस तरह से ढीला करने की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी.
दूसरे दिन ही उन्होंने मेरी गांड में अपनी दो उंगलियों में वैसलीन लगा कर ठूंस दिया था, जिससे मैं दर्द से दोहरा हो गया था.
अब आगे गांड फाड़ सेक्स कहानी:
मैंने भाई से कहा- छोड़ दो मुझे … मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा है.
उन्होंने बोला- नहीं बेटा, आज ये ट्रेनिंग का दूसरा भाग है. ये थोड़ा सा दर्द है … जो तुझको सहना ही है. बिना दर्द के कुछ नहीं मिलता मेरी जान.
मुझे जुनैद भाई की ये बात माननी पड़ी.
उन्होंने तीन दिनों तक, न ही अपने लंड को मेरे मुँह में दिया … ना गांड में. वो जानते थे कि सब्र का फल मीठा होता है.
यह सिलसिला कुछ दिनों तक यूं ही चलता रहा. इसके बाद मेरी गांड का छेद बहुत ही ज्यादा फ़ैल चुका था जो उनके बड़े लंड के लिए काफी था.
मेरे बोबे भी काफी बड़े हो चुके थे.
आखिरकार वह घड़ी आ गई थी, जब मैं उनके लंड के नीचे आने वाला था और भाई भी तैयार थे क्योंकि मुझे भी उन्होंने इतनी अच्छी ट्रेनिंग दी थी, जिससे मैं अभी पूरी तरह से लड़की बन चुकी थी.
अगले दिन मैं शाम को 4:00 बजे ही भाई के घर पहुंच गया.
वहां जाकर मैंने देखा कि उन्होंने एक दूध का गिलास रखा था और साथ ही में कमरे में बिस्तर को ऐसे सजा रखा था जैसे उनकी आज सुहागरात हो.
उन्होंने मेरे आते ही मुझे अपने पास बैठाया … दूध पिलाया. फिर हम दोनों बातें करने लगे.
फिर धीरे-धीरे वह मेरे करीब आए और मेरे होंठों को चूसने लगे.
उन्होंने धीरे धीरे मुझे नंगा किया और खुद भी नंगे हो गए.
आज भाई का लंड कुछ ज्यादा ही चमक रहा था मानो वो किसी नई नवेली दुल्हन की चुत फाड़ने के इंतजार में तन कर खड़ा हो.
मैंने भाई का लंड को देखा तो आज वो कुछ ज्यादा ही लंबा मोटा और साफ दिखाई दे रहा था.
उनके लंड में एक नई सी चमक आ चुकी थी.
उन्होंने मुझे अपने नंगी गोद में बैठा लिया. उनके लंड के झांट के बाल और सीने के बालों की चुभन मेरे नाजुक से शरीर में सुई की तरह चुभ रही थी.
आज उन्होंने एक अजीब सी हरकत की. रोज तो वो मेरे होंठों को चूसते थे … परंतु आज उन्होंने ऐसा नहीं किया. आज भाई अपनी जुबान से मेरे होंठों को गीला कर रहे थे.
वहीं नीचे उनका गरम हथियार मेरी गांड को दस्तक दे रहा था.
वो अपने दोनों मजबूत हाथों से मेरे बोबों को ऐसे दबा रहे थे जैसे कि कोई स्पंज को दबा रहा हो.
फिर अचानक से जुनैद भाई खड़े हो गए और अपना लंड मेरे मुँह के पास ले आए.
एक हफ्ते तक भाई ने अपना लंड मेरे मुँह में नहीं डाला था. पता नहीं आज उन्हें क्या हुआ कि वह मेरे मुँह के पास अपना लंड ले आए.
मैं बोला- आज तक आपने अपना लंड मेरे मुँह में नहीं दिया … तो आज क्या हुआ? आज आप अपना लंड मेरे मुँह में कैसे दे रहे हैं. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है, आप करना क्या चाहते हो?
जुनैद भाई ने मुझसे कहा- तू बोलता था ना कि मैं तेरे मुँह का पानी पीता हूं … तो मैंने एक हफ्ते तक अन्दर जमा कर रखा था, आज वो पानी तेरे मुँह में वापस डाल दूंगा. क्योंकि अभी ये अमृत बन चुका है, तुझे बहुत मजा आएगा.
