काम देवी सेक्स कहानी में पढ़े कि मेरे भाई की शादी गोरी चिट्टी हंसिका मोटवानी जैसी भरे पूरे जिस्म वाली लड़की से हुई. एक दिन मैंने गलती से उन्हें बाथरूम में नंगी देख लिया.
नमस्कार दोस्तो और प्यारी भाभियो, मेरा नाम शानू है। मैं पंजाब से हूं।
मेरी हाईट 6 फ़ीट है और मैं दिखने में स्लिम और 6 पैक वाला बंदा हूं क्योंकि मैं रोज़ जिम में जाकर 2-3 घंटे वर्कआउट करता हूं।
अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है इसलिए अगर मुझसे कोई गलती हो तो आप उसे माफ़ करना।
यह काम देवी सेक्स कहानी मेरी सगी भाभी के साथ सेक्स की है।
मेरा विश्वास है कि इस कहानी को पढ़कर आप सभी लंड के महाराज और चूत की रानियां अपना पानी छोड़े बिना नहीं रह पाएंगी।
सेक्स को लेकर यह मेरे जीवन का पहला अनुभव है।
हम लोग पंजाब से हैं इसलिए आप जानते होंगे कि पंजाबी लड़कियां कितने बड़े, चौड़े और भरे हुए शरीर की मालकिन होती हैं। इसका कारण है यहां का ख़ान पान जिससे यहां की कम उम्र की लड़कियां भी डील डौल से पूर्ण जवान लगने लगती हैं।
यह घटना तब की है जब मैं अपनी जवानी में कदम रख रहा था। उस समय मेरी उम्र 20 साल थी और मैं इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहा था।
मेरे कालेज में कई लड़कियां थी पर मुझे वे पसंद नहीं थी क्योंकि वे सब स्लिम और छोटे स्तन वाली थी और मुझे भरे हुए शरीर की औरतें पसंद थी।
मेरा नुनु जो पहले हाथ में पकड़ने पर छोटा-सा लगता था अब वह लन्ड बन चुका था और अब हाथ मेरे लौड़े के आगे छोटा लगने लगा था।
मेरे लंड का साइज़ 4 इन्च की मोटाई लिए 8 इंच लम्बा है।
भाई की शादी के बाद मेरी पूर्णिमा भाभी घर में आई।
शादी के समय उनका फिगर कुछ खास नहीं था।
और मैंने भी उन्हें हमेशा इज़्ज़त की नजरों से देखा।
पर वो कहते हैं ना कि जवान चूत और जवान लंड ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकते।
समय बीतता गया और भाई भाभी की शादी को साल हो गया।
एक दिन मैं सुबह सुबह चिल्लाते हुए भाभी के कमरे में गया- भाभी, मेरा नाश्ता कहाँ है? मैं कालेज के लिए लेट हो रहा हूं।
अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो मैं भाभी को ढूंढता हुआ भाभी के कमरे से उनके बाथरूम में चला गया और अचानक से दरवाजा झटके से खोल दिया।
मैंने देखा कि भाभी सिर्फ़ काले रंग की छोटी सी पैंटी में थी और अपने नंगे बूब्स पर एक हाथ से साबुन लगा रही थी और दूसरे हाथ से पानी डाल रहीं थीं।
मुझे देख वो एकदम से चौंक गई और अपने अंगों को छिपाते हुए मुझे गुस्से में बाहर जाने को बोला।
पर मैं उनके चांदी से शरीर की चांदनी में पूरी तरह मंत्र मुग्ध हो गया था।
मैंने पहली बार भाभी के फिगर का जायजा लिया।
उनकी वो चौड़ी चौड़ी मांसल जांघें और गोल गोल चूतड़ जो इतने बड़े थे कि वो जिस बाथिंग स्टूल पर बैठी थी वो दिख भी नहीं रहा था।
उनकी पैंटी इतनी छोटी थी कि उसमें से उनके आधे चूतड़ दिखाई दे रहे थे।
उनके बूब्स इतने बड़े और गोरे थे कि क्या बताऊं!
