हॉट नर्स सेक्स कहानी में पढ़ें कि हमारे हॉस्टल में डॉक्टर्स का क्वारनटीन सेंटर बना तो एक नर्स मुझे पसंद आयी और मैंने उससे दोस्ती कर ली. फिर उसे कैसे चोदा?
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम ऋषि है.
हॉट नर्स सेक्स कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको जल्दी से अपने बारे पर कुछ बता देता हूं.
मैं अभी मुरादाबाद के एक कॉलेज में अपने अंतिम वर्ष में हूँ. मैं अपने बचे हुए कुछ दिन हॉस्टल में ही काट रहा हूँ.
चूंकि पहले लॉकडाउन के चलते मैं हॉस्टल में ही फंस गया था. मेरा हॉस्टल लगभग खाली ही था. बस कुछ ही स्टूडेंट थे.
लॉकडाउन के बाद मेरा कॉलेज फिर से खुल गया था मगर मुझे कॉलेज जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था.
फिर कुछ दिन बाद कॉलेज की सारी पढ़ाई ऑफ लाइन होने की वजह से मुझे कॉलेज आना पड़ा.
अभी फिर से लॉकडाउन लगने की खबरें आने लगी थीं. मगर इस बार ऐसा होता तो मैंने हॉस्टल में ही रहने का मन बना लिया था.
मेरे बहुत से दोस्तों ने कहा कि किराए का रूम ले लेते हैं; वहीं पर हम सब साथ में रह लेंगे.
पर मैंने हॉस्टल में ही रुकने का मन बनाया हुआ था.
मेरे दोस्त बाहर कमरा लेकर रहने लगे. अब मैं अपने कमरे में अकेला रह गया था.
कभी कभी मुझे लगता था कि मुझे भी बाहर ही रह लेना था, पर कहते है ना कि जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है.
मेरे साथ भी वैसा ही हुआ.
मुझे हॉस्टल में अकेले रहते हुए एक महीना ही हुआ था कि प्रदेश सरकार ने फिर से कोरोना के बढ़ते केस देख कर जगह जगह लॉकडाउन के ऐलान करना शुरू कर दिया.
हालांकि मुरादाबाद में किसी तरह से भी लॉकडाउन के आसार नहीं लग रहे थे.
मेरे घर रायपुर में सब चीजें बहुत पहले से बंद हो गई थीं. जिसके कारण मैंने सोचा कि यदि किसी भी सूरत में मुरादाबाद में लॉकडाउन लगता है तो हॉस्टल में रहना ही ठीक रहेगा.
कुछ दिनों तक तो मैंने बहुत बार सोचा कि घर चले जाना चाहिए, पर तभी कुछ ऐसा हुआ … जिससे मेरा मन हॉस्टल में लग गया और मुझे घर की याद नहीं आई.
हुआ ये कि कोरोना के केस बढ़ने के कारण हमारे हॉस्टल के बहुत से स्टूडेंट अपने घर चले गए थे.
हॉस्टल में बस हम सब मिलाकर केवल 40 लड़के थे.
हमारे हॉस्टल के दूसरे तीसरे और सातवें माले को डॉक्टरों के लिए कोरंटाइन सेंटर बना दिया गया था.
हमें बोला गया था कि अपने कमरों से ज्यादा निकलना बन्द कर दो.
हम बस खाना खाकर रात को टहलने और थोड़ी बहुत मस्ती करने निकलते थे क्योंकि ऊपर के माले पर सुंदर सुंदर नर्स रुकी हुई थीं और हम सभी लौंडे नर्सों को देखने के लिए निकलते थे.
ऐसे ही कुछ दिन मैं रात का खाना खाने के बाद टहलने निकलता और अकेले घूमने लगता.
तभी मेरी नजर एक नर्स से जा टकराई, वो भी हर रात को उसी समय टहलने आती थी.
मैंने सोचा कि चलो इससे बात की जाए. मैंने अपनी रफ्तार कम कर दी.
