फ्रेंड मॉम सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे दोस्त की मम्मी हमारे फ़्लैट पर आई तो मैंने उन्हें कैसे चोदा. उनकी मोटी गांड और भरा बदन देख मेरा लंड सलामी देने लगा था.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रोनित है, ये बदला हुआ नाम है. मैं गाज़ियाबाद जिले का रहने वाला लड़का हूँ और दिल्ली के एक कॉलेज का छात्र हूँ.
मैं फ्री सेक्स कहानी साईट पर रोज़ाना सेक्स स्टोरी पढ़ता हूँ.
यह मेरी पहली फ्रेंड मॉम सेक्स कहानी है, जो कि एक सच्ची घटना पर आधारित है.
मैं अपने बारे में बताऊं तो मैं 22 साल का हूं और मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है. रंग एक सामान्य भारतीय जैसा ही है, लंड का साइज़ 7 इंच है.
यह घटना उस वक्त की है जब मैं कॉलेज के आखिरी साल में था.
मैं और मेरा दोस्त वरुण (उम्र 21साल) एक साथ किराए के फ्लैट में रहते थे.
हमारे फ्लैट के पास ही कॉलेज था जिससे हमें कोई आने जाने में परेशानी नहीं होती थी.
परंतु एक बार हमारे मकान मालिक को पता चल गया कि हम फ्लैट में दारू, बीयर आदि पीते हैं और लड़कियों के साथ मस्ती भी करते हैं.
इसी कारण उसने हमको फ्लैट से निकल जाने के लिए चेतावनी दे दी थी.
इस बात से हम परेशान होकर एक नया फ्लैट ढूंढने लगे.
आखिरकार हमको एक फ्लैट अपने कॉलेज से थोड़ी दूरी पर मिल गया.
इसकी ख़बर वरुण ने अपनी मां को फोन करके दे दी.
वरुण के घर के बारे में मुझे उससे ही मालूम हुआ कि उसके घर में 4 सदस्य हैं. वरुण, उसकी दो बहन नलिनी और प्राची, जिनकी उम्र 23 और 24 साल है.
वो दोनों अपनी मां के साथ ही मुंबई में रहती हैं.
वरूण की मम्मी रूना की उम्र वरूण ने 44 साल बताई थी. वरूण की मम्मी तलाकशुदा औरत हैं जिनका तलाक कुछ सालों पहले ही हुआ था.
रूना के पास बहुत पैसा था इसलिए उन्हें किसी बात की दिक्कत नहीं थी.
मैंने कभी भी वरुण की बहन और मम्मी को देखा नहीं था और ना ही हमने इस सिलसिले में कभी बात की थी.
फ्लैट में हमको सामान सैट करना था तो वरूण ने अपनी मम्मी को इसके बारे में पहले से ही बता दिया था कि उसे हेल्प चाहिए होगी.
उसकी मम्मी ने कहा- बेटा, मैं रामू (उनका नौकर) को मदद के लिए भेज दूंगी.
लेकिन वरूण अपनी मां को बुलाना चाहता था क्योंकि डेढ़ साल से वो अपने परिवार के सदस्यों से नहीं मिला था.
फिर किसी वजह से ऐसा नहीं हो पाया उसकी मम्मी ने आने के लिए इसलिए मना किया था क्योंकि उनको अपनी कंपनी संभालनी पड़ती थी.
अगले ही दिन जब हम अपना सामान शिफ्ट करने के लिए ट्रक लोड करवा रहे थे, तभी अचानक से वरूण के पास कॉल आया.
पता चला कि ये कॉल उसकी मम्मी का था और वो उसको सरप्राइज देना चाहती थीं कि वो दिल्ली आ गई हैं.
उनको लेने जाने के लिए वरूण को एयरपोर्ट जाना था.
वरूण ने मुझसे कहा- रोनित तुम काम संभालो, मैं अभी मम्मी को लेकर आता हूं.
मैंने उसको जाने के लिए हां बोल दिया.
थोड़ी देर बाद जैसे ही मैं ट्रक लोड कराके अपने नए फ्लैट पर पहुंचा और सामान अनलोड करवा के बैठा ही था कि तभी गेट की घंटी बजी.