साबुन लगाने की वजह से उनके बूब्स के गुलाबी निप्पल 2 इंच तनाव में थे.
यह सब देख कर मेरा लन्ड भी तनाव में आ गया था।
इतने में भाभी मुझ पर वापस चिल्लाई और बोली- शानू ये क्या हरकत है तुरंत बाहर निकलो।
मैंने होश संभाला और बाहर आ गया।
उसके बाद मैं कालेज के लिए निकल गया और सारा दिन यहीं सोचता रहा कि भइया ने भाभी के साथ ऐसा क्या किया होगा जो भाभी का बदन इतना बड़ा और भरा भरा सा लगने लगा।
शाम को कालेज से आने के बाद मैंने भाभी को देखा तो ऐसा लगा कि मानो उनकी चेहरे पर मेरे लिए गुस्से और शर्म दोनों के भाव थे।
फिर वो किचन में चली गई।
आज पहली बार मैंने भाभी को वासना भरी निगाहों से देखा।
पूर्णिमा भाभी किचन में पीठ करके कुछ बना रही थीं।
मैंने देखा आज पूर्णिमा भाभी ने काले रंग की टाईट लैगी और ऊपर लाल रंग का कुर्ता पहन रखा था।
पीछे से उनका फिगर काफी उभार लिए हुए था।
पूर्णिमा भाभी के नितंब इतने चौड़े थे कि क्या बताऊं।
उनके कमर के नीचे का हिस्सा 38 इंच का होगा। उनके दोनों नितंब बिल्कुल अलग अलग प्रतीत हो रहे थे।
पूर्णिमा भाभी की कुर्ती का कटाव कमर तक था इसलिए उनकी मोटी मोटी जांघें मुझे अपनी सगी भाभी की वासना में डूबा रही थीं।
यह सेक्सी दृश्य मैं अपने कमरे में से देख रहा था कि अचानक भाभी पीछे मुड़ी और मेरी नज़रों की चोरी को पकड़ लिया.
मेरे चेहरे की तरफ देखने के बाद उनकी नजर तुरंत मेरे पैंट में तंबू बने लंड पर पड़ी और उन्होंने गुस्से में अपनी नजर वापस घुमा ली.
मुझे डर लगने लगा कि कहीं भाभी इस हरकत को भाई से ना बता दें।
तीन-चार दिनों तक भाभी ने मुझसे बात नहीं की।
फिर एक दिन मैंने भाभी के रूम में कीहोल से देखा कि वह नहा कर केवल अपने बदन पर एक चुन्नी डाले हुए बाहर आई और शीशे में देख कर अपने शरीर को संवारने लगीं.
उनकी चुन्नी जो लाल रंग की थी, एकदम पारदर्शी थी.
उसमें से उनका फिगर बिल्कुल नजर आ रहा था. उनके गोरे-गोरे बूब्स लाल चुन्नी से बाहर निकलने को थे।
तब मुझे पता चला कि भाभी का फिगर एकदम हंसिका मोटवानी जैसा था।
पूर्णिमा भाभी का फिगर 36-30-38 का था जो मलाई की तरह गोरा था।
जब वह पीछे मुड़ी और चलने लगी तो ऐसा लगा मानो 2 बड़ी बड़ी गेंदें आपस में रगड़ा खा रही हों.
उनके नितंबों और बूब्स को देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया और अपनी वासना को पूरी करने के लिए तुरंत अपने बाथरूम में भागा।
भाभी को याद करके मैं मुठ मार रहा था और मुठ मारते मारते पता नहीं आधे घंटे से ज्यादा हो गया.
मैं पूरी तरह वासना में डूबा हुआ था, तभी भाभी आवाज देती हुई मेरे कमरे में आई और मेरे बाथरूम में आकर दरवाजे को झटके से खोला.