उसी वजह से वो मेरे करीब आ गई और हम दोनों अब बराबर पर चल रहे थे.
उसने मेरी तरफ देखा, तो मैंने उससे पूछा- तुम ऐसी हालात में हॉस्पिटल जाती हो, तो क्या तुम्हें डर नहीं लगता?
उसने बताया- मैं अभी अभी ही यहां आई हूँ और जब तक मुझे वैक्सीन की पहले डोज़ नहीं लगती, तब तक वो हॉस्पिटल नहीं जा सकती.
हमारी इतनी ही बात हुई थी कि उसकी किसी फ्रेंड ने उसे आवाज लगा दी और वो चली गई.
वो दिखने में तो एक सामान्य लड़की के जैसी ही थी. सामान्य रंग, सामान्य ऊंचाई और बोलने में भी वो सामान्य थी. बस उसके चूचे और चूतड़ दोनों ही अच्छे खासे बड़े थे.
उसके जाने के बाद मुझे याद आया कि ना तो मैंने उससे उसका नाम पूछा और ना ही अपना नाम बताया.
फिर मैं अपने कामों में व्यस्त हो गया. उसकी तरफ से किसी दूसरी लड़कियों की तरह मन हटा लिया.
तब भी अब मेरे मन में एक बात आ चुकी थी कि उससे दूसरी बार मिलने का मौका मिलेगा, तो उसका नाम पूछ लूंगा.
फिर एक हफ्ते तक हर रात मैं टहलने को जाता, पर वो नहीं दिखी.
इस बीच मुझे उसका नाम मालूम चल गया था. उसका नाम प्रिया था.
एक रात मैंने उसे ढूंढने की काफी कोशिश भी की, पर वो नहीं मिली तो मैं अपने रूम में जाकर सो गया.
सुबह मैं सोकर उठा और नाश्ता करके अपने रूम में आकर काम करने लगा.
काम करते हुए काफी देर हो गई और उसी वजह से मुझे नहाने के लिए थोड़ी देर हो गई.
उस वक्त करीब एक बज रहे होंगे.
मैं नहाने के लिए कॉमन बाथरूम में जा रहा था. मैं हमेशा की तरह अपने सारे कपड़े उतार कर एक टॉवल कमर पर लपेट कर बाथरूम में आ गया.
उधर अपना नहाना आदि पूरा करके मैं बाहर निकल ही रहा था कि मुझे ऊपर से किसी लड़की की पायल छनकने की आवाज आई.
मैं थोड़ा रुक गया, जिससे वो मेरी बॉडी देख पाए.
फिर जैसे ही मैं सीढ़ियों की तरफ मुड़ा तो मैं सातवें आसामान पर था क्योंकि वो लड़की और कोई नहीं प्रिया थी और वो भी मुझे ऐसे देख कर मूर्तिवत हो गई थी.
मैं उसके पास गया और उससे कहा- कहां खो गई थीं तुम … रात को भी नहीं आती हो और अब भी खो सी गई हो!
उसने बताया कि वैक्सीन की पहली डोज़ के कारण मेरी तबियत खराब हो गई थी, तो एक हफ्ते से मैं बस आराम कर रही थी. पर अब मैं ठीक हूँ. आज से मैं रात को घूमना शुरू करूंगी.
मैंने उससे कहा- ओके, मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा.
ये बोल कर मैं चला गया और वो भी चली गई.
मैंने रूम में जाकर चेंज किया और कपड़े पहनकर दोपहर का खाना खाकर रूम में आ गया.
मैं बेड पर लेट गया और प्रिया के उभरे हुए चूचों को याद करके लंड सहलाया.
मैंने सोचा कि चलो अच्छा हुआ कि मैं घर नहीं गया. मुझे हॉस्टल में ही चूत का जुगाड़ हो सकता है, तो मैं इस मौके को हाथ से क्यों जाने दूँ.
मैं प्रिया के बारे में सोचते हुए सो गया.