मैंने गेट खोला तो मैं अचंभित हो गया क्योंकि मेरे सामने वरूण के साथ एक सुंदर पोर्नस्टार जैसी सुंदर महिला खड़ी थी.
ये वरुण की मम्मी रूना थीं.
वरुण की मम्मी दिखने में माल लग रही थीं. उन्होंने जींस पहनी हुई थी, जिसमें उनकी जांघें भरी भरी और एक जिम करने वाली महिला की तरह चुस्त लग रही थीं.
उन्होंने ऊपर पीले रंग का एक स्लीवलैस टॉप पहना हुआ था, जो लड़कों की बनियान के जैसा था.
उस टॉप में से उनके 36 इंच के चूचे एकदम टाइट और बड़े लग रहे थे.
मैंने तुरंत उनके चरणस्पर्श किए, तो उन्होंने मुझे पकड़ कर ऊपर उठाया और अपनी छाती से लगा कर झप्पी दे दी.
मैं अभी उनके मम्मों का सुख ले ही रहा रहा था कि उन्होंने कहा- बेटा, अन्दर नहीं बुलाओगे क्या?
मैंने माफी मांगते हुए रास्ता छोड़कर उन्हें अन्दर बुला लिया.
वो अन्दर आते ही सोफे पर बैठ गईं और अपने साथ लाए हुए सामान में से कुछ निकालने लगीं.
वो अपने साथ अच्छे ब्रांड के कपड़े वरूण और मेरे लिए लाई थीं.
वरूण को जैसे ही उन्होंने कपड़े दिए तो वरूण बोला- मां, मुझको इस ब्रांड के कपड़े ज़्यादा पसंद नहीं हैं, लेकिन आप लाई हैं, तो पहन लूंगा.
उन्होंने फिर मुझे मेरे कपड़े दिए, तो मैं देखकर बहुत खुश हुआ और उनका धन्यवाद कहा.
उन्होंने मुझसे गले लगते हुए मुझको किस कर दिया.
वरूण को कुछ बुरा नहीं लगा क्योंकि वो खुले ख्यालात का था और इसके घर के सब बहुत मॉडर्न ख्यालात के थे.
थोड़ी देर बात करने के बाद हम काम करने लगे.
हालांकि हमने वरूण की मम्मी को काम करने के लिए मना कर दिया था परंतु वो फिर भी हमारा साथ दे रही थीं.
काम करते करते मैंने अपने दोस्त की मम्मी के जिस्म को एक बार फिर से ध्यान से देखा.
वो वरूण के साथ सोफा उठा रही थीं. उनकी गांड बहुत चौड़ी थी. उसका साइज़ शायद 40 इंच का लग रहा था.
मैं सोच रहा था कि अगर यह मेरे दोस्त की मम्मी न होती, तो अभी यहीं पटक कर चोद देता. मेरा मन फ्रेंड मॉम सेक्स के लिए बेचैन था.
काम खत्म करने के बाद हम तीनों फिर सोफे पर बैठ गए.
वरूण बोला- अब भूख लग रही है. कुछ खाने को लाना चाहिए.
मैं बोला- वरूण मुझे और थोड़ा सा काम और करना है. तुम जाकर मार्केट से कुछ ले आओ.
वो मान गया.
उसको मैंने कुछ और पैसे अपनी तरफ़ से दे दिए कि मेरे लिए प्रोटिन सप्लीमेंट भी लेकर आना.
मैंने ऐसा इसलिए किए क्योंकि मैं ज़्यादा से ज़्यादा टाइम वरूण की मम्मी के साथ गुजारना चाहता था. वो तब ही हो सकता था, जब वरूण घर से थोड़े समय के लिए बाहर जाए.
वरूण जैसे ही घर से निकला, तो मैं तुरंत आकर सोफे पर बैठ गया और आंटी से बात करने लगा, उनके बदन को निहारने लगा.
आंटी से थोड़ी देर बात करने के बाद आंटी का ध्यान वॉल पेंटिंग पर गया.
आंटी तुरंत उठकर गईं और स्टूल पर चढ़कर उसको ठीक करने लगीं.