उनकी नजर तुरंत मेरे 8 इंच लंबे लोड़े पर पड़ी.
जिसे देख भाभी एकदम घबरा गई और उनके मुंह से एक वासना भरी आह आह निकल गई.
उन्होंने तुरंत गेट बंद किया और अपने कमरे में वापस लौट गई.
मैं सोच रहा था कि इस दृश्य को देखकर भाभी काफी शर्मिंदा हुई होंगी और मुझे भी काफी शर्म आ रही थी.
फिर मैंने तुरंत पैन्ट पहनी और बिना मुठ्ठी मारे अपने बाथरूम से बाहर आ गया.
कमरे में जाकर मैंने देखा कि भाभी वहीं बैठी हुई थी.
वह मुझसे कह रही थी- यह जो चार-पांच दिन से हो रहा है मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता. तुम अपनी आदतों में सुधार कर लो … वरना मैं तुम्हारे भाई से शिकायत कर दूंगी.
तो मैंने कहा- भाभी, माना कि मैंने गलती की आपके बाथरूम में आकर … पर आपने भी बिना बताए मेरे बाथरूम में आकर गलती की है. इसलिए दोषी तो आप भी हैं!
इस बात को सुनकर भाभी कुछ सोच में पड़ गई और एकदम अपने नितंबों को हिलाते हुए मेरे कमरे से निकल कर सीधा हॉल में चली गई।
अगले दिन में कॉलेज से आया तो मुझे पता लगा कि मेरे भाई तीन-चार दिन के लिए ऑफिस के काम से कहीं बाहर जा रहे हैं घर में सिर्फ मैं और मेरी भाभी ही बचे थे।
मैं बहुत खुश था पर भाभी बहुत घबराई हुई थी.
शायद वह मेरे साथ अकेला नहीं रहना चाहती थी.
भाई के जाने के बाद हमने रात का खाना खाया और अपने अपने कमरे में जाकर सो गए.
मुझे 2:00 बजे तक नींद नहीं आ रही थी.
मैं इस कल्पना में अपने लौड़े को हिला रहा था कि भाभी शायद मुझे अपने कमरे में बुलाएंगी.
और मुठ मारते मारते कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला.
मैं सुबह 10:00 बजे उठा तो मैंने देखा कि भाभी मेरे कमरे में आई हुई है और मुझे जगा कर बोल रही हैं- शानू चलो नाश्ता कर लो!
तो मैं नाश्ते के लिए चला गया.
नाश्ते में भाभी ने मुझे एक केला दिया जिसे देखकर मैंने कहा- भाभी, इतना बड़ा केला मैं नहीं खा पाऊंगा.
तो भाभी ने कहा- यह बड़े केले और छोटे केले की बात तुम तो मुझसे करो ही मत!
और गुस्से में मुझे देखते हुए अपने काम में लग गई.
मैं भी अपनी किताब लेकर पढ़ रहा था तो मैंने देखा कि भाभी झाड़ू लगा रही थी.
वह नीचे झुकी तो उनके बूब्स का क्लीवेज मुझे साफ दिखाई दे रहा था.
फिर वह दूसरी तरफ से झाड़ू लगाने लगी तो मुझे उनका पिछवाड़ा दिखने लगा.
इसके बाद वह पौंछा लगाने लगी।
पौंछा लगाते समय उन्होंने अपनी कुर्ते को थोड़ा ऊपर कर लिया जिससे वह एक डॉगी स्टाइल में उनकी टाइट लैगी से उनके चूतड़ साफ-साफ दिख रहे थे।
ऐसे ही अब शाम हो गई.
भाभी मुझसे बोलने लगी- आज किचन में सारा दिन खड़े रहने की वजह से मेरे पैरों में बहुत तेज दर्द है.
