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मकान मालकिन की सेवा का फल

  • द्वारा


लैंड लेडी नेक्स्ट डोर सेक्स कहानी मेरी मकान मालकिन की है. वो घर में अकेली रहती थी, मैं एक कमरे में किराये पर था. एक बार उन्हें चोट लग गयी तो मैंने उनकी सेवा की.

दोस्तो, आप सभी का धन्यवाद जो आप लोगों ने मेरी कहानियों को पसन्द किया।

आप लोगों को एक और कहानी ले कर आया हूं.

तब मेरी पढ़ाई हो चुकी थी और मैं नौकरी ढूँढ रहा था।
मैंने एक प्राईवेट कम्पनी में सेल्स की जॉब कर ली.

तभी मेरे मकान मालिक के लड़के की शादी तय गई तो मुझे रूम छोड़ना पड़ा.
मैं रूम ढूँढ रहा था तो मेरे एक दोस्त ने एक रूम बताया.

कमरा देखने गया मैं वहां तो एक लड़का मिला.
उससे मेरी बात हुई.
उसने कहा- रूम है और सेप्रट है।

तब उसने रूम दिखाया और बात पक्की हो गयी.
तभी उसकी मां आ भी गई और उनसे भी बात हुई।

लड़के ने अपना नाम अमर बताया.
उसने मेरे और मेरे परिवार के बारे में पूछा, फिर अपने परिवार के बारे में बताया.

अमर ने बताया कि उसके पिता नहीं हैं; एक बहन है जिसकी शादी हो गई. अमर अहमदाबाद में जॉब करता है और अभी‌ छुट्टी लेकर आया है. उसकी मां अकेली रहती है।

उसने कहा- तुम यहां रहोगे तो मेरी मां को भी कुछ सहारा मिल जाएगा.
मैंने कहा- तुम चिन्ता मत करो।

अब मैं आपको उसकी मां के बारे में बता दूं जो मेरी मकान मालकिन है.
वो एक हल्के सांवले रंग की महिला, उम्र करीब 48 साल, कद करीब सवा 5 फुट, गदराया बदन, बूब्स 34″ के होंगे और गांड चौड़ी, लुभावना चेहरा था.
उनका शरीर देख कर अच्छों अच्छों के लण्ड खड़े हो जाएं … खासकर उनके बूब्स देख कर!
पर वो नेचर से कड़क थी.

मेरे दिमाग में उनके बारे में कुछ भी नहीं था.
पर मैंने देखा कि पड़ोस के कुछ लोग उन्हें बहुत घूरा करते थे और बात करने का बहाना ढूंढते थे. पर वो किसी को अपने पास फ़टकने भी नहीं देती थी।

उनका सम्बन्ध मेरे साथ कैसे हुआ, मुझे समझ नहीं आया.
इसे इत्तेफाक कहें या मेरी किस्मत जो मुझे मकान मालकिन का प्यार मिल गया।

अब आगे कहानी पर बढ़ते हैं.

करीब 2 महीने ही निकले थे मुझे उनके घर में रहते हुए … मुझे उनसे डर लगता था क्योंकि कभी कोई गलती होती तो वे मुझे डांट दिया करती जैसे लेट आने या कोई दोस्तों के ज्यादा देर तक रूम में रहने पर!

उनसे मेरी कम ही बात होती थी।

गर्मी के दिन थे. रात में मुझे गर्मी लग रही थी तो मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और नंगे बदन ही सो गया.

सब दरवाजे बन्द थे पर खिड़की खुली थी.
सुबह सुबह मैं अपनी मामी की चूत को याद करके अपने लण्ड को मसल रहा था. लण्ड एकदम कड़क खड़ा था.

फिर मैं उठा, पेशाब किया और फ्रेश हुआ और काम पर चला गया।

उसी शाम सुनीता जी, हां शायद मैंने आपको उनका नाम नहीं बताया, उनका नाम सुनीता है, मुझे बुलाया और कहा- गोलू तुम्हें गर्मी बहुत लगती है क्या?
मैंने कहा- जी!

सुनीता- तुम अमर के कमरे का कूलर उठा लो!
मैंने कहा- जी.

