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मैं अपने चाचा से गांड मरवाकर गांडू बना

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मेरी गांड की कहानी मेरे चाचा से गांड मरवा कर मेरे गांडू बनने की है. मुझे भी गांड मरवाने में बहुत मजा आने लगा. उसके बाद पड़ोसी चाचा ने भी मेरी गांड मारी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम पंकज है. आज की इस गे सेक्स कहानी में मैं अपने जीवन का काला सच आप सबके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ.

मेरी उम्र 28 वर्ष है. मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है, फिट बॉडी है.

यूं तो कहने को समाज में मेरी एक खूबसूरत बीवी और एक बच्चा भी है पर मैं एक सामान्य जीवन नहीं जीता हूँ.

ये सब क्यों और कैसे हुआ … उसी सच्ची गांड की कहानी को आज आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूँ.

मैं मध्य प्रदेश की एक तहसील में रहता हूँ, मेरे पास धन की कोई कमी नहीं है. मगर मुझको युवावस्था से ही एक गंदी लत लग गयी थी और वो गांड मरवाने की लत थी.

जवानी की शुरुआत में ही मेरे एक दूर के चाचा ने मुझे बहला फुसला कर मेरी गांड मार दी थी.

चाचा जी एक फौजी थे, उनका बड़ा लंड मेरी गांड की सील खोल गया.

जब चाचा जी ने मेरी गांड मारी तब मुझे बहुत बुरा लगा और काफी दर्द भी हुआ.

मगर मैं उनसे बहुत डरता था तो कुछ बोल न सका.

उन्होंने मेरे साथ ऐसा बहुत बार किया और अब मुझे गांड मरवाने में बहुत मजा आने लगा.

उसके बाद से मुझे अपनी गांड की खुजली मिटवाने के लिए खुद से आए दिन लंड की जरूरत पड़ने लगी.

चाचा जी मेरी गांड चोदने के साथ साथ मुझसे अपना लंड भी चुसवाते थे.

मुझे इन सब चीज़ों का चस्का लग चुका था.

मैंने अनजान जगहों पर जाकर खुद कई बार अपरिचित लोगों का लंड चूसा और उनसे अपनी गांड मरवाई.

फिर मेरी शादी हो गयी.

पर मैं शादी से खुश नहीं था क्योंकि अब मुझे लड़कों और आदमियों में इंटरेस्ट आने लगा था.

मैंने हिम्मत करके अपनी बीवी को मेरी गांड की कहानी सच सच बता दी.

उसने भी अपनी किस्मत से समझौता कर लिया और अपना एक आशिक़ बना लिया.

बाद में मेरी औलाद हुई मगर वो मेरी नहीं थी … वो मेरी बीवी के आशिक़ की पैदाइश थी.

अब मेरी बीवी भी चुदक्कड़ हो गई थी और जिससे चाहे चुद लेती थी. घर में मेरी उपस्थिति में भी वो अपने आशिक को बुला लेती थी और उससे चुदकर अपनी प्यास बुझा लेती थी.

मेरे बाजू में ही एक और चाचा जी रहते हैं जिनका नाम दिनेश है.

वो हमारे कस्बे के एक बड़े नेता हैं. उनकी कद काठी बड़ी मस्त है. उनकी कोई करीब 5 फुट 10 इंच की हट्टी-कट्टी देह है.

उनके पास भी धन की कोई कमी नहीं है.

वो मुझसे करीब 12 साल बड़े हैं. मैं उनकी बहुत इज्जत करता था.

उनकी नजर मेरी बीवी पर थी इसलिए उन्होंने मुझसे दोस्ती कर ली.

अब वो मुझे अपने हर कार्यक्रम में बुलाने लगे और इज्जत देने लगे. फिर धीरे धीरे मैं उनका खास हो गया.

एक बार वे मुझे अपने साथ दिल्ली लेकर गए. उन्हें उधर अपना कोई काम था. हमें वहां 4 दिन रुकना था.

हम सुबह गोंडवाना एक्सप्रेस से दिल्ली पहुंच गए थे.

सारा दिन हम लोग दिल्ली दर्शन करते रहे. फिर जब शाम को होटल के कमरे में पहुंचे, तो दिनेश चाचा ने दारू का इंतजाम किया और फिर माहौल रंगीन होता चला गया.

धीरे धीरे बात आगे बढ़ने लगी.

नशे में उन्होंने मुझसे कहा कि राजीव (मेरे फ़ौजी चाचा का बदल हुआ नाम) ने मुझे तेरे बारे में कुछ बताया था.