मैंने कहा- क्या भाभी, इतनी छोटी सी बात … मैं अभी आपके पैरों में तेल लगा देता हूं.
पर भाभी ने तुरंत मना कर दिया … शायद मेरी हरकतों की वजह से!
तो मैंने कहा- भाभी, आप चिंता मत कीजिए, मैं आपके पैरों के दर्द को बिल्कुल सही कर दूंगा।
उन्होंने कुछ सोचा और फिर कहा- ठीक है।
मैं तेल लेकर भाभी के कमरे में चला गया।
भाभी ने उस समय एक मेक्सी पहनी हुई थी.
वह तेल लगवाने के लिए औंधी लेट गई और अपनी मेक्सी को घुटनों तक ऊपर कर लिया.
मैं हल्के हल्के हाथ से भाभी के पैरों में तेल लगा रहा था जिससे मैं काफी गर्म होता जा रहा था और मेरा लंड भी बड़ा होता गया.
अब मैं भाभी को अपनी वासना में फंसाना चाहता था इसलिए मैंने उनकी मेक्सी को थोड़ा और ऊपर करके जांघों तक कर दिया जिससे उनकी गोरी गोरी और मांसल जांघें मेरी आंखों के आगे थी.
मैं उन पर तेल लगाने लगा.
भाभी ने कुछ नहीं कहा.
फिर मैंने सोचा क्यों ना थोड़ा और ऊपर कर दूँ.
तो मैंने तुरंत एक झटके से भाभी की मेक्सी को उनके नितंबों तक ऊपर कर दिया जिससे उनकी पैंटी साफ़ दिखाई देने लगी।
उन्होंने तुरंत अपनी मेक्सी को नीचे किया और मुझसे तेल की शीशी छीन ली और कहा- शानू भाई, आप अपने कमरे में जाइए. मुझे आपसे कोई भी तेल नहीं लगवाना है। आप पैरों की जगह कहीं और तेल लगा देंगे।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी?
तो भाभी ने बिना कुछ जवाब दिए वहां से निकल जाना ही उचित समझा.
इससे मुझे यह तो आभास हो गया कि भाभी का मन तो है और वह गर्म भी हो रही थी. पर वह अपने घर की इज्जत और पतिव्रत धर्म को छोड़ना नहीं चाहती थी.
पर मैं भी कहां रुकने वाला था.
अगले दिन भाभी बाथरूम में नहा रही थी.
तभी उनके चिल्लाने की आवाज आई.
मैं तुरंत दौड़कर उनके भाभी के बाथरूम में गया तो मैंने देखा कि भाभी सिर्फ पेंटी में फर्श पर फिसली हुई थी उनके बूब्स पूरे नंगे थे और वह चिल्ला रही थी क्योंकि कमर में चोट लग गई थी.
मैंने तुरंत भाभी को सहारा दिया.
उन्होंने मुझसे कहा- मुझे वह तौलिया दे दो जिससे मैं अपने आपको ढक लूं.
तो मैंने कहा- भाभी, इतना समय नहीं है, आपको दवाई की जरूरत है!
मैंने भी मौके का फायदा उठाया और उन्हें गोदी में उठा लिया।
उनकी कमर में इतना तेज दर्द था कि वह कुछ बोल भी नहीं पा रही थी, केवल कराह रही थी.
भाभी का कमरा ऊपर छत पर था तो मैं उन्हें अपने कमरे में नीचे लाने के लिए सीढ़ियों पर से नीचे उतरने लगा.
सीढ़ियों पर से उतरते समय उन्हें झटके लगने लगे और वह बोली- शानू, प्लीज धीरे धीरे चलो. मेरी कमर में बहुत तेज लगी हुई है.
मैं धीरे-धीरे चलने लगा.
इस दृश्य से मेरा लोड़ा खड़ा हुआ था. मेरा मोटा लिंग उनकी पैंटी को फाड़कर अंदर घुस रहा था.