मैंने कूलर उठाया और अपने कमरे में रख लिया.
पर मैं रोज ही अन्डरवियर में सोया करता और कभी मामी तो कभी श्वेता आन्टी की चूत चुदाई को सोच कर लण्ड को सहलाया करता।

कुछ दिन और बीते.

एक दिन सुनीता ने कहा- गोलू, तुम खाना बनाते हो और मैं भी … अब मैं ही तुम्हारा खाना बना लिया करुंगी, तुम यहीं खा लिया करो।
मैंने कहा- ठीक है … पर आप परेशान होंगी।
तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- हम साथ में बनाएंगे।

मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि वे हंसी क्यों!

हम साथ में खाना खाने लगे. अब हम घुल मिल गए थे तो बातें होने लगी और समय निकलता गया।

एक रात करीब 10 बजे में अपने कमरे में लण्ड की तेल से मसाज कर रहा था.
तभी मुझे खिड़की खटकने की आवाज सुनाई दी.
तो मैंने अपना लण्ड छुपाया और खिड़की से देखा.
वहां कोई नहीं था पर मुझे शक हुआ कि कोई था।

फिर एक दिन सुनीता घर में गिर गई तो उनके पैर के पंजे में सूजन थी, पीठ और कमर में चोट के कारण दर्द था.

मैंने जॉब पर से लौटा तो पाया कि वो पलंग पर लेटी हैं और कराह रही हैं. वहां उनके पास पड़ोस की एक आंटी बैठी हैं।

मैं गया और पूछा तो उन्होंने सब बताया और रोने लगी.
तो मैंने कहा- आप चिंता मत करो, हम डाक्टर पास चलते हैं।

हम डॉक्टर के पास गए, उसने कुछ दवाई दी और एक तेल दिया और कहा- इससे पीठ, कमर और पैर की हल्के हाथ से मालिश करनी है।

फिर हम घर आए.
मैंने उन्हें बेड पर लेटाया वो आराम करने लगी.

मैं रात को उनके पास गया और कहा- बताइए, मैं आप की मालिश कर दूं!
तो उन्होंने मना कर दिया.

पर मैंने तेल उठाया और पैर पर मालिश करने लगा. फिर कमर में करने को बोला तो उन्होंने मना कर दिया.
मैं अपने कमरे में आ गया।

अगले दिन भर उन्हें दर्द रहा.

मैं रात को खाना खाने गया तो बोली- गोलू मेरी कमर और पीठ का दर्द नहीं ठीक हो रहा।
तो मैं बोला- आप मालिश नहीं कराओगी तो कैसे ठीक होगा?

वो बोली- किस से कराऊं … कोई नहीं मिला.
मैं बोला- मैं कर दूंगा … पैर की करता हूं, कमर की भी कर दूंगा।

वो बोली- तुम से कैसे करवाऊं … अच्छा नहीं लगता।
मैं बोला- अच्छा बुरा देखोगी तो दर्द नहीं जाएगा.
वो बोली- किसी को पता चला तो?
मैं बोला- कौन बताएगा जो किसी को पता चलेगा।

हमने खाना खाया और कुछ देर ऐसे ही बातें करते रहे.

फिर मैं बोला- चलो मालिश कर दूं!
मैंने तेल लिया और पैर पर मलने लगा.

कुछ देर मलने के बाद मैंने कहा- चलो लेट जाओ.
तो वो शर्मा रही थी पर मैंने जबरन उन्हें लेटा दिया।

मैं कमर पर तेल डाल कर मलने लगा.
पर कमर पर मलते समय मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं मखमल पर हाथ फेर रहा हूं.

मैं हल्के हाथ से मालिश कर रहा था. शायद उन्हें भी मजा आ रहा था.

जैसे ही उनकी पीठ पर मेरा हाथ पहुँचा, उन्होंने मुझे रोक दिया और बोली- बस करो, तुम्हारा हाथ दुखने लगा होगा।
मैंने कहा- पीठ का दर्द कैसे जाएगा?
वो बोली- अब कल करना।

दोस्तो, वो पहला दिन था जब मैंने उन्हें कमर से छुआ था.
मेरे लण्ड में उत्तेजना होने लगी.