मैंने उनसे पूछा- क्या बताया था?

उन्होंने मुझे अपने फ़ोन में एक वीडियो दिखाया, जिसमे मैं अपने राजीव चाचा का लंड चूस रहा था और उनसे बेरहमी से अपनी गांड मरवा रहा था.

ये वीडियो देख कर मेरी तो काटो तो खून नहीं वाली हालत थी.

चाचा जी ने मुझसे कहा- यार, मैं अपनी बीवी की गांड नहीं मार पाता हूँ क्योंकि तेरी चाची गांड मरवाने के लिए मानती ही नहीं है. तो क्या तू मेरा साथ दे सकता है?

मैं बिल्कुल चुप रहा और मैंने शर्म से अपनी नजरें झुका लीं.

उन्होंने मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा- मैं तुम्हें पैसे भी दे दूंगा.

पर मुझे पैसों की कोई कमी नहीं थी, तो मैंने दिनेश चाचा जी से पैसे लेने से मना कर दिया.

वो बोले- चलो कोई बात नहीं … एक एक पैग और बना.

हम दोनों ने धीरे धीरे तीन तीन पैग गटक लिए थे.

दारू का सुरूर दिमाग पर चढ़ने लगा था और मुझे भी अपनी गांड में सुरसुरी होने लगी थी.

धीरे धीरे दिनेश चाचा जी का हाथ मेरी जांघों पर आ गया और वो मुझे सहलाने लगे.

सहलाते सहलाते उनका हाथ मेरी गांड तक आ गया.

मुझे बहुत अच्छा अहसास हो रहा था.

वो धीरे धीरे जींस के ऊपर से मेरी गांड दबाने लगे जिससे मैं गर्म होने लगा.

आज बहुत समय के बाद मुझे वो मजा मिलने वाला था तो मैं भी बहुत खुश था.

मैं आप लोगों को बता दूं कि मुझे सिर्फ गांड मरवाने का शौक है, किसी की गांड मारने का नहीं.

अब मेरा भी मूड बन गया था तो मैंने चाचा जी की तरफ देखा तो उन्होंने मुझे आंख मारी और हल्के से दाब देते हुए मुझे सोफे के नीचे बैठने का इशारा किया.

मैं उठ गया और मैंने चाचा जी का पैंट उतार दिया.

उनकी नीले रंग की फ्रेंची चड्डी में उनका लंड फूलने लगा था.

मैंने खड़े होकर चाचा जी की शर्ट उतारी.

अब वो बनियान और चड्डी में थे.

उनका लंड चड्डी में तंबू बना हुआ था.

मैं चाचा जी के लंड को ललचायी नजरों से देख रहा था.

चाचा जी ने पास रखी सिगरेट की डिब्बी में से एक सिगरेट निकाली और उसे जला कर कश खींचा.

उनकी वासना में तप्त आंखें मुझे एक कमसिन लौंडिया के जैसी देख रही थीं.

उन्होंने धुंआ छोड़ कर अपनी उंगली से मुझे पास आने का कहा.

तो मैंने उनकी गोद में बैठ कर उनके गालों में किस करना शुरू कर दिया.

चाचा जी ने मेरी गांड पर हथेली से दबा कर आगे बढ़ने का इशारा किया, तो मैं उनके गालों से गर्दन तक चूमने लगा और अब उनके सीने में चूमने लगा.

मैंने चाचा जी के सीने के एक निप्पल को अपनी उंगलियों से दबाते हुए दूसरे निप्पल पर अपने होंठ लगा दिए और उसको चूसने लगा.

चाचा जी मस्ती से मुझसे अपने बदन को चूमने का मजा लेते रहे और सिगरेट के छल्ले उड़ाते रहे.

मैं नीचे को आया और उनके पेट को चूमने लगा.

चाचा जी ने सिगरेट बुझा दी.

मैंने उनको सोफे पर लिटा कर पलट दिया और उनकी गर्दन पर चूमने लगा; फिर धीरे धीरे नीचे आते हुए पीठ को चूमने लगा.

चाचा जी उल्टे लेटे रहे.

उसी अवस्था में मैंने धीरे से उनकी चड्डी उतारी और उनके दोनों कूल्हों को चूमने लगा.

चाचा जी को बड़ा मजा आ रहा था और वो हल्के हल्के से आह आह कर रहे थे.

मैंने उनकी एक टांग को सोफे के नीचे किया तो उनकी गांड खुल गई.

मैं अपनी जीभ को उनकी गांड में डालते हुए चाटने लगा था.

