हॉट वर्जिन Xxx कहानी में मैंने एक शादी के कार्यक्रम के दौरान एक कुंवारी लड़की को चोदा. वह मेरी साली की ननद थी. उससे मेरी सेटिंग पहले से चल रही थी.
मित्रो नमस्कार.
मेरा नाम आर्यन है.
यह मेरा बदला हुआ नाम है.
मेरा कद 5’11” है और व्यायाम करने से मेरा शरीर एकदम फिट और तंदुरुस्त है।
मेरे साथ चुदाई करने के पश्चात कोई भी लड़की या औरत मुझे भूल नहीं सकती।
यह मेरी पहली कहानी है.
इस हॉट वर्जिन Xxx कहानी में तीन ही किरदार हैं.
मैं, मेरी साली पूजा और उसकी ननद सोनू.
यह हॉट बेब सेक्स कहानी मेरी ज़िन्दगी की सच्ची घटना है और मैं वैसे ही बिना कल्पना के लिखूंगा, जैसे यह घटित हुई थी.
मैं जयपुर का रहने वाला हूं. यह बात 2019 की है, तब मेरी सगाई हुई थी.
मेरी पत्नी की छोटी बहन पूजा का विवाह भी मेरे साथ साथ ही तय हुआ था.
तो सगाई के बाद मेरी साली से मेरी अक्सर बात हुआ करती थी.
वह बड़ा मीठा बोलती थी और न जाने क्यों उससे बात करके मुझे ऐसा लगता था कि काश पूजा ही मेरी बीवी बनती तो ज्यादा मस्त रहता.
हालांकि अब शादी के बाद मेरी बीवी भी बिस्तर में बड़ी जोरदार कलाबाजियां खाती है.
उसका लंड चूसने का अंदाज इतना घातक है कि बड़ी मुश्किल से चूत के लिए लौड़ा रेडी होता है.
मेरा मतलब मुझे अपनी बीवी की चूत से ज्यादा उसका मुँह चोदना ही ज्यादा पसंद था.
तब भी पूजा की कड़क चूचियां और उठी हुई गांड मेरे कलेजे को चाक कर देती थी.
उसकी खनखनाती हुई हंसी सच में मेरे लंड को एकदम तनतना देती थी.
सही बात तो यह है कि अपना माल दूसरे के माल से हमेशा ज्यादा अच्छा लगता है.
तो शादी तय होने के बाद मेरी पूजा से काफी ज्यादा बातें होने लगी थीं.
चूंकि रिश्ता भी जीजा साली का था तो उससे बातचीत के दौरान हम दोनों एक दूसरे से कुछ ज्यादा ही खुल गए थे.
हंसी मजाक करते करते दोअर्थी बातें भी करने लगे थे.
ऐसे ही कुछ समय गुजरा और मैं और मेरी साली प्यार प्रेम की बातें करने लगे.
हम दोनों एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए.
कुछ समय पश्चात हमारी शादी हो गई.
पूजा से सेक्स सबंधी बातें होती तो थीं लेकिन उस वक्त पत्नी के साथ सेक्स का मजा मिल रहा था तो पूजा संग सेक्स का मामला कुछ ठंडा पड़ गया था.
कमोवेश यही स्थिति पूजा के साथ थी. उसे भी नया नया लंड मिला था तो वह भी मुझे भूल कर अपने पति के लौड़े से लगी थी.
शादी के कुछ दिन बाद मेरी बात अपनी साली पूजा की ननद सोनू से भी होने लगी.
उसकी ननद एक कांटा माल थी. अभी अभी जवान हुई थी. उसके दूध भी समोसे जैसे नुकीले थे और गांड भी एकदम गोल और कड़क थी, कच्चा खा जाने का जी करता था.
अब सोनू से भी अक्सर मेरी बात होने लगी थी.
हम एक दूसरे से खुलने लगे और हम एक दूसरे के दोस्त बन गए.
जब भी हमें समय मिलता, हम दोनों बातें करते और धीरे धीरे हमारे बीच सेक्स को लेकर बातें होने लगीं.
मैं जब भी सोनू से सेक्स की बात करता तो वह बड़ा रस लेकर बातें करती, खुल कर लंड चूत चुदाई आदि शब्दों का प्रयोग करती.
इस तरह से हम दोनों खुलकर चुदाई की बातें करने लगे और फोन सेक्स करने लगे.
लेकिन हमारी मुलाकात नहीं हो पाई.
मेरी साली को सोनू और मेरे बारे में पता था और उसे इससे कोई आपत्ति नहीं थी.