दो तीन दिन तक ऐसा ही चला और अब मैं जब भी उनकी मालिश करता, मेरे मन में उन्हें चोदने का ख्याल आने लगा और लण्ड खड़ा हो जाता जिसे वो देख लेती थी पर कुछ नहीं कहती।

अगले दिन‌ मैंने हिम्मत की और उनके घुटनों तक मालिश करने लगा.
वो सोफे पर सिर टिकाए बैठी थी और आंखें बन्द कर रखी थी.

मैंने कुछ और ऊपर तक उनकी जांघ पर हाथ फिरा दिया.
वो एक म उठी और मेरी तरफ देखती रही.

मैं डर गया और अपनी आंखें झुका ली।
सुनीता बोली- पैर की ही करोगे सिर्फ? कमर और पीठ की नहीं करोगे क्या?
मैं बोला- क्यों नहीं … सबकी करूंगा।

वो फर्श पर लेट गई.

अब मैंने तेल कमर पर लगाया और मलने लगा.
पीठ पर मालिश की तो उनका ब्लाऊज़ हाथ में फंस रहा था तो उनने उसे ढीला कर दिया.

अब मैं और खुलकर मालिश करने लगा, हाथ को पीठ से कमर के नीचे तक फिराने लगा।

मैंने साड़ी कमर से नीचे सरका दी जिससे उनके चूतड़ों की लकीर दिखाई देने लगी।

वो बोली- गोलू, तुम्हारे हाथों में जादू से ऐसा लगता है मालिश करवाती रहूं … बहुत मज़ा आ रहा है।
मैं बोला- आप कहो तो पूरे की मालिश ‌कर दूं … और भी मजा आएगा।
वो बोली- पूरे की मतलब?

में- मतलब आपके शरीर की!
सुनीता हंसी और बोली- मजा तो सच में आएगा. तुम कर पाओगे?
मैं बोला- आप बोलो तो!
सुनीता- चलो करो … देखें तुम कितना मज़ा देते हो।

मैं तो इतना ही चाहता था.
मैंने उनका ब्लाऊज़ और ऊपर किया और पीठ पर तेल डाल कर उनके कन्धों पर जोर से मालिश करने लगा पीठ से कमर तक!

फिर मैंने उनकी साड़ी नीचे से जांघों तक सरका दी और पैर से जांघों तक मालिश करने लगा.
वो सिर्फ आहें भर रही थी उन्हें अब और मजा आ रहा था.

मैंने मौका देखते ही उनकी साड़ी और पेटीकोट नीचे सरका दिया.
अब वो सिर्फ ब्लाऊश और पेंटी पर थी और आंखें बंद किये थी.

मैं तेल चूतड़ों पर डाल कर मलने लगा.
अब वो सिसकारियां भर रही थी।

यहां मेरा भी हाल बुरा था … लण्ड बाहर आने को बेताब था.

मैंने उन्हें पलटने को कहा.
वो शर्मा रही थी पर सीधी हो गई.

अब वो ब्लाऊज़ पर हाथ रखे थी और दूसरा हाथ पेंटी के ऊपर से चूत पर!

मैंने पेट पर तेल डाला और मलने लगा।
पेट को मलते मलते उनके बूब्स तक हाथ ले गया और उनका हाथ हटा दिया.
तो उनने हाथ से अपना चेहरा ढक लिया.

मैंने आंटी का ब्लाऊज़ उतार फेंका और जोर जोर से उनके वक्ष मसलने लगा.
अब उनका मजा सेक्स की सिसकारियों में बदल गया- आआआ आहहा आआ मम्मम आह सिईई ईइइ हम्मम!
वो बड़ बड़ाने लगी- आह … और दबा गोलू … मसल दे … निचोड़ डाल … आह आइइई.

मैंने उनके चूचे और दबाए और धीरे धीरे उनकी पेंटी के ऊपर से चूत को मसल दिया.
वो तड़प उठी.

अब मैं सुनीता की गर्दन से सीधे बूब्स मसलते हुए पेट पर पेट से जांघों तक और जांघों से पैर तक मालिश कर रहा था।
वो अपनी गर्दन उठा कर आहें भर रही थी और अपने हाथों से मेरी जांघ पर हाथ फेर रही थी मानो कुछ ढूंढ रही हों.
साथ ही कराहने की आवाज़ आआअ अअअ अअह आआ अअअ अह सिईईई इइइइ निकाल रही थी.
मेरा भी लण्ड बाहर आने को बेताब था।

अब मैं उनकी चूत में उंगली कर रहा था और उनका हाथ मेरे लण्ड पर आ गया था.
वो लोवर के ऊपर से ही मेरा लण्ड मसल रही थी.