अब चाचा जी के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं.

जब मैंने उनको पलटने के लिए कहा तो चाचा जी उठ कर बिस्तर पर आ गए और चित लेट गए.

मैं उनका खड़ा लंड मुँह में लेकर चूसने लगा.

चाचा जी बोले- आह चूस पंकज मादरचोद … चूस मेरा लंड मेरे बीवी से भी अच्छा चूसता है तू!

मैंने उनका लंड अपने मुँह में अन्दर तक डाल लिया.

चाचा जी का लंड लगभग 6 इंच का था और काफी मोटा भी था.

उनके गोटों को हाथ से सहलाते हुए मैं लगातार लंड चूस रहा था.

उनके लंड का गुलाबी टोपा मेरे होंठों के बीच दबा हुआ था.

मैं अपनी जीभ से उनके टोपे को चाटते हुए उनकी गोटियों को दबाने लगा.

वो मेरा सर पकड़कर पूरा लंड मेरे गले तक उतार रहे थे, जिस वजह से मेरी आंखों में आंसू भर आए.

दिनेश चाचा तब तक मेरा मुँह चोदते रहे, जब तक उनका पानी नहीं निकला.

लंड से पानी निकलने को हुआ तो चाचा जी ने मेरा सर पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया.

इससे उनके लंड से वीर्य की धार सीधे मेरे गले तक चली गई.

मैंने उनका सारा खारा पानी चाट चाट कर पी लिया.

मुझे मर्दों के लंड का पानी पीने में बहुत अच्छा लगता है.

उन्होंने एक सिगरेट और जलाई और कश खींचा.

मैंने चाचा जी के हाथ से सिगरेट ले ली और मैं भी सिगरेट का मजा लेने लगा.

वीर्य खाने के बाद सिगरेट का स्वाद बड़ा मजा दे रहा था.

तब तक चाचा जी ने एक एक पैग और बनाया और हम दोनों ने उसे भी खत्म कर दिया.

थोड़ी देर के बाद चाचा जी ने मुझे कपड़े उतारने को कहा और मैं नंगा हो गया.

चाचा जी ने कमरे में मुझे बिस्तर का किनारा पकड़ कर डॉगी पोज़ में लिया और पीछे दे अपना लंड मेरी गांड में सैट करके एक जोर का झटका दे दिया.

उनका मोटा लंड सीधा अन्दर तक मेरी टाइट हो चुकी गांड में घुसता चला गया.

मुझे बहुत दर्द हुआ क्योंकि मैं बहुत टाइम बाद अपनी गांड मरवा रहा था.

मेरी आवाज निकल पड़ी- आह मर गया चाचा जी … मेरी गांड फट गई.

मेरा सारा नशा हिरन हो गया और गांड परपराने लगी.

मगर चाचा जी को तो नशा और भी ज्यादा मजा दे रहा था.

वो अपना लंड मेरी गांड में चलाते हुए मेरी गांड को रवां करने लगे.

अब मुझे भी ठीक लगने लगा था और मैं भी गांड मटकाने लगा था.

चाचा जी मुझे गाली देते हुए धीरे धीरे चोदने लगे. सट सट करके उनका लंड मेरी गांड में जाने लगा.

मुझे भी असीम सुख की प्राप्ति होने लगी.

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे नीचे फर्श पर लेटाया और मेरे दोनो पैरों को अपने कंधों पर रख कर मेरी गांड का छेद खोल लिया.

फिर अपने हाथ से लंड को मेरी गांड में लगाया और धक्का मार दिया.

इस बार गांड खुली हुई थी तो मुझे बड़ा अच्छा लगा.

चाचा जी अब अपना बड़ा सा लंड मेरी गांड की जड़ तक डालकर मुझे चोदने लगे.

दस मिनट ऐसे ही चोदने के बाद वो लेट गए और मुझे अपने लंड पर बैठने को बोला.

उन्होंने बहुत दारू पी रखी थी तो उनका पानी निकलने बहुत टाइम लग रहा था.

मैंने अपने लिए छोटे पैग बनाए थे और मेरी गांड में जब चाचा जी का लंड घुसा था तो उसी वक्त मेरी सारी दारू उतर गई थी.

मुझे हल्का हल्का सा ही नशा था.

मैं चाचा के खड़े लंड पर बैठकर उछलने लगा और नीचे झुककर उनके सीने को चूमने लगा.

चाचा जी भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर तेज तेज धक्के लगाने लगे.

उनकी गति बढ़ती ही जा रही थी.