इतने में भाई ने फटाक से अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.
मेरी तो मानो सांस ही रुक गई. भाई का लंड काफी मोटा था और अपनी सुगंध से महक रहा था.
उनका लंड मेरे मुँह के अन्दर पूरा समा गया था, मेरी सांस ही नहीं आ रही थी.
मैंने जैसे तैसे करके लंड बाहर निकाला.
पहले तो मुझे लंड का स्वाद बेकार लगा था पर भाई ने फिर से दोबारा मेरे मुँह में जबरदस्ती लंड डाला, तो मुझे इसका स्वाद अच्छा लगने लगा.
मैं धीरे-धीरे उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा. भाई को भी मजा आ रहा था. उनका लंड बड़ा होने लगा.
मुझे ऐसा लगा कि वह लंड और ज्यादा हो चुका था. अब लंड मेरे पूरे गले तक जा रहा था.
भाई भी जोर जोर से धक्का देने लगे थे. मैं भी भाई का साथ दे रहा था.
मैं भी पूरे जोश में उनका लंड चूसता जा रहा था.
फिर अचानक से उनके लंड में एक तेजी सी आ गई और कुछ समय बाद उन्होंने अपना मलाईदार रस मेरे मुँह में छोड़ दिया.
मुझे अच्छे से याद है वह रस काफी ज्यादा निकला था. रस से मेरे गले मुँह और मेरे पूरे शरीर को भर दिया था.
फिर भाई मुझे बाथरूम में ले गए और हम दोनों ने साथ में स्नान किया. फिर हम दोनों साथ ही में बिस्तर में सो गए.
एक घंटे बाद मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड को गीला कर दिया है.
मैंने देखा कि जुनैद भाई मेरे लंड को मजे से चूस रहे थे. वो ऐसे लंड चूस रहे थे … जैसे कोई बर्फ वाली आइसक्रीम को बच्चे चूसते हैं.
वैसे तो जुनैद भाई मेरे लंड से रोज ही खेलते थे, उसको मसलते थे.
मगर आज मेरा बेचारा छोटा सा गोरा लंड जुनैद भाई के मुँह में जाते ही पिघल गया.
उन्होंने फौरन से मेरी गांड में उंगली करनी शुरू कर दी.
मैंने उठकर देखा तो भाई मेरी गांड में दो उंगली से वैसलीन लगाए जा रहे थे. वह मेरी गांड में इतनी वैसलीन लगा चुके थे कि वैसलीन की शीशी भी पूरी खाली हो गई थी.
मैंने पूछा- भाई आज भी गांड में उंगली करोगे क्या?
भाई ने बोला- नहीं अब तू तैयार हो चुका है … अब तेरी गांड को उंगली से नहीं, अब तुझे तेरी गुलामी का हिसाब देना होगा.
इससे पहले मैं कुछ समझ पाता कि भाई ने मुझे हाथों को जोर से पकड़ कर उल्टा कर दिया और अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर चांप दिया.
वो छेद में निशाना लगाकर सीधा आगे बढ़ने लगे.
मैंने भाई से कहा- आह भाई मत करो … भाई आपका लंड छेद से भी ज्यादा मोटा और तगड़ा है. यह मेरी जान ले लेगा.
भाई ने आव देखा न ताव … और सीधे-सीधे अपना लंड एक झटके में मेरी गांड में पेल दिया.
उन्होंने लंड की टोपी मेरी गांड के अन्दर घुसा दी थी.
उनके लंड की टोपी इतनी मोटी थी कि मेरी गांड से खून आने लगा था.
मैं तेजी से रोने लगा. मेरा दर्द चरम सीमा पर था. मैं पूरी तरह मर चुका था पर उन्होंने कोई दया नहीं दिखाई.
मेरी आंखों से आंसू ही बह रहे थे और मुँह से दर्द भरी चीख निकल रही थी.
तभी जुनैद भाई ने अपना एक छोटा सा हाथ मेरे मुँह के अन्दर घुसा दिया और भाई रुक गए.