मैंने भी देर नहीं की, सोचा कि लोहा गर्म है, हथौड़ा मार दो!
अपने सारे कपड़े उतारे मैंने … उनके दोनों पैर फैला दिए और नीचे जाकर अपनी जीभ चूत पर रख दी. मैंने आंटी की चूत चाटना शुरू कर दिया और दोनों हाथों से बूब्स को दबा रहा था।

अब सुनीता मदहोश हो चुकी थी, वे सिर्फ सिसकारियां और आहें भर रही थी- आ आआउ उउउ ईईई ईईई खा ले मेरी चूत … गोलू आआ आउउउह!

मैंने अब देर न करते हुए 69 की पोजीशन ली, उनने भी मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया.

अब हम दोनों ही अपना काम कर रहे थे और मदहोश हो रहे थे. मैं भी अब मजा ले रहा था और वो भी!

कुछ ही देर में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
अब मैं उठा और कुर्सी पर बैठ गया.

वो उठी और मेरा लण्ड जोर जोर से चूसने लगी.

अब मेरी बारी थी वो बस चूसे जा रही थी.
गजब तरीका था दोस्तो … मानो कोई पोर्न स्टार हो!

मेरी सांसें तेज हो रही थी, बदन अकड़ रहा था.
आहहह हहह भरते हुए मैंने कहा- मैं गया!
तो उनने चूसना छोड़ा और हाथ से हिलाने लगी.

मेरे लण्ड से एकदम लावा छूटा और उनके बूब्स, गर्दन, पेट पर जा गिरा.
और मैं सिर्फ आह आह आह कर रहा था।

मैं वहीं बैठा रहा और वो मेरे माल‌ को अपने बूब्स पर मल रही थी.
फिर वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई और उठकर बाथरूम चली गई.

थोड़ा रूककर मैं भी पीछे गया तो देखा वो शावर ले रही थी.

मैंने पीछे से जाकर पकड़ लिया और साथ में नहाने लगा. मैं वहीं उनको किस करने लगा, लिपकिस शुरू कर दिया तो उनने मुझे हटाया और कहा- अभी रूको, अभी तो सारी रात बाकी है. अब मैं सिर्फ तुम्हारी हूं, सब कुछ कर लेना.

हम नहाये और मैं बाहर आकर बैठ गया.
उनने अपने बूब्स पर तौलिया लपेटा और रसोई में चली गई.

उनने खाना लगाया, हमने खाना खाया. जैसी अवस्था में हम थे … मैं पूर्ण नग्न और वो तौलिया लपेटे।

हम खाना खाकर बेडरूम में आ गए.
मैंने उन्हें बेड पर धकेल दिया और ऊपर चढ़ गया, लिप किस करना शुरू कर दिया.

इसके बाद मैं तौलिया हटाकर उनके बूब्स चूसने लगा. एक हाथ से मैं आंटी की चूत को सहला रहा था.
मैंने फिर से चूत को चाटना शुरू किया तो वो भी मादक आवाज़ निकालने लगी- आआह ईईई ईईहह ईई मर गई ईईईइ आह गोलूऊऊ ऊऊऊहह ऊऊऊ!

फिर मैं उठा और घुटनों के बल खड़ा हो गया.
उनने थोड़ी देर मेरा लण्ड चूसा और कहा- अब चोद दे गोलू … बुझा दे इस चूत की तड़प … बहुत प्यासी है ये!
मैंने कहा- हां, अब तो मैं इसकी प्यास रोज ही बुझाऊंगा।

उनकी दोनों टांगें मैंने फैला दी और लण्ड को चूत पर सेट किया और एक झटका मारा.
मेरा लण्ड फिसल गया और उनको भी दर्द हुआ.
चूत टाईट थी, 7 सालों से जो नहीं चुदी थी।

मैं उठा, रसोई से तेल लाया. अपने लण्ड पर मला और उनकी चूत पर उंगली से अंदर तक डाला. फिर दो उंगलियों से चोदना शुरू किया.
वो फिर से सिसकने लगी- उई ईईईई आह ईईई ईईआ आआह हह म्मम उउऊऊ ऊऊऊई माआआ आआह!