मुझे पता ही नहीं चला कि कब रात हो गई. अब मैं जल्दी से खाना खाकर बाहर निकल आया और कुछ दूर चलने पर मुझे प्रिया की मटकती हुई गांड दिख गई.
वो मेरी तरफ आती हुई दिखी. मैंने उसे हाई किया.
फिर हम साथ साथ चलने लगे.
कुछ देर हम दोनों यहां वहां की बातें कर रहे थे.
तब ही मैंने प्रिया से एक चेयर की तरफ इशारा करके कहा- चलो वहां बैठते हैं.
चूंकि रात में वहां अंधेरा रहता था और पेड़ के पीछे होने के कारण कोई देख भी नहीं सकता था.
हम दोनों वहां कुछ देर बैठ कर बात कर रहे थे.
तब मुझे लगा कि प्रिया धीरे धीरे मेरी ओर आने लगी हैं.
मैं उसके पास को सरक गया और हम दोनों सट कर हाथों में हाथ डाल कर बात करते रहे.
फिर थोड़ी देर ऐसी ही बात करते करते उसने बताया- कोरोना के कारण मैंने अपने ब्वॉयफ्रेंड से दो हफ़्तों से सेक्स नहीं किया है और अब मुझसे रहा जाता है.
उसकी इतनी खुली बात सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने मौका देखते ही उससे कहा- इतनी सी बात का क्या गम करना. इसका हल आज ही निकाल लेते हैं.
वो हंस दी.
अब लौंडिया खुद चुदने को मरी जा रही हो, तो मुझ जैसे लौंडे से कैसे रहा जाता.
मैंने उससे उसका रूम नम्बर पूछा, तो उसने अपना रूम नम्बर बी-104 बताया.
ये मेरे रूम के ऊपर वाला ही रूम था.
मैंने उससे कहा कि रात को 2 बजे के बाद जब सब सो जाएं, तो तुम अपना दरवाजा खोल देना, मैं तुम्हारे रूम में आ जाऊंगा.
उसने हां कर दी.
उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर वहां बैठे हुए एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे और उसने मेरा लंड टटोल कर चैक किया और साइज़ महसूस करके खुश हो गई.
मैंने कहा- साइज़ ठीक है?
वो शर्म से लाल हो गई और उसने सर हिलाकर हां कर दी.
फिर हम दोनों अपने अपने रूम की चल दिए.
मैं दो बजने का इंतज़ार करने लगा.
जैसे ही रात के दो बजे, मैं अपने रूम से निकल कर सबसे पहले वॉर्डन के बैठने की जगह को देखा.
एक वार्डन सो रहा था और दूसरा वार्डन वहां नहीं था.
मैं मौका देखते ही जल्दी से ऊपर प्रिया के रूम की ओर भागा और उसके खुले हुए रूम में घुस गया.
प्रिया जाग रही थी उसे भी मेरे आने का इन्तजार था.
मैंने जल्दी से रूम लॉक कर दिया.
हम दोनों ने एक दूसरे को प्यासी निगाहों से देखा.
हमारे मन में आज की चुदाई के बारे के सोच सोच कर खुशी बढ़ रही थी.
मेरे रूम का दरवाजा बंद करते ही प्रिया किसी जंगली बिल्ली की तरह मुझ पर चढ़ गई और मुझे जोर जोर से किस करने लगी.
ऐसे में मैं कैसे पीछे रहता. मैंने भी उसे जोर जोर से किस करना शुरू कर दिया. कभी वो मेरे होंठ चूस रही थी … और कभी मैं उसकी जीभ.
हमारे किस करने से ही रूम का माहौल गर्म हो चुका था. हमें किस करते हुए दस मिनट हो गए थे. न तो वो मुझे छोड़ रही थी और न मैं उसे.
ऐसे ही किस करते हुए मैंने उसे उसके बेड पर पटक दिया और उसकी कुर्ती को ऊपर कर दिया.
इस बीच हमारे होंठ बस कुछ ही सेकंड के लिए अलग हुए थे.