लेकिन सोनू को यह पता नहीं था कि पूजा ये सब जानती है.
जब मैं अपनी साली से सोनू की चुदाई की बात करता तो वह कहती- अगर वह चुदवाने के लिए तैयार है … तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करूंगी और ना ही सोनू को पता चलना चाहिए कि हमारा भी चक्कर है.
एक दिन मेरी साली को लेने मैं उसकी ससुराल गया, तब घर पर उसकी सास और ननद थीं.
मैं उनसे मिलकर साली के पास आकर बैठ गया और हम दोनों बातें करने लगे.
सोनू की मां अपने कमरे में चली गई थीं.
तभी उसकी ननद अपने रूम में चली गई.
मैंने साली को इशारा किया तो वह चाय बनाने रसोई में चली गई.
अब मैं सोनू के कमरे में जाकर बैठ गया और उससे अकेले में बातें करने लगा.
मैंने सोनू का हाथ अपने हाथों में लिया और चूम लिया.
वह भी इसी दिन के इंतजार में थी.
अगले ही पल वह मेरी बांहों में आ गई.
मैं उसके होंठों को चूमने लगा.
वह भी मेरा साथ देने लगी.
मैं एक हाथ से उसके स्तनों को दबाने लगा तो वह वासना के समंदर में गोते लगाने लगी.
मैंने दूसरे हाथ से उसकी चूत को दबाया तो वह उछल पड़ी और मुझसे अलग हो गई.
तभी मेरी साली चाय लेकर आ गई.
हम दोनों नॉर्मल हो गए और सोनू उठकर अपनी मां के पास चली गई.
उसके जाने के बाद मेरी साली ने पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने उसे बता दिया और उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींच लिया.
मैं उसके होंठों को पीने लगा.
वह बोली- कोई देख लेगा तो दिक्कत हो जाएगी.
यह कह कर वह हट गई.
मैं साली को लेकर वहां से शाम को आ गया.
शाम को सोनू का फोन आया तो उसने बताया कि उसको मेरी याद आ रही है. उसने बताया कि उसका मिलने का मन कर रहा है.
मैंने पूछा- मिलने का या चुदाई का?
तो वह शर्मा गई और हां बोलकर उसने फोन काट दिया.
कुछ दिनों बाद मेरी ससुराल में शादी थी तो मैंने अपनी साली से उसकी ननद सोनू को शादी में लाने के लिए कहा.
पहले तो उसने मना किया कि कहीं कोई गड़बड़ हो गई तो मुझे दिक्कत हो जाएगी.
मैंने उसे विश्वास दिलाया, तो वह उसको शादी में ले आई.
सब लोग शादी में मस्त थे.
मैं और सोनू एक दूसरे से मिलने का मौका तलाश रहे थे.
आखिर फेरों के वक्त सभी लोग फेरों में बैठ गए तो मैंने उसे मेहमानों के रूम में आने का इशारा किया.
वह सोने का बहाना बनाकर रूम में आ गई और बेड पर आकर मेरे पास में लेट गई.
दिसंबर का समय था तो ठंड भी थी.
मैंने कमरे की लाइट बंद की और गेट को बंद कर दिया.
फिर आकर रजाई में लेट गया.
मैंने सोनू को अपनी रजाई में जैसे ही खींचा, वह मुझसे चिपक गई और बोली- कोई आ तो नहीं जाएगा?
तो मैंने कहा- कोई नहीं आएगा … और अगर कोई आएगा भी … तो तुम दूसरी रजाई में चली जाना. वैसे भी कमरे की लाइट बंद है.
वह मान गई.
मैंने सोनू को अपनी बांहों में खींच लिया.
सोनू एक कमसिन 19 साल की कुंवारी लड़की थी, जिसकी पतली और कमर कूल्हे बाहर को निकले हुए थे. गोल गोल टाइट स्तन थे.
मैं उसे अपनी बांहों में लेकर किस करने लगा.
वह ठंड में भी गर्म होने लगी थी.
जल्दी ही हम दोनों के शरीर गर्म हो चुके थे.
मैं उसके स्तनों को दबाने लगा तो वह मचल उठी.
देर ना करते हुए मैं उसके होंठों, गालों और गले को किस करने लगा.
वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
मैं उसकी लैगी में हाथ डालने लगा, तो वह और मचल गई … और उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
मैंने उसकी चड्डी में हाथ डाला, तो मुझे लगा कि जैसे किसी गर्म भट्टी में हाथ डाल दिया हो.