कुछ मिनट तक वो मेरे ऊपर ऐसे ही लदे रहे.
मैं दर्द भरी आवाज में भाई से बोला- भाई प्लीज इसे बाहर निकाल लो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है भाई प्लीज मेरी बात मानो … भाई प्लीज.
मगर भाई मेरी बात सुन नहीं रहे थे. वह बस दस मिनट तक मेरे ऊपर ऐसे ही बैठे रहे.
फिर दस मिनट बाद मेरा दर्द हल्का हुआ तो मेरी रोने की आवाज बंद हो गई.
अब भाई ने धीरे-धीरे अपने लंड को झटका देना शुरू कर दिया. एक झटके में उनका लंड मेरी गांड में आधा घुस चुका था और मेरी आँतों से टकरा रहा था.
मैंने भाई से बोला- भाई प्लीज़ ऐसा मत करो.
पर भाई मान नहीं रहे थे, वो जोर जोर से झटके ऐसे देते जा रहे थे जैसे कि मेरी गांड कोई खेली खाई गांड हो.
उनके झटके लगातार लगते ही जा रहे थे. उनका लंड पूरा लंड मेरी गांड में नहीं घुस जाता. वह रुक ही नहीं रहे थे.
मैं छोटा सा 19 साल का लड़का उनका मोटा सा सांवला लम्बा मोटा लंड था. मैं चाह कर भी अपनी गांड में पूरा लंड नहीं ले पा रहा था.
परंतु भाई अपना आधा से ज्यादा लंड घुसाकर अपना काम करते जा रहे थे.
उन्होंने जोर जोर से झटके देने शुरू कर दिए, पूरा बिस्तर हिलने लगा था.
खैर … अब मुझे भी धीरे-धीरे मजा आने लगा था.
फिर जुनैद भाई ने मुझे पलट दिया और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख कर मेरी गांड की तरफ से निशाना लगाकर एक जोरदार झटका लगा दिया और फिर से मेरी गांड चुदाई शुरू कर दी.
अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा था.
भाई बस अपनी चोदने की धुन में लंड पेले जा रहे थे और मैं अपनी गांड चुदवाने के मूड में आ गया था.
मुझे दर्द भी हो रहा था … मगर साथ में मजा भी आ रहा था.
तभी भाई की रफ्तार अचानक तेज होने लगी और भाई ने अपना सारा का सारा माल मेरी गांड के अन्दर ही छोड़ दिया था.
एक मिनट बाद उनका सारा रस मेरी गांड से टपकने लगा था.
अब भी भाई का लंड मेरी गांड में घुसा हुआ था.
जब तक वो खुद ढीला होकर बाहर नहीं निकल गया, तब तक भाई ने लंड नहीं निकाला.
कुछ देर बाद जुनैद भाई उठ कर खड़े हो गए.
गांड फाड़ सेक्स के बाद मैंने अपनी गांड को पौंछा और हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए.
वो बोले- जब मैंने तुझको पहली बार देखा था तो मुझको पता था कि तू मस्त माल है. देख अब तू मेरे लौड़े की पक्की रांड बन चुका है.
मेरी गांड से काफी खून निकल गया था इसलिए मैं चलने की भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था.
जुनैद भाई को लगा था कि किसी को शक ना हो जाए तो उन्होंने मेरे कपड़े फिर से उतारे और मेरी गांड को अच्छे से साफ कर दिया; मुझे नहलाया और मुझे अच्छा सा हल्दी वाला दूध पिलाया; मुझको दुबारा से कपड़े पहनाए और वो मुझे मेरे घर तक ले गए.
भाई ने मेरे घर पर बोल दिया कि मैं नाली में फिसल गया था, तो मेरे पांव में लग गई है.
जुनैद भाई ने मुझे 2 गोलियां दर्द की भी दी.
अब्बू ने मुझे सहारा दिया और मुझे कुर्सी पर बिठा दिया.
फिर मैं खाना नाश्ता करके अपने कमरे में चला गया. मैं अपने कमरे में दवाई लेकर सो गया था.
रात 11:00 बजे मेरे पिछले दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई.
वो जुनैद भाई थे मैंने दरवाजा खोल दिया तो भाई मेरे कमरे में आ गए.