मैं उसको किस करते हुए उसके चूचे उसकी ब्रा के ऊपर से ही मसल रहा था.
वो आंह आंह कर रही थी.
मैंने धीरे से उसकी ब्रा को उसके कंधे से नीचे कर दिया और ब्रा मम्मों से नीचे सरका दी.
उसके दोनों निप्पलों को मैं अपने हाथों से मसलने लगा और मजा लेने लगा. निप्पलों को मसलने के कारण उसकी मादक आह निकलने लगी.
मैंने अपने होंठ उसके होंठों से हटा लिया और उसके एक चूचे को अपने मुँह में भर लिया.
मेरा एक हाथ उसके दूसरे चूचे पर था और एक हाथ की उंगलियां उसके मुँह में थीं जिन्हें वो बहुत अच्छी तरीके से चूस रही थी.
मैंने उसके चूचे को चूस चूस कर लाल कर दिया और दूसरे चूचे को मसल कर मजा लिया.
फिर जैसे ही मैंने उसके दूसरे चूचे को पकड़ा, उसने मेरा टी-शर्ट उतारनी चाही, पर मैंने उसे रोक दिया.
वो मचल रही थी मगर मैंने अपना दूध चूसने का कार्यक्रम चालू रखा.
कुछ मिनट तक वह मेरे नीचे लेट कर अपने होंठों ओर चूचों को लाल करवाती रही.
फिर वो बोली- यार, तुम भी तो कपड़े उतारो.
तब मैंने बस अपनी टी-शर्ट को उतारा और फिर से उसके चूचों पर टूट पड़ा.
थोड़ी देर बाद मैं उसकी चूचियों से सरकता हुआ धीरे से उसकी नाभि पर आ गया और उसकी नाभि पर किस करते हुए उसके पजामे का नाड़ा ढीला कर दिया.
उसने खुद ही अपनी टांगों को चला कर अपनी सलवार उतार दी.
अन्दर पैंटी नहीं थी.
वो मेरे सामने बिस्तर में पूरी नंगी लेटी थी.
फिर वो अपने पैर हवा में फैला कर मेरे लंड को अपनी चूत में घुसने का न्यौता देने लगी.
मैंने उससे कहा- अभी नहीं, अभी तो इनके मेल में बहुत समय बाकी है.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया. जैसे मैं चढ़ा, मुझे उसकी चूत की गर्मी, मेरे लोवर के ऊपर से ही मेरे लंड पर महसूस होने लगी.
मैंने पूछा- इतनी गर्म हो गई हो, थोड़ा सब्र करो, हमारे पास बहुत समय है. आज की ये रात हमें हमारी गर्मी का ठंडा करने के लिए ही मिली है.
प्रिया- यार मुझसे और रहा नहीं जाता, तुम जल्दी से अपना लोअर निकालो और अपने लंड से मेरे चूत की आग को शांत कर दो.
ये सुन कर मैं उत्तेजित हो गया और जोर जोर से उसको किस करने लगा.
थोड़ी ही देर पर उसके होंठ से उसके गले उसके चूचों ओर नाभि से किस करते हुए मैं उसकी चिकनी चूत पर आ गया.
मैंने धीरे से उसकी चूत की फांकों को अलग किया और अपना जीभ उसकी चूत में रख दिया.
मेरी जीभ का स्पर्श पाते ही उसकी आह निकल पड़ी और वो टांगें खोल कर चूत चटवाने में साथ देने लगी.
मैं भी उसकी रसभरी चूत में पूरा खो गया था. कभी मैं चूत के दाने को चाटता, तो कभी अपनी जीभ से जसकी चुदाई करने लगता.
कभी किस करते हुए उसकी पूरी चूत अपने मुँह में समा लेता, तो कभी वो मेरे मुँह को अपनी छूट में दबा देती.
धीरे धीरे उसकी सिसकारियां बढ़ने लगीं और उसकी सिसकारियों के साथ मेरी रफ्तार भी.