वह मुझे गुस्से की नजर से देख रही थी पर कुछ नहीं कर पा रही थी.
मैं बीच-बीच में भाभी के बूब्स दबा दिया करता था.
भाभी को सीढ़ियों पर से झटके लग रहे थे जिससे मेरा लंड उनकी चूत में बार-बार धक्के दे रहा था.
अब मैंने नीचे ले जाकर भाभी को बेड पर लिटा दिया और कहा- मैं अभी डॉक्टर को फोन करता हूं.
तो वह बोली- नहीं, डॉक्टर की जरूरत नहीं है. मेरी अलमारी में कमर दर्द की क्रीम रखी है, प्लीज वह मुझे लाकर दे दो और तुम यहां से बाहर निकल जाओ.
मैंने दवाई लाकर दे दी.
वह अपनी कमर पर वह क्रीम लगाने लगी.
लेकिन उनका हाथ वहां नहीं पहुंच रहा था तो मैंने कहा- मैं आपकी मदद कर देता हूं.
उन्होंने मना कर दिया.
तो मैंने कहा- भाभी, उस दिन के लिए सॉरी!
उन्होंने कहा- चलो ठीक है … लेकिन कुछ गलत हरकत मत करना!
तो मैंने कहा- ठीक है!
फिर मैंने पूर्णिमा भाभी को औंधी लेटने को कहा.
वह अपने बूब्स को छुपाते हुए पेट के बल लेट गई क्योंकि उनके शरीर पर केवल पैंटी ही बची हुई थी जिससे वह बहुत हॉट लग रही थी.
मैं उनकी कमर पर क्रीम लगाने लगा और उनकी पीठ पर भी धीरे-धीरे हाथ लगा.
उनके बड़े-बड़े नितंबों में छोटी सी पेन्टी पता नहीं कैसे आ रही थी, वह सिर्फ उनके आधे नितंबों को ही ढक पा रही थी।
तभी भाभी का मन पता नहीं क्या हुआ, उन्होंने कहा- तुम अपनी भाभी से खुलकर बात भी नहीं करते?
तो मैंने कहा- ऐसा नहीं है भाभी. आपको ऐसा क्यों लगा?
उन्होंने कहा- 2 साल पहले तक ऐसा कुछ नहीं था। पर अब तुमने तो अपने खड़े हुए तंबू के बारे में भी कुछ नहीं बताया.
तो मैंने कहा- भाभी कौन सा तंबू?
उन्होंने नीचे उंगली करके कहा- यह जो इतना बड़ा और मोटा खड़ा हुआ है, मैं इसकी बात कर रही हूं पागल!
मैंने कहा- सॉरी।
तो भाभी ने कहा- कोई बात नहीं … पर तुम अपने वासनाओं पर थोड़ा काबू रखो. जो तुम्हारी पत्नी आएगी उस पर अपनी वासना शांत करना.
फिर उन्होंने धीरे स्वर में कहा- क्या किस्मत वाली होगी तुम्हारी होने वाली पत्नी।
तो मैंने कहा- क्या कहा भाभी आपने?
उन्होंने कहा- कुछ नहीं!
तो मैंने कहा- प्लीज बताओ ना?
उन्होंने कहा- तुम्हारी पत्नी काफी खुश किस्मत होगी जो उस तंबू को अपने बंबू में अंदर लेगी.
तो मैंने कहा- ऐसा क्यों भाभी?
उन्होंने कहा- पागल, इतना बड़ा किसी का नहीं होता.
मैंने पूछा- भाभी भाई का कितना बड़ा है?
उन्होंने कहा- उनका तो तुम्हारे से सिर्फ आधा है.
इस बात से मैं काफी खुश हुआ कि वह भी मेरे लिंग की प्रशंसा कर रही थी.
तो मैंने कहा- भाभी, इस तंबू को क्या तंबू ही कहते हैं?
वह मुस्कुराई और बोली- इसको कुछ और भी कहते हैं.