मैं समझ गया कि वो अब झड़ने वाले हैं.

करीब 20 मिनट तक मेरी गांड मारने के बाद उन्होंने अपना गर्म लावा मेरी गांड में छोड़ दिया और निढाल होकर मेरे साथ ही लेट गए.

मेरी गांड में जैसे ही उनका पानी निकला, मुझे बहुत सुकून मिला क्योंकि इतनी देर से गांड मरवाकर मेरी गांड में बहुत जलन होने लगी थी.

मैंने उनका लंड, पानी से साफ किया और उसके सुपारे पर एक चुम्मी ली.

चाचा जी बोले- मजा आया?

मैंने कहा- हां बहुत मजा आया.

ऐसे ही रात में उन्होंने मुझे दो बार और चोदा.

दूसरे दिन चाचा जी मेरे लिए साड़ी ब्लाउज पेटीकोट व मेकअप का सामान आदि ले आए और मुझे नारी रूप में सजने के लिए कहा.

मैंने भी चाचा जी की इच्छा पूरी करने के लिए उनके लिए लुगाई बनना मान लिया.

मगर मैंने चाचा जी से कहा कि आप कमरे से बाहर जाओ और जब मैं फोन करूं, तब आना.

चाचा जी चले गए.

मैंने खुद को एक औरत के रूप में सजाना शुरू कर दिया.

ब्रा पैंटी ब्लाउज पेटीकोट साड़ी वगैरह पहनी और नकली बाल लगा कर एक सुंदर सी महिला बन गई. ब्लाउज के अन्दर मैंने दो रबर की गेंदें लगा ली थीं.

अपने होंठों पर लाली, गालों पर रूज लगा कर मैं एक रंडी सी सज गई.

तैयार होने के बाद मैंने खुद को शीशे में देखा तो मैं खुद को पहचान ही नहीं पाया.

अब चाचा जी को फोन करने की जगह मैंने बाहर जाकर चाचा जी को खोजा तो वो होटल के बार में दारू पी रहे थे.

मैं उनके सामने जाकर बैठ गया और लेडीज आवाज में कहा- हाय दिन्नू डार्लिंग?

चाचा जी की गांड फट गई कि ये कौन महिला सामने आ गई.

उन्होंने मेरी तरफ देखा तो मैंने आंख मारी और पूछा- पहचाना?

चाचा जी ने ना में सर हिलाया और मेरी तरफ देखने लगे.

मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपनी असली आवाज में कहा- चलो कमरे में चलते हैं.

अब चाचा जी समझ गए और बड़े खुश हुए.

हम दोनों कमरे में आ गए और सेक्स का खेल शुरू हो गया.

चाचा जी ने उस मुझे चाची का नाम लेकर चोदा.

मुझे भी उनकी बीवी बनकर गांड मरवाने में बड़ा मजा आया.

इसी तरह से हम दोनों 4 दिन तक दिल्ली में रहे और चाचा जी जमकर मेरी गांड मारी.

वे कभी मेरी गांड में लंड पेल कर झड़ जाते तो कभी मेरे मुँह में अपना वीर्य छोड़ देते.

दिल्ली से लौटने के बाद भी हमारा ये खेल चलता रहा और अभी भी चल रहा है.

एक बार उन्होंने मुझसे मेरी बीवी को चोदने की बात कही तो मैंने कहा- यदि वो राजी होगी, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है.

चाचा जी ने कहा- मैं उसे चोद चुका हूँ बस अब तुम दोनों को एक साथ चोदना है.

मैंने हामी भर दी.

वो सेक्स कहानी भी बड़ी रसीली थी. उसे अगली बार कभी लिखूंगा.

इसके बाद चाचा जी मुझे अपने कुछ दोस्तों से भी चुदवाया.

धीरे धीरे मैं गांड मरवाने में मशहूर हो गया. अब मुझे बहुत दूर दूर से लोगों के कॉल आते हैं, तो मैं उनसे चुदवाने चला जाता हूँ.

मुझे गांड मरवाना इतना अधिक पसंद है कि मैं अपने खर्चे से गांड मरवाने चला जाता हूँ.

मुझे नए नए लंड लेने का शौक लग गया है.

अब मैं दूसरे राज्यों में भी अपनी फंतासी पूरी करने चला जाता हूँ.

यहां अपने यारों को घर बुला बुला कर उनसे मेरी बीवी बिंदास चुदती है.

आपको मेरी गांड की कहानी पसंद आयी होगी. तो मुझे ईमेल जरूर करें.

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