अब मैंने लण्ड को चूत में फंसाया और झटका मारा. आधा लण्ड चूत में गया और उनकी तेज चीख निकल गई- आआआ!
मैं उनके ऊपर लद गया, उनके लब चूमने लगा और धीरे धीरे लण्ड को अन्दर करता गया.

अब हम‌ दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे, एक दूसरे की गर्दन, लिप चूम रहे थे और धीरे धीरे चुदाई चल रही थी।
मैं थोड़ा ऊपर उठा और चुदाई थोड़ा तेज कर दी.
वो आआ आआ ह आमाह हाह आआआ आईई ईईइ कर रही थी.

तब मैंने उनको घोड़ी बनाया और चोदना शुरू कर दिया.
वो बड़बड़ाने लगी- चोदोओओ ओओओ ओऔऔऔऔ अम्म ममम!

उनकी मादक आवाजें सुन कर मुझे भी और जोश आने लगा. मैं जोर जोर से चोदने लगा, भकाभक पेलने लगा.
कमरे में सिर्फ तीन आवाजें आ रही थी, हम दोनों की ‘आह आह आआ आईई आह’ की और दोनों के बदन के मिलन की पट पट पट पट फचच फचच की!

स्पीड बढ़ती गई उनका पानी ‌निकल गया.
पर मुझमें अभी जोश बाकी था, पांच मिन‌ट के बाद मैंने भी अपना सारा माल उनकी चूत में छोड़ दिया और हम वैसे ही लेट गए.
वो मेरे सीने को चूम रही थी और मेरे पेट और लण्ड‌ को सहला रही थी, मैं उनकी पीठ पर हाथ फेर रहा था।

ऐसे ही लेटे लेटे हम दोनों की अब नींद लग गई, पता ही नहीं चला.
सुबह वो उठी और फ्रेश होने चली गई.

तब मैं भी उठा.
वो नहाने जा रही थी.

मेरा लण्ड खड़ा था, मैं सीधा बाथरूम गया और पेशाब किया.
मैं उनसे फिर से चिपक गया और हम साथ में नहाने लगे.

उनने मुझे बताया कि उनके पति चूत के साथ उनकी गांड भी चोदा करते थे।
तब मैंने कहा- तो मुझे भी चोदना है तुम्हारी गांड!
उन्होंने मना किया- बहुत समय हो गया है, अब दर्द होगा।

मैंने कहा- अब तुम मेरी हो और कल तुमने कहा था सब कर लेना. अब मना कर रही हो?

मैं जिद करने लगा.
थोड़ी न नुकुर के बाद वो मान गई वो गई और तेल से मेरे लण्ड की मालिश की. उनने अपनी गांड़ पर तेल लगाया और मुझ से कहा- धीरे धीरे डालना!

मैंने उनको घोड़ी की तरह खड़ा किया और लण्ड गांड में सेट किया और धीरे धीरे डालने लगा.
जब पूरा लण्ड गांड़ में समा गया तो मैंने अन्दर बाहर करना शुरू किया और तेल डालता गया जिससे जल्दी जगह बन गई।

मैं अब तेज झटके दे रहा था और वो कराह रही थी- ईई ओओ ओआआ आआ मार डाला … आआ मममा!
मैंने लण्ड गांड से निकाल कर चूत में डाल दिया और चूत चोदने लगा.

उनको और भी मजा आने लगा.

मैंने एक साथ चूत गांड दोनों की चुदाई कर रहा था. कभी गांड में डाल कर पेलता तो कभी चूत में!
यह मजा मेरे लिए भी नया था, मुझे मजा आ रहा था और वो भी खूब मजा ले रही थी.

लम्बी चुदाई के बाद मैंने सारा माल आंटी की गांड में छोड़ दिया.

यह थी मेरी मकान मालकिन के प्यार की कहानी.
अब तो ये प्यार दिन में और रात दोनों में होने लगा था।

दोस्तो, कहानी थोड़ी बड़ी है पर सच्ची घटना है.
कहानी कैसी लगी, मेल कीजिए।
मेरा मेल है [email protected]

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