तभी मैं वहां पहुंच गया और स्टूल पकड़ लिया, जिससे आंटी का बैलेंस बना रहे.
मैं आंटी की गांड को निहार रहा था और मन ही मन में उनको चोदने का सोच रहा था.
तभी एकदम से वरूण की मम्मी गिरने को हुईं, तो मैंने उनको पकड़ लिया.
उस वक्त आंटी का एक दूध मेरे हाथ में आ गया था, जो पकड़ते वक्त आ गया था.
मेरा दूसरा हाथ आंटी की बड़ी और टाइट गांड पर था.
आंटी ने जैसे ही होश संभाला, तो आंटी मुझको धन्यवाद बोलती हुई मुझसे लग गईं. उन्होंने अपने मम्मों से मेरा सर लगा लिया, इसमें मुझे बहुत आनन्द आ रहा था.
तभी आंटी ने कहा- बताओ बेटा क्या चाहिए?
मैंने एकदम से कह दिया कि आंटी मुझे दूध पीना है.
आंटी ने कहा- दूध? वो तो तुम फ्रिज से निकालकर पी सकते हो.
मुझे मालूम था कि आंटी को समझ आ रहा है कि मैं कौन से दूध पीने की बात कर रहा हूं.
तभी आंटी ने कहा- और कुछ बताओ!
मैंने कहा- मुझे घोड़ी की सवारी करनी है.
आंटी ने सेक्सी अदा बनाते हुए कहा- वो तो शादी के समय ही पॉसिबल है बेटा, अभी तो नहीं हो सकता.
मैं समझ गया कि आंटी को सेक्स का मन तो है, लेकिन वो झिझक रही हैं.
तभी मैंने आंटी को पकड़ कर सोफे पर पटक दिया.
उन्होंने कहा- बेटा यह गलत है, अगर मेरे बेटे को पता लग गया तो?
मैंने बोला- पता ना लगे इसीलिए मैंने उसको और चीज़ें लाने को भेज दिया है. उसको वो सब लाने में टाइम लगेगा.
मैं सोफे पर बैठकर आंटी के एक चूचे को दबाने लगा और उनको उत्तेजित करने लगा.
आंटी ने फिर से कहा- बेटा यह ठीक नहीं है, तुम मेरे बेटे के अच्छे दोस्त हो.
मैंने कहा- हां आंटी इसीलिए तो आपको चोदना चाहता हूँ.
आंटी ने कहा- चलो ठीक है, तुमने मेरे बेटे का इतना ख्याल रखा, तो मैं तुमको खुश तो कर ही सकती हूँ. लेकिन एक शर्त पर ही खुश करूंगी कि तुम इसके बारे में किसी को नहीं बताओगे.
मैंने कहा- हां चलो ठीक है.
अब आंटी ने तुरंत मेरा सर पकड़कर अपने मम्मों के बीच में दबा दिया और रगड़ने लगीं.
वो धीमी आवाज़ में बोलने लगीं- जब मैंने तुम्हारा फोटो अपने बेटे के साथ देखा था, तभी से मैं तुमसे अपनी चूत की प्यास मिटवाना चाहती थी.
मैंने चौंकते हुए कहा- अच्छा साली छिनाल … तभी तू मुझसे इतना चिपक रही थी.
आंटी ने कहा- हां यार रोनित, मगर थोड़ा तहजीब में बोल. मैं तेरे अच्छे दोस्त की मां हूं.
मैंने झट से आंटी का टॉप उतारा तो आंटी की पीली ब्रा देखकर मैं और उत्तेजित हो गया.
आंटी को ज़ोर से किस कर दिया.
किस करते करते मैं अपने दोनों हाथों से उनके चूचे दबा रहा था.
आंटी ने कहा- अब जल्दी से मेरी ब्रा उतारकर कबूतर आज़ाद कर दे और इनको चूस ले क्योंकि बहुत दिनों से किसी ने चूसे नहीं हैं.
मैं सोच में पड़ते हुए आंटी से बोला- तू इतने दिनों तक बिना लंड के रही हो क्या … मुझे लगता है कि साली तू न जाने कितनों से चुदवाती होगी.