तो मैंने पूछा- क्या?
भाभी जी ने कहा- इतने भी सीधे मत बनो!
फिर वह बोली- चलो क्रीम लग गई, अब मैं कपड़े पहन लेती हूं.
तो मैंने कहा- भाभी मैं चाहता हूं कि मेरी पत्नी से पहले ही वह आनंद आप लो।
इस बात पर एकदम गुस्से से भाभी ने मेरी तरफ देखा और कहा- तुम पागल हो. तुम्हें पता भी है कि तुम क्या कहे रहे हो? मैं तुम्हारी मां के समान हूं।
मैंने कहा- भाभी, वह सब तो ठीक है. इस अवस्था में ये धर्म की बातें याद नहीं आती।
इस बात पर वह मुस्कुरा दी और अपने कपड़े पहनने लगी.
तभी मैंने भाभी को अपनी तरफ खींचा और उन्हें बेड पर धकेल दिया।
धकेलने के बाद मैंने उनकी पैंटी को एक हाथ से उतार दिया जिससे अब वह मेरे सामने पूरी नंगी बेड पड़ी थी।
उन्होंने मुझसे कहा- शानू प्लीज।
पर मैं उनके आलू से भरे बदन में खो चुका था।
उनका वो चमकदार और संगमरमर सा गोरा फिगर को देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था और मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया था।
मैंने देखा कि पूर्णिमा भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और मुझे आश्चर्य हुआ कि भाभी की चूत एकदम कसी हुई थी।
इन भारी चूतड़ों और कसी हुई चूत का राज़ उन्होंने मुझे बाद में बताया।
उन्होंने मुझसे कहा- यह याद रखना शानू कि हम यह पहली और आखिरी बार कर रहे हैं।
तो मैंने कहा- ठीक है भाभी।
तभी मैंने भी कपड़े उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में था.
भाभी ने कहा- यह तो बहुत नाइंसाफी है!
और तुरंत उन्होंने एक झटके से मेरे अंडरवियर को उतार दिया और फिर कहा- हां अब हुई ना बराबर की बात!
इस बात पर हम दोनों मुस्कुरा दिए.
फिर उन्होंने जब मेरे लंड को पहली बार हाथ से छुआ तो उन्होंने कहा- ओ माय गॉड, इतना मोटा और इतना बड़ा! इतनी कम उम्र में तो सोचो तुम्हारी शादी तक यह कितना पहाड़ जैसा हो जाएगा।
मैं भी इसी सोच में था कि भाभी की इतनी सी जगह में मेरे लंड महाराज कैसे जाएंगे।
अभी मैं इस काम देवी से सेक्स की कल्पना में था कि तभी भाभी ने तुरंत मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह मुंह में ले लिया.
मैंने कहा- भाभी, इसमें लुब्रिकेंट अच्छी तरह लगाना जिससे की गाड़ी ज्यादा देर तक और ज्यादा तेज स्पीड से चल सके।
भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे लिंग के पास दोनों जांघों पर रखे और सीधा मेरा मोटा लौड़ा अपने मुंह में ले लिया और जोर जोर से अपने मुंह को चोदने लगी।
मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव इतना सुन्दर होगा।
सच कहूं दोस्तो, ऐसा लग रहा था कि मानो मैं स्वर्ग में हूं।
फिर मैंने एक हाथ से भाभी के पीछे के बालों को पकड़कर उनकी स्पीड बढ़ा दी।
मेरा लोड़ा भाभी के गले तक उतर गया था और वह इतना मोटा था कि भाभी के मुंह में बड़ी मुश्किल से आ रहा था।
फिर भी भाभी पूरे दिल से मेरे लिंग को अपने मुंह से चोद रही थी.