उसकी चूत गीली हो चुकी थी और आग की तरह तप रही थी.
मैंने उसकी चूत को मसलना शुरू किया, तो वह बेकाबू हो गई और मुझे चूमने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़कर मेरे लंड पर रख दिया.
वह मेरे लंड को मसलने लगी और मैं उसकी चूत को मसल रहा था.
मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली तो वह उछल पड़ी.
उसकी चूत बहुत टाइट थी.
मैं एक हॉट वर्जिन Xxx चूत मिलने के रोमांच से अभीभूत था.
मैंने दुबारा एक उंगली डाली तो वह दर्द से कराह उठी.
तभी मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और उसकी चूत में उंगली चलाने लगा.
उसकी चूत ज्यादा देर नहीं टिक पाई और उसका शरीर अकड़ने लगा.
वह मेरे सीने से चिपक कर मेरे होंठों वह चूमने लगी.
अगले कुछ ही पल बाद उसकी चूत ने उसका साथ छोड़ दिया और वह अपना कामरस बहाने लगी.
मैंने उसकी चूत को अपनी रूमाल से साफ किया और उसके बोबों को चूसने लगा.
कोई 5 मिनट में वह दुबारा से तैयार हो गई.
उसकी चड्डी और पजामी को मैंने एक पांव से निकाल दी और अब मैं उसके ऊपर आ गया.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर फेरना शुरू किया तो वह डर गई.
तब मैंने उसे समझाया कुछ नहीं होगा तो वह मान गई.
यह उसका पहली बार था और मेरे पास कंडोम भी नहीं था.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और अन्दर डालने लगा लेकिन उसकी चूत बहुत टाइट थी, लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
मैंने थोड़ा थूक उसकी चूत पर मला और अपने लौड़े को सैट कर दिया.
फिर एक जोर का धक्का लगाया तो मेरा आधा लंड चूत में घुस गया था.
सोनू की आंखों में आंसू आ गए और दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई.
लेकिन मैंने उसके मुँह को हाथ से दबा रखा था.
कुछ पल बाद मैं उसके होंठों को चूमते हुए धीरे धीरे लौड़े को हिलाने लगा.
मुझे ऐसा लगा जैसे लंड को किसी गर्म भट्टी में डाल दिया हो.
मैंने सोनू से पूछा- कैसा लग रहा है?
वह कराहती हुई बोली- बहुत दर्द हो रहा है … लेकिन तुम्हारे लिए सब सह लूंगी.
मैंने फिर से एक जोर का झटका दिया और मेरा पूरा लंड सोनू की चूत में समा गया.
सोनू के तो मानो प्राण निकल गए थे लेकिन उसने अपने होंठों को दांतों तले दबा लिए थे.
मेरा लंड उसकी चूत से निकले खून से भीग चुका था.
मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
तो उसे कुछ आराम मिला और दर्द मजे में बदलने लगा.
मैं अपनी स्पीड बढ़ाने लगा तो वह भी मेरा साथ देने लगी.
लेकिन उसकी चूत ने पहली बार लंड का स्वाद चखा था, जिससे जल्दी ही चूत ने जवाब दे दिया.
उसका शरीर अकड़ने लगा.
तो मैं जोर जोर से चोदने लगा और कुछ ही झटकों के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
अब चूत में चिकनाई हो गई थी तो चुदाई में मजा आने लगा था.
कुछ देर बाद मेरा भी निकलने वाला था तो मैं जोर लगा कर चोदने लगा.
मेरा लंड उसकी बच्चेदानी तक चोट कर रहा था.
जैसे ही मेरा निकलने को हुआ, मैंने लंड को खींच कर बाहर निकाला और उसके पेट पर पिचकारी मारते हुए झड़ गया.
हम दोनों पसीने में भीग चुके थे और थक भी गए थे.
मैं सोनू के ऊपर ही लेट गया.
अब वह मेरे बालों को सहला रही थी; मुझे किस कर रही थी.
उसने मुझे इतना प्यार देने के लिए थैंक्स कहा.
तो मैंने भी उसको होंठों पर चुंबन किया और उसके ऊपर से हट कर बगल में लेट गया.
उसने रूमाल से मेरे लंड को और अपने पेट से वीर्य को साफ किया.
मैंने अपने रूमाल से उसकी चूत साफ की तो उसने रूमाल को अपने पर्स में यादगार के तौर पर रख लिया.
मैं उठकर फेरों में चला गया लेकिन वह दर्द और थकान के मारे नहीं गई और सो गई.
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