उसने कहा- बेटा, रोज़ाना कंपनी में नए लोग बिज़नेस करने आते हैं. उनको खुश करने के लिए मुझे उनसे चुदवाना पड़ता है.
मैंने कहा- अच्छा कम्पनी के अलावा और किसका लेती हो?
आंटी ने कहा- हफ्ते में 4 बार तो रामू ही चोदता है.
मैंने कहा- चिंता मत करो आंटी, आज मैं आपको एक रण्डी की तरह चोदूंगा.
अब आंटी की ब्रा का हुक खोलते ही मैं पागल हो गया क्योंकि आंटी के गोरे गोरे बड़े टाइट चूचे और उनके बीच में गोल-गोल गुलाबी गहराई बड़ी कामुक थी. मम्मों के बीचों बीच किसमिस जैसे निप्पल मुझे बहुत उत्तेजित कर रहे थे.
मैं तुरंत एक चूचे को पकड़ कर पागलों की तरह चूसने लगा.
आंटी ने कहा- आंह ले बेटे … पी ले दूध अपनी आंटी का.
मैं एक एक करके आंटी के दोनों चूचे पीने लगा और उनको काटने लगा.
तभी आंटी बोलीं- बेटा, आज मेरे लिए थोड़ा और खूंखार बन जा.
मैंने उनके चूचों पर चांटे मारने शुरू कर दिए जिससे उनके चूचे लाल होने लगे.
फिर मैंने आंटी को खड़ा किया और अपनी पैंट उतारने लगा.
मैंने आंटी से कहा- चल मेरी एक दिन की रानी … मेरा लंड बाहर निकालकर चूस!
आंटी ने कच्छा उतारते ही चौंकने जैसा नाटक किया और कहने लगीं- इतना मोटा?
मैंने कहा- साली नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली … ज्यादा ड्रामा न कर … अब जल्दी से केला मुँह में ले ले.
उन्होंने झट से लंड चूसना शुरू कर दिया.
मैं इसके साथ ही उनके चूचों को मसलता जा रहा था.
थोड़ी देर बाद मैंने आंटी को सोफे पर कुतिया बना दिया और उनकी जल्दी जल्दी पैंट उतारने लगा.
जैसे ही पैंट उतरी, मैं पीछे से हाथ फेर कर उनकी गांड की गोलाई को सहलाने लगा.
तभी आंटी ने कहा- क्या देख रहा है साले … तेरी आंटी ने रोज़ाना जिम में जाकर और कसरत करके ऐसी गांड बनाई है बाकी गांड मरा मरा कर इसको मस्त आकार दिया है.
मैंने कहा- साली जिम में भी चुदाती है क्या?
उसने कहा- हां मैंने कोई जिम ट्रेनर ऐसा नहीं छोड़ा, जिसने मुझे चोदा ना हो.
मैंने कहा- चल ठीक है, आज मैं तुझको उन सबसे ज्यादा खतरनाक चोदूंगा.
आंटी ने कहा- तो देर किस बात की है. कर दे शुरू!
मैंने आंटी की गांड को चाटते हुए एक ज़ोर का चांटा गांड पर मारा तो आंटी ने चिल्लाते हुए कहा- उई मां … आह बेटा धीरे से … आज से मेरी यह गांड और जिस्म तेरी अमानत हैं. जरा ध्यान से कर.
मैंने चार पांच थप्पड़ और मारे.
इसके बाद मैंने जल्दी से आंटी की चूत में लंड घुसा दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा.
तभी वरूण की मम्मी ने कहा- इससे मेरी चूत को कुछ नहीं हो रहा. कुछ और ट्राई कर!
मैंने आंटी को गला पकड़ कर उठाया और उनकी चूत में लंड डाल कर उनको गोद में उठा लिया.
मैं आंटी को लंड पर झूला झुलाते हुए चूत में धक्के मारने लगा.
आंटी बोलीं- हां अब थोड़ा मज़ा आ रहा है … और तेज़ चोद मेरे राजा.
मैं और तेज़ चुदाई करने लगा और गोद में उठाते हुए ही उनको चूमने लगा.