शायद इतना बड़ा और मोटे लंड को देखकर वो पागल हो गई थी और उन्हें लग रहा था कि शायद वह आगे जीवन में ऐसा लंड कभी नहीं देख पायेंगी।
फिर मैं उठ गया और भाभी को बेड पर लिटा लिया और उसके बाद उनकी योनि में मैंने अपनी जीभ डाल दी तो वह एकदम से सिहर उठी।
भाभी- अअह हअअ हअअ … नहीं शानू प्लीज आराम से!
शायद वह अपनी चूत को पहली बार चटवा रही थी।
चूत चटवाने का उनका पहला अनुभव था यह उन्होंने मुझे बाद में बताया।
फिर मैंने अपना लन्ड निकाल कर भाभी की चूत पर टिका दिया.
जिससे भाभी की कसमसाहट वाली आवाज निकल गई मानो भाभी अपनी आवाज को दबा रही हों।
फिर मैंने एक हल्का सा धक्का लगा कर भाभी की चूत में अपना लन्ड दिया और मेरे लंड का टोपा भाभी की चूत में घुस गया.
इससे भाभी एकदम से चिल्ला उठी.
फिर मैंने दूसरे प्रयास में आधा लंड भाभी की योनि में डाल दिया।
भाभी एकदम से बेड पर से उछल उठी और बोली- प्लीज शानू, धीरे करो … मेरी जान निकल जाएगी!
पर मैं कहां सुनने वाला था।
मैंने एक हाथ से भाभी की गुलाबी चूत पर वापस अपना लंड सेट किया और दूसरे हाथ से उनके बड़े बूब्स को पकड़ा और एक ही झटके में पूरा लंड उनकी योनि में उतार दिया.
उनकी आंखों से आंसू निकल आए और मैं लगातार उन्हें पेल रहा था.
फिर उसके बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा.
तो उन्हें डर था कि उनकी चूत में ही लंड इतना दर्द देकर गया है तो कहीं शानू मेरी गान्ड ना मार ले।
मैंने उन्हें विश्वास दिलाया- भाभी, आप चिंता मत कीजिए, मैं आपकी गांड में लौड़ा नहीं डालूंगा.
तो मेरी बात मान कर भाभी घोड़ी बन गई.
मैंने उन्हें घुटनों के बल करके अपने लंड को उनकी योनि में पीछे से डाला.
सच मानो दोस्तो, पीछे से चोदने का मजा ही कुछ और आ रहा था.
पर इस बीच मेरी नीयत बिगड़ गई.
उनके बड़े-बड़े चूतड़ों पर मैं बीच-बीच में थप्पड़ मार दिया करता था.
इसी बीच मैंने चालाकी से अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला और उनकी गांड पर रखकर धक्का दे दिया जिससे एक चौथाई लौड़ा गांड में चला गया.
और भाभी बेहद जोर से चिल्लाई।
मानो उनके चिल्लाने की आवाज घर से बाहर निकल गई हो.
फिर उन्होंने कहा- तुम पागल हो क्या? मैंने तुमसे पहले ही मना किया था.
तो मैंने कहा- सॉरी भाभी, रहा नहीं गया मुझसे!
पर भाभी का गुस्सा 2 सेकंड का ही था।
फिर मैंने थूक लगाकर उनकी गांड में लंड दे दिया और उन्हें 10 मिनट तक चोदा.
मैंने उन्हें पांच नए नए पोज में 40 मिनट तक चोदा।
मैं जानता था कि मुझे यह हंसीन मौका बाद में नहीं मिलेगा और इतनी सुंदर और भरी हुई काम देवी सी भाभी मुझे जीवन में कभी चोदने को नहीं मिलेगी।
इस तरह मैंने अपनी सगी भाभी को चोदा.
और वह दिन मेरे जीवन का सबसे हसीन दिन बन गया.
इसके बाद क्या हुआ मैं आपको आगे की कहानी में बता पाऊंगा।
कृपया मुझे मेल करें कि आपको यह काम देवी सेक्स कहानी कैसी लगी?
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