कुछ समय में उसके पैर अकड़ने लगे. उसकी आंखें तो खुल भी नहीं रही थीं.
वो मेरे मुँह को अपनी चूत पर समा लेना चाह रही थी. तभी मैं समझ गया कि ये अब झड़ने वाली है. मैंने तुरन्त अपना मुँह उसकी चूत से हटा दिया.
उसके चहरे पर एक निराशा आ गई और वो कसमसा कर रह गई.
अब मैंने अपना लोअर निकाला, तो लंड देख कर उसके चहरे पर एक स्माइल आ गई.
मैं उसको किस करने के बहाने से उसके ऊपर लेटा और अपने होंठ उसके होंठ पर रख कर किस करने लगा.
उसी बीच उसकी चूत में अपनी उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
जैसे ही वो थोड़ी सी भटकी, मैंने झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
वो चिल्ला पाती कि मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक कर लिया और तेज तेज झटके मारता रहा.
मेरे तेज झटकों के कारण उसकी आंखों से आंसू आने लगे. फिर मैंने अपनी स्पीड कुछ कम की, जिससे उसको थोड़ी राहत मिली. वो लंड के मजे लेने लगी.
मेरे लंड और उसकी चूत के मिलने की खुशी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी.
वो मुझे किस करने लगी और मेरे गले पर लव बाईट देने लगी.
अब मैंने सोचा कि क्यों न उसे एक यादगार चुदाई दी जाए.
मैं उसको फिर से बहुत जोर जोर से चोदने लगा, जिससे हमारे पूरे रूम में फच्च फच्च की आवाज आने लगी.
कुछ ही देर में उसका भी शरीर अकड़ने लगा. मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी.
उसको चरमसुख की प्राप्ति हो गई, वो झड़ गई और निढाल हो गई. पर मैं नहीं रुका. मैं अपनी स्पीड में लगा रहा.
अब उसे अपनी चूत में जलन होने लगी थी. वो मुझे मना करने लगी कि नहीं अब बस हो गया.
मैंने कहा- तुम्हारा हो गया, तो क्या तुम मुझे प्यासा ही छोड़ दोगी. ऐसा तो मैं नहीं होने दूंगा. तुम्हें तब तक मेरा साथ देना होगा, जब तक मैं तुम्हें पूरा भर न दूँ.
वो बोली- अच्छा पोज बदल लो.
मैंने उसे पलटा कर घोड़ी बनाया और जोर जोर से झटके मारने शुरू कर दिए.
मैं उसे घोड़ी बना कर बहुत जोर जोर से काफिर देर तक पेलता रहा. थोड़ी देर में कमरे में उसकी आहों और हमारे घर्षण से आवाज गूंजने लगी.
मेरा भी अब होने वाला था, तो मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई और तभी वो एक बार फिर से झड़ गई. उसके झड़ते ही मैंने भी उसके अन्दर खुद को खाली कर दिया.
हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर गिर गए.
थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैंने उसकी टांगें फैलाईं और चूत पर हल्का सा चुम्बन करके अलग हो गया.
फिर उसके बाथरूम में जाकर मुँह धोया और उससे उठने को कहा.
वो खुद से उठी पर गिर गई क्योंकि उसके पैर कांप रहे थे और वो लस्त सी हो गई थी.
मैंने उसको गोद में उठाया और उसके हाथ मुँह धुलवा कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
उसे एक चादर उढ़ा कर मैं अपने रूम में चला गया.
फिर इसके बाद हम हर दो से तीन दिनों पर हर रात अपनी गर्मी ठंडी करने लगे थे.
जब उसकी रात की ड्यूटी होती थी, तो हम दोपहर में जुगाड़ करके चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर देते थे.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी थी … मगर ये आखिरी नहीं होगी दोस्तो. आपको यह हॉट नर्स सेक्स कहानी पसंद आई होगी.
मुझे मेल करके जरूर बताएं.
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