आंटी ने मेरे मुँह के करीब आकर अपना एक चूचा मेरे मुँह में डाल दिया जिससे मुझे और उत्तेजना होने लगी.
मैंने स्पीड बढ़ा दी.
फिर आंटी एकदम से झड़ गईं और चिल्लाने लगीं.
मैंने कहा- अभी खेल खत्म नहीं हुआ … अभी मैं बाकी हूँ.
आंटी बोलीं- मैं कौन सा रुक रही हूँ.
मैंने सोफे पर बैठकर आंटी को अपने ऊपर बैठा लिया.
इस पोजीशन को अंग्रेजी में Cowgirl Position कहते हैं.
आंटी मेरे लंड के ऊपर जोरों से उछलने लगीं और मैं भी नीचे से धक्के लगाने लगा. आंटी चूत में लंड लेती हुई बारी बारी से मुझे अपने दोनों कबूतर चुसवा रही थीं
इसी बीच आंटी एक बार और झड़ गईं.
अब आंटी ने कहा- अपना माल मेरे चूचियों पर डाल देना, मुझे माल की मालिश करनी है.
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान.
थोड़ी देर पोजिशन चेंज करने के बाद मेरा भी झड़ने का वक्त आ गया.
मैं तुरंत आंटी के चूचों के बीच में लंड दबाकर उनके चूचे चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने उनके चूचों पर ही माल छोड़ दिया और आंटी उसे मसलने लगीं.
चोदम-चोदी के बाद आंटी ने कहा- बेटा, आज बहुत दिनों के बाद मज़ा आया. धन्यवाद.
मैंने कहा- आंटी, धन्यवाद तो मुझे आपका करना चाहिए कि आप जैसी इतनी सुंदर रांड मेरे दोस्त की मां है. जिसे मैंने आज अच्छे से चोदा. लेकिन आपकी गांड का बाजा बजाना रह गया.
आंटी ने कहा- बेटा आज रात में कहीं नहीं जा रही हूँ … यहीं हूं. बाद में करते हैं. तब तुम अपनी कसर एक और बार पूरी कर लेना.
मैंने कहा- ठीक है.
आंटी ने कहा- चल, मैं कपड़े पहनकर और माल को साफ करके आती हूं. तू भी कपड़े पहन ले. इतनी देर हो गई है … वरूण भी आने ही वाला होगा. उसको शक नहीं होना चाहिए.
मैंने अपने कपड़े पहन लिए.
दस मिनट बाद वरूण भी खाना लेकर आ गया.
वरूण ने पूछा- मम्मी कहां हैं?
मैंने कहा- वो किचन में तेरे लिए जूस बना रही हैं.
वरूण ने कहा- अच्छा ठीक है.
तभी आंटी कपड़े पहनकर और जूस लेकर बाहर आ गईं.
मैंने देखा कि वरूण की मम्मी की चूत चुदवाने से चाल कुछ टेढ़ी हो गई थी.
वरूण ने पूछा- मम्मी, आपको क्या हुआ है और ये कैसे चल रही हैं. आपको कुछ हुआ है क्या?
उसकी मम्मी ने कहा- बेटे में काम कर रही थी और गिर गई. वो तो अच्छा हुआ कि रोनित ने मुझे बचा लिया वरना और चोट लग सकती थी.
वरूण ने मुझे शुक्रिया कहा.
मैंने आंटी को आंख मारते हुए कहा- आंटी, आज हमने बहुत मेहनत का काम किया है, इसके लिए कुछ पार्टी तो होनी चाहिए.
आंटी ने कहा- हां रोनित बेटा, डिनर में पार्टी भी करते हैं.
मैंने और वरूण ने भी हामी भर दी.
हम सब हंसने लगे.
उस रात हम सबने एक साथ ड्रिंक एन्जॉय की और मैं वरुण को कुछ ज्यादा पिला दी.
वरुण के सो जाने के बाद मैं उसकी मम्मी की गांड कैसे मारी ये मैं अपनी अगली कहानी में लिखूँगा. आप मुझे मेल करें कि आपको फ्रेंड मॉम सेक्स कहानी कैसी लगी?
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धन्यवाद.