वो बोले- बेटा अभी तो शाम बाकी है … तैयार हो जा. हमें आगे की ट्रेनिंग करनी है.
मैंने बोला- भाई अब नहीं, अभी तो मेरी पूरी फटी पड़ी है.
भाई बोले- यही तो वक्त है कि तेरी गांड को ढीला किया जा सकता है. नहीं तो यह फिर से टाइट हो जाएगी. मेरी बात मान ले और अब तैयार हो जा.
मैंने हामी भर दी.
भाई अपने साथ तेल भी लाए थे.
उन्होंने अपने लंड भी खूब सारा मस्ती से तेल लगाया और मेरे पजामा को एक हाथ से खींच कर उतार दिया.
मैं कुछ नहीं बोला, तो एक ही झटके में मेरी गांड के अन्दर अपना पूरा का पूरा लंड में पेल दिया.
उनका पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर समा चुका था और मेरी आवाज दबी की दबी रह गई.
भाई अपने साथ पावर सेक्स की गोलियां लेकर आए थे, दूध के साथ हम दोनों ने ले ली थीं.
इसके बाद भाई ने पूरी रात मेरी जम के गांड की मारी थी. उन्होंने कभी मुझे घोड़ी बनाकर चोदा, तो कभी कुत्ते की तरह चोदा.
भाई ने अलग-अलग सेक्स साईट से गांड मारने की पोजीशन देख देख कर मुझे चोदा था.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था. अब मेरा दर्द पूरा गायब हो गया था. मैं सेक्स में इतना मंत्र-मुग्ध हो चुका था कि अपने सारे दर्द को भूल चुका था.
मैं बस भाई से कह रहा था कि भाई रूको मत … आज पूरी रात हम दोनों भरपूर मजा लेंगे.
भाई भी पूरी रात सेक्स में जुटे रहे. भाई ने मेरे साथ अलग-अलग सेक्स पोजीशन के साथ सेक्स किया.
अब भाई रोज आ जाते थे और हम रोज सेक्स करते थे. मैं भाई का लंड मजे से चूसता था. भाई भी मेरे लंड के साथ खेलते हैं. मुझे भाई का लंड रोज मुझे मेरी गांड के अन्दर मिलता था.
भाई मेरी गांड में, मुँह में अपना लंड देते थे. मेरे चूचों के साथ खेलते थे. वो मेरे बोबों को खूब दबाते थे और मुझे पूरी तरह से रांड बना कर रखते थे.
यह सिलसिला चलता रहा. अभी भी भाई मुझे अपनी गोद में उछाल देते हैं तो कभी मुझे घोड़ी बना देते हैं.
उनका लम्बा मोटा और रसीला लंड का स्वाद मस्त था. उनके लंड का नाम लेते ही मेरे मुँह में पानी आ जाता है.
भाई के साथ गांड फाड़ सेक्स का ये सिलसिला लगातार 3 महीने तक चलता रहा था. भाई कभी खंडहर में या बावली में मुझे रगड़ देते थे. या वो मुझे अपने घर में बुला लेते थे या कभी मेरे घर आ जाते थे.
फिर जुनैद भाई की नौकरी ट्रांसपोर्ट विभाग में लग गई थी. इस जॉब में उनको महीनों तक बाहर काम करना पड़ता था.
मगर अब तो मुझे लंड की आदत पड़ गई थी.
जब जुनैद भाई नहीं थे तो मैंने अपने आस पास पड़ोस के दूसरे लड़कों और मर्दों की ओर अपनी निगाहें करना शुरू कर दीं.
बुड्ढे जवान हर तरह के अलग-अलग लौड़ों का स्वाद मुझे मिला. किसी का काला तो किसी का गोरा, किसी का पतला तो किसी का छोटा था, लंबा था.
मगर उन सभी में जुनैद भाई जैसे लंड की बात नहीं थी. आज भी हर रात उस मोटे लंबे और काले से लंड को याद करता हूं, जिसका स्वाद और रस मेरी जुबान को हमेशा हमेशा याद रहे.
आपको मेरी ये गांड फाड़ सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.
धन्यवाद.
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